नए साल का जनवरी महीना खेतीकिसानी के लिहाज से काफी अहम माना जाता है. सर्दी के मौसम में फसल की रंगत बदलने लगती है. इसलिए जरूरी है कि ठिठुरती सर्दी में फसलों को पाले से बचाएं और समयसमय पर उन की उचित देखभाल करें. साथ ही, फसल को उन की जरूरत के मुताबिक सिंचाई, निराईगुड़ाई व कीटों के साथसाथ रोगों से भी महफूज रखें. तो आइए जानते हैं, इस महीने में किए जाने वाले खेतीकिसानी के खास काम :

* ठंडे मौसम में गेहूं के खेतों पर सब से?ज्यादा ध्यान देने की जरूरत होती है. गेहूं की सिंचाई के मामले में सचेत रहना बहुत जरूरी है. मोटेतौर पर 20 दिनों के अंतराल पर खेतों की लगातार सिंचाई करते रहना चाहिए.

* खरपतवारों के प्रति भी चौकन्ना रहना जरूरी है और उन्हें समयसमय पर निकालते रहना चाहिए. खरपतवारों के साथसाथ दूसरी फसलों के पौधों को भी गेहूं के खेतों से उखाड़ देना चाहिए.

* अपने मसूर व मटर के खेतों का जायजा लें और उन की अच्छी तरह से निराईगुड़ाई करें. निराईगुड़ाई से तमाम खरपतवार तो निबटते ही हैं, साथ ही पौधों को खुराक भी ठीक से मिलती है.

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* चने व मटर के खेतों में फूल आने से पहले सिंचाई करें. ध्यान रखें कि इन फसलों में फूल बनने के दौरान सिंचाई करना मुनासिब नहीं होता. जब फूल पूरी तरह से आ चुके हों, तब फिर से सिंचाई करें.

* अपने जौ के खेतों का मुआयना करें. अगर बोआई को एक महीना हो चुका हो, तो बिना चूके खेतों की सिंचाई करें. सिंचाई के अलावा जौ के खेतों की निराईगुड़ाई करना भी जरूरी?है, ताकि तमाम खरपतवारों से नजात मिल जाए.

* सरसों व राई के खेतों की निराईगुड़ाई करें, ताकि खरपतवार काबू में रहें. अगर पौधों में फूल व फलियां आ रही हों, तो सिंचाई करना न भूलें.

* राई व सरसों की फसलों पर इस दौरान बालदार सूंड़ी का हमला हो सकता है. इस की रोकथाम के लिए उचित कीटनाशक का छिड़काव करें.

* जनवरी माह में ज्यादातर तोरिया की फसल तैयार हो जाती है. जब इस की तकरीबन 75 फीसदी फलियां सुनहरे रंग की लगने लगें, तो फसल की कटाई का काम करें. कटाई के बाद फसल को अच्छी तरह सुखा कर उस की मड़ाई करें.

* गन्ने की पेड़ी फसल व शरदकालीन बोआई वाले गन्ने की कटाई का काम पूरा करें.

* गन्ने की कटाई के दौरान निकली पत्तियों को जलाएं नहीं. इन पत्तियों को जमा कर के कंपोस्ट बनाने में इस्तेमाल करें. इन पत्तियों को पशुओं को बांधे जाने वाली जगह पर बिछाया जा सकता है.

* गन्ने की पत्तियों को आगामी पेड़ी फसल में पलवार के लिए भी इस्तेमाल कर सकते हैं. ऐसा करने से खेत में काफी समय तक नमी बनी रहती?है. और खरपतवार भी ज्यादा नहीं निकलते हैं.

* प्याज की रोपाई के लिहाज से जनवरी का महीना सब से उम्दा होता है, लिहाजा यह काम हर हालत में कर डालें. प्याज की रोपाई करने से पहले चुने गए खेत में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश डालना न भूलें. इन चीजों की मात्रा के लिए अपने इलाके के कृषि वैज्ञानिक की राय जरूर लें. प्याज की रोपाई के बाद हलकी सिंचाई जरूर करें.

* भले ही आलू को मोटापे की खास वजह माना जाता है, मगर जनवरी में नए आलू का जलवा खूब रहता?है. आलू की अगेती फसल जनवरी में खुदाई के लिए तैयार हो जाती है. खुदाई हाथों से करने के बजाय मशीन से करना बेहतर रहता है.

* जनवरी में पाला पड़ने का खतरा काफी बढ़ जाता है. पाले से बचाव के लिए छोटे फलों वाले पौधों व सब्जियों की नर्सरी को टाट वाली बोरियों या घासफूस के छप्परों से सही तरीके से?ढक दें. पाला गिरने वाली रात को बाग व खेत की सिंचाई जरूर करें.

* तरबूज, खरबूजा, खीरा, ककड़ी, करेला, भिंडी वगैरह की बोआई के लिए कई बार जुताई कर के खेत तैयार करें. खेत की मिट्टी में गोबर की सड़ी हुई खाद मिलाना न भूलें.

* संतरा, माल्टा, किन्नू, नीबू व आड़ू के पेड़ों की कटाईछंटाई करें. कृषि वैज्ञानिकों से सलाह ले कर इन पेड़ों में कैमिकल व गोबर की सड़ी खाद डालें.

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* अपने आम के बाग का बारीकी से मुआयना करें, क्योंकि मौसम आने पर उन में कोई कमी नहीं आनी चाहिए. आम के पेड़ों के तनों पर लगाई गई अल्काथीन शीट की ठीक से सफाई करें.

* अंगूर की बेलों की काटछांट का काम इस महीने के आखिर तक हर हालत में निबटा लें. जगह हो तो अंगूर की नई बेलें भी लगाएं. नई बेल लगाने के बाद सिंचाई करना जरूरी होता है.

* नए साल के पहले महीने में अंडों की खपत में काफी इजाफा हो जाता है, मगर मुरगियों पर ठंड का खौफ भी बढ़ जाता है. ऐसे में मुरगियों की सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम करें, ताकि वे ठंड व बीमारी से मरने न पाएं.

* गायभैंसों को ठंड से बचाने का मुकम्मल बंदोबस्त करें. बुखार व दस्त जैसी दिक्कतों की दवाएं हर वक्त पास में मौजूद होनी चाहिए.

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