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आजकल की लड़कियां

आपने अक्सर सुना होगा कि प्रेमी प्रेमिका को खुश करने के लिए  कई तरह से महंगे गिफ्ट देता है,सोने की अंगूठी,चांदी की पायल,जाने क्या क्या! लेकिन इस मामले में अब चौंकाने वाली खबरें भी आ रही हैं . अब तो उल्टी गंगा भी बहने लगी है.  प्रेमी  की जगह अब प्रेमिका गिफ्ट  देती है और यही नहीं, प्रेमी  लड़के को आकर्षित करने के लिए  अपने ही घर में  सेंध लगा देती है  चोरी करने से भी बाज नहीं आती. ऐसा ही एक मामला छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के भनपुरी थाना क्षेत्र  में  घटित हुआ है. एक लड़की ने अपने बौयफ्रेंड  को खुश  करने की कोशिश कुछ इस तरह की,  की अपने ही घर में अपराध कर डाला… और यह क्राइम उसे इतना   भारी पड़ गया की उस पर पुलिस ने  अपराध  दर्ज कर लिया . दरअसल, नाबालिग लड़की अपने प्रेमी को उसके जन्मदिन पर एक बाइक गिफ्ट करना चाहती थी. मगर उसके पास पैसे नहीं थे. फिर लड़की ने अपने ही घर चोरी  की और पैसे युवक को दे दिए. जब प्रेमी को नाबालिग लड़की ने लगभग पौने दो लाख रुपए बाइक के लिए गिफ्ट दिए तब प्रेमी ने पूछा भी कि यह पैसे कहां से लाई हो तो उसने अपनी कसम देकर प्रेमी को रुपए थमा दिए और कहा इसके बारे में कुछ भी न पूछो. अजीबो गरीब अपराध और प्रेम की कहानी बिल्कुल सच्ची है.

ऐसे  हुआ  पुलिस  को लड़की  पर शक

घरवालों ने जब मामले की शिकायत पुलिस  मे की तो जांच शुरू हुई. भनपुरी पुलिस ने मामला  दर्ज होने के पश्चात  घर के प्रत्येक सदस्य  एवं नौकरों से  पूछताछ करनी प्रारंभ कर दी  लड़की से  नाबालिक होने के कारण  पूछताछ  अंतिम समय में की गई  जब पुलिस ने लड़की को तलब किया  तो वह  पसीना पसीना हो गई  तब जांच अधिकारी  रमाकांत साहू को  लड़की पर शक हुआ  उन्होंने  बड़े ही  पुलिसिया अंदाज में  लड़की से सच  कबूल करवा लिया.  लड़की ने  रोते हुए  पुलिस के सामने सारी सच्चाई बयां कर दी.जांच में पुलिस का शक नाबालिग लड़की सबसे  अंतिम समय  मे गया . पूछताछ में लड़की ने पुलिस के सामने अपना जुर्म कबूल कर लिया.  पुलिस ने आरोपी युवक को नगद  राशि के साथ गिरफ्तार कर लिया,  उससे भी पूछताछ की तो सारी सच्चाई आईने की तरह साफ हो गई. लड़की ने बताया कि वह  प्रेमी को खुश करना चाहती थी इसके लिए उसने घर में ही चोरी करने की योजना बना ली थी.

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अपने तरह का अजीबोगरीब मामला

राजधानी रायपुर के खमतराई थाना क्षेत्र के भनपुरी इलाके में हुए तकरीबन 1.73 लाख रुपए के चोरी के मामले का खुलासा पुलिस ने कर दिया है.

और यह बड़ा  खुलासा हो गया है कि प्रेमी को उसके जन्मदिन के मौके पर गिफ्ट देने के फेर  में नाबालिग लड़की ने अपने ही घर चोरी की थी. इन दिनों इस तरह की अनेक घटनाएं घटित हो रही है जो हमें चौकाती है और बताती है कि प्रेम  के इस नये रंग लडकियों  क्या  गुल  खिला  सकती है.

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कायाकल्प : भाग 2

अब सिर्फ अपने परिवारजनों की मौजूदगी में सुमित्रा ने अपने मनोभावों को शब्द देना जारी रखा, ‘‘समीर और रितु, तुम दोनों अपनी भाभी को इस पल से पूरा मानसम्मान दोगे. रीना के साथ तुम ने गलत व्यवहार किया तो उसे मैं अपना अपमान समझूंगी.’’

‘‘मम्मी, आप को मुझ से कोई शिकायत नहीं होगी,’’ रितु उठ कर रीना की बगल में आ बैठी और बड़े प्यार से भाभी का हाथ अपने हाथों में ले लिया.

‘‘मेरा दिमाग खराब नहीं है जो मैं किसी से बिना बात उलझूंगा,’’ समीर अचानक भड़क उठा.

‘‘बेटे, अगर तुम्हारा रवैया नहीं बदला तो रीना को साथ ले कर एक दिन मैं इस घर को छोड़ जाऊंगी.’’

सुमित्रा की इस धमकी का ऐसा प्रभाव हुआ कि समीर चुपचाप अपनी जगह सिर झुका कर बैठ गया.

‘‘सुमित्रा, तुम सब तरह की चिंताएं अपने मन से निकाल दो. रीना और पल्लवी के भविष्य को सुखद बनाने के लिए हम सब मिल कर सहयोग करेंगे,’’ राजेंद्रजी से ऐसा आश्वासन पा कर सुमित्रा धन्यवाद भाव से मुसकरा उठी थीं.

कमरे से जब सब चले गए तब सुमित्रा ने रीना से साफसाफ पूछा, ‘‘बहू, तुम्हें मेरे मुंह से निकली बातों पर क्या विश्वास नहीं हो रहा है?’’

‘‘आप ऐसा क्यों सोच रही हैं, मम्मी. आप लोगों के अलावा अब मेरा असली सहारा कौन बनेगा?’’ रीना का गला भर आया.

‘‘मैं तुम्हें कभी तंग नहीं करूंगी, बहू. बस, तुम यह घर छोड़ कर जाने का विचार अपने मन में कभी मत लाना, नहीं तो मैं खुद को कभी माफ नहीं कर पाऊंगी.’’

‘‘नहीं, मम्मी. मैं आप के पास रहूंगी और आप को छोड़ कर कहीं नहीं जाऊंगी.’’

‘‘देख, पल्लवी के नाम से मैं ने 1 लाख रुपए फिक्स्ड डिपोजिट करने का फैसला कर लिया है. आने वाले समय में यह रकम बढ़ कर उस की पढ़ाई और शादी के काम आएगी.’’

‘‘जी,’’ रीना की आंखों में खुशी की चमक उभरी.

‘‘सुनो बहू, एक बात और कहती हूं मैं,’’ सुमित्रा की आंखों में फिर से आंसू चमके और गला रुंधने सा लगा, ‘‘करीब 4 साल पहले तुम ने इस घर में दुलहन बन कर कदम रखा था और मैं वादा करती हूं कि उचित समय और उचित लड़का मिलने पर तुम्हें डोली में बिठा कर यहां से विदा भी कर दूंगी. जरूरत पड़ी तो पल्लवी अपने दादादादी के पास रहेगी और तुम अपनी नई घरगृहस्थी…’’

‘‘बस, मम्मीजी, और कुछ मत कहिए आप,’’ रीना ने उन के मुंह पर अपना हाथ रख दिया, ‘‘मुझे विश्वास हो गया है कि पल्लवी और मैं आप दोनों की छत्रछाया में यहां बिलकुल सुरक्षित हैं. मुझ में दूसरी शादी करने में जरा भी दिलचस्पी कभी पैदा नहीं होगी.’’

रीना अपने सासससुर के लिए जब चाय बनाने चली गई तो राजेंद्रजी ने सुमित्रा का माथा चूम कर उन की प्रशंसा की, ‘‘सुमि, आज जो मैं ने देखासुना है उस पर मुझे आश्चर्य हो रहा है, साथ ही गर्व भी कर रहा हूं. एक बात पूछूं?’’

‘‘पूछिए,’’ सुमित्रा ने पति के कंधे पर सिर टिकाते हुए कहा और आंखें मूंद लीं.

‘‘तुम्हारी सोच, तुम्हारा नजरिया… तुम्हारे दिल के भाव अचानक इस तरह कैसे बदल गए हैं?’’

‘‘आप मुझ में आए बदलाव का क्या कारण समझते हैं?’’ आंखें बंद किएकिए ही सुमित्रा बोलीं.

‘‘मुझे लगता है संजीव की असमय हुई मौत ने तुम्हें बदला है, पर फिर वैसा ही बदलाव मेरे अंदर क्यों नहीं आया?’’

‘‘संजीव इस दुनिया में नहीं रहा, ये जानने से पहले मुझे एक और जबरदस्त सदमा लगा था. क्या आप को उस की याद है?’’

‘‘हां, जो लड़का बुरी खबर लाया था वह संजीव का जूनियर था और तुम समझीं कि वह कोई मेरा छात्र है और मेरी न रहने की खबर लाया है.’’

‘‘दरअसल, गलत अंदाजा लगा कर मैं बेहोश हो गई थी. फिर मुझे धीरेधीरे होश आया तो मेरे मन ने काम करना शुरू किया.

‘‘सब से पहले असहाय और असुरक्षित हो जाने के भय ने मेरे दिलोदिमाग को जकड़ा था. मन में गहरी पीड़ा होने के बावजूद अपनी जिस जिम्मेदारी का मुझे ध्यान आया वह रितु की शादी का था.

‘‘कैसे पूरी करूंगी मैं यह जिम्मेदारी? मन में यह सवाल कौंधा तो जवाब में सब से पहले संजीव और रीना की शक्लें उभरी थीं. उन से मेरा लाख झगड़ा होता रहा हो पर मुसीबत के समय मन को उन्हीं दोनों की याद पहले आई थी,’’ अपने मन की बातों को सुमित्रा बड़े धीरेधीरे बोलते हुए पति के साथ बांट रही थीं.

राजेंद्रजी खामोश रह कर सुमित्रा के आगे बोलने का इंतजार करने लगे.

सुमित्रा ने पति की आंखों में देखते हुए भावुक लहजे में आगे कहा, ‘‘मेरे बहूबेटे मुसीबत में मेरा मजबूत सहारा बनेंगे, अगर मेरी यह उम्मीद भविष्य में पूरी न होती तो मेरा दिल उन दोनों को कितना कोसता.’’

एक पल रुक कर सुमित्रा फिर बोलीं, ‘‘असली विपदा का पहाड़ तो रीना के सिर पर टूटा था. मेरी ही तरह क्या उस ने भी उन लोगों का ध्यान नहीं किया होगा जो इस कठिन समय में उस के काम आएंगे?’’

‘‘जरूर आया होगा,’’ राजेंद्रजी बोले.

‘‘अगर उस ने हमें विश्वसनीय लोगों की सूची में नहीं रखा होगा तो यह हमारे लिए बड़े शर्म की बात है और अगर हमारे सहयोग और सहारे की उसे आशा है और हम उस की उम्मीदों पर खरे न उतरे तो क्या वह हमें नहीं कोसेगी?’’

‘‘तुम्हारे मनोभाव अब मेरी समझ में आ रहे हैं. तुम्हारे कायाकल्प का कारण मैं अब समझ सकता हूं,’’ राजेंद्रजी ने प्यार से पत्नी का माथा एक बार फिर चूमा.

‘‘हमारा बेटा संजीव अब बहू और पोती के रूप में अपना अस्तित्व बनाए हुए है और ये दोनों हमें कोसें ऐसा मैं कभी नहीं चाहूंगी. इन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए ही मैं ने अपने को बदल डाला है. कभी मैं राह से भटकूं तो आप मुझे टोक कर सही राह दिखा देना,’’ सुमित्रा ने अपने जीवनसाथी से हाथ जोड़ कर विनती की.

‘‘उस की जरूरत नहीं पड़ेगी क्योंकि तुम्हारा यह कायाकल्प दिल की गहराइयों से हुआ है.’’

अपने पति की आंखों में अपने लिए गहरे सम्मान, प्रशंसा व प्रेम के भावों को पढ़ कर सुमित्रा हौले से मुसकराईं.

9 टिप्स: ऐसे दूर करें स्किन पिग्मेंटेशन

हर महिला एक साफ और दमकती हुई त्वचा पाने की चाहत रखती है. लेकिन कभी-कभी स्‍किन पिग्मेंटेशन जैसी समस्या के कारण ऐसा नही हो पाता. स्‍किन पिग्मेंटेशन की वजह से आपके चेहरे की रौनक कहीं खो सी जाती है. अगर आप इस समस्या से परेशान हैं तो अपनाइए ये  खास टिप्स.

  1. विटामिन सी

कद्दूकस की गई गाजर में मुलतानी मिट्टी को डालकर उसका मिश्रण तैयार करें. अब इस मिश्रण में विटामिन सी की एक गोली पीसकर डालें. इसे पूरी तरह अपने चेहरे पर लगाएं, 20 मिनट के लिए रहने दें और फिर अपने चेहरे को पानी से धोलें. इसे हफ्ते में एक बार लगाएं.

2. दूध

4 चम्मच दूध के पाउड़र में थोड़ा सा हाइड्रोजन पेरोक्साइड़ को मिलाकर एक मिश्रण तैयार करें. अब इस में ग्लिसरीन मिलाकर इसे रंजित क्षेत्र पर लगाएं. इसे 15-20 मिनट के लिए रहने दें और फिर ठंड़े पानी से धोलें. हाइड्रोजन पेरोक्साइड़ और ग्लिसरीन किसी भी स्थानीय केमिस्ट की दुकान पर आसानी से मिल जाएंगी.

3. आलू

एक आलू छीलें और उसकी सतह पर थोड़ा सा पानी छिड़कें, उसे अपने काले धब्बों से भरी त्वचा पर रगड़ें. आलू का रस त्वचा के दाग, धब्बों को कम करने में मदद करता है.

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4. तुलसी के पत्‍ते

तुलसी के पत्तों को नींबू के रस के साथ मिलाकर अपनी रंजित त्वचा पर लगाएं, इससे आपकी त्वचा पर पड़े सारे काले धब्बें मिट जाएंगे.

5. दूध और पपीता

कच्चे दूध में कच्चा पपीता मिलाएं और इससे 10 मिनट के लिए अपने चेहरे की मालिश करें. यह मिश्रण चेहरे के धब्बों पर काफी असरदार साबित होगा.

6. छाछ

काले धब्बों को कम करने के लिए अपने चेहरे को छाछ के साथ धोएं.

7. चीनी

चीनी को जैतून के तेल में मिलाकर अपने शरीर पर रगड़ें. चीनी के पूरे घुलने तक अपने शरीर पर रगड़ें. इसे अपने हाथों, पैरों, गर्दन तथा शरीर के अन्य सांवले अंगों पर लगा सकते हैं.

8. शहद

1 चम्मच नींबू के रस में 1 चम्मच शहद और बादाम का तेल मिलाएं. एक दमकती हुई त्वचा पाने के लिए इस मिश्रण से 15 मिनट के लिए अपने चेहरे की मालिश करें.

9. खूब पानी पियें

ज्यादा पानी पिएं, पानी आपके शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है तथा आपको त्वचा से संबंधित सारी समस्याओं से मुक्त करता है.

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इसके अलावा आपको क्या करना चाहिए?

अपनी त्वचा को सूरज की तेज किरणों से बचाएं. हर रोज अपनी त्वचा पर न्यूनतम 30 एसपीएफ वाली सनस्क्रीन लगाएं. अगर आप बाहर खुले में घूम रहे हैं, तो हर तीन घंटे के बाद अपनी त्वचा पर सनस्क्रीन लगाएं. रात को नियमित रुप से अपनी त्वचा को साफ करें तथा ट्रैटिनाइन या कौजिक एसिड से युक्त क्रीमों का इस्तेमाल करें.

टूटे हुए रिश्ते में ऐसे जगाएं प्यार

दुनिया का सबसे खूबसूरत एहसास प्यार है. इस खूबसूरत एहसास से कोई भी व्यक्ती वंचित नहीं है. जिससे आप प्यार करते हैं उससे जुड़ी सारी चीज आपको अच्छी लगती है. और जब आप उस इंसान के साथ होते हैं तो जिंदगी और भी ज्यादा हसीन लगने लगती है. लेकिन ये जरूरी नहीं कि आपका प्यार हमेशा कायम रहे, रिश्ते में मनमुटाव होने के कारण आपके बीच का प्यार कम हो जाता है या रिश्ते टूट जाते है. ऐसे में आपको कुछ टिप्स बताते हैं, जिससे आप अपने टूटे हुए रिश्ते में फिर से प्यार को जगा सकते हैं.

कुछ नया करने की प्लानिंग करें

कुछ समय के लिए किसी के साथ रहने से आप इस हद तक ऊब सकते हैं कि आपके और आपके पार्टनर के बीच रूखापन आ सकता है. ऐसा कुछ करें, जिससे चीजों में बदलाव आए. एक्सपर्ट के अनुसार वे दंपत्ति, जो साथ मिलकर डांसिंग या हाइकिंग जैसे नई गतिविधियों के साथ वक्त बिताते हैं वह उन दंपत्ति की तुलना में ज्यादा खुश रहते हैं.

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साथ मिलकर हंसने का प्रयास करें

जैसा कि आप जानते हैं कि ऐसा जबरन नहीं किया जा सकता है लेकिन ऐसी चीजों को करने का प्रयास करें, जिससे आप दोनों को खुशी मिलें. एक्सपर्ट के अनुसार हंसना रिश्ते की गुणवत्ता और पार्टनर के बीच करीबी का संकेत देता है.

एक दूसरे की बातों को समझने का प्रयास करें

रिश्ते अक्सर आपके और आपके पार्टनर के बीच सहमति व आपसी समझ पर टिके होते हैं. अक्सर छोटी-छोटी बातों पर पति-पत्नी के बीच झगड़े होते हैं इसलिए अपने पार्टनर की बातों को समझने का प्रयास कीजिए की वह क्या कहना चाहते हैं. जब एक दूसरे की बातों को समझने लगेंगे तो झगड़े खुद ब खुद कम हो जाएंगे.

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चने की नई उन्नत किस्म से ऐसे फायदा पाएं

दलहनी फसलों में चने की खेती अपना खास स्थान रखती है. भारत दुनिया का सब से ज्यादा चना पैदा करने वाला देश है. चने की तकरीबन 70-75 फीसदी पैदावार हमारे देश में होती है. उत्तर से मध्य व दक्षिण भारत के राज्यों में चना रबी फसल के रूप में उगाया जाता है. चना उत्पादन की नई उन्नत तकनीक व उन्नतशील किस्मों का इस्तेमाल कर किसान चने का उत्पादन और भी बढ़ा सकते हैं.

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, अखिल भारतीय समन्वित चना अनुसंधान परियोजना ने हाल ही में बिरसा कृषि विश्वविद्यालय, रांची (झारखंड) में आयोजित अपने 24वें वार्षिक बैठक में जीनोमिक्स की मदद से विकसित चना की 2 बेहतर किस्मों ‘पूसा चिकपी -10216’ और ‘सुपर एनेगरी 1’ को जारी किया है, जो चने की दूसरी किस्मों से कहीं बेहतर है.

पूसा  चिकपी 10216

* चना की यह एक खास किस्म है. इसे डाक्टर भारद्वाज चेल्लापिला, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली के नेतृत्व में चिकपी ब्रीडिंग ऐंड मोलेकुलर ब्रीडिंग टीम द्वारा डाक्टर वार्ष्णेय के. राजीव, इक्रिसैट के नेतृत्व वाली जीनोमिक्स टीम के सहयोग से विकसित किया गया है.

* इस किस्म को आणविक मार्करों की मदद से ‘पूसा 372’ की आनुवांशिक पृष्ठभूमि में आनुवांशिक ‘क्यूटीएल हौटस्पौट’ के बाद विकसित किया गया है.

* ‘पूसा 372’ देश के मध्य क्षेत्र, उत्तरपूर्व मैदानी इलाकों और उत्तरपश्चिम मैदानी इलाकों में उगाई जाने वाली चना की एक खास किस्म?है. इस का इस्तेमाल लंबे समय यानी देर से बोई जाने वाली स्थितियों के लिए राष्ट्रीय परीक्षणों में मापक (नियंत्रण किस्म) के रूप में किया जाता रहा?है. इस किस्म का विकास साल 1993 में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली द्वारा तैयार किया गया था. हालांकि इस का उत्पादन कम हो गया था.

* इस को प्रतिस्थापित करने के लिए साल 2014 में चना के ‘आईसीसी 4958’ किस्म में ‘सूखा सहिष्णुता’ के लिए पहचाने गए जीनयुक्त ‘क्यूटीएल हौटस्पौट’ को आणविक प्रजनन विधि से ‘पूसा 372’ के आनुवांशिक पृष्ठभूमि में डाल कर विकसित किया गया है.

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* नई किस्म की औसत पैदावार 1447 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर?है. भारत के मध्य क्षेत्र में नमी कम होने की स्थिति में यह किस्म ‘पूसा 372’ से तकरीबन 11.9 फीसदी ज्यादा पैदावार देती है.

* इस किस्म के पकने की औसत अवधि 110 दिन?है. दाने का रंग उत्कृष्ट होने के साथसाथ इस के 100 बीजों का वजन तकरीबन 22.2 ग्राम होता है.

* खास रोगों मसलन फुसैरियम विल्ट, सूखी जड़ सड़ांध और स्टंट के लिए यह किस्म मध्यम रूप से प्रतिरोधी है और इसे मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात और उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड इलाकों में खेती के लिए चुना गया है.

डाक्टर भारद्वाज चेल्लापिला ने बताया है कि ‘पूसा चिकपी 10216’ भारत में चना की वाणिज्यिक खेती के लिए पहचानी जाने वाली खास सहिष्णुतायुक्त पहली आणविक प्रजनन किस्म बन गई है.

सुपर एनेगरी 1

* इस किस्म को कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय, रायचूर (कर्नाटक) और इक्रिसैट के सहयोग से विकसित किया गया है.

* इस किस्म को चना के ‘डब्लूआर 315’ किस्म में फुसैरियम विल्ट रोग के लिए पहचाने गए प्रतिरोधी जीनों को आणविक प्रजनन विधि से कर्नाटक राज्य की प्रमुख चना किस्म एनेगरी 1 की आनुवांशिक पृष्ठभूमि में डाल कर विकसित किया गया है.

* इस किस्म की औसत पैदावार 1898 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है और यह एनेगरी किस्म से तकरीबन 7 फीसदी अधिक पैदावार देती है. साथ ही, दक्षिण भारत में उपज कम करने वाले कारक फुसैरियम विल्ट रोग के लिए बेहद प्रतिरोधी है.

* यह किस्म औसतन 95 से 110 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है. इस के 100 बीजों का वजन तकरीबन 18 से 20 ग्राम तक होता है.

* इस किस्म को आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र और गुजरात में खेती के लिए चुना गया है.

उपयुक्त जलवायु

चने की खेती तकरीबन 78 फीसदी असिंचित इलाकों और 22 फीसदी सिंचित इलाकों में की जाती है. सर्दी में फसल होने के कारण चना की खेती कम बारिश वाले इलाकों और कम ठंडक वाले इलाकों में की जाती?है. फूल आने की दशा में यदि बरसात हो जाए तो फूल झड़ने के कारण फसल को बहुत नुकसान होता है.

चने के अंकुरण के लिए कुछ अधिक तापमान की जरूरत होती है, जबकि पौधों की सही बढ़वार के लिए आमतौर पर ठंडे मौसम की जरूरत होती?है.

उपयुक्त जमीन

चने की खेती बलुई से ले कर दोमट और मटियार मिट्टी में की जा सकती है. इस के अलावा चने की खेती के लिए भारी दोमट और मडुआ, पड़आ, कछारी जमीन, जहां पानी जमा न होता हो, वह भी ठीक मानी जाती है.

काबुली चने की खेती के लिए मटियार दोमट और काली मिट्टी, जिस में पानी की सही मात्रा धारण करने की कूवत होती है, उस में सफलतापूर्वक खेती की जाती?है. लेकिन जरूरी यह है कि पानी के भरने की समस्या न हो. जल निकासी का सही प्रबंध होना चाहिए.

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खेत की तैयारी

चने की खेती के लिए पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल या डिस्क हैरो से करनी चाहिए. इस के बाद एक क्रास जुताई हैरो से कर के पाटा लगा कर जमीन समतल कर लें.

फसल को दीमक व कटवर्म के प्रकोप से बचाने के लिए आखिरी जुताई के समय उस की रोकथाम का पुख्ता इंतजाम करना चाहिए. जमीन की पैदावार कूवत बनाए रखने और फसल से अधिक पैदावार लेने के लिए फसल चक्र अपनाना चाहिए.

बोआई का उचित समय

उत्तर भारत के असिंचित इलाकों में चना की बोआई अक्तूबर माह के दूसरे पखवारे में करें और सिंचित इलाकों में नवंबर माह के पहले पखवारे में करनी चाहिए.

पछेती बोआई दिसंबर माह के पहले हफ्ते कर लेनी चाहिए. देश के मध्य भाग में अक्तूबर का पहला और दक्षिण राज्य में सितंबर के आखिरी हफ्ते से अक्तूबर का पहला सप्ताह चने की बोआई के लिए उचित है.

बीजोपचार : चने की खेती में कई तरह के कीट और रोगों से बचाव के लिए बीज को उपचारित कर के बोआई करनी चाहिए. बीज को उपचारित करते समय ध्यान रखें कि सब से पहले उसे फफूंदीनाशी, फिर कीटनाशी और आखिर में राइजोबियम कल्चर से उपचारित करें.

जड़ गलन व उकटा रोग की रोकथाम के लिए बीज को कार्बंडाजिम या मैंकोजेब या थाइरम की 1.5 से 2 ग्राम मात्रा द्वारा प्रति किलोग्राम बीज दर से उपचारित करें.

दीमक और दूसरे जमीनी कीटों की रोकथाम के लिए क्लोरोपाइरीफास 20 ईसी या इंडोसल्फान 35 ईसी की 8 मिलीलिटर मात्रा प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित कर के बोआई करनी चाहिए.

बीजों को उपचारित कर के एक लिटर पानी में 250 ग्राम गुड़ को गरम कर के ठंडा होने पर उस में राइजोबियम कल्चर व फास्फोरस घुलनशील जीवाणु को अच्छी तरह मिला कर उस में बीज उपचारित करना चाहिए. उपचारित बीज को छाया में सुखा कर शीघ्र बोआई कर देनी चाहिए.

उर्वरकों का इस्तेमाल मिट्टी जांच के मुताबिक करें तो ज्यादा अच्छा होगा. वैसे, सामान्य तौर पर 20-25 किलोग्राम नाइट्रोजन, 50-60 किलोग्राम फास्फोरस, 20 किलोग्राम पोटाश और 20 किलोग्राम गंधक प्रति हेक्टेयर की दर से इस्तेमाल करें. कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि असिंचित अवस्था में 2 फीसदी यूरिया या डीएपी का फसल पर छिड़काव करने से अच्छी पैदावार मिलती है.

सिंचाई प्रबंधन : चने की खेती मुख्यत: असिंचित अवस्था में की जाती?है, जहां पर सिंचाई के लिए सीमित पानी मुहैया हो, वहां फूल आने के पहले (बोआई के 50-60 दिन बाद) एक हलकी सिंचाई करें. सिंचित इलाकों में दूसरी सिंचाई फली बनते समय जरूर करें.

सिंचाई करते समय यह ध्यान दें कि खेत के किसी भी हिस्से में पानी जमा न होने दें, वरना फसल को नुकसान हो सकता है. फूल आने की स्थिति में सिंचाई नहीं करनी चाहिए.

खरपतवार पर नियंत्रण 

खरपतवार चने की खेती को 50 से 60 फीसदी तक नुकसान पहुंचाते?हैं इसलिए खरपतवार नियंत्रण जरूरी है.

खरपतवार नियंत्रण के लिए पैंडीमिथेलिन 30 ईसी को 3 लिटर प्रति हेक्टेयर की दर से 500 लिटर पानी में घोल कर बोआई के 48 घंटे के अंदर छिड़काव यंत्र द्वारा छिड़काव करना चाहिए. फसल में कम से कम 2 बार निराईगुड़ाई करें. पहली गुड़ाई फसल बोने के 35-40 दिन बाद और दूसरी गुड़ाई 50-60 दिनों बाद कर देनी चाहिए.

कीट नियंत्रण : चने की खेती में मुख्य रूप से फली?भेदक कीट का हमला ज्यादा होता है. देर से बोआई की जाने वाली फसलों में इस का प्रकोप अधिक होता है.

फली भेदक के नियंत्रण के लिए इंडोसकार्ब (2 मिलीलिटर प्रति लिटर पानी) या स्पाइनोसैड (0.4 मिलीलिटर प्रति लिटर पानी) या इमामेक्टीन बेंजोएट (0.4 मिलीलिटर प्रति लिटर पानी) का छिड़काव करें. एनपीवी उपलब्ध होने पर इस का 250 लार्वा समतुल्य 400 से 500 लिटर पानी में घोल कर 2-3 बार छिड़काव कर सकते?हैं. इसी तरह 5 फीसदी नीम की निबौली के सत का प्रयोग भी इस के नियंत्रण के लिए कारगर है.

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रोग नियंत्रण : चने की खेती में मुख्य रूप से उकटा और शुष्क मूल विगलन रोग होता है. फसल को इन से बचाने के लिए बोआई से पहले बीज को फफूंदीनाशक जैसे 1.0 ग्राम बीटावेक्स और 4 ग्राम ट्राइकोडर्मा प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें. जिन इलाकों में इन रोगों का अधिक प्रकोप हो, वहां पर उकटा और शुष्क मूल विगलन रोगरोधी किस्में बोएं.

इस के अलावा चने की फसल में कीट रोगों का भी प्रकोप होता है. इस का समयसमय पर खात्मा करना जरूरी है. चने की फसल में खासतौर से फली भेदक कीट का प्रकोप अधिक होता है जो शुरुआती दौर में पत्तियों को खाता है, बाद में फली बनने पर छेद बना कर उस में घुस जाता है और दानों को खोखला कर देता है.

इस के अलावा झुलसा रोग, उकटा रोग वगैरह फसल में आते?हैं जिन की समय से रोकथाम जरूरी?है और अपनी रोगग्रस्त फसल को कृषि विशेषज्ञ को दिखा कर कीट बीमारी पर काबू पाया जा सकता है.

पाले से बचाव : पाले से भी फसल को बहुत अधिक नुकसान होता है. पाला पड़ने की संभावना दिसंबर माह से जनवरी माह में अधिक होती है. पाले के प्रभाव से फसल को बचाने के लिए फसल में गंधक के तेजाब की 0.1 फीसदी मात्रा यानी एक लिटर गंधक के तेजाब को 1,000 लिटर पानी में घोल बना कर छिड़काव करना चाहिए. पाला पड़ने की संभावना होने पर खेत के चारों ओर धुआं करना भी लाभदायक रहता है.

फसल की कटाई और गहाई : चने की फसल की पत्तियां व फलियां पीली व भूरे रंग की हो जाएं और पत्तियां गिरने लगें और दाने सख्त हो जाएं तो फसल की कटाई कर लेनी चाहिए. काटी गई फसल जब अच्छी तरह सूख जाए, तो थ्रेशर द्वारा दाने को भूसे से अलग कर लेना चाहिए और पैदावार को सुखा कर भंडारित करना चाहिए.

काबुली चना की नई किस्म एसआर 10

हाल ही में काबुली चना की नई किस्म एसआर 10 विकसित की गई है. इस किस्म से 20-25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार मिल सकेगी. इस किस्म के 100 दानों का वजन तकरीबन 50 ग्राम से अधिक होगा. इस की बोआई नवंबर के पहले हफ्ते में कर सकते?हैं. यह फसल मार्च तक पक कर तैयार हो जाती है.

राजस्थान में विकसित चना किस्म एसआर 10 का कृषक पौध अधिकार प्राधिकरण, नई दिल्ली द्वारा पंजीकृत किया गया है.

हरा चना की किस्म आरएसजी 991

किस्म आरएसजी 991 रोग प्रतिरोधी होने के साथ प्रसंस्करण के लिए भी बेहतर है. राजस्थान के झुंझुनूं, टोंक और राज्य के अन्य जिलों में इस किस्म को उगा कर किसान बाजार से अच्छी आमदनी ले रहे?हैं.

कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि किसान मटर की तरह इस के हरे दानों को बेच सकते हैं. यह हरे चने की एक किस्म है. इस की कटाई के बाद हरे दानों का वैज्ञानिक विधि से भंडारण भी कर सकते?हैं. भंडारित उपज से समय के मुताबिक हरे छोले तैयार कर बाजार में बेच सकते?हैं. हरे छोले तैयार करने के लिए इन्हें रातभर पानी में भिगोना होता है और उस के बाद सुबह पानी निकाल कर इन को बाजार में बेचा जा सकता?है.

हरे चने की यह किस्म सिंचित और असिंचित दोनों ही इलाकों के लिए सही मानी गई है, जो 135 से 140 दिन में पक कर तैयार हो जाती है.

ऐसे बनाएं टेस्‍टी कश्‍मीरी साग

अगर आप कोई ऐसी डिश ढूंढ रहे हैं, जो झट से तैयार हो जाए तो आपको कश्‍मीरी साग जरुर ट्राई करनी चाहिये. कश्‍मीरी साग प्रेशर कुकर में सिर्फ एक सीटी में बनती है. इसके लिये आपको ना तो साग को काटने की जरुरत है और ना ही कोई स्‍पेशल मसाला तैयार करने की आवश्‍यकता.

आप कश्‍मीरी साग को प्‍लेन चपाती या राइस के साथ सर्व कर सकती हैं. इसके साथ आपको दाल भी बनाने की जरुरत नहीं है. तो अब देर किस बात का आइये देखते हैं कश्‍मीरी साग बनाने की रेसिपी.

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सामग्री

7 चम्‍मच सरसों का तेल

3 बड़ी इलायची

10 कश्‍मीरी साबुत मिर्च

25 साबुत लहसुन

250 ग्राम साबुत पालक

नमक, स्‍वादानुसार

बनाने की विधि

एक प्रेशर कुकर में तेल गरम करें, फिर उसमें बड़ी इलायची, कश्‍मीरी मिर्च, लहसुन और पालक तथा थोड़ा सा नमक और पानी मिला कर 1 या 2 सीटी आने तक पका लें.

आपका कश्‍मीरी साग तैयार है, इसे गरमा गरम चावल या रोटी के साथ सर्व करें.

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मां : भाग 2

‘‘मम्मीजी…’’ आवाज की तरफ नजर उठी तो दरवाजे पर खड़ी गुड्डी को देखते ही वह चौंक गईं. आज तो जैसे वह पहचान में ही नहीं आ रही है. 3 महीने में ही शरीर भर गया था, रंगरूप और निखर गया था. कानोें में लंबेलंबे चांदी के झुमके, शरीर पर काला चमकीला सूट, गले में बड़ी सी मोतियों की माला…होंठों पर गहरी लिपस्टिक लगाई थी. और किसी सस्ते परफ्यूम की महक भी वातावरण में फैल रही थी.

‘‘मम्मीजी, बच्चों को देखने आई हूं.’’

‘‘बच्चों को…’’ यह कहते हुए सुमनलता की त्योरियां चढ़ गईं, ‘‘मैं ने तुम से कहा तो था कि तुम अब बच्चों से कभी नहीं मिलोगी और तुम ने मान भी लिया था.’’

‘‘अरे, वाह…एक मां से आप यह कैसे कह सकती हैं कि वह बच्चों से नहीं मिले. मेरा हक है यह तो, बुलवाइए बच्चों को,’’ गुड्डी अकड़ कर बोली.

‘‘ठीक है, अधिकार है तो ले जाओ अपने बच्चों को. उन्हें यहां क्यों छोड़ गई थीं तुम,’’ सुमनलता को भी अब गुस्सा आ गया था.

‘‘हां, छोड़ रखा है क्योंकि आप का यह आश्रम है ही गरीब और निराश्रित बच्चों के लिए.’’

‘‘नहीं, यह तुम जैसों के बच्चों के लिए नहीं है, समझीं. अब या तो बच्चों को ले जाओ या वापस जाओ,’’ सुमनलता ने भन्ना कर कहा था.

‘‘अरे वाह, इतनी हेकड़ी, आप सीधे से मेरे बच्चों को दिखाइए, उन्हें देखे बिना मैं यहां से नहीं जाने वाली. चौकीदार, मेरे बच्चों को लाओ.’’

‘‘कहा न, बच्चे यहां नहीं आएंगे. चौकीदार, बाहर करो इसे,’’ सुमनलता का तेज स्वर सुन कर गुड्डी और भड़क गई.

‘‘अच्छा, तो आप मुझे धमकी दे रही हैं. देख लूंगी, अखबार में छपवा दूंगी कि आप ने मेरे बच्चे छीन लिए, क्या दादागीरी मचा रखी है, आश्रम बंद करा दूंगी.’’

चौकीदार ने गुड्डी को धमकाया और गेट के बाहर कर दिया.

सुमनलता का और खून खौल गया था. क्याक्या रूप बदल लेती हैं ये औरतें. उधर होहल्ला सुन कर जमुना भी आ गई थी.

‘‘मम्मीजी, आप को इस औरत को उसी दिन भगा देना था. आप ने इस के बच्चे रखे ही क्यों…अब कहीं अखबार में…’’

‘‘अरे, कुछ नहीं होगा, तुम लोग भी अपनाअपना काम करो.’’

सुमनलता ने जैसेतैसे बात खत्म की, पर उन का सिरदर्द शुरू हो गया था.

पिछली घटना को अभी महीना भर भी नहीं बीता होगा कि गुड्डी फिर आ गई. इस बार पहले की अपेक्षा कुछ शांत थी. चौकीदार से ही धीरे से पूछा था उस ने कि मम्मीजी के पास कौन है.

‘‘पापाजी आए हुए हैं,’’ चौकीदार ने दूर से ही सुबोध को देख कर कहा था.

गुड्डी कुछ देर तो चुप रही फिर कुछ अनुनय भरे स्वर में बोली, ‘‘चौकीदार, मुझे बच्चे देखने हैं.’’

‘‘कहा था कि तू मम्मीजी से बिना पूछे नहीं देख सकती बच्चे, फिर क्यों आ गई.’’

‘‘तुम मुझे मम्मीजी के पास ही ले चलो या जा कर उन से कह दो कि गुड्डी आई है…’’

कुछ सोच कर चौकीदार ने सुमनलता के पास जा कर धीरे से कहा, ‘‘मम्मीजी, गुड्डी फिर आ गई है. कह रही है कि बच्चे देखने हैं.’’

‘‘तुम ने उसे गेट के अंदर आने क्यों दिया…’’ सुमनलता ने तेज स्वर में कहा.

‘‘क्या हुआ? कौन है?’’ सुबोध भी चौंक  कर बोले.

‘‘अरे, एक पागल औरत है. पहले अपने बच्चे यहां छोड़ गई, अब कहती है कि बच्चों को दिखाओ मुझे.’’

‘‘तो दिखा दो, हर्ज क्या है…’’

‘‘नहीं…’’ सुमनलता ने दृढ़ स्वर में कहा फिर चौकीदार से बोलीं, ‘‘उसे बाहर कर दो.’’

सुबोध फिर चुप रह गए थे.

इधर, आश्रम में रहने वाली कुछ युवतियों के लिए एक सामाजिक संस्था कार्य कर रही थी, उसी के अधिकारी आए हुए थे. 3 युवतियों का विवाह संबंध तय हुआ और एक सादे समारोह में विवाह सम्पन्न भी हो गया.

सुमनलता को फिर किसी कार्य के सिलसिले में डेढ़ माह के लिए बाहर जाना पड़ गया था.

लौटीं तो उस दिन सुबोध ही उन्हें छोड़ने आश्रम तक आए हुए थे. अंदर आते ही चौकीदार ने खबर दी.

‘‘मम्मीजी, पिछले 3 दिनों से गुड्डी रोज यहां आ रही है कि बच्चे देखने हैं. आज तो अंदर घुस कर सुबह से ही धरना दिए बैठी है…कि बच्चे देख कर ही जाऊंगी.’’

‘‘अरे, तो तुम लोग हो किसलिए, आने क्यों दिया उसे अंदर,’’ सुमनलता की तेज आवाज सुन कर सुबोध भी पीछेपीछे आए.

बाहर बरामदे में गुड्डी बैठी थी. सुमनलता को देखते ही बोली, ‘‘मम्मीजी, मुझे अपने बच्चे देखने हैं.’’

उस की आवाज को अनसुना करते हुए सुमन तेजी से शिशुगृह में चली गई थीं.

रघु खिलौने से खेल रहा था, राधा एक किताब देख रही थी. सुमनलता ने दोनों बच्चों को दुलराया.

‘‘मम्मीजी, आज तो आप बच्चों को उसे दिखा ही दो,’’ कहते हुए जमुना और चौकीदार भी अंदर आ गए थे, ‘‘ताकि उस का भी मन शांत हो. हम ने उस से कह दिया था कि जब मम्मीजी आएं तब उन से प्रार्थना करना…’’

‘‘नहीं, बिलकुल नहीं, बाहर करो उसे,’’ सुमनलता बोलीं.

सहम कर चौकीदार बाहर चला गया और पीछेपीछे जमुना भी. बाहर से गुड्डी के रोने और चिल्लाने की आवाजें आ रही थीं. चौकीदार उसे डपट कर फाटक बंद करने में लगा था.

‘‘सुम्मी, बच्चों को दिखा दो न, दिखाने भर को ही तो कह रही है, फिर वह भी एक मां है और एक मां की ममता को तुम से अधिक कौन समझ सकता है…’’

सुबोध कुछ और कहते कि सुमनलता ने ही बात काट दी थी.

‘‘नहीं, उस औरत को बच्चे बिलकुल नहीं दिखाने हैं.’’

आज पहली बार सुबोध ने सुमनलता का इतना कड़ा रुख देखा था. फिर जब सुमनलता की भरी आंखें और उन्हें धीरे से रूमाल निकालते देखा तो सुबोध को और भी विस्मय हुआ.

‘‘अच्छा चलूं, मैं तो बस, तुम्हें छोड़ने ही आया था,’’ कहते हुए सुबोध चले गए.

सुमनलता उसी तरह कुछ देर सोच में डूबी रहीं फिर मुड़ीं और दूसरे कमरों का मुआयना करने चल दीं.

2 दिन बाद एक दंपती किसी बच्चे को गोद लेने आए थे. उन्हें शिशुगृह में घुमाया जा रहा था. सुमन दूसरे कमरे में एक बीमार महिला का हाल पूछ रही थीं.

तभी गुड्डी एकदम बदहवास सी बरामदे में आई. आज बाहर चौकीदार नहीं था और फाटक खुला था तो सीधी अंदर ही आ गई. जमुना को वहां खड़ा देख कर गिड़गिड़ाते स्वर में बोली थी, ‘‘बाई, मुझे बच्चे देखने हैं…’’

उस की हालत देख कर जमुना को भी कुछ दया आ गई. वह धीरे से बोली, ‘‘देख, अभी मम्मीजी अंदर हैं, तू उस खिड़की के पास खड़ी हो कर बाहर से ही अपने बच्चों को देख ले. बिटिया तो स्लेट पर कुछ लिख रही है और बेटा पालने में सो रहा है.’’

‘‘पर, वहां ये लोग कौन हैं जो मेरे बच्चे के पालने के पास आ कर खडे़ हो गए हैं और कुछ कह रहे हैं?’’

जमुना ने अंदर झांक कर कहा, ‘‘ये बच्चे को गोद लेने आए हैं. शायद तेरा बेटा पसंद आ गया है इन्हें तभी तो उसे उठा रही है वह महिला.’’

‘‘क्या?’’ गुड्डी तो जैसे चीख पड़ी थी, ‘‘मेरा बच्चा…नहीं मैं अपना बेटा किसी को नहीं दूंगी,’’ रोती हुई पागल सी वह जमुना को पीछे धकेलती सीधे अंदर कमरे में घुस गई थी.

सभी अवाक् थे. होहल्ला सुन कर सुमनलता भी उधर आ गईं कि हुआ क्या है.

उधर गुड्डी जोरजोर से चिल्ला रही थी कि यह मेरा बेटा है…मैं इसे किसी को नहीं दूंगी.

झपट कर गुड्डी ने बच्चे को पालने से उठा लिया था. बच्चा रो रहा था. बच्ची भी पास सहमी सी खड़ी थी. गुड्डी ने उसे भी और पास खींच लिया.

‘‘मेरे बच्चे कहीं नहीं जाएंगे. मैं पालूंगी इन्हें…मैं…मैं मां हूं इन की.’’

‘‘मम्मीजी…’’ सुमनलता को देख कर जमुना डर गई.

‘‘कोई बात नहीं, बच्चे दे दो इसे,’’ सुमनलता ने धीरे से कहा था और उन की आंखें नम हो आई थीं, गला भी कुछ भर्रा गया था.

जमुना चकित थी, एक मां ने शायद आज एक दूसरी मां की सोई हुई ममता को जगा दिया था.

फिट रहने के लिए रोटी चाहिए साहब

हौकी के जादूगर ध्यानचंद के जन्मदिन यानी 29 अगस्त खेल दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फिटनैस को मुहिम की शक्ल दी तो इस से आगे का काम केंद्रीय खेलमंत्री किरण रिजिजू ने संभाल लिया. 2 अक्तूबर को किरण रिजिजू अपने दलबल के साथ सुबह दिल्ली के इंदिरा गांधी स्टेडियम में फिट इंडिया की टीशर्ट पहन कर लोगों को फिट रहने के गुर सिखा रहे थे. इस में भारी संख्या में युवकयुवतियां, डाक्टर, बच्चे और जवान पेरैंट्स मौजूद थे. वे पढ़ेलिखे ठीकठाक कमाने वाले लोग थे. खैर, यह अच्छी बात है कि इन्हें फिटनैस की चिंता है. पर एक वर्ग ऐसा भी है जिसे फिट रहने के लिए रोटी की चिंता है.

किरण रिजिजू ने 2 अक्तूबर गांधी जयंती पर दिल्ली से कई घोषणाएं भी कर डालीं जिन का सिलसिला प्रधानमंत्री की मंशा के मुताबिक साल 2023 तक चलने की पूरी उम्मीद है. किरण रिजिजू ने देश के उद्योगपतियों से भी इस मुहिम में शामिल होने की अपील की. बाकी कई सैलिब्रिटीज तो बिना किसी अपील के ही देश को फिट करने और रखने के इस अभियान से बिना किसी आमंत्रण के ही जुड़ गए हैं.

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इस में कोई शक नहीं कि फिटनैस को ले कर जागरूकता बेहद जरूरी है क्योंकि फिट लोग ही देश को आगे ले जा सकते हैं और स्वस्थ और फिट रहें तो खुद भी आगे बढ़ सकते हैं लेकिन जिस तरह इस मुहिम को परवान चढ़ाया जा रहा है उस से कई सवाल भी उठ खड़े हो रहे हैं जिन पर फिटनैस के कर्ताधर्ताओं और मीडिया का कोई ध्यान ही नहीं जा रहा है कि आखिर यह है किस के लिए?

बेशक यह मुहिम उन लोगों के लिए है जिन के पेट भरे हुए हैं और भूख जिन के लिए समस्या नहीं है. फिटनैस की चर्चा के पहले हमें विनम्रतापूर्वक यह स्वीकार करने की हिम्मत दिखानी चाहिए कि हमारा देश एक गरीब और भूखा देश है जिस में रोज लगभग 19 करोड़ लोग भूखे पेट सोते हैं.

साल 2019 के ग्लोबल हंगर इंडैक्स यानी जीएचआई की रिपोर्ट को देखें तो भारत 117 देशों की सूची में 102वें स्थान पर है जबकि 5 वर्ष पूर्व वह 105वें स्थान पर था. यह गंभीर बात है. भूखों के लिए खेलो इंडिया या फिट इंडिया का कोई महत्व नहीं है. इन्हें तो पेट भरने के लिए रोटी चाहिए, जिसे नजरअंदाज करना बड़ी ज्यादती होगी.

आइए फिटनैस का राग अलापने से पहले कुछ ऐसी खबरों पर भी एक नजर डाल लें जो इस हकीकत को बयां करती हुई हैं कि हमें फिट रहने के लिए पहले रोटी चाहिए जिस से शरीर संचालित होता है और मस्तिष्क सक्रिय रहता है.

इसी साल मई के महीने में कर्नाटक के चिक्काबल्लापुर जिले में एक बच्ची की मिट्टी खाने से मौत हो गई थी. वेन्नेला नाम की इस बच्ची के मांबाप नागमनी और महेश रोज मजदूरी की तलाश में घर यानी  झुग्गी से निकल जाते थे और शाम को वापस लौटते थे. चूंकि उन के यहां खाने को अनाज का दाना भी नहीं होता था इसलिए भूख से बिलबिलाती वेन्नेला मिट्टी खा कर पेट भर लेती थी जिस के चलते उस की मौत हो गई. इस के 6 महीने पहले ही उस के भाई संतोष की मौत भी इसी तरह यानी कुपोषण से हुई थी.

बीते साल जुलाई में ऐसी ही दिल दहला देने वाली घटना देश की राजधानी दिल्ली में हुई थी. पूर्वी दिल्ली के मंडावली इलाके की 3 बच्चियों मानसी, शिखा और पारुल जिन की उम्र 8, 4 और 2 साल थी, की पोस्टमार्टम रिपोर्ट नवंबर में उजागर हुई थी जिस में उन के भूख से ही मरने की पुष्टि अधिकृत तौर पर हुई थी. इस शर्मनाक हादसे पर खूब हल्ला मचा था. वजह कोई और भी हो सकती है. बिसरा रिपोर्ट के मुताबिक इन तीनों के पेट में अन्न का एक दाना भी नहीं था और मौत की चिकित्सीय वजह कुपोषण और भूख ही थी. इन का पिता मंगल हल्ला मचने पर गायब हो गया था.

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उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले में सितंबर 2018 में एक महिला और उस के 2 बच्चों की मौत भूख से हुई थी. इस पर भी हल्ला मचा तो पता चला कि इस जिले में भूख से मौतें आम बात हैं. यह और बात है कि सरकार सच छिपा जाती है कि मौतें भूख से नहीं बल्कि टीबी की बीमारी से हुई हैं. मुसहर जाति बाहुल्य इस इलाके के लोगों ने मीडिया के सामने सच उधेड़ कर रख दिया था कि भूख नाम की यह बीमारी और इस से मौतें आएदिन होती रहती हैं.

इन चर्चित थोड़े पुराने मामलों का जिक्र बेहद जरूरी था. अब नए हालिया समाचारों पर गौर करें तो 1 अक्तूबर को जब किरण रिजिजू फिटनैस पर व्याख्यान दे रहे थे तब मध्य प्रदेश के बडबानी जिले में 8 साल का एक बच्चा भूख से दम तोड़ रहा था. इस बच्चे के मांबाप भी दिहाड़ी मजदूर थे और जिस दिन काम नहीं मिलता था उस दिन उन्हें भूखे ही सोना पड़ता था.

9 अक्तूबर को गुमला जिले में एक 75 वर्षीया वृद्धा ने मौत से दम तोड़ दिया. हल्ला मचा तो अधिकारी उस के घर पहुंचे और पाया कि सोमरी नाम की इस बुजुर्ग के यहां अनाज नहीं था.

भूख से मौतों की खबरें हर कभी हर कहीं से आती रहती हैं लेकिन जो नहीं आ पातीं उन की संख्या का तो अंदाजा ही नहीं लगाया जा सकता क्योंकि प्रशासन का काम भूखों को रोटी मुहैया कराने का नहीं बल्कि भूख से हुई मौतों को ढकने का ज्यादा रहता है जिस से सरकार की बदनामी न हो.

अब सरकार फिटनैस के जरिए नाम कमा रही है कि देखो हमें लोगों की फिटनैस की कितनी चिंता है. सरकार फिटनैस की चिंता करे, कोई हर्ज नहीं लेकिन सरकार भूख से मरने वालों की चिंता न करे यह चिंता के साथसाथ एतराज की भी बात है क्योंकि आखिरकार फिट वही रहेगा जिस के पेट में रोटी होगी, और न होगी तो फिट इंडिया एक ड्रामा ही कहा जाएगा.

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परिणीति चोपड़ा ने क्यों छोड़ी अजय देवगन की ये फिल्म

बौलीवुड एक्ट्रेस परिणीति चोपड़ा बैडमिंटन प्लेयर साइना नेहवाल की बायोपिक फिल्म शूट करने  की तैयारियों में लगी हुई हैं. जी हां, साइना की बायोपिक परिणीति चोपड़ा करने वाली है. वैसे उनके पास कई  फिल्में हैं. आपको बता दें कि परिणीति साइना की बायोपिक का शूटिंग खत्म करने के बाद वे “द गर्ल औन द ट्रेन” के रीमेक में काम करेंगी.

इसी बीच खबर आई है  कि परिणीति चोपड़ा ने अजय देवगन स्टारर फिल्म “भुज: द प्राइड औफ इंडिया” को मना कर दिया है. वैसे  इसके पहले परिणीति इस फिल्म में काम करने के लिए काफी एक्साइटेड थीं. खबर के मुताबिक दूसरे प्रोजेक्ट्स की वजह से परिणीति इस फिल्म के लिए समय नहीं निकाल पा रही हैं. इस कारण से परिणीति ने इस फिल्म को छोड़ना बेहतर समझा.

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आपको बता दें  कि “भुज” में अजय देवगन के साथ संजय दत्त, सोनाक्षी सिन्हा अहम किरदार में नजर आने वाले हैं. यह फिल्म 1971 में हुए इंडो-पाक वार पर आधारित होगी.

परिणीति चोपड़ा की वर्क फ्रंट की बात करे तो हाल ही में  वो सिद्धार्थ मल्होत्रा संग ‘जबरिया जोड़ी’ में नजर आई थीं. ये फिल्म बुरी तरह फ्लौप हुई थी. परिणीति चोपड़ा ने साइना नेहवाल की बायोपिक के लिए काफी तैयारियां की हैं. बता दें कि परिणीति करीब चार महीने तक बैडमिंटन ट्रेनिंग ली. वो गेम की भी प्रेक्टिस कर रही हैं.

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सर्दियों के मौसम में हरा चना खाने के ये हैं 3 फायदे

सर्दी के मौसम में सब्जियों के विकल्प अधिक हो जाते हैं. खाने पीने का लुत्फ उठाने के लिए सर्दी सबसे अच्छा मौसम होता है. इसके अलावा इन सब्जियों को हम कई तरह से इस्तेमाल भी कर सकते हैं. खासतौर पर सर्दियों में मिलने वाली सब्जियों में  ब्रोकली, हरा चना, पालक, मटर, मेथी, बथुआ, गाजर, चुकंदर, गंजी जैसी चीजों में कैलोरी भी कम होती है और स्वाद में भी मजेदार होता हैं.

हरा चना सर्दी की डाइट में शामिल करने के लिए काफी हेल्दी फूड है. अगर अभी तक आपने हरे चने को अपने खाने में शामिल नहीं किया है तो जरूर ट्राई कीजिए. हरे चने को कच्चा भी खाया जा सकता है और इसकी सब्जी भी बनायी जा सकती है. इस खबर में हम आपको हरे चने से होने वाले फायदों के बारे में बताएंगे.

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खूब मिलता है प्रोटीन

मटर की ही तरह हरा चना भी प्रोटीन से भरपूर होता है. मांसपेशियों के लिए ये बेहद लाभकारी होता है.

विटामिन का भी प्रमुख स्रोत

हरे चने में विटामिन ए और विटामिन सी प्रचुर मात्रा में होता है जो सर्दियों के लिहाज से बेहद जरूरी है. इनमें एंटीऔक्सिडेंट गुण मौजूद होते हैं जिससे आपकी इम्युनिटी सिस्टम और स्किन दोनों ही सही रहती है.

फोलेट से भरपूर

हरा चना फोलेट का प्रमुख स्रोत होता है. ये तत्व हमारे दिमाग के लिए काफी अहम होता है. तनाव के मरीजों के लिए ये बेहद महत्वपूर्ण तत्व होता है.

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