राजनीतिक गलियारों में यह साल कुछ खास रहा. लोकसभा से विधानसभा तक तस्वीर बदले दिखा, वही सरकार ने अपने फैसले से चौंकाया  तो कोर्ट ने वर्षो का विवाद पर फैसला सुनाया. आइए जानते हैं, राजनीति के क्षेत्र में यह साल क्यों खास रहा ?

* 10 प्रतिशत आरक्षण : साल के शुरुआत में सामान्य जाति के लोगों के लिए आय के आधार पर 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रदान कर एक नया अध्याय को भारतीय सविधान में जोड़ा गया

* चुनाव परिणाम के बाद बहुत कुछ बदला :- आम चुनाव के परिणामों के बाद 303 सीटों के साथ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है. वही देश पर पांच दशक से अधिक शासन करने वाली पार्टी कांग्रेस महज 52 सीटें ही जीत पायी.  ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस को 22 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा. चंद्रबाबू नायडू की तेलुगू देशम पार्टी लोकसभा की तीन सीटों और अन्नाद्रमुक पार्टी एक सीट पर सिमट गयी. वही राज्य में द्रमुक ने शानदार प्रदर्शन किया. इस बार 23 सीटें हासिल किया, आंध्रप्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस पार्टी 16 सीट मिली . बीजू जनता दल (बीजद) के इस बार 12 सीटों पर संतोष करना पड़ा . देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में मायावती की बसपा को 10 सीट मिली . वही बिहार में तक भाजपा के साथ जुड़े  नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने 16 जीती. महाराष्ट्र में शिव सेना को इस बार भी 18 सीटें मिली.

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