पंजाब के भटिंडा से राजस्थान की बीकानेर जाने वाली ट्रेन को लोग कैंसर ट्रेन के नाम से बुलाते हैं. वजह है इस में सफर करने वाले यात्रियों में आधे से ज्यादा कैंसर पीडि़तों का होना. ये वे लोग हैं जो बदलती जीवनशैली, खानपान और खेतों में हो रहे अंधाधुंध पैस्टिसाइड के प्रयोग के कारण जानलेवा बीमारी के शिकार हुए हैं.

पंजाब खेती के मामले में भारत का अग्रणी राज्य है. आर्थिक स्थिति के मामले में भी यहां के किसान देश के शेष प्रदेशों से अच्छी स्थिति में हैं. मगर जानना ज्यादा दिलचस्प है, कि जिस खेती ने पंजाब को विशिष्ट स्थान दिलाया, उसी की बदौलत यहां से चलने वाली एक ट्रेन की पहचान बीमारी के नाम से होने लगी है. बीमारी भी वह जिस के नाम ही को मौत की गारंटी मान लिया जाता है.

किसी जमाने में कैंसर आम सुना जाने वाला नाम नहीं था. सुदूर शहरों से कभीकभी खबर आती कि किसी का देहांत हो गया जोकि सालभर से कैंसर से पीडि़त था. तब लोगों को जरा भी अनुमान न रहा होगा कि एक दिन यह बीमारी इतनी आम हो जाएगी कि गलीगली में इस के शिकार सहज ही घूमते मिल जाया करेंगे. अब वह दौर आ पहुंचा है.

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आलम यह है कि आज कैंसर का दायरा न तो शहरों तक सीमित है और न ही पंजाब तक, बल्कि यह पूरे भारत को चपेट में ले लेने के लिए बड़ी तेजी से बढ़ रहा है. स्थिति यह है कि पूरे भारतवर्ष में हर साल 7 लाख लोग कैंसर की चपेट में आ जाते हैं, और समय पर बीमारी की पहचान न होने के चलते या उचित इलाज के अभाव में ज्यादातर लोग जिंदगी की जंग हार जाते हैं.

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