कई बार शादी से पहले ही लड़की का गर्भ ठहर जाता है. ऐसे कई मामले आसपास देखने को मिल जाते हैं. ऐसे मामले जैसेतैसे निबटा तो लिए जाते हैं पर इस के परिणाम बहुत बार लड़की को शारीरिक व मानसिक आघात पहुंचाते हैं

दोपहर को लगभग 1 बजा था. डाक्टर रमा श्रीवास्तव अपने अस्पताल में रोज की तरह इलाज के लिए आई महिलाओं को देख रही थीं. अगले मरीज के रूप में उन के सामने 24 साल की एक लड़की आई. डाक्टर रमा कुछ सवाल करतीं, उस से पहले ही लड़की बोल पड़ी-

‘‘बौयफ्रैंड से सैक्स करने के बाद मु?ो प्रैग्नैंसी कंसीव हो गई है. हम अभी शादी नहीं करना चाहते. इस कारण से एबौर्शन कराना चाहती हूं.’’

लड़की ने ऐसे आत्मविश्वास के साथ यह बात कही कि डाक्टर रमा चौंक गईं. वे संभल कर बोलीं, ‘‘तुम्हारे साथ कोई आया है, उसे अंदर बुला लो.’’

‘‘नहीं डाक्टर, मेरे साथ कोई नहीं आया है. एबौर्शन कराने भी मैं अकेली ही आऊंगी,’’ लड़की बोली.

‘‘तुम्हें इस बात का कोई अफसोस नहीं है कि तुम शादी से पहले मां बनने वाली हो. अगर वह लड़का शादी से इनकार कर देगा तो क्या होगा?’’ डाक्टर रमा ने उसे सम?ाने का प्रयास किया.

‘‘डाक्टर, मैं ने सैक्स अनजाने में नहीं किया. सेफ सैक्स पीरियड की गणना करने में गलती हो गई, जिस से प्रैग्नैंसी हो गई. मैं सर्विस में हूं. मु?ो इन बातों से ज्यादा फर्क नहीं पड़ता. मैं सेफ एबौर्शन चाहती हूं, इस के लिए आप के पास आई हूं.’’

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डाक्टर रमा लड़की के आत्मविश्वास और युवा पीढ़ी में आए बदलाव को महसूस करने की कोशिश कर रही थीं.

यह उदाहरण केवल एक डाक्टर के यहां देखने को नहीं मिलता है. दूसरे डाक्टरों से बात करने पर पता चलता है कि प्रैग्नैंसी को ले कर लड़कियों का नजरिया बदल रहा है.

डाक्टर नमिता के पास शाम को 6 बजे एक लड़की आई. अपनी परेशानी बताते उस ने कहा, ‘‘डाक्टर साहब, मु?ो एक माह की प्रैग्नैंसी थी. उस के एबौर्शन के लिए मैं ने एबौर्शन पिल्स खा ली थीं. उस के बाद मु?ो ब्लीडिंग हुई. दवा खाए 10 दिन बीत गए हैं. पर मु?ो अभी भी ब्लीडिंग होती है.’’

डाक्टर नमिता ने लड़की का अल्ट्रासांउड कर के देखा तो पाया कि एबौर्शन की दवा से लड़की के गर्भाशय की सफाई पूरी तरह से नहीं हुई है. गर्भ के कुछ टुकड़े उस में रह गए हैं, जिस से ब्लीडिंग हो रही है. इस के लिए डाक्टर ने लड़की को दोबारा एबौर्शन कराने की सलाह दी.

लड़की का लड़के से सैक्स रिलेशन है. जिस के चलते उसे प्रैग्नैंसी हो गई. लड़की ने यह भी बताया कि वे दोनों शादी नहीं करना चाहते. केवल दोस्ती को एंजौय कर रहे हैं. लड़की रात में एबौर्शन कराना चाहती थी. जिस से उसे रातभर अस्पताल में आराम करने को मिल जाए. अगले दिन वह सामान्य रूप से काम करना चाहती थी.

छोटे शहरों में भी बदली मानसिकता

शादी से पहले प्रैग्नैंसी को ले

कर मानसिकता में बदलाव केवल बड़े शहरों में ही नहीं हुआ है, छोटे शहरों में भी हालात बदल रहे हैं. लखनऊ के करीब के बाराबंकी जिले में रहने वाली एक लड़की का अपने दोस्त के साथ सैक्स करने से प्रैग्नैंसी कंसीव हो गई. यह बात उस के घरवालों को पता चली. वे लड़की का एबौर्शन कराने के लिए एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में ले गए. वहां मौजूद दाई ने लड़की का एबौर्शन करने के दौरान कोई गलत इंजैक्शन लगा दिया. जिस के बाद लड़की की हालत खराब होने लगी. लड़की को लखनऊ के सिविल अस्पताल भेजा गया. इस के पहले कि सिविल अस्पताल के डाक्टर उस का इलाज करते, लड़की की मौत हो गई.

उत्तर प्रदेश महिला आयोग के कार्यालय में शिकायत की एप्लीकेशन लिए भटक रही एक लड़की से उस के प्रेमी ने शादी का ?ांसा दे कर सैक्स संबंध बनाए. इस बीच वह गर्भवती हो गई. जब लड़की ने शादी करने के लिए लड़के पर दबाव डाला तो वह घरवालों की नाराजगी की बात कह कर दूर हट गया. प्रेमी को सबक सिखाने के लिए लड़की पहले एसपी, लखनऊ, के पास गई. इस के बाद महिला आयोग आ गई. लड़की के घरवाले पूरे मामले को जानते हैं. वे लड़की को एबौर्शन कराने की सलाह भी दे रहे थे.

कई लड़कियों के बीच किए गए सर्वे समाज के हालात पेश करते हैं. सर्वे में 23 प्रतिशत लड़कों और 21 प्रतिशत लड़कियों ने माना कि शादी से पहले सैक्स के हालात उन के सामने आए थे. 19 प्रतिशत लड़कों और 9 प्रतिशत लड़कियों ने माना कि

शादी से पहले उन लोगों ने सैक्स किया है. 28 प्रतिशत लड़कों और 49 प्रतिशत लड़कियों ने माना कि उन के परिवार के लोग इस बारे में जानते थे.

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बदनामी का भय नहीं

इस तरह की ज्यादातर समस्याएं सब से पहले अस्पतालों और पुलिस के पास पहुंचती हैं. लड़कियों की गुमशुदगी के ज्यादातर मामले प्रेम संबंधों के कारण होते हैं. इन में बहुत सारे मामलों में लड़कियां अपनी मरजी से प्रेमी के साथ घर से बाहर जाती हैं. कुछ दिनों बाद जब घरपरिवार की नाराजगी कम हो जाती है तो वापस लौट आती हैं. जिन की लड़कियां वापस आ जाती हैं वे पुलिस के पास यह बताने नहीं आते कि लड़की वापस आ गई है. जब कोई अनहोनी हो जाती है, तभी मामला पुलिस के पास आता है.’’

समाजशास्त्री डा. दीपा सनवाल कहती हैं, ‘‘पहले लड़कियों को बदनामी का डर होता था. इसलिए वे शादी से पहले प्रैग्नैंसी से बचती थीं. अब शहर बड़े हो गए हैं, लोग एकदूसरे से कम मतलब रखने लगे हैं. ऐसे में किसी के बारे में सामने वाले को कम पता होता है. अगर किसी को पता होता भी है तो वह कुछ समय के बाद भूल जाता है.

‘‘पहले शादी का रिश्ता आपसी लोगों ओर रिश्तेदारों द्वारा तय कराया जाता था. इस कारण बदनामी का असर ज्यादा होता था. अब वैवाहिक विज्ञापनों से शादी तय होती है. जहां पर एकदूसरे के बारे में इतनी जानकारियां नहीं हो पाती हैं. इसलिए लड़कियों का राज खुलने का भय खत्म हो गया है.’’

गर्भनिरोधकों का असर

डाक्टर रमा श्रीवास्तव कहती हैं, ‘‘गर्भ निरोधकों, इमरजैंसी पिल्स और एबौर्शन पिल्स जैसी दवाओं ने सैक्स के बाद गर्भ ठहरने के भय को खत्म कर दिया है. इमरजैंसी पिल्स का उपयोग रैगुलर गर्भनिरोधक के रूप में किया जा रहा है. सैक्स अब लड़कियों के लिए भी कोई अजूबा नहीं रह गया है. बहुत सारी लड़कियां तो अनहोनी होने के बाद सबक नहीं लेतीं. उन्हें यह सब एक ऐक्सिडैंट सा लगता है. दुर्घटना से लगी चोट के ठीक होने के बाद दोबारा वही गलती दोहराते समय किसी तरह का कोई भय दिल में नहीं रहता है.’’

डा. रमा आगे कहती हैं, ‘‘इमरजैंसी पिल्स रैगुलर प्रयोग करने से शरीर में कई तरह के बदलाव होने लगते हैं. हड्डियों की कमजोरी, कमरदर्द, हैवी ब्लीडिंग और बां?ापन जैसी मुसीबतें सामने आ सकती हैं. इस के अलावा बिना बाहरी सुरक्षा के सैक्स करने से यौनरोग और एड्स जैसी जानलेवा बीमारियां भी हो सकती हैं. इमरजैंसी पिल्स केवल इमरजैंसी के लिए होती हैं, इन को रैगुलर लेना ठीक नहीं होता. इन के असर से पीरियड्स रैगुलर नहीं होते.’’

जल्दी हो जाती है शादी

शादी से पहले प्रैग्नैंसी की लाख हानियों के बाद भी इस का समर्थन करने वालों के भी रोचक तर्क हैं. 3 साल से लिवइन रिलेशनशिप में रह रही वंदना बताती है, ‘‘हम लोग शादी के लिए समय नहीं निकाल पा रहे थे. उसी बीच एक बार गर्भ ठहर जाने के बाद हम लोग शादी करने के लिए तैयार हो गए. हम ने अपने घरों में भी बात कर ली और वे लोग इस बात के लिए तैयार हो गए कि गर्भ का पता चलने से पहले ही शादी कर लो. वे चाहते थे कि समाज में बात फैलने से पहले शादी हो जाए.’’

लिवइन रिलेशनशिप जैसे मुद्दों पर कानूनी और सामाजिक स्वीकृति मिलने के बाद डर पूरी तरह से खत्म हो गया है. लड़कियों को लगता है कि शादी से पहले गर्भवती होने के बाद जो प्रेमी शादी के लिए समय नहीं निकाल पा रहा था वह तुरंत इस के लिए तैयार हो जाता है. कुछ अविवाहित सैलिब्रिटी जब शादी के बिना बच्चा पैदा करने की बात कहते हैं तो समाज के लोगों को उस से बल मिलने लगता है. सैक्स अब पहले जैसा हौआ नहीं रहा.

शादी तक रहता है तनाव

शादी से पहले अगर गर्भ ठहर गया है तो तब तक मन परेशान रहता है जब तक शादी न हो जाए. यह तनाव मां और उस के पेट में पलने वाले बच्चे दोनों के लिए घातक होता है. बिना शादी के गर्भ ठहरने का रिस्क लेना भूल होती है. घरपरिवार के लोग भले ही दबाव में बात को मान लें पर पूरी जिंदगी एक कांटा सा मन में चुभता रहता है. कभीकभी पैदा होने वाले बच्चे को बड़े होने पर यह पता चलता है तो उसे भी खराब लगता है. तर्क कुछ भी दिए जाएं, पर शादी से पहले गर्भवती होना ठीक नहीं होता है. समाज की मानसिकता अभी नहीं बदली है.

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कई बार शादी से सगाई के बीच के समय में भी यह हो जाता है. ऐसे में कभीकभी शादी टूट जाने की घटना भी घट जाती है. मन पर जब तक सबकुछ सही से न हो जाए तब तक तनाव बना रहता है. प्रैग्नैंसी का सुखद एहसास मन नहीं कर पाता है. शादी से पहले गर्भवती होने में खतरे ज्यादा हैं. शायद यही वजह है कि लड़कियां ऐसे मामलों में सब से पहले गर्भ से छुटकारा पाना चाहती हैं. इस के लिए वे गोलियों से ले कर एबौर्शन तक का उपाय करती हैं जो कई तरह की बीमारियों को जन्म देती हैं. इसलिए शादी से पहले प्रैग्नैंसी को भूल जाना ही सम?ादारी होती है.

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