आमतौर पर तीस की उम्र के बाद महिलाओं के शरीर में कैल्शियम कम होने लगता है. जिसके चलते उन्हें अनेक बीमारियों का सामना करना पड़ता है. इसमें हड्डियों की कमजोरी, थकान और हड्डियों का भुरभुराना मुख्य है. हड्डियों के टूटने-भुरभुराने को औस्टियोपोरोसिस कहते हैं. औस्टिओपोरोसिस ऐसी बीमारी है, जिसमें हड्डियों का घनत्व (डेंसिटी) कम हो जाता है. हड्डियां इतनी कमजोर और भंगुर हो जाती हैं कि गिरने, झुकने या छींकने-खांसने पर भी हड्डियों में फ्रैक्चर होने का खतरा रहता है. कैल्शियम को आमतौर पर हड्डियों की हेल्थ से ही जोड़ा जाता है. लेकिन क्या कैल्शियम की जरूरत सिर्फ आपकी हड्डियों के लिए ही होती है?

हमारे शरीर में करीब 90% कैल्शियम हड्डियों और दांतों में पाया जाता है. पर कैल्शियम हमारी एक-एक कोशिका के लिए जरूरी है, खासकर हमारे तंत्रिका तंत्र, खून, मसल्स और हार्ट के लिए ये बेहद जरूरी है. इसकी अहमियत का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि कैल्शियम हमारी हार्ट बीट को भी रेग्युलेट करता है.

हमारे शरीर में कैल्शियम का होना बहुत जरूरी है. अगर हमारे शरीर में कैल्शियम की कमी हो जाती है, तो इसका हमारे शरीर पर बहुत विपरीत प्रभाव पड़ता है. कैल्शियम की कमी किसी भी उम्र में व किसी भी इंसान को हो सकती है. अगर किसी व्यक्ति को कैल्शियम की कमी हो जाती है तो उसके शरीर में अनेकों बीमारियां जन्म ले लेती हैं. शरीर में कैल्शियम की कमी के कारण कुछ लक्षण दिखायी देने लगते हैं, जिनके चलते आसानी से पता चल सकता है कि आप कैल्शियम की कमी के शिकार हो रहे हैं.

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