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तनाव : समस्या और समाधान

भागम भाग के इस दौर में आज हर कोई तनाव से ग्रस्त है, बहुत कम लोग ही है. जिन्होंने तनाव का सामना नहीं किया है. बड़े की तो बात छोड़िये आज के इस दौर में छोटे-छोटे बच्चे भी तनावग्रस्त रहने लगे है. तनाव एक ऐसी समस्या है जो व्यक्ति को अंदर ही अंदर खोखला बना देता है. जब इसकी अति हो जाती है तो यह एक गंभीर रोग बन जाता है. तनाव से  हर कोई स्त है. कुछ लोग तनाव को बेवजह पालते हैं तो कुछ लोग व्यर्थ की चिंताओं में ग्रस्त होकर अपने वर्तमान और भविष्य को नष्ट करते हैं. इसके साथ ही तनाव अनेक रोगों और समस्याओं को जन्म देता है, जिसमें भूख न लगना, काम में मन न लगना, चिढ़चिढ़ापन, क्रोध, कब्ज आदि प्रमुख हैं.

तनाव से होने वाली हानियां

*तनाव के कारण शरीर असंतुलित हो जाता है, जिसके कारण बदहजमी और पेट दर्द की समस्या उत्पन्न हो जाती है.

*मानसिक तनाव के कारण चेहरे की मांसपेशियों पर अनावश्यक दबाव पड़ता है, जिसके कारण त्वचा में झुर्रियों की समस्या उत्पन्न हो जाती है.

*तनाव रक्तचाप को बढ़ाता है जो हृदय रोग का कारण बनता है.

*तनावग्रस्त होने पर व्यक्ति को नींद न आने की समस्या हो जाती है, जो उसके स्वास्थ्य को हानि पहुंचाती है.

*तनाव सिरदर्द की समस्या को उत्पन्न करता है.

*तनाव व्यक्ति की भूख को समाप्त कर देता है, जिसके कारण व्यक्ति का स्वास्थ्य बिगड़ने लगता है.

*तनाव मुंहासों की समस्या को उत्पन्न करने में भूमिका निभाता है.

*अत्यधिक तनाव आयु को कम करता है.

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तनाव कम करने के उपाय

*योग करना तनाव को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

*अपने अंदर छुपी रूचि को विकसित करने का प्रयास करें.

*कभी भी किसी विषय पर अत्यधिक गंभीर न हों.

*नींद न आना या फिर कम सोना भी तनाव का महत्वपूर्ण कारण है, इसलिए भरपूर नींद लें, नींद न आती हो तो सोने से पूर्व अच्छी पुस्तक का अध्ययन करें.

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*नियमित सैर व एक्सरसाइज की आदत डालें.

*आदतों में बदलाव लाने का प्रयास करें, कभी-कभी हमारी गलत आदतें और स्वयं हमारा व्यवहार भी हमें तनावग्रस्त करता है.

*स्वयं को काम में व्यस्त रखें. व्यर्थ बातों को सोचकर तनावग्रस्त न हों.

*प्रात: जल्दी उठकर ताजी हवा में सांस लें.

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एग्जाम टाइम बच्चों का रखें खास खयाल

इम्तिहान का समय बच्चों और उन के घर वालों दोनों के लिए तनाव का होता है. बच्चों के घर वाले सोचते हैं कि परीक्षा के वक्त उन्हें खाने में क्या दिया जाए, जिस से उन की ऊर्जा बनी रहे और तबीयत भी ठीक रहे. कुछ बच्चे ऐसे होते हैं जो परीक्षा के समय बहुत ज्यादा तनाव महसूस करते हैं और उस की वजह से उन्हें भूख नहीं लगती. ऐसे बच्चे ठीक से खाना नहीं खाते. जाहिर है कि उस का बुरा असर उन की तबीयत पर पड़ता है. कुछ बच्चों को पढ़ाई करते वक्त खाने के लिए कुछ न कुछ चाहिए होता है.

इन दोनों परिस्थितियों में बच्चों का वजन या तो जरूरत से ज्यादा बढ़ जाता है या फिर जरूरत से ज्यादा कम हो जाता है.

ऐसा न हो, इस के लिए मातापिता की यह जिम्मेदारी होती है कि वे बच्चों के खाने की ओर ठीक से ध्यान दें, जिस से वे परीक्षा समाप्त होने तक चुस्त और तंदुरुस्त रहें.

इस के लिए कुछ आसान बातें हैं, जो हमें याद रखनी हैं,  ताकि बच्चे के इम्तिहान का समय आसानी से गुजर जाए:

बच्चों को ऐसे व्यंजन परोसें जो पौष्टिक हों और स्वादिष्ठ भी. खाने में अंडे, दूध, दही का होना जरूरी है, जिस से उन की प्रोटीन की जरूरत पूरी हो सके.

खाने में सलाद का होना बहुत जरूरी है, जिस से बच्चों का पेट साफ रह सके. इस से परीक्षा के दौरान बच्चों को हाजमे की शिकायत नहीं होगी. वजन को काबू में रखने में भी सलाद का बहुत बड़ा योगदान होता है, क्योंकि उस में बहुत ज्यादा मात्रा में फाइबर रहते हैं. ताजा सलाद खाने से कम कैलोरी पेट में जाती है और पेटभर खाने का सुख भी मिलता है. गाजर, मूली, खीरा, प्याज, टमाटर, पत्तागोभी जैसी सब्जियों के सेवन से अलगअलग विटामिंस की कमी भी पूरी हो सकती है.

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खाने में कार्बोहाइड्रेट की सही मात्रा होनी भी जरूरी है, क्योंकि परीक्षा के समय दिमाग को थकान महसूस होती है. इसलिए गेहूं के आटे की चपाती, परांठे वगैरह का खाने में जरूर इस्तेमाल करें, जिस से बच्चों को कार्बोहाइडे्रट के साथसाथ प्रोटीन भी मिले. लेकिन ध्यान रहे कि कार्बोहाइड्रेट की मात्रा इतनी भी ज्यादा न हो कि बैठेबैठे बच्चों का वजन बढ़े.

खाने में सीजनल फलों का होना भी जरूरी है. लंच और डिनर के बीच में अगर बच्चों को भूख लगती है, तो फल एक अच्छा विकल्प है. इस से पेट भी भरता है और अच्छी मात्रा में फाइबर भी मिलते हैं. फलों का जूस देने से अच्छा है कि बच्चों को साबुत फल ही काट कर खाने को दें.

परीक्षार्थी बच्चों को समय पर खाना भी देना बहुत जरूरी है ताकि समयसमय पर उन्हें भूख न लगे और वे पढ़ाई में अपना मन लगा सकें. भूख लगने से बच्चों का मन विचलित हो सकता है और पढ़ाई से उन का ध्यान हट सकता है.

बच्चों से कहें कि परीक्षा के दिनों में रातभर जाग कर पढ़ाई करने से अच्छा है कि वे दिन के वक्त पढ़ाई करें. अगर नींद पूरी नहीं हुई तो बच्चे थकान महसूस करते हैं. यह भी हो सकता है कि परीक्षा देते वक्त उन्हें नींद आ जाए. फिर भी रात में अगर बच्चे पढ़ना चाहें, तो उस वक्त फल खा सकते हैं या दूध पी सकते हैं.

परीक्षा के समय बच्चे खेलने या व्यायाम करने में समय व्यतीत नहीं करना चाहते. लेकिन थोड़ी मेहनत भी तो जरूरी होती है, इसलिए बच्चों से कहें कि वे किताब हाथ में ले कर पढ़तेपढ़ते घर में ही टहल सकते हैं. रात के समय नींद को दूर भगाने के लिए भी यह तरकीब काम आ सकती है. अगर समय हो तो 5-10 मिनट के लिए बच्चे खुली हवा में घूम आएं. ऐसा करने से हो सकता है कि वे पढ़ाई और भी अच्छी तरह से कर सकें.

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आजकल छोटेछोटे बच्चों को भी बहुत ज्यादा स्ट्रैस रहता है. ऐसे में बच्चों के मन की एकाग्रता के लिए कुछ ऐक्सरसाइज करवाएं, ताकि उन की परीक्षा का स्ट्रैस दूर हो सके.

ज्यादा खट्टे, ज्यादा तले हुए खाने से भी बच्चों को दूर ही रखें ताकि खांसी, गले में खिचखिच, सिरदर्द जैसी बीमारियां आसपास भी न फटकें. ज्यादा ठंडी चीजों, जैसे कोल्डड्रिंक व आइसक्रीम वगैरह से भी उन्हें दूर रखें, क्योंकि इन से सर्दीखांसी हो सकती है.

  डा. किरण 

शुभारंभ: क्या उत्सव की एक गलती बन जाएगी राजा-रानी के बीच गलतफहमी का कारण?

कलर्स के शो, ‘शुभारंभ’ में राजा और रानी का प्यार धीरे-धीरे बढ़ रहा है. दोनों एक-दूसरे के साथ प्यारे पल बिता रहे हैं, लेकिन कीर्तिदा को राजा-रानी का करीब आना खल रहा है. कीर्तिदा, रानी को राजा से दूर करने के लिए अब नई चाल चलने वाली है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे.

राजा के लिए स्वैटर बुनती है रानी 

अब तक आपने देखा कि रानी तिजोरी की चाबियाँ खोने की गलती से परेशान होती है, जिसे देखकर राजा उसे शांत होने को कहता है और उसका हर कदम पर साथ देने का वादा करता है. बाद में, हनीमून की पैकिंग करते समय राजा अपने पुराने कपड़ों को लेकर थोड़ा बुरा महसूस करता है, जिसे देखकर रानी, राजा के लिए एक स्वैटर बुनती है.

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उत्सव को धमकी देती है आशा

दूसरी तरफ आशा, उत्सव को फोन करके कहती है कि अगर वह अपनी बहन, रानी को खुश देखना चाहता है तो उसे पैसे दे दे, जिसके बाद उत्सव डर जाता है. उत्सव रानी के घर हनीमून ट्रिप के लिए स्नैक्स देने के लिए जाता है और वहाँ पहुँचकर तिजोरी से पैसे चोरी करने के लिएरेशमिया निवासकी बिजली काट देता है.

कीर्तिदा और झरना चलतीं हैं चाल

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उत्सव के तिजोरी से पैसे चोरी करने की बात कीर्तिदा और झरना जान जातीं हैं. इसके बावजूद वह किसी को कुछ नही बतातीं ताकि बाद में राजा और रानी के बीच में गलतफहमी पैदा कर सकें. वहीं कीर्तिदा की इस नई चाल से अनजान उत्सव तिजोरी से पैसे और ज्वैलरी चोरी करके घर से बाहर निकल जाता है.

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रेशमिया परिवार को पता लगेगी चोरी की बात

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आज के एपिसोड में आप देखेंगे कि रेशमिया परिवार खाली तिजोरी को देखकर हैरान हो जाएगा. वहीं पूरे परिवार के सामने ये बात निकल के आएगी की चोरी रानी के भाई, उत्सव ने की है. क्या अपने भाई के किये की बेइज्जती झेल पाएगी रानी? क्या उत्सव के इस कदम से आ जाएगी राजा-रानी के रिश्ते में दूरियाँ? जानने के लिए देखते रहिए शुभारंभ, सोमवार से शुक्रवार रात 9 बजे, सिर्फ कलर्स पर.

विद्या बालन बनेंगी ह्यूमन कंप्यूटर  

ह्यूमन कंप्यूटर मानी जाने वाली लेखिका शकुंतला देवी 1929 में बेंगुलरु, मैसूर में तब जन्मी थीं, जब भारत में अंगरेजों का राज था. उन्होंने शिक्षाध्ययन के समय ही लोगों को जता दिया था कि उन का दिमाग कंप्यूटर से भी तेज है. बाद में लोग उन्हें ह्यूमन कंप्यूटर कहने लगे थे. हालांकि इस के बावजूद उन की जिंदगी में परेशानियों की कमी नहीं रही.

21 अप्रैल, 2013 को बेंगलुरु के एक अस्पताल में शकुंतला देवी की मृत्यु हो गई थी. अब विक्रम मल्होत्रा शकुंतला देवी की बायोग्राफी पर फिल्म बनाने जा रहे हैं. इस फिल्म में शकुंतला देवी की भूमिका में विद्या बालन होंगी और उन की बेटी अनुपमा बनर्जी के रोल में सान्या मल्होत्रा.

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इस फिल्म की खास बात यह है कि फिल्म की स्टोरी, स्क्रीनप्ले, डायलौग राइटर से ले कर डायरेक्शन तक सारे काम महिलाएं कर रही हैं. मसलन फिल्म का निर्देशन अनु मेनन कर रही हैं तो स्क्रीनप्ले नयनिका महतानी ने लिखा है.

डायलौग राइटर भी इशिता मोइत्रा हैं. संभवत: यह ऐसी पहली हिंदी फिल्म है, जिस में निर्देशन से ले कर राइटिंग और मेन लीड तक में महिलाएं हैं. यह फिल्म इसी साल रिलीज होगी. तो इंतजार कीजिए एक बेहतरीन अदाकारा विद्या बालन की फिल्म का.

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बिग बौस 13 : आखिर क्यों फैमिली टास्क के दौरान के घर में एंट्री नहीं लेंगी रश्मि देसाई की मां

कलर्स टीवी का विवादित शो “बिग बौस 13’’ में आए दिन जबरदस्त मोड़ आ रहे है, जिससे इस शो के दर्शकों का काफी इंटरटेन होता है. आपको बता दें, हाल ही में सलमान खान ने वीकेंड का वार पर सभी कंटेस्टेंट्स की जमकर क्लास भी लगाई है. जी हां, इसी बीच सुनने में आ रहा है कि जल्द ही कंट्स्टेंट्स को फैमिली टास्क मिलने वाला है. यानी कि कंट्स्टेंट्स के घरवाले उनसे मिलने आएंगे

खबरों के अनुसार सिद्धार्थ शुक्ला की मां इस टास्क के दौरान घर के अंदर आएंगी तो वहीं आरती सिंह के भाई और मशहूर कौमेडियन कृष्षा अभिषेक की एंट्री होगी. तो उधर इसी बीच ये खबर आ रही है कि रश्मि देसाई की मां इस शो में नहीं आएंगी.

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जी हां खबरों की माने तो रश्मि देसाई की मां और उनके बीच थोड़ी सी कड़वाहट है, जिसके चलते ही रश्मि घरवालों से अलग रहती हैं. यही कारण है कि रश्मि की मां इस शो में उनके लिए नहीं आएंगी.

एक रिपोर्ट के अनुसार में रश्मि की मां ने खुलासा किया था कि सिद्धार्थ शुक्ला जिस तरह से उनकी बेटी के साथ पेश आते है, वह उन्हें बिल्कुल भी नहीं पसंद है.

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अब ऐसे में मेकर्स टीआरपी के लिए रश्मि की मां को शो में लाने के लिए जरूर कोशिश करेंगे. घर के अंदर हाल ही में रश्मि के भाई ने भी एंट्री मारी थी. एक टास्क के दौरान आकर रश्मि के भाई ने उन्हें अरहान से दूर रहने की सलाह दी थी.

छोटी सरदारनी: क्या परम की बीमारी की सच्चाई मेहर से छिपा पाएगा सरब?

कलर्स के शो, ‘छोटी सरदारनी’ में सरब, परम की बीमारी के बारे में सुनकर हैरान है. लेकिन वह मेहर से अपना दर्द छिपा रहा है ताकि मेहर के आने वाले बच्चे की जिंदगी को किसी तरह का नुकसान ना हो. पर क्या मेहर समय रहते परम की बीमारी के बारे में पता लगा पाएगी. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

झूठी रिपोर्ट देता है सरब

अब तक आपने देखा कि सरब, परम के ट्यूमर की रिपोर्ट की जगह मेहर को झूठी रिपोर्ट देता है ताकि वह किसी तरह का तनाव ना ले, लेकिन हरलीन और डौली, मेहर को परम की फ्रिक करने का झूठा नाटक बताते हैं, जिसे सुनकर सरब को गुस्सा आ जाता है. सरब, हरलीन और डौली को अलग ले जाकर परम के ट्यूमर का सच बताता है और कहता है कि इस बारे में मेहर को पता नही लगना चाहिए.

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डौक्टर से मिलेगा सरब

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आज आप देखेंगे कि मेहर, सरब को कहीं जाते हुए देखेगी, जबकि सरब कहेगा कि वह औफिस में है. दूसरी तरफ, सरब होटल जाकर परम की डौक्टर संजना से मिलेगा और कहेगा कि जितने भी पैसे चाहिए वो दे देगा, लेकिन ये बात किसी को पता नही लगनी चाहिए. मेहर सरब की ये बातें सुनकर हैरान हो जाएगी. साथ ही मेहर को इस बात का यकीन हो जाएगा कि सरब कोई न कोई बात छिपा रहा है.

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अब देखना ये है कि क्या सरब, परम की बीमारी का सच मेहर से छिपाने में कामयाब हो पाएगा? जानने के लिए देखते रहिए ‘छोटी सरदारनी’, सोमवार से शनिवार, रात 7:30 बजे, सिर्फ कलर्स पर.

शादी में ज्यादा खर्च से बचना है तो अपनाएं ये 5 तरीके

अक्सर शादी ब्याह में लोगों के ज्यादा पैसे खर्च हो जाते हैं. जितना इंसान सोचता है उससे कुछ ज्यादा ही खर्च हो जाते हैं. कई बार ज्यादा खर्च हो जाने की वजह से उसे उधार लेना पड़ता है. एक तो वैसे ही शादी का खर्च ऊपर सें उधार होने पर अलग ही टेंशन हो जाती हैतो कुछ ऐसे तरीके हैं जिन्हें अपनाकर आप फालतू के खर्चों से बच सकते हैं और आपके ऊपर ना ही उधार होगा और ना ही कोई टेंशन..

  1. कपड़ों और ज्वेलरी पर खर्च

सबसे पहले तो आप कपड़ों पर होने वाले खर्च से बच सकते हैं. यहां पर बात दुल्हन के कपड़ों की हो रही है. हर कोई चाहता है कि वो सुंदर दिखे अपनी शादी में ऐसे में वो डिजाइनर लहंगा बनवाती हैं और जिसका इस्तेमाल एक बार ही होता है सिर्फ शादी पर उसके बाद कभी नहीं…तो उसके पैसे वेस्ट ही लगते हैं ऐसे में आप दुल्हन के सुंदर से सुंदर जोड़े को रेंट पर यानी कि किराए पर ले सकती हैं इससे आपके पैसे भी बचेंगे और आपको सोचना भी नहीं पड़ेगा कि इस कपड़े का शादी के बाद करेंगे क्या ? साथ ही आप ज्वेलरी भी किराए पर ही लें सकती हैं क्योंकि लहंगे के साथ उसका सेट भी आपको साथ में ही मिल जाएगा इस तरह से आप कई हजार रुपये बचा सकती हैं जिनका इस्तेमाल दूसरे कामों में हो सकता है.साथ ही जब मार्केट में कुछ ऑफर चल रहा हो तभी शॉपिंग करें शादी की इससे भी काफी हद तक पैसे बचेंगे आपके.

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2. आपकी खुद की मेकअप किट हो

दुल्हन अक्सर तैयार होने के लिए पार्लर जाती है जहां पर पार्लर वाली अपना मेकअप किट इस्तेमाल करती है दुल्हन को तैयार करने में और फिर मनचाहा पैसा वसूलती है कि हमने ये किया वो किया करके तो यदि आपकी अपनी खुद की मेकअप किट होगी तो पार्लर वाली आपसे ज्यादा पैसा नहीं लेगी और आप रेडी भी हो जाएंगी वैसे तो कोशिश करें कि यदि आपकी कोई दोस्त जो अच्छा मेकअप करती हो तो और भी अच्छा होता है वो आपको तैयार कर देगी और यदि नहीं तो आपकी खुद की मेकअप किट इस्तेमाल करें इससे आप काफी हद तक पैसा बचा सकती हैं.

3. स्पेशल और कम आइटम ही रखें

कई बार लड़की वालें खाने में ज्यादा आइटम रखने के चक्कर में पैसे बर्बाद कर देते हैं और लोगों को पसंद भी नहीं आते तो कोशिश ये करनी चाहिए कि वही आइटम रखें जो लोग खा सकें और साथ ही उन्हें पसंद भी आए.ऐसे भी आप काफी हद तक पैसे की बचत कर सकते हैं.

4. बजट बनाने के बाद भी एक अलग बजट होना चाहिए

आपका शादी के लिए जितना बजट है उसी बजट में कुछ पैसे अलग से रखें औऱ उसके बाद खर्च करना शुरू करें इससे आपको फायदा ये होगा कि उतने ही बजट में आपका काम हो जाएगा साथ यदि पैसा ज्याद लगता है तो आपके बचाए हुए पैसे ही जाएंगे यानी कि आपको उधार नहीं लेना पड़ेगा.

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5. मैरिज हौल पहले से बुक करके रखें

यदि आप मैरिज हौल बुक कर रहें हैं शादी नजदीक आने का वेट मत करें बल्कि जब कुछ औफर चल रहा हो और शादी में अभी टाइम हो तभी बुक कर लें क्योंकि उस वक्त कम पैसे में आपका हौल बुक हो जाऐगा इससे आपकी और भी बचत होगी.

‘पुलिस कमिश्नर सिस्टम‘ से रुकेगा अपराध

नोएडा पुलिस के दामन पर लगे दाग और लखनऊ में खराब होती कानून व्यवस्था पर उठ रही आवाजों को रोकने के लिये उत्तर प्रदेश सरकार ने इन दोनो जिलों में कमिश्नरी सिस्टम लागू कर दिया है. उत्तर प्रदेश में पुलिस के राजनीतिक दुरूपयोग पुराना इतिहास है. ऐसे में पुलिस कमिश्नरी सिस्टम के रूप में पुलिस को मिलने वाले अधिकार से जनता का कितना लाभ होगा समझने वाली बात है. दिल्ली और हैदराबाद में पुलिस कमिश्नरी सिस्टम कितनी सफल रही है यह वहां की पुलिस के कारनामों से समझ आता है.

देश में राजधानी दिल्ली सहित 15 राज्यों के 71 शहरों में पुलिस कमिश्नरी सिस्टम लागू है. देश का सबसे चर्चित निर्भया कांड दिल्ली पुलिस के दामन पर दाग सा है. निर्भया को न्याय मिलने में जिस तरह से देरी हुई वह दिल्ली के कमिश्नरी सिस्टम को दिखाता है. 2012 से 2019 के बीच दिल्ली पुलिस कितनी बेहतर हुई यह ‘पुलिस वकील’ संघर्ष और ‘जेएनयू प्रकरण’ में पुलिस की विवेचना से समझा जा सकता है. ‘जेएनयू प्रकरण’ में उसकी जांच इसका उदाहरण है. छात्र ही नहीं वहां के शिक्षकों तक के मुकदमें नहीं लिखे गये दिल्ली पुलिस आरोपियो के गलत फोटो जारी करके लोगों को भ्रमित कर रही. जेएनयू के पहले अदालत में पुलिस वकील संघर्ष में उसकी नाकामी पूरे देश ने देखी है. पुलिस अपने ही महिला अफसर को न्याय नहीं दिला पाई.

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दिल्ली की ही तरह से हैदराबाद एक और शहर है जहां पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू है. हैदराबाद पुलिस कितनी पेशेवर है यह अभी एक घटना ने इसको बता दिया है. हैदाराबाद में महिला डाक्टर का अपहरण करके उसके साथ बलात्कार, फिर हत्या और बाद में पहचान छिपाने के लिये जला दिया जाता है. हैदराबाद की पेशेवर पुलिस जब आरोपियों को घटना स्थल पर ले जाती है तो 4 निहत्थे आरोपी हैदराबाद की बहादुर हथियारीधारी पुलिस के 10 जवानों पर इतना भारी पडते है कि उनको रोकने के लिये पुलिस को 4 आरोपियों को गोली मार देनी पड़ती है. आरोपियों के मरने से सारी विवेचना और दरकिनार हो जाती है.

दिल्ली और हैदराबाद में वही पुलिस  कमिश्नरी सिस्टम लागू है जो अब उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ और नोएडा में लागू हो गया है. नोएडा में आईपीएस वैभव कृष्ण का एक विवादित वीडियो जारी होने के बाद पुलिस विभाग में रिश्वतखोरी का एक बड़ा खुलासा हुआ. जिसके तार राजधानी लखनऊ ही नहीं सरकार और संगठन तक से जुडे दिख रहे थे. योगी सरकार ने जनता के ध्यान को अपराध और रिश्वतखोरी के जंजाल से दूर रखने के लिये पुलिस प्रणाली की जगह कमीश्री सिस्टम को लागू कर उसमें उलझाने का काम किया है.

आईएएस बनाम आईपीएस की लडाई है कमीश्नर सिस्टम :    

पुलिस को जब भी अधिक अधिकार मिलते है वह उनको दुरूपयोग करती है. यही कारण है कि पुलिस को प्रशासनिक अधिकार कम से कम दिये जाते रहे है. पुलिस को नियंत्रण में रखने के लिये प्रशासन को अधिक जवाबदेह माना जाता है. दोनो ही स्तर के अधिकारियों की टेनिंग और कार्यशैली में भी अंतर होता है. उत्तर प्रदेश में वैसे ही पुलिस राजनीतिक दबाव में काम करती है. मायावती और अखिलेश सरकार में खुद भाजपा इस बात को बारबार कहती थी. यही कारण है कि 1990 के बाद 4 बार भाजपा के मुख्यमंत्री बने पर पुलिस को ज्यादा अधिकार देने का काम नहीं किया. प्रतापगढ के विधायक रघुराज प्रताप सिंह के खिलाफ मायावती सरकार की पुलिस ने किस तरह से काम किया सभी हो पता है. भाजपा ही उस समय पोटा के दुरूपयोग की बात कर रही थी. भाजपा के दखल के बाद ही पोटा कानून खत्म किया गया था.

नाम बदलने से अगर सुधार होता तो योगी सरकार की परेशानियां कभी नहीं बढ़ती. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कुर्सी पर बैठते ही नाम बदलने की शुरूआत सी कर दी थी. नाम बदलने से हालात बदलने के टोटके पर प्रदेश सरकार अभी भी कायम है. उत्तर प्रदेश में बढ़ते अपराधों को रोकने के लिये पुलिस के पुराने सिस्टम की जगह पर उत्तर प्रदेश के 2 जिलों लखनऊ और नोएडा में ‘कमिश्नरी सिस्टम’ को लागू किया गया है. उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा ‘कमिश्नरी सिस्टम’ को अपराध रोकने का ‘ब्रम्हास्त’ बताया जा रहा है. यह दावा भी किया गया कि ‘कमिश्नरी सिस्टम’ को 1977 से रोका गया था. जिस हिम्मत का काम विपक्ष ही नहीं भाजपा की कल्याण सिंह, राम प्रकाश गुप्त और राजनाथ सिंह सरकार नहीं कर पाई वह काम योगी सरकार ने कर दिखाया है.

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कैसे कम होगी आम आदमी की मुश्किले :

‘कमिश्नरी सिस्टम’ को लागू करने के समय यह संदेश भी जनता को दिया जा रहा है कि अब तक पुलिस के पास अधिकार कम थे. हर काम में पुलिस को डीएम और कमीश्नर का मुंह देखना पड़ता था. वहां से पुलिस को समय पर आदेश नही मिलता था जिसकी वजह से अपराध को रोका नहीं जा पा रहा था. अब ‘कमिश्नरी सिस्टम’ इन कमियों को दूर कर देगा. ‘कमिश्नरी सिस्टम’ पुलिस महकमे के लिए उम्मीद से ज्यादा देने वाला फैसला है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसको ‘यूपी की आम जनता के हित में लिया ऐतिहासिक फैसला माना है.’ मुख्यमंत्री ने कहा है कि ‘आम आदमी के लिए अब त्वरित न्याय होगा. आम लोगों के दरवाजे पर ही न्याय मुहैया होगा. यह फैसला लगातार बेहतर हो रही कानून व्यवस्था को और और बेहतर करेगा. जब तक पुलिस में भ्रष्टाचार खत्म नहीं होगा. थानो पर मुकदमे दर्ज नहीं होगे तब तक आम आदमी को न्याय नहीं मिल सकेगा.

योगी सरकार ने कहा कि पिछले कई दशकों से यूपी में पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू करने की मांग कई दशको से उठ रही थी. धरमवीर कमीशन (तीसरे राष्ट्रीय पुलिस आयोग) ने 1977 भी पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू करने की सिफारिश की थी. नौकरशाही के एक बड़े तबके और राजनीतिक आकाओं ने सालों से इसे दबा कर रखा था. अब तक राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव में यूपी में कमिश्नर सिस्टम लागू नहीं हो पाया. पूर्व में कोई भी मुख्यमंत्री इसे लागू नहीं कर पाया. सरकारें पुलिस को फ्री हैंड देने से डरती रहीं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी दृढ राजनीतिक इच्छाशक्ति के कारण इसको लागू करने का साहस किया. उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री हेल्पलाइन की शुरूआत बडे जोरशोर से हुई थी. उसमें आने वाली ज्यादातर शिकायतों का केवल कागजी निस्तारण हो रहा है.

बढ़ेगा पुलिस का राजनीतिक दुरूपयोग

पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू करने के पक्ष में राजनीतिक संरक्षण में अपराधियों, माफियाओं व अपराध को बढावा देने वालों के दिन अब खत्म हो जायेंगे. मुख्यमंत्री ने हर विरोध को दरकिनार करते हुये त्वरित, पारदर्शी और जनहित के लिये कमिश्नर सिस्टम को लागू कर दिया है. पुलिस को पर्याप्त अधिकार के साथ पर्याप्त जवाबदेही वाला यह कानून लागू होने के बाद अब दंगाइयों, उपद्रवियों के बुरे दिन, बल प्रयोग के लिए पुलिस को नहीं करना पड़ेगा मजिस्ट्रेट का इंतजार नहीं करना होगा. अब जो दंगा करेगा, उपद्रव करेगा, आमजन और पुलिस पर हमला करेगा सार्वजनिक संपत्तियों को बर्बाद करेगा, उससे सीधे निपटेगी पुलिस. अब गुडों, माफियाओं, सफेदपोशों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई के लिए पुलिस को मजिस्ट्रेटों के कार्यालयों में भटकना नहीं पड़ेगा पुलिस को खुद होगा गुंडों, माफियाओं और सफेदपोशों को चिन्हित कर उनके खिलाफ त्वरित कार्रवाई का पूरा अधिकार होगा.

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अपराधियों, माफियाओं और सफेदपोशों के असलहों के लाइसेंस कैंसिल करने के लिए भी पुलिस के पास हुए सीधे अधिकार होगे. 151 और 107, 116 जैसी धाराओं में पुलिस को गिरफ्तार कर सीधे जेल भेजने का अधिकार होगा. देश के 15 राज्यों के 71 शहरों जिनमें दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बंगलुरू, अहमदाबाद, राजकोट, बड़ौदा, हैदराबाद, त्रिवेंद्रम आदि शामिल हैं, वहां ये सिस्टम लागू है. सवाल उठता है क्या इन राज्यों में अपराध नहीं है ? ऐसे में साफ लगता है कि उत्तर प्रदेश में बढ़ते अपराधों से लोगों का ध्यान हटाने के लिये योगी सरकार ने यह फैसला लागू किया है. पुलिस के ताकतवर होने से इसके दुरूपयोग का खतरा बढ़ेगा. नागरिकता कानून के विरोध में राजधानी लखनऊ में हिंसा के मामलें में पुलिस पर पक्षपात के गंभीर आरोप लगे है. पुलिस से यह मांग हो रही है कि वह घटना के दिन वाले सभी वीडिया जारी करके दिखाये कि जिन लोगों को पकड़ा गया वह वीडियों में हिंसा करते कहा दिख रहे है ?

ऐसे करें मेहंदी की खेती

भारत में पुराने जमाने से मेहंदी का इस्तेमाल प्रसाधन के रूप में होता आया है. मेहंदी का प्रयोग शादीविवाह, दीवाली, ईद, क्रिसमस औैर दूसरे तीजत्योहार वगैरह पर लड़कियां और सुहागिन औरतें करती हैं.

ऐसा माना जाता है कि मेहंदी का प्रयोग प्राचीन मिस्र के लोग भी जानते थे. यह समा जाता है कि मेहंदी का प्रयोग शीतकारक पदार्थ के रूप में शुरू हुआ.

प्राचीनकाल से ही मेहंदी की पत्तियां तेज बुखार को कम करने और लू व गरमी के असर को दूर करने में इस्तेमाल होती रही हैं.

मेहंदी का वैज्ञानिक नाम ‘लासोनिया इनर्मिस’ है, जो मोनोटाइप कुल से संबंधित है. यह पौधा आमतौर पर उत्तरी अफ्रीका और दक्षिणी पश्चिमी एशिया का देशज है. इसे संस्कृत में मंडिका, रक्तगर्मा, रंगागी, अरबी में हिना, अलखन्ना, हिंदी में मेहंदी, बंगाली में महेंदी, मेंदी, मराठी में मेंधी, गुजराती में मेदी, मेंदी, तेलुगु में गोरंती, तमिल में मारियांडि, मारुथानी, कन्नड़ में मलीलांची, गोरंत, मलयालम में मैलांची, पोंटलासी, उडि़या में बैंजाति, कश्मीर में मोहूज, पंजाब में मेंहदी, मुंडारी में भिंदी या बिंड के नाम से इसे जाना जाता है.

यह पौधा छोटीछोटी पत्तियों वाला बहुशाखीय और ाड़ीनुमा होता है और इस का उत्पादन पर्सिया, मेडागास्कर, पाकिस्तान और आस्ट्रेलिया में होता है.

भारत में मेहंदी की खेती आमतौर पर पंजाब, गुजरात, मध्य प्रदेश और राजस्थान में होती है. इस के उत्पादन के महत्त्वपूर्ण केंद्र हरियाणा में गुड़गांव, फरीदाबाद व गुजरात के सूरत जिले में बारदोलीर व माधी है, जहां मेहंदी की पत्तियों के कुल उत्पादन का 87 फीसदी हासिल होता है.

राजस्थान में मेहंदी का उत्पादन पाली जिले की सोजत और मारवाड़ जंक्शन तहसीलों में होता है और सोजत कसबे में मेहंदी पाउडर और पैस्ट बनाने का काम होता है. सोजत की मेहंदी देशविदेश में काफी मशहूर है. इस की खेती रंजक प्रदान करने वाली पत्तियों की वजह से ही की जाती है.

यों करें खेती : मेहंदी का पौधा अकसर सभी तरह की मिट्टियों में रोपा जा सकता है, लेकिन आर्द्रताग्राही भारी मिट्टी में यह अच्छी तरह पनपता है. इस की खेती क्षारीय मिट्टी में नहीं की जा सकती है, पर यह जमीन में मौजूद थोड़़ी क्षारीयता सह लेता है. इस का प्रवर्धन बीजों या कलमों द्वारा किया जाता है.

बीजों को नर्सरी में क्यारियों में बोआई करने से पहले कुछ दिन तक पानी से भर कर रखा जाता है. बीजों को 20-25 दिन तक जल्दीजल्दी पानी बदलते हुए भिगोया जाता है. उस के बाद मार्चअपै्रल माह में बोआई करते हैं. एक हेक्टेयर में 7-12 किलोग्राम तक बीजों की जरूरत होती है. पौधे की ऊंचाई 45-60 सैंटीमीटर हो जाने पर उन्हें जुलाईअगस्त माह में खेतों में प्रतिरोपित कर देते हैं. खेतों में 2 पौधों के मध्य 3 फुट की दूरी रखी जाती है.

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बारिश के पानी से इस की पैदावार अच्छी होती है, पर बारिश न होने पर हर दिन सिंचाई करना जरूरी है. ज्यादा बारिश से फसल में कीड़े लग सकते हैं जो मेहंदी की पत्तियों को खा जाते हैं और तेज धूप में यह कीड़ा अपनेआप ही खत्म हो जाता है.

पहले 2-3 सालों में मेहंदी का उत्पादन कम होता है, पर उस के बाद फसल की कटाई साल में 2 बार अपै्रलमई और अक्तूबरनवंबर माह में की जाती है. अक्तूबरनवंबर माह के दौरान गरमी की फसल कटाई करने पर अच्छी और उत्तम किस्म की फसल हासिल होती है, जबकि अपै्रलमई माह में हासिल दूसरी फसल रंग कम देती है.

मेहंदी की फसल की कटाई आमतौर पर ट्रेंड मजदूरों द्वारा की जाती है. अक्तूबरनवंबर माह की कटाई में मजदूरों की मांग अधिक होने के चलते फसल की कटाई महंगी पड़ती है, जबकि दूसरी कटाई में औफ सीजन होने से मजदूरी अपेक्षाकृत कम लगती है. एक बार लग जाने पर पौधे कई सालों तक लगातार पनपे रह सकते हैं.

फसल में गुड़ाई करने के बाद बारिश का पानी अधिक पहुंचाने के लिए गड्ढे बनाए जाते हैं. फसल की कटाई के बाद उस की कुटाई की जाती है और इस के बाद पत्तियों को बडे़बडे़ बोरों में भर देते हैं.

मेहंदी का औसतन भाव प्रति 40 किलोग्राम 800-1,000 रुपए तक होता है. मेहंदी की परंपरागत घुटाई खरल में करने पर बहुत तेज रंग आता है, पर बढ़ते व्यावसायीकरण के चलते इस की क्वालिटी में कमी आई है.

आजकल पत्तियों से पाउडर बनाने के लिए थ्रेशर मशीन में चरणबद्ध तरीके से पिराई कर के फिर प्लोवाइजर नाम की मशीन से इस की बारीक पिसाई की जाती है. इस मशीन में पत्तियों का चूरा डालने से पहले प्रति 40 किलोग्राम मेहंदी में 3 किलोग्राम तेल, 300 ग्राम डायमंड व 100 ग्राम मीठा सोडा मिलाते हैं, जिस से मेहंदी के रंग को उड़ने से रोका जा सकता है. इसी वजह से इसे रंग तेल प्रक्रिया भी कहते हैं. इस विधि से तैयार मेहंदी को पैक कर सप्लाई की जाती है.

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मेहंदी की किस्में

व्यापार में मेहंदी की 3 किस्में हैं, जिन्हें दिल्ली, गुजराती और मालवा मेहंदी कहते  हैं. दिल्ली किस्म चूर्ण के रूप में मिलती है, जबकि गुजराती मेहंदी पत्तियों के रूप में मिलती है. मालवा मेहंदी राजस्थान का उत्पाद है. मेहंदी के प्रमुख खरीदार अल्जीरिया, फ्रांस, बहरीन, सऊदी अरब, सिंगापुर व सीरिया हैं. फ्रांस और यूनाइटेड किंगडम मेहंदी के प्रमुख आयातक देश हैं.

राजस्थान के पाली जिले की सोजत तहसील के बागावास, देवली, खोखरा, रूपावास, साडिया वगैरह गांवों में इस की खेती होती है. हर साल एक बड़ी विदेशी मुद्रा इस के निर्यात से हासिल होती है. अगर इस की  शुरुआती मजदूरी यानी कटाई मजदूरी को कम किया जा सकता हो तो मेहंदी की फसल से करोड़ों रुपए कमाए जा सकते हैं. सोजत की मेहंदी ने देशविदेश में कारोबार को एक नई पहचान दी है.

वैसे, मेहंदी के औषधीय, पारंपरिक, सांस्कृतिक महत्त्व के चलते ही इस का महत्त्व आधुनिक युग में बहुत बढ़ गया है. इस की खेती कर के माली तरक्की की जा सकती है.

सेहत के लिए सोने पर सुहागा है अंकुरित दाल

अंकुरित दालें रक्त को शुद्ध करने में लाभकारी होती हैं जो आपकी त्वचा से लेकर आपके बालों को निखारने में मदद करती हैं. अकुरित दालों को अपने आहार में शामिल कर आप कई बीमारियों से मुक्त हो सकते हैं.तो आईये जानते है अंकुरित दाल के फायदों के बारे में…

* अंकुरित दालें औक्सीजन का एक बहुत अच्छा स्त्रोत हैं. औक्सीजन युक्त खाद्य पदार्थ शरीर में उपस्थित तरह-तरह के वाइरस और बैक्टीरिया को खत्म करने में मदद करते हैं.

* अंकुरित दालें एक संतुलित आहार है जो आपको संतुलित पोषण देता है. अंकुरित दालों से शरीर को प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन और खनिज प्राप्त होता है जो की स्वास्थ्य के लिये बहुत लाभदायक है.

* अंकुरित दालें फाइबर का एक प्राकृतिक स्रोत हैं. फाइबर पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है और आपके नाश्ते और लंच के बीच के समय में आपको भरपेट रखता है. इससे आप अस्वास्थ्यकर चीजे खाने से बचते हैं और अपने आहार को भी नियंत्रित कर सकते हैं.

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* अंकुरित दाले विटामिन बी और सी का एक अच्छा स्त्रोत है. अनाज को पूरी रात भिंगोकर रखने से अंकुरित दालों मे उपस्थित आवश्यक पोषक तत्वों की महत्वता और बढ़ जाती है  इसलिये अंकुरित दालें हर तरह से आपको लाभ देती हैं.

* आहार में अंकुरित दालें लेने से शरीर में प्रोटीन की गिनती बढ़ती है. अंकुरित दालों में पर्याप्त मात्रा में वनस्पति प्रोटीन होता है जो एक स्वस्थ आहार को सपोर्ट करता है.

* अंकुरित दाले मीट के लिए एक स्वस्थ विकल्प है. अगर आप शाकाहारी हैं तो अंकुरित दालों को अपने प्रतिदिन के आहार का हिस्सा बनाएं.

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* अगर आप को बाल झड़ने की समस्या हैं और आप उससे परेशान है, तो आप अंकुरित दाल की एक कटोरी रोज़ सुबह नाशते में लें. ऐसा करने से आपके बालों को सही पोषण मिलेगा.

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