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प्यार नहीं पागलपन- भाग 6: लावण्य से मुलाकात के बाद अशोक के साथ क्या हुआ?

अशोक ने कहा, ‘‘आंटीजी, जो भला नहीं कर सकता, वह बुरा कहां से कर पाएगा. आप इस की जरा भी चिंता न करें. मैं उन दोनों को देख लूंगा.’’

अशोक रोज ही लावण्य के यहां जाता रहा. लावण्य के मामा के घर वालों को पता ही था कि उस के साथ लावण्य की शादी होने वाली है. इसलिए उसे सभी घर के सदस्य की तरह ही मानते थे. लगभग 15 दिनों तक एक तरह से अशोक लावण्य के यहां ही रहा. लावण्य एक सामान्य लड़की की तरह सब से व्यवहार कर रही थी.

तमाम लोग लावण्य से मिलने आ रहे थे. ऐसे में अशोक और उस में सिर्फ औपचारिक बातें ही हो पाती थीं. धीरेधीरे लावण्य के सगेसंबंधी जाने लगे थे.

अशोक का कामकाज उन दिनों कुछ ज्यादा ही चल रहा था. दोस्तों के साथ चल रहे कंस्ट्रक्शन के काम में उस की मदद की जरूरत थी. इसलिए 3-4 दिन वह लावण्य के घर नहीं जा सका था. उस ने जया से लावण्य का ध्यान रखने के लिए कह दिया था. दरअसल, उसे शहर से बाहर जाना पड़ा था. लौटते ही वह लावण्य के यहां जाने के लिए तैयार हुआ तो मां बोली, ‘‘अशोक, मैं भी चलूंगी लावण्य के यहां. मु  झे भी वहां गए कई दिन हो गए हैं.’’

अशोक मां को भला कैसे मना कर सकता था, जबकि उस दिन वह अकेला ही जाना चाहता था. अशोक मां को ले कर लावण्य के यहां पहुंचा.

लावण्य ड्राइंगरूम में बैठी कुछ पढ़ रही थी. अशोक और उस की मां को देखते ही लावण्य ने पत्रिका रख दी और खड़ी हो कर बोली, ‘‘आइए मांजी.’’

अशोक की मां ने लावण्य के सिर पर हाथ फेरा और सोफे पर बैठ गईं.

‘‘कई दिनों बाद आप आईं मांजी,’’ लावण्य बोली.

‘‘मैं अकेली कैसे आती बेटा. आज अशोक आने लगा, तो इस के साथ आ गई.’’

‘‘आप आईं तो बहुत अच्छा लगा,’’ लावण्य बोली, ‘‘जया आंटी, देखो तो कौन आया है.’’

रसोई से हाथ पोंछते हुए जया आई. अशोक और उस की मां को देख कर बोली, ‘‘अरे ज्योत्सनाजी, आप, बैठिए, मैं पानी ले कर आती हूं.’’

‘‘पानी ही क्यों, गुलाबजामुन भी लाओ न,’’ लावण्य बोली, ‘‘मांजी, मेरे डैडी को गुलाबजामुन बहुत पसंद थे. वे गुलाबजामुन के बिना एक भी दिन नहीं रह पाते थे. वह भी जया आंटी का बनाए हुए. मां के बनाए हुए भी नहीं.

‘‘मैं ठीक कह रही हूं न जया आंटी. अरे आंटी, ये सब लोग आए हैं, डैडी को बुलाओ न.’’

‘‘वे मेरे कहने से कहां आने वाले हैं,’’ जया स्तब्ध हो कर बोली.

‘‘वे पूरे दिन स्टडीरूम में ही क्यों बैठे रहते हैं,’’ लावण्य ने कहा, ‘‘बोलो न अशोक की मां आई हैं. खैर, मैं ही जाती हूं. मेरे गए बगैर वे नहीं आएंगे,’’ कह कर लावण्य उठ खड़ी हुई.

‘‘लावण्य,’’ अशोक बोला पर लावण्य उस की बात पर ध्यान दिए बगैर आगे बढ़ी तो पीछेपीछे अशोक भी चल पड़ा.

‘‘डैडी… डैडी,’’ आवाज लगाते हुए लावण्य सीढि़यां चढ़ने लगी. मेजर विवेक का स्टडीरूम ऊपर की मंजिल पर था. अशोक सीढि़यों के पास ही खड़ा रहा. थोड़ी देर में वह नीचे आ कर बोली, ‘‘आंटी, डैडी कहां हैं?’’

‘‘बेटा, वे तो खेतों में गए हैं,’’ जया आंटी ने कहा.

‘‘अब तो वे शाम को ही आएंगे,’’ लावण्य बोली.

जया अशोक की मां को इशारे से सम  झा रही थी कि अब आप जाइए, जबकि उन की सम  झ में कुछ नहीं आ रहा था. लेकिन, अशोक सब सम  झ गया था.

‘‘चलो मां, आप को घर पहुंचा कर, मु  झे यहां फिर आना पड़ेगा,’’ अशोक अपनी हैरानपरेशान मां को ले कर बाहर आ गया.

अशोक को बाहर निकलते देख लावण्य बोली, ‘‘अशोक, तुम जा रहे हो?’’

‘‘नहीं, मां को पहुंचा कर आता हूं.’’

‘‘ठीक है, तब तक डैडी भी आ जाएंगे,’’ लावण्य ने मुसकराते हुए कहा.

‘‘यह सब देखनेदिखाने के लिए आप ने मु  झे ही क्यों चुना,’’ जया बुदबुदाई.

अशोक उन से कुछ भी नहीं कह सका. उस का सिर चकराने लगा था. कहां जल्दी से जल्दी शादी के बारे में सोच रहा था, कहां यह बखेड़ा खड़ा हो गया. वह भी बुदबुदाया, ‘लावण्य, मैं तुम्हारे बगैर नहीं

रह सकता.’

उस ने रणजीत मामा से शादी के लिए बात की, जबकि लावण्य रट लगाए थी कि डैडी कहेंगे तभी वह शादी करेगी. आखिर अशोक ने मेजर विवेक के नाम को अपने फोन में व्हाट्सऐप संदेश दिखा कर उसे शादी के लिए राजी कर लिया.

लावण्य को बहका कर किसी तरह सभी ने अशोक से शादी करा दी. लावण्य जिस तरह भ्रम में थी, उस के भ्रम को उसी तरह बनाए रखने के लिए अशोक ने मेजर विवेक का एक कमरा अपनी कोठी में भी अलग से बना दिया था. उन के नाम से अपने फोन में व्हाटसऐप चला भी रहा था. जब कभी लावण्य मेजर विवेक को ले कर बहकती, वह अपने फोन में मेजर साहब के नाम का संदेश दिखा कर उसे सम  झा लेता, क्योंकि जल्दी ही वह उसे सम  झाना सीख गया था

Winter 2022: चिकन करी खाकर हो गए हैं बोर तो बनाएं ये 3 टेस्टी डिश

अक्सर लोग चिकन की एक ही रेसिपी जानते हैं. लेकिन हम आपके लिए लेकर आए हैं, चिकन की अलग-अलग टाइप की रेसिपी.जी हां, ये  बहुत ही स्वादिष्ट रेसिपी है. इसमें हरा धनिया, चीज़ और मसाले डालकर कबाब को ग्रिल किया जाता है. आप इन रेसिपी को डिनर या लंच में बना सकते हैं.

  1. चिकन करी

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सामग्री

चिकन लेग पिस (6-7)

लहसुन का पेस्ट (1 1/2 टी स्पून)

पीली मिर्च पाउडर (1/2 टी स्पून)

चीज़ (1/2 कप)

दही (आवश्यकतानुसार)

बेसन (1/2 टी स्पून रोस्टेड)

हरी इलाइची पाउडर (1/2 टी स्पून)

पीली मिर्च पाउडर (1/2 टी स्पून)

जावित्री पाउडर (एक चुटकी)

जायफल पाउडर (एक चुटकी)

सेंधा नमक (1/2 टी स्पून)

हरा धनिया (एक मुट्ठी)

तेल (1 टेबल स्पून)

बनाने की वि​धि

चिकेन को छोटे टुकड़ों में काट लें.

मैरीनेट करने के लिए अदरक, लहसुन और पीली मिर्च पाउडर को मिक्स करें.

चिकन के टुकड़ों में यह मिश्रण डालकर कुछ देर के लिए छोड़ दें.

अब एक बाउल में चीज़ और दही को अच्छी तरह मिक्स करके पेस्ट बना लें.

इसके बाद, बेसन, इलाइची पाउडर, पीली मिर्च, जावित्री पाउडर, जायफल पाउडर को अच्छी तरह मिक्स कर लें.

इसमें अब काला नमक, हरा धनिया, तेल डालकर दोबारा अच्छे से मिलाएं.

अब चिकन के टुकड़ों को देखें की पीस अच्छी तरह मैरीनेट हो गए हैं.

जब यह पूरी तरह हो जाए तो चिकन के टुकड़ों को सीख में लगाकर तंदूर में लगाएं.

तंदूर कवर कर दें ताकि कबाब अच्छी तरह पक जाएं.

2. चिकन काठी रोल

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सामग्री :

– 1/4 कप टमाटर (कटा हुआ)
– एक चुटकी हल्दी पाउडर
– स्वादानुसार नमक
– लाल मिर्च स्वादानुसार
– 1 प्याज पतले स्लाइस में कटा हुआ
– 1 शिमला पतले स्लाइस में कटा हुआ
– 150 ग्राम चिकन टिक्का
– 2 चम्मच प्याज ( टुकड़ों में कटा हुआ )
– 2 चम्मच धनियापत्ती
– 2 चम्मच अदरक-लहसुन का पेस्ट
– 1 हरी मिर्च, टुकड़ों में कटी हुई
– 4 चम्मच तेल
– 2 रुमाली रोटी
– 2 अंडे का सफेद भाग
– 2 चम्मच धनियापत्ती ( बारीक कटा हुआ )
– 3 चम्मच तेल

विधि : 

– मद्धम आंच पर एक पैन में तेल गर्म कर लें उसके बाद एक बर्तन में अंडे के सफेद भाग और घनियापत्ती मिलाकर अच्छे से फेंट लें.

– अब तैयार मिश्रण को पैन में डाल कर उपर रूमाली रोटी रखकर दोनों तरफ सेंक लें.

भरने की सामग्री

– चिकन को छोटे टुकड़ों में काट लें.

– मद्धम आंच पर तेल गर्म करें.

– तेल गर्म होते ही इसमें प्याज, अदरक-लहसुन का पेस्ट, टमाटर, हल्दी, लाल मिर्च पाउडर और हरी मिर्च डालें.

– अब इसमें चिकन, प्याज और शिमला मिर्च डालें कर तेज आंच पर 4-5 मिनट तक पकाने के बाद इसमें धनिया डालें.

– मिश्रण को रुमाली रोटी के बीच में बराबर मात्रा में रखकर रोल करें और फिर पुदीने की चटनी और सलाद के साथ सर्व करें.

3. चिकन मोमोज 

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सामग्री:

– चिकन 250 ग्राम (बोनलेस)

– मैदा (100 ग्राम)

– मक्के का आटा (50 ग्राम)

– हरा प्याज (1/2 कटोरा)

– प्याज 1 (बारीक़)

– हरी मिर्च (4 बारीक़)

– धनिया पत्ता

– काली मिर्च ( 1/4 चम्मच)

– अदरक पेस्ट

– लहसुन पेस्ट ( 1 चम्मच)

– गरम मशाला

– नमक (स्वादानुसार)

– तेल (1 चम्मच)

बनाने की विधि:

– सबसे पहले मैदा और मक्के के आटे को मिला कर रोटी के आटे के जैसा गूंथ लें.

– फिर चिकन के पीसेस को अच्छे से धो ले और उसको मिक्सर में पिस ले.

– और उसे किसी बाउल में निकाल लें.

– फिर उसमे हरे प्याज, मिर्च, प्याज,काली मिर्च, अदरख लहसुन पेस्ट, धनिया के पत्ते,गरम मशाला, नमक और तेल डालकर उसको मिला लें.

– फिर उसे एक तरफ रख दें और आटे तो एक बार और हाथ से मिला दें और उसे एकदम साइज का लोई काट लें.

– फिर उसे गोल गोल बेल लें (आटे को रोटी के जैसा बारे बेल ले और उसे किसी छोटे ग्लास से काट लें.

– फिर उसमे चिकन के मिक्सचर को को दाल दें और उसे बंद कर दें.

– यहां पे हमारी मोमोस पकने के लिए बन गयी.

– अब गैस पे कढ़ाई में पानी गरम करे और उसमे स्टैंड रख दें.

– फिर मोमोस को कांच में रख दें और उसे उस कढ़ाई में रख दें.

फिर ढक्कन हटाए और आपका मोमोस पककर बिलकुल तैयार हो गया होगा और अब उसे चटनी के साथ परोसें.

मिट्टी-पानी की जांच कराएं, कम लागत में अधिक मुनाफा पाएं

समयसमय पर किसानों को अपने खेत की मिट्टी की जांच जरूर करानी चाहिए, ताकि मिट्टी जांच से मिलने वाले नमूने के आधार पर अपनी खेती में जरूरी खाद, उर्वरक, बीज आदि की मात्रा तय कर सकें. ऐसा करने से किसानों को अपने खेत में अंधाधुंध खाद, उर्वरक देने से नजात तो मिलेगी ही, बल्कि खेत की मिट्टी को सही पोषक तत्त्व सही मात्रा में मिल सकेंगे.

मिट्टी का नमूना लेने की विधि

* सब से पहले अपने खेत को उर्वराशक्ति के अनुसार 2 या 2 से ज्यादा भागों में बांट कर रैंडम आधार पर 8-10 स्थानों से मिट्टी का एकएक नमूना लें.

* मिट्टी का नमूना लेने से पहले ऊपर की सतह से घासफूस साफ कर लें और एक लंबी खुरपी से ‘ङ्क’ आकार का गड्ढा खोदने के बाद उस के एक तरफ से एक इंच मोटी मिट्टी की परत निकाल कर किसी बरतन में डालें.

* इस तरह से पूरे खेत के 8-10 स्थानों से मिट्टी ले कर अच्छी तरह से मिला कर उस का एक ढेर बनाएं और उस ढेर पर + का निशान बनाएं.

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* अब इस के आमनेसामने के 2 भागों की मिट्टी को हटा दें और बची हुई मिट्टी को दोबारा इकट्ठा कर लें. यह प्रक्रिया तब तक करें, जब तक कि मिट्टी तकरीबन 500 ग्राम न रह जाए.

* इस 500 ग्राम मिट्टी को एक साफ कपड़े की थैली में भरें व कागज पर अपना नाम सहित पूरा पता, विगत में ली गई और भविष्य में ली जाने वाली फसलों के नाम अंकित कर के उस थैली में डाल दें. इसी प्रकार की एक परची थैली के ऊपर बांध कर मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजें.

सिंचाईपानी का नमूना लेने की विधि

किसान सिंचाई के लिए अपने खेत में जिस पानी का उपयोग करते हैं, उस पानी का नमूना लेने के लिए यदि नलकूप है, तो पंप को 8-10 मिनट चलाने के बाद व यदि खुला कुआं है, तो बालटी से पानी निकालते समय उसे 8-10 बार डुबो लें और पानी के नमूने को एक साफ बोतल में नलकूप या कुएं के पानी से अच्छी तरह धो कर पूरा भर लें और बोतल के ऊपर किसान अपना पूरा नाम व पता लिख कर प्रयोगशाला को जांच के लिए भिजवाएं.

अधिक जानकारी हासिल करने के लिए अपने निकटतम कृषि कार्यालय में संपर्क करें या फिर किसान काल सैंटर के नि:शुल्क दूरभाष नंबर 18001801551 पर बात कर के अपनी समस्या का समाधान करें.

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Winter 2022: भूलकर भी आयोडीन की कमी को न करें अनदेखा

अपने सरप्राइज मैथ टैस्ट के समय 6 वर्षीय राजेश ने भी अपनी शीट टीचर के पास जमा कराई. लेकिन, उस के नंबर उस की रातभर की पढ़ाई के मुताबिक नहीं थे. फीकी सी मुसकान के साथ वह अपने बाकी सभी दोस्तों के साथ ग्राउंड में खेलने के लिए निकल गया, पर वहां भी तेज न भाग पाने के कारण वह सभी से पीछे ही रहा.

राजेश के दोस्त उसे कभी पढ़ाई के लिए तो कभी खेलों में आगे आने को कहते रहते थे, लेकिन दिनबदिन इन दोनों ही चीजों में उस की सम झ पहले से ज्यादा धीमी हो रही थी. बिना किसी बीमारी के लक्षणों के उस की स्थिति का पता लगाना मुश्किल था. डाक्टरों के अच्छी तरह जांच करने पर पता चला कि राजेश आयोडीन की कमी से ग्रसित है. इस का कारण उस के परिवार का खाने में आयोडीनरहित नमक का इस्तेमाल करना था.

राजेश आयोडीन की कमी से पीडि़त था. उस कमी के लक्षण उस के चीजों को सम झने और करने में संघर्ष करने से साफ देखे जा सकते थे. यह भी जान लें कि विभिन्न खोजों के मुताबिक, आयोडीन से पीडि़त बच्चों के आईक्यू पौइंट्स साधारण बच्चों की तुलना में 13.5 कम पाए गए हैं.

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लोग इस बात से अनजान हैं कि आयोडीन की कमी से भारत में 14 फीसदी नवजात शिशु दिमागी और शारीरिक रूप से पीडि़त पैदा हो रहे हैं. इस के अलावा यदि गर्भावस्था के दौरान मां के भोजन में आयोडीन की पर्याप्त मात्रा नहीं होती तो बच्चे के पेट में ही मर जाने की संभावना बढ़ जाती है. साथ ही, बच्चा शारीरिक व मानसिक रूप से अपंग पैदा हो सकता है.

आयोडीन की कमी के प्रभाव

वर्ल्ड हैल्थ और्गेनाइजेशन यानी डब्लूएचओ के अनुसार, आयोडीन डैफिशिएंसी डिसऔर्डर्स यानी आईडीडी अर्थात आयोडीन की कमी से होने वाली बीमारियां विश्वभर में मानसिक विकलांगता या ब्रेन डैमेज का सब से बड़ा कारण हैं. आईडीडी से व्यक्ति को गलगंड, हाइपोथायराइडिज्म या अवटू अल्पक्रियता या जड़मानवता, क्रेटिनिज्म, ब्रेन डैमेज, इंटैलेक्चुअल डिसेबिलिटी अर्थात दिमागी अपंगता, साइकोमोटर डिफैक्ट्स, जैसी बीमारियां हो सकती हैं.

डब्लूएचओ के मुताबिक आयोडीन की कमी अधिकतर बच्चों में होती है जिस से वे मानसिक रूप से कमजोर होने लगते हैं. ऐसे बच्चे किसी स्थिति में तर्कसंगत रूप से विचार नहीं कर सकते. नतीजतन, इन्हें भोंदू, बेवकूफ, गधा और कभीकभी पागल जैसे नामों से पुकारा जाने लगता है.

अधिकतर गांवदेहातों जहां लड़कियों को मुश्किल से स्कूल भेजा जाता है उन में कोई लड़की पढ़नेलिखने में धीमी या बाकी बच्चों से पिछड़ी हुई नजर आती है तो उस के मांबाप उसे स्कूल से निकालने में ज्यादा समय नहीं लेते. आंकड़ों की भयावह स्थिति को देखें तो भारत में एक करोड़ से ज्यादा नवजात बच्चे आईडीडी से ग्रस्त होने की स्थिति में हैं.

क्या है आयोडीन

आयोडीन एक ऐसा अनिवार्य सूक्ष्म पोषक तत्त्व है जिस का प्रतिदिन सेवन करना आवश्यक है. जलवायु परिवर्तन, ग्लेशियर्स के लगातार पिघलने, पेड़ों की धुआंधार कटाई, लगातार आती बाढ़ इत्यादि के कारण मिट्टी की ऊपरी परत से आयोडीन, जोकि पानी में घुलनशील होता है, के समुद में बह जाने से फसलें आयोडीन के बिना उपजने लगी हैं. यह आयोडीन की कमी का सब से बड़ा कारण है.

भारत के आयोडीनमैन कहे जाने वाले डा. चंद्रकांत एस पांडव कहते हैं, ‘‘नमक हमारे जीवन में केवल खाने का हिस्सा मात्र नहीं है. नमक मनुष्य में आयोडीन का एक अच्छा साधन भी है जिस का सभी लोगों द्वारा बड़ी मात्रा में सेवन किया जाता है. नमक को आयोडीन नमक में बदलने यानी आयोडीनाइजेशन से उस की रंगत, सुगंध या स्वाद में कोई खासा बदलाव नहीं आता. आयोडीनाइजेशन सरल, इफैक्टिव और कम मूल्य में होने वाली प्रक्रिया है. भारत में कुछ ही राज्यों में नमक बनाया जाता है जिस से इस की गुणवत्ता बरकरार रखना आसान हो जाता है. नमक शारीरिक क्रिया विज्ञान के अनुरूप पर्याप्त मात्रा में आयोडीन की खपत को पूरा करता है जोकि दैनिक 150 मिलीग्राम है.’’

आयोडीनाइजेशन में पोटैशियम फैरोसाइनाइड यानी पीएफसी को ले कर लोगों में यह भ्रम है कि इस से उन की जान को खतरा हो सकता है. इस पर डा. चंद्रकांत एस पांडव का कहना है कि पीएफसी नमक बनने के दौरान एंटीकेकिंग एजेंट के रूप में कार्य करता है जिस से नमक में गुच्छे नहीं बनते. मुख्यरूप से पीएफसी साइनाइड नहीं है, लेकिन पीएफसी में साइनाइड ग्रुप्स अवश्य हैं, जिस के कण मजबूती से एकदूसरे से जुड़े हुए होते हैं और खाना पकाते समय या मनुष्य के शरीर में जाने पर नहीं टूटते.

आयोडीनाइजेशन में पीएफसी की बहुत छोटी मात्रा इस्तेमाल में लाई जाती है जिस से इसे ग्रहण करने वाले की सेहत कभी भी रिस्क में नहीं होती. जो छोटी मात्रा इस्तेमाल में लाई जाती है, वह बिना कोई नुकसान पहुंचाए यूरिन द्वारा शरीर से निकल जाती है.

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आयोडीन का महत्त्व

बच्चों और गर्भवती महिलाओं के भोजन में आयोडीन पर्याप्त मात्रा में होना जरूरी है. गर्भावस्था में आयोडीन 200-250 माइक्रोग्राम प्रतिदिन ग्रहण करना अनिवार्य है. मनुष्य के दिमाग का 90 फीसदी भाग उस के जीवन के पहले हजार दिनों में विकसित होता है और जैसा कि डब्लूएचओ सुनिश्चित कर चुका है कि आयोडीन की कमी विश्व में मानसिक अपंगता का सब से बड़ी वजह है, इसलिए आयोडीन का सेवन अति आवश्यक हो जाता है.

1960 में आईसीएमआर के बेसलाइन सर्वे के अनुसार, नागालैंड भारत का आयोडीन की कमी से होने वाले रोगों का स्थानिक राज्य माना गया. यहां आयोडीन की कमी से होने वाला घेंघा रोग 34.3 फीसदी तक फैला हुआ था. घेंघा आयोडीन की कमी से होने वाला रोग है जिस के चलते गले में सूजन आ जाती है. राज्य सरकार के लगातार प्रयासों के बाद हालिया सर्वे में सामने आया कि घेंघा रोग में एक प्रतिशत गिरावट आई है. इस से साफ है कि किस तरह इस रोग की व्यापकता को थामने में सालों लग गए.

यह खुशी की बात होने के साथसाथ हम सभी के लिए एक चेतावनी भी है कि आयोडीन के पर्याप्त सेवन से हम खुद को और आने वाली पीढि़यों को आयोडीन की कमी से होने वाले घातक रोगों से मुक्त कर सकते हैं. आयोडीन की कमी से होने वाली बीमारियों के शुरुआती लक्षण सम झ पाना और इन बीमारियों की चपेट में आ जाने के बाद इन से लड़ पाना मुश्किल है, लेकिन वक्त रहते इन से बचाव किया जा सकता है.

सेंधा नमक का सच

आयोडीनयुक्त नमक का महत्त्व और जरूरत सम झने के बावजूद लोगों के बीच आयोडीन रहित नमक के इस्तेमाल पर जोर दिया जा रहा है. उदाहरण के तौर पर सेंधा नमक को ही ले लीजिए. वर्तमान में सेंधा नमक जिसे रौक सौल्ट कहते हैं, का प्रचारप्रसार सब से ज्यादा सेहतपूर्ण नमक के रूप में किया जा रहा है. सभी लोग सेंधा नमक को साधारण नमक या कहें आयोडीनयुक्त नमक की जगह इस्तेमाल करने की सलाह दे रहे हैं.डा. चंद्रकांत एस पांडव कहते हैं कि इस में आयोडीन की मात्रा न के बराबर होती है और मेरा मानना है कि आप हमेशा आयोडीनयुक्त ही नमक का सेवन करें.

आयोडीनयुक्त नमक को महत्त्वपूर्ण न सम झने वाले लोग अपनी सेहत के साथसाथ अपने बच्चों की सेहत से भी खिलवाड़ करते हैं जिन में आयोडीन की कमी के लक्षण तब पता लगते हैं जब बहुत देर हो चुकी होती है. लोगों को यह सम झना जरूरी है कि आयोडीन की कमी से होने वाली भयावह बीमारियों को आयोडीन नमक ही दूर कर सकता है और रोक सकता है, कोई सेंधा या उपवास अनुकूल नमक नहीं.

रेप के खतरों से बचाए प्रैजेंस औफ माइंड

Writer- रमाकांत ‘कांत’

अपर्णा को एयरपोर्ट जाना था. वह सुबह 6 बजे जल्दी घर से निकली थी, फिर भी उसे आसपास औटो कहीं नहीं मिला. निराशहताश अपर्णा सड़क पर अकेली खड़ी बारबार घड़ी देख रही थी कि फ्लाइट मिस न हो जाए. उस ने उबर ट्राई किया पर उस को आने में 15 से 20 मिनट लगने वाले थे. तभी एक कार उस के पास आ कर रुकी. कार चालक उसी के अपार्टमैंट में रहने वाला युवक था. उस ने अपर्णा से पूछा कि वह कहां जा रही है.

एक पल के लिए तो वह ?ि?ाकी लेकिन उसे वाकई उस समय सहायता की जरूरत थी, इसलिए उस ने उस लड़के को बताया कि साक्षात्कार के लिए वह एयरपोर्ट जा रही है किंतु उसे बहुत देर हो चुकी है. कार का अगला दरवाजा खोलते हुए युवक बोला, ‘मु?ो वसंत विहार जाना है. आ जाओ, किसी टैक्सी स्टैंड पर छोड़ दूंगा.’

?ि?ाक के साथ अपर्णा कार में बैठ गई. अभी पंजाबी बाग भी नहीं पहुंचे थे कि युवक ने दिलफेंक व्यक्ति की तरह बातें करनी शुरू कर दीं. अपर्णा यह सोच कर बरदाश्त करती रही कि उसे किसी तरह एयरपोर्ट समय पर पहुंचना है. मगर धौला कुंआ के बाद कार रिज के घने जंगलों की ओर घूम गई. तब वह चौंकी. उस ने युवक से पूछा, ‘हम इधर से कहां जा रहे हैं?’ उस के इस प्रश्न पर युवक ने उसे धमकाते हुए चुप रहने को कहा.

अनहोनी की आशंका से घिरी अपर्णा अब साक्षात्कार की बात भूल कर बचाव के उपाय सोचने लगी. उसे तब राहत महसूस हुई जब एक कार लालबत्ती पर रुकी. कुछ और गाडि़यां भी आ कर रुकीं. युवक बेचैन था. वह जल्दी से सुनसान स्थान पर पहुंच जाना चाहता था. अपर्णा ने मौका देखा और कार की चाबियों का गुच्छा निकाल कर सड़क पर फेंक दिया. तब तक हरी बत्ती हो गई. पीछे वाले वाहन हौर्न बजाए जा रहे थे. इतने में अपर्णा ने कार का दरवाजा खोला और उतर गई.

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कार को रुका देख कुछ लोग जमा हो गए. अपर्णा ने उन को अपनी आपबीती बताई और बताया कि यह युवक गलत नीयत से उसे ले जा रहा है. चौराहे पर पुलिस वैन भी खड़ी थी. उन्होंने युवक को दबोच लिया. बस ‘प्रैजेंस औफ माइंड’ के कारण अपर्णा बच गई. हां, उस की फ्लाइट इस सारे चक्कर में मिस हो गई.

मधूलिका रोज सुबह टहलने जाया करती थी. उस दिन भी वह टहल रही थी. राजस्थान विश्वविद्यालय के पीछे वाला निर्जन क्षेत्र था. बेखबर मधूलिका अपनी गति से चली आ रही थी कि पीछे से तेज गति से चले आ रहे 3 युवकों ने उसे घेर लिया और उस के साथ चलना शुरू किया. वे नए चेहरे थे. उसे तुरंत खतरे का एहसास हुआ.

वह सतर्क हो कर चलती हुई उपाय सोचती रही. जैसे ही विश्वविद्यालय के पीछे वाला दरवाजा आया, उस ने ट्रैक सूट की जेब से सीटी निकाली और जोर से बजाना शुरू कर दिया. सीटी की आवाज सुन कर युवक बौखला गए. वे सम?ा नहीं पाए कि क्या किया जाए? वे वहां से भागने लगे तो वहां वौक कर रहे लोगों ने उन को पकड़ कर पुलिस के हवाले कर दिया. पुलिस की पूछताछ से पता चला कि वे मधुलिका का अपहरण व बलात्कार के लिए आए थे पर उस की सीटी ने उसे बचा लिया.

सच, बलात्कार के मामले में सतर्कता ही बचाव है. बलात्कार हो जाने के बाद चाहे अपराधी को कितना ही कठोर दंड मिल जाए पर जो हादसा घटित हो गया उस की भरपाई नहीं हो सकती. आंकड़े इस बात के गवाह हैं कि अधिकांश बलात्कार के मामले या तो दर्ज ही नहीं होते और यदि हो भी जाते हैं तो अपराधियों को सजा नहीं मिल पाती. इस साल एनसीआरबी की सामने आई रिपोर्ट बताती है कि पूरे देश में 2020 में बलात्कार के रोज औसतन 77 मामले दर्ज किए गए और कुल 28,046 मामले सामने आए. इन पीडि़ताओं में 25,498 वयस्क और 2,655 पीडि़त 18 साल से कम उम्र की थीं. ऐसे ही 2019 में दुष्कर्म के कुल 32,033 मामले, 2018 में 33,356 मामले और 2017 में 32,559 मामले दर्ज हुए थे. सो, उचित यही है कि ऐसे उपाय अपनाए जाएं ताकि बलात्कार की घटनाएं ही घटित न हों.

उपाय जिन से बचाव संभव है

पहली जरूरत यह है कि उन स्थितियों से बचा जाए जिन में अकसर बलात्कार होते हैं. उदाहरण के लिए संदिग्ध व अनजान व्यक्ति से एकांत में मिलने से बचें.

आमतौर पर अधिकतर बलात्कार परिचय के दायरे अथवा निकट व रक्त संबंधियों में घटित होते हैं. सो ऐसे संदिग्ध चरित्र वालों से, चाहे वे कितने ही निकट संबंधी या बड़ी आयु के हों, बच कर रहना जरूरी है.

किसी महिला के प्रति यदि कोई व्यक्ति अधिक सहानुभूति दिखाता है तो उस के प्रति पर्याप्त सजग व सतर्क रहने की जरूरत है. ऐसे लोगों से सुनसान स्थानों पर मिलने से बचें. निश्चित दिनचर्या के तहत एक ही समय व स्थान से गुजरना भी घातक साबित हो सकता है, इसलिए समयसमय पर रास्ता बदलती रहें.

जब कभी संकट की घड़ी आ जाए तो घबराने व दया की भीख मांगने की जरूरत नहीं क्योंकि किसी बलात्कारी से दया की अपेक्षा करना व्यर्थ है. हां, यदि ऐसे संकट की घड़ी में बुद्धि का समुचित प्रयोग किया जाए तो संभव है कि कोई बचाव का रास्ता निकल आए.

खतरे को भांप कर अपराधी की हरकतों पर सतर्कतापूर्ण निगाह रखी जाए क्योंकि असामान्य कार्य के समय मनुष्य कभी भी सामान्य नहीं रहता. उस समय वह गलतियां करता ही है. अपराध मनोविज्ञान का यही मुख्य सिद्धांत है. यदि महिला जागरूक है तो वह ऐसी चूक का भरपूर फायदा उठा सकती है और बचाव करने में कामयाब रहती है.

अधिकांश अपराधी महिलाओं को सौफ्ट टारगेट मानते हैं. उसी मानसिकता के बलबूते पर वे ऐसे कुकर्म करने को उतारू होते हैं. यदि महिलाएं जूडोकराटे जैसी युद्धक कला सीख लें तो विपत्ति में वे अपनी सहायता कर सकती हैं. ऐसी महिला के मुकाबले में उतरते ही अपराधी का मनोबल टूट जाता है.

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वहीं, कुछ उपकरण भी होते हैं जिन के जरिए बचाव किया जा सकता है. ये इतने खूबसूरत बने होते हैं कि देख कर लगता ही नहीं कि बचावी उपकरण में खास किस्म का दुर्गंध वाला रसायन भरा है, जो कपड़ों पर गिर जाए तो काफी समय तक आक्रमणकारी के मूड को बिगाड़ देता है. कुछ लौकेटों में ऐसे रसायन भरे होते हैं जिन के कारण आक्रमणकारी का खांसतेखांसते बुरा हाल हो जाता है.

पर्सनल अलार्म छोटा किंतु शक्तिशाली होता है. इस की ध्वनि सामान्य अलार्म से अलग होती है तथा औन करते ही करीब चौथाई किलोमीटर के दायरे में सुनाई पड़ने लगती है. यदि निर्जन स्थान न हो तो अलार्म की आवाज से बहुत सारे लोग जमा हो सकते हैं. कामकाजी महिलाओं को तो खासकर चाहिए कि वे ऐसा अलार्म या सीटी अपने पास अवश्य रखें.

संकट की घड़ी में घबराहट से बचते हुए पै्रजेंस औफ माइंड अवश्य बनाए रखा जाए. बचाव का हथियार वही कारगर है जो मौके पर सू?ो और काम में आए. यह सब तभी संभव है जब दिमागी संतुलन हो और उस का समुचित इस्तेमाल किया जाए. नहीं तो पास में साधन होते हुए भी उन का उपयोग किया जाना संभव नहीं हो पाता. हां, दिमागी संतुलन के साथ हाथपैर चलाने का उपयुक्त प्रशिक्षण होना निहायत जरूरी है.

मेकअप रूम में Sara Ali Khan के साथ हुआ ये हादसा, वायरल हुआ वीडियो

बॉलीवुड एक्ट्रेस सारा अली खान (Sara Ali Khan) अपनी एक्टिंग और डांसिंग के कारण सुर्खियों में छायी रहती हैं. फैंस को भी एक्ट्रेस के फोटोज और वीडियोज का बेसब्री से इंतजार रहता है. हाल ही में एक्ट्रेस के साथ एक ऐसा हादसा हुआ, जिससे सारा बुरी तरह डर गई. आइए बताते हैं, क्या है पूरा मामला.

दरअसल सारा अली खान ने अपनी इंस्टाग्राम स्टोरी एक वीडियो शेयर किया है. इस वीडियो में आप देख सकते हैं कि सारा मेकअप रूम में टच अप ले रही थी और तभी उनके चेहरे के पास लगे बल्ब में ब्लास्ट हो गया है. सारा अचानक से डरती हुई नजर आ रही है, और कैमरा भी नीचे गिर गया है.

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सारा ने सोशल मीडिया पर इस वीडियो को शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा है, ‘ऐसी सुबहें’. साथ में उन्होंने बताने की कोशिश की है कि वह कितना डर गई थीं.

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वीडियो में आप देख सकते हैं कि सारा टच अप लेते हुए कह रही हैं, ‘जीतू से कह दो नारियल पानी ले आए.’ तो वहीं जैसे ही मेकअप आर्टिस्ट टच अप करके हटता है और सारा खुद को कैमरे में देखने लगती हैं. तभी बल्ब में ब्लास्ट होता है, वह फट जाता है. ऐसे में सारा घबरा जाती हैं.

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आपको बता दें कि सारा अली खान फिलहाल इंदौर में लक्ष्मण उटेकर की आने वाली एक फिल्म की शूटिंग कर रही हैं. इस फिल्म में उनके ऑपोजिट विक्की कौशल (Vicky Kaushal) नजर आएंगे. बताया जा रहा है कि यह फिल्म कार्तिक आर्यन और कृति सेनन की ‘लुका छिपी’ का सीक्वल

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टीवी सीरियल अनुपमा (Anupama) में अनु और मुक्कू  की जोड़ी को फैंस काफी पसंद कर रहे हैं. शो में अनुपमा-मालविका की जोड़ी काफी दिलचस्प दिखाई जा रही है. अनुपमा मालविका को अपनी बेटी की तरह ट्रीट करती है. जब वह गलती करती है तो अनुपमा उसे डाट कर समझाती भी है, और बाद में उससे माफी भी मांगती है उससे प्यार भी करती है.इसी बीच अनु-मुक्कू का एक ऐसा धमाकेदार डांस वीडियो आया है जिसे देखने के बाद आप भी थिरकने लगेंगे.

अनुपमा-मालविका इस वीडियो में मोस्ट अवेटेड फिल्म ‘आरआरआर’ के मशहूर गाने ‘नाटू नाटू’ पर थिरकते हुए नजर आ रही हैं. वीडियो में दोनों साड़ी में दिखाई दे रही है. इस वीडियो में आप देख सकते हैं कि अनुपमा और मालविका ने ये डांस सड़क के बीचों-बीच किया है.

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वीडियो में अनुपमा ऑरेंज और रेड कलर के कॉम्बिनेशन में साड़ी पहने दिखी रही हैं तो वहीं मालविका पर्पल रंग की साड़ी में नजर आईं. इस वीडियो पर अनुज कपाड़िया यानी गौरव खन्ना ने कमेंट किया है. गौरव खन्ना ने कमेंट में लिखा- ‘वाउ…मैंने तुम दोनों को बहुत अच्छा सिखाया…गुड जॉब.’

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शो के लेटेस्ट एपिसोड में आप देखेंगे कि अनुपमा से मालविका और वनराज का पतंगबाजी का मुकाबला चलेगा. इसी बीच काव्या एक कैंची लेकर आती है और वनराज की पतंग की डोर काट देती है. शो में कुछ दिनों से काव्या नहीं दिखाई दे रही थी लेकिन अब लंबे ब्रेक के बाद वह शो में धमाकेदार ट्विस्ट के साथ एंट्री करेगी.

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सरकार का पौराणिक विजन

देश की सरकार के मुखिया नरेंद्र मोदी का वरदान कि भारत 2025 तक दुनिया की चंद 5 ट्रिलियन डौलर अर्थव्यवस्थाओं में से हो एक जाएगा, आम सडक़छाप पंडित की तरह का है जो चंद रुपए के बदले एक अच्छी पत्नी, एक अच्छी नौकरी और घर में गड़े सोने के घड़े का वरदान दे देता है, क्योंकि 2025 तक तो भारत बंगलादेश ही नहीं, नेपाल, भूटान, श्रीलंका, मालदीव, थाईलैंड जैसे देशों से भी कहीं पीछे रह जाएगा.

कुछ वर्षों पहले हमें अपनी बढ़ती जनसंख्या पर गर्व हो रहा था कि इस से जवानहाथ ज्यादा तैयार हो रहे हैं, लेकिन मोदी और योगी के जनसंख्या नियंत्रण कानूनों को लागू किए बिना ही जनसंख्या वृद्धि लगभग रुक गई है. भारत का औसत आदमी अब हर रोज अपने पड़ोसियों से भी पिछड़ रहा है और दुनिया के आमीर देशों के मुकाबले में देश कहीं का भी नहीं रह गया है. हम तो अब सोमालिया और यमन की गिनती में आते हैं.

इस की वजह यह नहीं है कि भारतीयों में कुशलता नहीं है या उन में योग्यता और कर्मठता की कमी है. इस की वजह, दरअसल, यह है कि पिछले 20-25 सालों से देश का सारा फोकस मंदिर में लग रहा है और जो जमा पूंजी हर गांव, कसबे और शहर में उद्योग, रहायशी मकान, स्कूल, बाग, जंगल, पानी की सुविधा, सीवर, व्यापार लगाने में लगनी चाहिए, वह धड़ाधड़ बनते मंदिरों में लग रही है. हर गली, बाजार, कालोनी, और यहां तक कि नदियों के किनारे, समुद्र के किनारे, पहाड़ों की चोटियों, जंगलों, स्कूलों की जगह और औद्योगिक क्षेत्रों में धड़ाधड़ मंदिर बन रहे हैं. जो पंडित पहले छोटेमोटे कार्य करते थे, आज इन मंदिरों के स्वामी बन गए हैं और बहका, फुसला व अतिभ्रम कर के उन्होंने पूरी 2 पीढिय़ों को तकरीबन नष्ट कर के उन्हें पाखंडों, अंधविश्वासों और कट्टरपंथ का गुलाम बना डाला है.

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सरकारी आंकड़े कहते हैं कि 15 साल से अधिक आयु के 96.9 प्रतिशत लोगों के पास कोई हुनर इस देश में नहीं है, सिवा कीर्तन करने, पूजापाठ करने और चढ़ावा चढ़ाने के. देश में नींव टैक्निकल स्कूलों के लिए नहीं, सरस्वती शिक्षा मंदिरों के लिए रखी जा रही है जहां ऊटपटांग इतिहास के अंशों के सहारे भविष्य निर्माण की बात होगी. यह साफ दिखता है कि प्रधानमंत्री कैमरों के साथ काशी विश्वनाथ कौरिडोर का उद्घाटन करते हैं, गंगा में स्नान करते हैं, रामलला के सामने पसर जाते हैं. यही नहीं, वे  सफेद दाढ़ी बढ़ा कर महर्षि बनने की चेष्टा भी कर रहे हैं.

ऐसा देश कभी प्रगति नहीं कर सकता क्योंकि आज प्रगति का अर्थ ज्यादा साफ सडक़ें, ज्यादा संतोषजनक नौकरियां हैं, पिछले जन्मों के पापों को धोने के लिए पूजापाठ और अगले जन्म में ऊंची जाति में जन्म लेने का मार्ग प्रशस्त करना नहीं है.

विश्व पैमानों पर चाहे वह हंगर यानी भूख से संबंधित हो, खुशी से संबंधित हो, स्वंतत्रताओं से संबंधित हो, हर सूची में भारत का स्थान पिछले 7 सालों के दौरान लगातार गिर रहा है. अगर कहीं वर्ल्ड रिलीजियस रैंकिंग होती तो शायद हम सऊदी अरब और अफगानिस्तान के बाद तीसरे नंबर पर अवश्य होते. हमें तो 2000 साल पुराना पौराणिक राज ही याद रहता है जब दशरथ ने एक वृद्ध के बेटे को मार डाला था और उसे कोई सजा नहीं मिली, केवल श्राप मिला.

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Winter 2022: जानिए फलों को खाने का सही वक्त

लोगों के बेहतर स्वास्थ के लिए जरूरी है कि वो फलों का सेवन जरूर करें. स्वस्थ रहने के लिए केवल साग सब्जियां ही जरूरी नहीं हैं, फलों को अपनी डाइट में शामिल करना बेहद जरूरी है. फलों में कई तरह के पोषक तत्व पाए जाते हैं. इसमें मिनरल्स, एंटीऔक्सिडेंट जैसी जरूरी चीजें शामिल हैं. पर फलों का सेवन करते हुए हमें इस बात का खासा ध्यान रखना चाहिए कि हम इन्हें कैसे लें कि इनका अधिकतम फायदा मिल सके.

इस खबर में हम आपको बताएंगे कि फलों के खाने का सही वक्त क्या है. किस वक्त पर फलों को खाना हमारी सेहत के लिए ज्यादा असरदार होता है.

खाने के साथ, पहले या बाद में ना खाएं फल

आम तौर पर लोग फलों को खाने के साथ या तुरंत बाद या तुरंत पहले खाते हैं. पर ये तरीका सही नहीं है. फलों को खाने का सबसे सही वक्त होता है सुबह के नाश्ते का वक्त. ब्रेकफास्ट के वक्त पर फलों का सेवन हमारी सेहत के लिए बेहद लाभकारी होता है.

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खाने के साथ, परले या तुरंत बाद क्यों ना खाएं फल

अभी तक तो हमने जाना कि फलों के खाने का सही वक्त क्या है. अब हम आपको बताएंगे कि हमें फलों का सेवन खाने के साथ, पहले या तुरंत बाद क्यों नहीं करना चाहिए. असल में हम एक बार खाने के दौरान औसतन 300-400 कैलोरी लेते हैं. फलों में फ्रक्टोज की मात्रा अधिक होती है, जिससे हमारे शरीर में कैलोरी की मात्रा काफी अधिक हो जाती है. जिसके कारण हमारा पाचन काफी मुश्किल हो जाता है.

खाने के पहले या तुरंत बाद फलों के सेवन से गैस बनने की परेशानी बढ़ जाती है. इससे आपको कब्ज के अलावा पेट दर्द की शिकायत बढ़ जाती है. जब हम खाने के साथ फलों का सेवन करते हैं तो इसका असर हमारे पाचन क्रिया पर भी होता है. पाचन क्रिया धीरे पड़ जाती है. इससे खाना के पचने में काफी अधिक समय लगता है.

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फल खाते वक्त कुछ अन्य बातों का रखें ध्यान

  • अगर आप तरबूज खाते हैं तो इसके साथ कुछ भी और ना खाएं. क्योंकि इसमें पानी की मात्रा काफी ज्यादा होती है, जो खाने के पाचन को प्रभावित करता है.
  • फलों के खाने का सबसे सही वक्त होता है सुबह का. सुबह में नाश्ते के वक्त फलों का सेवन करें.
  • फलों के साथ दूध या दही का सेवन नहीं करना चाहिए. कोशिश करें कि फल खाने के आधे घंटे तक कुछ भी ना खाएं.
  • मौसम के हिसाब से फल खाना सेहत के लिए अच्छा होता है. जानकारों की माने तो गर्मी में कच्चे और मीठे फलों का सेवन सेहत के लिए अच्छा होता है.

Winter 2022: घर पर बनाएं करेले की 3 टेस्टी सब्जी तो बच्चे भी खाएंगे चाव से

करेले और चीज़ के कौम्बिनेशन से बनी यह डिश आपको बेहद पसंद आएगी. करेले में चीज स्टफ्ड करने के बाद इसे पैन फ्राई किया जाता है.

  1. स्टफ्ड करेला

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सामग्री

जैतून का तेल (3-4 टेबल स्पून)

करेले (3 मीडियम)

प्याज  (कटा हुआ 1 मीडियम)

शिमला मिर्च (1/2 पीली बारीक कटा हुआ)

छोटा ब्रौकली (बारीक कटा हुआ)

टमाटर (बारीक कटा हुआ)

ब्राउन शगुर (1/2 टी स्पून)

दालचीनी पाउडर (एक चुटकी)

लौंग का पाउडर (एक चुटकी)

ब्लासमिक सिरका (कुछ बूंदें)

चीज़ (50-60)

स्पाइस डस्ट/ कोटिंग

बेसन (2 1/2 टेबल स्पून)

कौर्नफलोर (2 1/2 टेबल स्पून)

प्याज का पाउडर (1 टी स्पून)

लहसुन का पाउडर (1 टी स्पून)

जीरा पाउडर (1 टी स्पून)

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बनाने की वि​धि

करेलों को छीलकर लम्बाई में आधा काट लें, इसके बीज आदि अंदर से निकाल लें.

इन पर नमक छिड़के ताकि इनकी नमी निकल जाए.

करेलों का एक्स्ट्रा पानी निकलने दें और इन्हें किसी भारी चीज़ के नीचे दबाकर 3 से 4 या पूरी रात के लिए.

फीलिंग तैयार करने के लिए:

एक पैन में 2 बड़े चम्मच तेल गर्म करें और इसमें प्याज, बेल पेपर, ब्रौकली को 30 सेकेंड के लिए भूनें.

इसमें टमाटर, नमक, बैजल के पत्ते, दालचीनी पाउडर, लौंग पाउडर, ब्राउन शुगर, ब्लासमिक सिरका और चिली फलेक्स डालें.

इसे 40 सेकेंड और पकाएं और फिर आंच से हटा लें.

स्पाइस डस्ट तैयार करने के लिए:

एक बड़ी सूखी प्लेट में बेसन, कौर्न फलोर, प्याज पाउडर, लहसुन पाउडर और जीरा पाउडर को एक साथ मिला लें.

करेले बनाने के लिए:

आधे कटे करेले को कददूकस चीज़ से भरें.

इन्हें अच्छे से बंद करे और स्पाइस डस्ट में इन्हें रोल करें.

एक पैन में तेल गर्म करें और इसमें करेलों को 3 से 4 मिनट के लिए दोनों तरफ से फ्राई करें.

इनके टुकड़े करके गर्मागर्म सर्व करें.

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2. करेला विद चना दाल

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सामग्री

– 250 ग्राम मुलायम छोटे करेले

– 1/2 कप चना दाल

– 1/2 छोटा चम्मच हलदी पाउडर

– 2 छोटे चम्मच धनिया पाउडर

– 1/2 छोटा चम्मच मिर्च पाउडर

– 1 छोटा चम्मच सौंफ पाउडर

– 1 छोटा चम्मच गरममसाला

– 1 तेजपत्ता

– 2 बड़ी इलायची

– 2 लौंग

– 4 कालीमिर्च

– 1 बड़ा चम्मच टोमैटो प्यूरी

– 1 छोटा चम्मच जीरा

– 1/4 कप प्याज बारीक कटा

– 1 छोटा चम्मच अदरक व लहसुन पेस्ट

– रिफाइंड औयल

– थोड़ी सी धनियापत्ती कटी

– नमक स्वादानुसार.

विधि

करेलों को खुरच कर गोलगोल काट कर थोड़ा सा नमक व हलदी पाउडर लगा कर 1/2 घंटा रखें.

दाल को भी 1/2 घंटा भिगो दें.

करेलों को 1/2 घंटे बाद साफ पानी से धो कर तौलिए पर थपथपा लें. गरम तेल में डीप फ्राई कर लें.

एक प्रैशर पैन में 1 बड़ा चम्मच तेल गरम कर सभी खड़े मसालों का तड़का लगा कर दाल छौंक दें.

हल्दी पाउडर व नमक डालें. पानी दाल के बराबर ही डालें. 1 सीटी आने तक पकाएं. जब भाप निकल जाए तो प्रैशर पैन खोलें. दाल कम गली हो तो फिर गला लें.

सभी मसाले व टोमैटो प्यूरी भी डाल दें. जब दाल गल जाए तब उस में फ्राई किए करेले के टुकड़े मिला दें. 1 मिनट और आंच पर रखें.

फिर गरमगरम करेला दाल सर्विंग बाउल में पलटें. धनियापत्ती से सजा कर सर्व करें.

3. भरवां करेला

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सामग्री :

करेले-250 ग्राम,

नमक-स्वादानुसार,

प्याज-4 (छोटे टुकड़ों में कटे),

टमाटर-2 (छोटे टुकडों में कटे),

हल्दी पाउडर-1/2 टीस्पून,

धनिया पाउडर- 2 टीस्पून,

जीरा पाउडर- 2 टीस्पून,

लाल मिर्च पाउडर-1 टीस्पून,

अमचूर पाउडर-2 टीस्पून,

तेल-2 टेबलस्पून

विधि :

करेले छीलकर बीच में कट लगाकर इनके बीज निकाल दें.

अब एक पैन में पानी, एक टीस्पून नमक और करेले डालकर उबालें.

जब करेले नर्म हो जाएं तब गैस बंद कर दें और जब ये ठंडे हो जाएं तब इन्हें थोड़ा निचोड़ लें.

अब एक पैन में तेल गर्म करें और इसमें प्याज डालकर गोल्डन ब्राउन होने तक भून लें.

फिर इसमें छिलके और टमाटर डालकर पांच मिनट तक धीमी आंच पर ढककर पका लें। अब इसमें सभी मसाले डालें और 2 मिनट तक धीमी आंच पर पका लें.

अब गैस बंद कर दें जब मिक्सचर ठंडा हो जाए तब इसे सभी करेले में अच्छे से भरें और करेलों को धागे से बांध दें.

अब एक पैन में तेल डालकर करेले को गोल्डन ब्राउन होने तक शैलो फ्राई कर लें. धागे हटाकर इसे सर्विंग प्लेट में निकालें और सर्व करें.

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