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रैड लाइट- भाग 5 : सुमि के दिलोदिमाग पर हावी था कौन सा डर

हाउसिंग कौंप्लैक्स में मुद्दा उठा कि मकानमालिक सरकार से बस पैसे ऐंठते हैं और अपार्टमैंट्स के रखरखाव पर धेला नहीं खर्च करते. एक शातिर वकील ने मुद्दे को तूल दिया कि अपार्टमैंट्स की दीवारों पर मकानमालिक सस्ता पेंट करवाता है जिस में सीसा मिला होता है. घटिया पेंट बहुत जल्दी पपडि़यां बन कर उतरता है जिसे गे्रटा जैसे छोटे बच्चे अकसर मुंह में रख लेते हैं और बहुतों को मिरगी के दौरे पड़ने लगे हैं. ऐसे दौरे गे्रटा को भी पड़ने लगे तो कौंस्टेंस के दिमाग में खयाल कौंधा. वे शिकायती दल की प्रतिनिधि बन गईं और वकील की मदद से मकानमालिक व पेंट कंपनी, दोनों पर सामूहिक मुकदमा ठोंक दिया. अखबारों ने मामले को खूब उछाला. नतीजतन दावेदारों को भारी मुआवजा मिला जिस का लगभग आधा भाग वकील की जेब में गया. इलाके में सक्रिय राजनीतिक दल और सोशल डैवलपमैंट कमीशन ने हस्तक्षेप कर के सब दावेदारों को मकानमालिक के बेहतर हाउसिंग कौंप्लैक्स में अपार्टमैंट्स दिलवाए. पेंट कंपनी से भी भारी हर्जाना वसूल कर गे्रटा जैसे बाधित बच्चों के ताउम्र इलाज के लिए एक ट्रस्ट बनाया गया.

मां की अत्यधिक व्यस्तता और तंगदस्ती की वजह से बेटे बिलकुल बेकाबू हो गए. वयस्क होते ही बड़ा बेटा अलग रहने लगा. कद्दावर शरीर के बल पर उसे एक नाइट क्लब में बाउंसर यानी दंगाफसाद करने वालों से निबटने की नौकरी मिल गई. कुछ समय बाद वह कैलिफोर्निया चला गया जहां वह फिल्मों में स्टंटमैन है. अपनी डांसर बीवी के साथ एक  छोटीमोटी टेलैंट एजेंसी चला रहा है जो फिल्म और टीवी की दुनिया में मौका पाने को आतुर भीड़ के लिए छोटेमोटे रोल जुटाती है. छोटे बेटे ने जैसेतैसे हाईस्कूल पास किया और कम्युनिटी कालेज से अकाउंटिंग और कंप्यूटर कोर्सेज पूरे कर के एक कार डीलर के यहां अकाउंटैंट बन गया. काम में होशियार था. अच्छा वेतन और बोनस कमाने लगा तो मां और बहन को छोड़ कर वह भी अलग हो लिया. जो भी कमाता वह गर्लफ्रैंड्स, कैसीनो और पब में उड़ा देता. खर्चीली आदतें बढ़ती गईं तो कर्ज लेने लगा और आखिरकार गबन करते पकड़ा गया.

कौंस्टेंस को जबरदस्त झटका लगा. रिचर्ड को खबर की. वे मिलने तो आए लेकिन जमानत से हाथ खींच लिया. बड़े बेटे से मदद मांगी तो उस ने मां को खरीखरी सुनाईं कि यदि खैरात के बजाय ईमानदारी व इज्जत से बेटे पाले होते तो ऐसी नौबत ही क्यों आती? सजायाफ्ता बेटे से मिलने जेल गई तो उस ने मुंह फेर लिया और कड़वे शब्दों में आइंदा मिलने आने के लिए मना कर दिया. मां ने बेटे से मिलने जाना नहीं छोड़ा. भले ही वह बात न करता था लेकिन दूर बैठ उसे जीभर देख कर वे लौट आती थीं.अपने ही खून से ऐसे घोर अपमान से कौंस्टेंस हिल गईं. उन्होंने अपनी शेष जिंदगी का रुख मोड़ने का निश्चय किया और विपन्न स्थिति में अपने जैसे हताश लोगों की मानसिकता बदलने के इरादे से सोशल डैवलपमैंट कमीशन के प्रयासों से जुड़ने की ठान  ली. आर्थिक सहायता के दावेदारों को सही और वाजिब अर्जियां दाखिल करने में मदद करने लगीं. अब अपने हाउसिंग कौंप्लैक्स की मुखिया हैं और इलाके में सक्रिय राजनीतिक दल की कार्यकर्त्ता.

बेटों के दिए सदमे से उबरने का अप्रत्याशित अवसर भी प्रकृति ने दिया. बड़े बेटेबहू के यहां लंबे इंतजार के बाद संतान हुई जिस के बारे में उन्हें बहुत समय बाद पता लगा. वह भी तब जब बरसों बाद रिचर्ड को अचानक अपने सामने पाया. उन से जाना के दोनों का पहला पौत्र मंदबुद्धि जन्मा है. कौंस्टेंस पर लगाए लांछन के लिए शर्मिंदा रिचर्ड स्वयं को क्षमा नहीं कर पा रहे थे. बडे़ बेटे ने भी कहलवाया कि मां को घोर विपत्ति से अकेले जूझने को छोड़ देने के लिए वह उन्हें अपना मुंह दिखाने के काबिल नहीं है. बापबेटे ने मिल कर प्रायश्चित करने की याचना की और गौर्डन के महल्ले में एक तालाबंद घर कौंस्टेंस को खरीदवा कर उस का पुनरुद्धार कर डाला जिस में वे रहती हैं. संबंधों के बीच बरसों पुरानी गहरी दरार पटनी मुश्किल है लेकिन रिचर्ड अब लगभग हर महीने मिलने आते हैं. बड़े बेटे ने भी पत्नी और बच्चे के साथ आने की इच्छा प्रकट की है. पिता और दोनों भाई ग्रेटा के हितचिंतक बने रहें, कौंस्टेंस इस से ज्यादा कुछ नहीं चाहतीं. गुजारे लायक कमा लेती हैं. बढ़ती आयु के कारण गे्रटा की पूरी देखभाल अकेले करने में कठिनाई होने लगी तो उसे स्पैशल नीड्ज वालों के होम में डाल दिया जिस का खर्च ट्रस्ट उठाता है. बेटी की मैडिकल और रिक्रिएशनल जरूरतों के प्रति अब बेफिक्री है लेकिन वीकेंड पर उसे घर ले आती हैं और पड़ोस में रहने वाली सर्टिफाइड नर्सिंग असिस्टैंट कोर्स की स्टूडैंट्स में से किसी न किसी को मदद के लिए बुला लेती हैं. सुमि सोचती है कि तभी गे्रटा को झोटे देती युवती का चेहरा जानापहचाना लगा.

छोटे बेटे ने भी जिंदगी से सबक सीखा. जेलयाफ्ताओं को मिलने वाली शैक्षणिक सुविधा का लाभ उठा कर उस ने कंप्यूटर सौफ्टवेयर डैवलपमैंट में मास्टर्स कर लिया. अच्छे आचरण के लिएउस की सजा की मियाद घटा दी गई है और जल्दी ही रिहाई के बाद उसे वहीं जेल में एजुकेटर की नौकरी भी मिल जाएगी. भाई और पिता की तरह वह भी अपने व्यवहार के लिए शर्मिंदा है. पिछली विजिट में वे उसे अपने साथ आ कर रहने के लिए लगभग राजी कर आई हैं. सुमि सर्टिफाइड नर्सिंग असिस्टैंट कोर्स की स्टूडैंट्स से भेंट करने के बारे में गौर्डन से मशविरा करती है तो वे उसे कौंस्टेंस की मदद लेने की सलाह देते हैं. एक फोटो लेने और इंटरव्यू के लिए सुमि कौंस्टेंस से पूछती है तो वे चौंक कर पीछे लौन पर नजर डालती हैं, ‘‘अनेदर टाइम,’’ कह कर टाल देती हैं. असमंजस से भरी सुमि उन से विदा ले कर गौर्डन के साथ बाहर आ जाती है.

असाइनमैंट सबमिट करने की डैडलाइन से पहले सुमि गौर्डन को फोन करती है कि स्टोरी लगभग पूरी है, सिर्फ सर्टिफाइड नर्सिंग असिस्टैंट कोर्स की स्टूडैंट्स से इंटरव्यू और एकाध फोटो लेना बाकी है. वे कौंस्टेंस से मशविरा कर के वापस फोन करने का आश्वासन देते हैं. 2 दिन बाद वे सुमि को रैल्फ मैन्शन बुलाते हैं.वहां पहुंचने पर कौंस्टेंस भी मिलती हैं. गंभीर मुद्रा में वे सुमि से वचन लेती हैं कि जो कुछ भी उसे बताया जाएगा उसे वह अपने तक सीमित रखेगी, असाइनमैंट सबमिट करने से पहले उन्हें दिखाएगी और ऐसा भी हो सकता है कि वे स्टोरी के किसी अंश को सैंसर करना चाहें.

कौंस्टेंस बहुत मुलायम स्वर में कहना शुरू करती हैं कि मामला एक पुराने संभ्रांत महल्ले का है जो समय की मार से बुरी तरह घायल हुआ. उस के अच्छे समय की स्मृतियां संजोए गौर्डन, टायरोल और ऐग्नेस, मिल्ड्रेड और कौंस्टेंस जैसे कुछ लोग इलाके को रैड लाइट एरिया के नाम से बदनाम किए जाने से तिलमिलाए हुए हैं. इसीलिए समाज उद्धार पर कटिबद्ध सोशल डैवलपमैंट कमीशन से जुड़े हैं. सुमि की स्टोरी उन के प्रयास को बल देगी, इस आस्थावश सब ने उसे पूर्ण सहयोग दिया. अपने जीवन के अंतरंग पक्ष उस के साथ साझा किए. टायरोल और ऐग्नेस सर्टिफाइड नर्सिंग असिस्टैंट कोर्स की स्टूडैंट्स के महज मकानमालिक ही नहीं, सोशल डैवलपमैंट कमीशन द्वारा नियुक्त उन के अभिभावक भी हैं. वे युवतियां वयस्क हैं लेकिन उन के अतीत को एक रहस्य ही रहना होगा. वे बस बहुत कच्ची आयु से ही घोर प्रताड़ना और त्रासदी के भंवर में घिर कर आत्महत्या के कगार तक पहुंच गई थीं.

अवैध तरीकों से देश में लाई गई उन जैसी लड़कियां वेश्यावृत्ति करवाने वाले गिरोहों के चंगुल में फंसी गर्त में गिरती जाती हैं. कई मार दी जाती हैं या नशाखोरी अथवा एड्स की शिकार हो कर दर्दनाक मौत का शिकार बनती हैं. अलगअलग शहरों में पुलिस के छापों में पकड़ी गई ऐसी युवतियों को इमिग्रेशन वालों की सहायता से तत्काल नया रूपरंग, नई पहचान दे कर दूर भेज दिया जाता है और समाजसेवी संस्थाएं उन का पुनर्वास करती हैं.कौंस्टेंस के यहां पीछे बगीचे में गे्रटा को झूला झुलाती जो युवती सुमि को पहचानी सी लगी, वह प्योनी है. गौर्डन के साथ महल्ले में घूमते हुए सुमि ने दोमंजिले पोर्च में बैठी, बतियाती युवतियों के बीच उसे देखा होगा.

सर्टिफाइड नर्सिंग असिस्टैंट कोर्स पूरा होते ही इन युवतियों को फिर रीलोकेट कर दिया जाएगा ताकि उन के पिछले पदचिह्न मिटते रहें जब तक पिछला कोई भी सुराग बाकी न बचे. कार्सन दंपती का घर उन का स्थायी पुनर्वास नहीं, बल्कि एक कड़ी मात्र है. कुछ अन्यत्र कहीं नर्सिंग कालेज में डिगरी कोर्स पूरा करेंगी और आर्मी में जाएंगी. कुछ की अलगअलग शहरों में वृद्धों के नर्सिंग होम्स में नौकरी लगभग पक्की है. अन्य को शहरशहर घूमतेघूमते कोई ठिकाना मिल ही जाएगा जिस में वे बेखौफ रह सकेंगी. जिस घर में 10 युवतियां रहती हों उस का असामाजिक तत्त्वों की नजरों से बचना मुश्किल होता है. टायरोल और ऐग्नेस के घर के चक्कर लगाने वाली बिना पहचान की गाडि़यां पुलिस के विशेष सुरक्षा दस्ते की हैं. सुमि की स्टोरी को डिस्ंिटक्शन ग्रेड मिलता है. स्टोरी में सुमि ने यूनिवर्सिटी और सोशल डैवलपमैंट कमीशन के साझे इनीशिएटिव का संक्षिप्त वर्णन ही दिया जिस के तहत जरूरतमंद वर्ग छात्रवृत्तियों और रिहाइश जैसी अन्य सुविधाओं का लाभ उठा कर अपना भविष्य संवार रहा है. निष्ठावान निवासियों द्वारा इलाके की धूमिल छवि को सुधारने के लिए किए गए अथक प्रयासों के सजीव चित्रण के लिए जर्नलिज्म डिपार्टमैंट का अखबार उसे मुख्य फीचर बनाता है. शहर के प्रमुख दैनिक में उस का प्रचुर विवरण छपता है.

सुमि अखबार की कई प्रतियां गौर्डन, कौंस्टेंस, मिल्डे्रड और टायरोल के यहां पोस्ट कर देती है. यूनिवर्सिटी और सोशल डैवलपमैंट कमीशन की ओर से जर्नलिज्म डिपार्टमैंट का अखबार शहर के मुख्य दैनिक के साथ मुफ्त वितरित किया जाता है. ग्रैजुएशन डे पर सुमि को बधाई देने वालों में गौर्डन, कौंस्टेंस, मिल्ड्रेड, टायरोल और ऐग्नेस के साथ प्योनी और उस की साथिनें भी आती हैं. सब के साथ फोटो सुमि को बैस्ट अवार्ड लगता है. स्थानीय अखबार में सह संपादक सुमि अब डाउनटाउन के चप्पेचप्पे से वाकिफ हो चुकी है. विस्कौन्सिन एवेन्यू और ट्वैंटी फ ोर्थ स्ट्रीट का चौराहा पार करते हुए सुमि पुराने भय को याद कर के हंसे बिना नहीं रह पाती. उस इलाके में प्रौपर्टी डैवलपमैंट जोर पकड़ने लगा है और जमीन के भाव बढ़ रहे हैं

यूपी सरकार का सख्त निर्देश: गाड़ियों पर जाति और धर्म लिखने पर कटेगा चलान, देना पड़ेगा जुर्माना

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में जातीय समीकरण बहुत ज्यादा अहम माना जाता है. इसकी झलक आपको लखनऊ के हर इलाके में देखऩे को मिल जाएगा. महज कुछ घंटे लखनऊ शहर में बीताने के बाद. पहले तो यह हर घर में देखने को मिलता था लेकिन अब यह 2 पहिए वाहन और चार पहिए वाहन पर भी देखने को मिल जाता है .

आमतौर पर लोग अपने कार के नेमप्लेट पर जातिवाद को बढ़ावा दे रहे हैं. जैसे कार के पीछे नेमप्लेट पर नबर की जगह पर क्षत्रिय, जाट ,राजपूत, पंडित और मौर्य जैसे जातिक सूचक लिखवा कर चलते हैं.

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लेकिन अब आगे से ऐसा नहीं होने वाला है सरकार इस पर सख्त कदम उठाने वाली है. साथ ही ऐसे वाहनों के मालिकों के खिलाफ चलान कटवाई जाएगी.

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गाड़ियों पर अपने नाम और जाती को दर्शाना अब कार मालिकों का जेब भी ढीला करेगा. यूपी सरकार अब इस पर भी चलान काटने वाली है. इस पर यूपी सरकार ने निर्देश दिए हैं. यह आदेश केंद्रीय परिवाहन विभाग द्वारा दिया गया है.

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दरअसल सरकार को ऐसी शिकायते लंबे वक्त से मिल रही थी कि लोग अपनी कार पर जातिसूचक स्टीकर लगाकर घूम रहे हैं. जिसे साफ-साफ मालूम होता है कि आप इस हरकत से दूसरे जाति को नीचा दिखाने की कोशिश कर रहे हैं. लिहाजा एक सभ्य संसार में ऐसा करना सही नहीं है.

जिसे देखते हुए योगी सरकार ने इसके खिलाफ सख्त निर्देश जारी किए हैं.

बिग बॉस 14 : इस हफ्ते होगा डबल एलिमिनेशन , दर्शकों को लगेगा झटका

क्रिसमस और बिग बॉस होस्ट सलमान खान की जन्मदिन की वजह से इस सप्ताह बिग बॉस के घर में एलिमिनेशन नहीं हुआ है. बिग बॉस होस्ट सलमान खान के जन्मदिन को सभी ने खूब धूमधाम से मनाया है.वहीं अब सभी कंटेस्टेंट पर एलिमिनेशन की गाज गिरने वाली है.

आपने पिछले एपिसोड़ में देखा होगा कि कैप्टन विकास गुप्ता के अलावा सभी घर वाले नॉमिनेट होने वाले हैं. निक्की तम्बोली और एली गोनी की वजह से सभी घरवालों के ऊपर गाज गिरने वाला है.

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बता दें कि घर से बेघर होने के लिए राखी सावंत, राहुल महाजन, निक्की तम्बोली , अर्शी खान , राहुल वैदेय , एजाज खान और जैस्मिन भसीन नॉमिनेट हो चुके हैं. अमूमन देखा गया है कि जिस हफ्ते बिग बॉस के घर में एलिमिनेशन नहीं होता है उसके अलगे हफ्ते एलिमिनेशन हो जाता है.

 

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सोनाली फोगाट, जैस्मिन भसीन और राहुल महाजन इस हफ्ते कम कंटेट दे पाएं हैं. ऐसे में हो सकता है कि इन सभी लोगों में से किसी एक को बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है. अभी इस शो में मनु और दिशा परमार की वाइल्ड कार्ड एंट्री होने वाली है. मनु पंजाबी को पैर में चोट लगने की वजह से बीच में ही शो को छोड़कर जाना पड़ा था. वहीं मेंकर्स दिशा परमार को घर के अंदर इसलिए एंट्री करवा रहे हैं क्योंकि दर्शक राहुल वैद्य की कैमेस्ट्री देखने के लिए काफी ज्यादा बेकरार हैं.

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दिशा परमार को राहुल वैद्य ने घर के अंदर प्रपोज किया था जिसके बाद से घरवालों  के अलावा दर्शक भी दिशा परमार और राहुल वैद्य की कैमेस्ट्री देखने के लिए बेताब नजर आ रहे हैं.

बिग बॉस 14: कॉमेडियन भारती सिंह के पति हर्ष लिंबाचिया ने NCB पर किया कमेंट तो फैंस ने कहा शर्म करो

बिग बॉस 14 वीकेंड के वार में क्रिसमस सेलीब्रेट किया गया इस दौरान घर में सभी खूब मस्ती करते नजर आएं . ऐसे में बिग बॉस के घर हर्ष लिंबाचिया भी सभी के साथ हंसी ठहाके लगाते नजर आएं. बिग बॉस में हर्ष के आते ही पूरा घर हंसी ठहाके से गुंज उठा.

हर्ष लिंबाचिया ने घर के सभी सदस्यों के साथ जमकर मस्ती किया. इतना ही नहीं हर्ष लिंबाचिया ने मजे-मजे में एनसीबी और खुद की भी खिल्ली उड़ा दी. बीते एपिसोड में हर्ष लिंबाचिया कहते दिखे कि आज कल मेरे घर पर लोग सुबह होते ही आ जाते हैं.

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हर्ष लिंबाचिया कि ये बात सुनकर घर पर लोग हंसते दिखे . वह बात अलग है कि इस शो को देख रहे दर्शकों को हर्ष लिंबाचिया का अंदाज बिल्कुल भी पसंद नहीं आया.

अपनी ही कही हुई बात से हर्ष लिंबाचिया ट्रोलर का शिकार हो गए. फैंस का मानना है कि हर्ष लिंबाचिया इस बात को ज्यादा सीरियस नहीं ले रहे हैं.

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एक यूजर ने सोशल मीडिया पर कमेंट करते हुए कहा है कि हर्ष लिंबाचिया ने इस बात को खुद ही कबूल किया है कि यह एक ड्रग्स एडिक्ट है. शायद मेकर्स को यह बात समझ नहीं आ रहा है कि हर्ष लिंबाचिया एक क्रिमनल है.


वहीं एक यूजर ने लिखा है कि हमें लगता है कि हर्ष लिंबाचिया को बिग बॉस के घर से जानें की जगह रिहैब सेंटर जाना चाहिए. तो वहीं एक ने हर्ष को चरसी बता दिया.

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हालांकि इन सभी कमेंट को देखने के बाद से इस पर हर्ष लिंबाचिया और उनकी पत्नी भारती सिंह ने अभी तक कोई कमेंट नहीं किया है. हर्ष लिंबाचिया और भारती सिंह के ऊपर कुछ दिनों पहले ड्रग्स लेने का आरोप लगा था जिसके बारे में सफाई देने के लिए इन दोनों को एनसीबी ऑफिस जाना पड़ा था.

हालांकि फैंस अभी भी भारती सिंह को उतना ही प्यार देते हैं जितना पहले देते हैं. इन दिनों भारती सिंह कपिल शर्मा शो का हिस्सा है. जहां फैंस उन्हें देखऩा खूब पसंद करते हैं.

Winter Special: बादाम बिस्कोटी

इतावली खाना केवल पास्ता और पिज्जा के लिए मशहूर नहीं है बल्किकुछ स्नैक्स के लिए भी मशहूर तो आइए जानते हैं क्या बनाएं इतावली का मशहूर डिश. दरअसल, इतावली में बादाम बिस्कोटी को लोग बनाना और खाना खूब पसंद करते हैं. ऐसे में आज आपको इतावली बिस्किट के बनाने का तरीका बताते हैं.

समाग्री

मैदा

गेहूं का आटा

शक्कर

वेनिला एक्सेस

दूध

बादाम का बुरादा

लंबे कटे बादाम सुखा आटा

बादा का सत्

विधि

सबसे पहले आप पार्चमेंट पेपर को एक ट्रे में लगाकर रखें. अब आप ओवन को 350 f पर गर्म करें. एक कोटोरे में अब शक्कर और मक्खन को एक साथ मिलाएं रखें. अब इसको हैंड ब्लेड की मदद से अच्छे से फेट लें. लेकिन ध्यान रखें कि इसे आप एक ही दिशा में फेटे.

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अब इसमें वेनिला एक्सेंस डालें और कुछ देर के लिए फेटे, अब इसमें दूध डालकर अच्छे से मिलाएं, एक दूसरे कटोरे में मैदा आटा और बुरादा मिलाकर अच्छे से मिलाएं. अब मैदा के मिश्रण को थोड़ा-थोड़ा करके अच्छे से मिलाएं. साथ में क्रिम भी डालती रहें.

अगर मिश्रण थोड़ा कड़ा लग रहा है तो उसमें कुछ बूंद पानी मिलाएं और फिर इसे अच्छे से फेटते रहें. अब मिश्रण में कटे हुए बादाम डाले और फिर अच्छे से मिलाएं. अब इसको 2 बराबर भागों में बांटे.

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अब हाथों में थोड़ा सा आटा लें ले और फिर मिश्रण को हाथ में लेकर उसकी लोई बनाएं. मिश्रण को फैलाएं फिर इसे अच्छे से काट लें फिर इसे बेक होने के लिए रख दें . कम से कम इसे आप 5 मिनट तक इसे बेक करें .

अब आप इसे सर्व करें.

राज-भाग 1: रचना और रेखा की दोस्ती से किसको परेशानी होने लगी थी

संयुक्त परिवार की छोटी बहू बने हुए रचना को एक महीना ही हुआ था कि उस ने घर के माहौल में अजीब सा तनाव महसूस किया. कुछ दिन तो विवाह की रस्मों व हनीमून में हंसीखुशी बीत गए पर अब नियमित दिनचर्या शुरू हो गई थी. निखिल औफिस जाने लगा था. सासूमां राधिका, ससुर उमेश, जेठ अनिल, जेठानी रेखा और उन की बेटी मानसी का पूरा रुटीन अब रचना को समझ आ गया था. अनिल घर पर ही रहते थे. रचना को बताया गया था कि वे क्रौनिक डिप्रैशन के मरीज हैं. इस के चलते वे कहीं कुछ काम कर ही नहीं पाते थे. उन्हें अकेला नहीं छोड़ा जा सकता था. यह बीमारी उन्हें कहां, कब और कैसे लगी, किसी को नहीं पता था.वे घंटों चुपचाप अपने कमरे में अकेले लेटे रहते थे.

जेठानी रेखा के लिए रचना के दिल में बहुत सम्मान व स्नेह था. दोनों का आपसी प्यार बहनों की तरह हो गया था. सासूमां का व्यवहार रेखा के साथ बहुत रुखासूखा था. वे हर वक्त रेखा को कुछ न कुछ बुराभला कहती रहती थीं. रेखा चुपचाप सब सुनती रहती थी. रचना को यह बहुत नागवार गुजरता. बाकी कसर सासूमां की छोटी बहन सीता आ कर पूरा कर देती थी. रचना हैरान रह गई थी जब एक दिन सीता मौसी ने उस के कान में कहा, ‘‘निखिल को अपनी मुट्ठी में रखना. इस रेखा ने तो उसे हमेशा अपने जाल में ही फंसा कर रखा है. कोई काम उस का भाभी के बिना पूरा नहीं होता. तुम मुझे सीधी लग रही हो पर अब जरा अपने पति पर लगाम कस कर रखना. हम ने अपने पंडितजी से कई बार कहा कि रेखा के चक्कर से बचाने के लिए कुछ मंतर पढ़ दें पर निखिल माना ही नहीं. पूजा पर बैठने से साफ मना कर देता है.’’ रचना को हंसी आ गई थी, ‘‘मौसी, पति हैं मेरे, कोई घोड़ा नहीं जिस पर लगाम कसनी पड़े और इस मामले में पंडित की क्या जरूरत थी?’’

इस बात पर तो वहां बैठी सासूमां को भी हंसी आ गई थी, पर उन्होंने भी बहन की हां में हां मिलाई थी, ‘‘सीता ठीक कह रही है. बहुत नाच लिया निखिल अपनी भाभी के इशारों पर, अब तुम उस का ध्यान रेखा से हटाना.’’ रचना हैरान सी दोनों बहनों का मुंह देखती रही थी. एक मां ही अपनी बड़ी बहू और छोटे बेटे के रिश्ते के बारे में गलत बातें कर रही है, वह भी घर में आई नईनवेली बहू से. फिर वह अचानक हंस दी तो सासूमां ने हैरान होते हुए कहा, ‘‘तुम्हें किस बात पर हंसी आ रही है?’’

‘‘आप की बातों पर, मां.’’

सीता ने डपटा, ‘‘हम कोई मजाक कर रहे हैं क्या? हम तुम्हारे बड़े हैं. तुम्हारे हित की ही बात कर रहे हैं, रेखा से दूर ही रहना.’’ सीता बहुत देर तक उसे पता नहीं कबकब के किस्से सुनाने लगी. रेखा रसोई से निकल कर वहां आई तो सब की बातों पर बे्रक लगा. रचना ने भी अपना औफिस जौइन कर लिया था. उस की भी छुट्टियां खत्म हो गई थीं. निखिल और रचना साथ ही निकलते थे. लौटते कभी साथ थे, कभी अलग. सुबह तो रचना व्यस्त रहती थी. शाम को आ कर रेखा की मदद करने के लिए तैयार होती तो रेखा उसे स्नेह से दुलार देती, ‘‘रहने दो रचना, औफिस से आई हो, आराम कर लो.’’

‘‘नहीं भाभी, सारा काम आप ही करती रहती हैं, मुझे अच्छा नहीं लगता.’’

‘‘कोई बात नहीं रचना, मुझे आदत है. काम में लगी रहती हूं तो मन लगा रहता है वरना तो पता नहीं क्याक्या टैंशन होती रहेगी खाली बैठने पर.’’ रचना उन का दर्द समझती थी. पति की बीमारी के कारण उस का जीवन कितना एकाकी था. मानसी की भी चाची से बहुत बनती थी. रचना उस की पढ़ाई में भी उस की मदद कर देती थी. 6 महीने बीत गए थे. एक शनिवार को सुबहसुबह रेखा की भाभी का फोन आया. रेखा के मामा की तबीयत खराब थी. रेखा सुनते ही परेशान हो गई. इन्हीं मामा ने रेखा को पालपोस कर बड़ा किया था. रचना ने कहा, ‘‘भाभी, आप परेशान मत हों, जा कर देख आइए.’’

‘‘पर मानसी की परीक्षाएं हैं सोमवार से.’’

‘‘मैं देख लूंगी सब, आप आराम से जाइए.’’

सासूमां ने उखड़े स्वर में कहा, ‘‘आज चली जाओ बस से, कल शाम तक वापस आ जाना.’’

रेखा ने ‘जी’ कह कर सिर हिला दिया था. उस का मामामामी के सिवा कोई और था ही नहीं. मामामामी भी निसंतान थे. रचना ने कहा, ‘‘नहीं भाभी, मैं निखिल को जगाती हूं. उन के साथ कार में आराम से जाइए. यहां मेरठ से सहारनपुर तक बस के सफर में समय बहुत ज्यादा लग जाएगा. जबकि इन के साथ जाने से आप लोगों को भी सहारा रहेगा.’’ सासूमां का मुंह खुला रह गया. कुछ बोल ही नहीं पाईं. पैर पटकते हुए इधर से उधर घूमती रहीं, ‘‘क्या जमाना आ गया है, सब अपनी मरजी करने लगे हैं.’’ वहीं बैठे ससुर ने कहा, ‘‘रचना ठीक तो कह रही है. जाने दो उसे निखिल के साथ.’’ राधिका को और गुस्सा आ गया, ‘‘आप चुप ही रहें तो अच्छा होगा. पहले ही आप ने दोनों बहुओं को सिर पर चढ़ा रखा है.’’ निखिल पूरी बात जानने के बाद तुरंत तैयार हो कर आ गया था, ‘‘चलिए भाभी, मैं औफिस से छुट्टी ले लूंगा, जब तक मामाजी ठीक नहीं होते हम वहीं रहेंगे.’’ रचना ने दोनों को नाश्ता करवाया और फिर प्रेमपूर्वक विदा किया. अनिल बैठे तो वहीं थे पर उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी. दोनों चले गए तो वे भी अपने बैडरूम में चले गए. शनिवार था, रचना की छुट्टी थी. वह मेड अंजू के साथ मिल कर घर के काम निबटाने लगी.

शाम तक सीता मौसी फिर आ गई थीं. उन के पति की मृत्यु हो चुकी थी और अपने बेटेबहू से उन की बिलकुल नहीं बनती थी इसलिए घर में उन का आनाजाना लगा ही रहता था. उन का घर दो गली ही दूर था. दोनों बहनें एकजैसी थीं, एकजैसा व्यवहार, एकजैसी सोच. सीता ने आराम से बैठते हुए रचना से कहा, ‘‘तुम्हें समझाया था न अपने पति को जेठानी से दूर रखो?’’

मैं 35 वर्षीया गृहिणी हूं, मेरी देवरानी ऊपर के घर में रहती हैं वह न मुझसे बात करती हैं न घर आना जाना है अब अच्छा नहीं लग रहा क्या करें?

सवाल

मैं 35 वर्षीया गृहिणी हूं. हमारा संयुक्त परिवार है. ऊपर के फ्लोर में मेरी जेठानी और ग्राउंड फ्लोर में हमारा परिवार रहता है. कोरोना महामारी में लौकडाउन के दौरान कोई किसी
के घर न आया न गया लेकिन अब लोग थोड़ाबहुत बाहर निकल रहे हैं, एकदूसरे के घर भी आजा रहे हैं. हमारे घर में करीबी लोग आजा रहे हैं लेकिन जेठानी ऊपर अपने फ्लोर पर किसी को नहीं आने देतीं, यहां तक कि बहुत करीबी भी जैसे मेरी ननद. पता है कि वे कोई कोरोना संक्रमित नहीं हैं, उन्हें भी ऊपर से अपनी बालकनी से हायबाय कर देती हैं. मु झे बड़ा अजीब लगता है, क्या उन का ऐसा व्यवहार उचित है?

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जवाब

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कोरोना महामारी के समय में आप की जेठानी का व्यवहार सुरक्षा की दृष्टि से ठीक है लेकिन उन का तरीका गलत है. आप उन्हें सम झाएं, अब हमें कुछ समय कोरोना के साथ ही जीना है, तो लाइफस्टाइल को थोड़ा बदलना पड़ेगा. हमें बीमारी से दूर रहना है, इंसान से नहीं. सोशल डिस्टैंसिंग अपनानी होगी. जिस का पता है कि वह बिलकुल ठीकठाक है, उसे एहतियात के साथ हाथ धो कर ही घर में प्रवेश कराएं.

वक्त वैसे ही खराब चल रहा है. ऐसा व्यवहार कर के दिल की दूरियां न बढ़ाएं. जेठानी को सम झाइए, कुछ तो समझेंगी.

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प्रधानमंत्री के भाषण में दरकिनार हुआ किसान आन्दोलन

दिल्ली की सर्दी में आन्दोलनकारी किसानों में से करीब 22 किसानों की मौत का रंचमात्र रंज भी प्रधानमंत्री के भाषण नहीं दिखा. इससे यह बात समझी जा सकती है कि केन्द्र सरकार किसानों का कितना सम्मान करती है. उसे यह लगता है कि 500 रूपये माह की किसान सम्मान निधि से किसानों को खुष किया जा सकता है तो उनसे बात करने का क्या लाभ ?

25 दिसम्बर को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के जन्म दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्चुअल रैली के जरीये देश भर के किसानों को सम्बोधित किया और 18 हजार करोड की प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि देश के किसानों के खातों में भेजी. जिसके तहत किसानों को 2 हजार रूपये मिले. प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के रूप में किसानों को 6 हजार रूपये सालाना दिये जा रहे है. वर्चुअल रैली के जरीये प्रधानमंत्री ने करीेब डेढ घंटा किसानों के बीच बिताएं. इसमें से 50 मिनट प्रधानमंत्री ने भाषण दिया और बाकी समय किसानों के साथ संवाद किया. किसानों ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के लाभ बताये.

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25 दिसम्बर को किसान आन्दोलन के 29 दिन यानि करीब एक माह पूरा हो रहा था. कृषि कानूनों का विरोध कर रहे आन्दोलनकारी किसानों को उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भाषण में किसान आन्दोलन के विषय में कुछ ऐसी बातें होगी जिससे किसान आन्दोलन को सुलझाने की दिषा में कदम उठाये जा सकेगे. प्रधानमंत्री ने अपने पूरे भाषण में किसान आन्दोलन का जिक्र बहुत ही हल्के अंदाज में करते कहा कि यह इवेंट कि तरह से है. जहां लोग सेल्फी खिचवाने जा रहे है. इस आन्दोलन के बारें में प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि यह 20 फीसदी किसानों का आन्दोलन है. देष के 80 फीसदी किसान छोटे किसान है जिनको कृषि कानूनों से लाभ होगा.

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अपने पूरे भाषण में प्रधानमंत्री ने ना तो न्यूनतम समर्थन मूल्य में गांरटी दिये जाने की बात कही और ना ही मंडियों की बेहतरी के लिये कोई बात कहीं. जिससे लगता है कि कृषि कानूनों को लेकर उनका नजरिया साफ है कि यह कानून वापस नहीं होगे. जिस तरह से कृषि कानूनों की बात करते समय छोटे किसानों के होने वाले लाभ के बारें में बताया गया उससे यह लगा कि प्रधानमंत्री अब यह सोच रहे है कि जो काम 70 सालों में देष की सरकारों से नहीं हुआ वह काम निजी कारोबारी कर देगे. प्रधानमंत्री को पूंजीपतियों पर अधिक भरोसा है.

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प्रधानमंत्री के भाषण की सबसे अहम बात थी कि विपक्षी किसानों के नाम पर राजनीति ना करे. किसान आन्दोलन को तोडने और कमजोर करने के लिये जिस तरह से प्रधानमंत्री और उनकी सरकार ने काम किया है उससे यह साफ है कि सबसे बडी किसान राजनीति खुद भाजपा कर रही है. किसानों को कमजोर करने के लिये छोटे और बडे किसान के बीच में विभाजन रेखा प्रधानमंत्री के भाषण में ही खीेची गई. किसान आन्दोलन विपरीत मौसम में भी चल रहा है. करीब 22 से अधिक किसानों की मौत हो चुकी है. इसके बाद भी प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में एक बार भी किसानों के प्रति कोई संवेदना प्रगट नहीं की. देश के मुखिया के रूप में प्रधानमंत्री से किसानो को यह उम्मीद थी कि वह बीच का रास्ता दिखायेगे. प्रधानमंत्री के भाषण के बाद किसान आन्दोलन सुलझने की बजाये उलझ गया है.

राज-भाग 3 : रचना और रेखा की दोस्ती से किसको परेशानी होने लगी थी

राधिका ने रचना को डपटा, ‘‘अनिल को क्यों ले गई थी?’’

‘‘मां, मानसी की बीमारी का पता लगाने के लिए भैया का डीएनए टैस्ट होना था,’’ कह कर रचना किचन में चली गई. रचना ने थोड़ी देर बाद देखा राधिका और सीता की आवाजें मानसी के कमरे से आ रही थीं. सीता जब भी आती थीं, मानसी के कमरे में ही सोती थीं. रचना दरवाजे तक जा कर रुक गई. सीता कह रही थीं, ‘‘अब पोल खुलने वाली है. रिपोर्ट में सच सामने आ जाएगा. बड़े आए हर समय भाभीभाभी की रट लगाने वाले, आंखें खुलेंगी अब, कब से सब कह रहे हैं पति को संभाल कर रखे. निखिल पिता की तरह ही तो डटा है अस्पताल में.’’ राधिका ने भी हां में हां मिलाई, ‘‘मुझे भी देखना है अब रेखा का क्या होगा. निखिल मेरी भी इतनी नहीं सुनता है जितनी रेखा की सुनता है. इसी बात पर गुस्सा आता रहता है मुझे तो. जब से रेखा आई है, निखिल ने मेरी सुनना ही बंद कर दिया है.’’ बाहर खड़ी रचना का खून खौल उठा. घर की बच्ची की तबीयत खराब है और ये दोनों इस समय भी इतनी घटिया बातें कर रही हैं. अगले दिन मानसी की सब रिपोर्ट्स आ गई थीं. सब सामान्य था. बस, उस का बीपी लो हो गया था.

डाक्टर ने मानसी की अस्वस्थता का कारण पढ़ाई का दबाव ही बताया था. शाम तक डिस्चार्ज होना था, निखिल और रेखा अस्पताल में ही रुके. रचना घर पहुंची तो सीता ने झूठी चिंता दिखाते हुए कहा, ‘‘सब ठीक है न? वह जो डीएनए टैस्ट होता है उस में क्या निकला?’’ यह पूछतेपूछते भी सीता की आंखों में मक्कारी दिखाई दे रही थी. रचना ने आसपास देखा. उमेश कुछ सामान लेने बाजार गए हुए थे. अनिल अपने रूम में थे. रचना ने बहुत ही गंभीर स्वर में बात शुरू की, ‘‘मां, मौसी, मैं थक गई हूं आप दोनों की झूठी बातों से, तानों से. मां, आप कैसे निखिल और भाभी के बारे में गलत बातें कर सकती हैं? आप दोनों हैरान होती हैं न कि मुझ पर आप की किसी बात का असर क्यों नहीं होता? वह इसलिए कि विवाह की पहली रात को ही निखिल ने मुझे बता दिया था कि वे हर हालत में भाभी और मानसी की देखभाल करते हैं और हमेशा करेंगे. उन्होंने मुझे सब बताया था कि आप ने जानबूझ कर अपने मानसिक रूप से अस्वस्थ बेटे का विवाह एक अनाथ, गरीब लड़की से करवाया जिस से वह आजीवन आप के रौब में दबी रहे. निखिल ने आप को किसी लड़की का जीवन बरबाद न करने की सलाह भी दी थी, पर आप तो पंडितों की सलाहों के चक्कर में पड़ी थीं कि यह ग्रहों का प्रकोप है जो विवाह बाद दूर हो जाएगा.

‘‘आप की इस हरकत पर निखिल हमेशा शर्मिंदा और दुखी रहे. भाभी का जीवन आप ने बरबाद किया है. निखिल अपनी देखरेख और स्नेह से आप की इस गलती की भरपाई ही करने की कोशिश  करते रहते हैं. वे ही नहीं, मैं भी भाभी की हर परेशानी में उन का साथ दूंगी और रिपोर्ट से पता चल गया है कि अनिल ही मानसी के पिता हैं. मौसी, आप की बस इसी रिपोर्ट में रुचि थी न? आगे से कभी आप मुझ से ऐसी बातें मत करना वरना मैं और निखिल भाभी को ले कर अलग हो जाएंगे. और इस अच्छेभले घर को तोड़ने की जिम्मेदार आप दोनों ही होगी. हमें शांति से स्नेह और सम्मान के साथ एकदूसरे के साथ रहने दें तो अच्छा रहेगा,’’ कह कर रचना अपने बैडरूम में चली गई. यश उस की गोद में ही सो चुका था. उसे बिस्तर पर लिटा कर वह खुद भी लेट गई. आज उसे राहत महसूस हो रही थी. उस ने अपने मन में ठान लिया था कि वह दोनों को सीधा कर के ही रहेगी. उन के रोजरोज के व्यंग्यों से वह थक गई थी और डीएनए टैस्ट तो हुआ भी नहीं था. उसे इन दोनों का मुंह बंद करना था, इसलिए वह अनिल को यों ही अस्पताल ले गई थी. उसे इस बात को हमेशा के लिए खत्म करना था. वह कान की कच्ची बन कर निखिल पर अविश्वास नहीं कर सकती थी. हर परिस्थिति में अपना धैर्य, संयम रख कर हर मुश्किल से निबटना आता था उसे. लेटेलेटे उसे राधिका की आवाज सुनाई दी, ‘‘अरे, तुम कहां चली, सीता?’’

‘‘कहीं नहीं, दीदी, जरा घर का एक चक्कर काट लूं. फिर आऊंगी और आज तो तुम्हारी बहू की निश्ंिचतता का राज भी पता चल गया. एक बेटा तुम्हारा बीमार है, दूसरा कुछ ज्यादा ही समझदार है, पहले दिन से ही सबकुछ बता रखा है बीवी को.’’ कहती हुई सीता के पैर पटकने की आवाज रचना को अपने कमरे में भी सुनाई दी तो उसे हंसी आ गई. पूरे प्रकरण की जानकारी देने के लिए उस ने मुसकराते हुए निखिल को फोन मिला दिया था.

 

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