हवा का प्रदूषण दुनिया में होने वाली मौतों के प्रमुख कारणों में से एक बन गया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लू.एच.ओ.) का अनुमान है कि लगभग 4.2 मिलियन समयपूर्व मौतें दुनिया में आसपास की हवा के प्रदूषण की वजह से हुई हैं. भारत भी वायु प्रदूषण का शिकार है और यहां पर ब्रोंकायल अस्थमा, हाईपर-रिएक्टिव एयरवे डिज़ीज़, एलर्जिक राईनिटिस एवं अन्य कई समस्याओं में तेजी से वृद्धि हुई है.

ब्रोंकोडाइलेटर्स, एंटी-एलर्जिक दवाईयों, नैसल ड्रौप्स एवं इस तरह की अन्य दवाईयों के उपयोग से प्रारंभिक चरण में तीव्र राहत मिल सकती है, लेकिन इनके परिणामस्वरूप इन दवाईयों पर निर्भरता बढ़ती है और इनकी खुराक व उपयोग की आवृत्ति में वृद्धि होती जाती है क्योंकि कम खुराक के लिए मरीज की प्रतिरक्षा कम हो जाती है.

होम्योपैथी के डौक्टर कल्याण बनर्जी के अनुसार होम्योपैथी में मरीजों को तीव्र एवं प्रभावशाली राहत प्रदान करने के अलावा उन्हें समस्या के दीर्घकालिक इलाज के लिए दवाईयों का परामर्श भी दिया जाता है. यदि पारंपरिक दवाईयों से अभी भी फायदा नहीं हुआ है, तो होम्योपैथी एक अच्छा विकल्प हो सकती है.

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होम्योपैथी लंबे समय से बच्चों में अस्थमा एवं हाईपरसेंसिटिविटी और एलर्जी जैसी अनेक बीमारियों के लिए लोकप्रिय इलाज है. बड़ी संख्या में मरीज साईड इफेक्ट के बिना दीर्घकालिक व स्थायी आराम के लिए होम्योपैथिक इलाज कराते हैं. होम्योपैथी दो तरह के दृष्टिकोण से इलाज करती है, पहला तो तत्काल राहत देना एवं दूसरा बीमारियों की आवृत्ति एवं तीव्रता को कम करना. इसलिए होम्योपैथी पारंपरिक इलाज के मुकाबले अलग है.

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