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चुनाव: पूर्व अनुमानों का सच!

चुनाव पूर्व सर्वेक्षण या अनुमानों का प्रचलन हमारे देश में 1957 से प्रारंभ हुआ जो आज अपने पूरे सबाब पर है. सच्चाई यह है कि बारंबार यह सिद्ध हुआ है कि जो गंभीरता चुनाव पूर्व सर्वेक्षण में होनी चाहिए वह नदारद पाई गई है.

अन्यथा सीधी सी बात यह है कि विज्ञानिक फॉर्मूला भी है की दो और दो चार होता है मगर चुनाव सर्वेक्षणों में दो और दो पांच भी हो जाता है और कभी-कभी 3 भी. ऐसे में इनका कोई औचित्य नहीं रह गया है. सिर्फ एक समय पास शगल बन करके यह हमारे सामने मुंह चिढ़ाता खड़ा है.

अब जैसा की संपूर्ण उत्तर प्रदेश से एक आवाज उठ रही हमने देखी कि कैसे वहां समाजवादी पार्टी का वर्चस्व दिखाई दिया है. चुनाव में योगी आदित्यनाथ के विधायकों मंत्रियों पर लोगों ने चुनाव प्रचार के दौरान हमले किए इसके बावजूद लगभग सभी सर्वेक्षणों में भाजपा की सरकार बनती दिखाई दे रही है.

अब चंद घंटे ही रह गए हैं परिणाम सामने आएंगे मगर अनुमानों पर एक प्रश्न तो लग ही गया है.

हम चुनावी सर्वेक्षणों को देखें तो उत्तर प्रदेश में साल 2012 में हुए चुनाव नतीजा पूर्व सर्वेक्षण में समाजवादी पार्टी को उनके विरोधियों से बेहतर प्रदर्शन के साथ ही “त्रिशंकु विधानसभा” की बात थम ठोक कर  की गई थी. मगर हम जानते हैं चुनाव परिणाम आने के बाद समाजवादी पार्टी ने 403 विधानसभा में 224 सीटें जीतकर शानदार जीत दर्ज की थी.

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इस चुनाव में मायावती की बहुजन समाज पार्टी को 80 सीटें मिली थीं. वहीं, भाजपा और कांग्रेस क्रमशः केवल 47 और 28 सीटें ही जीतने में कामयाब हो सके थे.

यह सच है कि विगत  2017 के विधानसभा चुनाव में अधिकतर नतीजा पूर्व सर्वेक्षण सच साबित हुए थे.  नतीजा पूर्व सर्वेक्षणों अनुमानों में भाजपा के लिए पूर्ण बहुमत की भविष्यवाणी की गई थी जो सही पाई गई थी.

मगर हमें यह भी याद रखना होगा कि 2017 में “मोदी लहर” स्पष्ट रूप से देखी जा रही थी और समाजवादी पार्टी अपने ही संक्रमण में फंसकर खत्म होने की कगार पर साफ दिखाई दे रही थी. इसलिए 2017 के सर्वेक्षण अनुमान बहुत ही सहज थे.

2017 के उत्तर प्रदेश चुनाव में समाजवादी पार्टी, कांग्रेस गठबंधन और बसपा कहीं टिके नहीं ,403 सदस्यीय उत्तर प्रदेश विधानसभा में भाजपा ने ऐतिहासिक 312 सीटे हासिल कर सरकार बनाई . वहीं, सपा ने 47 और कांग्रेस ने सात सीटें जीती थीं. बसपा ने 19 सीटों पर जीत दर्ज की थी.

इस दफा सभी बड़ी कंपनियों ने, जो चुनाव सर्वेक्षण प्रस्तुत करती हैं की साख दांव पर लगी साफ दिखाई दे रही है.

कई दफा झूठे सिद्ध हुए हैं अनुमान

ऐसा कई कई दफा हो चुका है जब हमारे देश में चुनाव पूर्व सर्वेक्षण अनुमान एकदम “डब्बा” साबित हुए हैं . इसके बावजूद इस परिपाटी के खत्म होने की बजाय या इसमें सुधार होने की बजाय यह अपना रूटीन काम करते हुए हमारा मुंह चिढ़ा रहे  हैं.

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अगर हम इतिहास में जाएं तो 1996 में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलने का अनुमान था और ऐसा ही हुआ. परिणाम स्वरूप अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में 13 दिन की सरकार चली और अटल बिहारी वाजपेई सदन में बहुमत नहीं जुटा पाए. इसके बाद एचडी देवेगोड़ा और इंद्र कुमार गुजराल के नेतृत्व में सरकारें चलीं.वर्ष 1998 में लोकसभा चुनाव के दौरान भी नतीजा पूर्व सर्वेक्षण सही साबित हुए थे.इन सर्वेक्षणों में भाजपा के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को 200 से अधिक सीटो का अनुमान लगाया गया था. परिणाम आए तो राजग को 252 सीटें प्राप्त हुईं थीं. कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों को इस चुनाव 119 सीटें मिलीं.

इस सब के बावजूद अगर हम दृष्टिपात करें तो यह सच है कि हमारे देश में हर चुनाव में लगभग सर्वेक्षण गलत ही सिद्ध होते हैं. अभी हाल ही में पश्चिम बंगाल चुनाव में भाजपा को पूर्ण बहुमत चुनाव सर्वेक्षणों में मिल गई था मगर जब प्रणाम आए तो तृणमूल कांग्रेस की सरकार बन गई.

इसी तरह छत्तीसगढ़ में भी 2018 विधानसभा चुनाव में भाजपा को बहुमत दिखाया जा रहा था मगर उसका चुनाव में सूपड़ा ही साफ हो गया था.

रियल शादी में शूट हुआ ‘इंडियन आयडल 12’ फेम पवनदीप राजन-अरूनिता कांजीलाल का नया सॉन्ग

उन्नीस वर्षीया बाणगांव, पश्चिम बंगाल निवासी क्लासिकल व सेमी क्लासिकल गायिका अरूनिता कांजीलाल दस वर्ष की उम्र से ही गा रही हैं. दस वर्ष की उम्र में ही अरूनिता कांजीलाल ने ‘सारेगामापा बंगाली’की विजेता बनी थी. उसके बाद उन्होंने कई हिंदी व गुजराती भाषा में भी गीत गाए.अयनिता ने 2021 में ‘तेरे बगैर’,‘तेरी उम्मीद’सहित करीबन दस हिंदी के संगीत अलबम में अपनी आवाज दी.

वह ‘इंडियन आय़डल 12’की रनर अप रहीं,जहां उनके दोस्त पवनदीप राजन विजेता बने. दस रियालिटी शो से पहले अरूनिता कांजीलाल व पवनदीप राजन एक साथ हिंदी के छह संगीत अलबमों के लिए संगीतकार हिमेष रेशमिया के संग गा चुके थे.कुछ दिन पहले दोनों एक साथ लंदन की सड़कों पर हाथ में हाथ डाले घूमते हुए नजर आए थे.तब कहा गया था कि वह एक अलबम की शूटिंग कर रहे हैं.

बहरहाल,  अब पुनः अरूनिता कांजीलाल और पवनदीप राजन नए सिंगल संगीत अलबम ‘‘बाबुल’’ के लिए एक साथ आए हैं.संगीतकार विपीन पटवा के निर्देशन में इस नए गाने को हाल ही में अरूनिता कांजीलाल ने रिकॉर्ड किया. जबकि पवनदीप राजन ने म्यूजिक अरेंजमेंट किया. चॉकलेट पाय सिंगल ने इस गाने का निर्माण किया हैं.

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‘वायकाम 18’’ की फिल्म ‘‘लव यू सोनियो’ के अलावा मराठी फिल्म ‘कोल्हापुर डायरीज‘ के निर्देशक जो राजन ने इस विवाह गीत का वीडियो फिल्माया है. म्यूजिक वीडियो ‘बाबुल’ अपने आप में अनूठा है.क्योंकि इसे शादी का कृत्रिम माहौल बनाकर नहीं बल्कि वास्तविक शादी में फिल्माया गया. जहां रीटेक या रिहर्सल नहीं हुई. मशहूर गायक व संगीतकार विपीन पटवा कहते हैं-‘‘मैं और जो राजन पिछले 10 साल से एक दूसरे से जुड़े हुए हैं.उनकी फिल्म ‘लव यु सोनियो’ से मेरा फिल्मी सफर शुरू हुआ था.

हाल ही में जो राजन ने मुझे इस गाने का कॉन्सेप्ट बताया. तो ऐसे अनुठे गाने के लिए उनके साथ काम करने के लिए मैं काफी उत्साहित था.” निर्देशक जो राजन कहते हैं- ‘‘शायद यह पहली बार हैं कि एक गाने को रिकॉर्ड करके उसे एक विवाह समारोह में फिल्माया गया हो.यह निजी तौर पर देखने के लिए नहीं होगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर रिलीज होने के लिए भी तैयार है. ट्रैक की रचना करने वाले के लिए विपिन और संगीतमय रूप से रचना करने के लिए बहु-प्रतिभाशाली पवनदीप राजन के साथ हमें जुड़ने का मौका मिला. अरूनिता भी एक प्रतिभाशाली गायिका हैं.”

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अरूनिता कहती है-” जो राजन सर और विपीन पटवा जी के साथ पहली बार काम किया. उनके साथ काम करने का अनुभव काफी बेहतरीन रहा. यह मेरा पहला बिदाई गीत है. गाने की कई सारी बारीकियां मुझे जो राजन सर ने समझायी.गाना काफी सुरीला बना है.”

शादी से पहले ही अक्षू और अभिमन्यु के रिश्ते में आएगी दरार, देखें Video

स्टार प्लस का सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ (Yeh Rishta Kya Kehlata Hai) में लगातार महाट्विस्ट दिखाया जा रहा है. शो की कहानी का ट्रैक फैंस का दिल जीत रहा है. शो से जुड़ा एक लेटेस्ट वीडियो सामने आया है. अक्षू और अभिमन्यु के रिश्ते में दरार देखने को मिल रहा है. आइए बताते हैं इस वीडियो के बारे में.

शो में अभिमन्यु और अक्षरा  की शादी होने जा रही है. शो में दिखाया जा रहा है कि उनकी शादी की रस्में भी शुरू हो चुकी है और खास बात तो यह है कि तिलक पर अभिमन्यु ने ग्रैंड एंट्री भी की थी.

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लेकिन शो का एक प्रोमो सामने आया है,  जिसमें आप देख सकते हैं कि अक्षरा और अभिमन्यु में शादी से पहले ही दरार आ जाएगी. वीडियो के मुताबिक, अक्षरा अभि से उसके पापा को शादी में लाने की बात कहेगी, जिससे वह नाराज हो जाएगा और अक्षू को इन सबसे दूर रहने की सलाह देगा.

 

वीडियो में ये भी दिखाया गया कि दोनों के रास्ते अलग-अलग हो जाते हैं. तभी आरोही आ जाती है और कहती है, ‘शादी की शुभ शुरुआत तो हो गई. आप आइयेगा जरूर, साल की सबसे बड़ी शादी में.

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शो में अक्षरा और अभिमन्यु की जोड़ी लोगों के दिलों राज करती है, फैंस को भी दोनों की शादी का बेसब्री से इंतजार था. हाल ही में दिखाया गया कि तिलक के लिए दोनों परिवार राजी हो जाते हैं और उनकी तैयारियां भी जोरों-शोरों से चलती हैं. लेकिन हर्ष गोयनका के कारण नई मुसीबत खड़ी हो जाती है.

शो में दिखाया गया कि अक्षरा तिलक के लिए तैयार होती है, वह प्रार्थना करती है कि तिलक पर कुछ भी बुरा न होने दें. लेकिन तभी उसे हेयर ड्रायर से चिंगारी निकलती नजर आती है  जिसे देखकर वह घबरा जाती है और कहती है, ये अच्छा साइन नहीं है.

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विराट के घर में जबरदस्ती रहेगी सई, भवानी निकालेगी बाहर?

टीवी सीरियल ‘गुम है किसी के प्यार में’ (Ghum Hai Kisikey Pyaar Meiin) की कहानी एक नया मोड़ ले चुकी है. शो की कहानी में दिलचस्प ट्रैक देखने को मिल रहा है. शो में अब तक आपने देखा कि विराट की अस्पताल से छुट्टी हो चुकी है. अब वह ठीक हो चुका है. शो के अपकमिंग एपिसोड में खूब धमाल होने वाला है. आइए बताते हैं शो के नए एपिसोड के बारे में.

शो में दिखाया गया कि सई ने विराट से माफी मांगने की पूरी कोशिश की. लेकिन विराट ने किसी को माफ नहीं करने का बड़ा फैसला किया है. शो के आने वाले एपिसोड में आप देखेंगे कि विराट की मां उससे माफी मांगेगी और घर में आने के लिए कहेगी. वह अपनी मां की बात मान जाएगा लेकिन एक शर्त रखेगा.

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विराट अपनी मां से कहेगा कि वह घर में बेटा बनकर नहीं रहेगा. वह अपने घर में एक अजनबी की तरह रहेगा. तो दूसरी तरफ अश्विनी को झटका लगेगा. लेकिन वह मान जाएगी क्योंकि विराट कम से कम उसके घर के अंदर होगा.

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तो दूसरी तरफ होलिका दहन के मौके पर सई चौहान हाउस में एंट्री मारेगी. तो वहीं भवानी उसे घर से निकालने की कोशिश करेगी. सई कहेगी कि उसने विराट को कभी तलाक नहीं दिया और कागजात असली नहीं थे. सई नकली तलाक के कागजात को आग में फेंक देगी. इस तरह सई चौहान हाउस में वापस आ जाएगी. वह विराट के साथ रहने का ऐलान करेगी. सई बैग और सामान लेकर घर में एंट्री मारेगी.

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सिंदूरी मूर्ति- भाग 3: जाति का बंधन जब आया राघव और रम्या के प्यार के बीच

राघव ने जब बताया था कि वह बाराबंकी के कुंभकार परिवार से है और उस का बचपन मूर्ति में रंग भरने में ही बीता है, तो मैं ने कहा था कि वह मूर्ति बना कर दिखाए. तब उस ने रंगीन क्ले ला कर बहुत सुंदर मूर्ति बनाई जो संभाल कर रख ली.

‘रम्या भी तो एक बेजान मूर्ति में परिवर्तित हो गई थी उन दिनों,’ राघव ने सोचा. वह हर शनिवाररविवार जब मिलने जाता तब उसे रम्या में वही स्वरूप दिखाई देता जैसा उस के बाबा दीवाली में लक्ष्मी का रूप बनाते थे. काली मिट्टी से बनी सौम्य मूर्ति. उस मूर्ति में जब वह लाल, गुलाबी, पीले और चमकीले रंगों में ब्रश डुबोडुबो कर रंग भरता, तो उस मूर्ति से बातें भी करता.

यही स्थिति अभी भी हो गई है. रम्या के बेजान मूर्तिवत स्वरूप से तो वह कितनी बातें करता था. लकवाग्रस्त होने के कारण शुरूशुरू में वह कुछ बोल भी नहीं पाती थी, केवल अपने होंठ फड़फड़ा कर या पलकें झपका कर रह जाती. बाद में तो वह भी कितनी बातें करने लगी थी. उस की जिंदगी में भी रंग भरने लगे थे. वह समझ ही नहीं पाया कि रंग भर कौन रहा है? वह रम्या की जिंदगी में या रम्या उस की जिंदगी में? अब रम्या जीवन के रंगों से भरपूर है. अपने अम्मांअप्पा के संरक्षण में गांव लौट गई है, उस की पहुंच से दूर. अब उस की सेवा की रम्या को क्या आवश्यकता? अब वह भी यहां से चला जाएगा. रम्या से फेसबुक और व्हाट्सऐप के माध्यम से जुड़ा रहेगा वैसे ही जैसे पंडाल में सजी मूर्तियों से मन ही मन जुड़ा रहता था.

‘‘चलो, सब आज सब का लंच साथ हैं याद है न?’’ रमन ने मेज थपथपाई.

सभी एकसाथ लंच करने बैठ गए तो रम्या ने कहा, ‘‘धन्यवाद तो मुझे तुम सब का देना चाहिए जो रक्तदान कर मेरे प्राण बचाए…’’

‘‘सौरी, मैं तुम्हें रोक रहा हूं. मगर सब से पहले तुम्हें राघव को धन्यवाद करना चाहिए. इस ने सर्वप्रथम खून दे कर तुम्हें जीवनदान दिया है,’’ मुरली मोहन बोला.

‘‘ठीक है, उसे मैं अलग से धन्यवाद दे दूंगी,’’ कह रम्या हंस रही थी. राघव ने देखा आज उस ने काले की जगह लाल रंग की बिंदी लगाई थी.

‘‘वैसे वह तेरा वनसाइड लवर भी बड़ा खतरनाक था… तुझे अपने इस पड़ोसी पर पहले कभी शक नहीं हुआ?’’ सुभ्रा ने पूछा.

‘‘अरे वह तो उम्र में भी 2 साल छोटा है मुझ से. कई बार कुछ न कुछ पूछने को किसी न किसी विषय की किताब ले कर घर आ धमकता था. मगर मैं नहीं जानती थी कि वह क्या सोचता है मेरे बारे में,’’ रम्या अपना सिर पकड़ कर बैठ गई.

लगभग सभी खापी कर उठ चुके थे. राघव अपने कौफी के कप को घूरने में लगा था मानो उस में उस का भविष्य दिख रहा हो.

‘‘तुम्हारा क्या खयाल है उस लड़के के बारे में?’’ रम्या ने पास आ कर उस से पूछा.

‘‘प्यार मेरी नजर में कुछ पाने का नहीं, बल्कि दूसरे को खुशियां देने का नाम है. अगर हम प्रतिदान चाहते हैं, तो वह प्यार नहीं स्वार्थ है और मेरी नजर में प्यार स्वार्थ से बहुत ऊपर की भावना है.’’

‘‘इस के अलावा भी कुछ और कहना है तुम्हें?’’ रम्या ने शरारत से राघव से पूछा.

‘‘हां, तुम हमेशा इसी तरह हंसतीमुसकराती रहना और अपनी फ्रैंड लिस्ट में मुझे भी ऐड कर लेना. अब वही एक माध्यम रह जाएगा एकदूसरे की जानकारी लेने का.’’

‘‘ठीक है, मगर तुम ने मुझ से नहीं पूछा?’’

‘‘क्या?’’

‘‘यही कि मुझे कुछ कहना है कि नहीं?’’ रम्या ने कहा तो राघव सोच में पड़ गया.

‘‘क्या सोचते रहते हो मन ही मन? राघव, अब मेरे मन की सुनो. अगले महीने अप्पा बाराबंकी जाएंगे तुम्हारे घर मेरे रिश्ते की बात करने.’’

‘‘उन्हें मेरी जाति के बारे में नहीं पता शायद,’’ राघव को अप्पा का कौफी पीना याद आ गया.

‘‘यह देखो इन रगों में तुम्हारे खून की

लाली ही तो दौड़ रही है और जो जिंदगी के पढ़ाए पाठ से भी सबक न सीख सके वह इनसान ही क्या… मेरे अप्पा इनसानियत का पाठ पढ़ चुके हैं. अब उन्हें किसी बाह्य आडंबर की जरूरत नहीं है,’’ रम्या ने अपना हाथ उस की हथेलियों में रख कर कहा, ‘‘अब अप्पा भी चाह कर मेरे और तुम्हारे खून को अलगअलग नहीं कर सकते.’’

‘‘तुम ने आज लाल बिंदी लगई है,’’ राघव अपने को कहने से न रोक सका.

‘‘नोटिस कर लिया तुम ने? यह तुम्हारा ही दिया रंग है, जो मेरी बिंदी में झलक आया है और जल्द ही सिंदूर बन मेरे वजूद में छा जाएगा,’’ रम्या बोली और फिर दोनों एकदूसरे का हाथ थामें जिंदगी के कैनवास में नए रंग भरने निकल पड़े.

नई रोशनी: भाग 1- नईम का पढ़ालिखा होना क्यों गुनाह बन गया था

लेखिका- शकीला एस हुसैन

बेटियां जिस घर में जाती हैं खुशी और सुकून की रोशनी फैला देती हैं. पर पता नहीं, बेटी के पैदा होने पर लोग गम क्यों मनाते हैं. सबा थकीहारी शाम को घर पहुंची. अम्मी नमाज पढ़ रही थीं. नमाज खत्म कर उन्होंने प्यार से बेटी के सलाम का जवाब दिया. उस ने थकान एक मुसकान में लपेट मां की खैरियत पूछी. फिर वह उठ कर किचन में गई जहां उस की भाभी रीमा खाना बना रही थीं. सबा अपने लिए चाय बनाने लगी. सुबह का पूरा काम कर के वह स्कूल जाती थी. बस, शाम के खाने की जिम्मेदारी भाभी की थी, वह भी उन्हें भारी पड़ती थी. जब सबा ने चाय का पहला घूंट लिया तो उसे सुकून सा महसूस हुआ.

‘‘सबा आपी, गुलशन खाला आई थीं, आप के लिए एक रिश्ता बताया है. अम्मी ने ‘हां’ कही है, परसों वे लोग आएंगे,’’ भाभी ने खनकते हुए लहजे में उसे बताया. सबा का गला अंदर तक कड़वा हो गया. आंखों में नमकीन पानी उतर आया. भाभी अपने अंदाज में बोले जा रही थीं, ‘‘लड़के का खुद का जनरल स्टोर है, देखने में ठीकठाक है पर ज्यादा पढ़ालिखा नहीं है. स्टोर से काफी अच्छी कमाई हो जाती है, आप के लिए बहुत अच्छा है.’’

सबा को लगा वह तनहा तपते रेगिस्तान में खड़ी है. दिल ने चाहा, अपनी डिगरी को पुरजेपुरजे कर के जला दे. भाभी ने मुड़ कर उस के धुआं हुए चेहरे को देखा और समझाने लगीं, ‘‘सबा आपी, देखें, आदमी का पढ़ालिखा होना ज्यादा जरूरी नहीं है. बस, कमाऊ और दुनियादारी को समझने वाला होना चाहिए.’’

सबा ने दुख से रीमा को देखा. रीमा एक कम पढ़ी, नासमझ लड़की थी. वह आटेसाटे की शादी (लड़की दे कर लड़की ब्याहना) में सबा की भाभी बन कर आ गई थी. सबा की छोटी बहन लुबना की शादी रीमा के भाई आजाद से हुई थी. आज वही रीमा कितनी आसानी से सबा की शादी के बारे में सबकुछ कह रही हैं.

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अब्बा ने एक के बाद एक लड़कियां होने का इलजाम भी अम्मी पर लगाया, हफ्तों बेटियों की सूरत नहीं देखी. वह तो अच्छा हुआ तीसरी बार बेटा हो गया, तो अम्मी की हैसियत का ग्राफ कुछ ऊंचा हो गया और अब्बा भी कुछ नरम पड़े. बेटियों का भार कम करने की खातिर बचपन में ही भाई की शादी मामू की बेटी रीमा से और छोटी बहन लुबना की शादी रीमा के भाई आजाद से तय कर दी. आजाद सबा से उम्र में छोटा था इसलिए लुबना की बात तय कर दी. आज पहली बार उसे लड़की होने की बेबसी का एहसास हुआ.

‘‘रीमा, तुम क्या जानो इल्म कैसी दौलत है? कैसी रोशनी है, जो इंसान को जीने का सलीका सिखाती है? वहीं यह डिगरी मर्दऔरत के बीच ऐसे फासले भी पैदा कर देती है कि औरत की सारी उम्र इन फासलों को पाटने में कट जाती है.’’

सबा का कतई दिल न चाह रहा था कि एक बार फिर उसे शोपीस की तरह लड़के वालों को दिखाया जाए पर अम्मी की मिन्नत और बेबसी के आगे वह मजबूर हो गई. वे कहने लगीं, ‘‘सबा, मेरी खातिर मान जाओ. मुझे पूरी उम्मीद है कि वे लोग तुम्हें जरूर पसंद करेंगे.’’

उस ने दुखी हो सोचा, ‘उस की ख्वाहिश व पसंद का किसी को एहसास नहीं. वह एमएससी पास है और एक अच्छे प्राइवेट स्कूल में नौकरी करती है फिर भी पसंद लड़का ही करेगा,’ उस ने उलझ कर कहा, ‘‘अम्मी, कितने लोग तो आ कर रिजैक्ट कर गए हैं, किसी को सांवले रंग पर एतराज, किसी को उम्र ज्यादा लगी, किसी को पढ़ालिखा होना और किसी को नौकरी करना नागवार गुजरा. अब फिर वही नाटक.’’

अम्मी रो पड़ीं, ‘‘बेटी, मैं बहुत शर्मिंदा हूं. तुम्हारी शादी मुझे सब से पहले करनी थी पर तुम हमारी मजबूरी और हालात की भेंट चढ़ गईं.’’

सबा यह नौकरी करीब 8 साल से कर रही थी, जब वह बीएससी फाइनल में थी तो अब्बा की एक ऐक्सिडैंट में टांग टूट गई, नौकरी प्राइवेट कंपनी में थी. बहुत दिनों के इलाज के बाद लकड़ी के सहारे चलने लगे. इस अरसे में नौकरी खत्म हो गई.

कंपनी से मिला पैसा कुछ इलाज में खर्च हुआ, कुछ घर में. अब आमदनी का कोई जरिया न था. लुबना और छोटा भाई जोहेब अभी पढ़ रहे थे. उस ने बीएससी पास करते ही नौकरी की तलाश शुरू कर दी. अच्छी डिवीजन होने के कारण उसे इसी स्कूल में प्राइमरी सैक्शन में नौकरी मिल गई. उस ने नाइट क्लासेस से एमएससी और बीएड पूरा किया और फिर सेकेंडरी सैक्शन में प्रमोट हो गई. अब अब्बा उसे बेहद प्यार करते. वही तो घर की गाड़ी खींच रही थी.

 

शाम को गहरे रंगों के रेशमी कपड़ों में लड़के की अम्मी और 2 बहनें आईं. उन लोगों ने बताया कि लड़के, नईम की ख्वाहिश है कि लड़की पढ़ीलिखी हो, इसलिए वे लोग सबा को देखने आए हैं.

लड़के की अम्मी ने हाथों में ढेर सी चमकती चूडि़यां पहन रखी थीं. खनखनाते हुए वे बोलीं, ‘‘हमारे बेटे की डिमांड पढ़ीलिखी लड़की है, इसलिए हमें तो आप की बेटी पसंद है.’’

अम्मी ने शादी में देर न की क्योंकि जोहेब की बहुत अच्छी नौकरी लगे 2 साल हो चुके थे. काफी कुछ तो उन्होंने दहेज में देने को बना रखा था. कुछ और तैयारी हुई और सबा दुलहन बन कर नईम के घर पहुंच गई.

सबा उस मामूली से सजे कमरे में दुलहन बनी बैठी थी. उस की ननदें और उस की सहेलियां कुछ देर उस के पास बैठी बचकाने मजाक करती रहीं, फिर भाई को भेजने का कह कर उसे तनहा छोड़ गईं. काफी देर बाद उस की जिंदगी का वह लमहा आया जिस का लड़कियां बड़ी बेसब्री से इंतजार करती हैं. नईम हाथ में मोबाइल लिए अंदर दाखिल हुआ और उस के पास बैठ गया, उस का घूंघट उठा कर कोई खूबसूरत या नाजुक बात कहने के बजाय वह, उसे मोबाइल से अपने दोस्तों के बेहूदा मैसेज पढ़ कर सुनाने लगा जो खासतौर पर उस के दोस्तों ने उसे इस रात के लिए भेजे थे. सबा सिर झुकाए सुनती रही. उस का दिल भर आया. वह खूबसूरत रात बिना किसी अनोखे एहसास, प्यार के जज्बात के गुजर गई.

सुबह नाश्ते में पूरियां, हलवा, फ्राइड चिकन देख उस ने धीरे से कहा, ‘‘मैं सुबहसुबह इतना भारी नाश्ता नहीं कर सकती.’’

‘‘ठीक है, न खाओ,’’ नईम ने लापरवाही से कहा, फिर उस के लिए ब्रैडदूध मंगवा दिया, न कोई मनुहार न इसरार.

फिर जिंदगी एक इम्तिहान की तरह शुरू हो गई. सबा अभी अपनेआप को इस बदले माहौल में व्यवस्थित करती, उस से पहले ही सब के व्यवहार बदलने लगे. सास की तीखी बातें, ननदों के बातबात पर पढे़लिखे होने के ताने. जैसे उसे नीचा दिखाने की होड़ शुरू हो गई. उस का व्यवहारकुशल और पढ़ालिखा होना जैसे एक गुनाह बन गया. सबा इसे झेल नहीं पा रही थी इसलिए उस ने खामोशी ओढ़ ली. धीरेधीरे सब से कटने लगी. उन लोगों की बातों में भी या तो किसी की बुराई होती या मजाक उड़ाया जाता, वह अपने कमरे तक सीमित हो गई.

नईम का नरम और बचकाना रवैया उसे खड़े होने के लिए जमीन देता रहा. इतना भी काफी था. जब वह स्टोर से आता मांबहनों के पास एकडेढ़ घंटे बैठता, तीनों उस की शिकायतों के दफ्तर खोल देतीं. हर काम में बुराई का एक पहलू मिल जाता, खाने में कम तेल डालना, छोटी रोटियां बनाना कंजूसी गिना जाता, साफसफाई की बात पर मौडर्न होने का इलजाम, चमकदमक के रेशमी कपड़े न पहनने पर फैशन की दुहाई, ये सब सुन उस का मन कसैला हो जाता.

नईम पर कुछ देर इन शिकायतों का असर रहता फिर वह सबा से अच्छे से बात करता. क्योंकि यह उसी की ख्वाहिश थी कि उसे पढ़ीलिखी बीवी मिले और वह अपने दोस्तों पर उस की धाक जमा सके पर सबा को एक शोपीस बन कर नईम के दोस्तों के यहां जाना जरा भी अच्छा नहीं लगता था.

नौकरी तो वह छोड़ ही चुकी थी. एक तो स्कूल ससुराल से बहुत दूर था, दूसरे, शादी की एक शर्त नौकरी छोड़ना भी थी. अपना काम पूरा कर अपने कमरे में किताबें पढ़ती रहती. कानून की डिगरी लेना उस के सपनों में से एक था पर हालात ने इजाजत न दी, न ही वक्त मिला. अब वह अपने खाली टाइम में कानून की किताबें पढ़ अपना यह शौक पूरा करती. वह एक समझदार बेटी, एक परफैक्ट टीचर, एक संपूर्ण औरत तो थी पर मनचाही बहू नहीं बन पा रही थी.

मेरे बच्चे का नामकरण होने वाला है, सलाह दें

सवाल

मैडम आप कहेंगी कि मेरी यह समस्या भी कोई समस्या है लेकिन वाकई यह मेरे लिए समस्या बन गई है. बात यह है कि मैं नईनई मां बनी हूं और जल्दी ही मेरे बच्चे का नामकरण होने वाला है. मैं अच्छा सा नाम रखना चाहती हूं लेकिन बहुत कन्फ्यूज हो रही हूं. आप कुछ सलाह दें.

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जवाब

वैसे तो यह दिक्कत अकसर नएनए बने मातापिता को फेस करनी पड़ती है, क्योंकि नाम ऐसी चीज है जो व्यक्ति के साथ उम्रभर जुड़ा रहता है, नाम ही व्यक्ति की पहचान होता है.

खैर, पचड़ों में न पड़ कर ऐसे लोगों से सलाह लें जो खुद भी पेरैंट्स बन चुके हैं. वे आप को गाइड कर पाएंगे क्योंकि वे इस प्रक्रिया से गुजर चुके होंगे.

वैसे ऐसे नाम का चयन न करें जिस का कोई मतलब न निकले. हमेशा अर्थपूर्ण नाम रखें. यूनीक नाम न मिल रहा हो तो इंटरनैट की मदद ले सकती हैं. नेम्स बुक भी आती है. कभीकभी हमें कोई व्यक्ति इसलिए भी याद रह जाता है क्योंकि उस का नाम बाकियों से अलग होता है. इसलिए अपने बच्चे के लिए एक ऐसे नाम का चयन करें जो बाकियों से अलग हो.

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अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz

सब्जेक्ट में लिखें- सरिता व्यक्तिगत समस्याएं/ personal problem 

बड़े काम के छोटे ट्रैक्टर

आज के समय में मिनी ट्रैक्टर कम जोत वाले तमाम किसानों के बीच खासा लोकप्रिय हैं. इन का रखरखाव आसान है, कीमत भी कम है और कम जगह में ये अपना काम पूरा करते हैं. छोटे ट्रैक्टर खासकर बागबानी करने वाले किसानों के लिए अच्छे हैं, क्योंकि इन का आकार कम होता है, इसलिए ये उन तमाम जगहों से निकल जाते हैं, जहां बड़े ट्रैक्टर नहीं पहुंच पाते.

खेती के अलावा छोटे ट्रैक्टर अनेक कामों के लिए भी इस्तेमाल किए जाते हैं. अनेक लोग इन्हें वजन ढोने के लिए भी इस्तेमाल कर रहे हैं. शहर हो या गांव, ये वहां की उन सब तंग व छोटी गलियों में भी पहुंच कर अपना काम पूरा करते हैं, जहां बड़े ट्रैक्टर नहीं पहुंच पाते.

अनेक ट्रैक्टर कंपनियां छोटे ट्रैक्टरों का उत्पादन कर रही हैं. कुछ खास ट्र्रैक्टरों के बारे में यहां हम जानकारी दे रहे हैं, जिन्हें अपना कर किसानों को ट्रैक्टर खरीदने और इस्तेमाल करने में आसानी होगी.

महिंद्रा जीवो 245 डीआई ट्रैक्टर बनाने वाली इस कंपनी ने बाजार में अपनी मजबूत पकड़ बना रखी है. आज यह किसानों का सब से ज्यादा पसंदीदा ब्रांड है.

महिंद्रा का यह छोटा ट्रैक्टर किफायती है. साथ ही, इस ट्रैक्टर में वे सभी खूबियां हैं, जो छोटे ट्रैक्टर में होनी चाहिए.

इस ट्रैक्टर में 2 सिलैंडर व 24 हौर्सपावर का इंजन है. 22 हौर्सपावर की पीटीओ पावर है. पावर स्टेयरिंग के साथ 25 किलोमीटर प्रति घंटा तक की इस की अधिकतम गतिसीमा है. यह सब से तेजी से भागने वाला ट्रैक्टर है. इस में 8 गियर आगे के लिए और 4 गियर पीछे के लिए दिए गए हैं. मल्टीस्पीड पीटीओ तकनीक से लैस इस ट्रैक्टर की लिफ्टिंग पावर 750 किलोग्राम है.

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खेती के अलावा इस ट्रैक्टर का इस्तेमाल  ढुलाई वाले कामों में भी होता है. इस ट्रैक्टर की कीमत तकरीबन 4 लाख रुपए के आसपास है.

सोनालिका 26 टाइगर

इस ट्रैक्टर के 2 मौडल बाजाद में उपलब्ध हैं. पहला, डीजल से चलने वाला और दूसरा इलैक्ट्रिक ट्रैक्टर है. भारत का यह पहला इलैक्ट्रिक ट्रैक्टर है. इस का इंजन 3 सिलैंडर, 26 हौर्सपावर की ताकत का है. इस में 8 गियर आगे व 2 गियर पीछे के चलने के लिए दिए गए हैं. डीजल वाले ट्रैक्टर की अनुमानित कीमत 4 लाख, 75 हजार रुपए से 5 लाख, 10 हजार रुपए तक है.

जॉन डियर 3028 ईएन

आज के समय में जॉन डियर तेजी से बढ़ने वाली कंपनी है. यह ट्रैक्टर किसानों के बीच अच्छी जगह बना रहे हैं. इस ट्रैक्टर का इंजन 3 सिलैंडर व 28 हौर्सपावर कूवत वाला है. इस में 32 लिटर का डीजल टैंक दिया गया है और 8 गियर आगे व 8 गियर पीछे चलने के लिए दिए गए है.

इस में अनेक स्पीड होने के कारण इस ट्रैक्टर के साथ अनेक तरह के कृषि यंत्रों को जोड़ कर चलाया जा सकता है. इस की लिफ्टिंग क्षमता 910 किलोग्राम है व इस की कीमत तकरीबन 5 लाख, 85 हजार रुपए से 6 लाख, 45 हजार रुपए तक हो सकती है.

कुबौटा नियोस्टार

बी2741-4 डब्ल्यूडी

यह जापान की कंपनी है, जो भारतीय कंपनी एस्कॉर्ट के साथ मिल कर ट्रैक्टर बना रही है. फोर ह्वील ड्राइव वाला यह ट्रैक्टर बागबानी के लिए खास है. इस की चौड़ाई को कुछ तय पैमाने तक बढ़ायाघटाया जा सकता है. इसी खासीयत के चलते यह मिनी ट्रैक्टर बागबानी व इंटरकल्टीवेशन (अंतरवर्गीय) फसलों के लिए अच्छा है.

जापानी तकनीक से लैस इस ट्रैक्टर में 3 सिलैंडर व 27 हौर्सपावर का इंजन है. पीटीओ पावर 19.17 हौर्सपावर है. 9 गियर आगे व 3 गियर पीछे के लिए हैं. मल्टीस्पीड पीटीओ के साथ इस ट्रैक्टर के अनुमानित दाम साढ़े 5 लाख रुपए के आसपास हो सकते हैं.

फार्मट्रैक एटीओएम 26

डीजल व इलैक्ट्रिक से चलने वाले इस ट्रैक्टर के लिए फार्मट्रैक कंपनी ने एक स्लोगन दिया है :

‘काम्पैक्ट है पर, इम्पैक्ट है.’ 3 सिलैंडर और 26 हौर्सपावर इंजन वाले इस ट्रैक्टर में

9 गियर आगे व 3 गियर पीछे के लिए दिए हैं. इस ट्रैक्टर की लिफ्टिंग पावर 750 किलोग्राम है. इस ट्रैक्टर की अनुमानित कीमत 5 लाख रुपए के आसपास है.

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कैप्टन 283 4 डब्ल्यूडी-8जी

4 ह्वील ड्राइव वाला इस ट्रैक्टर का इंजन 3 सिलैंडर व 27 हौर्सपावर से युक्त है. 9 गियर आगे की तरफ व 3 गियर पीछे की तरफ चलने के लिए दिए गए हैं. पावर स्टेयरिंग, मल्टीस्पीड पीटीओ के साथ इस ट्रैक्टर की लिफ्टिंग पावर 750 किलोग्राम है. इस ट्रैक्टर की अनुमानित कीमत 4 लाख, 25 हजार रुपए से ले कर

4 लाख, 50 हजार रुपए तक हो सकती है.

मैसी फर्गुसन

6028-4डब्ल्यूडी

4 ह्वील ड्राइव वाले इस ट्रैक्टर में बड़ी हैडलाइट लगी हैं. आकर्षक डिजाइन वाले इस ट्रैक्टर का इंजन 3 सिलैंडर व 28 हौर्सपावर की ताकत के साथ है. इस की पीटीओ पावर

23.8 हौर्सपावर है. 6 गियर आगे व 2 गियर पीछे के लिए दिए गए हैं. पावर लिफ्टिंग

739 किलोग्राम है. इस की अनुमानित कीमत

5 लाख, 10 हजार रुपए से 5 लाख, 50 हजार रुपए तक हो सकती है.

वीटीएस शक्ति 932

4 सिलैंडर, 30 हौर्सपावर इंजन की ताकत वाले इस ट्रैक्टर में 9 गियर आगे व

3 गियर पीछे के लिए दिए गए हैं. इस ट्रैक्टर में डबल क्लच हैं, जो मिनी ट्रैक्टरों में कम

ही मिलते हैं. इस की लिफ्टिंग पावर

1250 किलोग्राम तक है. इस मिनी ट्रैक्टर

की कीमत तकरीबन 4 लाख, 90 हजार

रुपए से 5 लाख, 30 हजार रुपए तक हो सकती है.

फोर्स ऑर्चर्ड डीलक्स

बागबानी के लिए खास तरह से डिजाइन किए गए इस ट्रैक्टर की साइड में साइलैंसर लगा?है. इस में 3 सिलैंडर और 27 हौर्सपावर वाला इंजन दिया है. 8 गियर आगे व 4 गियर पीछे के लिए दिए गए हैं. मेकैनिकल पावर स्टैयरिंग है. लिफ्टिंग पावर 1,000 किलोग्राम तक है. इस ट्रैक्टर की कीमत लगभग 4 लाख, 50 हजार रुपए से 4 लाख, 85 हजार रुपए तक हो सकती है.

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स्वराज 724×एमआई

इस ट्रैक्टर में 2 सिलैंडर व 25 हौर्सपावर की कूवत वाला इंजन दिया गया है.

पीटीओ पावर 21.1 हौर्सपावर की है. 6 गियर आगे व 2 गियर पीछे के लिए दिए गए हैं.

तेल में डूबे हुए बैक, मेकैनिकल स्टेयरिंग है. पावर लिफ्टिंग 1 हजार किलोग्राम तक है.

इस की अनुमानित कीमत 3 लाख 75 हजार रुपए से ले कर 4 लाख, 15 हजार रुपए तक है.

यह कुछ मिनी ट्रैक्टरों के बारे में सामान्य जानकारी है, जिन की कार्यक्षमता, कीमत वगैरह में कुछ ऊपरनीचे हो सकता है,

इसलिए किसी भी यंत्र को खरीदने से पहले अपने नजदीकी विक्रेता से वर्तमान समय के हिसाब से जानकारी जरूर लें. राज्यों के हिसाब से अलगअलग अनुदान भी मिलता है. उस की जानकारी ले कर ही ट्रैक्टर की खरीदारी करें.

Holi Special: सुरक्षित और रंग बिरंगी ईकोफ्रैंडली होली

होली का नाम सुनते ही रंगों और मस्ती का माहौल याद आ जाता है. होली में रंग खेले बगैर रहें तो होली अधूरी लगती है. होली रंगों का त्योहार होता है. बिना रंग के होली का आनंद नहीं आता. आज के समय में कैमिकल वाले रंगों से त्वचा के खराब होने का खतरा होता है. ऐसे में लोग होली से दूर होते जा रहे हैं. होली में कैमिकल रंगों के बढ़ते इस्तेमाल से लोगों में होली के प्रति आकर्षण खत्म होता जा रहा है.  ईकोफ्रैंडली होली से लोगों में होली के प्रति डर को खत्म किया जा सकता है. बाजार में बिकने वाले हर्बल कलर महंगे होने के कारण आम लोगों की पहुंच से दूर होते हैं. ऐसे में घर पर भी हर्बल कलर तैयार किए जा सकते हैं. इस से होली के रंगों की मस्ती भी होगी और किसी तरह का नुकसान भी नहीं होगा.

होली आते ही इस बात का डर सब से अधिक होता है कि त्वचा पर लगे होली के रंग को कैसे छुड़ाएंगे. त्वचा विशेषज्ञों का मानना है कि हर्बल कलर से होली खेलने में कोई खतरा नहीं होता है. पहले जहां हर्बल कलर को घर में खुद ही तैयार करना होता था, वहीं अब बाजार में भी ऐसे रंग मिलने लगे हैं. ये हर तरह के रंग में आते हैं. हर्बल कलर में अच्छी किस्म की खुशबू मिलाई जाती है ताकि इस को लगाने के बाद भीनीभीनी खुशबू का एहसास भी होता रहे. सिंथैटिक रंगों और पेंट आदि से होली न मनाएं. हर्बल रंगों से होली खेल कर ईकोफ्रैंडली होली की शुरुआत करें.

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होली में कई प्रकार के रंगों का प्रयोग होता है, जिन का असर कई दिनों तक कम नहीं होता है. यह सचहै कि रंग खेलने में कोई बुराई नहीं है, लेकिन कैमिकल वाले रंग स्वास्थ्य के लिए खतरा बन सकते हैं. बाजार के रंगों में इतना ज्यादा हानिकारक कैमिकल का प्रयोग होता है कि वे स्वास्थ्य के लिए खतरनाक होते हैं. कई रंग तो एलर्जी पैदा करते हैं.

होली का मजा तब ज्यादा आता है जब आप सूखे रंगों से होली खेलें, इस से कई लिटर पानी बरबाद होने से बचाया जा सकता है. इस के अलावा इस बार होली में आप अपने घर में प्राकृतिक वस्तुओं का इस्तेमाल कर के ईकोफ्रैंडली रंग तैयार कर होली खेल सकते हैं. इस से स्वास्थ्य को कोई खतरा नहीं रहेगा और आप की होली सुरक्षित होगी.

घर में ही कई तरह के रंगों को तैयार किया जा सकता है. ये रंग आप की त्वचा को किसी भी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाएंगे. हलदी और बेसन को मिला कर पीला रंग तैयार किया जा सकता है. गुलमोहर की पत्तियों को पीस कर बनाएं नीला गुलाल. ये प्राकृतिक रंग त्वचा के लिए पूरी तरह से सुरक्षित होते हैं.

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हर्बल कलर से ईकोफ्रैंडली होली

प्राकृतिक जड़ीबूटियों और फूलपत्तियों को मिला कर रंग तैयार कर ईकोफ्रैंडली होली का मजा लिया जा सकता है. इस की शुरुआत के लिए सब से पहले हर्बल कलर बनाएं. होली में पीले रंग का अपना महत्त्व होता है. गेंदे या टेसू के फूल की पंखुडि़यों को पानी में उबाल कर प्राकृतिक पीला रंग बनाया जा सकता है. अनार के छिलकों को रातभर पानी में भिगो कर भी पीला रंग तैयार किया जा सकता है. गेंदे के फूल की पत्तियों को मिला कर पीला रंग बनाया जा सकता है.

होली में दूसरा सब से खास रंग गुलाबी रंग होता है. इस को बनाने के लिए चुकंदर के टुकड़े काट कर पानी में भिगो कर गहरा गुलाबी रंग बनाया जा सकता है. प्याज के छिलकों को पानी में उबाल कर भी गुलाबी रंग बनाया जा सकता है. गुलाबी रंग से मिलता हुआ लाल रंग बनाने के लिए लाल चंदन के पाउडर को लाल रंग के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं.  इस में पानी मिला कर लाल गीला रंग बनाया जा सकता है. टमाटर और गाजर के रस को पानी में मिला कर भी होली खेली जा सकती है. अनार के छिलकों को मजीठे के पेड़ की लकड़ी के साथ उबाल कर लाल रंग बनाया जा सकता है.

हरा रंग बनाने के लिए मेहंदी में बराबर मात्रा में आटा मिला कर हरा रंग बना सकते हैं. सूखी मेहंदी त्वचा में लगने पर कोई नुकसान भी नहीं होता है. मेहंदी में पानी मिला कर गीला रंग भी तैयार किया जा सकता है. भूरा रंग बनाने के लिए कत्थे के पानी को मिला कर गीला भूरा रंग तैयार किया जा सकता है. इस के अलावा चायपत्ती का पानी भी भूरा रंग देता है. आंवले को लोहे के बरतन में रातभर के लिए भिगो दें. सुबह आंवलों को पानी से निकाल कर अलग कर दें. आंवले के पानी में थोड़ा और पानी मिला कर प्राकृतिक रंग तैयार किया जा सकता है. नीला रंग बनाने के लिए नीले गुलमोहर की पत्तियों को सुखा कर, फिर उन्हें बारीक पीस कर नीला गुलाल भी बनाया जा सकता है, इस के अलावा इस का पेस्ट बना कर नीला रंग बनाया जा सकता है.

ईकोफ्रैंडली होली के शुरू होने से जो लोग होली को खेलना भी पसंद नहीं करते, वे भी होली खेलने की शुरुआत कर सकते हैं. सब से अच्छी बात यह होती है कि इस तरह के रंगों से होली खेलने से रंगों को छुड़ाने के लिए बहुत पानी बरबाद नहीं होता है. कपड़ों के साथ त्वचा पर भी कोई प्रभाव नहीं पड़ता है. ईकोफ्रैंडली होली से होली खेलने के प्रति लोगों का आकर्षण बढ़ाया जा सकता है.

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ज्यादा प्रभावित होती है संवेदनशील त्वचा

कैमिकल वाले रंगों से संवेदनशील त्वचा ज्यादा प्रभावित होती है. कई बार त्वचा पर लाल रंग के चकत्ते पड़ जाते हैं, खुजली होने लगती है. खुजली करने से स्किन फट जाती है. वहां से खून निकलने लगता है. ज्यादा प्रभाव होता है तो यह परेशानी लंबे समय तक बनी रह सकती है.

ब्यूटी और त्वचा ऐक्सपर्ट अनीता मिश्रा कहती हैं, ‘‘केवल त्वचा ही नहीं, बालों को भी कैमिकल रंगों से बहुत नुकसान होता है. कैमिकल रंग बालों में डाले जाने से सिर की स्किन को नुकसान पहुंचाता है. वहां पर फंगल इन्फैक्शन से ले कर खुजली तक सबकुछ हो सकता है. इस से बालों की जडे़ं कमजोर हो सकती हैं. जिस से बालों के झड़ने की परेशानी शुरू हो सकती है. इस से बचने के लिए जरूरी है कि रंग खेलते समय बालों को टोपी से ढक कर रखें.’

और्गेनिक फूड सेहत के लिए फायदेमंद

स्वास्थ्य का सीधा असर खानपान से होता है. स्वस्थ रहने के लिए लोग अब तेजी से और्गेनिक फूड अपना रहे हैं. पिछले कुछ सालों में लोगों का रुझान और्गेनिक फूड की तरफ काफी तेजी से बढ़ा है, क्योंकि उन्हें भरोसा है कि इस के सेवन से इन्हें फायदा होगा. ज्यादातर लोगों का मानना है कि और्गेनिक फूड उन्हें बीमारियों से भी नजात दिलाता है. भले ही उन्हें रासायनिक खाद्य पदार्थों के मुकाबले इन की कीमत अधिक चुकानी पड़ती है. इसे सेहत के लिहाज से काफी अच्छा माना जाता है. जैविक खाद्य पदार्थों में कीटनाशकों का उपयोग बहुत ही कम यानी नाममात्र होता है. इसलिए यह खाद्य पदार्थ एकदम ताजे, किफायती और अच्छे आकार के होते हैं. साथ ही खतरनाक रसायनों से बचाने के साथसाथ यह कैंसर जैसी बीमारी का खतरा भी कम करता है.

जैविक खेती पर्यावरण के लिए भी अनुकूल है, यह हमारे स्वास्थ्य को सुरक्षा प्रदान करने के साथ ही पर्यावरण को भी प्रदूषण मुक्त, मिट्टी के कटाव को रोकने, जमीन की उर्वरकता को बढ़ाने के साथ ही पानी और ऊर्जा को बचाने के लिए भी कारगर साबित होती है. सामान्य फलों, सब्जियों और अनाजों की तुलना में इन के जैविक रूपों में अधिक ऐंटिऔक्सिडैंट होते हैं. इन में सामान्य उत्पादों की तुलना में कीटनाशकों का काफी कम इस्तेमाल किया जाता है. और्गेनिक फूड में नाइट्रेट काफी कम और विटामिन ज्यादा मौजूद होते हैं.

और्गेनिक फूड खाने से एलर्जी, मोटापा और वजन बढ़ने की आशंका भी कम रहती है. इस के साथ ही इस का सेवन करने वालों का स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है, जबकि रासायनिक खाद्य पदार्थ बच्चों की स्मरणशक्ति को भी नुकसान पहुंचाते हैं, इसलिए और्गेनिक फूड का ही सेवन करें, यह सेहत के लिए फायदेमंद है.

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क्या है और्गेनिक फूड

और्गेनिक फूड कैमिकल रहित होता है. इस में किसी तरह के पेस्टिसाइड्स या रासायनिक खाद का इस्तेमाल नहीं होता है. इन फल, सब्जी और अनाजों की पैदावार के दौरान आकार बढ़ाने या पकाने के लिए किसी तरह के कैमिकल का इस्तेमाल नहीं किया जाता. और्गेनिक फूड और्गेनिक फार्म में उगाए जाते हैं. वैसे, आम फूड और और्गेनिक फूड के बीच फर्क कर पाना काफी मुश्किल है, क्योंकि रंग और आकार में ये एक जैसे ही दिखते हैं.

पहचान कैसे करें

बाजारों में तमाम तरह के फल और सब्जियां मौजूद हैं, जो देखने में एकदम फ्रैश लगते हैं, लेकिन इस का मतलब यह नहीं है कि वे सब और्गेनिक हैं. और्गेनिक फूड्स का स्वाद नौर्मल फूड से थोड़ा अलग होता है. और्गेनिक मसालों की सुगंध नौर्मल मसालों से तेज होती है. इसी तरह जैविक सब्जियां गलने में भी ज्यादा समय नहीं लेती और पक भी जल्दी जाती है.

क्या है खासियत

और्गेनिक फूड्स में आमतौर पर जहरीले तत्त्व नहीं होते, क्योंकि इन में कैमिकल्स, पेस्टिसाइड्स, ड्रग्स प्रिजर्वेटिव जैसी नुकसान पहुंचाने वाली चीजों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. आम फूड में पेस्टिसाइड्स यूज किए जाते हैं. ज्यादातर पेस्टिसाइड्स में और्गेनोफास्फोरस जैसे कैमिकल होते हैं, जिन से कई तरह की बीमारियों की आशंका बढ़ जाती है.

और्गेनिक फूड सेहत के लिए काफी फायदेमंद हैं. पारंपरिक फूड के मुकाबले इन में 10 से 50 फीसदी तक अधिक पौष्टिक तत्त्व मौजूद होते हैं. इस में विटामिन मिनरल्स, प्रोटीन, कैल्शियम और आयरन भी अधिक मात्रा में होता है. इन में मौजूद न्यूट्रिशंस दिल की बीमारी, माइग्रेन, ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और कैंसर जैसी बीमारियों से बचाते हैं.

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और्गेनिक गार्डन : घर में बनाएं

आप घर में ही और्गेनिक गार्डनिंग कर के फ्रैश फलसब्जियां उगा सकते हैं. वातावरण के लिए तो सुरक्षित है ही, इस में खर्च भी कम आता है, क्योंकि इस में महंगी खाद और कीटनाशकों की जरूरत नहीं पड़ती. आप अपने गार्डन के कुछ भाग में जहां पर अच्छी धूप आती हो, कम जगह में ठीक तरीके से देखभाल कर और्गेनिक सब्जियां उगा सकते हैं, जो आप के लिए स्वास्थ्यबर्द्धक होंगी.

कैसे चुने पौधे

और्गेनिक गार्डनिंग मिट्टी की किस्म पर निर्भर करता है. इसलिए इस बात पर ध्यान दें कि जिस मिट्टी में आप गार्डनिंग करना चाहते हैं, वह उपजाऊ हो. इस में और्गेनिक खाद यानी गोबर और नीम की पत्तियां डालें. लेकिन उस के लिए मिट्टी नम होनी चाहिए और उस में घासफूस न हो. समयसमय पर इन की कटाईछंटाई करते रहें. गमलों और गार्डन में फालतू पानी जमा न होने दें. मौसमी फलों और सब्जियों की जानकारी रखें.

कीड़ा लग जाए तो

पौंधों में यदि कीड़ा या फफूंद लग जाए तो और्गेनिक पेस्टिसाइड्स का इस्तेमाल करे. पौधों में कीड़े लगने पर नीम के तेल या नीम वाले पेस्टिसाइड का इस्तेमाल करें. इस के लिए फफूंदनाशी ट्राईकोडर्मा वीरडी का इस्तेमाल करें. यह पाउडर के रूप में आती है. 2 ग्राम पाउडर को एक लिटर पानी में घोल कर पौधों पर स्प्रे करें. हालांकि बुआई से पहले अगर बीजों को बीजामृत से ट्रीट कर लें तो कीट, बीमारी या फफूंद लगने का खतरा काफी कम हो जाता है.

क्या कहता है विज्ञान

किसानों द्वारा उपज बढ़ाने के लिए खेतों में कई तरह के पेस्टिसाइड्स का इस्तेमाल होता है. इंटरनैशनल एजेंसी फौर रिसर्च औन कैंसर ने इन में से ग्लाइफोजेट, मेलाथियान और डायजिनौन को कैंसर का कारक माना है. इसी तरह कुछ रसायन एंडो क्राइन डिसरप्टर होते हैं और एस्ट्रोजन हार्मोन की तरह काम करते हैं. इसलिए इन्हें स्तन कैंसर का खतरा बढ़ाने वाला माना जाता है. रसायनों के खतरों को देखते हुए वैज्ञानिकों का मानना हैकि भले ही और्गेनिक फूड कोई लाभ न पहुंचाएं लेकिन इन के इस्तेमाल से कोई नुकसान भी नहीं होता.

अध्ययन से बढ़ी उम्मीदें

फ्रांस के नैशनल इंस्टिट्यूट औफ हैल्थ ऐंड मैडिकल रिसर्च ने इस संबंध में करीब 70 हजार लोगों पर एक सर्वे किया. इस में पाया गया है कि और्गेनिक फूड का सेवन करने वाले लोगों में कैंसर का खतरा 25 प्रतिशत तक कम हो जाता है. उन का कहना है कि यह रिसर्च कोई ठोस नतीजा तो नहीं देता, लेकिन इस से वह धारणा तो मजबूत होती है कि  और्गेनिक फूड कैंसर जैसी बीमारियों से अवश्य बचाता है.

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