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अक्तूबर माह में करें खेती के खास काम

जरूरी फसलों के लिहाज से भी अक्तूबर माह की काफी अहमियत है. खरीफ फसलों की कटाई की शुरुआत इसी महीने से हो जाती है. इस के अलावा रबी की फसलें लगाने के लिए इसी माह खेतों की तैयारी का काम भी शुरू कर दिया जाता है.

अक्तूबर माह में किए जाने वाले खेती किसानी के खास कामों का ब्योरा:

* धान की तैयार हो चुकी मध्य व अगेती किस्मों की कटाई का काम इस माह निबटाएं. गहाई के बाद धान का भंडारण करें. भंडारण करते समय खयाल रखें कि दानों में नमी 10-14 फीसदी से ज्यादा न रहे, वरना उन के खराब होने का अंदेशा रहता?है.

* इसी माह धान की बासमती किस्मों में फूल आने का समय होता है, उस के लिए खेत में नमी बनाए रखें यानी जरूरत के मुताबिक सिंचाई करते रहें.

* धान की फसल की जांचपड़ताल करते रहें. अगर उस में कीड़ों या रोगों का प्रकोप नजर आए तो कृषि वैज्ञानिकों से सलाह ले कर बचाव का बंदोबस्त करें.

* इस माह में गन्ने की बोआई की जाती?है. इस की बोआई का काम मध्य अक्तूबर तक जरूर निबटा लें.

* चाहें तो गन्ने के साथ सरसों भी बो सकते?हैं. इस से आप का फायदा बढ़ जाएगा.

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* इस बात का खयाल रखें कि अक्तूबर के तीसरेचौथे हफ्ते तक ठंड बढ़ने लगती है, तब गन्ने की बोआई करना ठीक नहीं होता क्योंकि जाड़े की वजह से पौधों का जमाव सही तरीके से नहीं होता है.

* गन्ने की उम्दा किस्मों की जानकारी के लिए आप अपने जिले के कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क करें. वैसे, गन्ने की जल्दी पकने वाली किस्में हैं को. शा. 95255, को. शा. 8436 व को. शा. 96268, वहीं दूसरी ओर गन्ने की मध्यम या देरी से पकने वाली किस्में?हैं को. शा. 92423 व को. पंत 84212 वगैरह.

* अगर सरसों व राई को बोने का इरादा हो तो यह काम भी अक्तूबर माह के पहले या दूसरे हफ्ते में निबटा लें. राई व सरसों की बोआई से पहले खेत की बाकायदा तैयारी करना न भूलें.

* गेहूं की बोआई की बुनियाद भी इसी माह में ही डाली जाती है. इस काम के लिए खेत की अच्छी तरह से तैयारी करें. खेत की तैयारी के समय इस बात का पूरा खयाल रखें कि खेत में पिछली फसल का कचरा व खरपतवार बचे न रहें.

* गेहूं की अगेती और मध्यम किस्मों की बोआई करने के लिए खेतों का पलेवा मध्य अक्तूबर के बाद करें, ताकि नवंबर के पहले से तीसरे हफ्ते के दौरान बोआई की जा सके.

* गेहूं की अगेती मध्यम और पछेती किस्मों की बोआई किस्मों के मुताबिक तय समय पर ही करें. इस बारे में जरूरत के मुताबिक कृषि वैज्ञानिकों से सलाह लें.

* जौ की बोआई का काम अक्तूबर व नवंबर माह में किया जा सकता है. मतलब, 1 अक्तूबर से ले कर 30 नवंबर के बीच कभी भी जौ बोई जा सकती है.

* जौ की बोआई के लिए 100 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर के हिसाब से इस्तेमाल करें. बोआई से पहले बीजों को फफूंदीनाशक से उपचारित जरूर करें.

* असिंचित क्षेत्रों में चना, मटर व मसूर की बोआई का काम 7 से 21 अक्तूबर के बीच निबटाएं. बोआई से पहले खेत को ठीक से तैयार करें और खरपतवारनाशी दवा का इस्तेमाल करें.

* चना व मटर की बड़े दाने वाली किस्मों की बोआई के लिए 75 से 100 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर के हिसाब से इस्तेमाल करें. छोटे दाने वाले चने की बोआई के लिए 60-70 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर के हिसाब से इस्तेमाल करें. मसूर की बोआई के लिए 40-50 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर के हिसाब से इस्तेमाल करें.

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* कई बार अक्तूबर माह में अरहर की फसल पर पत्ती लपेटक व फली बेधक कीटों का प्रकोप हो जाता है. इन कीड़ों की रोकथाम के लिए 35 ईसी वाली मोनोक्रोटोफास दवा को पानी में घोल कर फसल पर छिड़काव करें.

* दाने के तौर पर बोई गई उड़द, मूंग, मक्का, ज्वार व बाजरे की फसलें आमतौर पर अक्तूबर माह तक पक कर तैयार हो जाती हैं. इन पकी फसलों की तुरंत कटाई करें, जिस से कि रबी फसल की तैयारी हो सके.

* अकसर अक्तूबर माह के दौरान मूंगफली की फसल में टिक्का रोग का हमला हो जाता है. ऐसा होने पर फसल खराब हो जाती?है. लिहाजा, कृषि वैज्ञानिकों से सलाह ले कर दवा का इस्तेमाल करें.

* आलू की बोआई के लिए अक्तूबर माह का समय ज्यादा मुफीद होता है. इस के लिए खेत को अच्छी तरह से जोत कर उस में भरपूर मात्रा में कंपोस्ट या सड़ी गोबर की खाद मिलाएं. खाद डालने के 2-3 हफ्ते बाद अच्छी किस्म के आलू की बोआई करें.

* शलगम, गाजर व मूली वगैरह जड़ वाली सब्जियों की बोआई के लिए अक्तूबर का महीना मुफीद रहता है. खेत को अच्छी तरह तैयार कर के इन सब्जियों को बोएं.

* वैसे तो लहसुन, धनिया, पालक व मेथी वगैरह की बोआई सितंबर माह में ही कर दी जाती है, मगर ऐसा न होने पर इन्हें अक्तूबर माह में भी बो सकते हैं. इस से खास फर्क नहीं पड़ता?है.

* अक्तूबर माह में अदरक व हलदी की फसलें पनपने लगती हैं, लिहाजा उन में मिट्टी चढ़ाने का काम करें. मिट्टी चढ़ाने के दौरान खेत से खरपतवार निकाल दें.

* हलदी की फसल को पर्ण धब्बा रोग से बचाने के लिए डायथेन एम 45 दवा की 2 ग्राम मात्रा पानी में घोल कर छिड़काव करें. खेत में जरूरत के हिसाब से सिंचाई करें.

* अगर फूलगोभी की रोपाई अभी तक नहीं हो पाई?है, तो यह काम फौरन निबटाएं. रोपाई से पहले सड़ी गोबर की खाद डाल कर बाकायदा खेत की तैयारी करें. रोपाई करने के फौरन बाद खेत की हलकी सिंचाई करें.

* अगस्तसितंबर माह के दौरान लगाई गई सब्जियों के खेतों की निराईगुड़ाई करें और जरूरत के मुताबिक सिंचाई करें. कीड़ों या रोगों का प्रकोप नजर आने पर माकूल दवाओं का इस्तेमाल करें.

* तमाम तरह की तैयार सब्जियों की तोड़ाई कर के उन्हें बाजार में भेजने का बंदोबस्त करें.

* आमतौर पर अक्तूबर माह तक अमरूद की बरसाती फसल खत्म हो जाती है, लिहाजा बचेखुचे अमरूदों को तोड़ कर बगीचे की सफाई करें.

बीमारी की वजह से खराब हुए पेड़ों की टहनियों को काट कर जला दें. जरूरत के मुताबिक कीटनाशकों का इस्तेमाल करें.

* अपने आम के बगीचे की जुताई करें और पेड़ों के थालों की अच्छी तरह सफाई करें. अकसर आम के पेड़ों में अक्तूबर माह के आसपास गुच्छा नाम की बीमारी लग जाती?है. ऐसा होने पर इस की रोकथाम के लिए नेफ्थलीन एसिटिक एसिड 200 पीपीएम वाले घोल का छिड़काव करें.

* अपने लीची के बगीचे की अच्छी तरह से सफाई करें. अक्तूबर माह में अकसर लीची के पेड़ों पर छाल खाने वाली इल्ली का हमला हो जाता?है. इस की रोकथाम के लिए शायोडान दवा के 0.2 फीसदी वाले घोल का छिड़काव करें.

* अगर आप को मवेशियों के लिए चारे की दरकार है, तो बरसीम की बोआई करें, ताकि आने वाले दिनों में हरे चारे की दिक्कत न हो.

* अक्तूबर माह में सर्दी के मौसम की शुरुआत हो जाती है, जो इनसानों के साथसाथ जानवरों के लिए भी घातक है. इसलिए अपने मवेशियों को सर्दी से बचाने का माकूल बंदोबस्त करें. खासकर बछियाबछड़े और पडि़यापड़वे को शुरुआती ठंड से बचाएं, क्योंकि वे इसे झेल नहीं पाते और नतीजा खतरनाक होता है.

* मवेशियों को?ठंड से बचाने के लिए आप अपने इलाके के कृषि विज्ञान केंद्र के पशु वैज्ञानिकों से सही सलाह ले सकते हैं.

* गायभैंस के छोटे बच्चों को खीस पिलाने में कंजूसी न करें, क्योंकि खीस उन्हें सर्दी सहित तमाम परेशानियों से बचाती है.

* इस दौरान हीट में आने वाली गायभैंसों को पशुचिकित्सक द्वारा कृत्रिम तरीके से गाभिन कराएं.

* गायभैंसों की अलग सी आवाज व अंग से होने वाले डिस्चार्ज से उन के हीट में आने का अंदाजा लगाया जा सकता है.

* डाक्टर से सलाह ले कर अपने पालतू पशुओं को जरूरी टीके लगवाएं व पेट के कीड़े मारने वाली दवा पिलाएं.

* मुरगी के शेड को भी सर्दी के लिहाज से महफूज बना दें. उस की सफाई कर के?ठंड से बचाव के इंतजाम करें.

* मुरगी के चूजे सर्दी नहीं झेल पाते. लिहाजा, उन के बचाव के पूरे इंतजाम करें.

* डाक्टर की सलाह के मुताबिक मुरगेमुरगियों को भी जरूरी टीके लगवाएं.

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एक ही पेड़ में लगते हैं 40 तरह के फल

आमतौर पर हम सब यही जानते हैं कि एक पेड़ पर एक ही तरह का फल लग सकता है. लेकिन दुनिया में एक ऐसी भी जगह  है, जहां एक ही पेड़ पर 40 तरह के फल लगते हैं.  आपको इस बात नहीं होगा  लेकिन ये सच है.

जी हां , एक रिपोर्ट के अनुसर हैरान कर देने वाला यह पौधा अमेरिका में एक विजुअल आट्र्स के प्रोफेसर ने तैयार किया है. यह अद्भुत पौधा ‘ट्री औफ 40’ नाम से मशहूर है. इसमें बेर, सतालू, खुबानी, चेरी और नेक्टराइन जैसे कई फल लगते हैं.

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इस अनोखे पेड़ की कीमत करीब 19 लाख रुपए है. अमेरिका की सेराक्यूज यूनिवर्सिटी में विजुअल आट्र्स के प्रोफेसर सैम वान ऐकेन इस अनोखे पेड़ के जनक हैं.

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फेस्टिवल स्पेशल 2019: मीठे में बनाएं बेसन का हलवा

आज आपको बेसन का हलवा बनाने की रेसिपी बताते हैं. इसे आप फेस्टिवल  के दौरान बहुत आसानी से बना सकती हैं.

सामग्री

एक चम्मच घी

एक कप फ्रेश मलाई

एक कप बेसन

दो कप पानी

एक कप चीनी

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बनाने की विधि

एक कड़ाही लें. इसमें घी और मलाई डाल लें, फिर इसे पांच से छह बार उबाल लें.

अब इसमें बेसन डाल लें. जब तक इसका कलर ब्राउन न हो जाए, तब तक इसे भूनते रहें.

एक अलग बरतन में चीनी और पानी को पकने रखें.

जब तक चीनी इसमें घुल न जाए, तब तक इसे आंच पर रखकर चलाते रहें.

अब इस पके हुए सिरप को बेसन में डालें और अच्छी तरह से मिलाएं.

फाइनली इसे ड्राई फ्रूट्स से सजाएं.

गरमा-गरम बेसन का हलवा सर्व करने के लिए तैयार है. हां, अगर आप इसे कम फैटी बनाना चाहती हों, तो घी न डालें. क्योंकि मलाई से औयल निकलेगा ही.

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हड्डियों से आने वाली आवाज को न करें अनसुना  

कभी कभी अचानक से जब हम उठते, बैठते है तो हमारे घुटनो से कट कट की आवाज आती है जिसे हम सुन कर भी अनसुना कर देते हैं क्योंकि न तो हमारे घुटनो मे दर्द होता है और न ही सूजन और हम उस आवाज को नजरअंदाज कर देते है वैसे तो ये कोई बीमारी नहीं है लेकिन बीमारी का संकेत जरूर है.

आवाज आने का क्या है कारण

इस कट कट की आवाज को क्रेपिटस कहा जाता है जब जोड़ों के भीतर रहने वाले द्रव में हवा के नन्हें बुलबुले फूटते हैं. तो यह आवाज आती हैं. कई बार जोड़ों के बाहर मौजूद मांसपेशियों के टेंडन या लिगामेंट्स की रगड़ से भी आवाज सुनाई देती है. अगर आपको अक्सर यह समस्या होती है, तो  यह गठिया का या हड्डियों के जोड़ों में लुब्रिकेंट की कमी का संकेत हो सकते हैं. यह समस्या  कैल्शियम की कमी के कारण भी  होती  हैं. इसलिए आप अपने शरीर के कैल्शियम को पूरा करने के लिए कैल्शियम युक्त चीज़ों का सेवन करें.

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आस्टियोआर्थराइटिस क्या हैं

आस्टियोआर्थराइटिस एक तरह का गठिया रोग है, जिसमें हड्डियों के सिरों पर लचीले ऊतकों की संख्या कम हो जाती है. घुटनों के जोड़ों पर मौजूद कार्टिलेज धीरे-धीरे खत्म हो जाता है. जैसे ही क्षतिग्रस्त घुटने का जोड़ गति करता है इससे टूटने या चटकने जैसी आवाजें आती हैं, जिसे घुटने की चरचराहट कहते हैं. यह आवाजें घुटने में अक्सर होती हैं और आमतौर पर दर्द नहीं देतीं.

बच्चों की हड्डियों की आवाज से न डरे

अगर आपके बच्चे  की हड्डियों से आवाज आती है तो यह नहीं सोचे की उसकी हड्डियां कमजोर है क्योंकि आवाज आने का मतलब है की उसकी हड्डियों मे हवा बहुत है जिस कारण बुलबुले बन कर फुट जाते हैं और यह आवाज़ उत्पन्न होती है. इसलिये घबराने की जरूरत नहीं .लेकिन समस्या ज्यादा है तो डौक्टर से जांच अवश्य कराएं .

क्या करें

रोजाना व्यायाम करें जिससे आपके शरीर की हड्डियां मजबूत होंगी व साँस की एक्सरसाइज  जरूर करे ताकि हमारे शरीर में औक्सीजन की मात्रा  सही रहे, और शरीर की जरूरत से जो  अधिक वायु हैं वह बाहर आ सके  और हम ऊर्जावान महसूस कर सकें.

रात को मेथी के कुछ दाने पानी मे भिगो दें व सुबह को उस पानी को अच्छे से गर्म कर के पी लें अथवा  दानो को चबा कर खा लेने से घुटनो का दर्द व कट कट की आवाज से राहत मिलेगी.

एक गिलास दूध मे थोड़ी सी हल्दी डाल कर पिये दर्द मे राहत मिलेगी व शरीर मे कैल्शियम की पूर्ति होगी.

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हरशृंगार के पौधे के 5 पत्ते ले उन्हे डेढ़ गिलास पानी मे डालकर उबालें और जब वह पानी आधा गिलास हो जाये तो उसे छानकर पी लें. जिससे दर्द, सूजन व आवाज तीनो मे राहत मिलेगी.

गुड़ चने  का सेवन करें इससे हड्डियों की कमजोरी दूर होगी.

बिन सजनी घर : भाग 2

वाशिंग मशीन की ओर लपका. पानी ड्रेन आउट होने पर जो देखा, खाना बनाते वक्त लाउड म्यूजिक के शौक ने मार डाला था, कपड़ों पर नजर पड़ी तो सारा मूड खराब हो गया. उस की नई गुलाबी शर्ट इतरा कर कई कपड़ों पे अपना रंग जमा चुकी थी. उस ने सिर पकड़ लिया. साफ पानी में 2 बार निकाला पर रंग न गया. उस के चेहरे का रंग अलबत्ता उड़ गया. मौली तो बेहद गुस्सा करेगी, बर्थडे पर उस की दी पैंटशर्ट दोनों ही खराब हो गईं. सारे कपड़े जल्दीजल्दी तार पर फैला डाले. इन में से तो कोई कल पहन के जाने लायक नहीं होंगी. कोई पहले की शर्टपैंट ही उस ने छांट कर प्रैस करवा ली. पर इस काम में पूरी अलमारी, पूरे कमरे की ऐसीतैसी हो गई थी. पर वह खुश था, चलो काम तो बन गया. उस ने पास बिखरे कपड़ों में से थोड़ेबहुत उठा कर अलमारी में ठूंस दिए.

शाम को दोस्तों का फिर जमघट लगना था. फिर नाइटशो, किसी इंग्लिश मूवी का प्रोग्राम था. लेकिन उस से पहले उन्हें, वादे अनुसार, अपने हाथों की बनी स्पैशल चिकनबिरयानी खिलानी थी. उस ने सोचा, शान में हांक दिया कि बड़ी अच्छी बनाता हूं. अब फंस गया बेटा समीर. तैयारी कर ले, वरना हो नहीं पाएगा.

लगभग 2 घंटे बाद सारा घर ही उस की भीषण तैयारी से बन रही बिरयानी की गवाही दे रहा था. हौल में प्याजलहसुन के छिलके पौलिथीन में पड़े थे. अदरक के छिलके चेस की गोटियां बने टेबल पर चिपके पड़े थे. मौली के संजोए सारे मसाले कैबिनेट से बाहर आ कर गैसस्टोव के अगलबगल पूरे प्लेटफौर्म पर जैसे मार्चपास्ट करने निकले थे.

फ्रिज तो ऐसे मुंहबाए खड़ा था मानो डकैती पड़ गई हो, उस में इक्कादुक्का सामान ही नजर आ रहा था. कई प्रकार के बरतन और टूल्स, यूटेंसिल्स, गजेट इस्तेमाल करने में कोई कोताही नहीं बरती गई थी, जो उन की बेकाबू भीड़ बता रही थी.

समीर ने गूंधे आटे का सांप बना बिरयानी के पतीले का मुंह बंद किया तो उस ने कार्य पूरा कर लेने की खुशी में गर्व से चौड़ी मुसकान चेहरे पर फैला ली. घड़ी में 7 बज रहे थे. वह बिरयानी दम पर कर नहाने के लिए बाथरूम में जा घुसा. शावर के नीचे 2 मिनट ही हुए होंगे, दरवाजे की घंटी बजी थी.

तौलिया लपेट कर उस ने दरवाजा खोला था.

‘‘बन गई तेरी बिरयानी? सामान तो खूब फैला रखा है,’’ दोस्तों ने कहा.

‘‘क्यों, लाजवाब खुशबू आ नहीं रही,’’ एक ने चुटकी ली तो सब हंस पड़े.

‘‘बस यार, आने ही वाली है खुशबू. थोड़ा सब्र करो. यार, तुम सब कोल्डडिं्रक निकालो. मैं बस अपने बदन की खुशबू का इंतजाम कर अभी आया,’’ समीर जोरों से हंसा.

पतीले का आटा मुंह खोल चुका था. बिरयानी की खुशबू आने लगी थी. समीर पतीला उठा कर डाइनिंग टेबल पर ही ले आया, ‘‘है न जोरदार खुशबू,’’ वह मुसकराया.

किसी ने खीरा, किसी ने प्याज, किसी ने गाजर तो किसी ने टमाटर ढूंढ़ कर काटे, सलाद भी बन गया. सब ने अपनी प्लेटों में चाव से परोसा और खाने बैठ गए.

‘‘कैसी लगी?’’ समीर ने कौलर ऊंचा कर पूछा.

‘‘अबे नमक तो डाला ही नहीं, खुद खा कर देख, मिस्टर लाजवाब,’’ सब हंस पड़े.

‘‘ला भई, नमक ले आ,’’ ऊपर से डालडाल कर सब ने किसी तरह बिरयानी खाई और मूवी के लिए भागे.

मूवी से लौट कर समीर ने जूतेमोजे उतारे और वैसे ही कपड़ों में बिस्तर पर पड़े गीले टौवेल के ऊपर ही सो गया. सुबह रामकली आई तो चारों ओर कूड़ा व फैला सामान देख कर उस की किटकिट शुरू हो गई.

‘‘साहब, ऐसे तो मैं काम नहीं कर पाऊंगी, रोजरोज इतना काम, मेमसाहब आ जाएं, तो बुला लेना. मैं जाती हूं.’’

‘‘अरे, कहां जाती है, मैं दे दूंगा न फालतू पैसे. वो दोस्त आ गए तो क्या करूं, जल्दी निबटाओ, मुझे औफिस भी जाना है.’’

‘‘नहीं साहब, मुझे गांव जाना है,

8 बजे की ट्रेन पकड़नी है. मां की तबीयत खराब है, सोचा था काम जल्दी कर के बोल दूंगी. पर न हो पाएगा, साहब.’’ वह केवल सिंक के बरतन धो कर चली गई थी.

‘तू और तेरी मेमसाहब, चलो छुट्टी…’ मन में बुदबुदाते हुए उस ने दरवाजा बंद किया.

कोई सामान अपनी जगह नहीं था. पानी पीने को फ्रिज खोला तो एक बोतल भी नहीं मिली. बड़ी मुश्किल से वह तैयार हुआ. बाहर ही ब्रैकफास्ट कर लूंगा, कोई नहीं. वह औफिस के लिए निकल गया. औफिस में फोन आया था मौली का. मेरी बड़ी बूआ अपनी बेटी रिंकू को परीक्षा दिलाने के लिए रात की गाड़ी से दिल्ली पहुंच रही हैं. 4 दिन घर पर ही रुकेंगी, मैनेज कर लोगे न, बाद में मैं भी पहुंच ही जाऊंगी.’’

‘‘हांहां, डोंट वरी,’’ नईनई शादी है यह नहीं बोलता तो मरता क्या.

‘‘थैंक्यू डियर, तुम्हारी पाककला शौक के बारे में सुन कर तुम से बहुत खुश हैं, बूआ, मैं ने उन्हें बताया था.’’

घर लौट कर उस ने अपनी समझ से घर को काफी दुरुस्त किया और लललाला करते हुए बूआजी को स्टेशन लेने चला गया.

चौथे दिन जब मौली ने घर में प्रवेश किया तो उस की चीख निकलतेनिकलते बची, मुंह खुला रह गया. वह फटीफटी आंखों से अपने प्यारे घर को पहचानने की कोशिश कर रही थी. क्या हौल, क्या किचेन, क्या बैडरूम, बाथरूम, देखे नहीं जा रहे थे उस से. अजीब सी गंध से जल्दी ही उस का मुंह क्या, नाक भी सिकुड़ चुकी थी. सुना ही था लोगों से आज देख भी लिया, बिन सजनी घर.

‘बाप रे, कैसे सफाईपसंद बूआ और रिंकू ने यहां 3 दिन गुजारे होंगे. यह क्या किया समीर ने.’

‘‘समीर, दिस इज टू मच, यार,’’ उस ने घर का बिगड़ा नक्शा दिखा कर पूछना चाहा था.

‘‘क्या करता, बदमाश मेड तुम ने रखी थी, छुट्टी ले कर चली गई. मैं क्या करता?’’ खैर, ये सब छोड़ो, बूआजी और रिंकू मार्केट से आती होंगी. तुम फ्रैश हो कर जल्दी आओ और खाना लगाओ, आज तुम्हारी पसंद का सब बाहर से ले आया हूं,’’ वह मुसकराया. मौली के आ जाने से आज वह बेहद खुश, बहुत चैन की सांस ले रहा था. ललललाला करते हुए उस ने लाउड म्यूजिक लगा दिया.

फ्रैश…ऐसे कबाड़ में? फ्रैश होने से पहले तो दसियों काम करने को दिख रहे हैं, समीर.’’ पर समीर को लाउड म्यूजिक में कुछ न सुनाई दिया.

मौली ने सैंडल एक ओर कर चुन्नी कमर में बांधी और सब से पहले मेड का नंबर मिला दिया…

क्या दक्षिण भारत की राजनीति में कमल खिलाने के लिए तमिल वेशभूषा में नजर आए पीएम मोदी

भारत और चीन के बीच ये दूसरी इन्फौर्मल समिट हो रही है. समिट में हिस्सा लेने के लिए चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग चेन्नई पहुंचें फिर उनका ग्रांड वेलकम किया गया. तमिलनाडु के सबसे प्राचीन शहर महाबलीपुरम में पीएम मोदी ने जिनपिंग की खूब आवभगत की. इस दौरान एक चीज पर सबकी निगाहें टिक गई. वो था पीएम मोदी का परिधान. हालांकि पीएम मोदी को हर एक अवसर पर आपने हमने सूट कुर्ता पैजामा में देखा है लेकिन यहां पीएम मोदी ने तमिल परिधान पहने हुए थे. लोगों के बीच ये एक चर्चा का विषय बन चुका था. क्योंकि पीएम मोदी को ऐसे पहली बार देखा जा रहा था. शुक्रवार सुबह से ही ट्विटर पर #gobackmodi ट्रेंड कर रहा था. ऐसा पहली बार नहीं हुआ जब भी पीएम मोदी साउथ का दौरा करते हैं तो वहां उनके खिलाफ विरोध के स्वर फूटते हैं. दक्षिण भारतीय मानते हैं कि राजनीति में उत्तर भारत का वर्चस्व है और वो अपने ही कायदे कानून हम पर थोपना चाहते हैं. हिंदी दिवस के दिन गृहमंत्री अमित शाह के भाषा पर दिए बयान के बाद काफी उबाल मचा था.

शाम करीब पांच बजे चीनी राष्ट्रपति का स्वागत करने जब पीएम मोदी कार से उतरे तो वह तमिल संस्कृति से सराबोर थे. उन्होंने तमिलनाडु की पारंपरिक ‘करायी वेष्टि’ (हरे रंग के किनारे वाली धोती), अंगवस्त्रम और आधे बाजू की सफेद कमीज पहनी थी. पीएम की इस पहल की प्रशंसा पट्टाली मक्कल कच्ची और अन्य ने भी की. यह सीधे तौर पर उन लोगों को जवाब था जो बीजेपी और पीएम मोदी पर आरोप लगाते रहते हैं कि वह उत्तर भारतीय भाषा और संस्कृति को तमिल प्राइड पर थोपते हैं.

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अनौपचारिक मुलाकात के कारण चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने भी पूरे बाजू की कमीज और काले रंग का पैंट पहना था. पट्टाली मक्कल कच्ची के संस्थापक एस रामदास ने कहा कि प्रधानमंत्री को तमिलों के पारंपरिक परिधान वेष्टि में देखना हर्ष का विषय है. उन्होंने ट्वीट किया, ‘दुनिया को तमिल संस्कृति को जानने दो.’ कर्नाटक के संस्कृति और पर्यटन मंत्री सीटी रवि ने ट्वीट किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां की संस्कृति और परंपरा का सम्मान किया है. वह तमिल लोगों की वेशभूषा में टहलते हुए बहुत ही सहज दिख रहे थे.

आपको बता दें कि तमिलनाडु में मई 2021 में विधानसभा चुनाव होने हैं. माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी की नजर अपने गठबंधन सहयोगी एआईएडीएमके के जरिए बीजेपी के लिए इस ‘अभेद्य किले’ में पैठ जमाने की होगी. तमिलनाडु बीजेपी की प्राथमिकता सूची में शामिल है क्योंकि हालिया चुनाव में दक्षिण के इस सूबे में मोदी मैजिक काम नहीं कर पाया. भाजपा दक्षिण में भी अपनी पैठ बनाना चाहती है ताकि अगर कहीं और नुकसान हो तो उसकी भरापाई की जा सके. पीएम मोदी ने तमिल संस्कृति के हिसाब से जो किया उससे वहां की जनता को एक मैसेज तो गया कि पीएम हमारी संस्कृति से वाकिफ है. जिस वक्त पीएम मोदी लुंगी पहने हुए घूम रहे थे तो कहीं से भी असहज नहीं लग रहे थे. ऐसा प्रतीत हो रहा था कि

बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव पी. मुरलीधर राव के मुताबिक, शिखर वार्ता के लिए तमिलनाडु का चुनाव बीजेपी के लिए भी बेहद मुफीद है. उन्होंने कहा, ‘बीजेपी के बारे में धारणा है कि यह एक हिंदी पार्टी है. मोदी के तमिलनाडु दौरे में इजाफा से यह समझ बढ़ेगी कि सूबा हमारे लिए राजनीतिक तौर पर बहुत महत्वपूर्ण है.’ ऐसे में पीएम मोदी के वेष्टि पहनने को भी इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है.

दूसरी ओर, पारंपरिक नजरिए से देखें तो तमिलनाडु में वेष्टि या एक विशेष प्रकार की धोती पुरुषों के मुख्य परिधानों में से एक है. तमिलनाडु के लोगों का वेष्टि के साथ भावनात्मक संबंध है. ऐसे में ऐतिहासिक नगर महाबलीपुरम में हो रही मुलाकात के मौके पर प्रधानमंत्री ने स्थानीय कल्चर को ध्यान में रखते हुए ही इस परिधान को चुना है.

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पीएम मोदी ने जिनपिंग को तोहफे में तंजावुर की एक पेंटिंग और एक नचियारकोइल दीप दिया. पेंटिंग में देवी सरस्वती को वीणा बजाते हुए देखा जा सकता है. इस दीप को नचियारकोइल ब्रांच का अन्नम दीप कहा जाता है. इसे आठ मशहूर कलाकारों ने मिलकर तैयार किया है. छह फीट ऊंचे और 108 किलोग्राम वजन के इस दीप को पीतल से बनाया गया है, जिस पर सोने की परत चढ़ी है. इसे बनाने में कुल 12 दिन का समय लगा. सबसे पहले इसे पैथर समुदाय के लोगों ने बनाया था. ये लोग 1857 में पहले नागरकोइल से त्रावणकोर आए थे फिर वहां से नचियारकोइल आकर बस गए.

विवेक ओबेरौय : “मुंबई आर्ट फेयर कला को अभिजात्य नही तो अधिक प्रवेश के योग्य सुलभ बनाता है

मुंबई आर्ट फेयर के दूसरे संस्करण का ११ से १३ अक्टूबर तक नेहरू सेंटर, वर्ली में भव्य पैमाने पर आयोजित किया गया है. २०१९ के इस संस्करण प्रतिष्ठित मेले में  ३२५ युवा, आगामी और वरिष्ठ, सभी कलाकारों अपने कला का प्रदर्शन एक छत के नीचे प्रदर्शित करने का मौका मिला. लगभग १३० वातानुकूलित बूथों में चित्रों, मूर्तियों, तस्वीरों, सिरेमिक और मूल प्रिंट सहित ३,००० से अधिक कलाकृतियों का प्रदर्शन किया गया.

इस कलापूर्ण कला मेले में मुख्य अतिथि के तौर पर फिल्म अभिनेता विवेक ओबेरौय और गेस्ट औफ औनर पूजा बेदी, गायिका मधुश्री और फिल्ममेकर कुणाल कोहली आदि अन्य नामचीन हस्तियां भी शामिल हुयी थी. इस समारोह में मुंबई आर्ट फेयर के डायरेक्टर राजेंद्र पाटिल समेत कलाकार गौतम पाटोले, प्रकाश बाल जोशी, पृथ्वी सोनी, रूपाली मदान, रीना नाइक, विश्व साहनी, सोनू गुप्ता सहित कई अन्य सहभागी हुए थे.

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कला के शौक़ीन अभिनेता विवेक ओबेरौय सहभागी कई कलाकारों के साथ बातचीत करते हुए, उनके कार्यों की बारीकियों पर चर्चा करते हुए देखा गया, जबकि इस कला मेले में उन्होंने चारकोल मास्टर गौतम पाटोले की कलाकृतियां भी खरीदीं.

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“मुंबई जैसे शहर में इतनी सारी कलाकृतियों का प्रदर्शन करना वास्तव में सराहनीय है जहां आप मुश्किल से ही रहने के लिए जगह पा सकते हैं. कलाकारों को अपनी प्रतिभा दिखाने और कला से प्रेरणा लेने का मौका मिलना चाहिए. मुझे लगता है कि मुंबई आर्ट फेयर टीम कलाकारों के लिए एक महान सेवा कर रही है और मुझे उनकी यही चीज काफ़ी पसंद आयी. इतना ही नहीं तो मुझे यह भी पसंद आया कि वो कला को अधिक सुलभ बना रहे हैं, ना की संभ्रांतवादी को. मैंने देखा कि यहां  युवा और युवा जोड़े हैं जो एक बजट सोचकर आये है और अभी भी सुंदर कलाकृति खरीद सकते हैं. मैंने गौतम पाटोले के कामों का विशेष रूप से आनंद लिया.

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चारकोल कलाकृति की बात की जाये तो वह एक उत्तम कलाकार  कलाकार है और इस तरह, चारकोल पेंटिंग एक अत्यंत मुश्किल काम है. सफेद परिभाषा है और आपको बीच में काले रंग को भरना होगा. मेरे लिए यह वास्तव में एक शानदार अनुभव रहा है! ”

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मुंबई आर्ट फेयर, यह प्रतिष्ठित कला मेला अन्य कला प्रेमियों के लिए  १३ अक्टूबर तक सुबह ११ बजह से शाम ७:३० बजे तक नेहरू आर्ट गैलरी खुला रहेगा.

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राजस्थान में टैक्स फ्री हुई “सांड की आंख”

बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘सांड की आंख’ के मेकर्स की ख़ुशी का अब दुगनी हो गयी है. ऐसा इसलिए क्योंकि, भारत के सबसे पुराने शार्पशूटर चंद्रो तोमर और प्रकाशी तोमर के जीवन पर आधारित इस फिल्म को राजस्थान में टैक्स फ्री घोषित कर दिया गया है.

तुषार हीरानंदानी द्वारा निर्देशित फिल्म, अभिनेता तापसी पन्नू और भूमि पेडनेकर मुख्य भूमिकाओं में हैं. फिल्म के टैक्स फ्री होने की आधिकारिक घोषणा राजस्थान के मुख्यमंत्री, अशोक गहलोत के औफिशियल आईडी पर की गई थी.

पोस्ट में लिखा गया है, “मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने राज्य में मल्टीप्लेक्स और सिनेमाघरों पर महिला सशक्तिकरण और खेल पर आधारित फिल्म ‘सांड की आंख’ की स्क्रीनिंग से एसजीएसटी को छूट देने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है.”

चंद्रो तोमर ने सीएम को धन्यवाद दिया और पोस्ट किया, “राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत का धन्यवाद.”

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वैसे राजस्थान सरकार ने ये बड़ा कदम उठाया है ताकि फिल्म की कहानी ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंच सके ऐसे में उम्मीद है कि उत्तर प्रदेश में भी ये फिल्म टैक्स फ्री हो जाए क्योंकि शूटर दादियों की ये साहसी कहानी उत्तर प्रदेश के जौहरी गांव की है.

रिलायंस एंटरटेनमेंट द्वारा प्रस्तुत फिल्म ‘सांड की आंख’, अनुराग कश्यप, निधि परमार, चौक एंड चीज फिल्म्स और रिलायंस एंटरटेनमेंट द्वारा प्रोड्यूस किया गया है. फिल्म दिवाली पर रिलीज हो रही है.

आपको बता दें, कुछ दिन पहले ही इस फिल्म को लेकर काफी विवाद हुआ था क्योंकि नीना गुप्ता और सोनी राजदान जैसी सीनियर एक्ट्रेसेस ने फिल्म में कम एज एक्ट्रेस के होने पर सवाल उठाए थे और कहा था कि कम से कम हमारे उम्र के रोल तो हमे औफर करने चाहिए. जिसके बाद काफी कंट्रोवर्सी हुई थी.

इस मामले में तापसी ने एक इंटरव्यू में अपनी बात रखी थी- मैंने जो भी बात कही अपने बारें में कही है, किसी के बारें में कुछ भी नहीं कहा है. मुझे अगर कुछ गलत लगता है तो उसे मैं सहन नहीं कर सकती. ये मुझे अपने परिवार की परवरिश से ही मिला है. मैं घर पर भी सबसे अधिक बात करती हूं और कभी किसी गलत बात को सपोर्ट नहीं करती. जब नीना गुप्ता ने मेरे बारें में कही थी तो मैंने अपने व्यूज सोशल मीडिया पर डाले थे, क्योंकि ऐसा करके वे एक कलाकार को दायरे में बाधने की कोशिश कर रही है. मैं हर फिल्म में एक ही तरह के अभिनय नहीं कर सकती. मुझे भी एक्सपेरिमेंट पसंद है और वह मैं करती रहूंगी.

‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’: क्या कायरव की कस्टडी केस वापस लेगा कार्तिक?

छोटे पर्दे का मशहूर सीरियल “ये रिश्ता क्या कहलाता है” में लगातार धमाकेदार ट्विस्ट देखने को मिल रहे है. इस सीरियल की कहानी कस्टडी केस के इर्द गिर्द घुम रही है.  आखिर कायरव की कस्टडी केस किसे मिलेगी या कार्तिक कस्टडी केस वापस ले लेगा. इस सीरियल में बहुत कुछ सस्पेंस बना हुआ है. जी हां, हाल ही में आपने देखा कि कार्तिक नायरा नशे की हालत में शादी करते हैं और बाद में उन्हें कुछ भी याद नहीं रहता.

फिलहाल इस शो के पिछले एपिसोड में आपने देखा कि नायरा और कार्तिक कोर्ट के बाहर एक दूसरे से मिलते हैं. एक बार फिर से कार्तिक नायरा से पूछता है कि क्या उसे रात के बारे में कुछ भी याद आया.

नायरा कहती है कि रात गई और बात गई. हम सिर्फ कायरव के मम्मा-पापा हैं, इससे ज्यादा हमारे बीच कोई रिश्ता नहीं है. और यही सच है कि हम एक-दूसरे के खिलाफ कोर्ट में केस लड़ रहे हैं.

नायरा अपने भाई नक्ष को कौल करती है लेकिन वो उठाता नहीं, नायरा, कार्तिक से कहती है तुम थोड़ी देर यहीं रुको मैं एटीएम से होकर आती हूं अगर ड्राइवर गाड़ी लेकर आए तो बताना कि मैं अभी आ रही हूं.

नायरा एटीएम के पास जाती है वहां उसे वेदिका रोते हुए मिलती है. नायरा उससे पूछती है कि क्या हुआ?  वेदिका उसे सुनाने लगती है कि आपने केबिन में कहा था कि आपने शादी कर ली है और मुझसे कह रही हैं कि कुछ याद नहीं. मुझे आप पर भरोसा नहीं है और ना ही किसी और पर. वेदिका वहां से रोते हुए चली जाती है नायरा उसे रोकने और समझाने की कोशिश करती है पर वो नहीं रूकती. वेदिका के जाने के बाद नायरा रोते हुए वापस आती है और वहां कार्तिक उससे कहता है कि बच्चे और ड्राइवर कबसे वेट कर रहे हैं, लेकिन नायरा उससे लड़ झगड़कर चली जाती है वो कुछ समझ नहीं पाता लेकिन उसे वेदिका रोते हुए दिख जाती है.

कार्तिक वहां कुदाल लेकर जमीन खोदने लगता है, तभी वहां उसकी मां आ जाती है, वो उससे कारण पूछती है परेशान होने का तो वो बताता है कि उसकी वजह से सब दुखी हैं. नायरा दुखी है, वेदिका दुखी है.

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नायरा के बिना मैं रह नहीं पाता और वेदिका मेरी वजह से दुखी होती रहती है, वो दोस्त है मेरी उसे मैं झूठी तसल्ली भी नहीं दे सकता कि सब कुछ ठीक हो जाएगा. कार्तिक, वेदिका के लिए बहुत दुखी होता है और कहता है कि नायरा कुछ दिन पहले क्यों नहीं आई?

कार्तिक की मां कार्तिक को केस वापस लेने के लिए समझाती है, कार्तिक कहता है कि अगर नायरा उसके बच्चे को लेकर कहीं ना जाए तो वो केस वापस ले लेगा. इसके बाद कार्तिक की मां, नायरा के पास आती है.

वो उसे समझाती है कि वो केस वापस ले ले लेकिन नायरा कहती है कि उसे कायरव की सोलो कस्टडी ही चाहिए. नायरा सोचती है कि अगर वो कायरव की सोलो कस्टडी लेकर यहां से नहीं गई तो वेदिका की लाइफ खराब हो जाएगी.

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कहीं भार न बन जाए प्यार

कुछ लोग अपने प्यार को किसी के साथ भी बंटता हुआ नहीं देख सकते. यहां तक कि वे अपने गर्लफ्रैंड या बौयफ्रैंड को अपने दोस्तों से भी बातें करता देख इनसिक्योर फील करने लगते हैं, शक करने लगते हैं और इस बात पर उन के बीच झगड़े होने लगते हैं.

जाहिर सी बात है कि किसी से प्यार करने का अर्थ यह तो नहीं कि इंसान अपने दोस्तों से नाता तोड़ ले. यदि गर्लफ्रैंड किसी और लड़की से बात करने पर अपने बौयफ्रैंड से नाराज हो जाती है तो बौयफ्रैंड के पास एक ही औप्शन बचता है, और वह है झूठ बोलना, वह छिप कर दोस्तों से बातें करेगा और फोन से बातचीत का सारा रिकौर्ड डिलीट कर देगा.

यही नहीं, बाकी जो भी बातें उस की गर्लफ्रैंड को बुरी लगती हैं. उन सब को छिपाने लगेगा. एक समय आएगा जब झूठ बोलतेबोलते वह आजिज आ जाएगा. हर वक्त उसे अपनी आजादी छिनती हुई नजर आएगी. वह बंधा हुआ महसूस करने लगेगा और एक दिन उस के सब्र का बांध टूट जाएगा और तब प्यार के रिश्ते में जज्बातों का दम घुट जाएगा. प्यार भार बन जाएगा और व्यक्ति अपने प्यार से पीछा छुड़ाने के बहाने ढूंढ़ने लगेगा.

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तीसरे का वजूद

पतिपत्नी हों या गर्लफ्रैंडबौयफ्रैंड, जब भी दो के बीच किसी तीसरे के आने की सुगबुगाहट होती है तो रिश्तों में खटास आने लगती है. शक का कीड़ा अच्छेखासे रिश्तों की भी नींव खोदने में वक्त नहीं लगाता. जहां विश्वास नहीं वहां शक तुरंत अपनी जड़ जमा लेता है. तीसरे की उपस्थिति अकसर रिश्तों के टूटने की वजह बनती है. किसी तीसरे के आने से सिर्फ रिश्ता ही नहीं टूटता, कई दफा नतीजे बेहद खतरनाक भी निकलते हैं. तीसरे को रास्ते से हटाने के लिए व्यक्ति किसी भी सीमा तक जा सकता है.

अपने अनुसार ढालने का प्रयास

प्यार का अर्थ है जो जैसा है उसे उसी रूप में पंसद करना. यदि बदलने का प्रयास किया जाए तो वह प्यार नहीं, समझौता होता है. जब प्यार का दंभ भरते व्यक्ति सामने वाले की कमियां निकालने लगता है और उसे बदलने को प्रेरित करता है तो वहां जज्बात फीके पड़ने लगते हैं और प्यार भार लगने लगता है.

बातबात पर चिढ़ना

प्यार में रूठनेमनाने की परंपरा बहुत पुरानी है. मगर जब कोई बातबात पर मुंह बनाने लगे या भलाबुरा सुनाने लगे तो स्वाभाविक है कि सामने वाले के सब्र का बांध टूट जाएगा. इंसान किसी की नाराजगियां एक हद तक सहन कर सकता है. मगर जब यह रोज की आदत बन जाए तो प्यार जी का जंजाल लगने लगता है.

तालमेल की कमी

प्यार में इंसान को काफी तालमेल बिठाने होते हैं. दो बिलकुल अलगअलग व्यक्ति जब एकदूसरे के बनना चाहते हैं तो बहुत सी बातों में समझौते करने होते हैं. खानपान, बातचीत, पहनावा, रहनसहन हर तरह से एकदूसरे की परवाह करनी होती है. तालमेल की कमी रिश्ते में खटास ला सकती है.

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