चुनाव पूर्व सर्वेक्षण या अनुमानों का प्रचलन हमारे देश में 1957 से प्रारंभ हुआ जो आज अपने पूरे सबाब पर है. सच्चाई यह है कि बारंबार यह सिद्ध हुआ है कि जो गंभीरता चुनाव पूर्व सर्वेक्षण में होनी चाहिए वह नदारद पाई गई है.

अन्यथा सीधी सी बात यह है कि विज्ञानिक फॉर्मूला भी है की दो और दो चार होता है मगर चुनाव सर्वेक्षणों में दो और दो पांच भी हो जाता है और कभी-कभी 3 भी. ऐसे में इनका कोई औचित्य नहीं रह गया है. सिर्फ एक समय पास शगल बन करके यह हमारे सामने मुंह चिढ़ाता खड़ा है.

अब जैसा की संपूर्ण उत्तर प्रदेश से एक आवाज उठ रही हमने देखी कि कैसे वहां समाजवादी पार्टी का वर्चस्व दिखाई दिया है. चुनाव में योगी आदित्यनाथ के विधायकों मंत्रियों पर लोगों ने चुनाव प्रचार के दौरान हमले किए इसके बावजूद लगभग सभी सर्वेक्षणों में भाजपा की सरकार बनती दिखाई दे रही है.

अब चंद घंटे ही रह गए हैं परिणाम सामने आएंगे मगर अनुमानों पर एक प्रश्न तो लग ही गया है.

हम चुनावी सर्वेक्षणों को देखें तो उत्तर प्रदेश में साल 2012 में हुए चुनाव नतीजा पूर्व सर्वेक्षण में समाजवादी पार्टी को उनके विरोधियों से बेहतर प्रदर्शन के साथ ही "त्रिशंकु विधानसभा" की बात थम ठोक कर  की गई थी. मगर हम जानते हैं चुनाव परिणाम आने के बाद समाजवादी पार्टी ने 403 विधानसभा में 224 सीटें जीतकर शानदार जीत दर्ज की थी.

ये भी पढ़ें- भारत भूमि युगे युगे: जैन कबाब

इस चुनाव में मायावती की बहुजन समाज पार्टी को 80 सीटें मिली थीं. वहीं, भाजपा और कांग्रेस क्रमशः केवल 47 और 28 सीटें ही जीतने में कामयाब हो सके थे.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...