दलहनी फसलों में चने की खेती अपना खास स्थान रखती है. भारत दुनिया का सब से ज्यादा चना पैदा करने वाला देश है. चने की तकरीबन 70-75 फीसदी पैदावार हमारे देश में होती है. उत्तर से मध्य व दक्षिण भारत के राज्यों में चना रबी फसल के रूप में उगाया जाता है. चना उत्पादन की नई उन्नत तकनीक व उन्नतशील किस्मों का इस्तेमाल कर किसान चने का उत्पादन और भी बढ़ा सकते हैं.

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, अखिल भारतीय समन्वित चना अनुसंधान परियोजना ने हाल ही में बिरसा कृषि विश्वविद्यालय, रांची (झारखंड) में आयोजित अपने 24वें वार्षिक बैठक में जीनोमिक्स की मदद से विकसित चना की 2 बेहतर किस्मों ‘पूसा चिकपी -10216’ और ‘सुपर एनेगरी 1’ को जारी किया है, जो चने की दूसरी किस्मों से कहीं बेहतर है.

पूसा  चिकपी 10216

* चना की यह एक खास किस्म है. इसे डाक्टर भारद्वाज चेल्लापिला, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली के नेतृत्व में चिकपी ब्रीडिंग ऐंड मोलेकुलर ब्रीडिंग टीम द्वारा डाक्टर वार्ष्णेय के. राजीव, इक्रिसैट के नेतृत्व वाली जीनोमिक्स टीम के सहयोग से विकसित किया गया है.

* इस किस्म को आणविक मार्करों की मदद से ‘पूसा 372’ की आनुवांशिक पृष्ठभूमि में आनुवांशिक ‘क्यूटीएल हौटस्पौट’ के बाद विकसित किया गया है.

* ‘पूसा 372’ देश के मध्य क्षेत्र, उत्तरपूर्व मैदानी इलाकों और उत्तरपश्चिम मैदानी इलाकों में उगाई जाने वाली चना की एक खास किस्म?है. इस का इस्तेमाल लंबे समय यानी देर से बोई जाने वाली स्थितियों के लिए राष्ट्रीय परीक्षणों में मापक (नियंत्रण किस्म) के रूप में किया जाता रहा?है. इस किस्म का विकास साल 1993 में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली द्वारा तैयार किया गया था. हालांकि इस का उत्पादन कम हो गया था.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...