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6 साल की उम्र में ही टीवी की ‘इमली’ ने झेला ये दर्द, Parents का हो गया था तलाक

टीवी सीरियल इमली की लीड एक्ट्रेस सुंबुल तौकीर खान (Sumbul Touqeer Khan) यानी इमली अपनी एक्टिंग से दर्शकों के दिल पर राज करती है. वह घर-घर में इमली के करिदार में काफी मशहूर हैं. इमली ने काफी कम उम्र में टीवी इंडस्ट्री में अपनी पहचान बना ली है. तो आइए इस खबर में आपको इमली के जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें बताते हैं.

सुंबुल तौकीर खान (इमली) का बचपन बहुत तकलीफ में बीता है. जब वह बहुत छोटी थीं तो उनके माता-पिता का तलाक हो गया था.

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रिपोर्ट के मुताबिक सुंबुल 6 साल की थी तभी उनके Parents का तलाक हो गया था.  उन्होंने अपने पैरेंट्स के तलाक को लेकर भी बात की. उन्होंने कहा कि जब मैं 6 साल की थी तो मेरे पैरेंट्स का तलाक हो गया था, लाइफ बहुत अलग थी फिर भी मुश्किल नहीं थी क्योंकि मैं अपने पिता से प्यार करती थी. उन्होंने मेरी और मेरी बहन की देखभाल एक पिता और मां की तरह की है.

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एक इंटरव्यू के अनुसार सुंबुल ने बताया था कि मेरे पिता कई डांस रिएलिटी शोज के कोरियोग्राफर रह चुके हैं और वह हमेशा से चाहते थे कि उनकी बेटियां अपनी लाइफ में कुछ बड़ा करें. उन्होंने देखा कि मेरा और मेरी बहन की डांस में बहुत दिलचस्पी है तो वह हमें साल 2016 में दिल्ली से मुंबई लेकर आ गए.

 

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सुंबुल ने आगे बताया कि इसके बाद उन्होंने एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में अपनी किस्मत को आजमाना शुरू कर दिया. एक तरह से देखा जाए तो हमें पिता से ये एक्टिंग का कीड़ा मिला. मैंने और मेरी बहन ने दिल्ली में कृष्णा और राम लीला के कई प्ले किए हैं जहां से हमें एक्टिंग का शौक चढ़ा.

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हनी… प्रैग्नैंसी शादी के बाद

कई बार शादी से पहले ही लड़की का गर्भ ठहर जाता है. ऐसे कई मामले आसपास देखने को मिल जाते हैं. ऐसे मामले जैसेतैसे निबटा तो लिए जाते हैं पर इस के परिणाम बहुत बार लड़की को शारीरिक व मानसिक आघात पहुंचाते हैं

दोपहर को लगभग 1 बजा था. डाक्टर रमा श्रीवास्तव अपने अस्पताल में रोज की तरह इलाज के लिए आई महिलाओं को देख रही थीं. अगले मरीज के रूप में उन के सामने 24 साल की एक लड़की आई. डाक्टर रमा कुछ सवाल करतीं, उस से पहले ही लड़की बोल पड़ी-

‘‘बौयफ्रैंड से सैक्स करने के बाद मु?ो प्रैग्नैंसी कंसीव हो गई है. हम अभी शादी नहीं करना चाहते. इस कारण से एबौर्शन कराना चाहती हूं.’’

लड़की ने ऐसे आत्मविश्वास के साथ यह बात कही कि डाक्टर रमा चौंक गईं. वे संभल कर बोलीं, ‘‘तुम्हारे साथ कोई आया है, उसे अंदर बुला लो.’’

‘‘नहीं डाक्टर, मेरे साथ कोई नहीं आया है. एबौर्शन कराने भी मैं अकेली ही आऊंगी,’’ लड़की बोली.

‘‘तुम्हें इस बात का कोई अफसोस नहीं है कि तुम शादी से पहले मां बनने वाली हो. अगर वह लड़का शादी से इनकार कर देगा तो क्या होगा?’’ डाक्टर रमा ने उसे सम?ाने का प्रयास किया.

‘‘डाक्टर, मैं ने सैक्स अनजाने में नहीं किया. सेफ सैक्स पीरियड की गणना करने में गलती हो गई, जिस से प्रैग्नैंसी हो गई. मैं सर्विस में हूं. मु?ो इन बातों से ज्यादा फर्क नहीं पड़ता. मैं सेफ एबौर्शन चाहती हूं, इस के लिए आप के पास आई हूं.’’

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डाक्टर रमा लड़की के आत्मविश्वास और युवा पीढ़ी में आए बदलाव को महसूस करने की कोशिश कर रही थीं.

यह उदाहरण केवल एक डाक्टर के यहां देखने को नहीं मिलता है. दूसरे डाक्टरों से बात करने पर पता चलता है कि प्रैग्नैंसी को ले कर लड़कियों का नजरिया बदल रहा है.

डाक्टर नमिता के पास शाम को 6 बजे एक लड़की आई. अपनी परेशानी बताते उस ने कहा, ‘‘डाक्टर साहब, मु?ो एक माह की प्रैग्नैंसी थी. उस के एबौर्शन के लिए मैं ने एबौर्शन पिल्स खा ली थीं. उस के बाद मु?ो ब्लीडिंग हुई. दवा खाए 10 दिन बीत गए हैं. पर मु?ो अभी भी ब्लीडिंग होती है.’’

डाक्टर नमिता ने लड़की का अल्ट्रासांउड कर के देखा तो पाया कि एबौर्शन की दवा से लड़की के गर्भाशय की सफाई पूरी तरह से नहीं हुई है. गर्भ के कुछ टुकड़े उस में रह गए हैं, जिस से ब्लीडिंग हो रही है. इस के लिए डाक्टर ने लड़की को दोबारा एबौर्शन कराने की सलाह दी.

लड़की का लड़के से सैक्स रिलेशन है. जिस के चलते उसे प्रैग्नैंसी हो गई. लड़की ने यह भी बताया कि वे दोनों शादी नहीं करना चाहते. केवल दोस्ती को एंजौय कर रहे हैं. लड़की रात में एबौर्शन कराना चाहती थी. जिस से उसे रातभर अस्पताल में आराम करने को मिल जाए. अगले दिन वह सामान्य रूप से काम करना चाहती थी.

छोटे शहरों में भी बदली मानसिकता

शादी से पहले प्रैग्नैंसी को ले

कर मानसिकता में बदलाव केवल बड़े शहरों में ही नहीं हुआ है, छोटे शहरों में भी हालात बदल रहे हैं. लखनऊ के करीब के बाराबंकी जिले में रहने वाली एक लड़की का अपने दोस्त के साथ सैक्स करने से प्रैग्नैंसी कंसीव हो गई. यह बात उस के घरवालों को पता चली. वे लड़की का एबौर्शन कराने के लिए एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में ले गए. वहां मौजूद दाई ने लड़की का एबौर्शन करने के दौरान कोई गलत इंजैक्शन लगा दिया. जिस के बाद लड़की की हालत खराब होने लगी. लड़की को लखनऊ के सिविल अस्पताल भेजा गया. इस के पहले कि सिविल अस्पताल के डाक्टर उस का इलाज करते, लड़की की मौत हो गई.

उत्तर प्रदेश महिला आयोग के कार्यालय में शिकायत की एप्लीकेशन लिए भटक रही एक लड़की से उस के प्रेमी ने शादी का ?ांसा दे कर सैक्स संबंध बनाए. इस बीच वह गर्भवती हो गई. जब लड़की ने शादी करने के लिए लड़के पर दबाव डाला तो वह घरवालों की नाराजगी की बात कह कर दूर हट गया. प्रेमी को सबक सिखाने के लिए लड़की पहले एसपी, लखनऊ, के पास गई. इस के बाद महिला आयोग आ गई. लड़की के घरवाले पूरे मामले को जानते हैं. वे लड़की को एबौर्शन कराने की सलाह भी दे रहे थे.

कई लड़कियों के बीच किए गए सर्वे समाज के हालात पेश करते हैं. सर्वे में 23 प्रतिशत लड़कों और 21 प्रतिशत लड़कियों ने माना कि शादी से पहले सैक्स के हालात उन के सामने आए थे. 19 प्रतिशत लड़कों और 9 प्रतिशत लड़कियों ने माना कि

शादी से पहले उन लोगों ने सैक्स किया है. 28 प्रतिशत लड़कों और 49 प्रतिशत लड़कियों ने माना कि उन के परिवार के लोग इस बारे में जानते थे.

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बदनामी का भय नहीं

इस तरह की ज्यादातर समस्याएं सब से पहले अस्पतालों और पुलिस के पास पहुंचती हैं. लड़कियों की गुमशुदगी के ज्यादातर मामले प्रेम संबंधों के कारण होते हैं. इन में बहुत सारे मामलों में लड़कियां अपनी मरजी से प्रेमी के साथ घर से बाहर जाती हैं. कुछ दिनों बाद जब घरपरिवार की नाराजगी कम हो जाती है तो वापस लौट आती हैं. जिन की लड़कियां वापस आ जाती हैं वे पुलिस के पास यह बताने नहीं आते कि लड़की वापस आ गई है. जब कोई अनहोनी हो जाती है, तभी मामला पुलिस के पास आता है.’’

समाजशास्त्री डा. दीपा सनवाल कहती हैं, ‘‘पहले लड़कियों को बदनामी का डर होता था. इसलिए वे शादी से पहले प्रैग्नैंसी से बचती थीं. अब शहर बड़े हो गए हैं, लोग एकदूसरे से कम मतलब रखने लगे हैं. ऐसे में किसी के बारे में सामने वाले को कम पता होता है. अगर किसी को पता होता भी है तो वह कुछ समय के बाद भूल जाता है.

‘‘पहले शादी का रिश्ता आपसी लोगों ओर रिश्तेदारों द्वारा तय कराया जाता था. इस कारण बदनामी का असर ज्यादा होता था. अब वैवाहिक विज्ञापनों से शादी तय होती है. जहां पर एकदूसरे के बारे में इतनी जानकारियां नहीं हो पाती हैं. इसलिए लड़कियों का राज खुलने का भय खत्म हो गया है.’’

गर्भनिरोधकों का असर

डाक्टर रमा श्रीवास्तव कहती हैं, ‘‘गर्भ निरोधकों, इमरजैंसी पिल्स और एबौर्शन पिल्स जैसी दवाओं ने सैक्स के बाद गर्भ ठहरने के भय को खत्म कर दिया है. इमरजैंसी पिल्स का उपयोग रैगुलर गर्भनिरोधक के रूप में किया जा रहा है. सैक्स अब लड़कियों के लिए भी कोई अजूबा नहीं रह गया है. बहुत सारी लड़कियां तो अनहोनी होने के बाद सबक नहीं लेतीं. उन्हें यह सब एक ऐक्सिडैंट सा लगता है. दुर्घटना से लगी चोट के ठीक होने के बाद दोबारा वही गलती दोहराते समय किसी तरह का कोई भय दिल में नहीं रहता है.’’

डा. रमा आगे कहती हैं, ‘‘इमरजैंसी पिल्स रैगुलर प्रयोग करने से शरीर में कई तरह के बदलाव होने लगते हैं. हड्डियों की कमजोरी, कमरदर्द, हैवी ब्लीडिंग और बां?ापन जैसी मुसीबतें सामने आ सकती हैं. इस के अलावा बिना बाहरी सुरक्षा के सैक्स करने से यौनरोग और एड्स जैसी जानलेवा बीमारियां भी हो सकती हैं. इमरजैंसी पिल्स केवल इमरजैंसी के लिए होती हैं, इन को रैगुलर लेना ठीक नहीं होता. इन के असर से पीरियड्स रैगुलर नहीं होते.’’

जल्दी हो जाती है शादी

शादी से पहले प्रैग्नैंसी की लाख हानियों के बाद भी इस का समर्थन करने वालों के भी रोचक तर्क हैं. 3 साल से लिवइन रिलेशनशिप में रह रही वंदना बताती है, ‘‘हम लोग शादी के लिए समय नहीं निकाल पा रहे थे. उसी बीच एक बार गर्भ ठहर जाने के बाद हम लोग शादी करने के लिए तैयार हो गए. हम ने अपने घरों में भी बात कर ली और वे लोग इस बात के लिए तैयार हो गए कि गर्भ का पता चलने से पहले ही शादी कर लो. वे चाहते थे कि समाज में बात फैलने से पहले शादी हो जाए.’’

लिवइन रिलेशनशिप जैसे मुद्दों पर कानूनी और सामाजिक स्वीकृति मिलने के बाद डर पूरी तरह से खत्म हो गया है. लड़कियों को लगता है कि शादी से पहले गर्भवती होने के बाद जो प्रेमी शादी के लिए समय नहीं निकाल पा रहा था वह तुरंत इस के लिए तैयार हो जाता है. कुछ अविवाहित सैलिब्रिटी जब शादी के बिना बच्चा पैदा करने की बात कहते हैं तो समाज के लोगों को उस से बल मिलने लगता है. सैक्स अब पहले जैसा हौआ नहीं रहा.

शादी तक रहता है तनाव

शादी से पहले अगर गर्भ ठहर गया है तो तब तक मन परेशान रहता है जब तक शादी न हो जाए. यह तनाव मां और उस के पेट में पलने वाले बच्चे दोनों के लिए घातक होता है. बिना शादी के गर्भ ठहरने का रिस्क लेना भूल होती है. घरपरिवार के लोग भले ही दबाव में बात को मान लें पर पूरी जिंदगी एक कांटा सा मन में चुभता रहता है. कभीकभी पैदा होने वाले बच्चे को बड़े होने पर यह पता चलता है तो उसे भी खराब लगता है. तर्क कुछ भी दिए जाएं, पर शादी से पहले गर्भवती होना ठीक नहीं होता है. समाज की मानसिकता अभी नहीं बदली है.

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कई बार शादी से सगाई के बीच के समय में भी यह हो जाता है. ऐसे में कभीकभी शादी टूट जाने की घटना भी घट जाती है. मन पर जब तक सबकुछ सही से न हो जाए तब तक तनाव बना रहता है. प्रैग्नैंसी का सुखद एहसास मन नहीं कर पाता है. शादी से पहले गर्भवती होने में खतरे ज्यादा हैं. शायद यही वजह है कि लड़कियां ऐसे मामलों में सब से पहले गर्भ से छुटकारा पाना चाहती हैं. इस के लिए वे गोलियों से ले कर एबौर्शन तक का उपाय करती हैं जो कई तरह की बीमारियों को जन्म देती हैं. इसलिए शादी से पहले प्रैग्नैंसी को भूल जाना ही सम?ादारी होती है.

पौधशाला में जीवनाशी एकीकृत प्रबंधन

एक ही समय पर किसान खेत की जुताई कर के उस में गोबर, कंपोस्ट व बालू मिला कर अच्छी तरह तैयार कर लें. पौधशाला की क्यारी बनाते समय यह भी ध्यान रखें कि वह जमीन से 6-8 सैंटीमीटर उठी हुई हो और चौड़ाई 80-100 सैंटीमीटर ही रखें.

पौधशाला में ट्राईकोडर्मा और सड़ी हुई गोबर की खाद का मिश्रण अच्छी तरह से मिलाएं. जीवाणु आधारित स्यूडोसैल की 25 ग्राम प्रति वर्गमीटर के हिसाब से मिट्टी में मिला कर बोआई करें.

बीजों की बोआई करते समय पौधशाला में बीज से बीज व लाइन से लाइन व बीज की गहराई का खास ध्यान रखें.

पौधों को जमने के बाद ट्राईकोडर्मा का 10 ग्राम प्रति लिटर पानी में घोल तैयार कर छिड़काव करें. पौधशाला में पौध उखाड़ते समय सही नमी होनी चाहिए.

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रोपाई के एक दिन पहले पौधशाला में से निकाल कर पौधे को ट्राईकोडर्मा 10 ग्राम प्रति लिटर पानी के हिसाब से खेत में छायादार जगह पर एक फुट गहरा गड्ढा खोद कर उस में पौलीथिन शीट बिछा कर नाप कर पानी भर कर दें और जरूरी मात्रा में ट्राईकोडर्मा को मिला लें, फिर उस में पौधे के गुच्छे बना कर रातभर खड़ा कर दें, जिस से निकट भविष्य में फसल में रोग लगने का खतरा खत्म हो जाता है.

सही समय पर किसान खेत की जुताई कर के उस में गोबर, कंपोस्ट व बालू मिला कर अच्छी तरह तैयार कर लें. पौधशाला की क्यारी बनाते समय यह भी ध्यान रखें कि वह जमीन से 6-8 सैंटीमीटर उठी हुई हो और चौड़ाई 80-100 सैंटीमीटर ही रखें.

पौधशाला में ट्राईकोडर्मा और सड़ी हुई गोबर की खाद का मिश्रण अच्छी तरह से मिलाएं. जीवाणु आधारित स्यूडोसैल की 25 ग्राम प्रति वर्गमीटर के हिसाब से मिट्टी में मिला कर बोआई करें.

बीजों की बोआई करते समय पौधशाला में बीज से बीज व लाइन से लाइन व बीज की गहराई का खास ध्यान रखें.

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पौधों को जमने के बाद ट्राईकोडर्मा का 10 ग्राम प्रति लिटर पानी में घोल तैयार कर छिड़काव करें.

पौधशाला में पौध उखाड़ते समय सही नमी होनी चाहिए.

रोपाई के एक दिन पहले पौधशाला में से निकाल कर पौधे को ट्राईकोडर्मा 10 ग्राम प्रति लिटर पानी के हिसाब से खेत में छायादार जगह पर एक फुट गहरा गड्ढा खोद कर उस में पौलीथिन शीट बिछा कर नाप कर पानी भर कर दें और जरूरी मात्रा में ट्राईकोडर्मा को मिला लें, फिर उस में पौधे के गुच्छे बना कर रातभर खड़ा कर दें, जिस से निकट भविष्य में फसल में रोग लगने का खतरा खत्म हो जाता है.

चुनाव और प्रलोभन: रोग बना महारोग

चुनाव का सीधा मतलब अब कोई न कोई लोभ या प्रलोभन हो गया है. लगभग सभी राजनीतिक पार्टीयां मतदाताओं को लुभाने का प्रयास कर रही है और यह सीधा सीधा लाभ नकद रुपए  और अन्य संसाधन का है जिसे सारा देश देख रहा है और संवैधानिक संस्थाएं तक असहाय स्थिति में दिखाई दे रही है, कुछ नहीं कर पा रही है.

क्या हमारे संविधान में कोई ऐसा प्रावधान है कि राजनीतिक दल देश के मतदाताओं को किसी भी हद तक लुभाने के लिए स्वतंत्र हैं? और मतदाता अपना विवेक गिरवी रख कर के अपने मत को ऐसे राजनेताओं को बेच देंगे जो सत्तासीन होकर 5 साल उन्हें भूला बैठते हैं क्या यह उचित है कि चुनाव जीतने के लिए लैपटॉप, स्कूटी, मोबाइल, रुपए पैसे दिए जाना आवश्यक हो, क्या अब विकास का मुद्दा पीछे रह गया है. क्या देश की अन्य महत्वपूर्ण मसले पीछे रह गए हैं कि हमारे नेताओं को रुपए पैसे का लाली पॉप मतदाताओं को देना अनिवार्य हो गया है या फिर यह सब गैरकानूनी है.

अब देश के उच्चतम न्यायालय ने इस मसले पर एक्शन ले लिया है और अब देखना यह है कि आगे आगे होता है क्या, क्या रुपए पैसे का लोभ लालच पर अंकुश लग जाएगा या फिर  और बढ़ता चला जाएगा यह प्रश्न आज हमारे सामने मुंह बाए खड़ा है.

विगत 25 जनवरी को उच्चतम न्यायालय  ने कहा है-” चुनाव में राजनीतिक दलों के मुफ्त सुविधाएं देने के वादे करना एक गंभीर मुद्दा है.”

प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण, न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने इस मामले को लेकर देश में चुनाव संपन्न कराने वाली संवैधानिक संस्था “चुनाव आयोग” और केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर दिया है.

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चुनाव में “माले मुफ्त दिल ए बेरहम”जैसी हरकतें कर रहे राजनीतिक दलों  की मान्यता रद्द करने की मांग करने वाली एक याचिका पर सुनवाई करते हुए पीठ ने यह कदम उठाया. इसके बाद अब यह बहुत कुछ संभव है कि आने वाले समय में कोई निर्णायक परिणाम सामने आ जाए.

आपको यह बताते चलें कि सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति रमण ने कहा- ‘अदालत जानना चाहती है कि इसे कानूनी रूप से कैसे नियंत्रित किया जाए. क्या ऐसा इन चुनावों के दौरान किया जा सकता है? या इसे अगले चुनाव के लिए किया जाए.निश्चित ही यह एक गंभीर मुद्दा है, क्योंकि मुफ्त बजट तो नियमित बजट से भी तेज है.”

दरअसल,देश की चुनाव व्यवस्था और राजनीतिक दलों की मुफ्त घोषणाओं पर यह सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण और गंभीर तंज है.

 रहस्यमय निंद्रा में चुनाव आयोग

लंबे समय से देश में चुनाव आयोग मतदाताओं को लुभाने के लिए राजनीतिक दलों द्वारा की जा रही घोषणाओं पर एक तरह से चुप्पी साथ कर बैठा हुआ है. लोकसभा हो या विधानसभा चुनाव उसे निष्पक्ष संपन्न करवाने की जिम्मेदारी देश के संविधान ने चुनाव आयोग को सौंपी है और यह चुनाव आयोग  केंद्र सरकार की मुट्ठी में रहा है. ऐसे में राजनीतिक दलों के द्वारा किए जा रहे असंसदीय व्यवहार और कानून की दृष्टि से गलत सलत व्यवहार को देखते हुए भी  अनदेखा करता रहा है. अन्यथा लगभग 40 वर्ष पूर्व शुरू हुए मतदाताओं को लुभाने के प्रयासों पर प्रारंभ में ही अंकुश लगाया जा सकता था.

दक्षिण के बड़े नेता अन्नादुरई ने बहुत सस्ते में मतदाताओं को चावल देने की घोषणा के साथ यह चुनावी प्रलोभन की यात्रा शुरू हुई है, जिसके बाद एन टी रामाराव ने आंध्र प्रदेश में इसे आगे बढ़ाया.

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वर्तमान में उत्तर प्रदेश चुनाव में जो अपने सबाब पर है अखिलेश यादव ने मतदाताओं को लुभाने के लिए घोषणाओं की झड़ी लगा दी है अगर हमारी सरकार आई तो हम यह देंगे वह देंगे इसी तरह कांग्रेस की चुनाव कमान संभालने वाली प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी उत्तर प्रदेश चुनाव में मतदाताओं को कांग्रेस की सरकार बनने पर बहुत कुछ फ्री में देने का ऐलान कर दिया है.

पंजाब में कांग्रेस के नवजोत सिंह सिद्धू ने भी पीछे मुड़कर नहीं देखा और फ्री में बहुत कुछ देने की योजनाएं जारी कर दी हैं. अब यह रोग देश भर में महारोग बन चुका है. यही कारण है कि उच्चतम न्यायालय ने इसे गंभीरता से लिया है.

आपको यह बताते चलें कि चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों के साथ एक बैठक कर उनसे उनके विचार जानना चाहा था और फिर यह मुद्दा ठंडे बस्ते में चला गया था.

उच्चतम न्यायालय में मतदाताओं को प्रलोभन वाली यह याचिका भाजपा नेता और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने दायर की है. याचिका में कहा गया है कि राजनीतिक दलों के चुनाव के समय मुफ्त चीजें देने की घोषणाएं मतदाताओं को अनुचित रूप से प्रभावित करती हैं. इससे चुनाव प्रक्रिया भी प्रभावित होती है और यह निष्पक्ष चुनाव के लिए ठीक नहीं है.

पीठ ने सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के सुब्रह्मण्यम बालाजी बनाम तमिलनाडु सरकार मामले के एक पुराने फैसले का भी उल्लेख किया. उसमें अदालत ने कहा था कि चुनावी घोषणा पत्र में किए गए वादों को जन प्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा 123 के तहत भ्रष्ट आचरण के रूप में नहीं माना जा सकता है. इस बारे में अदालत ने चुनाव आयोग को राजनीतिक दलों के परामर्श से आदर्श आचार संहिता में शामिल करने की सलाह दी थी. याचिकाकर्ता की तरफ से वरिष्ठ वकील  ने दलील दी कि इस मामले में केंद्र सरकार से हलफनामा तलब करना चाहिए. राजनीतिक दल किसके पैसे के बल पर रेवड़ियां बांटने के वादे कर रहे हैं.  राजनीतिक दल मुफ्त उपहार की पेशकश कर रहे हैं.हर पार्टी एक ही काम कर रही है. इस पर न्यायमूर्ति रमण ने उन्हें टोका और पूछा कि अगर हर पार्टी एक ही काम कर रही है तो आपने अपने हलफनामे में केवल दो पार्टियों का ही नाम क्यों लिया है. जवाब में वकील साहब ने कहा कि वे पार्टी का नाम नहीं लेना चाहते. पीठ में शामिल न्यायमूर्ति हिमा कोहली ने उनसे पूछा कि आपके बयानों में काफी कुछ स्पष्ट है. याचिकाकर्ता के वकील का सुझाव था कि इस तरह की गतिविधि में लिप्त पार्टी को मान्यता नहीं देनी चाहिए.

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अब देखिए आगे क्या होता है क्या उच्चतम न्यायालय यह इस कदम से देश में आने वाले चुनाव में लोभ प्रलोभन का खेल बंद होगा या फिर यह बढ़ता ही चला जाएगा.

Crime Story: सावधान! झक मारना नहीं है औनलाइन फिशिंग

किसी को किसी खबर की सही जानकारी देने का काम मीडिया से जुड़े लोग करते हैं. उन का नैटवर्क बड़ा जबरदस्त होता है. इस के अलावा उन्हें बहुत सी एजेंसियां खबरें देती हैं, जिन्हें वे टैलीविजन, अखबार, पत्रिका वगैरह से भाषा और तथ्यों के तौर पर सही कर के जनता के सामने पहुंचाते हैं.
लेकिन बहुत बार खबरें गलत निकल आती हैं. कई बार तो इतनी ज्यादा कि मीडिया वाले भी गच्चा खा जाते हैं. दुख और हैरत की बात तो यह है कि आजकल जब कोई मुसीबत में घिरता है, तो सोशल मीडिया पर उसे हमदर्दी देने वालों के साथसाथ ट्रोल कर के मजाक बनाने वाले भी कम नहीं होते हैं.
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एक बड़ा ही अजीब मामला देखते हैं. देश के एक नामी खबरिया चैनल एनडीटीवी की पत्रकार रह चुकीं निधि राजदान ने शुक्रवार, 15 जनवरी, 2021 को ट्वीट कर के उन के साथ हुए बेहद गंभीर औनलाइन फर्जीवाड़े का खुलासा किया.
निधि राजदान ने दुखी मन से बताया कि उन्हें हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में बतौर प्रोफैसर पत्रकारिता की पढ़ाई कराने का जो औफर दिया गया था, वह फर्जी निकला. बात इतनी ही नहीं है कि वे फर्जीवाड़े का शिकार हुईं, बल्कि इसी उम्मीद में उन्होंने पिछले साल एनडीटीवी में अपने 21 साल के कैरियर को अलविदा कह दिया था, ताकि वे हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में जा कर अपने नए काम को ऐंजौय कर सकें.
निधि राजदान ने ट्विटर पर अपने बयान में कहा, ‘मुझे यह यकीन दिलाया गया था कि मैं सितंबर में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाने का काम शुरू करने वाली हूं. लेकिन जब मैं अपनी नई जौब के लिए तैयारी भी कर रही थी तो मुझे बताया गया कि कोरोना की महामारी के चलते कक्षाएं जनवरी में शुरू होंगी.’
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निधि राजदान का कहना है कि हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पत्रकारिता की पढ़ाई कराने के औफर में हो रही देरी को ले कर कुछ गड़बड़ी का अंदेशा उन्हें हो गया था, लेकिन उन्हें बताया गया था कि प्रशासनिक खामियों के चलते ऐसी देरी हो रही है.
पर बाद में निधि राजदान ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के बड़े अफसरों से संपर्क साधा. तब जा कर इस धोखाधड़ी का खुलासा हुआ कि यूनिवर्सिटी की तरफ से ऐसा कोई औफर लैटर नहीं भेजा गया है.
एक और मामला देखते हैं. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के रहीमनगर की रहने वाली शिवानी वारा ने नौकरी के लिए ‘शाइन डौटकौम’ पर औनलाइन आवेदन किया था. शिवानी के मोबाइल फोन पर 19 अगस्त, 2020 को एक काल आई, जिस में एक महिला ने खुद को एक नामी बैंक की एचआर मैनेजर होने का दावा किया और शिवानी को अपने बैंक में नौकरी का औफर दिया.
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शिवानी को भरोसे में लेने के बाद उस महिला ने ह्वाट्सएप पर एक लिंक भेजने की बात कही और बताया कि इस के जरीए उन्हें अपना आवेदन करना होगा और रजिस्ट्रेशन के लिए 10 रुपए की मामूली रकम अपने डेबिट या क्रेडिट कार्ड से चुकानी होगी.
शिवानी जब राजी हो गई तब उस महिला ने ह्वाट्सएप पर एक लिंक भेजा, जो असल में फिशिंग लिंक था.
दरअसल, वह महिला एक ठग गिरोह से थी और उस गिरोह ने 2 फर्जी वैबसाइट बना रखी थीं, जिन के जरीए फिशिंग लिंक भेजे जाते थे, जिस के बाद सौफ्टवेयर की मदद से रिमाेट ऐक्सैस हासिल कर ली जाती थी यानी शिकार के क्रेडिट या डेबिट कार्ड से भुगतान करने के दौरान गिरोह बिना उस की जानकारी के उस के खाते से मनचाही रकम निकाल लेते थे.
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यह गिरोह अब तक 700 से ज्यादा लोगों को अपने जाल में फंसा कर करोड़ों रुपए की ठगी कर चुका था. शिवानी ने जब रजिस्ट्रेशन के लिए 10 रुपए की औनलाइन पेमेंट की तो उस के खाते से 1,000 रुपए निकल गए. शिवानी द्वारा शिकायत करने पर गिराेह ने रकम रिफंड करने का झांसा दे कर दोबारा फिशिंग लिंक भेजा और शिवानी के रिफंड की जाने वाली रकम 990 रुपए भरते ही उन के खाते से इस बार 49,000 रुपए निकाल लिए गए. इतना ही नहीं, इस के बाद फिर शिवानी को रकम रिफंड करने का भरोसा दिला कर इसी तरह उन के खाते से एक बार और 49,000 रुपए उड़ा लिए गए.
अपने साथ हुई तिहरी ठगी के बाद शिवानी ने महानगर कोतवाली में घटना की रिपोर्ट दर्ज कराई, जिस के बाद मामले में पुलिस ने गाजियाबाद के आरडीसी राजनगर पर बने देविका चैंबर से दिल्ली के राजीव नगर निवासी सरगना शादाब उर्फ रोहन राठौर, गाजियाबाद निवासी अंकित व महबूब के अलावा 9 महिलाओं को गिरफ्तार किया, जहां सभी आरोपी काल सैंटर के जरीए ठगी कर रहे थे.
इन लोगों के कब्जे से 3 लैपटौप, 19 मोबाइल फोन, 4 एटीएम कार्ड व दूसरे तमाम दस्तावेज बरामद किए गए.
पुलिस के मुताबिक, यह गिरोह ठगी के लिए फर्जी नामपतों पर सिमकार्ड लेता था और ठगी में इस्तेमाल किए गए सिमकार्ड 15 दिन बाद बदल दिए जाते थे. औनलाइन खरीदारी के लिए भी फर्जी नामपतों पर खोले गए खातों का इस्तेमाल किया जाता था.
कुछ इसी तरह फरीदाबाद साइबर सैल ने क्रेडिट कार्ड के पौइंट कैश करने के नाम पर धोखाधड़ी करने वाले एक गिरोह का भंडाफोड़ किया. पकड़े गए 4 लोगों से 60,000 रुपए, मोबाइल फोन, 65 फर्जी सिमकार्ड व अलगअलग बैंकों के डैबिट कार्ड बरामद हुए.
ऐसा आरोप है कि पकड़े गए लोग अपने शिकार क्रेडिट कार्ड होल्डरों को फिशिंग पेज का लिंक भेज कर उन के क्रेडिट कार्ड व ईमेल की जानकारी हासिल कर के खातों से उन की मरजी के बिना पैसे निकाल लेते थे. इतना ही नहीं, पकड़े गए लोगों के बैंक खातों में तकरीबन एक से डेढ़ करोड़ रुपए का ट्रांजैक्शन होने की बात सामने आई और उन्होंने एनसीआर में इस वारदात को अंजाम देना स्वीकारा.
यह है मामला
3 साल पहले की बात है. फरीदाबाद के सैक्टर-3 के सुनील मंडल ने 5 फरवरी, 2018 को पुलिस में सूचना दी कि 2 जनवरी, 2108 को उन के कार्ड से औनलाइन खरीदारी की गई है, जबकि उन्होंने कोई खरीदारी नहीं की थी. उन्होंने अपना डाटा किसी से साझा भी नहीं किया था.
इस शिकायत पर सैक्टर-7 थाना पुलिस ने केस दर्ज कर किया और पुलिस कमिश्नर के निर्देश पर साइबर सैल ने मामले की जांच शुरू कर दी.
साइबर सैल ने तकनीक मदद से 14 व 15 फरवरी, 2018 को विकास झा निवासी रामनगर ऐक्सटैंशन गली नंबर 1, लोनी रोड, शहादरा दिल्ली व अविनाश भारद्वाज निवासी संजय एंक्लेव, उत्तम नगर, दिल्ली को गिरफ्तार किया.
उन दोनों से हुई कड़ी पूछताछ में सामने आया है कि 2 लोग उन्हें फर्जी मोबाइल सिमकार्ड व बैंक खाता मुहैया कराते हैं. इस के बाद पुलिस टीम ने 24 व 25 फरवरी, 2018 को तरुण पाल निवासी सैक्टर-9, विजय नगर, गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश व हिमांशु उर्फ सोनू शर्मा निवासी गांव गोकुल महल्ला, थाना महावन, जिला मथुरा को गिरफ्तार किया.
पुलिसिया पूछताछ में पता चला कि ये लोग भारतीय स्टेट बैंक, आरबीएल बैंक व कोटेक महिंद्रा बैंक के क्रेडिट कार्ड होल्डरों को फिशिंग पेज का लिंक भेज कर उन के क्रेडिट कार्ड व ईमेल की जानकारी हासिल कर लेते थे, जिस के बाद फर्जी सिमकार्ड व बैंक खाते दिलाने में आरोपी तरुण पाल व हिमांशु उर्फ सोनू मदद करते थे. जब भी कोई ग्राहक अपने मोबाइल नंबर से आधार लिंक कराने के लिए दुकान पर जाता तो तरुण पाल उस का अंगूठा लगवा कर एक सिमकार्ड चालू करा कर अपने पास रख लेता था, बाद में उस के नंबर को आधार से लिंक करता था. इस के बाद ठगी का पूरा खेल चलता था.
क्या है यह फिशिंग 
सवाल उठता है कि निधि राजदान ने अपने साथ हुई जिस धोखाधड़ी को ‘फिशिंग’ का नाम दिया है, उस का मतलब क्या होता है? दरअसल, फिशिंग एक तरह की औनलाइन धोखाधड़ी है जिस के जरीए लोगों को अपनी निजी जानकारियां जैसे बैंक की डिटेल या पासवर्ड साझा करने के लिए कहा जाता है.
यह जालसाजी करने वाले लोग अपनेआप को किसी नामी कंपनी का नुमांइदा बताते हैं और अपने शिकार को अपनी बातों के जाल में उलझा कर उन से उन की निजी जानकारियां हासिल कर लेते हैं.
ये लोग अपने शिकार के पास मैसेज भेजते हैं, उन से ईमेल के जरीए संपर्क करते हैं या फिर फोन भी कर सकते हैं. इस से शिकार लोगों को लगता है कि मैसेज, ईमेल या फोन काल उन के ही बैंक या सर्विस देने वाले की तरफ से आया है.
इस फिशिंग के शिकार लोगों को कहा जाता है कि उन्हें अपने बैंक खाते के ऐक्टिवेशन या सिक्योरिटी चैक के लिए कुछ अहम जानकारियां देनी होंगी. ऐसा नहीं करने में शिकार का खाता बंद किया जा सकता है. इस बात से डरे या किसी लालच में आए लोग अपने निजी जानकारी साझा कर देते हैं.
इस के बाद फिशिंग के शिकार को एक फर्जी वैबसाइट पर ले जाया जाता है जो एकदम असली लगती है. उसे उस वैबसाइट में जा कर अपनी निजी जानकारियां देने के लिए कहा जाता है.
जैसे ही शिकार अपनी निजी जानकारी उस में डालता है, साइबर अपराधी उन जानकारियों का इस्तेमाल कर के लूट लेते हैं.
ऐसे करें बचाव
-किसी अनजान जगह से आने वाले फोन, ईमेल और मैसेज से हमेशा सावधान रहें.
-याद रखिए कि बड़ी कंपनियां कभी भी किसी से उस की निजी जानकारी फोन या ईमेल से नहीं मांगती हैं.
-जब कोई आप को किसी लिंक पर क्लिक करने के लिए कहता है तो कभी क्लिक न करें.
-जरा सा भी शक होने पर आप कंपनी को फोन से जानकारी ले सकते हैं. इस के लिए वही फोन नंबर इस्तेमाल करें जो बैंक स्टेटमैंट, फोन बिल या डेबिट कार्ड के पीछे लिखा हो.
-जरा सा शक होने पर पुलिस को जानकारी दें. किसी तरह के लालच में कतई न फंसें.
इस तरह की औनलाइन फिशिंग में कोई आम आदमी किसी तरह के लालच में फंस कर गलती कर के ठगी का शिकार हो सकता है, पर जब किसी खबरिया चैनल का तथाकथित सर्वज्ञानी एंकर भी खुद से जुड़ी जानकारी को चैक करने में गच्चा खा जाए तो सवाल उठना लाजिमी है कि यह लापरवाही क्या कोई खबर देने में भी बरती जाती है?
अगर ऐसा है तो जनता को खबर के रूप में जो जानकारी मिल रही है उस की विश्वसनीयता शक के दायरे में आ जाती है, क्योंकि ‘सब चलता है’ वाली सोच तो भाषाई पत्रकारिता में ही पहले दिखती थी जो बड़े प्रकाशनों से खबर लेते थे. अब अगर यह इंगलिश पत्रकारिता में भी पैठ बना चुकी है, तो बड़े दुख की बात है.

Winter 2022: क्या मोटापा आपको बोझ लगने लगा है

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज शहर की रहने वाली वर्निका शुक्ला खुद को उत्तर प्रदेश की पहली प्लस साइज मौडल बताती हैं. उन्होंने नैशनल लैवल की कई सौंदर्य प्रतियोगिताएं जीती हैं. वे मौडलिंग करती हैं और साथ ही सिंगल मदर्स के लिए ‘मर्दानी द शेरो’ संस्था भी चलाती हैं. वे टीचर हैं. वे इतने काम करती हैं कि उन्हें देख कर कोई यह नहीं कह सकता कि प्लस साइज सुंदर नहीं होता.

वर्निका शुक्ला कहती हैं, ‘‘भारत में औरतों की 36-24-36 फिगर को परफैक्ट माना जाता है, जबकि यहां ज्यादातर लोगों को महिलाओं की कर्वी बौडी शेप अच्छी लगती है. विद्या बालन जैसी अभिनेत्री प्लस साइज के बावजूद सफलता के मानदंड स्थापित कर चुकी हैं.’’

प्लस साइज को ले कर फैशन की दुनिया बदल चुकी है. वर्निका बताती हैं कि अब फैशन वीक में प्लस साइज का अलग राउंड होता है. फैशन के तमाम स्टोर ऐसे हैं, जिन में प्लस साइज के कपड़े मिलते हैं. ऐसे कपड़ों के लिए प्लस साइज मौडलिंग की जरूरत होती है. ऐसे में अब प्लस साइज को ले कर परेशान होने की जरूरत नहीं है. अब इस की पहचान बन रही है.

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साइज नहीं सोच बदलिए

समाज में तमाम तरह के लोग रहते हैं. इन में बहुत सारे ऐसे होते हैं जो मोटे होने के बाद भी अपना काम सही तरह से करते हुए ऐक्टिव रहते हैं और कुछ ऐसे भी होते हैं जो उतने मोटे तो नहीं होते हैं पर परेशान रहते हैं. अपने मोटापे को कम करने में ही लगे रहते हैं.

साइको थेरैपिस्ट नेहा आनंद मानती हैं, ‘‘मोटापा भी अपनेआप में एक मनोवैज्ञानिक परेशानी है. अगर आप यह सोच कर बैठ गए कि आप मोटे हैं और कोई काम नहीं कर सकते तो सच में आप कोई भी काम नहीं कर पाएंगे. अपना मोटापा आप को बोझ लगने लगेगा. अगर आप अपना खानपान सही रख रहे हैं और ऐक्सरसाइज कर के शरीर को फिट रख रहे हैं, तो मोटापा कभी आप की राह में रोड़ा नहीं बन सकता है.’’

यह जान लेना बहुत जरूरी है कि फैट शरीर के लिए बहुत जरूरी होता है. यह बौडी के बायोलौजिकल फंक्शन में खास रोल अदा करता है. फैट की एक फाइन लाइन होती है. अगर मोटापे की फाइन लाइन पेट के आसपास क्रौस कर जाती है तो खतरा बढ़ जाता है. लड़कियों को अपनी वेस्ट लाइन 35 इंच से कम और लड़कों को 40 इंच से कम रखनी चाहिए.

डाइट से करें फैट कंट्रोल

पेट भरने के लिए खाना न खाएं. खाना खाते समय इस बात का खयाल रखें कि वह ऐसा हो, जिस से शरीर को अच्छी मात्रा में कैलोरी मिल सके. कुछ खाद्यपदार्थ ऐसे होते हैं कि उन के खाने से पेट भर जाता है पर कैलोरी सही मात्रा में नहीं मिलती. केवल फैट बढ़ता है. जितनी कैलोरी खाने के जरीए आप ले रहे हैं उसे बर्न करने के लिए भी उतनी मेहनत करनी चाहिए. एक शरीर को 1600 कैलोरी की जरूरत होती है. यदि काम कम करते हों तो 1000 से 1200 के बीच कैलोरी लेनी चाहिए. अखरोट, बादाम, मस्टर्ड औयल और दालों में फैट को कम करने वाले पदार्थ पाए जाते हैं.

फ्राइड आइटम्स की जगह भुने स्प्राउट्स लें. इन से पेट भी भर जाता है और बौडी को पौष्टिक आहार भी मिल जाता है. डाइट शैड्यूल को प्लान करते समय लिक्विड आइटम्स को भी प्लान करें. नारियल पानी और मौसमी के जूस का ज्यादा प्रयोग करने से फैट नहीं बढ़ता है. फैट को कम करने के लिए किसी स्लिमिंग सैंटर जाने के बजाय कुछ ऐक्सरसाइज करें. मोटापा शरीर से मिलने और खर्च होने वाली कैलोरी के बीच असंतुलन से बढ़ता है. इस के अलावा जब ज्यादा फैट वाले आहार का प्रयोग किया जाता है तो भी मोटापा बढ़ता है.

ऐक्सरसाइज न करने और बैठेबैठे काम करने वालों में भी यह परेशानी बढ़ती है. कुछ लोग मानसिक तनाव में भी ज्यादा भोजन करने लगते हैं. इस से भी मोटापा बढ़ जाता है. किशोरावस्था में होने वाला मोटापा बड़ा होने पर बना रहता है. महिलाओं में कुछ शारीरिक बदलाव होने पर मोटापा बढ़ता है. गर्भावस्था के समय भी मोटापा बढ़ती है. बौडी का अपेक्षित वजन बौडी की लंबाई के हिसाब से होना चाहिए, जिस से उस की शारीरिक बनावट अच्छी लगे. बौडी मास शरीर के वजन को नापने का सब से सही उपाय है. बौडी मास इनडैक्स (बीएमआई) को नापने के लिए लंबाई को दोगुना कर के वजन किलोग्राम से भाग दे कर निकाला जाता है.

सैक्स में बाधक नहीं मोटापा

ज्यादातर लोगों का मानना है कि मोटापा सैक्स में बाधक होता है. सैक्स से संतुष्ट न होने के कारण वैवाहिक जीवन में भी दरार पड़ जाती है. जिन लोगों में मोटापा उन की पर्सनैलिटी को खराब नहीं करता लोग उन के प्रति आकर्षित होते हैं और उन्हें सैक्स करने में परेशानी नहीं आती. अगर कोई साथी मोटा है तो दूसरे को उसे सैक्स के लिए तैयार करने का प्रयास करना चाहिए. सैक्स के दौरान उन क्रियाओं को अपनाना चाहिए, जिन से मोटापा सैक्स में बाधा न डाल सके. मोटापे में शरीर जल्दी थक जाता है.

मोटापे की शिकार महिलाओं और पुरुषों की अलगअलग परेशानियां होती हैं. मोटापे को सहज भाव में ले कर सैक्स क्रियाओं में बदलाव कर के उस का मजा लिया जा सकता है. मोटापे के शिकार व्यक्ति को लगता है कि वह अपने साथी को सैक्स में संतुष्ट नहीं कर पा रहा. इसलिए उसे अपने मन में यह हीनभावना न रख अपने साथी की जरूरतों को समझ उस का साथ देना चाहिए.

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तनमन से रहें फिट

मोटापे के लिए अपने ही पुराने समय से तुलना करना सही नहीं होता है. अकसर लोग अपने पहले के फोटो देखते हुए कहते हैं कि पहले मैं ऐसा था. मैं दुबलापतला था तो कितना आकर्षक लगता था. इस सोच से मोटापा डिप्रैशन के लिए मददगार हो जाता है. हम हर समय मोटापे के बारे में ही सोचते रहते हैं. यह सोच अच्छी नहीं है कि जब मैं 20 साल का था तो दुबलापतला और आकर्षक था. अब शायद मैं उतना आकर्षक नहीं दिख सकूंगा.

शारीरिक आकर्षण ही सबकुछ नहीं

नेहा आनंद कहती हैं, ‘‘शारीरिक आकर्षण ही जरूरी नहीं होता है. आदमी अपने को तब ज्यादा परेशान महसूस करता है जब उसे मोटे की जगह बेवकूफ समझा जाए. बाहरी सुंदरता को ज्यादा अहमियत नहीं देनी चाहिए. आदमी में अनुशासन, परिश्रम और काम के प्रति ईमानदारी की भावना उसे आकर्षक बनाती है.’’

120 किलोग्राम वजन के दिवाकर का कहना है, ‘‘मेरे मोटापे को देख कर डाक्टर कहता है कि डायबिटीज और ब्लडप्रैशर से दूर रहने के लिए मुझे 6 माह में 20-25 किलोग्राम वजन कम करना चाहिए. इस के बाद भी मुझे लगता है कि मैं अभी भी 5 पीस वाला पिज्जा 3-4 घंटे में खा सकता हूं. मेरा मानना है कि लाइफ बहुत छोटी है. इसे अपनी तरह से जीना चाहिए. अपनी मनपसंद चीजों को खाना छोड़ कर पागलों की तरह दुबला होने का प्रयास नहीं करना चाहिए. आप जैसे हैं वैसे ही खुश रहना सीखें.’’

दूसरों से तुलना कर के अपने को कभी असहज न करें. कुछ लोग असहज महसूस करते हुए नशे का शिकार हो जाते हैं. समाज से अपने का अलग कर लेते हैं. उम्र बढ़ने के साथ यह असहजता कम हो जाती है, क्योंकि व्यक्ति को लगता है कि बूढ़ा होने के बाद कोई फर्क नहीं पड़ता है. उलटे उसे यह लगने लगता है कि वह और भी ज्यादा परिपक्व हो गया है. वह अपनेआप को माहौल में पूरी तरह से ढाल चुका होता है.

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पत्नी की तानाशाही

सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में दहेज की परिभाषा को एक बार फिर विस्तारित किया है. कोर्ट ने एक पति या उस के घरवालों द्वारा पत्नी के घरवालों से पैसे के अलावा भी किसी चीज की मांग को दहेज का रूप माना हे. मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने पति को पत्नी की आत्महत्या के बाद बरी कर देने के फैसले को उलटते हुए कहा कि पति व उस के घरवालों की यह मांग कि पत्नी के घरवाले मकान बनाने के लिए पैसे दें, दहेज है और ऐसे में पत्नी द्वारा आत्महत्या कर लेना भारतीय दंड संहिता की धारा 304 के अंतर्गत दहेज हत्या ही है.

सुप्रीम कोर्ट एक मामले की जांच कर रहा था और उस का सामाजिक परिस्थितियों से कोई लंबाचौड़ा वास्ता था, यह कहीं नहीं दिख रहा था. पतिपत्नी का प्रेम और सौहार्द ही असल में दहेज को ले कर विवाह बाद प्रताणना की सब से बड़ी सुरक्षा है. कोर्ई भी पति अपनी पत्नी को दिनभर ताने दे कर, डांटफटकार व मारपीट कर रात में बिस्तर पर ले जा कर उस से प्रेम और सैक्स की उम्मीद नहीं कर सकता. वहीं, अगर पत्नी को प्रताड़ित किया जाता है तो यह न भूलें कि पत्नी के कहने पर ही पति अपने घरवालों को परेशान करता है.

अदालतें तो नहीं, लेकिन समाचारपत्र और सोशल मीडिया ऐसे मामलों से भरे हैं जिन में पत्नी के कहने पर पति बूढ़े मांबाप को घर से निकाल देता है, अपने भाईबहन का पैतृक हिस्सा छीन लेता है, अगर बहन का तलाक हो जाए या उस के पति की मृत्यु हो जाए तो उस से नाता तोड़ तक लेता है. ज्यादातर पति अपने सारे संबंध पत्नी के इशारों पर उस के भाईबहनों और मांबाप के साथ जोड़ लेते हैं जबकि उस के अपने सगे, पराए हो जाते हैं.

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कानून और जज इन पति के सगों की सुरक्षा के लिए आगे नहीं आते हैं, यदि आगे आते हैं तो फटकार बेटों को पड़ती है, बेटों की पत्नियां को नहीं जिन की डांट और बकबक पति को उस के सगों की जिंदगी से दूर करने को मजबूर करती है.

विवाह के समय दहेज की मांग समझी जा सकती है क्योंकि उस समय तक पतिपत्नी के संबंध नहीं बने होते. जहां लडक़ेलडक़ी में प्रेम विवाह हो रहा हो, वहां दहेज की बात उपहारों तक सीमित रह जाती है. दहेज की समस्या विवाह के लिए एक सक्षम लडक़े को खरीदने की है पर इस के लिए दोषी लडक़ी के मातापिता हैं, लडक़े के नहीं.

एक लडक़ी की इच्छा है कि वह चाहे जैसी हो, उसे देखने आया युवा राजकुमार हो व पैसेवाला भी हो. अगर लडक़ी के पिता पहले ही दिन कहने लगें कि जो कुछ है लडक़ी का है या वे विवाह में इतना खर्च करेंगे तो दहेज की चिनगारी जलेगी ही. इस का दोषी पति या उस के घरवाले नहीं हैं. पत्नियों ने रोधो कर माहौल बना डाला है कि सारा अन्याय व अत्याचार उन्हीं पर होता है जबकि सच यह है कि लड़कियां पति का नाम ले कर अपने पिता से पैसे वसूलने में पीछे नहीं रहतीं. घर में आए पैसे का रोब पत्नी अपनी ससुराल वालों पर मारती है.

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हर दहेज की शिकायत, पत्नी की हत्या, आत्महत्या पर शिकार केवल पत्नी, जिंदा या मृत, नहीं होती, इस का प्रभाव पूरे घर पर पड़ता है. पति को भीषण अकेलेपन से गुजरना पड़ता है. अगर कानून ने सजा न दी हो तो भी वह घर में कैदी बन कर रह जाता है. मांबाप और भाईबहन उसे दोषी ठहराते हैं कि उन की जगहंसाई हो रही है.

एक पत्नी को घर में बड़े चाव से लाया जाता है. शुरू के महीनों में सारा घर उस के इशारों पर नाचता है. अगर वह प्यार उड़ेलती है तो दहेज लेना तो दूर, हर पति के सारे घरवाले पत्नी के घरवालों के संरक्षक बन जाते हैं. किसी अदालत को यह पक्ष दिखाई नहीं देता और यह विवाहों की नींव को खोखला कर रहा है.

Crime Story: एक तरफा प्यार में

लेखक-सुरेशचंद्र मिश्र

सौजन्य- सत्यकथा 

मोहम्मद फहीम अपने पड़ोस की लड़की नाजनीन को बेइंतहा चाहता था.  एक रात उस ने नाजनीन के पिता मोहम्मद अशरफ की हत्या कर दी. उस के बाद की जो हकीकत सामने आई, वह…

उस दिन जून 2020 की 9 तारीख थी. सुबह के यही कोई 8 बज रहे थे. थाना बाबूपुरवा के कार्यवाहक

थानाप्रभारी सुरेश सिंह औफिस में आ कर बैठे ही थे कि उन्हें मोबाइल फोन पर सूचना मिली कि मुंशीपुरवा में एक अधेड़ व्यक्ति का कत्ल हो गया है.

सुबहसुबह कत्ल की सूचना पा कर सुरेश सिंह का मन कसैला हो उठा. लेकिन मौकाएवारदात पर तो पहुंचना ही था. अत: उन्होंने कत्ल की सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को दी और आवश्यक पुलिस बल साथ ले कर मुंशीपुरवा घटनास्थल पर पहुंच गए.

उस समय घटनास्थल पर मकान के बाहर भीड़ जुटी थी. भीड़ में से एक 20 वर्षीय युवक निकल कर सामने आया. उस ने थानाप्रभारी सुरेश सिंह को बताया कि उस का नाम इरफान है. उस के अब्बू मोहम्मद अशरफ  का कत्ल हुआ है. उन की लाश छत पर पड़ी है. इस के बाद इरफान उन्हें छत पर ले कर गया.

छत पर पहुंच कर सुरेश सिंह ने बारीकी से निरीक्षण शुरू किया. मृतक मोहम्मद अशरफ की लाश फोल्डिंग पलंग पर खून से तरबतर पड़ी थी. पलंग के नीचे भी फर्श पर खून फैला हुआ था.

मोहम्मद अशरफ का कत्ल बड़ी बेरहमी से किसी तेज धार वाले हथियार से किया गया था. उस का गला आधे से ज्यादा कटा था. संभवत: ताबड़तोड़ कई वार गरदन पर किए गए थे, जिस से सांस नली कटने तथा अधिक खून बहने से उस की मौत हो गई थी.

मोहम्मद अशरफ की उम्र 50 साल के आसपास थी. कार्यवाहक थानाप्रभारी सुरेश सिंह अभी घटनास्थल का निरीक्षण कर ही रहे थे कि सूचना पा कर एसएसपी अनंत देव तिवारी, एसपी (साउथ) अपर्णा गुप्ता तथा डीएसपी आलोक सिंह घटनास्थल पर आ गए.

पुलिस अधिकारियों ने मौके पर फोरैंसिक टीम तथा डौग स्क्वायड टीम को भी बुलवा लिया. पुलिस अधिकारियोें के पहुंचते ही घर में कोहराम मच गया. परिवार की महिलाएं दहाड़ मार कर चीखनेचिल्लाने लगीं.

इस के बाद उन्होंने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया तथा मृतक के घर वालों से घटना के संबंध में जानकारी हासिल की.

मृतक के बेटे इरफान ने पुलिस अधिकारियों को बताया कि उस के पिता खरादी बुरादे का व्यापार करते थे. वह बीती शाम 7 बजे घर आए थे और खाना खाने के बाद रात 8 बजे सोने के लिए छत पर चले गए थे. पिता के साथ वह भी छत पर सोता था, लेकिन बीती रात वह टीवी देखतेदेखते कमरे में ही सो गया था.

वह सुबह 6 बजे सो कर उठा और छत पर पहुंचा तो छत पर फोल्डिंग पलंग पर पिता का खून से लथपथ शव पड़ा देखा. शव देख कर उस के मुंह से चीख निकल गई. चीख सुन कर घर के अन्य लोग आ गए. इस के बाद तो घर में कोहराम मच गया.

घटनास्थल पर मृतक का भाई मोहम्मद नासिर भी मौजूद था. उस ने बताया कि वह सऊदी अरब में नौकरी करता है. उस के परिवार में पत्नी गुलशन बानो तथा 2 साल का बेटा है. 3 महीने पहले वह सऊदी अरब से परिवार सहित कानपुर आया था और भाईजान के घर परिवार के साथ रह रहा था.

सुबह इरफान की चीख सुनाई दी तो वह दौड़ कर छत पर पहुंचा. वहां भाईजान पलंग पर मृत पड़े थे. किसी ने बड़ी बेरहमी से उन का कत्ल कर दिया था.

मां रईसा को जानकारी हुई तो वह गश खा कर जमीन पर गिर पड़ीं. किसी तरह उन्हें होश में लाया गया.

घटनास्थल पर फोरैंसिक टीम ने बड़ी ही बारीकी से जांच शुरू की. टीम ने खून का नमूना परीक्षण हेतु सुरक्षित किया फिर पलंग व आसपास से कई फिंगरप्रिंट लिए. फोरैंसिक टीम ने जांच के बाद यह भी पाया कि हत्यारा छत पर या तो सीढ़ी लगा कर पहुंचा था या फिर छत से सटी दूसरे मकान की बाउंड्री फांद कर आया था. फिर उसी रास्ते वापस चला गया.

डौग स्क्वायड की टीम खोजी कुत्ते को ले कर छत पर पहुंची. कुत्ते ने मृतक के शव को तथा छत के फर्श पर पड़े खून को सूंघा फिर वह पलंग के चारों ओर घूमता रहा. उस के बाद पड़ोसी की छत पर जाने के लिए उछलने लगा. लेकिन बाउंड्री वाल ऊंची थी, सो उछल कर दीवार फांद नहीं पा रहा था.

यह देख कर टीम के सदस्यों ने लकड़ी की सीढ़ी मंगा कर छत पर लगाई. सीढ़ी के सहारे पड़ोसी की छत पर पहुंचे खोजी कुत्ते ने छत पर पड़े

खून के छींटों को सूंघना शुरू कर दिया.

उस के बाद खोजी कुत्ता छत से नीचे उतरा और घटनास्थल से कुछ दूर स्थित मैदान में पहुंचा. वहां मैदान में खड़े एक युवक को सूंघ कर उस पर भौंकने लगा. तभी टीम ने उस युवक को पकड़ लिया और पुलिस अधिकारियों के सुपुर्द कर दिया.

पुलिस अधिकारियों ने जब उस से पूछताछ की तो उस ने अपना नाम मोहम्मद फहीम उर्फ नदीम बताया. जिस छत पर खोजी कुत्ता फांद कर गया था और खून की छींटे सूंघे थे, वह मकान मोहम्मद फहीम का ही था.

संदेह के आधार पर पुलिस ने मोहम्मद फहीम को गिरफ्तार कर लिया. फोरैंसिक टीम व पुलिस ने मोहम्मद फहीम के घर की तलाशी ली तो वहां फहीम के ऐसे गीले कपड़े मिले, जो शायद सुबह ही धोए थे. उन कपड़ों पर बेंजामिन टेस्ट किया तो खून के धब्बे उभर आए. इस के अलावा उस के घर से एक चापड़ भी बरामद हुआ.

मय चापड़ और कपड़ों सहित मोहम्मद फहीम को थाना बाबूपुरवा लाया गया तथा मृतक मोहम्मद अशरफ के शव को पोस्टमार्टम हाउस लाला लाजपत राय अस्पताल भेज दिया गया.

एसपी (साउथ) अपर्णा गुप्ता तथा सीओ आलोक सिंह ने जब थाने में मोेहम्मद फहीम से अशरफ की हत्या के संबंध में पूछताछ की तो वह साफ मुकर गया और पुलिस अधिकारियों को बरगलाने लगा.

लेकिन हत्या का सबूत मिल चुका था और उस के घर से खून सने कपड़े तथा आला कत्ल भी बरामद हो चुका था. अत: पुलिस ने उस पर सख्ती की तो वह टूट गया.

इस के बाद उस ने पुलिस अधिकारियों को बताया कि वह पड़ोसी मोहम्मद अशरफ की बेटी नाजनीन से मोहब्बत करता था. पर वह मुंबई चला गया और वहां नौकरी करने लगा. 3 साल बाद फरवरी 2020 में वह मुंबई से वापस कानपुर आया. अब तक नाजनीन जवान हो गई थी और खूबसूरत दिखने लगी थी.

उसे देख कर उस की सोती हुई मोहब्बत फिर से जाग उठी और उसे एकतरफा प्यार करने लगा. उस ने सोच लिया था कि उस की मोहब्बत में जो भी बाधक बनेगा, उसे मिटा देगा. नाजनीन की मोहब्बत में उस का बाप मोहम्मद अशरफ बाधक बनने लगा तो बीती रात उसे चापड़ से काट कर हलाल कर दिया.

चूंकि मोहम्मद फहीम ने हत्या का जुर्म कबूल कर लिया था, अत: बाबूपुरवा थाना प्रभारी (कार्यवाहक) सुरेश सिंह ने मृतक के बेटे इरफान को वादी बना कर भादंवि की धारा 302 के तहत मोहम्मद फहीम के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली तथा उसे विधिसम्मत बंदी बना लिया.

पुलिस जांच में एक ऐसे सनकी प्रेमी की कहानी प्रकाश में आई, जिस ने एकतरफा प्यार में पागल हो कर प्रेमिका के बाप को मौत की नींद सुला दिया.

उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में बाबूपुरवा थाना अंतर्गत एक मुसलिम बाहुल्य आबादी वाला मोहल्ला मुंशीपुरवा पड़ता है. इसी मुंशीपुरवा में मसजिद के पास मोहम्मद अशरफ अपने परिवार के साथ रहता था.

उस के परिवार में पत्नी शबनम के अलावा एक बेटी नाजनीन तथा बेटा इरफान था. मोहम्मद अशरफ खरादी बुरादे का व्यापार करता था. इस व्यापार में मेहनतमशक्कत तो थी, पर कमाई भी अच्छी थी. इसी कमाई से वह अपने परिवार का भरणपोषण करता था. मोहम्मद अशरफ के साथ उस की मां रईसा खान तथा भाई नासिर भी रहता था. नासिर की शादी गुलशन बानो के साथ हुई थी.

शादी के बाद नासिर सऊदी अरब चला गया था. अब वह तभी आता था, जब उसे घरपरिवार की याद सताती थी. अशरफ मेहनत की रोटी खा कर परिवार के साथ खुश रहता था. परंतु उस की खुशियों में ग्रहण तब लगना शुरू हो गया जब उस की बेगम शबनम बीमार रहने लगी. फिर बीमारी के दौरान ही सन 2010 में उस की मृत्यु हो गई. उस समय नाजनीन की उम्र 10 वर्ष तो इरफान की 9 साल थी.

शबनम की मौत के बाद बच्चों के पालनपोषण की जिम्मेदारी अशरफ की मां रईसा खान पर आ गई. रईसा खान ने इस जिम्मेदारी को खूब निभाया और पालपोस कर बच्चों को बड़ा किया. रईसा खान अपने पोतेपोती को बहुत प्यार करती थी और उन की हर जायज ख्वाहिश पूरी करती थी.

फहीम उर्फ नदीम नाजनीन का दीवाना था. वह उस के पड़ोस में ही रहता था. फहीम और नाजनीन हमउम्र थे. दोनों एक ही गली में खेलकूद कर बड़े हुए थे. दोनों एकदूसरे को जानतेपहचानते थे और अकसर उन का आमनासामना हो जाता था. फहीम मन ही मन नाजनीन को चाहने लगा था. पर नाजनीन के मन में उस के प्रति कोई लगाव न था. वह तो पड़ोसी के नाते उस से भाईजान कह कर बात करती थी.

फहीम के 2 अन्य भाई भी थे, जो उसी मकान में रहते थे. फहीम सिलाई कारीगर था. वह जो कमाता था, अपने ऊपर ही खर्च करता था, इसलिए बनसंवर कर खूब ठाटबाट से रहता था. फहीम अपने प्यार का इजहार नाजनीन से कर पाता, उस के पहले ही वह मुंबई कमाने चला गया.

मुंबई जा कर भी वह नाजनीन को भुला न सका. उस के मनमस्तिष्क पर नाजनीन ही छाई रही. वह उसे अपने दिल की मल्लिका बनाने के सपने संजोता रहा. पर सपना तो सपना ही होता है. भला सपने से कभी किसी  के ख्वाब पूरे नहीं हुए.

देश में तालाबंदी घोषित होेने के एक माह पहले ही फहीम मुंबई से कानपुर अपने घर वापस आ गया. कमाई कर के वह जो पैसे लाया था, उसे अपने ऊपर और अपने दोस्तों पर खर्च करता. भाइयों ने उस की इस फिजूलखर्ची का विरोध किया तो वह उन पर हावी हो गया. अब वह दोस्तों के साथ मौजमस्ती तथा शराब पीने लगा.

एक रोज नाजनीन किसी काम से घर से निकली तभी फहीम की नजर उस पर पड़ी. खूबसूरत नाजनीन को देख कर फहीम का मन मचल उठा. 3 साल पहले जब उस ने नाजनीन को देखा था तब वह 16 वर्ष की थी. किंतु अब वह 19 साल की उम्र पार कर चुकी थी. अब वह पहले से ज्यादा खूबसूरत दिखने लगी थी.

फहीम की आंखों में पहले से ही नाजनीन रचीबसी थी सो अब उसे देखते ही उस का मन बेकाबू होने लगा था. अब वह नाजनीन को फंसाने का तानाबाना बुनने लगा. मौका मिलने पर वह उस से बात करने का प्रयास करता था. लेकिन नाजनीन उसे झिड़क देती थी. तब फहीम खिसिया जाता.

आखिर जब उस के सब्र का बांध टूट गया तो उस ने एक रोज मौका मिलने पर नाजनीन का हाथ पकड़ लिया और बोला, ‘‘नाजनीन, मैं तुम से बेइंतहा मोहब्बत करता हूं. तुम्हारी खूबसूरती ने मेरा चैन छीन लिया है. तुम्हारे बिना मैं अधूरा हूं.’’

नाजनीन अपना हाथ छुड़ाते हुए गुस्से से बोली, ‘‘फहीम, तुम ये कैसी बहकी बातें कर रहे हो. मैं तुम्हारी जातिबिरादरी की हूं और इस नाते तुम मेरे भाईजान लगते हो. भाई को बहन से इस तरह की बातें करते शर्म आनी चाहिए.’’

‘‘प्यार अंधा होता है नाजनीन. प्यार जातिबिरादरी नहीं देखता.’’ वह बोला.

‘‘होगा, लेकिन मैं अंधी नही हूं. मैं ऐसा नहीं कर सकती. मैं तुम से नफरत करती हूं. और हां, आइंदा मेरा रास्ता रोकने या हाथ पकड़ने की कोशिश मत करना, वरना मुझ से बुरा कोई न होगा, समझे.’’ नाजनीन ने धमकाया.

कुछ देर बाद नाजनीन घर वापस आई तो वह परेशान थी. वह समझ गई कि फहीम एकतरफा प्यार में पागल है. उस ने यह सोच कर फहीम की शिकायत घर वालों से नहीं की कि अब्बूजान बेमतलब परेशान होंगे. बात बढ़ेगी. बतंगड़ होगा. फिर लोग उस के चरित्र पर अंगुलियां उठाना शुरू कर देंगे.

इधर नाजनीन की फटकार से फहीम समझ गया कि नाजनीन अब ऐेसे नहीं मानेगी. उसे अपनी खूबसूरती और जवानी पर इतना घमंड है तो वह उस के घमंड को हर हाल में तोड़ कर रहेगा. वह उसे ऐसा दर्द देगा, जिसे वह ताजिंदगी नहीं भुला पाएगी.

फहीम का एक दोेस्त सलीम था. दोनों ही हमउम्र थे, सो दोनों में खूब पटती थी. एक रोज दोनों शराब पी रहे थे. उसी समय फहीम बोला, ‘‘यार सलीम, मैं नाजनीन से मोहब्बत करता हूं लेकिन वह हाथ नहीं रखने दे रही.’’

‘‘देख फहीम, मैं एक बात बताता हूं कि नाजनीन ऐसीवैसी लड़की नहीं है. उस का पीछा छोड़ दे. कहीं ऐसा न हो कि उस का पंगा तुझे भारी पड़ जाए.’’ सलीम ने फहीम को समझाया.

‘‘अरे छोड़ इन बातों को, मैं भी जिद्दी हूं. नाजनीन अगर राजी से न मानी तो मुझे दूसरा रास्ता अपनाना पड़ेगा.’’ फहीम ने कहा.

इस के बाद फहीम फिर से नाजनीन को छेड़ने लगा. फहीम ने नाजनीन पर लाख डोरे डालने की कोशिश की, लेकिन हर बार उसे बेइज्जती का सामना करना पड़ा.

फहीम की बढ़ती छेड़छाड़ से नाजनीन को अब डर सताने लगा था. अत: एक रोज उस ने फहीम की बदतमीजी तथा डोरे डालने की शिकायत दादी रईसा खान तथा अब्बू अशरफ से कर दी. नाजनीन की बात सुन कर जहां रईसा तिलमिला उठीं, वहीं अशरफ का भी गुस्सा फूट पड़ा.

पहले रईसा ने फहीम को खूब खरीखोेटी सुनाई फिर अशरफ ने भी फहीम को जम कर लताड़ा तथा बेटी से दूर रहने की नसीहत दी. अशरफ ने फहीम की शिकायत उस के भाइयों से भी की तथा उसे समझाने को कहा. उस ने साफ  कहा कि वह इज्जतदार इंसान है. बेटी से छेड़छाड़ बरदाश्त न करेगा.

अशरफ ने उलाहना दिया तो दोनों भाइयों ने फहीम को खूब समझाया तथा नाजनीन से दूर रहने की नसीहत दी. लेकिन फहीम पर तो इश्क का भूत सवार था. वह तो एकतरफा प्यार में दीवाना था, सो उसे भाइयों की नसीहत पसंद नहीं आई.

एक रोज फहीम ने गली के मोड़ पर नाजनीन को रोका और उस का हाथ पकड़ लिया.

गुस्साई नाजनीन ने फहीम के हाथ पर दांत गड़ा कर अपना हाथ छुड़ा लिया और बोली, ‘‘बदतमीज, अपनी हरकतों से बाज आ, वरना अंजाम अच्छा नहीं होगा.’’

नाजनीन की बात सुन कर फहीम भी गुस्से से बोला, ‘‘नाजनीन, यही बात मैं तुझे बता रहा हूं. मेरी मोहब्बत को स्वीकार कर ले और मुझे अपना बना ले. वरना कान खोल कर सुन ले, मेरी मोहब्बत में जो भी बाधा डालेगा, उसे मैं मिटा दूंगा. फिर वह तुम्हारा बाप, भाई या कोई और क्यों न हो.’’

जून, 2020 की 3 तारीख को फहीम ने पुन: नाजनीन से छेड़छाड़ की. इस की शिकायत उस ने पिता से की. शिकायत सुन कर अशरफ तिलमिला उठा. उस ने फहीम को खूब खरीखोटी सुनाई और कहा कि वह अंतिम बार उसे चेतावनी दे रहा है. इस के बाद उस ने हरकत की तो थाने जा कर रिपोर्ट दर्ज करा देगा और जेल भिजवा देगा.

फहीम पहले से ही उस पर खार खाए बैठा था. अत: अशरफ ने जब उसे जेल भिजवाने की धमकी दी तो उस की खोपड़ी घूम गई.

उस ने अपने प्रेम में बाधक बने प्रेमिका के पिता अशरफ को मौत की नींद सुलाने का इरादा पक्का कर लिया. फिर वह अंजाम की तैयारी में जुट गया. उस ने तेजधार वाले चापड़ का इंतजाम किया फिर उसे घर में छिपा कर रख लिया.

8 जून, 2020 की रात फहीम ने अपनी छत की बाउंड्री से झांक कर देखा तो पता चला कि अशरफ आज रात अकेला ही छत पर सोया है. उचित मौका देख कर फहीम चापड़ ले आया फिर रात 2 बजे सीढ़ी लगा कर अशरफ की छत पर पहुंच गया.

फहीम ने नफरत भरी एक नजर अशरफ पर डाली फिर चापड़ से खचाखच 4 वार अशरफ की गरदन पर किए. उस की गरदन आधी से ज्यादा कट गई और खून की धार बह निकली. अशरफ कुछ क्षण तड़पा फिर ठंडा हो गया.

हत्या करने के बाद सीढ़ी के रास्ते फहीम अपनी छत पर आ गया. यहां चापड़ पर लगे खून की कुछ बूंदे छत पर टपक गईं. नीचे जा कर उस ने कपड़े बदले और चापड़ में लगे  खून को साफ  किया. फिर कपड़ों और चापड़ को धो कर घर में छिपा दिए और कमरे में जा कर सो गया.

मोहम्मद फहीम से पूछताछ के बाद पुलिस ने 10 जून, 2020 को उसे कानपुर कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जिला कारागार भेज दिया गया.

कथा संकलन तक उस की जमानत स्वीकृत नहीं हुई थी.

जानें क्या है I CAN READ: आपके बच्चे की शुरुआती विकास में सहायक

बच्चों को पढ़ने के लिए जरूर प्रोत्साहित करें, पढ़ाई के कारण ही बच्चों की रोजमर्रा की जिंदगी आसान बनेगी. बच्चों की पढ़ाई को लेकर हमेशा पॉजिटिव रहें और उनकी मदद करें. इससे आपका अपने बच्चों के साथ स्ट्रॉन्ग कम्युनिकेशन बना रहेगा और उनके पढ़ने और सीखने की इच्छाशक्ति भी बढ़ती रहेगी.

इसके लिए HarperCollins Publishers India ने की है एक खास शुरुआत जिसका नाम है I Can Read! ये बच्चों (बिगनिंग रीडर्स) की रीडिंग जर्नी का सबसे अहम  हिस्सा है.

I Can Read! कैसे करता है बच्चों की मदद?

I Can Read! सीरीज की सभी किताबे उनके रीडिंग्स लेवल के आधार पर तैयार किए गए है.

फर्स्ट लेवल उन पैरेंट्स के लिए आदर्श है जो अपने बच्चों को किताबें पढ़कर सुनाते हैं. जब तक कोई बच्चा तीसरे लेवल तक पहुंचता है तब तक उसे खुद से पढ़ने में सक्षम हो जाना चाहिए.

यहां पर हम आपको बता रहे हैं उन विभिन्न चरणों के बारे में जिनसे गुजरकर आपका बच्चा एक इंडिपेंडेट रीडर बनेगा…..

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माय फर्स्ट: साथ में पढ़ना

मूल भाषा, शब्द दोहराव, और मजेदार चित्रण, अपने उभरते पाठकों के साथ बांटने के लिए आदर्श…

बच्चों को अच्छा पाठक बनने में मदद करने के लिए पहला कदम है, उन्हें बोल बोल कर पढ़ाना. इस स्तर पर Biscuit और Pete the Cat: Too Cool for School जैसी किताबें हैं, जिनमें सरल शब्दावली के साथ छोटी-छोटी आर्कषक कहानियां हैं. इनमें दोहराए गए वाक्यांश युवा पाठकों को अपने माता-पिता के साथ मिलकर कुछ शब्दों को पढ़ने का मौका देते हैं. बहुत से शब्द ऐसे होते हैं, जिन्हें बच्चे आसानी से पहचान लेते हैं. साथ ही इन किताबों में शुरुआती पाठकों के लिए सक्रिय, आकर्षक कहानियां और विषय और ढेर सारे प्यारे पात्र होते हैं.

यहां देखिए I CAN READ लेवल माय फर्स्ट बुक्स की सभी किताबें

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पहला चरण: शुरुआती पढ़ाई

छोटे वाक्य, जाने पहचाने शब्द और उन बच्चों के लिए सिंपल कॉन्सेप्ट जो खुद से पढ़ने के लिए उत्सुक हैं…

पहला चरण उन पाठकों के लिए बिल्कुल सही है, जो शब्दों और वाक्यों का उच्चारण करने की शुरुआत कर रहे हैं. इस लेवल पर Danny and the Dinosaur जैसी बुक्स, जिसमें जाने पहचाने शब्दों का इस्तेमाल करके सरल वाक्यों के साथ लिखा गया है.  इस लेवल की कई बुक्स जानवरों की फोटोज से भरी हुई हैं, जिसे पढ़ने में अद्भुत रोमांच महसूस होता हैं! वहीं इसकी शब्दावली पाठकों की दिलचस्पी बढ़ाने के लिए काफी चुनौतीपूर्ण है. इस स्तर पर पसंदीदा कैरेक्टर की तलाश करने वाले बच्चों को Berenstain Bears और Pinkalicious जैसे और भी मजेदार किरदार मिलेंगे.

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दूसरा चरण: मदद के साथ पढ़ना

विकासशील पाठकों के लिए दिलचस्प कहानियां, लंबे वाक्य और लैंग्वेंज प्ले, उनके लिए जिन्हें अभी भी थोड़ी मदद की ज़रूरत है…

दूसरा चरण उन पाठकों के लिए है, जो पढ़ने के लिए आत्मविश्वासी तो हैं, लेकिन फिर भी उन्हें थोड़ी मदद की जरूरत पड़ती है. इस लेवल में Frog and Toad Are Friends और Amelia Bedelia जैसी किताबें शामिल हैं, जिनमें ज्यादा जटिल कथा सूत्र (स्टोरी लाइन), लंबे वाक्य और ज्यादा चुनौतीपूर्ण शब्द शामिल हैं. इसके अलावा Plants vs. Zombies; Save Your Brains! और Justice League Classic: I Am the Flash जैसी रहस्य और एडवेंचर की कहानियां इस चरण में शामिल हैं.

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तीसरा चरण: अकेले पढ़ना

स्वतंत्र पाठक के लिए जटिल विषय, चुनौतीपूर्ण शब्दावली और पसंदीदा विषय…

तीसरे चरण में पाठकों के लिए कई मज़ेदार विषय शामिल हैं, जिन्हें बच्चे खुद पढ़ना पसंद करते हैं. The Drinking Gourd and Buffalo Bill और The Pony Express जैसी ऐतिहासिक कहानियों वाली किताबें इस लेवल पर पेश की जाती हैं. इसके अलावा इसमें दोस्ती, रोमांच और विज्ञान जैसे अन्य विषय भी शामिल हैं. तीसरे चरण में शामिल किताबें खुद से पढ़ने वाले पाठकों के लिए लिखी गई हैं, इनमें कठिन शब्द और ज्यादा जटिल विषय और कहानियां शामिल हैं.

यहां देखिए I CAN READ लेवल 3 की सभी किताबें

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GHKKPM: सई और पाखी पर चढ़ा ‘पुष्पा’ का बुखार, देखें Video

गुम है किसी के प्यार में (Ghum Hai Kisikey Pyaar Meiin) फेम आयाशा सिंह (सई) और ऐश्वर्या शर्मा (पाखी) सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं. वह आए दिन फोटोज और वीडियो सोशल मीडिया पर फैंस के साथ शेयर करती रहती है. अब सई और पाखी पर भी पुष्पा का बुखार चढ़ गया है. हाल ही में उन्होंने पुष्पा के गानों पर वीडियो शेयर किया है.

इंस्टाग्राम पर फिल्म पुष्पा के गानों पर बनने वाले रील्स ट्रेंड कर रहे हैं. सई और पाखी ने अपने-अपने अंदाज में फिल्म पुष्पा के गानों पर डांस किया है. ये दोनों एक्ट्रेस एक-दूसरे को कड़ी टक्कर दे रही हैं.

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सई और पाखी ने फिल्म पुष्पा का गाने Oo Solriya पर डांस करके सोशल मीडिया पर धमाल मचा दिया है. इस वीडियो में सई अपने शो के मेंबर के साथ डांस करती हुई नजर आ रही हैं. तो वहीं ऐश्वर्या शर्मा ने पीली रंग की साड़ी पहनकर इस गाने पर जमकर डांस किया और रश्मिका मंदाना की कॉपी की.

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इस वीडियो में आप देख सकते हैं कि ऐश्वर्या शर्मा की अदाओं ने फैंस को अपना दीवाना बना दिया है. अगर लाइक्स की बात की जाए तो सई के इस वीडियो को 11 लाख से ज्यादा लाइक मिले हैं वहीं एश्वर्या सिंह के वीडियो को 18 लाख से ज्यादा लोगों ने लाइक किया है. बता दें कि ऐश्वर्या शर्मा ने यह वीडियो आयशा सिंह से पहले पोस्ट किया था.

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