युवाओं को नौकरी और रोजगार के इंतजाम नहीं कर पा रही , भ्रष्टाचार काबू नहीं कर पा रही ,बेतहाशा बढ़ते अपराधों पर अंकुश नहीं लगा पा रही , आम लोगों की बदहाली दूर नहीं कर पा रही और विकास तो रत्ती भर भी नहीं कर पा रही मध्यप्रदेश सरकार के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने अपनी इन और ऐसी कई नाकामियों पर से जनता का ध्यान बंटाने के लिए नए नए बेतुके कानूनों की बौछार शुरू कर दी है जिनका प्रदेश की तरक्की से कोई वास्ता है ऐसा कहने की कोई वजह नहीं उलटे इन कानूनों से राज्य का माहौल और कानून व्यवस्था पहले के मुकाबले और बिगड़ने लगे हैं .

विधानसभा की 28 सीटों के उप चुनाव में 19 सीट जीतने के बाद कांग्रेस से सत्ता छीनकर चौथी बार मुख्यमंत्री बने शिवराज सिंह की इमेज एक ऐसे नेता की रही थी जो आरएसएस के अखाड़े का पट्ठा होने के बाद भी कट्टरवाद खुलेआम नहीं थोपता और विकास कार्यों पर तवज्जुह देता है .  इसीलिए साल 2004 से जनता उन पर भरोसा भी जताती रही . लेकिन यह भरोसा अब दरकने लगा है क्योंकि वे भी उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नक़्शे कदम पर चलते वर्ग विशेष के मुट्ठी भर लोगों को खुश करने ऐसे कानून बनाने लगे हैं जिनकी न कोई जरुरत है और न ही अहमियत है .

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दरअसल में यह भगवा गेंग का मुस्लिम और दलित विरोधी एजेंडा है जिस पर अमल करना शिवराज सिंह की मज़बूरी और ड्यूटी हो गई है नहीं तो सियासी गलियारों में यह चर्चा अक्सर होती रहती है कि उन्हें कभी भी चलता किया जा सकता है क्योंकि डेढ दशक से प्रदेश भाजपा के दूसरी पंक्ति के नरोत्तम मिश्रा , कैलाश विजयवर्गीय और नरेन्द्र सिंह तोमर जैसे आधा दर्जन कद्दावर  महत्वकांक्षी नेता मुख्यमंत्री बनने छटपटा रहे हैं .  यह और बात है कि शिवराज सिंह अपनी जुगाड़ तुगाड़ और पकड़ के चलते उन्हें कामयाब नहीं होने देते .

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