आज हमारे आसपास ऐसे अनेक उदाहरण हैं जिन्हें हम देखते हैं और देख कर भूल जाते हैं. मसलन, मैं ने अपनी दवाइयां कहां रख दी हैं, कल कौन से मेहमान आए थे, क्या तुम ने मु?ो बाजार से कुछ लाने को कहा था, शायद मैं कुछ भूल रहा हूं, पर क्या भूल रहा हूं यह याद नहीं आ रहा. ऐसी अनेक बातें हमें सुनाई देती हैं और कई बार तो हमारे साथ घटती भी हैं, जिन्हें हम नजरअंदाज कर देते हैं.
अगर युवा अवस्था में किसी के साथ ऐसा हो तो सोचते हैं कि हो सकता है वह भूल गया हो या लापरवाह हो. अगर किसी के साथ बुढ़ापे में हो तो कहा यह जाता है कि उम्र का दोष है, जबकि यह दोष न तो उम्र का है और न ही लापरवाही का. यह कुसूर है उस बीमारी का जिसे अल्जाइमर्स या डिमैंशिया अवस्था कहते हैं.
अल्जाइमर्स बीमारी से आज देशविदेश में अनेक लोग पीडि़त हैं. अल्जाइमर्स ऐसी बीमारी है जिस से मरीज धीरेधीरे अपनी याद्दाश्त खोने लगता है. इस का कोई इलाज नहीं है. लेकिन इस बीमारी को जल्दी पहचान लिया जाए तो मरीज की बेहतर देखभाल की जा सकती है.
अल्जाइमर्स बढ़ता हुआ, न्यूरोलौजिकल, डिसऔर्डर वाला रोग है जिस में ब्रेन सैल्स डैड होने लगते हैं.
भारत में 7 प्रतिशत जनसंख्या 60 वर्ष से ऊपर है और इन में 3 प्रतिशत स्मरण शक्ति के विभिन्न रोगों से पीडि़त हैं. दुनियाभर में करीब 5 करोड़ लोग इस बीमारी की विभिन्न स्टेजों में हैं. इस बीमारी के बारे में लोग बहुत कम जानते हैं. यह रोग इन लोगों के व्यवहार, निर्णय लेने की क्षमता और दिनचर्या पर प्रतिकूल असर डालता है.