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Valentine’s Special: डिवोर्सी- भाग 3: मुक्ति ने शादी के महीने भर बाद ही तलाक क्यों ले लिया

शाम को हम अपनेअपने घर निकल जाते. कालेज की बस हमें हमारे स्टौप पर छोड़ देती. पहले उन का घर पड़ता था. वे हंसते हुए बाय कहते हुए उतर जातीं. उन्होंने मुझ से कभी अपने घर आने को नहीं कहा. मुझे जाना भी नहीं चाहिए. पता नहीं एक डिवोर्सी महिला के घर जाने पर उस के पासपड़ोस के लोग, उस के मातापिता क्या सोचें? कहीं मुझे उस का नया प्रेमी न समझ बैठें. फिर प्राचार्य महोदया ने कहा भी था भले ही मजाक में कि भूखी शेरनी है बच के रहना. कच्चा खा जाएगी.

मुझे तो ऐसा कभी नहीं लगा. इन 8 महीनों में व्यावहारिकता के नाते मैं तो उन्हें अपने घर आमंत्रित कर सकता हूं. अत: दूसरे दिन मैं ने कहा, ‘‘कभी हमारे घर आइए.’’ ‘‘औपचारिकता निभाने की कोई जरूरत नहीं है. आप से दिन भर मिलना होता है. आप के घर के लोगों को मैं जानती भी नहीं. उन से मिल कर क्या करूंगी? फिर मेरे डिवोर्सी होने का पता चलेगा तो तुम्हारी पत्नी के मन में शक बैठ सकता है कि कहीं मेरा आप से…’’ मुक्ति ने बात अधूरी छोड़ दी.

उसे मैं ने यह कह कर पूरा किया, ‘‘वह ऐसा क्यों सोचेगी?’’ ‘‘सोचने में क्या जाता है? सोच सकती है. क्यों बेचारी के दिमाग में खलल डालना. मुझे और आप को कोई यहां परमानैंट नौकरी तो करनी नहीं है. न ही कालेज वालों ने हमें रखना है. दूसरी अच्छी जौब मिली तो मैं भी छोड़ दूंगी… आप का परिवार है, आप को घर चलाने के लिए ज्यादा रुपयों की जरूरत है. आप भी कोई न कोई नौकरी तलाश ही रहे होंगे.’’

‘‘हां, मैं ने पीएससी का फार्म भरा है.’’ ‘‘और मैं ने भी सैंट्रल स्कूल में.’’

‘‘आप बिलकुल स्पष्ट बोलती हैं.’’ ‘‘सही बात को बोलने में हरज कैसा?’’

‘‘फिर आप ने तलाक की वजह क्यों नहीं बताई?’’

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‘‘चलो, अब बता देती हूं. मैं और विनय एकदूसरे से प्यार करते थे, बल्कि वह मेरा ज्यादा दीवाना था. घर से भाग कर शादी की. दोनों के घर वालों ने अपनाने से इनकार कर दिया. समाज अलगअलग था दोनों का. लेकिन विनय के पास सरकारी नौकरी थी, तो कोई दिक्कत नहीं हुई. व्यक्ति आर्थिक रूप से सक्षम हो तो बहुत सी समस्याओं का समाधान हो जाता है.’’ ‘‘पता नहीं मेरी दीवाने पति को शादी की रात क्या सूझी कि उस ने एक फालतू प्रश्न उठाया कि मुक्ति, अब हम नई जिंदगी शुरू करने वाले हैं. अच्छा होगा कि हम विवाह से पूर्व के संबंधों के बारे में एकदूसरे को सचसच बता दें. इस से संबंधों में प्रेम, विश्वास और ईमानदारी बढ़ेगी.

‘‘और फिर उस ने विवाह से पूर्व के अपने संबंधों के बारे में बताया. एक रिश्ते की भाभी से और एक कालेज की प्रेमिका से संबंध होना स्वीकार किया. उस ने यह भी स्वीकारा कि जब मेरे साथ प्रेम में था तब भी उस के एक विवाहित स्त्री से संबंध थे. वह कई बार वेश्यागमन भी कर चुका है. उस के बताने में शर्म बिलकुल नहीं थी. बल्कि गर्व ज्यादा था. फिर उस ने कहा कि अब तुम बताओ?’’ ‘‘मैं ने कुछ याद किया. फिर कहा, ‘‘बहुत पहले की बात है. उस समय मेरी उम्र 16 साल रही होगी और मेरे साथ पढ़ने वाले लड़के की

16 या ज्यादा से ज्यादा 17. एक दिन मेरे घर में कोई नहीं था. वह आया तो था पढ़ाई के काम से, लेकिन उसे न जाने क्या सूझी कि उस ने मुझे चूमना शुरू कर दिया. ‘‘हम दोनों एकदूसरे को पसंद करते थे. मैं मना नहीं कर पाई. तापमान इतना बढ़ चुका था शरीर का कि लौटना संभव नहीं था. मैं स्वयं आग में पिघलना चाहती थी. मैं पिघली और शरीर का सारा भार फूल सा हलका हो गया.

‘‘मेरे पति विनय के चेहरे का रंग ही बदल गया. उस के चेहरे पर अनेक भाव आ जा रहे थे, जिन में कठोरता, धिक्कार और भी न जाने क्याक्या था. उस ने कहा कि इस से अच्छा था कि तुम मुझे न ही बताती. मैं ने एक ऐसी लड़की से प्यार किया, जिस का कौमार्य पहले ही भंग हो चुका है वो भी उस की इच्छा से. जिस लड़की के पीछे मैं ने सब कुछ छोड़ा, घर, परिवार, जाति, समाज, वही चरित्रहीन निकली.’’

‘‘मैं ने गुस्से में कहा कि यह तुम क्या कह रहे हो? जब तुम ये सब करते चरित्रहीन नहीं हुए तो मैं कैसे हो गई? मैं ने भी तुम्हारे लिए अपना सब कुछ छोड़ा है. फिर तुम ने ही अतीत के बारे में पूछा. वह अतीत जिस से तुम्हारा कोई वास्ता नहीं. उस समय तो मैं तुम्हें जानती तक नहीं थी. तुम ने तो उस समय भी चरित्रहीनता दिखाई जब तुम मेरे प्रेम में डूबे हुए थे.’’ ‘‘मेरी बात सुन कर वह बोला कि मेरी बात और है. मैं पुरुष हूं.’’

‘‘मैं ने कहा कि तुम करो तो पुरुषत्व और मैं करूं तो चरित्रहीनता… मेरा शरीर है… मेरी मरजी है, मेरी स्वीकारोक्ति थी. तुम ने पूछा इसलिए मैं ने बताया.’’ ‘‘इस पर उस का कहना था कि शादी से पहले बता देती.’’

‘‘मैं ने जवाब दिया कि तुम पूछते तो जरूर बताती.’’

‘‘इस के बाद वह मुझ से खिंचाखिंचा सा रहने लगा. जब देखो उस का मुंह लटका रहता. उस का मूड उखड़ा रहता.’’ ‘‘कई दिन बीत गए. एक दिन मैं ने उस से कहा कि इस में इतना तनाव लेने की क्या जरूरत है? हम अलग हो जाते हैं. डिवोर्स ले लेते हैं.’’

‘‘इस पर उस ने कहा कि शादी के 1 महीने बाद ही तलाक… मजाक है क्या?

लोग क्या सोचेंगे?’’ ‘‘मेरा जवाब था कि लोग गए भाड़ में. मैं ऐसे आदमी के साथ नहीं रहना चाहती जो अपने संबंध गर्व से बताए और पत्नी के बताने पर ऐसा जाहिर करे जैसे उस ने कोई बहुत बड़ा गुनाह कर दिया हो. सच सुनने की हिम्मत नहीं थी तो पूछा क्यों? अपना सच बताया क्यों?’’

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‘‘वह अभिमान से बोला कि मैं तो पुरुष हूं. लोग तुम्हें डिवोर्सी कहेंगे.’’ ‘‘मेरा कहना था कि मेरे बारे में इतना सोचने की जरूरत नहीं. लोग कहेंगे तो तुम्हारे बारे में भी. लेकिन मर्द होने के अहं में तुम्हें कोई फर्क नहीं पड़ेगा. मेरे बारे में उलटासीधा कह कर तुम लौट जाओगे अपने घर वापस. तुम्हारी धूमधाम से शादी हो जाएगी और मुझे लोग वही कहेंगे जो तुम कह रहे हो. कहते रहें. मैं दोगले खोखले व्यक्ति के साथ नहीं रहना चाहती. सारी जिंदगी घुट कर जीने से अच्छा है कि हम एकदूसरे से मुक्त हो कर अपने जीवन को अपनेअपने तरीके से जीएं. मेरे लिए संबंध टूटने का अर्थ जीवन खत्म होना नहीं है और मैं डिवोर्सी हो गई.’’

मैं मुक्ति के सच को सुन कर एक ओर हैरान भी था तो दूसरी ओर उस के सच से प्रभावित भी. लेकिन फिर भी मैं ने उस से कहा, ‘‘मुक्ति, औरतों को कुछ बातें छिपा कर ही रखना चाहिए. उन्हें उजागर न करना ही बेहतर रहता है.’’

उस ने गुस्से से मेरी तरफ देख कर कहा, ‘‘छिपा कर गुनाह रखा जाता है. मैं ने कोई अपराध नहीं किया था. जब उस ने नहीं छिपाया, तो मैं क्यों छिपाती, क्योंकि मैं औरत हूं. मैं ऐसे पुरुषों को पसंद नहीं करती जो स्त्री के लिए अलग और अपने लिए अलग मानदंड तय करें. मेरे शरीर का एक अंग मेरा सर्वांग नहीं है. ‘‘मेरे पास अपना स्वाभिमान है… शिक्षा है… मेरा अपना वजूद है. अपनी स्वेच्छा से अपने शरीर को अपनी पसंद के व्यक्ति को एक बार सौंपने का अर्थ यदि पुरुष की नजर में चरित्रहीनता है तो हम क्या वेश्याओं से गएगुजरे हो गए… और वे पुरुष क्या हुए जो अपने रिश्ते की महिलाओं से ले कर वेश्याओं तक से संबंध बनाए हैं वे मर्द हो गए… नहीं चाहिए मुझे ऐसा पाखंडी पति.’’

मुक्ति की बात ठीक ही थी. हम दोनों के संबंध नौकरी करते तक मधुर रहे. वह सच्ची थी. सच कहने का हौसला था उस में. कोई भी आवेदन करते समय आवेदन के कौलम में क्यों पूछा जाता है विवाहित, अविवाहित, तलाकशुदा, विधवा. किसी एक पर निशान लगाइए. नौकरी से इन सब बातों का क्या लेनादेना? नौकरी का फार्म भरवा रहे हैं या शादी का? मुझे मालूम था कि मुक्ति को कहीं अच्छी जगह नौकरी मिल चुकी होगी. और आवेदन के कौलम में उस ने डिवोर्सी भरा होगा बिना किसी झिझक के.

और सारे विभाग में उस के डिवोर्सी होने की चर्चा भी होने लगी होगी. लोग तरहतरह से उस के बारे में बातें करने लगे होंगे. लेकिन मुक्ति जैसी महिलाओं को इन बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता. जब व्यक्ति सच बोलता है, तो डरता नहीं है और न ही किसी की परवाह करता है. मुक्ति भी उन्हीं में से एक है.

क्या प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री होंगी…!

देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव अपने सबाब पर हैं. ऐसे में उत्तर प्रदेश का विधान सभा चुनाव का समर इसलिए रोचक और रोमांचक हो गया है क्योंकि यहां जो पार्टी आगे होती है आगे चलकर “लोकसभा चुनाव” में भी वह बाजी मारती है और फिर देश का नेतृत्व करती है.

ऐसे में उत्तर प्रदेश चुनाव की अगर हम बात करें तो यहां जो परिदृश्य दिखाई दे रहा है वह चौंकाने वाला है. क्योंकि यह पहली बार होगा है जब दो दशक पश्चात गांधी नेहरू परिवार की एक सदस्य प्रियंका वाड्रा गांधी ने विधानसभा चुनाव का पूरा मोर्चा अपने हाथों में संभाल कर सभी विधानसभा सीटों पर प्रत्याशी खड़े कर रही हैं.

कहा तो यह भी जा रहा है कि ऐन समय पर प्रियंका गांधी तुरूप का पत्ता चलते हुए स्वयं को मुख्यमंत्री कैंडिडेट के रूप में प्रस्तुत करके उत्तर प्रदेश की चुनावी समर की हवा बदलने वाली है.

इसकी एक झलक विगत दिनों पत्रकार वार्ता में भी दिखाई दी. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने      परोक्ष रूप से कहा कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में पार्टी का चेहरा वे खुद हैं, हालांकि उन्होंने यह रिपोर्ट लिखे जाने तक यह स्पष्ट नहीं किया था कि वे चुनाव लड़ेंगी या नहीं. मगर उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए ‘ भर्ती विधान: युवा घोषणापत्र’ को लेकर आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस  में प्रियंका से जब मुख्यमंत्री पद के लिए कांग्रेस की ओर से चेहरे पर सवाल किया गया तो उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा -” आपको कोई दूसरा चेहरा नजर आ रहा है ?”

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इस पर जब उनसे एक पत्रकार ने पूछा – क्या आप ही (मुख्यमंत्री) चेहरा होंगी.”

तब प्रियंका गांधी ने मुस्कान बिखेरते हुए जवाब में कहा -” दिख तो रहा है न मेरा सब जगह चेहरा ।”

दरअसल, यह सारा देश जानता है कि प्रियंका वाड्रा गांधी कांग्रेस का सबसे चमकता हुआ चेहरा है. सोनिया और राहुल के बाद प्रियंका गांधी हाईकमान है उत्तर प्रदेश का चुनाव उनकी हाथों में है वही सब कुछ तय कर रही हैं और हर मोर्चे पर डटी हुई है ऐसे में यह आसानी से समझा जा सकता है कि उत्तर प्रदेश का चुनाव प्रियंका वाड्रा गांधी के लिए बेहद महत्वपूर्ण है और यहां चौकानेवाले परिणाम भी आ सकते हैं.

भाजपा सपा और कांग्रेस के चौंकाने वाले परिणाम

उत्तर प्रदेश के चुनाव में फिलहाल समाजवादी पार्टी अखिलेश यादव आगे दिखाई दे रहे हैं, पीछे पीछे भारतीय जनता पार्टी दौड़ती दिखाई दे रही है. बहुजन समाज पार्टी  तीसरे नंबर पर धीरे चल रही है. ऐसे में कुछ अन्य पार्टियों के साथ अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस जो उत्तर प्रदेश में अपने न्यूनतम स्तर पर पहुंची हुई है एकाएक अपने पैरों पर खड़ी दिखाई दे रही है.  इसका एक मात्र कारण है प्रियंका गांधी का मोर्चा संभाल लेना और आम जनता के बीच आप पहुंचकर के उनसे संवाद कर रही हैं.

प्रियंका गांधी देश का एक ऐसा चेहरा है जिसे कभी भी हल्के तरीके से नहीं लिया जा सकता. उत्तर प्रदेश चुनाव में जिस तरीके से प्रियंका गांधी रणनीति बना रही है कहा जा सकता है कि उत्तर प्रदेश के चुनाव में भाजपा और सपा दोनों के लिए प्रियंका गांधी सर दर्द बन गई है.

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उत्तर प्रदेश के किसी शहर का नुक्कड़ हो या फिर कोई और मोर्चा हर जगह प्रियंका गांधी खड़ी है.

सबसे बड़ी बात है- घोषणा पत्र उत्तर प्रदेश के चुनावी घोषणा पत्र में प्रियंका गांधी ने जो जो बातें लिखी है आम जनता को अपील कर रही है ऐसे में राजनीतिक प्रेक्षक मानते हैं चुनाव में परिणाम चौंकाने वाले आ सकते हैं.

26 January Special: सफल करियर होने के बावजूद विदेश में जाकर बस गए ये 6 सितारे 

कोई सेलिब्रिटी अपना करियर शुरू करता है तो इसी उम्मीद में रहता है कि वह दर्शकों का दिल जीतने में कामयाब हो सके. उसे इंडस्ट्री में अपनी एक्टिंग के बदौलत एक अलग पहचान मिले. यूं कहे तो वह इंडस्ट्री का सबसे सफल एक्टर बनना चाहता है. हालांकि बहुत कम लोग ही एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में सफलता हासिल कर पाते हैं. कुछ लोग असफल होकर इंडस्ट्री ही छोड़ देते हैं. तो वहीं कुछ सेलिब्रिटी ऐसे भी हैं जो सफल करियर छोड़कर विदेशों में जाकर अपना आशियाना बना लिया. तो आइए बताते हैं इन सेलिब्रिटी के बारे में, जो विदेश में जाकर बस गए हैं.

  1. ‘देसी गर्ल’ प्रियंका चोपड़ा

 

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बॉलीवुड  एक्ट्रेस प्रियंका चोपड़ा निका जोनास से शादी करने के बाद विदेश में जाकर बस गई. प्रियंका और निक ने अमेरिका के लॉस एंजिल्स में 144 करोड़ का आलीशान बंग्ला भी खरीदा था. कुछ ही वक्त पहले प्रियंका और निक ने लंदन में भी नया बंगला खरीदा है.

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  1. ‘ये है मोहब्बतें’ फेम मीहिका वर्मा

 

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टीवी सीरियल ये है मोहब्बतें में मीहिका का किरदार निभाने वाली एक्ट्रेस ने भी इंडस्ट्री से दूरी बना ली. शादी के बाद उन्होंने शो को अलविदा कह दिया. अब वह अपने पति के साथ विदेश में खुशहाल जिंदगी बिता रही है.

  1. सोनम कपूर

 

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अनिल कपूर की बेटी सोनम कपूर भी पति आनंद आहूजा के साथ लंदन शिफ्ट हो चुकी हैं. लंदन में आनंद आहूजा का अपना बिजनेस है.

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  1. प्रीति ज़िंटा

 

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डिंपल गर्ल प्रीति ज़िंटा ने भी शादी करके अपना आशियाना अमेरिका में बना लिया है. 29 फरवरी 2016 को प्रीती और Gene Goodenough की शादी एक प्राइवेट सेरेमनी में हुई थी. शादी से पहले दोनों ने एक-दूसरे को 5 साल तक डेट किया था.

5. सेलिना जेटली

 

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बॉलीवुड एक्ट्रेस सेलिना जेटली ने शादी के बाद विदेश में अपना घर बसाया है. 2011 में सेलिना ने ऑस्ट्रियन बिज़नेसमैन Peter Haag के साथ की थी. सेलिना तीन बच्चों की मां है. वह अपने फैमिली के साथ दुबई में हैप्पी लाइफ स्पेंड कर रही हैं.

6. मल्लिका शेरावत

 

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हॉट एक्ट्रेस मल्लिका शेरावत ने एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में खूब सुर्खियां बटोरी थीं. रिपोर्ट्स के मुताबिक मल्लिका इन दिनों अपने विदेशी बॉयफ्रेंड के साथ पेरिस में रहती हैं.

Bigg Boss 15: टिकट टू फिनाले टास्क जीती तेजस्वी प्रकाश तो रश्मि और निशांत में हुई लड़ाई

बिग बॉस 15 (Bigg Boss 15) में फिनाले वीक चल रहा है. कंटेस्टेंट फिनाले वीक में जाने के लिए गेम खेलते नजर आ रहे हैं. फिलहाल ये मौका तेजस्वी प्रकाश, देवोलीना भट्टाचार्जी, रश्मि देसाई और अभिजीत बिचुकले को मिला है. फिनाले वीक में जाने के लिए इन चारों कंटेस्टेंट को टास्क दिया गया है.

दरअसल टास्क में इन्हें मैनेक्विन को कपड़े पहनाकर तैयार करना है. इसके बाद फिनाले वीक में पहुंच चुके सदस्यों शमिता शेट्टी, करण कुंद्रा, निशांत भट्ट, राखी सावंत और प्रतीक सहजपाल को इन लोगों के मैनेक्विन को देखकर बताना है किसका अच्छा है और उनके पास रखी नोटबुक में साइन करना है. जिस सदस्य की नोटबुक में ज्यादा सदस्यों के साइन होंगे, वो ये टास्क जीत जाएगा.

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बता दें कि टिकट टू फिनाले टास्क तेजस्वी प्रकाश ने जीता. और वहीं देवोलीना भट्टाचार्जी, रश्मि देसाई और अभिजीत बिचकुले नॉमिनेट हो गए. शो के लेटेस्ट एपिसोड में रश्मि देसाई और देवोलीना भट्टाचार्जी के बीच जमकर लड़ाई हुई.  रश्मि ने पहले ही राखी को अलग रखने को बोला था लेकिन देवोलीना ने राखी पर भरोसा कर लिया.

 

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रश्मि ने निशांत से शिकायत की कि उन्होंने टास्क में सपोर्ट क्यो नहीं किया. निशांत पर चिढ़कर बोले कि यहां फेयर-अनफेयर की डिग्री नहीं होती. अगर मुझे ऑटोग्राफ लेना होता तो मैं बिचकुले का ले लेता.

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फिर निशांत ने ये भी कहा कि उन्होंने रश्मि को कई बार सपोर्ट किया है लेकिन रश्मि ने कहा कि उन्होंने सपोर्ट नहीं किया. दोनों में काफी बहस हुई. निशांत ने रश्मि को ये भी कह दिया कि रश्मि को हार मंजूर नहीं, इनके दिमाग में ओवरएक्टिंग चलता है.

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Top 10 Romantic Story Of 2022: टॉप 10 रोमांटिक स्टोरी हिंदी में

Top 10 Romantic Story Of 2022: ‘प्यार’ एक ऐसा अहसास है जिसे हर कोई जीना चाहता है. जब हम किसी से प्यार करते हैं तो उसमें केवल खूबियां ही नजर आती हैं, चाहे वह हमारे साथ धोखा ही क्यों न कर रहा हो. लेकिन हर प्यार के रिश्ते में ऐसा नहीं होता. कई लोग तो अपने प्यार की खातिर कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं. तो इस आर्टिकल में हम आपके लिए लेकर आए हैं सरिता की  Top 10 Romantic Story in Hindi. प्यार और रिश्ते से जुड़ी दिलचस्प कहानियां, जिससे आपको बहुत कुछ जानने को मिलेगा, क्या वाकई में सच्चा प्यार मिल सकता है? तो अगर आपको भी है कहानियां पढ़ने का शौक तो पढ़िए Top 10 Romantic Story Of  2022.

  1. धागा प्रेम का: कहां पहुंच गया था रंभा और आशुतोष का वैवाहिक जीवन

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आज सलोनी विदा हो गई. एअरपोर्ट से लौट कर रंभा दी ड्राइंगरूम में ही सोफे पर निढाल सी लेट गईं. 1 महीने की गहमागहमी, भागमभाग के बाद आज घर बिलकुल सूनासूना सा लग रहा था. बेटी की विदाई से निकल रहे आंसुओं के सैलाब को रोकने में रंभा दी की बंद पलकें नाकाम थीं. मन था कि आंसुओं से भीग कर नर्म हुई उन यादों को कुरेदे जा रहा था, जिन्हें 25 साल पहले दफना कर रंभा दी ने अपने सुखद वर्तमान का महल खड़ा किया था.

मुंगेर के सब से प्रतिष्ठित, धनाढ्य मधुसूदन परिवार को भला कौन नहीं जानता था. घर के प्रमुख मधुसूदन शहर के ख्यातिप्राप्त वकील थे. वृद्धावस्था में भी उन के यहां मुवक्किलों का तांता लगा रहता था. वे अब तक खानदानी इज्जत को सहेजे हुए थे.

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2. जीत: पीयूष का परिवार क्या मंजरी को अपना पाया?

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वे दोनों एक पेड़ के नीचे खड़े थे, एकदूसरे की आंखों में झांकते हुए, एकदूसरे का हाथ थामे. मीठी बयार के झोंके उस के रेशमी बालों को छेड़ रहे थे. बारबार लटें उस के गालों पर आ कर झूल जातीं, जिन्हें वह बहुत ही प्यार से पीछे कर देता. ऐसा करते हुए जब उस के हाथ उस के गालों को छूते तो वह सिहर उठती. कुछ कहने को उस के होंठ थरथराते तो वह हौले से उन पर अपनी उंगली रख देता. गुलाबी होंठ और गुलाबी हो जाते और चेहरे पर लालिमा की अनगिनत परतें उभर आतीं.

मात्र छुअन कितनी मदहोश कर सकती है. वह धीरे से मुसकराई. पेड़ से कुछ पत्तियां गिरीं और उस के सिर पर आ कर इस तरह बैठ गईं मानो इस से बेहतर कोमल कालीन कहीं नहीं मिलेगा. उस ने फूंक मार कर उन्हें उड़ा दिया जैसे उन लहराते गेसुओं को छूने का हक सिर्फ उस का ही हो.

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3.टीसता जख्म : उमा के व्यक्तित्व पर अनवर ने कैसा दाग लगाया

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अचानक उमा की आंखें खुलती हैं. ऊपर छत की तरफ देखती हुई वह गहरी सांस लेती है. वह आहिस्ता से उठती है. सिरहाने रखी पानी की बोतल से कुछ घूंट अपने सूखे गले में डालती है. आंखें बंद कर वह पानी को गले से ऐसे नीचे उतारती है जैसे उन सब बातों को अपने अंदर समा लेना चाहती है. पर, यह हो नहीं पा रहा. हर बार वह दिन उबकाई की तरह उस के पेट से निकल कर उस के मुंह में भर आता है जिस की दुर्गंध से उस की सारी ज्ञानेंद्रियां कांप उठती हैं.

पानी अपने हलक से नीचे उतार कर वह अपना मोबाइल देखती है. रात के डेढ़ बजे हैं. वह तकिए को बिस्तर के ऊंचे उठे सिराहने से टिका कर उस पर सिर रख लेट जाती है.

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4.अन्यपूर्वा: क्यों राजा दशरथ देव ने विवाह न करने की शपथ ली?

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विशाली मयूरपंखी बजरा पद्मा नदी की लहरों को काटता हुआ आगे बढ़ता जा रहा था. बजरे के पीछे कुछ बड़ी नौकाएं थीं, जिन में शस्त्रधारी सैनिकों के अलावा दासदासियां भी सवार थे. 2 बड़ी नावों पर खाद्य सामग्री लदी हुई थी.

पिछले 12 सालों से वह हर साल दलबल के साथ घूमने निकल पड़ता. राज्य नर्तकियां नृत्य कर उसे लुभाने की, हंसाने की बहुत कोशिश करतीं, किंतु उस का चेहरा गमगीन ही बना रहता. ऐश्वर्य के हर साधन मौजूद होने पर भी वह उन का उपभोग नहीं कर पाता था. वह बंगाल के सोनार गांव का राजा था.

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5. विश्वासघात: जूही ने कैसे छीना नीता का पति

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नीला आसमान अचानक ही स्याह हो चला था. बारिश की छोटीछोटी बूंदें अंबर से टपकने लगी थीं. तूफान जोरों पर था. दरवाजों के टकराने की आवाज सुन कर जूही बाहर आई. अंधेरा देख कर अतीत की स्मृतियां ताजा हो गईं…

कुछ ऐसा ही तूफानी मंजर था आज से 1 साल पहले का. उस दिन उस ने जीन्स पर टौप पहना था. अपने रेशमी केशों की पोनीटेल बनाई थी. वह बहुत खूबसूरत लग रही थी. उस ने आंखों पर सनग्लासेज चढ़ाए और ड्राइविंग सीट पर बैठ गई.

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6. नई चादर: कोयले को जब मिला कंचन

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शरबती जब करमू के साथ ब्याह कर आई तो देखने वालों के मुंह से निकल पड़ा था, ‘अरे, यह तो कोयले को कंचन मिल गया.’

वैसे, शरबती कोई ज्यादा खूबसूरत नहीं थी, थोड़ी ठीकठाक सी कदकाठी और खिलता सा रंग. बस, इतनी सी थी उस की खूबसूरती की जमापूंजी, मगर करमू जैसे मरियल से अधेड़ के सामने तो वह सचमुच अप्सरा ही दिखती थी.

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7. क्षितिज ने पुकारा: क्या पति की जिद के आगे नंदिनी झुक गई

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शुभंकर सर के ड्रामा स्कूल के गेट से निकल कर नंदिनी औटोस्टैंड की ओर बढ़ी ही थी कि पीछे से प्रीतम प्यारे ने आवाज दी, ‘‘कहां चली नंदिनी? रात हो रही है… शायद ही औटो मिले. चलो, मैं छोड़ देता हूं.’’

नंदिनी रुक गई. एक शालीन मनाही की खातिर. बोली, ‘‘नहीं प्रीतम, अभी ज्यादा समय नहीं हुआ है. 9 ही तो बजे हैं.’’

‘‘तुम्हारी तरफ वाले औटो अब ज्यादा कहां?’’

नंदिनी ने अपनी चलने की गति बढ़ाते हुए कहा, ‘‘मिल जाएंगे.’’

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8.एक रिश्ता प्यारा सा: माया और रमन के बीच क्या रिश्ता था?

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“अरे रमन जी सुनिए, जरा पिछले साल की रिपोर्ट मुझे फॉरवर्ड कर देंगे, कुछ काम था” . मैं ने कहा तो रमन ने अपने चिरपरिचित अंदाज में जवाब दिया “क्यों नहीं मिस माया, आप फरमाइश तो करें. हमारी जान भी हाजिर है.

“देखिए जान तो मुझे चाहिए नहीं. जो मांगा है वही दे दीजिए. मेहरबानी होगी.” मैं मुस्कुराई.

इस ऑफिस और इस शहर में आए हुए मुझे अधिक समय नहीं हुआ है. पिछले महीने ही ज्वाइन किया है. धीरेधीरे सब को जानने लगी हूं. ऑफिस में साथ काम करने वालों के साथ मैं ने अच्छा रिश्ता बना लिया है.

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9. पर्सनल स्पेस: क्यों नेहा के पास जाने को बेताब हो उठा मोहित?

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आज औफिस में मैं बिलकुल भी ढंग से काम नहीं कर सका था. इस कारण बौस से तो कई बार डांट खानी पड़ी ही, सहयोगियों के साथ भी झड़प हो गई थी.

आखिर में तंग आ कर मैं ने औफिस से1 घंटा पहले जाने की अनुमति बौस से मांगी, तो उन्होंने तीखे शब्दों में मुझ से कहा, ‘‘मोहित, आज सारा दिन तुम ने कोई भी काम ढंग से नहीं किया है. मुझे छोटीछोटी बातों पर

किसी को डांटना अच्छा नहीं लगता. मुझे उम्मीद है कि कल तुम्हारा चेहरा मुझे यों लटका हुआ नहीं दिखेगा.’’

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10. एहसास: क्या दोबारा एक हो पाए राघव और जूही?

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आज सुबह सुबह औफिस जाते हुए जैसे ही राघव की नजर कैलेंडर पर पड़ी, तो आज की तारीख देख कर एक बार उस के मन में जैसे कुछ छन्न से टूट गया. आज 9 जनवरी थी औैर आज ही उस की दुनिया पूरे 1 साल के अकेलेपन की बरसी मना रही थी.

जूही को उस के जीवन से गुजरे आज पूरा 1 साल हो गया था. जूही उस की पत्नी… हां, आज भी तो यह सामाजिक रिश्ता कायम था. कानून और समाज की नजर में जूही और राघव आज भी शादी के बंधन में बंधे थे. लेकिन सिर्फ नाम के लिए ही यह रह गया था. जूही को उस की जिंदगी से गए लंबा अरसा हो गया था. खुद को इस विवाहरूपी बंधन से आजाद करने की कोशिश न तो जूही ने की थी और न ही राघव ही इस मैटर को आगे बढ़ा पाया था.

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सूप टेस्टी होने के साथ-साथ हेल्दी भी होता है. इसे आप बहुत कम समय में आसानी से बना सकते हैं. तो देर किस बात की झट से आपको बताते हैं सूप बनाने की रेसिपी.

  1. वेजिटेबल सूप

soup

सामग्री 

50 ग्राम कालीमिर्च

1 तेजपत्ता

500 एमएल वैजिटेबल स्टौक

50 ग्राम प्याज बारीक कटा

50 ग्राम गाजर बारीक कटी

50 ग्राम हरा प्याज बारीक कटा

सामग्री सूप की

20 ग्राम ग्रीन जुकीनी

20 ग्राम यलो जुकीनी

20 ग्राम मशरूम

थोड़ी सा कालीमिर्च पाउडर

नमक स्वादानुसार

20 ग्राम गाजर

20 ग्राम हरी बींस

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बनाने की विधि

वैजिटेबल स्टौक के साथ प्याज, गाजर, हरा प्याज, कालीमिर्च व तेजपत्ता डाल 20 मिनट तक उबालें.

फिर बची सब्जियों को बारीक काट कर एक तरफ रख दें.

अब स्टौक को छलनी से छान कर दोबारा आंच पर रख कर आधा होने दें.

फिर इस में बची सब्जियां व नमक मिला कर कुछ मिनट और पकाएं.

कालीमिर्च का पाउडर डाल कर गरमगरम सर्व करें.

2. स्पाइसी कलीफ्लौवर सूप

soup..

सामग्री

– गोभी (1 कप कटी हुई)

– कालीमिर्च पाउडर (थोड़ा सा)

–  1 प्याज (कटा हुआ)

–  दही (1 कप)

– तेल  (1 बड़ा चम्मच)

–  वैजिटेबल स्टौक (2 कप)

– 1 छोटा चम्मच

– करी पाउडर

– नमक (स्वादानुसार)

बनाने की विधि

– कड़ाही में तेल गरम कर प्याज व लहसुन को भूनें, फिर करी पाउडर, नमक और गोभी डालें और ढक कर    गोभी के पकने तक पकाएं.

– अब इस में वैजिटेबल स्टौक डाल कर 1-2 मिनट उबलने दें.

– आंच बंद कर इस में दही डालें.

– हैंड मिक्सी से पीस कर कालीमिर्च पाउडर डाल कर सर्व करें.

3. चिकन सूप

chiken

सामग्री :

चिकन ( 200 ग्राम)

कौर्न फ्लोर ( 03 बड़े चम्मच)

अंडा (1)

गाजर ( 01 नग)

टमाटर (1)

लहसुन ( 03 कली)

सिरका ( 01 बड़ा चम्मच)

अदरक ( 01 इंच का टुकड़ा)

काली मिर्च ( 1/2 छोटा चम्मच)

चिली सौस ( आवश्यकतानुसार)

नमक (स्वादानुसार)

बनाने की विधि :

सबसे पहले अदरक को धो लें और लहसुन की कलियां छील कर दोनों को एक साथ मिलाकर पीस लें.

अब एक प्रेशर कुकर लें, उसमें चिकन, अदरक-लहसुन का पेस्ट, काली मिर्च डाल दें और आवश्यकतानुसार पानी भी मिला दें.

इसके बाद कुकर को बंद करके उसे मध्यम आंच पर 20 मिनट तक पका लें.

पकने के बाद कुकर को उतार लें और उसका ढक्कन खोल दें और ठंडा होने दें.

उसके बाद कुकर का पानी और चिकन पीस अलग-अलग कर लें.

चिकन में से हड्डियों को अलग कर दें और इसके बाद उबले चिकन का गुनगुना पानी लेकर उसमें कौर्न फ्लोर को घोल लें और चिकन के छोटे-छोटे पीस कर लें.

साथ ही गाजर और टमाटर को भी धुल कर बारीक-बारीक काट लें.

अब कुकर को पुन: आंच पर रखें, उसमें चिकन का पानी, चिकन पीस, गाजर और टमाटर डाल दें और मध्यम आंच पर थोड़ी देर पकने दें.

उसके बाद उसमें अंडा तोड़ कर डालें और लगभग 15 मिनट तक पकने दें.

जब सूप थोड़ा गाढ़ा हो जाए, तो गैस बंद कर दें, इसके बाद उसमें सिरका और चिली सौस डाल दें और कुकर का ढ़क्कन बंद कर दें.

पांच मिनट के बाद कुकर का ढ़क्कन खोलें और अब आपका चिकन सूप तैयार है.

4. राइस डंपलिंग्स सूप

rice-soup

सामग्री

– 10-12 पालक के पत्ते

– 1 बड़ा टमाटर

– 1 कली लहसुन

– 1 छोटा टुकड़ा अदरक

– 1 छोटा प्याज

– 1/2 छोटा चम्मच कालीमिर्च

– 3 बड़े चम्मच चावल का आटा

– 1 छोटा चम्मच बटर

– नमक स्वादानुसार.

विधि

– पैन में 1 कप पानी उबालें.

– इस में पालक के पत्ते, टमाटर, प्याज, अदरक व लहसुन डालें. चावल के आटे में 2 चुटकी नमक व एकचौथाई कप पानी मिलाएं.

– इस आटे की गोलियां रोल कर के उबलते पालक के पानी में डाल 5-6 मिनट बाद आंच से उतार लें.

– चावल की डंपलिंग्स चम्मच से बाहर निकाल लें.

– प्लेट में बाकी सामग्री को मिक्सी में पीस लें.

– पैन में मक्खन गरम कर चावल की डंपलिंग्स और पालक का सूप डालें.

– इस में नमक व कुटी कालीमिर्च डाल कर 2 मिनट पका कर गरमगरम सर्व करें.

पशुओं में थनैला रोग और उस की रोकथाम

दुधारू पशुओं में अकसर थनैला रोग हो जाता है. इस वजह से किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है. समय पर उचित उपाय अपना कर इस रोग से छुटकारा पाया जा सकता है. पशु डाक्टर की देखरेख में ही उपचार करेंगे, तो आप का पशु भी सेहतमंद रहेगा.

वैसे, थनैला रोग का मतलब दूध देने वाले पशु के अयन यानी थन की सूजन और दूध की मात्रा के रासायनिक संघटन में अंतर आना होता है. अयन में सूजन, अयन का गरम होना और अयन का रंग हलका लाल होना इस रोग की खास पहचान है.

थनैला रोग विश्व के सभी भागों में पाया जाता है. इस से दुग्ध उत्पादन कम होता है और  दुग्ध उद्योग को भारी माली नुकसान उठाना पड़ता है. थनैला रोग जीवाणुओं, विषाणुओं और प्रोटोजोआ आदि के संक्रमण से होता है. संक्रमण के दौरान कई कारक खुद ही दूध में आ जाते हैं.

अगर इस का दूध इनसान इस्तेमाल करे, तो उसे भी कई रोग हो सकते हैं. इस वजह से यह रोग और भी खतरनाक हो जाता है. बीमार पशु के दूध को अगर उस का बच्चा सेवन करता है, तो वह भी बीमार हो सकता है.

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आमतौर पर यह रोग छुआछूत और दूसरी कई वजहों से होता है, पर कई जीवाणुओं व विषाणुओं से होने पर दूसरे पशुओं में भी फैल सकता है. कई बार थन पर छाले पड़ जाते हैं, उस समय दूध निकालने पर थन पर घाव हो जाता है और हालत ज्यादा बिगड़ जाती है.

उपचार व रोकथाम

* बीमार पशु के अयन और थन की सफाई रखनी चाहिए.

* बीमारी की जांच शुरुआती समय में ही करवा लेनी चाहिए.

* थन या अयन के ऊपर किसी भी तरह के गरम तेल, घी या पानी की मालिश नहीं करनी चाहिए.

* दूध निकालने से पहले और बाद में किसी एंटीसैप्टिक लोशन से थन व अयन की धुलाई करनी चाहिए.

* डेरी में यदि ज्यादा पशु हैं, तो समयसमय पर थनैला रोग के परीक्षण का काम स्थानीय पशु डाक्टर की सलाह से जरूर करें.

* ज्यादा दूध देने वाले पशुओं को थनैला रोग का टीका भी लगवाना चाहिए.

* दूध निकालते समय थन पर दूध की मालिश नहीं करनी चाहिए. उस की जगह घी या तेल वगैरह का इस्तेमाल करना चाहिए.

* पशु में रोग होने पर तत्काल निकट के पशु डाक्टर से संपर्क कर उचित सलाह व दवा लें.

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दूध देने वाले पशु से संबंधित सावधानियां

* दूध देने वाला पशु पूरी तरह से सेहतमंद होना चाहिए. टीबी, थनैला वगैरह रोग नहीं होने चाहिए. पशु की जांच समयसमय पर पशु डाक्टर से कराते रहना चाहिए.

* दूध दुहने से पहले पशु के शरीर की अच्छी तरह सफाई कर देनी चाहिए. दुहाई से पहले पशु के शरीर पर चिपका  गोबर, धूल, कीचड़, घास आदि साफ कर लेनी चाहिए, खासतौर से पशु के शरीर के पिछले हिस्से, पेट, अयन, पूंछ व पेट के निचले हिस्से की खासतौर पर सफाई करनी चाहिए.

* दूध दुहने से पहले अयन की सफाई पर खास ध्यान देना चाहिए. अयन व थनों को किसी जीवाणुनाशक घोल से धोया जाए और घोल के भीगे हुए कपड़े से पोंछ लिया जाए तो ज्यादा अच्छा होगा.

* अगर किसी थन में कोई रोग हो, तो दूध निकाल कर फेंक देना चाहिए.

* दूध दुहने से पहले हर थन की 2-4 दूध की धार जमीन पर गिरा देनी चाहिए या अलग बरतन में निकाल लेना चाहिए.

दूध देने वाले पशु के बंधने की जगह से संबंधित सावधानियां

* पशु बांधने व खड़े होने की जगह खुली होनी चाहिए.

* फर्श अगर मुमकिन हो तो पक्का होना चाहिए. अगर नहीं है, तो कच्चा फर्श भी समतल होना चाहिए. फर्श में गड्ढे वगैरह न हों. मूत्र व पानी निकालने का उचित इंतजाम होना चाहिए.

* दूध दुहने से पहले पशु के चारों ओर सफाई कर देनी चाहिए. अगर बिछावन है, तो दुहाई से पहले उसे हटा देना चाहिए.

* दूध निकालने वाली जगह की दीवारें, छत आदि साफ होनी चाहिए. उन की चूने की पुताई करवा लेनी चाहिए और फर्श की फिनाइल से धुलाई 2 घंटे पहले कर लेनी चाहिए.

दूध के बरतन से संबंधित सावधानियां

* दूध दुहने का बरतन साफ होना चाहिए. उस की सफाई पर खास ध्यान दिया जाना चाहिए. दूध के बरतन को पहले ठंडे पानी से, फिर सोडा या अन्य जीवाणुनाशक रसायन से मिले गरम पानी से, फिर सादा खौलते हुए पानी से धो कर धूप में या चूल्हे के ऊपर उलटा रख कर सुखा लेना चाहिए.

* साफ किए हुए बरतन पर मच्छरमक्खियों को नहीं बैठने देना चाहिए. यह भी ध्यान रहे कि बरतन को कुत्ता, बिल्ली वगैरह चाट न सकें.

* दूध दुहने वाले बरतन का मुंह चौड़ा व सीधा आसमान में खुलने वाला नहीं होना चाहिए, क्योंकि इस से मिट्टी, धूल, गोबर आदि के कण व घासफूस के तिनके, बाल आदि सीधे दुहाई के समय बरतन में गिर जाएंगे. इसलिए बरतन संकरे मुंह वाला हो और टेढ़ा होना चाहिए.

* बरतन पर जोड़ व कोने कम होने चाहिए.

अगर आप लोग इन बातों का ध्यान रखेंगे, तो यकीनन ही आप के पशु को थनैला रोग नहीं होगा. ज्यादा जानकारी के लिए कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक व अध्यक्ष से संपर्क करें.

सिसकी- भाग 1: रानू और उसके बीच कैसा रिश्ता था

Writer- कुशलेंद्र श्रीवास्तव

वैसे तो चिन्टू ने एक छोटा स्टूल रख लिया था. जब वह उस पर खड़ा हो जाता तब ही उस के हाथ किचन में रखे गैसस्टोव तक पहुंचते. ऐसा नहीं था कि उस की हाइट कम थी बल्कि वह था ही छोटा. 8 साल की ही तो उस की उम्र थी. वह स्टूल पर खड़ा हो जाता और माचिस की काड़ी से चूल्हा जला लेता. उस से अभीगैसलाइटर से चूल्हा जलाना नहीं आता था. वैसे तो उसे माचिस से भी चूल्हा जलाना नहीं आता था.

तीनचार काड़ियां बरबाद हो जातीं तब जा कर चूल्हा जलता. कई बार तो उस का हाथ भी जल जाता. वह अपने हाथों को पानी में डाल कर जलन मिटाने का प्रयास करता. चूल्हा जल जाने के बाद वह पानीभरी गंजी को उस के ऊपर रख देता और मैगी का पैकेट खोल कर उस में डाल देता. अभी उस से संशी से पकड़ कर गंजी उतारना नहीं आता था, इसलिए वह चूल्हे को बंद कर देता और तब तक यों ही खड़ा इंतजार करता रहता जब तक कि गंजी ठंडी न हो जाती. वह सावधानीपूर्वक गंजी उतारता. फिर उस में मसाला डाल देता. चम्मच से उसे मिलाता. फिर एक प्लेट में डाल कर अपनी छोटी बहन रानू के सामने रख देता.  रानू दूर बैठी अपने भाई को मैगी बनती देखती रहती.

उसे बहुत जोर की भूख लगी थी. जैसे ही प्लेट उस के सामने आती, वह खाने बैठ जाती. चिन्टू उसे खाता देखता रहता, ‘‘और चाहिए?’’

‘‘हां,’’ रानू खातेखाते ही बोल देती.

चिन्टू थोड़ी सी मैगी और उस की प्लेट में डाल देता. उस के सामने पानी का गिलास रख देता. रानू जब खा चुकी होती तब जितनी मैगी बच जाती वह चिन्टू खा लेता. अकसर मैगी कम ही बच पाती थी. दादाजी मैगी नहीं खातीं, उन के लिए चिन्टू चाय बना देता. फिर चिन्टू दोनों की प्लेट, चाय का कप और गंजी को साफ कर रख देता. वह रानू का हाथ पकड़ कर बाहर के कमरे में ले आता और दोनों चुपचाप बैठ जाते. इस कमरे मे  ही दादाजी का पलंग बिछा था जिस में वे लेटे रहते. उन्हें लकवा लगा हुआ था, इस कारण उन से चलते नहीं बनता था. हालांकि थरथराहट के साथ वे बोल तो लेते थे पर उन की इस भाषा को चिन्टू कम ही समझ पाता था. चिन्टू ही उन का हाथ पकड़ कर उन्हें बाथरूम तक ले जाता और फिर बिस्तर पर छोड़ देता. वे असहायी नजरों से चिन्टू को देखते रहते. उन की आंखों से बहने वाले आंसू इस बात के गवाह थे कि वे बहुत कष्ट में हैं.

इस कमरे में ही चिन्टू के मातापिता की फोटो लगी थी जिस पर फूलों का हार डला था. फोटो देख कर वे मम्मीपापा की यादों में खो जाते.

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‘मम्मी, बहुत जोरों की भूख लगी है.’

‘हां, अभी रोटी सेंकती हूं, तब तक मैगी बना दूं क्या?’

‘रोजरोज मैगी, मैं तो बोर हो गया हूं, आप तो परांठे बना दो.’

‘अच्छा, चलो ठीक है. पहले तुम को परांठा बना देती हूं, बाद में काम कर लूंगी,’ यह कहती हुई मम्मी अपना हाथ धो कर किचन में चली जातीं.

कुछ ही देर में वे प्लेट में परांठा, अचार और शक्कर रख कर ले आतीं. ‘शक्कर कम खाया करो, चुनमुना काटते हैं,’ वे हंसती हुई कह देतीं.

‘‘पर मुझे बगैर शक्कर के परांठा खाना अच्छा नहीं लगता, मम्मी.’

‘अचार तो है, उस से खाओ.’

‘अचार, तेल वाला और फिर कितनी मिर्ची भी तो है उस में,’ चिन्टू नाक सिकोड़ लेता.

‘अच्छा बाबा, तुम को जो पसंद है वह खाओ,’ यह कहती हुईं वे रानू को गोद में उठा लेतीं, ‘तुम क्या खाओगी?’

‘मुझे दूध चाहिए, चौकलेट वाला.’

‘दूध ही दूध पीती हो, एकाध परांठा भी खा लिया करो.’

‘मम्मी, आप की मैगी और आप का परांठा मुझे तो बहुत बुरा लगता है. ये तो भैया के लिए ही रहने दो. मुझे तो दूध दो चौकलेट वाला,’ यह कह कर वह मम्मी के गले से जोर से चिपक जाती.

मम्मी उसे गले से लगाए ही दूध गरम करतीं, फिर उस में बौर्नविटा मिलातीं और रानू को अपनी गोद में बिठा कर उसे प्यार से पिलातीं.

चिन्टू और रानू बाहर के कमरे में बैठ कर एकटक अपनी मम्मी और पापा की फोटो को देखते रहते. उन की आंखों से आंसू बहते रहते.

‘चिन्टू, चलो बाजार चलते हैं, तुम्हें जूता लेना है न?’

‘अरे, अभी तो मैं होमवर्क कर रहा हूं.’

‘आ कर कर लेना.’

‘अच्छा चलो पर आइस्क्रीम भी खिलाना.’

मम्मी तक आवाज पहुंच चुकी थी.

‘खबरदार जो आइसक्रीम खाई, सर्दी हो जाती है. नाक बहने लगती है,’ मम्मी की जोर से आवाज अंदर से ही आती.

‘अरे, एकाध आइस्क्रीम खा लेने से सर्दी नहीं होती,’ पापा बचाव करते.

‘रहने दो, तुम्हें क्या है, परेशान तो मुझे ही होना पड़ता है.’

पापा समझ जाते कि अब मम्मी से बहस करना खतरे से खाली नहीं है. वे चुप हो जाते पर हाथों के इशारे से चिन्टू को समझा देते कि वे बाजार में आइस्क्रीम खाएंगे ही.

‘रानू को भी ले लें,’ कहते हुए पापा रानू को गोद में उठा लेते.

बाजार से जब लौटते तो एक आइसक्रीम मम्मी के लिए ले कर आना न भूलते.

‘देख लेना चिन्टू, मम्मी बेलन ले कर मारने दौड़ेगी.’

‘पर पापा, हम लोग सभी ने आइस्क्रीम खा ली है. मम्मी अकेली नहीं खा पाई हैं. उन के लिए तो ले जाना ही पड़ेगा न.’

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‘रख लो बेटा, मैं भी उस के साथ बेईमानी नहीं कर सकता.’

मम्मी को आइस्क्रीम रानू के हाथों से दिलाई जाती. मम्मी कुछ न बोलतीं. आइस्क्रीम को फ्रिज में रख देतीं.

‘अरे खा लो, फ्रिज में वह पानीपानी हो जाएगी,’ पापा बोलते जरूर पर वे मम्मी की ओर देख नहीं रहे होते थे.

‘रख ली, तुम्हारा लाड़ला फिर मांगेगा तो उसे देनी पड़ेगी.’

‘अरे, तुम तो खा लो. उसे दूसरी ला देंगे.’

पर मम्मी न खातीं. आइस्क्रीम शाम को उसे फिर से मिल जाती.

बाहर किसी के दरवाजा खटखटाने की आवाज आई. चिन्टू बोझिल कदमों से दरवाजे की ओर बढ़ गया. वह जानता था कि इस समय केवल कामवाली काकी ही आई होंगी. वैसे भी अब उन के घर में कोई आताजाता था ही नहीं. पापा थे तब कोई न कोई आताजाता रहता था पर अब तो जैसे सभी ने इस घर की तरफ से मुंह फेर लिया था. कामवाली काकी ही थीं दरवाजे पर.

दरवाजा खुलते ही वे अंदर आ गईं. उन्होंने लाड़ से रानू को गोद में उठा लिया. काकी जब भी इन बच्चों को देखतीं उन की आंखों से आंसू बह निकलते. कितना अच्छा घर था. सभी लोग हंसीखुशी रहते थे पर एकाएक कुदरत ने ऐसा कर दिया कि महीनेभर में ही सारी खुशियां गायब हो गईं.

चिन्टू के पापा सहेंद्र थे भी भले आदमी. वे कचहरी में नौकरी करते थे. जरूरतमंद लोगों की हमेशा मदद करने और उन की ईमानदारी की वजह से सभी लोग उन की इज्जत करते थे. उम्र ज्यादा नहीं थी, केवल 35 साल. उन की पत्नी रीना थीं तो घरेलू महिला मगर वे सामाजिक कामों में आगे रहतीं. सहेंद्र उन्हें कभी रोकते नहीं थे. 2 संतानें थीं. बड़ा बेटा 8 साल का और छोटी बेटी 6 साल की. पिताजी थे जो उन के साथ ही रहते थे. मां का देहांत तो कुछ वर्ष पूर्व ही हो गया था. मां की मौत ने पिताजी को तोड़ दिया था. वे बिस्तर पर लग गए. पिछले साल उन्हें लकवा लग गया. सहेंद्र उन की सेवा करते और उन की पत्नी भी उन्हें अपने पिता की तरह ही सहयोग करतीं.

वैसे तो सहेंद्र का एक भाई और था महेंद्र पर वह शादी हो जाने के बाद से ही इसी शहर में अलग रह रहा था. एक बहन भी थी जिस की भी शादी हो चुकी थी. पिताजी ने बाकायदा अपनी जायदादा को 3 भागों में बांट दिया था. महेंद्र को भी एक हिस्सा मिला और बहन को भी. वैसे तो पिताजी चाहते थे कि वे एक हिस्सा अपना भी बचाएं, बुढ़ापे का क्या भरोसा, किसी ने साथ नहीं दिया तो कम से कम दो टाइम की रोटी तो खा ही लेंगे पर सहेंद्र ने उन्हें भरोसा दिला दिया था कि वे पूरे समय उन की देखभाल करेंगे, वे चिंता न करें. उन्होंने सहेंद्र की बात मान ली.

सहेंद्र जानते थे कि इस चौथे हिस्से के चक्कर में भाईबहनों में झगड़ा हो जाएगा. वे नहीं चाहते थे कि उन के भाई और बहनों के बीच कभी भी जायदादा को ले कर कोई झगड़ा हो. सहेंद्र अपने भाई महेंद्र को बहुत स्नेह करते थे और बहन को भी. बहन भी जब मायके के नाम पर आती थी तो सहेंद्र के घर ही आती थी. महेंद्र के घर तो केवल बैठने जाती थी. अकसर जब भी बहन मायके में रुक कर अपनी ससुराल जाती तो सहेंद्र फूटफूट कर रोते जैसे अपनी बिटिया को विदा कर रहे हों.

‘बालिका वधू 2’ की ‘आनंदी’ ने ‘आनंद’ के साथ लड़ाई आंखिया, देखें Video

बालिका वधू 2 की आनंदी यानी शिवांगी जोशी सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं. वह अक्सर अपनी फोटोज और वीडियो शेयर करती रहती हैं. हाल ही में उन्होंने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर किया है. इस वीडियो में शिवांगी ऑन स्क्रीन लवर आनंद के साथ अंखिया लड़ाती दिखाई दे रही हैं.

आनंदी का ये वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है. फैंस इस वीडियो को खूब पसंद कर रहे हैं. शिवांगी जोशी के फैंस इस वीडियो को देखकर एक्ट्रेस के ऑन स्क्रीन पति मोहसिन खान को भी याद कर रहे हैं.

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बालिका वधू 2 की कहानी में दिलचस्प मोड़ दिखाया जा रहा है. शो में दिखाया जा रहा है कि आनंदी अपने लिए स्टैंड ले रही है. वह जिगर से अलग होने के लिए कानून का सहारा लेगी. लेकिन उसके रास्ते में कई अड़चनें भी आएगी.

 

कोर्ट में वकील आनंदी को सबूत लाने के लिए कहेगा. वकील कहेगा कि आनंदी को यह सबूत देना होगा कि उसकी शादी बचपन में जिगर से हुई थी. तो दूसरी तरफ आनंदी जिगर से अलग होने के लिए सबूत ढूढ रही है तो वहीं जिगर ने ठान ली है कि वह आनंदी को कभी साबित नहीं करने देगा कि बचपन में उन दोनों की शादी हुई थी.

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शो में आप ये भी देखेंगे कि आनंद आनंदी के साथ खड़ा रहेगा. वह उशकी हर हाल में मदद करेगा.  वह गांव के एक आदमी को गवाह बनाकर लाएगा. लेकिन जिगर अपनी आदतों से बाज नहीं आएगा और वह फिर नयी चाल चलेगा.

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