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आखिरी मुलाकात: भाग 2

Writer- Shivi Goswami

सुमेधा मुझे देखे जा रही थी और मेरी घबराहट उस की नजरों को देख कर बढ़ती जा रही थी. वह धीमी आवाज में बोली, ‘मैं तुम से नाराज हूं…’

मैं उस की तरफ एकटक देखे जा रहा था.

‘मैं तुम से नाराज हूं इसलिए क्योंकि तुम ने यह बात कहने में इतना समय लगा दिया और मुझे लगता था कि मुझे ही प्रपोज करना पड़ेगा.’

उस की बात को सुन कर मुझे लगा कि कहीं मेरे कानों ने कुछ गलत तो नहीं सुन लिया था. कहीं यह सपना तो नहीं? लेकिन वह कोई सपना नहीं हकीकत थी.

मैं ने लंबी सांस लेते हुए कहा, ‘तुम ने मुझे डरा दिया था सुमेधा. मुझे लगा कहीं प्यार की बात बोल कर मैं अपनी दोस्ती न खो दूं.’

‘अच्छा… और अगर न बताते तो शायद अपने प्यार को खो देते,’ सुमेधा ने कहा.

उस दिन से ज्यादा खुश शायद मैं पहले कभी नहीं हुआ था. जब एम.ए. में फर्स्ट क्लास आया था तब भी और जब नौकरी मिली थी तब भी. एक अजीब सी खुशी थी उस दिन.

सुमेधा और मैं घंटों मोबाइल पर बात किया करते थे और मौका मिलते ही एकदूसरे के साथ वक्त बिताते थे.

उस दिन के बाद एक दिन सुमेधा ने मुझे बहुत खूबसूरत सा हार दिखाते हुए बाजार में कहा, ‘देखो समीर, कितना प्यारा लग रहा है.’

मैं ने कहा, ‘तुम से ज्यादा नहीं.’

वह बोली, ‘जनाब, यह मेरी खूबसूरती को और बढ़ा सकता है.’

उस वक्त मन तो था कि मैं उस को वह हार दिलवा कर उस की खूबसूरती में चार चांद लगा दूं, लेकिन मेरी सैलरी इतनी नहीं थी कि उस को वह हार दिलवा सकता.

सुमेधा समझ गई थी. उस ने मेरी तरफ देखते हुए कहा, ‘इतना भी खूबसूरत नहीं है कि इस हार की इतनी कीमत दी जाए. लगता है अपने शोरूम के पैसे भी जोड़ दिए हैं. चलो समीर चाय पीते हैं.’

मुझे सुमेधा की वह बात अच्छी लगी. वह खूबसूरत तो थी ही, समझदार भी थी.

वक्त बीतता गया. सुमेधा चाहती थी कि मैं शादी से पहले अपने पैरों पर अच्छे से खड़ा हो जाऊं ताकि शादी के बाद बढ़ती हुई जिम्मेदारियों से कोई परेशानी न आए. बात भी सही थी. अभी मेरी सैलरी इतनी नहीं थी कि मैं शादी जैसी महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी को निभा सकूं.

हमारे प्यार को 1 साल से ज्यादा हो गया था. वक्त कैसे बीत गया पता ही नहीं चला.

आज सुमेधा औफिस नहीं आई थी. मैं ने सुमेधा को फोन किया, लेकिन पूरी रिंग जाने के बाद भी उस ने मोबाइल नहीं उठाया.

हो सकता है वह व्यस्त हो किसी काम में. क्या हुआ होगा, जो सुमेधा ने मुझे नहीं बताया कि आज वह छुट्टी पर है. पूरा दिन बीत गया लेकिन सुमेधा का कोई फोन नहीं आया. मुझे बहुत अजीब लग रहा था. क्या आज वह इतनी व्यस्त है कि एक बार भी फोन या मैसेज करना जरूरी नहीं समझा?

अगले दिन भी वही सब. न मेरा फोन उठाया और न खुद फोन या मैसेज किया. बस अपने सर को उस ने अपनी छुट्टी के लिए एक मेल भेजा था, जिस में बस यह लिखा था कि कोई जरूरी काम है.

क्या जरूरी काम हो सकता है? मैं सोच नहीं पा रहा था.

नीलेश ने कहा, ‘तुम उस के घर के फोन पर बात करने की कोशिश क्यों नहीं करते?’

‘अगर किसी और ने फोन उठाया तो?’ मैं ने उस के सवाल पर अपना सवाल किया.

‘तो तुम बोल देना कि तुम उस के औफिस से बोल रहे हो और यह जानना चाहते हो कि कब तक छुट्टी पर है वह.’

हिम्मत कर के मैं ने उस के घर के फोन पर काल किया. पहली बार किसी ने फोन नहीं उठाया. नीलेश के कहने पर मैं ने दोबारा कोशिश की. इस बार फोन पर आवाज आई जो मैं सुनना चाहता था.

‘हैलो सुमेधा, मैं समीर बोल रहा हूं. कहां हो, कैसी हो? और तुम औफिस क्यों नहीं आ रही हो? मैं ने तुम्हारा मोबाइल नंबर कितनी बार मिलाया, लेकिन तुम ने फोन नहीं उठाया. सब ठीक तो है?’

सुमेधा चुपचाप मेरी बातों को बस सुने जा रही थी.

‘सुमेधा कुछ तो बोलो.’

‘अब मुझे कभी फोन मत करना समीर…’ सुमेधा ने धीमी आवाज में कहा.

‘क्या, पर हुआ क्या यह तो बताओ?’ मैं ने बेचैन हो कर पूछा.

‘पापा को माइनर हार्ट अटैक आया था. अब उन की हालत ठीक है. मेरे लिए एक रिश्ता आया था पापा ने वह रिश्ता तय कर दिया है और उन की हालत को ध्यान में रखते हुए मैं न नहीं कर पाई.’

‘तुम्हें उन्हें मेरे बारे में तो बताना चाहिए था,’ मैं ने कहा.

‘समीर वह लड़का बिजनैसमैन है,’ सुमेधा ने एकदम से कहा.

‘ओह, तो शायद इसीलिए तुम्हारी उस से शादी हो रही है,’ मैं ने कहा.

‘तुम जो भी समझो मैं मना नहीं करूंगी. अगले महीने मेरी शादी है. मैं ने आज ही अपना रिजाइनिंग लैटर अपने सर को मेल कर दिया है. बाय समीर.’

TMKOC: फिर आया पोपटलाल के लिए शादी का रिश्ता, देखें Video

सोनी सब का मशहूर कॉमेडियन शो ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ को दर्शक काफी पसंद करते हैं. इस शो के हर किरदार घर-घर में मशहूर है. हाल ही में शो में दिखाया गया था कि पोपटलाल का रिश्ता टूट गया था जिसके बाद पोपटलाल ने खूब हंगामा किया था. आइए बताते हैं शो के नए ट्विस्ट एंड टर्न के बारे में.

शो में दिखाया गया था कि पोपटलाल का रिश्ता बिल्ली की वजह से टूटा था. दरअसल बिल्ली ने लड़की वालों का रास्ता काट दिया था. जिसके बाद रिश्तेवाले लौट गए थे तो वहीं अब बिल्ली ने सोसायटी छोड़ दी है. दूसरी तरफ अब्दुल ने झूठ बोला कि बिल्ली सोसायटी से भाग गई थी जिसके बाद पोपटलाल ने फिर से लड़की वालों को फोन कर रिश्ते की बात की. और लड़की वाले भी राजी हो गए.

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अब फिर से पोपटलाल के लिए शादी का रिश्ता आने वाला है. अब शो में ये देखना दिलचस्प होगा कि क्या पोपटलाल का रिश्ता पक्का हो जाएगा या फिर से कोई बवाल होगा.

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शो में आपने देखा कि पोपटलाल ने रिश्ते टूटने की वजह से बौखला गए थे. पोपटलाल ने भिड़े को काफी भला बुरा कह दिया था और उनसे इस्तीफा तक मांग लिया था. अब पोपटलाल को अपनी गलती का अहसास हो गया है और उन्होंने सबके सामने भिड़े से माफी मांगने की ठान ली है.

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भारती सिंह की डिलिवरी डेट आई सामने, इस दिन बनेंगी मां

मशहूर कॉमेडियन भारती सिंह और उनके पति हर्ष लिंबाचिया अक्सर सुर्खियों में छाये रहते हैं. दोनों जल्द ही पेरेंट्स बनने वाले हैं. भारती आए दिन फैंस के साथ मां बनने को लेकर अनुभव शेयर करती रहती हैं. इसी बीच अब भारती सिंह ने बताया है कि वह अप्रैल के पहले सप्ताह में मां बनेंगी.

हाल ही में भारती सिंह का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें वह पैपराजी से बात करती नजर आ रही है ढोल की थाप पर थिरक रही है. भारती के इस वीडियो को विरल भयानी ने इंस्टाग्राम पर शेयर किया है.

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वीडियो में आप देख सकते हैं कि भारती एक व्यक्ति को मास्क पहनने के लिए भी कहती हैं. इसके बाद पैपराजी इशारों में ही उनसे उनकी डिलीवरी डेट के बारे में पूछते हैं. इस पर भारती कहती हैं भाई अप्रैल के पहले हफ्ते में आप सब कभी भी मामा बन सकते हैं.

 

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आपको बता दें कि भारती सिंह और हर्ष लिंबाचिया ने दिसंबर में अपनी प्रेग्नेंसी के बारे में शायर किया था. भारती ने अपने यूट्यूब चैनल एलओएल लाइफ ऑफ लिंबाचिया पर वीडियो शेयर करते हुए अपनी प्रेग्नेंसी की खबर शेयर की थी.

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हाल ही में भारती सिंह का एक वीडियो वायरल हुआ था. जिसमें एक शख्स ने भारती से पूछा कि आपको खट्टा खाने का मन करता है तो इस पर उन्होंने कहा,  इमली का टाइम गया. अब तो मैं पूरा खाना खाती हूं. चलिए, आप सब लोग मामा हैं, बच्चे का स्वागत करने के लिए रेडी रहें. इसके बाद भारती ने ही पैपराजी से सवाल किया कि आपको क्या चाहिए लड़का या लड़की. इस पर वहां मौजूद सभी लोगों ने लड़की कहा. ये सुनकर भारती ने कहा, ओ हाऊ स्वीट.

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अधूरी रह गई फैशन ब्लॉगर की मोहब्बत- भाग 2

रितिका के पैर जल गए थे. इस बीच आकाश का भाई वहां से भाग गया. लेकिन घर उजड़ने के डर से रितिका की मां ने पुलिस में रिपोर्ट नहीं की. आकाश बाद में  रितिका को अपने घर टूंडला ले आया. दोनों स्टूडेंट के लिए कंसलटेंसी सर्विस का काम करने लगे.

लेकिन काम नहीं चला, तब दोनों आगरा रहने लगे. यहां रितिका एक कंपनी में काम करने लगी. नौकरी के दौरान दोस्तों से बात करने से आकाश उस पर शक करने लगा. इस के चलते रितिका को नौकरी छोड़नी पड़ी.

सन 2018 में उस की मुलाकात फेसबुक के माध्यम से विपुल अग्रवाल से हुई, जो फिरोजाबाद में रहता था. वह बड़ा बाजार शिकोहाबाद का मूल निवासी था. लेकिन अब तक आकाश बेरोजगार था. वह कुछ नहीं करता था, बल्कि रितिका की कमाई पर ही ऐश करता था.

विपुल से मुलाकात होने पर रितिका ने उसे अपनी समस्या बताई. तब रितिका फिरोजाबाद स्थित एक स्कूल में नौकरी करने लगी.

इस स्कूल में विपुल पार्टनर था. इस बीच विपुल और रितिका के बीच नजदीकियां बढ़ने लगीं. इस की जानकारी रितिका के पति आकाश गौतम को हो गई. वह अकसर स्कूल आता और सब के सामने रितिका के साथ दुर्व्यवहार करता.

पति की ज्यादती के चलते रितिका ने पति का घर छोड़ दिया. दोनों अलग रहने लगे. लेकिन आकाश लगातार रितिका को परेशान करने लगा.

इस के चलते विपुल और रितिका का एकदूसरे के प्रति झुकाव बढ़ता गया. 2020 में विपुल और रितिका आगरा आ गए. वे पिछले लगभग ढाई साल से लिवइन में रह रहे थे.

विपुल अग्रवाल की पत्नी डा. दीपाली अग्रवाल दंत चिकित्सक है. उस के 10 साल का एक बेटा भी है.  दीपाली  फिरोजाबाद में रहती है. जब उसे पति के रितिका से संबंधों की जानकारी हुई तो उस ने इस रिश्ते का विरोध किया. दोनों में दूरियां बढ़ने लगीं. लेकिन विपुल तो रितिका का दीवाना हो चुका था. वह उसे छोड़ने को तैयार नहीं हुआ.

आगरा में विपुल और रितिका किराए पर फ्लैट ले कर रहने लगे. रितिका अपने पति आकाश से अब दूर रहने लगी. पति से कानूनी तौर पर भी अलग होने के लिए उस ने कोर्ट में तलाक की अरजी लगा दी. इस में रितिका ने आकाश से करीब 50 लाख रुपए मुआवजे की मांग की थी.

उधर रितिका का पति आकाश गौतम काफी समय से रितिका की रेकी करवा रहा था. मगर रितिका के बारबार मकान बदलने से वह उस तक पहुंच नहीं पा रहा था. किसी तरह इस की भनक विपुल अग्रवाल और रितिका सिंह को लग गई थी. इसलिए दोनों अपने रहने के ठिकाने बदल रहे थे.

3 महीने पहले ही विपुल ने इस फ्लैट को 13 हजार रुपए महीने किराए पर लिया था. इस फ्लैट में रितिका और विपुल लिवइन में रह रहे थे. विपुल और उस की पत्नी दीपाली का भी तलाक का मामला कोर्ट में पहुंच चुका था.

मृतका की मां मंजू का आरोप है कि बेटी काफी परेशान थी. एक साल से रितिका उस से मिलने के लिए गाजियाबाद आना चाहती थी, लेकिन विपुल उसे जाने नहीं देता था. क्योंकि उसे आकाश से रितिका की जान का खतरा था.

मां से मिलना चाहती थी रितिका

घटना से 2 दिन पहले रितिका ने मोबाइल से 15 मिनट तक मां से बात की थी. मां से मिलने के लिए उस ने गाजियाबाद आने की बात की थी. उस ने बताया कि उसे आकाश से अपनी जान का खतरा है. लेकिन दूसरे दिन ही आने से मना कर दिया था, वह डरी हुई लग रही थी.

पकड़ा गया शख्स मृतका का पति आकाश गौतम था. पहले तो वह पुलिस को गुमराह करता रहा. लेकिन सीसीटीवी फुटेज ने सच्चाई उजागर कर दी थी. सख्ती करने पर उस ने रितिका की हत्या का जुर्म कुबूल कर लिया. जिन महिलाओं को आकाश बहनें बता रहा था, वे भाड़े व नौकरी के लालच में लाई गई थीं.

पकड़ी गई दोनों महिलाओं ने बताया कि आकाश तो उन्हें यह कह कर लाया था कि वह पत्नी को लेने जा रहा है. जरूरत पड़ने पर महिला होने के नाते वह उस का सहयोग कर देंगी. कुसुमा और काजल को इस बात का अंदेशा नहीं था कि आकाश अपनी पत्नी की हत्या कर देगा.

रितिका सिंह खूबसूरत थी. वह फूड और फैशन पर वीडियो बनाती थी, सोशल मीडिया पर ऐक्टिव रहती थी. इंस्टाग्राम पर उस के 44 हजार से अधिक फालोअर्स हैं. तमाम वीडियो में खुशीखुशी हंस कर फैशन और फूड ब्लागिंग करने वाली रितिका की आवाज को अचानक उस के पति ने खामोश कर दिया गया.

इस के पीछे की वजह उस के पति आकाश गौतम का सनकीपन, एकतरफा दीवानगी, बेरोजगारी और पत्नी पर शक करना था. लेकिन अब पत्नी द्वारा तलाक लेने व 50 लाख का मुआवजा मांगने पर वह कोर्ट में सबूत देना चाहता था कि उस की पत्नी रितिका अपने दोस्त विपुल के साथ लिवइन पार्टनर के तौर पर रह रही है.

उस ने सोचा उस का वीडियो बना कर कोर्ट में पेश कर दिया तो शायद उसे 50 लाख रुपए का मुआवजा नहीं देना पड़ेगा, क्योंकि उस की पत्नी अपनी मरजी से उसे छोड़ कर गई थी.

गेटमैन को फ्लैट का नंबर बताया गलत

इस योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए आकाश ने अपने दोस्त चेतन के साथ मिल कर षडयंत्र रचा. योजना के तहत, चेतन ने अपने परिचित अनवर के साथ मिल कर 2 महिलाओं को भाड़े पर साथ लिया. फ्लैट में घुसने के लिए महिलाओं ने गेटमैन को दूसरे फ्लैट का नंबर 601 बताया ताकि किसी को शक न हो. जबकि घटना उन्हें फ्लैट नंबर 404 में अंजाम देनी थी.

लिफ्ट से पांचों लोग फ्लैट नंबर 404 पर पहुंच गए. आकाश ने दोनों महिलाओं से घंटी बजाने को कहा, क्योंकि रितिका व विपुल उसे देख कर दरवाजा नहीं खोलते. महिलाओं के फ्लैट की घंटी बजाने पर जैसे ही विपुल ने दरवाजा खोला, महिलाओं के साथ आकाश व उस के दोनों साथी भी अंदर घुस आए. आते ही आकाश से विपुल और रितिका की कहासुनी होने लगी.

इसी बीच दोनों महिलाओं ने रितिका को पकड़ लिया, जबकि आकाश व उस के दोनों साथियों ने मारपीट कर विपुल अग्रवाल के हाथ बांध कर बाथरूम में बंद कर दिया. तब विपुल शोर मचाने लगा. आकाश जिस उद्देश्य से आया था, उसे पूरा न होते देख उस के सिर पर खून सवार हो गया.

आकाश व उस के चारों साथियों ने रितिका की पिटाई करने के साथ ही उस के हाथ अपने साथ लाई रस्सी से तथा मुंह कपड़े से बांध दिया और उसे उठा कर फ्लैट के पीछे की बालकनी से नीचे फेंक दिया.

बालकनी से नीचे फेंकने के दौरान रितिका ने संघर्ष भी किया, जिस से वहां रखे गमले गिर गए. नीचे गिरते समय भी रितिका लगातार चीख रही थी. लेकिन इतनी ऊंचाई से गिरने के बाद वह हमेशा के लिए खामोश हो गई.

मधुर मिलन: भाग 4

Writer- रेणु गुप्ता

उस के और इनाया आंटी के जाने के बाद उन सब की हैल्थ और खानेपीने का कौन ध्यान रखेगा, यह सोचसोच वह हलकान हुआ जा रहा था.

उस दिन पापा औफिस से आए तो  अचानक चक्कर आने की शिकायत करने लगे. ब्लडप्रैशर  चैक करने पर उन का ब्लडप्रैशर बहुत हाई आया. शुगर लैवल भी बहुत हाई आया. इनाया  आंटी ने फौरन उन के फैमिली डाक्टर को फोन कर बुलाया. डाक्टर ने पापा को इंजैक्शन लगाए और तब पापा का ब्लडप्रैशर और शुगर लैवल सामान्य हुए.

पापा का यह हाल देख रिदान का पापा और अनाया आंटी को  वैवाहिक बंधन में बांधने का निश्चय और पुख्ता हुआ.

अमायरा से फ़ौरन इस मुद्दे पर बात करने की सोच कर उस ने घरभर में अमायरा को ढूंढा, लेकिन वह कहीं नहीं मिली. तभी उस ने खिड़की से देखा, वह बाहर बगीचे में पेड़पौधों को पानी दे रही थी.

वहां जा कर उस ने उस से कहा, “अमायरा, मैं सोच रहा हूं, मेरे नौकरी पर जाने के बाद पापा का ध्यान कौन रखेगा? आंटी पापा और दादूदादी का ध्यान बिलकुल मम्मा की तरह रखती  हैं. मेरे पीछे इन लोगों  की केयर कौन करेगा, यह सोचसोच कर मुझे बहुत चिंता  हो  रही  है. क्यों न मेरे बेंगलुरु जाने से पहले हम  इन दोनों की शादी करवा दें?”

“बात तो तुम पते की कर  रहे हो. मैं ने भी औब्जर्व किया है कि मम्मा तपन अंकल और तुम सब के साथ बहुत रिलैक्स्ड रहती हैं और यहां तुम सब के सामने  मुझ पर भी बहुत कम चिल्लाती  हैं. घर पर तो हरदम किसी न किसी बात को ले कर झींकतीझल्लाती  रहती हैं.  उन का ब्लडप्रैशर भी हरदम हाई रहता है. लेकिन  तुम सब के साथ रहने से एकदम नौर्मल आ जाता है. तुम लोगों के यहां वे बेहद  खुश भी दिखती हैं. इन दोनों की जल्दी से जल्दी शादी करवाना बेस्ट आइडिया है. लेकिन, यह तो हमारी सोच है.  खुद उन दोनों को  शादी के लिए तैयार कौन करेगा? मुझे नहीं लगता मम्मा या तपन अंकल इस के लिए आसानी से हां कर देंगे.”

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“हां, आसानी से तो राजी नहीं होंगे लेकिन इस के लिए हमें कुछ करना होगा. चलो, अब इस प्लान को ऐक्शन में बदलने का समय आ गया है.”

उस दिन सुबहसवेरे तपन इनाया और दादादादी चाय की चुस्कियां ले रहे थे, कि रिदान, रुद्र  और अमायरा वहां आ गए और सब से  पहले रिदान  ने  बात छेड़ी, “पापा, आंटी, हम तीनों और दादूदादी ने एक डिसीज़न लिया है और आप दोनों को यह मानना ही पड़ेगा.”

“डिसीज़न, कैसा डिसीज़न भई?  हमें भी तो बताओ, हमारे होते हुए तुम लोगों को  डिसीज़न लेने की क्या जरूरत आन पड़ी, बरखुरदार?”

इस पर इस बार रुद्र बोला, “हमने डिसाइड किया है कि इनाया आंटी हमारी मम्मा बनेंगी और आप अमायरा के पापा?”

तभी रिदान बोल पड़ा, “हम तीनों और दादूदादी ने आप दोनों की शादी करवाने का डिसीज़न लिया है.”

इस पर इनाया बुरी तरह चिंहुक कर लगभग उछलते हुए बोली, “यह कैसा बेहूदा मज़ाक है रिदान?

मेरी  और तपन की  शादी? पागल तो नहीं हो गए हो  तुम तीनों. यह कैसी ऊलजलूल बातें कर रहे हो? अमायरा चलो, हम घर चल रहे हैं. तुम बच्चों की अक्ल तो घास चरने चली गई है.”

“नहीं मम्मा, मैं यहां से कहीं नहीं जा रही, न ही मैं अभी आप को यहां से कहीं जाने दूंगी. घर पर आप बेहद डिप्रैस्ड रहती हो. हंसना तो जैसे भूल ही जाती हो. आप को हरदम कहीं न कहीं  दर्द होता  रहता है. लेकिन यहां सब के साथ आप बहुत खुश रहती हो. मेरा भी यही मानना है कि आप दोनों को शादी कर लेनी चाहिए.”

“व्हाट नौनसैंस,  तुम बच्चे जो मुंह में आए बोलते जा रहे हो. मैं जा रही हूं यहां से,” इनाया ने घोर  आवेश में वहां से उठते हुए कहा.

इस पर दादू ने धीरगंभीर स्वरों में उस से  कहा, “इनाया बेटा, बैठ जाओ प्लीज़, और मेरी बात सुनो. हम दोनों की भी यही  इच्छा है कि तुम दोनों एक हो जाओ. यह जिंदगी एक बार ही मिलती है और इसे हर हाल में खुशीखुशी बिताना हमारी मौरल  ड्यूटी बनती है.  तुम दोनों के शादी करने से 2 घर बस जाएंगे, बेटा. रिदान, रुद्र  को मां मिल जाएगी और अमायरा को पिता. अपनी नहीं तो इन बच्चों की तो सोचो, बेटा. तुम दोनों के इन की जिंदगी में आने से इन की जिंदगी का अधूरापन खत्म हो जाएगा.  प्लीज़  बेटा, मान जाओ.”

ये बातें सुन तपन तो मौन हो गया  लेकिन इनाया की आंखों से आंसू बहने लगे. वह बोली, “अंकल, इस  भरी दुनिया में तपन और आप लोग ही तो मेरे अपने हैं.  प्लीज़ अंकल, तपन से  शादी करने की मैं सोच भी नहीं सकती.  वह मेरा बहुत अच्छा दोस्त है और ताज़िंदगी रहेगा.  उस से शादी कर के मैं इस खूबसूरत रिश्ते को हमेशा के लिए नहीं खोना चाहती. फिर  अब मेरी  क्या उम्र है  शादी की, दुनिया क्या कहेगी? लोग तरहतरह की बातें बनाएंगे. मुझ पर  और अमायरा पर तंज़  कसेंगे.  रुद्र  और रिदान को भी सब के ताने सुनने पड़ेंगे. नहींनहीं, मेरी खातिर इन बच्चों को कुछ सुनना पड़े, यह मुझे गवारा नहीं. फिर हम दोनों के धर्म भी जुदा हैं.   मैं मुसलमान, आप लोग हिंदू. नहींनहीं, यह आइडिया कतई प्रैक्टिकल नहीं. यह नामुमकिन  है.”

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इस बार  दादी उस के पास आईं  और उस के आंसू पोंछते  हुए उस के दोनों हाथ थाम उस से स्नेहविगलित  स्वरों में बोलीं, “इनाया, मनों का मेल किसी भी शादी की पहली शर्त होती है. तुम दोनों के मन मिले हुए हैं.  बस, इस से ज्यादा और क्या चाहिए? दिलों  के मेल के सामने धर्म, जाति और बिरादरी कुछ माने नहीं रखतीं. मेरी बात गांठ बांध ले, बेटा, इस शादी से तुम दोनों बहुत खुश रहोगे. तुम दोनों शादी कर रहे हो, आखिर इस में गलत क्या है? दुनिया की क्या परवा करनी?  उस का तो काम ही कुछ न कुछ कहना होता है.”

कही अनकही: भाग 1- तन्वी की हरकतों से मां क्यों परेशान थी

Writer- Reeta Kumari

सूर्योदय से पहले उठ जाने की मेरी आदत नौकरी से अवकाश प्राप्त   करने के बाद भी नहीं बदली थी. लालिमा के बीच धीरेधीरे निकलता सूर्य का सुर्ख गोला मुझे बहुत भाता था. पक्षियों का कलरव और हवा की सरसराहट में जैसे रात का रहस्यमय मौन घुलने लगता. तन को छूती ठंडी हवा मेरे मनप्राण को शांति और सुकून से भर देती.

हर दिन की तरह मैं लौन में बैठी इस अद्भुत अनुभूति में खोई आम के उस पौधे को निहार रही थी जिस का बिरवा आदित्य ने लगाया था. उसे भी मेरी तरह भिन्नभिन्न प्रकार के पौधे लगाने का शौक है. जब आदित्य को 1 वर्ष के लिए आफिस की तरफ से न्यूयार्क जाना पड़ा तो जाने से पहले वह मुझे हिदायतें देता रहा, ‘मां, 1 साल के लिए अब मेरे इन सारे पौधों की देखभाल की जिम्मेदारी आप पर है. खयाल रखिएगा, एक भी पौधा मुरझाने न पाए.’

सिर्फ 6 महीने अमेरिका में व्यतीत करने के बाद उस ने वहीं रहने का मन बना लिया. पौधे तो पौधे उसे तो अपनी मां तक की चिंता न हुई कि उस के बिना कैसे उस के दिन गुजरेंगे. अब यह सब सोचने की उसे फुरसत ही कहां थी. वह तो सात समंदर पार बैठा अपने भौतिक सुख तलाश रहा था. बस, दिल को इसी बात से सुकून मिलता कि बेटा जहां भी है सुखी है, खुश है, अपने सपनों को पूरा कर रहा है.

मेरे पति समीर भी अपने व्यापार के काम में व्यस्त हो कर अपना ज्यादातर समय शहर से बाहर ही बिताते जिस से मेरा अकेलापन दिनोदिन बढ़ता ही जा रहा था.

तभी ऊपर के कमरे से आती तेज आवाज के कारण मेरी तंद्रा भंग हो गई. लगा था तन्वी आज किसी बात को ले कर एक बार फिर अपनी मम्मी नेहा से उलझ गई. तन्वी का इस तरह अपनी मां से उलझना मुझे अचंभित कर जाता है. न जाने इस नई पीढ़ी को क्या होता जा रहा है. न बड़ों के मानसम्मान का खयाल रहता है न बात करने की तमीज.

नेहाजी मेरे मकान के ऊपर वाले हिस्से में बतौर किराएदार रहती थीं. इस से पहले मैं ने कभी अपना मकान किराए पर नहीं दिया था, लेकिन पति और बेटे दोनों के अपनीअपनी दुनिया में व्यस्त हो जाने के कारण मैं काफी अकेली पड़ गई थी. जीवन में फैले इस एकाकीपन को दूर करने के लिए मैं ने घर के ऊपर का हिस्सा किराए पर दे दिया.

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नेहा और उन की बेटी तन्वी ये 2 ही लोग रहने आए. नेहा किसी मल्टीनैशनल कंपनी में उच्च अधिकारी थीं और तन्वी बी.ए. द्वितीय वर्र्ष की छात्रा. मेरी सोच के विपरीत नेहा इतनी नापतौल कर बातें करतीं कि चाह कर भी मैं उन के साथ बातों का सिलसिला बढ़ा नहीं पाती. न जाने क्यों दोनों मांबेटी गाहेबगाहे उलझती रहतीं, जो कभीकभी तो गहन युद्ध का रूप ले लेता.

तभी उन की बेटी तन्वी कंधे पर बैग टांगे दनदनाती हुई सीढि़यां उतरी और गेट खोल कर सड़क की तरफ बढ़ गई. पीछेपीछे उस की मां उसे रोकने की कोशिश करती गेट तक आ गईं. पर तब तक वह आटोरिकशा में बैठ वहां से जा चुकी थी.

नेहा का सामना करने से बचने के लिए मैं क्यारियों में लगे फूलों को संवारने में व्यस्त हो गई, जैसे वहां जो घटित हो रहा था, उस से मैं पूरी तरह अनजान थी. लाख कोशिशों के बावजूद हम दोनों की नजरें टकरा ही गईं. नेहा एक खिसियाई सी हंसी के साथ जाने क्या सोच कर मेरे बगल में पड़ी कुरसी पर आ बैठीं. धीरे से मुझे लक्ष्य कर के बोलीं, ‘‘क्या बताऊं, आजकल के बच्चे छोटीछोटी बातों में भी आवेश में आ जाते हैं. इन लोगों के बड़ों से बात करने के तौरतरीके इतने बदल गए हैं कि इन के द्वारा दिया गया सम्मान भी, सम्मान कम अपमान ज्यादा लगता है. हमारे समय भी जेनेरेशन गैप था, मतभेद थे पर ऐसी उच्छृंखलता नहीं थी.’’

मैं भी उन के साथ हां में हां मिलाती हंसने की नाकाम कोशिशें करती रही. हंसी के बीच भी नेहा की भर आई आंखें और चेहरे पर फैली विषाद की रेखाएं, स्पष्ट बता रही थीं कि बात को हंसी में उड़ा देने की उन की चेष्टा निरर्थक थी. लड़की के अभद्र आचरण की अवहेलना से मां को गहरा सदमा लगा था.

तभी सुमन 2 कप कौफी रख गई. हम दोनों चुपचाप बैठे कौफी पीते रहे. कभीकभी निस्तब्ध चुप्पी भी वह सारी अनकही कह जाती है, जिसे शब्दों में व्यक्त करना मुश्किल होता है. हम दोनों के बीच भी कुछ वैसी ही मौन संवेदनाओं का आदानप्रदान हो रहा था.

उस दिन के बाद नेहाजी आतेजाते कुछ देर के लिए मेरे पास बैठ जाती थीं. धीरेधीरे वे अपनी निजी बातें भी मुझ से शेयर करने लगीं. टुकड़ोंटुकड़ों में उन्हीं से पता चला कि उन का अपने पति रंधीर के साथ तलाक तो नहीं हुआ है, लेकिन वह इसी शहर में अलग रहता है. 8 वर्ष की तन्वी को छोड़ कर जाने के बाद से न कभी उस से मिलने आया और न ही उस ने उस की कोई जिम्मेदारी उठाई.

तन्वी की बढ़ती उद्दंडता और स्वच्छंदता नेहाजी के लिए चिंता, तनाव और भय का कारण बन गई थी. दिनोदिन तन्वी के दोस्तों में बढ़ते लड़कों की संख्या और सिनेमा तथा पार्टियों का बढ़ता शौक देख नेहा का सर्वांग सिहर उठता लेकिन वे तन्वी के सामने असहाय थीं. अपनी ढेरों कोशिशों के बावजूद तन्वी पर नियंत्रण रखना उन के लिए संभव नहीं था.

मैं भी उन की कोई मदद नहीं कर पा रही थी. उस उद्दंड, घमंडी और निरंकुश लड़की के चढ़े तेवर देख कर ही मेरा मन कुंठित हो उठता. एक दिन सुबह से ही बिजली गायब थी. दोपहर तक टंकी का पानी समाप्त हो गया. मैं यों ही बैठी एक पत्रिका के पन्ने पलट रही थी कि तभी दस्तक की आवाज सुन दरवाजा खोलते ही मैं अचंभित रह गई, सामने पानी का जग लिए तन्वी खड़ी थी.

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‘‘क्या थोड़ा सा पानी…’’

मैं बीच में ही उस की बात काटते हुए बोली, ‘‘क्यों नहीं, मैं हमेशा कुछ पानी टब में जमा कर के रखती हूं.’’  मैं जब पानी ले कर लौटी तो अचानक ही मेरा ध्यान उस की अंगारों सी दहकती आंखों और क्लांत शरीर की तरफ गया. पानी लेते समय जैसे ही उस का हाथ मेरे हाथों से सटा, उस के हाथों की तपन से मुझे आभास हो गया कि इसे तेज बुखार है.

अनायास ही मेरे मुंह से निकल गया, ‘‘अरे, तुम्हें तो तेज बुखार है,’’ और खुदबखुद मेरा हाथ उस के सिर पर चला गया. अचानक ही जैसे उसे बिजली का झटका लगा. वह तेजी से दरवाजे की तरफ पलटते हुए बोली, ‘‘आप चिंता न करें, मैं अपना खयाल खुद रख सकती हूं. मुझे इस की आदत है.’’

जैसे तेजी से धूमकेतु सी प्रकट हुई थी वैसे ही तेजी से वह गायब हो गई.

तेज बुखार में तन्वी का अकेले रहना ठीक नहीं था, पर जिस तरह वह उद्दंड लड़की अपने तेवर दिखा गई, मेरा मन नहीं कर रहा था कि उस के पास जाऊं. थोड़ी देर के अंतर्द्वंद्व के बाद मैं 1 कप तुलसी की चाय बना कर उस के पास जा पहुंची. दरवाजा खुला था. सामने ही पलंग पर वह मुंह तक चादर खींचे लेटी अपने कांपते शरीर का संतुलन बनाने की कोशिश कर रही थी. उस के पास ही पड़े एक दूसरे कंबल से मैं ने उस का शरीर अच्छी तरह ढक, उस से गरम चाय पी लेने का अनुरोध किया तो उस ने चुपचाप चाय पी ली.

इस बीच बिजली भी आ गई थी. मैं फ्रिज से ठंडा पानी ला कर उस के सिर पर पट्टियां रखने लगी. थोड़ी ही देर में उस का बुखार उतरने लगा और वह पहले से काफी स्वस्थ नजर आने लगी. नेहाजी को सूचित करना जरूरी था, इसलिए मैं ने सामने पड़ा फोन उठा कर उन का नंबर जानना चाहा तो एकाएक उठ कर उस ने मेरे हाथों से फोन झपट लिया.

‘‘नहीं, मिसेज मीनू…आप ऐसा नहीं कर सकतीं.’’

मैं हतप्रभ खड़ी रह गई.

‘‘क्यों…वे तुम्हारी मां…’’

वह बीच में ही मेरी बात काटती हुई बोली, ‘‘मानती हूं, आज आप ने मेरे लिए बहुत कुछ किया फिर भी आप से अनुरोध है कि आप हमारे निजी मामलों में दखलंदाजी न करें.’’

कही अनकही: तन्वी की हरकतों से मां क्यों परेशान रहती थी

तन्वी ऐसी हरकतें करती कि मां नेहा को दुख पहुंचता. वहीं, मकान मालकिन मीनू हमदर्दी जतातीं तो तन्वी उन्हें भी डपट देती. फिर भी मीनू डटी रहीं और एक दिन उन्होंने ऐसा स्नेह जताया कि तन्वी कहीअनकही सब कह गई.

दूसरी औरत के सुबूत, पति से छूट जाते हैं करतूतों के संकेत

Writer- सुनीता कोतवाल

पतिपत्नी के बीच किसी तीसरी की एंट्री शादीशुदा जीवन में खलल डालती है. ऐसे में सुखशांति को बनाए रखने के लिए पत्नी को उस तीसरी का पता लगाना चाहिए. पत्नियां जानें पति में उन बदलावों को जिन से तीसरे का पता लगाया जा सके.

पति की जिंदगी में दूसरी औरत का आना पत्नी की खुशियों के लिए बहुत बड़ा खतरा है. पति अपनी बेवफाई को पत्नी की नजरों से कितना भी छिपा कर रखने की कोशिश करे, उस के द्वारा अनजाने में अपने अवैध प्रेम संबंध की तरफ इशारा करने वाले कुछ न कुछ सुबूत जरूर छूट जाते हैं.

इस समस्या को जड़ से उखाड़ फेंकने को पत्नी के लिए इन सुबूतों को जल्दी से जल्दी पकड़ना बहुत जरूरी है. जिन लोगों ने गांवों और कसबों में अपने दादाओंपिताओं को चकलेवालियों के यहां जाते देखा है और छिछोरेपन की बातें करते देखा है, उन्हें फिसलते देर नहीं लगती. हर पत्नी को अपने पति पर लगाम लगा कर रखनी चाहिए.

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क्यों छूट जाते हैं सुबूत

आज बेवफा पति समाज में अपनी छवि अच्छी रखना चाहता है. किसी भी अवैध रिश्ते को जगजाहिर कर वह अपनी पत्नी के आक्रोश का शिकार भी नहीं बनना चाहता. दूसरी तरफ अपनी नई बनी प्रेमिका को भी खुश रखना होता है उसे.

एक तरफ प्रेमिका की मौजूदगी उस के मन में गुदगुदी और उत्तेजना पैदा करती है तो दूसरी तरफ छवि खराब होने व पत्नी के गुस्से से फट पड़ने का भय उसे सताता है. इन 2 पाटों के बीच में फंस उस के मन में गुस्से, चिड़चिड़ाहट, बेचैनी और अपराधबोध के भाव बढ़ते जाते हैं. अब जमाना नहीं रह गया कि पत्नी का मुंह 2-4 तमाचे जड़ कर बंद किया जा सके.

दैनिक दिनचर्या में अचानक बदलाव

पति ऊपर से कितना भी सामान्य और सहज दिखने की कोशिश करे पर मन की उथलपुथल उस के व्यवहार और दिनचर्या में बदलाव ले ही आते हैं. यही बदलाव उन सुबूतों को जन्म देता है जिन्हें पहचान कर पत्नी उस की बेवफाई को बेनकाब कर सकती है.

पहले किसानी करते लोग हफ्तों के लिए तीर्थयात्रा या फसल बेचने के बहाने घरों से दूर रहने चले जाते थे और पत्नियां घर का काम करतेकरते इतना उकता जाती थीं कि वे पति के गुलछर्रों का ध्यान नहीं रख पाती थीं.

अब पति को अपनी नई प्रेमिका से मिलने व उस के साथ घूमने जाने के लिए मौके ढूंढ़ने पड़ते हैं और मुलाकातों के लिए समय भी निकालना पड़ता है. अपनी पुरानी दिनचर्या में फेरबदल किए बिना वह ऐसा नहीं कर सकता.

हमेशा देर तक सोने का शौकीन पति सुबहशाम घूमने जाने के बहाने अपनी प्रेमिका से मिलने पार्क में जाना शुरू कर दिया है. औफिस से लौटने में देर होने पर तो मीटिंग में देर तक फंसे रहने और काम ज्यादा होने के कारण ओवरटाइम शुरू करने के ?ाठे बहाने पत्नी को अकसर सुनने को मिलते हैं.

छुट्टी के दिन प्रेमिका भी उस के साथ ज्यादा समय बिताने की मांग करनी है. ऐसी स्थिति में पत्नी को साफ महसूस हो जाता है कि अचानक पति की बच्चों व उस के साथ छुट्टी का दिन बिताने में दिलचस्पी कम हो गई है. परिवार को छोड़ कर पति हर छुट्टी के दिन किसी जरूरी काम से अकेले जाने लगे तो पत्नी को होशियार हो जाना चाहिए.

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घर देर से पहुंचने के लिए वह रास्ते में दोस्तों के मिल जाने का बहाना बना सकता है. ध्यान में रखने वाली बात यह है कि ये अचानक मिल जाने वाले दोस्त पत्नी के परिचित नहीं होते हैं. दोस्त कहां मिले और कहां गए थे, इस का सीधा जवाब पति से कभी नहीं मिलेगा. उसे ज्यादा ब्योरा देने में दिलचस्पी नहीं होगी क्योंकि उस का ?ाठ बाद में पकड़ा जा सकता है.

रूपरंग को निखार कर युवा दिखने की कोशिश

नई प्रेमिका के ऊपर अच्छा प्रभाव बनाए रखने के लिए पति अपने व्यक्तित्व को आकर्षक बनाने के प्रयास करता है. बाहर निकला पेट कम करने और शरीर को शेप में लाने के लिए वह जिम जाना शुरू कर देता है.

पति का टेस्ट अचानक बदलने पर वह नए व अच्छे ब्रैंड के कपड़े खरीदेगा. नाई से बाल कटवाने के साथसाथ वह फेशियल करा कर लौटेगा. सैंट ओर डिओ की खपत बढ़ जाएगी. अपने को एकाएक ही ज्यादा स्मार्ट, फिट और युवा दिखाने की कोशिश पति की जिंदगी में दूसरी औरत की मौजूदगी की तरफ इशारा कर सकती है.

छिप कर प्रेमिका से वार्त्तालाप

पत्नी की पकड़ में आए बिना प्रेमिका से वार्त्तालाप करने में पति के मोबाइल और कंप्यूटर की महत्त्वपूर्ण भूमिका रहती है. फोन पर बातें करते समय पत्नी पास आ गई तो फौरन वार्त्तालाप ‘हूं…हां’ में बदल जाता है. पत्नी के सुनने की पहुंच से दूर पति छत पर या घर के बाहर घूमते हुए मोबाइल पर बातें करता नजर आता है.

पत्नी प्रेमिका के मैसेज न पढ़ सके, इसलिए वे फोन लौक करना शुरू कर सकता है. कौल रजिस्टर में से प्रेमिका की कौल आने या उसे कौल करने के सुबूत मिटाने लगेगा. पत्नी यह न देख ले कि किस का फोन या मैसेज आया है, इसलिए फोन हर वक्त पति के पास रहता है.

कंप्यूटर से प्रेमिका को मेल भेजी जाती है. फेसबुक, व्हाट्सऐप जैसी सोशल साइट्स पर संदेशों का आदानप्रदान होता है. पत्नी को मालूम पुराना पासवर्ड वे बदल देता है और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की दुहाई देते हुए नया पासवर्ड उसे नहीं बताता. पत्नी गलत समय पर अगर एकाएक कंप्यूटर के पास आ गई तो वह बेचैन अंदाज में स्क्रीन औफ कर देता है या साइट्स बदल देता है.

पत्नी से बढ़ती दूरियां

प्रेमिका के साथ खुल कर बातें करने व ज्यादा से ज्यादा समय उस के साथ बिताने की राह में पति के लिए पत्नी सब से बड़ी रुकावट होती है. इस कारण दूसरी औरत के चक्कर में फंसे पति को वह जहर लगने लगती है.

पत्नी ने औफिस से घर देर से आने का कारण पूछा तो मन में चोर होने के कारण वे एकदम से गुर्रा पड़ता है, ‘मु?ो अपनी मरजी और अपने ढंग से जीने के लिए भी समय चाहिए. मैं कहां जाता हूं और किस से मिलता हूं, घर में घुसते ही इस तरह के वाहियात सवाल पूछ कर मेरा दिमाग खराब करना बंद कर दो. तुम्हें मालूम है न, बाबूजी के सामने मां कैसे थरथर कांपती थीं. गुस्सैल नहीं हूं तो सिर पर मत चढ़ो.’

पति के मन में पत्नी के विश्वास को तोड़ कर कुछ गलत करने का अपराधबोध भी मौजूद होता है. इसलिए बेवफा पति अपनी पत्नी से नजरें चुराने लगता है. पत्नी से वार्त्तालाप करना ही न पड़े, इसलिए वह उस के साथ अकारण गुस्सैल अंदाज में तीखा और कड़वा ही बोलता है. जब उस के साथ संबंध खराब होंगे, तभी तो वह अपने अवैध प्रेम संबंध को अपनी नजरों में उचित ठहरा सकेगा.

पत्नी का शक कुछ यकीन में बदल रहा हो तो उसे अपने बेवफा पति से दूसरी औरत के साथ चल रहे अवैध प्रेम संबंध के बारे में बिना कोई भूमिका बांधे सीधा सवाल पूछ लेना चाहिए. बिना तैयारी किए सहजता से ?ाठ बोलना आसान नहीं होता. अगर पति एकदम से सकपका उठे, जवाब देते हुए हकलाने लगे और चेहरे का रंग उड़ जाए तो यह दाल में कुछ काला होने का सुबूत सम?ा जाएगा.

अब अगर पति सफाई देते हुए कहे कि दूसरी औरत उस की प्रेमिका नहीं बल्कि सिर्फ अच्छी दोस्त है तो पत्नी उस के इस ?ाठ को बिलकुल न स्वीकारे. शादीशुदा पुरुष किसी स्त्री का सिर्फ अच्छा दोस्त मजबूरी में और तभी होता है जब वह स्त्री ही उसे इस से आगे बढ़ने की इजाजत न दे. जिस औरत को ले कर उसे अपने घर में क्लेश करना मंजूर है, वह पति की सिर्फ अच्छी दोस्त नहीं हो सकती.

पत्नी के हिस्से में अचानक आलोचनाएं और शिकायतें आने लगेंगी. उसे साफ महसूस होगा कि अब दोनों के संबंध पहले जैसे प्रेमपूर्ण नहीं रहे हैं. आपस में हंसनेबोलने व शरारती छेड़छाड़ करने के मौके आने कम होतेहोते बंद से हो जाएंगे. पति के मुंह से ‘आई लव यू’ सुने एक लंबा समय बीत जाएगा.

यौन संबंधों में पहले सा जोश और उत्साह नहीं रहेगा. वैसे इस का उलटा भी हो सकता है. प्रेमिका के साथ सैक्स संबंध बनाने की सुविधा न हो तो पत्नी के साथ सैक्स संबंध बढ़ भी सकते हैं. हां, यह फर्क पत्नी को जरूर महसूस होगा कि पति की बांहों में होते हुए भी वह उस की आंखों में अपने लिए प्रेमभाव नहीं देख पा रही है.

पति एक और कारण से भी पत्नी के साथ यौन संबंध बनाने से कतराता है. प्रेमिका के नाखूनों से बनी खरोंचें और दांत से काटे जाने के निशान कौन सा पति अपनी पत्नी को दिखाना चाहेगा. पति के कपड़ों में से आ रही प्रेमिका के सैंट की महक भी पति की बेवफाई की पोल खोल सकती है.

अचानक बढ़ते खर्चे

प्रेमिका को खुश रखने के लिए अपनी हैसियत से ज्यादा खर्च करना हर प्रेमी की मजबूरी है. वह उसे महंगे होटल में डिनर के लिए ले जाएगा. मौकेबेमौके प्रेमिका को महंगा गिफ्ट देगा. क्रैडिट कार्ड के स्टेटमैंट में उन जगहों पर किए खर्च का ब्योरा होगा जहां पति के जाने की जानकारी पत्नी को होगी ही नहीं. उन दुकानों पर शौपिंग भी दिखाई देगी जहां से घर में कुछ नहीं आया है.

इन सब फालतू खर्र्चों के कारण घर के बजट पर बुरा असर पड़ना अनिवार्य है. जब भी घर में कुछ खर्चा करने की बात उठेगी तो आर्थिक तंगी से जू?ा रहे पति को गुस्सा आएगा. उसे पैसों की कमी को ले कर हर महीने नए बहाने बनाने पड़ेंगे. उस के बताए बहाने की अगर पत्नी गहराई में जा कर जांच करे तो देरसवेर सचाई उस की पकड़ में आ ही जाएगी.

कुछ अन्य सुबूत

प्रेमिका और पत्नी पहले से परिचित हों तो बेवफा पति उन्हें आपस में मिलाना अचानक बंद कर देगा. पत्नी नोट कर सकती है कि किसी महिला सहयोगी के प्रति पति का व्यवहार बदल गया है. पहले वह खुल कर उस के साथ सहज अंदाज में बात कर लेता था पर अब उस से कटाकटा सा नजर आएगा. छानबीन से यह मालूम करना कठिन नहीं होगा कि वह रूखे व्यवहार का नाटक पत्नी को धोखे में रखने के लिए कर रहा है.

वह उन जगहों पर पत्नी को नहीं ले जाएगा जहां कोई जानकार प्रेमिका के वजूद की बात उस के कान में डाल सके. दोस्तों को अगर उस के अवैध प्रेम संबंध की जानकारी होगी तो पति उन से मिलनजुलना कम कर देगा.

असावधानी में पति के मुंह से निकल सकता है कि उस ने नई रिलीज हुई फिल्म देख ली है. किसी होटल में खाना खाने की बात उस के मुंह से ?ाटके में निकल सकती है जहां उस के जाने की पत्नी को कोई जानकारी नहीं है. ऐसी गलतियां बारबार होने लगें तो यह इस बात का सुबूत होगा कि पति किसी और के साथ मनोरंजन करता घूम रहा है.

मन की चेतावनी को अनसुना न करें

पति के व्यवहार और दिनचर्या में अचानक आ रहे बदलावों को देख कर जब पत्नी का मन कहे कि मामला कुछ गड़बड़ है तो वह उस की ऐसी चेतावनी को अनसुना न करे.

ऊपर जिन बदलावों का उल्लेख किया गया है, अगर वे अचानक, बारबार और ज्यादा मात्रा में महसूस हो रहे हैं तो सारे मामले की एक बार गहराई से छानबीन कर लेना सही रहेगा. जो सचाई है उस का सामने आना जरूरी है. अपने मन की सुखशांति और विवाहित जीवन की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पत्नी को अपने मन में पैदा हुए शक को दूर करना ही होगा. तहकीकात के लिए जरूरी कदम उठाने में वह भावनाओं को रुकावट न बनने दे.

तहकीकात के बाद अगर पति बेकुसूर निकले तो मन ही मन उन से माफी मांग कर वह हंसीखुशी के साथ अपने विवाहित जीवन का आंनद उठाए और अगर पति दूसरी औरत के जाल में फंस चुका है तो पकड़ में आए सुबूतों के बल पर जल्दी से सचाई जान लेना इस समस्या का निर्णायक हल करने में बहुत सहायक सिद्ध होगा.

यह याद रखें कि तलाक की सोचना या पुलिस कंप्लेंट करना आसान तो लगता है पर इस से हासिल कुछ नहीं होता. पत्नी के पास तो कोई और ठोस रास्ता नहीं है जबकि पति अपनी आय और प्रेमिका के बल पर और ज्यादा खुश रह सकता है. पत्नी के मांबाप शुरू में तो साथ देंगे पर बाद में सम?ातेकी बात करने लगेंगे. इसलिए कोशिश करें कि काम निकल जाए अपनेआप.

Satyakatha: इशिका का खूनी इश्क

सौजन्य-सत्यकथा

बाराबंकी जिले के थाना कोतवाली नगर अंतर्गत मोहल्ला नई बस्ती पीरबटान में रहता था 28 वर्षीय भरत वर्मा. वह अपने घर में बिजली से संबंधित उपकरणों इनवर्टर और स्टेबलाइजर बनाने का काम करता था.

उस के पिता पुजारीलाल वर्मा ने एक नामी माचिस कंपनी और एक बीड़ी कंपनी की एजेंसी ले रखी थी, जिस से उन्हें अच्छी कमाई होती थी. संपन्न होने के कारण उन्होंने अपने बच्चों की अच्छी परवरिश की थी. सन 2000 में पुजारीलाल की मृत्यु हो गई. भरत की 3 बहनें और 3 भाई थे. बहनें विवाह के बाद अपनी ससुराल में रह रही थीं. भरत से 2 बडे़ भाई थे राम, लक्ष्मण और एक छोटा भाई था शत्रोहन. बड़े भाई राम की भी सन 2009 में कैंसर के कारण मृत्यु हो गई थी.

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भरत को छोड़ कर दोनों भाई विवाहित थे. जवान बेटे राम की मृत्यु के बाद मां अन्नपूर्णा भी बीमार रहने लगीं और सन 2016 में उन का भी देहांत हो गया था. तीनों भाई अपनेअपने कामधंधे में व्यस्त थे.

22 अक्तूबर, 2020 को भरत घर पर था. किसी का फोन आया तो रात साढ़े 8 बजे वह घर से निकल गया. शत्रोहन और लक्ष्मण घर लौटे तो भरत घर पर नहीं था. घर के सदस्यों से पूछा तो पता चला कि किसी का फोन आया था, उस के बाद भरत चला गया था. लक्ष्मण ने भरत का फोन मिलाया तो वह बंद था.

23 अक्तूबर की सुबह यंग स्ट्रीम स्कूल के पीछे नाले के किनारे एक युवक की लाश पड़ी मिली. वहां पहुंचे राहगीरों ने लाश देखी तो किसी ने नगर कोतवाली पुलिस को सूचना दे दी.

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इंसपेक्टर पंकज सिंह अपनी टीम के साथ तुरंत मौके पर पहुंच गए. मृतक की उम्र लगभग 28-30 वर्ष थी. उस के सिर व गले पर किसी तेज धारदार हथियार से वार किए गए थे. गला आधा कटा हुआ था. इंसपेक्टर सिंह इस से पहले कि लाश की शिनाख्त कराते, मृतक के घरवाले वहां पहुंच गए.

वह लाश भरत वर्मा की थी, जिस की शिनाख्त मौके पर पहुंचे उस के छोटे भाई शत्रोहन ने की.

इंसपेक्टर सिंह ने उस से आवश्यक पूछताछ की. शत्रोहन ने किसी पर शक नहीं जताया. उस ने कहा कि भरत शराब पीता था. शराब के नशे में किसी से विवाद हो गया होगा, जिस की वजह से यह घटना हुई होगी. फिलहाल इंसपेक्टर सिंह ने लाश को पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भेज दिया और शत्रोहन को साथ ले कर कोतवाली आ गए.

शत्रोहन की तहरीर पर इंसपेक्टर सिंह ने अज्ञात के खिलाफ भादंवि की धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज करा दिया. इस के बाद उन्होंने भरत वर्मा के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई. काल डिटेल्स में घटना से पहले जिस नंबर से काल आई थी, वह नंबर भी था.

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उस नंबर की पड़ताल की गई तो नंबर कोतवाली नगर के ही आनंद नगर, लखपेड़ाबाग निवासी शिवम उर्फ शंभूनाथ शुक्ला का निकला. शिवम का पुलिस रिकौर्ड भी था. वह वाहन चोरी के मामले में कई बार जेल जा चुका था.

इंसपेक्टर पंकज सिंह ने 24 अक्तूबर, 2020 को शिवम को उस के घर से गिरफ्तार कर लिया. उस से पूछताछ के बाद उस की प्रेमिका इशिका कश्यप उर्फ नैंसी को भी उस के घर से गिरफ्तार कर लिया गया.

इशिका भरत के घर के पास ही रहती थी. दोनों से पूछताछ के बाद जो कहानी सामने आई, वह कुछ इस तरह थी—

उत्तर प्रदेश के जिला बाराबंकी के नगर कोतवाली क्षेत्र की नई बस्ती पीरबटान मोहल्ले में प्रेमा कश्यप रहती थीं. वह नगर पालिका में नौकरी करती थीं. उन के 4 बेटे थे अशोक, संतोष, राजेश व नन्हकू और एक बेटी थी पिंकी. सभी विवाहित थे.

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करीब 25 साल पहले पिंकी का विवाह ब्रजेश कश्यप से हुआ था. दोनों की एक बेटी थी पिंकी. घर में उसे सब नैंसी नाम से बुलाते थे.

इशिका के जन्म के बाद पतिपत्नी में कुछ विवाद हुआ. यह विवाद इस नतीजे पर पहुंचा कि पिंकी पति का घर छोड़ कर अपनी मां प्रेमा के घर आ गई.

समय के साथ पिंकी की बेटी इशिका जवान हो गई. यौवन की दहलीज पर कदम रखा तो उस की काया में काफी खूबसूरत बदलाव आ गए, जिन की वजह से वह काफी सुंदर दिखती थी. विवाह योग्य होने पर पिंकी ने उस का विवाह फतेहपुर के गांव फय्याजपुरवा निवासी सुमित कश्यप से कर दिया. लेकिन विवाह के कुछ समय बाद ही इशिका भी अपनी मां की तरह पति को छोड़ कर हमेशा के लिए मायके में आ कर रहने लगी थी.

बाराबंकी के मोहल्ला आनंदनगर, लखपेड़ाबाग में शिवम उर्फ शंभूनाथ शुक्ला रहता था. 28 वर्षीय शिवम अविवाहित था. उस के पिता का नाम गंगाचरण शुक्ला था. शिवम के 4 भाई थे, वह सब से बड़ा था.

शिवम आपराधिक प्रवृत्ति का था. उस पर वाहन चोरी के कई मामले दर्ज थे. ऐसे ही एक मामले में वह इसी साल लौकडाउन के बाद जेल से छूट कर आया था.

एक दिन शिवम अपने एक परिचित के यहां गया हुआ था, वहीं इशिका भी आई हुई थी. परिचित ने दोनों का परिचय कराया. परिचय हुआ तो दोनों में बातें होने लगीं. दोनों को एकदूसरे से बात कर के काफी अच्छा लगा. बात करने के बाद इशिका फिर मिलने के वादे के साथ वहां से चली गई.

इशिका के तीखे नैननक्श और बात करने के अंदाज ने शिवम का चैन छीन लिया था. इशिका से मिलने के बाद उस के दिमाग में हर समय इशिका के ही खयाल उमड़उमड़ कर आ रहे थे. वह बारबार सिर झटकता, दिमाग से कुछ और सोचने की कोशिश करता, लेकिन सब व्यर्थ ही जाता. इशिका उस के दिलोदिमाग पर इस कदर छा गई थी कि लाख जतन के बाद भी वह उस का खयाल दिमाग से नहीं निकाल पा रहा था.

दूसरी ओर इशिका को भी शिवम पसंद आ गया था. वह स्मार्ट तो था ही, साथ ही अपनी बातों से किसी का भी दिल जीत सकता था. उस की इसी खासियत के कारण इशिका भी उसे दिल दे बैठी थी. वह जितनी बार उस के बारे में सोचती, उतनी ही बार चेहरे पर हया के बादल छा जाते और होंठों पर मुसकान सज जाती थी.

जल्द ही दोनों ने एक रेस्टोरेंट में मुलाकात की. फिर अनगिनत मुलाकातों का सिलसिला शुरू हो गया. दोनों एकदूसरे के नजदीक आने लगे. मुलाकातों के दौरान दोनों को एकदूसरे को समझने का मौका मिला.

एक दिन मौका देख कर शिवम ने इशिका से अपने प्यार का इजहार करने का फैसला कर लिया. दोनों एकदूसरे की आंखों में झांक कर दिल का हाल जान चुके थे, देर थी तो बस जुबां से इजहार करने की.

एक मुलाकात के दौरान शिवम ने इशिका का हाथ अपने हाथ में ले कर कहा, ‘‘इशिका, हम दोनों काफी समय से मिल रहे हैं. एकदूसरे को ठीक से जान गए हैं. हमारी सोच और विचार भी बहुत मिलते हैं. हम दोनों को एकदूसरे का साथ भी बहुत पसंद है. हमारी आंखों में भी एकदूसरे के लिए प्यार दिखता है.

चुपकेचुपके प्यार करने से क्या फायदा, जब प्यार करते है तो जुबां पर लाएं भी. आज मैं तुम से प्यार का इजहार करता हूं. आई लव यू… आई लव यू इशिका.’’ कह कर शिवम बडे़ प्यार से इशिका की तरफ देखने लगा.

इशिका उस के इजहार से काफी खुश हुई और बोली, ‘‘आई लव यू टू शिवम. मैं भी तुम्हें बहुत चाहती हूं. लेकिन इजहार करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी. आज तुम ने मुझे बहुत बड़ी खुशी दी है.’’ कह कर इशिका शिवम के सीने से लग गई.

शिवम ने भी उसे अपनी बांहों में भर लिया. इस तरह दोनों के बीच प्यार की शुरुआत हो गई.

शिवम अकसर इशिका के घर से कुछ दूरी पर आ कर उसे फोन करता और इशिका उस से मिलने चली आती. इशिका के घर के पास ही भरत रहता था. वह इशिका की खूबसूरती पर मर मिटा था. उसे इशिका बेहद पसंद थी. वह उस के आगेपीछे मंडराता रहता था. लेकिन इशिका उसे पसंद नहीं करती थी. फिर भी भरत उस के पीछे पड़ा था.

एक दिन भरत ने रास्ते में रोक कर इशिका को फूल दे कर अपने प्यार का इजहार किया, ‘‘इशिका, मैं तुम से बेइंतहा प्यार करता हूं. तुम मेरा प्यार स्वीकार कर लो, मैं तुम्हें जीवन भर खुश रखूंगा, किसी चीज की कमी नहीं होने दूंगा.’’

‘‘पागल हो गए हो तुम. मैं तुम्हें पसंद नहीं करती, प्यार करना तो दूर की बात है. मेरे रास्ते में भी न आया करो, न आगेपीछे घूमा करो. मैं किसी और को चाहती हूं, उसी के साथ अपनी जिंदगी बिताऊंगी.’’ कह कर इशिका वहां से चल दी.

इशिका को जाते देख कर भरत बड़बड़ाया, ‘‘मैं भी देखता हूं कि तुम मुझे ठुकरा कर किसी और को कैसे अपनाती हो.’’

इस के बाद वह इशिका पर नजर रखने लगा. जब भी इशिका शिवम से मिलने घर के पास जाती तो भरत वहां पहुंच जाता और किसी बात पर शिवम से झगड़ने लगता.

 

इशिका ने भरत द्वारा बदतमीजी किए जाने की बात भरत के घरवालों को बताई. इस पर भरत ने दोबारा ऐसी हरकत न करने का वादा लिया.

लेकिन भरत इशिका को दूसरे की होते हुए भी नहीं देखना चाहता था. इसलिए वह शिवम से भिड़ जाता था. जब भरत बारबार परेशान करने लगा तो इशिका ने शिवम से कहा कि भरत को रास्ते से हटा दो. भरत उस के साथ पहले भी बदतमीजी कर चुका है.

शिवम तो वैसे भी आपराधिक प्रवृत्ति का था. उस ने इशिका की बात सहर्ष मान ली.

22 अक्तूबर, 2020 की रात करीब साढ़े 8 बजे शिवम ने भरत को फोन कर के मिलने के लिए बुलाया. भरत उस से मिलने यंग स्ट्रीम स्कूल के पीछे पहुंच गया. शिवम ने भरत को फिर से समझाया कि वह इशिका पर गलत नजर न रखे, इसी में उस की भलाई है.

भरत भी तेवर दिखाते हुए बोला, ‘‘इशिका क्या तेरी बहन लगती है जो तू उस का इतना पक्ष ले रहा है.’’

 

इस बात पर शिवम को गुस्सा आ गया और उन दोनों के बीच झगड़ा बढ़ गया. तभी शिवम ने पास रखे लोहे के चापड़ से भरत के सिर व गले पर ताबड़तोड़ कई वार कर किए, जिस से भरत की मौत हो गई.

इस के बाद शिवम ने लोहे का चापड़ और भरत का मोबाइल फोन कुछ दूरी पर नाले के किनारे फेंक दिया. जिस बजाज सुपर स्कूटर पर बैठ कर वह वहां आया था, उसी से वापस चला गया.

पूछताछ के बाद इंसपेक्टर पंकज सिंह ने शिवम की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त लोहे की चापड़ और स्कूटर नंबर यूपी32जे 6395 बरामद कर लिया. गिरफ्तारी के समय शिवम के पास से 315 बोर का एक तमंचा और एक कारतूस भी बरामद हुआ.

आवश्यक कानूनी कागजात तैयार करने के बाद पुलिस ने दोनों को न्यायालय में पेश किया, जहां से दोनों को जेल भेज दिया गया.

 

अलसी खाने से होते हैं ये 9 फायदे, ऐसे करें इस्तेमाल

अलसी को अंगरेजी में फ्लैक्स सीड्स कहते हैं. छोटेछोटे कत्थई से अलसी के दानों में सेहत का खजाना छिपा होता है. ये ओमेगा 3 फैटी एसिड का अच्छा जरीया हैं, जो सेहत को चमकाने में भरपूर मदद करता है. अलसी में अल्फा लिनोलेयिक एसिड के रूप में 50 फीसदी तक ओमेगा फैटी एसिड पाया जाता है. इस में एंटीआक्सीडेंट्स, विटामिन बी व डाइटरी फाइबर भी भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, जो सेहत के लिए बेहद कारगर हैं.

अलसी का सेवन कैसे करें

  1. अलसी को साबूत, भून कर या सूखी चटनी बना कर खा सकते हैं.
  2. अलसी का तेल निकाल कर भी इसे खाने में इस्तेमाल किया जाता है.
  3. इसे पीस कर सूखे मेवों के साथ मिला कर इस के लड्डू बना कर भी इसे खाया जाता है.
  4. अलसी के दानों का पाउडर 1 चम्मच रोज सुबह कुनकुने पानी के साथ भी लिया जा सकता है या इसे अपने एनर्जी ड्रिंक में भी मिला कर पी सकते हैं.
  5. इसे किसी भी पकवान में मिला कर खाया जा सकता है.
  6. अलसी के पाउडर को कभी भी सीधे गरम तेल में नहीं डालना चाहिए, क्योंकि ज्यादा गरमी में इस की पौष्टिकता खत्म हो जाती है और इस का स्वाद भी कड़वा हो जाता है.
  7. अलसी का पाउडर रोजाना 2 चम्मच से ज्यादा नहीं खाना चाहिए. शुरुआत हमेशा कम मात्रा से करें और यदि इस से कोई दिक्कत न हो तो मात्रा बढ़ा सकते हैं.

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अलसी के फायदे

कैंसर का खतरा कम करना :

अलसी खाने से कैंसर होने का खतरा कम होता है, यह सूजन को कम करती है. यह दिल की बीमारियों को रोकने में मदद करती है.

उच्च रक्तचाप को कम करना :

एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 33 फीसदी शहरी व 25 फीसदी ग्रामीण आबादी उच्च रक्तचाप की समस्या से परेशान है. अलसी को अपने भोजन में शामिल करने से यह रक्तचाप के स्तर को कम करती है. इस के सही मात्रा में इस्तेमाल से यह उच्च रक्तचाप व इस से होने वाले सिरदर्द को भी दूर करती है.

स्किन की देखभाल :

एक शोध के मुताबिक तेज धूप सीधे पड़ने से हमारी स्किन यानी त्वचा झुलस जाती है. अलसी के दानों के नियमित इस्तेमाल से त्वचा को नुकसान से बचाया जा सकता है.

डिप्रेशन ठीक करती है :

एक जापानी अध्ययन के मुताबिक अलसी के इस्तेमाल से डिप्रेशन की समस्या ठीक हो जाती है. जो लोग डिप्रेशन से घिरे होते हैं, उन में एक तरह के एसिड की कमी हो जाती है, जो अलसी के इस्तेमाल से पूरी हो सकती है.

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लीवर कैंसर के खतरे को कम करना :

आधुनिक रहनसहन और दिनचर्या ने स्वस्थ जीवन जीना मुश्किल कर दिया है. दिनचर्या में असंतुलन, जंक फूड और शारीरिक क्रियाकलापों में कमी की वजह से लीवर से जुड़ी बीमारियों का खतरा बहुत बढ़ गया है. लेकिन हाल ही में किए गए एक शोध के मुताबिक अलसी के नियमित इस्तेमाल से हम लीवर से जुड़ी बीमारियों के खतरे को काफी कम कर सकते हैं.

कोलेस्ट्राल घटाती है :

आजकल लोगों में कोलेस्ट्रोल बढ़ने की समस्या आम है. इस का इलाज न होने पर यह धमनियों को जाम कर सकता है, जिस से दिल का दौरा पड़ सकता है. अलसी के दाने कोलेस्ट्रोल लेवल को कम करने में मददगार होते हैं.

गठिया में लाभकारी :

अलसी के दानों के रोजाना इस्तेमाल से गठिया से जुड़ी समस्याओं जैसे दर्द, जकड़न से नजात मिलती है.

डायबिटीज काबू करती है :

अलसी के दाने टाइप 2 डायबिटीज में ब्लडशुगर लेवल को सही करते हैं. अपनी खुराक में नियमित रूप से अलसी का इस्तेमाल कर के ब्लडशुगर लेवल को ठीक रखा जा सकता है.

हारमोनों को  सही करती है :

मोनोपाज के बाद महिलाओं में होने वाली हारमोन से जुड़ी बीमारियां अलसी के दानों के नियमित इस्तेमाल से दूर हो सकती हैं.

– सरस्वती

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