छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार आने भूपेश बघेल के मुख्यमंत्री बनने की शपथ  के साथ "छत्तीसगढ़ सरकार और नक्सली आमने-सामने हैं " एक तरफ छत्तीसगढ़ सरकार की मंशा नक्सलवाद को समूल नष्ट करने की है दूसरी तरफ नक्सलवाद बुझते दिए की तरह कुछ ज्यादा ही फड़फड़ाने लगा है. अब तो यह समय ही बताएगा कि नक्सलियों की देशभर में सबसे बड़ा संघात सहने वाली कांग्रेस पार्टी, छत्तीसगढ़ में सरकार बनाने के बाद क्या नक्सलवाद को खत्म कर पाएगी या नक्सलवाद अजेय बन करदेश की राजनीति को भी आंख दिखाता रहेगा. सनद रहे कि कांग्रेस ने झीरम घाटी कांड में नक्सलियों के हाथों अपने बड़े नेताओं को खोया है  मई 2014 का वह समय  था जब झीरम घाटी में एक तरह से कांग्रेसी नेताओं को नक्सलियों ने चारों तरफ से घेर कर बुरी तरह गोलियों से भून डाला था. शायद यह देश की एक सबसे बड़ी घटना थी. जिसमें कांग्रेस पार्टी ने अपने प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल उनके पुत्र दिनेश पटेल, विद्याचरण शुक्ल जैसे कद्दावर नेता जो कभी नेहरू और इंदिरा गांधी के साथ काम कर चुके थे. साथ ही महेंद्र कर्मा जिन्हें बस्तर टाइगर कहा जाता है और जो सलवा जुडूम के प्रवर्तक थे जैसे लोगों को नक्सलियों ने मार डाला था. वह दंश क्या कांग्रेस भूल सकती है? ऐसे में लाख टके का सवाल यह है कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार बनने के बाद भूपेश बघेल ने नक्सलवाद को खत्म करने का संकेत दिया है?
नक्सलवाद अंतिम सांसे ले रहा!

जिस तरह छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद पनपा है वह आश्चर्यजनक है.उससे भी बड़ी बात यह है कि आने वाले दिनों में नक्सलवाद नाम की कोई चिड़िया भी कभी थी यह भी लोग सवाल पूछने लगेंगे. क्योंकि जैसी परिस्थितियां बन रही है उससे स्पष्ट आभास मिलता है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने एक अल्टीमेटम जारी कर दिया है कि नक्सलवाद को समाप्त कर दिया जाए नक्सलियों को छत्तीसगढ़ में पूरी तरीके से कुचला जा रहा है इधर नक्सलवादी भी अपने उफान पर आ गए हैं और अपनी जान बचाने के लिए बारंबार हमले घात प्रतिघात  कर रहे हैं. सरकार की बंदूक और नक्सलियों के बंदूक चल रही है अब देखना यह होगा कि आने वाले समय में क्या नक्सलवाद सरकार के सामने घुटने टेक देगा या सरकार उसका प्रतिरोध के साथ समूल नष्ट कर देगी. क्योंकि भूपेश बघेल सरकार किसी भी हालत में नक्सलवाद को छत्तीसगढ़ में फूटी आंख भी देखना नहीं चाहती जो दंश, जो दर्द, जो त्रासदी   कांग्रेस पार्टी ने सही है उसे कांग्रेस भला कैसे बढ़ा सकती है? यही कारण है कि आए दिन नक्सली मारे जा रहे हैं या फिर नक्सलियों से अब समर्पण  कराया जा रहा है.दूसरी तरफ नक्सली भी लगातार हमले कर रहे हैं और इस हमलों में अनेकों लोग मारे जा रहे हैं.

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