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‘‘शांत दीपक शांत…’’

‘‘सुन कर मेरा भी खून खौला था… तुम्हारी जैसी ही बात मेरे भी दिमाग में आई थी, पर अगर हम इस सचाई को दुनिया के सामने लाते हैं तो क्या समाज की उंगली हमारे ऊपर नहीं उठेगी? हो सकता है लोग बच्ची का जीना भी दूभर कर दें?’’ ‘‘शायद तुम्हारा कहना ठीक हो पर ऐसा कर के क्या हम अपराधी को मनमानी करने की छूट नहीं देंगे? आज हमारी बेटी उस की हवस का शिकार हुई है, कल न जाने कितनों को वह वहशी अपनी हवस का शिकार बनाएगा?’’ इस सोच ने अंतत: हमें अपने अंत:कवच से बाहर आने के kahani Hindi warning sine board kahani, hindi kahani online warning sine board , sarita warning sine board, sarita story warning sine board, sarita story online warning sine board, hindi story, best hindi story, hindi story online, story in hindi, Romantic story, Romantic kahani, family story
लिए प्रेरित किया तथा हम ने एफआईआर दर्ज करवाई एक नाबालिग के साथ दुष्कर्म की. डा. संगीता की गवाही मजबूत सुबूत बनी. बच्ची के आरोपी को पहचानने के बावजूद स्कूल प्रशासन इस आरोप को मान ही नहीं रहा था. मानता भी कैसे उस की अपनी साख पर जो बन आई थी. यह खबर आग की तरह फैली. मीडिया के साथ अन्य बच्चों के मातापिता ने उन की आवाज को बल दिया, क्योंकि आज जो एक बच्ची के साथ हुआ है वह कल को किसी और की बच्ची के साथ भी तो हो सकता है. अंतत: पुलिस ने स्विमिंग इंस्ट्रक्टर को गिरफ्तार कर लिया.

दूसरे दिन यह खबर तमाम समाचारपत्रों में प्रमुखता के साथ छपी. यलो लाइन इंटरनैशनल स्कूल में 7 वर्ष की बच्ची के साथ रेप… स्विमिंग करने के बाद स्विमिंग पूल के पास बने चैंबर में बच्ची कपड़े बदलने के लिए गई थी. उस के पीछेपीछे स्विमिंग इंस्ट्रक्टर भी चैंबर में घुस गया तथा उस के मुंह पर कपड़ा बांध कर उसे डराते हुए उस के साथ जबरदस्ती की तथा किसी को न बताने की चेतावनी भी दी. बच्ची की क्लास टीचर ने जब उसे दहशत में देखा तो अनहोनी की आशंका से उस ने उस से प्रश्न किया. उस के प्रश्न के उत्तर में बच्ची को दर्द…दर्द कहते हुए रोते देख कर क्लास टीचर ने प्रिंसिपल को बताया. प्रिंसिपल ने डाक्टर को बुला कर चैकअप करवाने को कहा. डाक्टर ने उस की ड्रैसिंग कर दवा खाने को दे दी. इस के बाद टीचर ने उसे घर में किसी को कुछ भी न बताने की चेतावनी देने के साथ ही यह भी कहा कि तुम गंदी लड़की हो, इसलिए तुम्हें सजा दी गई. अगर तुम घर में बताओगी तो तुम्हें अपने मम्मीपापा से भी डांट खानी पड़ेगी.

पढ़ कर निशा ने माथा पीट लिया. दनदनाती हुई दीपक के पास गई तथा कहा, ‘‘देखो समाचारपत्र… सब जगह हमारी थूथू हो रही होगी.’’

‘‘थू…थू… किसलिए… हमारी बच्ची की कोई गलती नहीं है.’’

‘‘आप पुरुष हैं शायद आप इसलिए ऐसा सोच रहे हैं… एक लड़की के दामन पर लगा एक छोटा सा दाग भी उसे दुनिया में बदनाम कर देता है.’’

‘‘तो क्या हम उस अपराधी को ऐसे ही छोड़ दें?’’

‘‘मैं ने ऐसा तो नहीं कहा पर मैं नहीं चाहती कि हमारी निधि का नाम दुनिया के सामने आए.’’

‘‘नहीं आएगा… पर मैं अपराधी को सजा दिला कर रहूंगा… मैं ने वकील से बात कर ली है.’’

‘‘वह तो ठीक है पर इस सब में पता नहीं कितना समय लगेगा… मैं अपनी बच्ची को तिलतिल सुलगने नहीं दे सकती… निधि के मनमस्तिष्क से कड़वी यादें मिटाने के लिए हमें यहां से दूर जाना होगा.’’

‘‘दूर?’’

‘‘आप अपना स्थानांतरण करवा लीजिए.’’

‘‘स्थानांतरण इतना आसान है क्या?’’

‘‘निधि के जीवन से अधिक कुछ कठिन नहीं है. अगर आप नहीं करा सकते तो मैं अपने मैनेजमैंट से बात करती हूं. मेरा हैड औफिस दिल्ली में है. वहां की एक लड़की यहां आना चाह रही थी… म्यूचुअल स्थानांतरण होने में कोई परेशानी नहीं होगी.’’ म्यूचुअल ट्रांसफर में ज्यादा परेशानी नहीं हुई. 1 महीने के अंदर निशा का स्थानांतरण दिल्ली हो गया. पहले दिल्ली जाने से मना करने के कारण औफिस वालों की आंखो में प्रश्न झलके थे, पर फैमिली प्रौब्लम का हवाला दे कर उन का उस ने स्थानांतरण कर दिया. दीपक ने भी स्थानांतरण के लिए आवेदन कर दिया था. दिल्ली में निशा निधि का डीपीएस में दाखिला करवाने के लिए गई, प्रिंसिपल ने उस के ट्रांसफर सर्टिफिकेट को देख कर कहा, ‘‘यलो लाइन इंटरनैशनल स्कूल. वहां कुछ दिन पूर्व स्कूल के स्टाफ के किसी कर्मचारी द्वारा एक बच्ची का रेप हुआ था.’’

‘‘हां, मैम. मेरा यहां स्थानांतरण हो गया है. आप का स्कूल प्रसिद्ध है. इसलिए मैं इस का यहां दाखिला कराना चाहती हूं,’’ उस ने बिना घबराए उत्तर दिया, क्योंकि उसे पता था कि ऐसे प्रश्न शायद आगे भी उठें पर उसे विचलित नहीं होना है. गनीमत है कि निधि उस के साथ नहीं आई थी. उसे वह अपनी मित्र अलका के पास छोड़ आई थी. उस ने सोचा था पहले स्वयं जा कर स्कूल प्रशासन से बात कर ले. पता नहीं दाखिला होगा भी या नहीं.

‘‘संयोग से हफ्ता भर पहले ही स्थानांतरण के कारण फर्स्ट स्टैंडर्ड में एक स्थान रिक्त हुआ है, हम निधि को उस की जगह ले लेंगे… आप फार्म भर दीजिए तथा कल से उसे स्कूल भेज दीजिए.’’

‘‘थैंक्यू मैम,’’ निशा ने उठते हुए उन से हाथ मिलाते हुए कहा.

‘‘मोस्ट वैलकम.’’

अलका उस की बचपन की मित्र थी. अकसर वह उसे बुलाती रहती थी. अत: जैसे ही उसे ट्रांसफर और्डर मिला, उस ने सब से पहले उसे ही फोन किया. उस ने सुनते ही कहा, ‘‘हमारी दिल्ली में तुम्हारा स्वागत है. तुम सीधे मेरे पास ही आओगी.’’ उस की लड़की शुचि डीपीएस में पढ़ती थी. अत: उस ने निधि का दाखिला डीपीसी में कराने का सुझाव दिया था. वैसे तो निशा की ननद विभा भी दिल्ली में रहती थी पर एक तो उस का घर उस के औफिस से दूर था वहीं उसे डर था अगर उसे जरा सी भी भनक लग गई तो निधि का जीना हराम हो जाएगा. वह चलताफिरता अखबार है… उस के पेट में एक भी बात नहीं पचती. उस ने कहीं पढ़ा था कि एक अच्छा मित्र अच्छा हमराज हो सकता है जबकि रिश्तेदार बाल की खाल निकालने से बाज नहीं आते. अपने मन के इसी डर के कारण उस ने उन के पास न जा कर अलका के पास ही रुकना मुनासिब समझा.

दूसरे दिन निशा निधि को स्कूल के लिए तैयार करने लगी तो उस ने कहा, ‘‘ममा, मुझे स्कूल नहीं जाना है.’’

‘‘बेटा, स्कूल तो हर बच्चे को जाना होता है. अगर आप स्कूल नहीं जाओगे तो डाक्टर कैसे बनोगे?’’

‘‘मुझे डाक्टर नहीं बनना है.’’

‘‘घर में रह कर बोर नहीं हो जाओगी… स्कूल में बहुत सारे फ्रैंड्स मिलेंगे. गेम होंगे और आप को अच्छीअच्छी बुक्स भी पढ़ने को मिलेंगी.’’ निधि के चेहरे पर थोड़ी सहजता देख कर निशा ने पुन: कहा, ‘‘शुचि भी आप के साथ जाएगी.’’

‘‘क्या वह भी मेरे साथ मेरी क्लास में पढ़ेगी?’’

‘‘नहीं बेटा, पर वह आप के स्कूल में ही पढ़ती है.’’

‘‘ओके ममा…’’

‘‘शुचि तुम तैयार हो गईं? चलो मैं तुम दोनों को स्कूल छोड़ आती हूं.’’

‘‘आंटी, मेरी बस आ रही होगी.’’

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