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अलविदा 2019: दुनिया से रुखसत हुए राजनीति के ये 8 बड़े नाम

“वक्त रहता नहीं कहीं टिक कर, इसकी आदत भी आदमी सी है. “गीतकार गुलजार की गजल की यह पंक्तियां  2019 पर बहुत सटीक बैठती है. इस साल कई राजनेता, पूर्व मंत्री  एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री  हम लोगों के बीच से सदा के लिए इस दुनिया को अलविदा कह कर चले गये.  तो चलिए याद करते हैं, उन सभी शक्सियत को एक साथ…

* अरुण जेटली : देश के पूर्व वित्त मंत्री और भाजपा के कद्दावर नेता नेता अरुण जेटली का निधन 24 अगस्त 2019 को हुआ. वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे. अरुण जेटली का निधन हो गया है. खराब स्वास्थ्य के कारण अरुण जेटली ने मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में कोई पद न संभालने की इच्छा जाहिर करते हुए एक तरह से राजनीति से संन्यास ले लिया था. अरुण जेटली दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ डीडीसीए के अध्यक्ष भी रहे. सरकार ने यह हल में ही घोषणा किया है कि  दिल्ली का फिरोजशाह कोटला स्टेडियम अब पूर्व वित्त मंत्री  के नाम से जाना जाएगा.

* सुषमा स्वराज :  भाजपा की नेत्री सुषमा स्वराज जिनके दमदार भाषण का हर कोई प्रशंसक था. 6 अगस्त 2019 को हमेशा के लिए खामोश हो गई.   कुशल वक्ता  पूर्व केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज का निधन हार्ट अटैक से हुआ था . विदेश मंत्री के तौर पर उनका कार्यकाल आज भी हर कोई याद करता है. उन्होंने विदेशों में फंसे कई ऐसे लोगों को स्वदेश लाया, जिन्होंने सोशल मीडिया पर उनसे अपील की थी.

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* मनोहर पर्रिकर : अपनी सादगी और ईमानदारी की वजह से लोगों के पसंदीदा बने, गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता मनोहर पर्रिकर इस साल सबको अलविदा दिया .  लंबी बीमारी के बाद मनोहर पर्रिकर का 17 मार्च 2019 को निधन हो गया. मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में वह रक्षा मंत्री भी रहे थे.मुख्यमंत्री रहते हुए भी गोवा की जनता के बीच ऐसे जाते थे, जैसे उनसे पुरानी पहचान है.

* शीला दीक्षित – दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित  20 जुलाई 2019 को 81 वर्ष की आयु में हमेशा के लिए चिर निंदा में सो गई . शीला दीक्षित ने लगातार 15 साल (1998 से 2013 ) तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं. वह पहली बार साल 1984 में उत्तर प्रदेश के कन्नौज से सांसद चुनी गईं. बाद में वह दिल्ली की राजनीति में सक्रिय हुई.

* राम जेठमलानी : अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में कानून, न्‍याय और कंपनी अफेयर मंत्री रहे थे राम जेठमलानी का निधन 8 सितंबर 2019 में हो गया . देश के मशहूर वकील जेठमलानी अपनी बेबाक राय के कारण जेठमलानी हमेशा सूर्खियों में रहते थे.

* जगन्नाथ मिश्रा – बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा का 19,अगस्त  2019  को निधन हो गया. पिछले कई दिनों से जगन्नाथ मिश्रा का दिल्ली के एक अस्पताल में इलाज चल रहा था. 82 साल के जगन्नाथ मिश्रा तीन बार बिहार के मुख्यमंत्री रहे थे.

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* बाबू लाल गौर :  मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता बाबूलाल गौर का 21 अगस्त 2019 को दिल का दौरा पड़ने से निधन हुआ. वह वृद्धावस्था संबंधी बीमारियों से जूझ रहे थे और कुछ समय से अस्पताल में भर्ती थे.

* कैलाश जोशी : मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी का 24,नवंबर  2019 सुबह निधन हो गया. जोशी करीब तीन साल से बीमार थे, उन्होंने भोपाल के निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली.

अलविदा 2019 : जानें, राजनीतिक गलियारों में क्यों खास रहा यह साल

राजनीतिक गलियारों में यह साल कुछ खास रहा. लोकसभा से विधानसभा तक तस्वीर बदले दिखा, वही सरकार ने अपने फैसले से चौंकाया  तो कोर्ट ने वर्षो का विवाद पर फैसला सुनाया. आइए जानते हैं, राजनीति के क्षेत्र में यह साल क्यों खास रहा ?

* 10 प्रतिशत आरक्षण : साल के शुरुआत में सामान्य जाति के लोगों के लिए आय के आधार पर 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रदान कर एक नया अध्याय को भारतीय सविधान में जोड़ा गया

* चुनाव परिणाम के बाद बहुत कुछ बदला :- आम चुनाव के परिणामों के बाद 303 सीटों के साथ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है. वही देश पर पांच दशक से अधिक शासन करने वाली पार्टी कांग्रेस महज 52 सीटें ही जीत पायी.  ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस को 22 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा. चंद्रबाबू नायडू की तेलुगू देशम पार्टी लोकसभा की तीन सीटों और अन्नाद्रमुक पार्टी एक सीट पर सिमट गयी. वही राज्य में द्रमुक ने शानदार प्रदर्शन किया. इस बार 23 सीटें हासिल किया, आंध्रप्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस पार्टी 16 सीट मिली . बीजू जनता दल (बीजद) के इस बार 12 सीटों पर संतोष करना पड़ा . देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में मायावती की बसपा को 10 सीट मिली . वही बिहार में तक भाजपा के साथ जुड़े  नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने 16 जीती. महाराष्ट्र में शिव सेना को इस बार भी 18 सीटें मिली.

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* संसद का नया रूप देखने को मिला :- साल के मध्य में देश में आम चुनाव समाप्त हुआ और 17 वीं लोकसभा का गठन हुआ. एक बार फिर सत्ता की चाबी भाजपा के पास आई और फिर मोदी जी ही प्रधानमंत्री बने.  पहली बार  नव निर्वाचित संसद में बहुत पुराना कुछ बदला दिखा. कई दिग्गज नेता नहीं दिखें. कई दशक से जिनकी आवाज संसद में गूंजती थी वही नहीं देखे. इनमें  बीजेपी के सबसे वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, सुषमा स्वराज, सुमित्रा महाजन, पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा, मल्लिकार्जुन खड़गे, ज्योतिरादित्य सिंधिया है . पहली लोकसभा में 5 फीसदी महिलाएं थीं, जो अब बढ़कर 14 फीसदी हो गयी हैं. इस बार 78 महिलाएं चुनकर संसद पहुंची हैं. 16वीं संसद में 62 महिलाओं को लोगों ने संसद पहुंचाया था.

* विधान सभा चुनाव में सिकत :-  लोकसभा चुनाव में आपार सफलता के उपरांत तीन राज्यों में हुए विधान सभा का चुनाव केंद्रीय सत्ता के लिए कुछ खास नहीं रहा.  महाराष्ट्र और झारखण्ड की सत्ता  हाथ से खिसक गया , वही हरियाणा में भी बैसाखी के सहारे सत्ता बची हुई है .

* तीन तलाक के खिलाफ बिल  – मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक-2019′ को लोकसभा और राज्यसभा से पारित कराया गया. राज्यसभा में बहुमत न होने के बाद भी मोदी सरकार इस कानून को अमलीजामा पहनाने में कामयाब रही.

* धारा 370  का अंत – मोदी सरकार ने अपना चुनावी घोषणा पत्र का वादा पूरा करते हुए  05 अगस्त को संसद में ऐतिहासिक फैसला लेते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में घोषण कर खुद कश्मीर से धारा 370 के हटने का ऐलान किया. साथ ही राज्य पुनर्गठन बिल ला कर  कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों लद्दाख और जम्मू-कश्मीर में बाटने का प्रस्ताव रखा और दोनों सदन में पास कर इसे क़ानूनी रूप प्रदान कर दिया .

* मंदिर- मस्जिद विवाद पर फैसला –  नवंबर महीने में  माननीय सुप्रीम कोर्ट ने विवादित भूमि पर   रामलला के हक में फैसला सुनाया. जिसके बाद अब अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की तैयारियों पर चर्चा चल पड़ी .वही मुस्लिम समाज को 5 एकड़ जमीन मस्जिद के लिए देनी की बात कही गई .

* नागरिकता बिल पर विवाद :-  साल के आखिरी महीने में सरकार को नागरिकता संशोधन बिल को लेकर कई विवाद को सहना पड़ा. दिल्ली के जामिया से लगी आग जल्दी ही पुरे देश में फ़ैल गई , कई राज्यों में विरोध हिंसा का रूप ले लिया . कई लोग मरे गए , तो कई हिरासत में ले लिये गए. इतना कुछ हुआ लेकिन सत्तापक्ष ना नरम हुई और ना की विपक्ष शांत हुआ. अभी भी यह विवाद शांति रूप से चल ही रहा है.

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* अर्थव्यवस्था  पर धीमी रफ्तार –  ताजा आंकड़ों के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 4.5 प्रतिशत पर रह गई. जो 6 साल का न्यूनतम स्तर है. देश के कई व्यापर क्षेत्रों में अर्थव्यवस्था के धीमी होती रफ्तार को  देखा जा सकता है.  साथ ही युवा छात्रों के बीच रोजगार का प्रश्न बिकराल बनता जा रहा है. सरकार को जल्द ही कुछ बड़े सुधार गत कार्य करना होगा.

दादासाहेब फाल्के अवार्ड से नवाजे गए बौलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन

बौलीवुड के एंग्री यंग मैन, शहंशाह, बिग बी और मेगास्टार अमिताभ बच्चन को हिंदी सिनेमा में उनके अभूतपूर्व योगदान के लिए को दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया. उन्हें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रविवार को राष्ट्रपति भवन में खिताब प्रदान किया. इस कार्यक्रम में 77 वर्षीय अमिताभ बच्चन के साथ उनकी पत्नी जया बच्चन और बेटा अभिषेक बच्चन भी मौजूद थे.

आपको बता दें कि 25 सितंबर को अमिताभ बच्चन को यह पुरस्कार देने की घोषणा की गई थी. घोषणा के दो महीने बाद 23 दिसंबर को 66वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार दिए गए. तबियत नासाज़ होने के कारण अमिताभ बच्चन सोमवार को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में शामिल नहीं हो पाए थे. उन्होंने अपने खराब स्वास्थ्य की जानकारी सोशल मीडिया पर दी थी. इसके बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने बताया था कि अमिताभ बच्चन को दादा साहेब फाल्के सम्मान से 29 दिसंबर को नवाजा जाएगा.

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अमिताभ बच्चन ने पुरस्कार लेने के बाद सभी का शुक्रिया अदा किया और कहा कि दादा साहब फाल्के पुरस्कार को देने की शुरुआत करीब 50 साल पहले हुई और मुझे इंडस्‍ट्री में काम करते हुए भी करीब 50 साल हो गए हैं. उन्होंने कहा, ‘जब इस पुरस्कार की घोषणा हुई तो मेरे मन में एक संदेह उठा कि क्या कहीं ये संकेत है मेरे लिए कि भाई साहब आपने बहुत काम कर लिया है, अब घर बैठ के आराम कीजिए. क्योंकि अभी भी थोड़ा काम बाकी है, जिसे मुझे पूरा करना है और आगे भी कुछ ऐसी संभावनाएं बन रही हैं जहां मुझे काम करने का अवसर मिलेगा, यदि इसकी पुष्टि हो जाए तो बड़ी कृपा होगी.’

अमिताभ बच्चन को पुरस्कार मिलने के बाद उनके बेटे अभिषेक बच्चन ने सोशल मीडिया पर एक बधाई दी और अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर पिता अमिताभ बच्चन की तस्वीर साझा की. इसके साथ उन्होंने कैप्शन लिखा, ‘मेरे प्रेरणास्रोत. मेरे हीरो. दादा साहब फाल्के पुरस्कार मिलने पर आपको बधाई. हम सभी को आप पर गर्व है. लव यू.’

अमिताभ ने फिल्‍मों में अपने करियर की शुरुआत 1969 में वाइस नैरेटर के रूप में की थी. उन्‍होंने मृणाल सेन की फिल्‍म ‘भुवन शोम’ में अपनी आवाज दी थी. अमिताभ ने एक्‍टर के रूप में अपना डेब्‍यू फिल्‍म ‘सात हिंदुस्‍तानी’ से किया था. उन्हें अग्निपथ, ब्लैक, पा और पीकू सहित 4 नैशनल अवार्ड्स मिल चुके हैं. उन्होंने 1969 में सात हिंदुस्तानी फिल्म से अपना ऐक्टिंग डेब्यू किया था. उन्हें 2015 में देश का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान पद्म विभूषण भी मिल चुका है.

अमिताभ बच्चन को दादा साहब फाल्के पुरस्कार मिलने से पहले कई अवार्ड मिल चुके हैं. वर्कफ्रंट की बात करें तो अमिताभ बच्चन की अपकमिंग फिल्मो में ‘गुलाबो सिताबो’, ‘चेहरे’, ‘झुंड’ और ‘ब्रह्मास्त्र’ शामिल हैं.

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आपको बता दे दादा साहब फाल्के पुरस्कार भारत सरकार की ओर से दिया जाने वाला पुरस्कार है, जो किसी व्यक्ति विशेष को भारतीय सिनेमा में उसके आजीवन योगदान के लिए दिया जाता है. इसकी शुरुआत दादा साहब फाल्के के जन्म शताब्दी-वर्ष 1969 से हुई थी. पहली बार ये सम्मान अभिनेत्री देविका रानी को प्रदान किया गया था. इसके बाद से अब तक यह पुरस्कार ‘राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार’ के लिए आयोजित समारोह में प्रदान किया जाता है. इस पुरस्कार के तहत एक स्वर्ण कमल, एक शौल और 10 लाख रुपये नकद प्रदान किए जाते हैं.

राष्ट्रीय पुरस्कार समारोह में आयुष्मान खुराना को ‘अंधाधुन’ और विक्की कौशल को ‘उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक’ में दमदार परफार्मेंस के लिए बेस्ट एक्टर का नेशनल अवार्ड दिया गया.

अलविदा 2019 : खय्याम से लेकर विद्या सिन्हा तक, इस साल बौलीवुड ने खोए ये 10 एक्टर

बौलीवुड में हजारों टैलेंटेड सेलिब्रिटीज हैं. हर  सेलिब्रिटी की फिल्म इंडस्ट्री में एक खास टैलेंट के लिए जाना जाता है. जी हां, ये सेलिब्रिटी अपने फैंस के लिए वो सबकुछ करते हैं, जिससे उनके फैंस का ज्यादा से ज्यादा मनोरंजन हो सके.  पर जैसे ही किसी सेलिब्रिटी की मौत की खबरे आती है तो आपको एक झटका सा महसूस होता है.  हर साल सेलिब्रिटी की मौत की खबरें आती है.  तो चलिए 2019 में जिन मशहूर सेलिब्रिटीज की मौत हो चुकी हैं, उनका  नाम जानते हैं.

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  1. श्रीराम लागू

फिल्म इंडस्ट्री के दिग्गज एक्टर श्रीराम लागू का पुणे में 92 साल की उम्र में 17 दिसंबर को मृत्यु हो गईं. श्रीराम लागू ने अपने फिल्मी करियर में सैकड़ों हिंदी और 40 से ज्यादा मराठी फिल्मों में काम किया था. श्रीराम लागू ने वो आहट: एक अजीब कहानी, पिंजरा, मेरे साथ चल, सामना, दौलत जैसी कई हिट फिल्मों में काम किया था.

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  1. वीरू कृष्णन 

1996 में आई फिल्म ‘राजा हिंदूस्तानीमें अपनी जबरदस्त एक्टिंग से मशहूर होने वाले अभिनेता वीरू कृष्णन ने 7 सितम्बर  को अंतिम सांस ली. एक्टर होने के साथ साथ वीरू कृष्णन एक बेहतरीन कथक डांसर भी थे. अपने इस टैलेंट से उन्होंने प्रियंका चोपड़ा कैटरीना कैफ, करणवीर बोहरा और कई स्टार्स को भी कथक डांस सिखाया था. उन्होंने ‘मेला’, ‘दूल्हे राजा’, ‘अकेले हम अकेले तुम’ और ‘इश्क’ जैसी फिल्मों में भी अहम किरदार निभाया था.

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  1. विजू खोटे

फिल्म इंडस्ट्री के दिग्गज अभिनेता विजू खोटे 30 सितंबर को 78 साल की उम्र में निधन हो गया. उन्होंने कई मराठी और हिंदी फिल्मों में काम किया. बता दें कि विजू खोटे ने फिल्म शोले में कालिया का आइकौनिक कैरेक्टर प्ले किया था. विजू खोटे के कालिया के किरदार ने लोगों के दिलों पर इतनी गहरी छाप छोड़ी कि आज भी उन्हें कालिया के कैरेक्टर के लिए जाना जाता है.

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  1. खय्याम

दिग्गज संगीतकार खय्याम की मृत्यु  19 अगस्त  को हुई. ‘कभी कभी’ और ‘उमराव जान’ जैसी फिल्मों के लिए फिल्मफेयर अवार्ड पा चुके ख़य्याम ने अपने करियर की शुरुआत 1947 में की थी. ‘वो सुबह कभी तो आएगी’, ‘जाने क्या ढूंढती रहती हैं ये आंखें मुझमें’, ‘बुझा दिए हैं खुद अपने हाथों, ‘ठहरिए होश में आ लूं’, ‘तुम अपना रंजो गम अपनी परेशानी मुझे दे दो’, ‘शामे गम की कसम’, ‘बहारों मेरा जीवन भी संवारो’ जैसे अनेकों गीत में अपने संगीत से चार चांद लगा चुके हैं.

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  1. विद्या सिन्हा

‘‘रजनीगंधा’’, छोटी सी बात’, ‘इंकार’, ‘मुक्ति’, ‘पति पत्नी और वो’ जैसी कई सफलतम फिल्मों और ‘काव्यांजली’, ‘जारा’,‘हारजीत’,‘कुल्फी कुमार बाजेवाला’ जैसे हिट सीरियलों की अदाकारा विद्या सिन्हा का 71 वर्ष की उम्र में 15 अगस्त को अंतिम सांस ली. वह फेफड़े की बीमारी से पीड़ित थी. विद्या सिन्हा को 18 साल की उम्र में ही ‘मिस बांबे’ का खिताब मिला था.

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  1. गिरीश कर्नाड

सिनेमा जगत के जाने-माने सितारे गिरीश कर्नाड की मृत्यु 10 जून  को हुई. ये अभिनेता और लेखक थे. 81 साल की उम्र में इनका निधन हो गया. इनके मौत की वजह मल्टीपल और्गन फेलियर बताया गया. गिरीश कर्नाड ने सलमान खान की फिल्म ‘एक था टाइगर’ और ‘टाइगर जिंदा है’ में भी काम किया था.

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  1. वीरू देवगन

बौलीवुड के फेमस एक्टर अजय देवगन के पिता वीरु देवगन 27 मई  को इस दुनिया को अलविदा कह गए. रिपोर्ट्स के मुताबिक कार्डिक अरेस्ट की वजह से उनकी मौत हुई थी. वीरु देवगन को एक्शन फिल्मों के लिए जाने जाते हैं. उनकी फेमस फिल्मों में से है 1994 दिलवाले, हिम्मतवाला 1983, 1988 शहंशाह.

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  1. राजकुमार बड़जात्या

बौलीवुड के मशहूर फिल्म प्रोड्सूर राजकुमार बड़जात्या 21 फरवरी को अंतिम सांस ली.  राजश्री प्रोडक्शन के मालिक, फिल्म मेकर सूरज बड़जात्या के पिता राजकुमार बड़जात्या ने फिल्मी दुनिया में लंबे समय तक योगदान दिया. उनकी लेटेस्ट प्रोड्यूस फिल्मों पर नजर डालें तो 2015 में प्रेम रतन धन पायो, 1999 में हम आपके हैं कौन, 1994 में मैंने प्यार किया जैसे ब्लौकबस्टर फिल्में दी.

  1. महेश आनंद

बौलीवुड के मशहूर खलनायक महेश आनंद 9 फरवरी को अपने घर पर मृत पाए गए थे. रिपोर्ट्स के मुताबिक उनकी नेचुरल डेथ थी, उन्होंने सुसाइड नहीं की थी. उन्होंने कई फिल्मों में मुख्य खलनायक की भूमिका निभाई थी.  एक्टर के साथ-साथ प्रोड्यूसर भी थे. उन्हें बौलीवुड की चर्चित फिल्में ‘थानेदार’, ‘आया तूफान’ और ‘प्यार किया नहीं जाता’ में उनके द्वारा निभाए गए किरदार के लिए जाना जाता है.

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  1. रमेश भाटकर

मराठी और हिंदी भाषा के अभिनेता रमेश भाटकर का कैंसर के कारण 4 फरवरी को अंतिम सांस ली. इत्तेफाक से कैंसर डे के दिन ही वे इस बीमारी से जंग हार गए. उन्हें पुलिस के किरदार निभाने के लिए जाना जाता था. सिर्फ फिल्मों ही नहीं वे रंगमंच की दुनिया का भी जाना पहचाना नाम थे.

मकड़जाल में फंसी जुलेखा : भाग 1

रियल एस्टेट कारोबारी संजय यादव ने जुलेखा से पीछा छुड़ाने के लिए उसे ठिकाने लगवा दिया था. सभी आरोपी निश्चिंत थे कि पुलिस उन तक नहीं पहुंचेगी, लेकिन पुलिस को एक सुराग ऐसा मिला कि…

जुलेखा लखनऊ के आलमबाग स्थित अमित इंफ्रा हाइट्स प्रा.लि. नाम की रियल एस्टेट कंपनी में नौकरी करती थी. 3

अगस्त, 2019 को भी वह रोजाना की तरह हंसखेड़ा स्थित अपने घर से ड्यूटी के लिए निकली थी, लेकिन शाम को निर्धारित समय पर घर नहीं पहुंची तो मां शरबती को चिंता हुई.

भाई नफीस ने जुलेखा के मोबाइल पर फोन किया, लेकिन उस का फोन स्विच्ड औफ मिला. कई बार कोशिश करने के बाद भी जब फोन पर जुलेखा से संपर्क नहीं हो सका तो उस ने मां शरबती को समझाते हुए कहा, ‘‘अम्मी, हो सकता है कंपनी के काम में ज्यादा व्यस्त होने की वजह से जुलेखा ने अपना फोन बंद कर लिया हो. आप परेशान न हों, देर रात तक घर लौट आएगी.’’

कभीकभी औफिस में ज्यादा काम होने पर जुलेखा को घर लौटने में देर हो जाती थी. तब वह घर पर फोन कर के सूचना दे दिया करती थी. लेकिन उस दिन उस ने देर से लौटने की कोई सूचना घर वालों को नहीं दी थी, इसलिए सब को चिंता हो रही थी.

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जुलेखा का एक दोस्त था श्रेयांश त्रिपाठी. नफीस ने सोचा कि कहीं वह उस के साथ तो नहीं है, इसलिए उस ने बहन के बारे में जानकारी लेने के लिए श्रेयांश को फोन किया. लेकिन उस का फोन भी बंद मिला.

देर रात तक नफीस, उस की मां शरबती और पिता शरीफ अहमद जुलेखा के लौटने का इंतजार करते रहे लेकिन वह नहीं लौटी. सुबह होने पर नफीस ने पिता से कहा कि हमें यह सूचना जल्द से जल्द पुलिस को दे देनी चाहिए.

लेकिन मां शरबती ने कहा, ‘‘इस मामले में जल्दबाजी करना ठीक नहीं है. थाने जाने से पहले उस के औफिस जा कर कंपनी के मालिक संजय यादव से पूछताछ कर ली जाए कि उन्होंने उसे कंपनी के किसी काम से बाहर तो नहीं भेजा है.’’

नफीस ने बहन के औफिस जा कर कंपनी मालिक संजय यादव से संपर्क किया तो उस ने बताया कि जुलेखा कल वृंदावन कालोनी स्थित किसी दूसरी कंस्ट्रक्शन कंपनी में इंटरव्यू देने गई थी. तेलीबाग के चौराहे तक वह उसे अपनी कार में ले गया था.

वहां वह वृंदावन कालोनी के गेट पर उतर गई थी. उस के बाद वह कहां गई, उसे पता नहीं है. वह वृंदावन सोसायटी में रहने वाली बड़ी बहन रूबी के पास जाने को भी कह रही थी.

‘‘वह रूबी के यहां नहीं पहुंची.’’ नफीस बोला.

‘‘हो सकता है वह कहीं और चली गई हो. उस के आने का इंजजार करो. हो सकता है 2-4 दिन में लौट आए.’’

संजय से भरोसा मिलने के बाद नफीस घर लौट आया. लेकिन उस के मन में कई तरह की आशंकाएं उमड़घुमड़ रही थीं.

नफीस और उस के मातापिता 3 दिन तक जुलेखा के घर आने का इंतजार करते रहे. जब वह नहीं आई तो 5 अगस्त, 2019 को नफीस थाना पारा पहुंचा और थानाप्रभारी त्रिलोकी सिंह से मिल कर जुलेखा के बारे में उन्हें विस्तार से बताया.

अमित इंफ्रा हाइट्स कंपनी का नाम सुन कर थानाप्रभारी टालमटोल करते हुए बोले कि 2 दिन और देख लो. 2 दिन बाद भी वह न आए तो थाने आ जाना.

थानाप्रभारी के आश्वासन पर नफीस घर चला गया. 2 दिन बाद भी जुलेखा नहीं आई तो 7 अगस्त, 2019 को नफीस फिर से थानाप्रभारी त्रिलोकी सिंह से मिला और रिपोर्ट दर्ज कर बहन को तलाश करने की मांग की. लेकिन उन्होंने रिपोर्ट दर्ज करने के बजाए उसे समझाबुझा कर अगले दिन आने को कह दिया.

इस के बाद नफीस 9 अगस्त, 2019 को एसएसपी कलानिधि नैथानी से मिला और जुलेखा के गायब होने की बात बता कर कहा कि जुलेखा आलमबाग स्थित अमित इंफ्रा हाइट्स प्रा.लि. कंपनी में काम करने वाले संजय यादव, अवधेश यादव, गुड्डू यादव और अजय यादव के संपर्क में रहती थी.

इन दिनों पैसों के लेनदेन को ले कर जुलेखा का कंपनी मालिक संजय यादव से मनमुटाव चल रहा था. उसे शक है कि इन लोगों ने उस की बहन को कहीं गायब कर दिया है.

नफीस का दुखड़ा सुनने के बाद एसएसपी ने पारा के थानाप्रभारी त्रिलोकी सिंह को आदेश दिया कि जुलेखा वाले मामले में जांच कर दोषियों के खिलाफ काररवाई करें. कप्तान साहब का आदेश मिलते ही थानाप्रभारी हरकत में आ गए. उन्होंने सब से पहले नफीस और उस के मातापिता से बात की. इस के बाद जुलेखा का मोबाइल नंबर सर्विलांस पर लगा दिया.

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काल डिटेल्स से पता चला कि जुलेखा ने अंतिम बार श्रेयांश त्रिपाठी को फोन किया था. त्रिपाठी ने उसे बुला कर कंपनी में काम करने के लिए बात की थी. चौकी हंसखेड़ा के प्रभारी सुभाष सिंह ने श्रेयांश त्रिपाठी को बुला कर उस से जुलेखा के बारे में पूछताछ की.

इस के बाद थानाप्रभारी त्रिलोकी सिंह एसआई रामकेश सिंह, सुभाष सिंह, धर्मेंद्र कुमार, सिपाही मयंक मलिक, आशीष मलिक और राजेश गुप्ता को साथ ले कर आलमबाग स्थित अमित इंफ्रा हाइट्स प्रा.लि. कंपनी के औफिस पहुंचे.

वहां कंपनी मालिक संजय यादव का साला गुड्डू यादव निवासी बिजनौर तथा आलमबाग आजादनगर के रहने वाले एक दरोगा का बेटा अजय यादव मिला.

पुलिस सभी को थाने ले आई. सीओ आलमबाग लालप्रताप सिंह की मौजूदगी में उन सभी से पूछताछ की गई तो उन्होंने स्वीकार कर लिया कि उन लोगों ने जुलेखा की हत्या कर के उस की लाश हरचंद्रपुर में साई नदी के किनारे फेंक दी थी.

यह जानने के बाद थानाप्रभारी के नेतृत्व में गठित टीम आरोपियों को साथ ले कर हरचंद्रपुर में साई नदी के पास उस जगह पहुंच गई, जहां जुलेखा के शव को ठिकाने लगाया था.

पुलिस को नदी किनारे कीचड़ में एक शव मिला. शव युवती का था और पूरा गल गया था. हड्डियों के अलावा वहां लेडीज कपड़े मिले. जुलेखा के भाई नफीस और मां शरबती ने कपड़ों से उस की शिनाख्त जुलेखा के रूप में की. पिता शरीफ अहमद ने बताया कि जुलेखा के ये कपड़े उन्होंने ईद पर खरीद कर दिए थे.

पुलिस ने जरूरी काररवाई कर जुलेखा के कंकाल को पोस्टमार्टम व डीएनए जांच के लिए भिजवा दिया. जुलेखा की हत्या और अपहरण में मुख्य आरोपी संजय यादव के साले गुड्डू यादव व अजय यादव से जुलेखा के संबंध में पूछताछ की तो उन्होंने उस का अपहरण कर उस की हत्या करने की जो कहानी बताई, वह बड़ी सनसनीखेज थी—

शरीफ अहमद अपने परिवार के साथ लखनऊ के थाना पारा के अंतर्गत आने वाली कांशीराम कालोनी नई बस्ती में रहता था. बुद्धेश्वर चौराहे पर उस की आटो पार्ट्स की दुकान थी. परिवार में उस की पत्नी शरबती के अलावा 2 बेटियां रूबी व जुलेखा और एक बेटा नफीस था. बड़ी बेटी रूबी का पास के ही वृंदावन में विवाह हो चुका था.

नफीस पिता के काम में हाथ बंटाता था. सन 2013 में उस ने छोटी बेटी जुलेखा की शादी मुंबई के रहने वाले एक युवक से कर दी थी. जुलेखा महत्त्वाकांक्षी थी. वह आत्मनिर्भर बनना चाहती थी. शादी के 2 साल बाद जुलेखा ने एक बेटे को जन्म दिया.

बेटे के जन्म के बाद जुलेखा अपने मन की कमजोरी को छिपा कर न रख सकी क्योंकि वह स्वच्छंद जीवन जीने की आदी थी, जबकि उस का शौहर उस की आदतों के खिलाफ था. अंतत: एक दिन पति से लड़झगड़ कर वह अपने मायके आ गई. सन 2019 में पति ने जुलेखा को तलाक दे दिया. तलाक के बाद वह एकदम आजाद हो गई थी.

जुलेखा चारदीवारी में बैठने के बजाए नौकरी कर के आत्मनिर्भर होना चाहती थी, जिस से अपने बेटे की ढंग से परवरिश कर सके. पढ़ीलिखी होने के साथसाथ उसे कंप्यूटर की जानकारी थी. लिहाजा उस ने प्राइवेट कंपनियों में नौकरी ढूंढनी शुरू कर दी.

थोड़ी कोशिश के बाद उसे आलमबाग स्थित अमित इंफ्रा हाइट्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में 15 हजार रुपए प्रतिमाह की तनख्वाह पर कंप्यूटर औपरेटर की नौकरी मिल गई.

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इस कंपनी का औफिस लखनऊ के बारह विरवा में था और इस का मालिक था काकोरी निवासी संजय यादव. कुछ दिनों तक जुलेखा ने इस कंपनी में डाटा एंट्री का काम किया. इस दौरान वह संजय यादव के साले सरोजनीनगर निवासी गुड्डू यादव, आलमबाग आजादनगर के रहने वाले दरोगा के बेटे अजय यादव और अवधेश यादव के संपर्क में आई.

गिरती अर्थव्यवस्था

आर्थिक समीक्षा करने वाली विश्व संस्थाओं ने भारत की प्रगति को कम कर के 4.8 फीसदी के आसपास हो जाने का अनुमान लगाया है. कुछ तो अब 4.2 प्रतिशत वृद्धि का ही अनुमान लगा रहे हैं. पाकिस्तान की प्रगति दर भी कम हो रही है और अब वह 2.8 फीसदी रह गई है. बंगलादेश की दर बढ़ कर 8.1 प्रतिशत हो सकती है. दक्षिण एशिया के इन 3 देशों का जो हाल आज हो रहा है वह उन की सरकारों के कारण है, जनता के नहीं.

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था लगातार बिगड़ रही है क्योंकि कई दशकों से वहां मुख्य ध्येय इसलाम की रक्षा करना है. जियाउल हक ने पाकिस्तान को फिर से पुराने इसलामिक गड्ढे में धकेल दिया था. बंगलादेश ने 1971 के बाद कुछ साल राजनीतिक अस्थिरता में गुजारे. पर अब वहां धर्म की जगह उद्योगों ने ले ली है. वहां तेजी से छोटे उद्योग लग रहे हैं और चीन से हट रहे हलकी तकनीक वाले उद्योग वहां खूब पनप रहे हैं.

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भारत में चमक 1991 के बाद आनी शुरू हुई थी. वैसे तो वह 1992 के रामरथयात्रा से ढीली पड़ी और फिर 1992 के बाबरी मसजिद के विध्वंस के बाद, फिर भी नरसिंहराव और मनमोहन सिंह के सुधारों का असर बहुत बड़ा हुआ और 10-15 साल अच्छे गुजर गए. पर उस के बाद देश में धार्मिक जोश एक बार फिर उबाल मारने लगा और 2014 का चुनाव बिना किसी कारण धार्मिक कुरुक्षेत्र युद्ध की तरह लड़ा गया जिस में एक तरफ कट्टरवादी थे तो दूसरी ओर उदासीन, अपनेअपने काम में मस्त, ढीलेढाले नेता और उन के खामोश समर्थक. वे देश की प्राथमिकताएं सम झ ही नहीं पाए.

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अलविदा 2019 : इस साल देश में क्या हुआ नया ? 

आइए जानते हैं, 2019 में क्या हुआ नया ?

* भारत का पहला  डायनासोर पार्क :-  देश का पहला डायनासोर और फॉसिल पार्क  के लिए खोल दिया गया है.  यह पार्क 128 एकड़ में बनाया है. 36 साल पहले यहीं डायनासोर के जीवाश्म पाए गए थे. यह दुनिया का सबसे सुरक्षित स्थान है, जहां इतनी बड़ी मात्रा में अंडों के अवशेष मिले थे. इसे दुनिया में डायनासोर का तीसरा सबसे बड़ा जीवाश्म स्थल भी माना जाता है.  डायनासोर के 6.5 करोड़ साल के इतिहास को बताने के लिए यह देश का पहला आधुनिक म्यूजियम होगा. यहां डायनासोर के रहन-सहन, खान-पान और उनकीजीवन से जुड़ी सभी जानकारी मुहैया कराई जाएंगी.

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* स्पेस टेक पार्क : केरल सरकार तिरुवनंतपुरम स्थित नॉलेज सिटी में देश के पहले स्पेस टेक पार्क की स्थापना कर रही है. इसका उद्देश्य इस शहर को अंतरिक्ष से संबंधित प्रौद्योगिकी हेतु एक विनिर्माण हब बनाना है. भारत के पूर्व राष्ट्रपति ए पी जे अब्दुल कलाम के नाम पर स्थापित अंतरिक्ष संग्रहालय भी इस बुनियादी ढांचे का एक हिस्सा होगा.

* रोबोटिक सर्जरी सेवा –  इस साल देश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने रोबोटिक सर्जरी सेवा का उद्घाटन नई दिल्ली स्थित सफदरजंग अस्पताल में किया . इसके साथ ही रोबोटिक सर्जरी सेवा विधिवत रूप से शुरू हो गई है. ऐसा करने वाला यह देश का पहला अस्पताल है .

* देश का पहला गिद्ध प्रजनन संरक्षण केंद्र :- इस साल उत्तर प्रदेश सरकार ने महराजगंज जिले में राज्य के पहले गिद्ध संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र स्थापित करने का निर्णय लिया है.

* पहला फन जोन :- आंध्र प्रदेश के विशाखापटनम रेलवे स्टेशन पर इसकी शुरुआत हो गई है. यहां प्लेटफार्म 1 पर देश का पहला गेमिंग जोन बना है. यह गेमिंग जोन वाल्टर डिविजन की पहल से बना है. इस गेमिंग जोन की सबसे बड़ी खासियत यह भी है कि यहां बच्चों के साथ साथ बड़ों के लिए भी कई फन एक्टिविटीज हैं.

इस फन गेम जोन में आपको डोरेमौन, हिट माउस, बास्केट बॉल और निशाने लगाने वाले गेम्स के अलावा भी कई प्रकार के गेम है , इसके लिए सिर्फ 50 रुपया भुगतना करना होगा.

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पहला अर्बन वाटर  ट्रेन :-  कोलकाता में भारत का पहला अंडर वॉटर ट्रेन प्रॉजेक्‍ट तैयार हो चुका है. यह मेट्रो जल्‍द ही काम करने लगेगी.

रोबोट रेस्टोरेंट :- चेन्नई की ओल्ड महाबलिपुरम रोड में एक ऐसा रेस्तरां हैं, जहां रोबोट्स लोगों को खाना परोसते हैं. इस रेस्तरां का नाम ‘ROBOT’ रखा गया है . यह इस तरह का भारत का पहला रेस्तरां है. हर एक टेबल पर एक आई-पैड की सुविधा दी गई है, जिसके माध्यम से कस्टमर अपना खाना और्डर करता है. ये और्डर्स सीधे किचन तक पहुंचेंगे. और्डर तैयार होने पर रोबोट वेटर्स आपकी टेबल तक आएंगे और खाना सर्व करेंगे. आपको बता दें की इस रेस्टोरेंट में खाना बनाए वाले इंसान ही हैं बस उन्हें परोसने वाले रोबोट्स हैं . इसकी शुरुआत 2017  में हुए थे ,  चेन्नई और कोयम्बटूर के बाद इस साल (2019 ) में  बंगलौर में यह इस तरह का पहला रेस्तरां  शुरुआत किया गया है.

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ऐसे बनाएं पोटैटो पैनकेक

कच्चे आलुओं को छील कर कस लें. उबला आलू छील कर कस लें. एक बाउल में कसे आलू, मैदा, मिर्च व प्याज डाल कर पानी के साथ गाढ़ा बैटर बना लें. इसमें नमक व बेकिंग पाउडर मिला कर फेंट लें.

सामग्री

-2 कच्चे आलू

-1 उबला आलू

-1 प्याज कटा

-1-2 हरीमिर्चें कटी

-1/2 कप मैदा

-1/4 छोटा चम्मच बेकिंग पाउडर

– 2-3 बड़े चम्मच तेल

-नमक स्वादानुसार.

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विधि

कच्चे आलुओं को छील कर कस लें. उबला आलू छील कर कस लें. एक बाउल में कसे आलू, मैदा, मिर्च व प्याज डाल कर पानी के साथ गाढ़ा बैटर बना लें. इस में नमक व बेकिंग पाउडर मिला कर फेंट लें. गरम तवे पर एक बड़े चम्मच से बैटर डाल कर फैला लें. दोनों तरफ तेल डाल कर सेंक लें. सौस के साथ गरमगरम परोसें.

साब… ‘भारत’ नाम भी बदल दो!

हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी को किसी देशवासी ने एक पत्र लिखा, और फेंक दिया शायद, अब यह मुझे सड़क पर पड़ा मिला है. पहले तो सोचा, डाक के डिब्बे में डाल दूं. फिर जाने क्या मन में आया की खोला और पढ गया.किसी अज्ञात भारतीय ने मोदी जी की कार्यप्रणाली पर मन का गुबार निकाला है .मैं ने इसे पढ़कर सोचा, क्यों न हमारे प्रिय पाठक भी इसे एक नजर देख ले. सो नीचे पत्र शब्दश:प्रकाशित किया जा रहा है.

नरेंद्र मोदी साहब!

आप हमारे प्रधानमंत्री हैं.काफी अरसे से मैं आपके कामकाज पर नजरें गड़ाए हुए हूं .मैं देख रहा हूं आप उस धावक के जैसे व्यवहार कर रहे हैं, जो एक बार में ही 50, 100, 200, 500 मीटर की दौड़ में गोल्ड मेडल पाना चाहता है. मैं देख रहा हूं, आप उस बाॅलर की तरह है जो एक बाल में सारे खिलाड़ियों को आउट करने पर तुला हुआ है.

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क्या यह संभव है?आप जैसा गुणी आदमी, यह कैसी भूल कर रहा है. आप तो हीरे हैं!हीरे!! फिर अपनी चमक, आभा को बढ़ाने के बजाय ऐसी स्थिति क्यों पैदा किए जा रहे हैं की जो आपको देखे वह अपना सर पीटता रह जाए.
आप तो अपने समय काल मे सब कुछ बदल देने पर तुले हैं. यह बदल दो, वह बदल दो, इसे ठीक कर दो, उसे फैक दो… यह सब क्या है .

कभी योजना आयोग को भंग करने की तैयारी करते है. अभी नोटबंदी करते हैं, कभी पाकिस्तान पहुंचकर पाक को नमन करते हैं कभी पाक को नापाक बताते हैं…क्यों ? क्या इसलिए की इस रास्ते पर गांधी, नेहरू, इंदिरा और राजीव चले थे सिर्फ इसलिए सबकुछ बदल देना चाहते हैं ? योजना आयोग को भंग करके आप देश को ऐसी नवीन संस्था देने की चाहत रखते हैं ताकि हम देशवासियों आपको याद करें और उस पहले प्रधानमंत्री को भूल जाएं जो कांग्रेस का प्रतिनिधि था, जो खुद कांग्रेस था, भारत था, देश था. आपके इस देश में क्या हो रहा है कभी गाय मुद्दा बन जाती है कभी मुसलमान और हिंदू! आज नागरिक संहिता को लेकर सड़कों पर लोग निकल पड़े हैं मोदी साब… यह क्या हो रहा है संसद में आपके गृहमंत्री मंत्री कुछ कहते हैं और संसद के बाहर आप कुछ कहते हैं.

क्यों हर उस संस्था पर आपकी निगाह है, जो कांग्रेस ने खड़ी की है .संविधान में अगर कमियां हैं तो आप उसे सर्व अनुमति से दुरुस्त करें .आप तो एक सुयोग्य तीक्ष्ण दृष्टि वाले प्रधानमंत्री है. सब जानते हैं, सर्व जानकार हैं , आप सब कुछ बदलने पर क्यों तुले हुए हैं . इसलिए मुझे आपकी नियत पर शक हो रहा है.

मोदी साब… आप बड़ी चालाकी से वह सब कुछ करना चाहते हैं जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आपके ‘कान’ में पढता रहा है .मुझे तो लगता है,आप मोहन भागवत के हाथों की “कठपुतली’ मात्र हो. उन्हें खुश किए जा रहे हो .जबकि आपको इस देश ने प्रधानमंत्री चुना है .अब आपका दायित्व देश के प्रति है या किसी संस्था विशेष के प्रति, यह हम गरीब गुरबों को जरुर बताना चाहिए. आपकी आकर्षक बाते, आपके व्यक्तित्व, देश के प्रति समर्पण, विकास की भावना को देखकर हम लोगों ने आपको मत दिया था .

अब आप चतुराई का प्रदर्शन कर रहे हैं. कहते हैं हम सबकुछ सर्वसम्मति से कर रहे हैं. मुख्यमंत्रियों की राय ले रहे हैं .अरे! आपने तो वह सब कर दिखाया है जिसकी तो कल्पना तक हम आम लोगों ने नहीं की थी.

मोदी साब… आपको याद है की नहीं, हमारे देश का नाम भी अब बहुत प्राचीन हो गया है. लगे हाथ इसे भी बदल दीजिए. भारत नाम मे भी शायद आपको कोई बात नजर नहीं आती होगी. या इंडिया… को ही बदल दीजिए. इस पर भी कैबिनेट में फैसला ले लीजिए और ज्यादा हो तो आप अपने आका से परामर्श ले लीजिए.

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आप में बदलाव और अपने नाम के प्रति बड़ा आकर्षण है .मुझे लगता है, आप जल्दी बाजी में है और जल्द से जल्द अपना नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखाना चाहते हैं .इसलिए जो भाजपा, भाजपा के नारे लगाता है आपको पसंद नहीं आते और जो मोदी मोदी चिल्लाता है उसे आप सर आंखों पर बैठा लेते हैं.

गोकि मोदी साब… अब देश का नाम बदल ही दीजिए. आप अमर हो जाओगे .संसार और देश के इतिहास में आपका नाम हमेशा याद किया जाएगा कि आपने प्रधानमंत्री बनने के साथ भारतवासियों को भारत से निजात दिलाई और एक नए देश का, जो उज्जवल है, उजास से भरा है स्पूर्ति दायक है ऐसा नाम दिया है की सारे देशवासी गर्वान्वीत है! आपका भी काम हो जाएगा और हमारा भी कल्याण हो जाएगा.

अन्यथा, आप बेवजह परेशान रहेंगे .यह बदल दूं, वह बदल दूं. क्या करूं जो छा जाऊं क्या करूं की आका प्रसन्न हो, यह सोचते-सोचते आपका टैलेंट चुकने लगेगा और कुछ गलत हो जाएगा .मोदी साब… आप सौ सुनार की एक लोहार की तर्ज पर सीधे देश का नाम ही बदल दे. बस ! हो गया आपका काम.

क्या टुकुर टुकुर. आप को यह शोभा नहीं देता .यह योजना आयोग, यह राष्ट्रपिता, यह नेहरू की प्रतिमा यह इंदिरा गांधी ये राजीव टर्मिनल क्या-क्या बदलोगे भाई. साठ सालों में इन कांग्रेसियों ने हर चौक चौराहे पर कब्जा कर लिया है आप परेशान हो जाओगे.

मैं आपका एक बहुत बड़ा फैन हूं. मैं आपको नित्य प्रति दिन देखता हूं. सुनता हूं. मुझे लगा, आप परेशान हो, मैं आपके मनोविज्ञान को थोड़ा-थोड़ा समझ रहा हूं. इसलिए यह पत्र लिख रहा हूं .कहीं धृष्टता हुई तो क्षमा करना . अच्छा लगे तो लौटती डाक से एक लाईन का ही सही, ‘धन्यवाद’ का पत्र भेजना.

कोई शर्त नहीं : भाग 2

कुलदीप ने नोटिस किया कि राधा ठिठक कर लहरिया की ओढ़नी देखने लगी.

इस बार जब घर आए तो न जाने क्या सोच कर शशि से छिपा कर कुलदीप ने लालहरे रंग की एक लहरिया की ओढ़नी राधा के लिए खरीद ली.

ओढ़नी पा कर राधा खिल उठी.

अगले दिन राधा वह ओढ़नी ओढ़ कर आई तो कुलदीप उसे देखते ही रह गए… झीने घूंघट से झांकता उस का चेहरा किसी चांद से कम नहीं लग रहा था. उसे यों अपलक निहारता देख राधा शरमा गई.

समय मानो रेत की तरह हाथ से फिसल रहा था. हर सुबह कुलदीप को राधा का इंतजार रहने लगा.

राधा के आने में अगर जरा भी देर हो जाती तो वे बेचैनी से घर के बाहर चक्कर लगाने लगते.

राधा भी मानो रातभर सुबह होने का इंतजार करती थी. सुबह होते ही बंगले की तरफ ऐसे भागती सी आती थी जैसे किसी कैद से आजाद हुई हो.

आज भी कुलदीप सुबहसवेरे बंगले के अंदरबाहर चक्कर लगा रहे थे. सुबह के 8 बज गए थे, मगर राधा अभी तक नहीं आई थी. जोरावर सिंह भी अब तक दिखाई नहीं दिया था.?

कुलदीप ने सुबह की चाय किसी तरह से बना कर पी, मगर उन्हें मजा नहीं आया. उन्हें तो राधा के हाथ की बनी चाय पीने की आदत पड़ गई थी.

कुलदीप को यह सोच कर हंसी आ गई कि एक बार उन्होंने शशि से भी कह दिया था कि ‘चाय बनाने में राधा का जवाब नहीं’. यह सुन कर मुंह फुला लिया था शशि ने.

चाय का कप सिंक में रख कर कुलदीप सर्वेंट क्वार्टर की तरफ बढ़े. अंदर किसी तरह की कोई हलचल न देख कर कुलदीप को किसी अनहोनी का डर हुआ.

उन्होंने धीरे से दरवाजे को धक्का दिया. दरवाजा खुल गया. भीतर का सीन देखते ही उन के होश उड़ गए.

राधा जमीन पर बेसुध पड़ी थी. जोरावर सिंह का कहीं अतापता नहीं था.

कुलदीप ने राधा को होश में लाने की भरसक कोशिश की, मगर उस ने आंखें नहीं खोलीं.

कुलदीप ने उसे बड़ी मुश्किल से बांहों में उठाया और बंगले तक ले कर आए. उसे बैडरूम में सुला कर एसी चला दिया.

कुलदीप ने पहली बार राधा को इतना नजदीक से देखा था. उस की मासूम खूबसूरती देख कर वे अपनेआप को रोक नहीं सके और उन के हाथ राधा के माथे को सहलाने लगे.

अचानक राधा के शरीर में हलचल हुई और उस ने कराहते हुए आंखें खोलीं.

कुलदीप को देखते ही राधा डरी हुई हिरनी सी उन से लिपट गई.

‘‘साहब, मुझे बचा लो… यह राक्षस मुझे मार डालेगा,’’ कहतेकहते राधा फिर बेहोश हो गई.

कुलदीप ने औफिस से छुट्टी ले ली और सारा दिन राधा के सिरहाने बैठे रहे. 2 बार जा कर जोरावर सिंह को भी देख आए, मगर वह अभी तक नहीं लौटा था.

3-4 घंटे बाद राधा को पूरी तरह से होश आ गया तो उस ने बताया कि जोरावर सिंह अकसर शराब पी कर उस से मारपीट करता है.

शादी के इतने साल बाद भी बच्चा न होने की वजह भी वह राधा को ही मानता है, मगर सच यह है कि जोरावर सिंह ही नामर्द है.

पहली पत्नी के भी उसे कोई बच्चा नहीं था, मगर जोरावर सिंह को खुद में कोई कमी नजर नहीं आती. वह अपनेआप को मर्द मानता है और इस तरह अपनी मर्दानगी दिखाता है.

कुलदीप ने राधा को पेनकिलर की गोली दे दी, तो थोड़ी देर बाद ही वह कुलदीप से ऐसे चिपक कर सो गई जैसे कोई बच्चा अपनी मां के आंचल में निश्चिंत हो कर सिमट जाता है. कुलदीप ने भी उसे अपने से अलग नहीं किया.

2 दिन बाद जोरावर सिंह आया तो कुलदीप ने उसे बहुत लताड़ लगाई और समझाया भी कि अगर राधा ने पुलिस में शिकायत कर दी तो उस की नौकरी जा सकती है और उसे जेल भी जाना पड़ सकता है.

इस का असर यह हुआ कि अब जोरावर सिंह ने राधा पर हाथ उठाना काफी कम कर दिया था, मगर फिर भी कभीकभार उस के अंदर का मर्द जाग उठता था और तब डरी हुई राधा कुलदीप से लिपट जाती थी…

कुलदीप की छुअन जैसे उस के सारे दर्द की दवा बन चुकी थी. एक अनाम सा रिश्ता बन गया था इन दोनों के बीच जिस में कोई शर्त नहीं थी… कोई वादा नहीं था… किसी तरह के हक की मांग नहीं थी…

देखते ही देखते 2 साल बीत गए. कुलदीप को अपने ट्रांसफर की चिंता सताने लगी. पहली बार उन्होंने चाहा कि उन का ट्रांसफर न हो. वे राधा से दूर नहीं जाना चाहते थे. हालांकि दोनों के बीच कोई जिस्मानी रिश्ता नहीं था, मगर एकदूसरे को देख कर उन की मानसिक भूख शांत होती थी.

जब कुलदीप ने राधा को अपने ट्रांसफर की बात बताई तो राधा एकदम से कुछ नहीं बोल पाई, चुप रही.

2 दिन बाद राधा ने कुलदीप से कहा, ‘‘साहब, आप का जाना तो रुक नहीं सकता… आप मुझे अपनी कोई निशानी दे कर जाओ.’’

‘‘क्या चाहिए तुम्हें?’’ कुलदीप ने उस के दोनों हाथ अपने हाथों में कसते हुए पूछा.

‘‘दे सकोगे?’’

‘‘तुम मांग कर तो देखो…’’

‘‘मर्द की जबान है तो तुम पलटना मत…’’

‘‘कभी नहीं…’’ कह कर कुलदीप ने उस से वादा किया कि वह जो मांगेगी, उसे मिलेगा.

आखिर जिस बात का डर था, वही हुआ… कुलदीप के ट्रांसफर और्डर आ गए. उन्हें 4 दिन बाद यहां से जाना था.

उन्होंने राधा से कहा, ‘‘तुम ने कुछ मांगा नहीं…’’

‘‘मुझे आप से बच्चा चाहिए, ‘‘राधा ने उन की आंखों में देखते हुए कहा.

यह सुन कर कुलदीप चौंक गए और बोले, ‘‘तुम होश में तो हो न…?’’

कुलदीप को मानो बिजली के नंगे तार ने छू लिया.

राधा उन के आगे कुछ नहीं बोली. चुपचाप वह पैर के अंगूठे से जमीन कुरेदती रही.

आज शाम से ही तेज बारिश हो रही थी. जोरावर सिंह अपनी पीने की तलब मिटाने के लिए आबू गया हुआ था. कल दोपहर तक शशि भी आने वाली थी. राधा रात का खाना बना कर जा चुकी थी.

कुलदीप खाना खा कर बैडरूम में जा ही रहे थे कि जोरजोर से दरवाजा पीटने की आवाज आई. उन्होंने बाहर की लाइट जला कर देखा तो राधा खड़ी थी.

कुलदीप का दिल जोरजोर से धड़कने लगा. उन्होंने पूछा, ‘‘क्या हुआ, इतनी रात को क्यों आई हो?’’

‘‘आप की निशानी लेने आई हूं.’’

कुलदीप दरवाजा नहीं खोल सके. सामाजिक मान्यताओं ने उन के पैर में बेडि़यां डाल दीं. बाहर राधा खड़ी रही… भीगती रही… भीतर कुलदीप के दिल और दिमाग में जंग छिड़ी थी…

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आखिर इस जंग में दिल की जीत हुई. कुलदीप राधा को बांहों में भर कर भीतर ले आए. राधा ने उन्हें अपना सबकुछ सौंप दिया… और कुलदीप के प्यार को सहेज लिया अपने भीतर… हमेशा के लिए… मानो कोई मोती फिर से सीप में कैद हुआ हो…

राधा को पहली बार प्यार के इस रूप का अहसास हुआ था. पहली बार उस ने जाना कि मर्दऔरत का रिश्ता इतना कोमल, इतना मखमली होता है… और कुलदीप ने भी शायद पहली बार ही सही माने में मर्दऔरत के रिश्ते को जीया था… इस से पहले तो सिर्फ शरीर की प्यास ही बुझती रही थी… मन तो आज ही तृप्त हुआ था.

कुलदीप बारबार सर्वेंट क्वार्टर की तरफ देख रहे थे, मगर राधा कहीं नजर नहीं आ रही थी.

पत्नी शशि जयपुर से आ गई थी और आज का खाना भी उस ने ही बनाया था.

शाम होतेहोते एक नजर राधा को देखने की लालसा मन में ही लिए कुलदीप चले गए अपनी नई पोस्टिंग पर… मगर वह नहीं आई… उस के बाद राधा से उन का कोई संपर्क नहीं रहा.

10 साल बाद वक्त का पहिया घूम कर फिर से कुलदीप को सिरोही ले आया.

इस बार उन की पोस्टिंग आबू में हुई थी. दोनों बच्चे अपनीअपनी लाइफ में सैट हो चुके थे, इसलिए शशि उन के साथ ही आ गई थी.

एक दिन औफिस में किसी ने बताया कि पिंडवाड़ा वाले जोरावर सिंह की जहरीली शराब पीने से मौत हो गई है.

औफिस का पुराना कर्मचारी होने के नाते सामान्य शिष्टाचार निभाने के लिए कुलदीप ने भी अफसोस जताने के लिए उस के घर जाना निश्चित किया.

यादों के शीशे पर जमी वक्त की गर्द थोड़ी साफ हुई… उन के दिमाग में राधा का चेहरा घूम गया… 10 साल एक लंबा अरसा होता है… कैसी दिखती होगी अब वह…

पुराना बंगला कुलदीप को बहुत कुछ याद दिला गया. अभी वे सर्वेंट क्वार्टर की तरफ जा ही रहे थे कि 8-9 साल का एक बच्चा दौड़ता हुआ उन के सामने से गुजरा. हुबहू अपना अक्स देख कर कुलदीप चौंक गए…

तभी राधा वहां आई. उस ने फीकी हंसी हंसते हुए कहा, ‘‘यह आप की निशानी है साहब.’’

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कुलदीप यह सुन कर जड़ हो गए… मगर राधा अब भी मुसकरा रही थी… उस की मुसकराहट कुलदीप को आश्वस्त कर रही थी… नहीं, कभी कोई शर्त नहीं थी इस रिश्ते में… आज भी नहीं…

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