एक बार एक मधुमक्खी-पालक था जिसने मधुमक्खियों के लिए बहुत अच्छा स्थान बनाया था. वह मधुमक्खियों की अच्छी देखभाल करता था और मधुमक्खियां पित्ती में बहुत सारा शहद इकट्ठा करती थी.
एक बार मधुमक्खी-पालक किसी जरूरी काम के लिए बाजार गया और गलती से मधुमक्खियों के घर को बिना सुरक्षा के छोड़ दिया . मधुमक्खियां शहद इकट्ठा करने के लिए गई थीं .
दुर्भाग्यवश, एक चोर वहां आया और वहां पर किसी को न देखकर उसने सारा शहद चुरा लिया और अपने घर को भाग गया.
जब मधुमक्खी- पालक वापस आया, तो वह सभी मधुमक्खी के छत्ते को खाली देखकर परेशान हो गया. तभी मधुमक्खियां अपने मुंह में अधिक शहद लेकर लौटीं. अपने पित्ती को पलटा हुआ देख उनको लगा की मधुमक्खी पालक चोर है और उन्होंने बिना कुछ सोचे समझे उस पर हमला कर दिया.
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मधुमक्खी पालने वाले ने रोते हुए कहा, “मुझे दंड देने से पहले आपको चोर को देखना चाहिए था.”
दोस्तों ये तो एक कहानी है पर हकीकत इससे कहीं ज्यादा बड़ी है.हम एक ऐसे देश में रह रहे है जहां हमें अपनी बात पूर्ण स्वतंत्रता से कहने का अधिकार है.पर फिर भी न जाने क्यों हम बिना कुछ सोचे समझे एक भेड़ चाल में चलते रहते है. हमारी इसी बात का बड़े-बड़े राजनेता फायदा उठाते है.
आज CAA और NRC के विरोध में देश में हर तरफ दंगे भड़क रहे है .लोग सड़कों पर उतर आये है .देश में एक अजीब सा माहौल बन गया है और हमारें नेताओं ने इसे प्रोटेस्ट का नाम दिया है.
पर क्या आप जानते हैं कि अनुच्छेद 11 के अंतर्गत AUTHORITIES ने हमें शांतिपूर्ण ढंग से विरोध करने, ट्रेड यूनियनों में शामिल होने और अपने विचारों को शातिपूर्ण ढंग से व्यक्त करने का अधिकार दिया है.हमें अपने अधिकारों का प्रयोग तो करना ही चाहिए पर सोच समझ कर-
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क्या है गलतफहमी
CAB (नागरिकता संशोधन बिल , 2019) को भारतीय संसद में 11 दिसंबर, 2019 को पारित किया गया, जिसमें 125 मत पक्ष में थे और 105 मत इसके विरोध में थे . संसद में पास होने और राष्ट्रपति की महुर लगने के बाद नागरिक संशोधन कानून ( CAA – Citizenship Amendment Act ) बन गया.
CAA के पारित होने से उत्तर-पूर्व, पश्चिम बंगाल और नई दिल्ली सहित पूरे देश में हिंसक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया. हमारी राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की जामिया यूनिवर्सिटी में भी जबरदस्त प्रदर्शन हुए .जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों द्वारा विरोध मार्च का आयोजन किया गया और इसने हिंसक रुख अपना लिया.छात्रों और पुलिस में बहुत झड़पें हुईं और सार्वजनिक बसों में आग तक लगाई गई.
इसमें एक खास बात ये है कि इन सभी जगहों के विरोध एक जैसे नहीं हैं. हर कोई अलग-अलग सोच के साथ विरोध करने सड़क पर उतरा है.असम में लोगों को डर है कि बाहर के लोग वहां बसकर उनका हक छीन लेंगे, तो जामिया, एएमयू और नदवा कॉलेज के छात्रों द्वारा इस बात को लेकर प्रदर्शन हो रहा है कि मुस्लिमों की नागरकिता खतरे में है.
विरोधी इसे गैर-संवैधानिक बता रहे हैं जबकि सरकार का कहना है कि इसका एक भी प्रावधान संविधान के किसी भी हिस्से की किसी भी तरह से अवहेलना नहीं करता है. वहीं, इस कानून के जरिए धर्म के आधार पर भेदभाव के आरोपों पर सरकार का कहना है कि इसका किसी भी धर्म के भारतीय नागरिक से कोई लेना-देना नहीं है. सरकार ने कई बार साफ किया है कि यह कानून नागरिकता देने के लिए है, न कि नागरिकता छीनने के लिए.यानी एक बात तो साफ है कि लोगों को नागरिकता संशोधन कानून और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (National Register of Citizens) सही से समझ नहीं आया है, जिसकी वजह से तमाम तरह के भ्रम फैल रहे हैं. कई प्रदर्शनकारियों को लगता है कि इस कानून से उनकी भारतीय नागरिकता छिन जाएगी जबकि एक बड़ी आबादी को CAA और NRC के बारें में पता ही नहीं है.कुछ तो ऐसे है कि जिन्हें ये पता ही नहीं है की वो किस कारण विरोध कर रहे है. सब भेड़-चाल में शामिल है.
ऐसे में ये समझना बहुत जरूरी है कि CAA क्या है और NRC क्या है?
क्या है CAA ?
इस नागरिकता संशोधन कानून के तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश से प्रताड़ित होकर आए हिंदू, सिख, ईसाई, पारसी, जैन और बुद्ध धर्मावलंबियों को भारत की नागरिकता दी जाएगी. इन अल्पसंख्यक लोगों को नागरिकता उसी सूरत में मिलेगी, अगर इन तीनों देशों में किसी अल्पसंख्यक का धार्मिक आधार पर उत्पीड़न हो रहा हो. अगर आधार धार्मिक नहीं है, तो वह इस नागरिकता कानून के दायरे में नहीं आएगा.
मुस्लिम धर्म के लोगों को इस कानून के तहत नागरिकता नहीं दी जाएगी. मुस्लिमों को इसमें शामिल ना करने के पीछे मोदी सरकार का ये तर्क है कि इन तीनों ही देशों में मुस्लिमों की बहुलता के कारण वहां धार्मिक आधार पर किसी मुस्लिम का उत्पीड़न नहीं हो सकता.
ऐसे अवैध प्रवासियों को जिन्होंने 31 दिसंबर 2014 की निर्णायक तारीख तक भारत में प्रवेश कर लिया है, वे भारतीय नागरिकता के लिए सरकार के पास आवेदन कर सकेंगे.
अभी तक भारतीय नागरिकता लेने के लिए 11 साल भारत में रहना अनिवार्य था. नए कानून CAA में प्रावधान है कि पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यक अगर पांच साल भी भारत में रहे हों तो उन्हें नागरिकता दे दी जाएगी.
CAA में यह भी व्यवस्था की गयी है कि उनके विस्थापन या देश में अवैध निवास को लेकर उन पर पहले से चल रही कोई भी कानूनी कार्रवाई स्थायी नागरिकता के लिए उनकी पात्रता को प्रभावित नहीं करेगी.
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क्या है NRC
NRC नागरिकों का राष्ट्रीय रजिस्टर है, जो भारत से अवैध घुसपैठियों को निकालने के उद्देश्य से बनाया गया है. NRC से यह पता चलता है कि कौन भारत का नागरिक है और कौन नहीं. जो इसमें शामिल नहीं हैं और देश में रह रहे हैं उन्हें अवैध नागरिक माना जाता है.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एनआरसी प्रक्रिया हाल ही में असम में पूरी हुई. असम NRC के तहत उन लोगों को भारत का नागरिक माना जाता है जो 25 मार्च 1971 से पहले से असम में रह रहे हैं. जो लोग उसके बाद से असम में रह रहे हैं या फिर जिनके पास 25 मार्च 1971 से पहले से असम में रहने के सबूत नहीं हैं, उन्हें NRC लिस्ट से बाहर कर दिया गया है. NRC लागू करने का मुख्य उद्देश्य ही यही है कि अवैध नागरिकों की पहचान कर के या तो उन्हें वापस भेजा जाए, या फिर जिन्हें मुमकिन हो उन्हें भारत की नागरिकता देकर वैध बनाया जाए.
NRC की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि 1971 के दौरान बांग्लादेश से बहुत सारे लोग भारतीय सीमा में घुस गए थे. ये लोग अधिकतर असम और पश्चिम बंगाल में घुसे थे. ऐसे में ये जरूरी हो जाता है कि जो घुसपैठिए हैं, उनकी पहचान कर के उन्हें बाहर निकाला जाए.
हालांकि, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नवंबर में संसद में घोषणा की थी कि NRC पूरे भारत में लागू किया जाएगा.
मै अपने इस लेख में ये नहीं कहती कि आप अपने अधिकारों को भूल जाएँ ,मै सिर्फ ये कहना चाहती हूं कि अपने अधिकारों के साथ -साथ अपने कर्तव्यों को भी याद रखे .
“लोग अपने कर्तव्यों को भूल जाते हैं पर अधिकारों को याद रखते है “