पुरुषप्रधान समाज की गूंज के बीच धरती पर एक इलाका ऐसा भी है जहां स्त्रीप्रधान समाज है. धरती का वह इलाका कहीं और नहीं, बल्कि भारत में है. देश के पूर्वोत्तर राज्यों में से एक मेघालय में मातृसत्तात्मक समाज का रिवाज कायम है. ऐसा वहां की जनजातियों का नियम है.

मेघालय के अलावा देश के दूसरे सभी राज्यों में सामाजिक ढांचा पिताप्रधान है. आमतौर पर दुनियाभर के समाज पितृसत्तात्मक और पुरुषप्रधान होते हैं. मेघालय में खासी समाज की महिलाओं को जो सामाजिक अधिकार मिले हुए हैं, वैसे अधिकार देश के किसी दूसरे राज्य या समुदाय की महिलाओं को हासिल नहीं हैं. यह भी जान लें कि इस राज्य की प्राकृतिक सुंदरता विश्वव्यापी है.

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मेघालय की महिलाएं परिश्रम, सुंदरता, सरलता, सहजता और भोलेपन के लिए मशहूर हैं. खासी परिवार की सर्वेसर्वा घर की महिला होती है. खासी परिवार में सब से छोटी बेटी को विरासत का सब से ज्यादा हिस्सा मिलता है और उसी को मातापिता, अविवाहित भाईबहनों और संपत्ति की देखभाल करनी पड़ती है. छोटी बेटी को ‘खड्डोह’ कहा जाता है. वह एक ऐसी हस्ती बन जाती है जिस का घरपरिवार के हर सदस्य के लिए खुला रहता है. संपत्ति पर अधिकार मां की सब से छोटी बेटी का होता है. यह इस ‘खड्डोह’ पर निर्भर करता है कि वह अपनी मां की संपत्ति में से अपने भाईबहनों को दे या न दे.

मेघालय में मूलतया 3 जनजातियां निवास करती हैं- खासी, जयन्तिया और गारो. खासी और जयन्तिया समुदाय के मर्दऔरतों की शारीरिक बनावट गारो समुदाय से कुछ भिन्न है.

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