नोएडा पुलिस के दामन पर लगे दाग और लखनऊ में खराब होती कानून व्यवस्था पर उठ रही आवाजों को रोकने के लिये उत्तर प्रदेश सरकार ने इन दोनो जिलों में कमिश्नरी सिस्टम लागू कर दिया है. उत्तर प्रदेश में पुलिस के राजनीतिक दुरूपयोग पुराना इतिहास है. ऐसे में पुलिस कमिश्नरी सिस्टम के रूप में पुलिस को मिलने वाले अधिकार से जनता का कितना लाभ होगा समझने वाली बात है. दिल्ली और हैदराबाद में पुलिस कमिश्नरी सिस्टम कितनी सफल रही है यह वहां की पुलिस के कारनामों से समझ आता है.

देश में राजधानी दिल्ली सहित 15 राज्यों के 71 शहरों में पुलिस कमिश्नरी सिस्टम लागू है. देश का सबसे चर्चित निर्भया कांड दिल्ली पुलिस के दामन पर दाग सा है. निर्भया को न्याय मिलने में जिस तरह से देरी हुई वह दिल्ली के कमिश्नरी सिस्टम को दिखाता है. 2012 से 2019 के बीच दिल्ली पुलिस कितनी बेहतर हुई यह ‘पुलिस वकील’ संघर्ष और ‘जेएनयू प्रकरण’ में पुलिस की विवेचना से समझा जा सकता है. ‘जेएनयू प्रकरण’ में उसकी जांच इसका उदाहरण है. छात्र ही नहीं वहां के शिक्षकों तक के मुकदमें नहीं लिखे गये दिल्ली पुलिस आरोपियो के गलत फोटो जारी करके लोगों को भ्रमित कर रही. जेएनयू के पहले अदालत में पुलिस वकील संघर्ष में उसकी नाकामी पूरे देश ने देखी है. पुलिस अपने ही महिला अफसर को न्याय नहीं दिला पाई.

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दिल्ली की ही तरह से हैदराबाद एक और शहर है जहां पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू है. हैदराबाद पुलिस कितनी पेशेवर है यह अभी एक घटना ने इसको बता दिया है. हैदाराबाद में महिला डाक्टर का अपहरण करके उसके साथ बलात्कार, फिर हत्या और बाद में पहचान छिपाने के लिये जला दिया जाता है. हैदराबाद की पेशेवर पुलिस जब आरोपियों को घटना स्थल पर ले जाती है तो 4 निहत्थे आरोपी हैदराबाद की बहादुर हथियारीधारी पुलिस के 10 जवानों पर इतना भारी पडते है कि उनको रोकने के लिये पुलिस को 4 आरोपियों को गोली मार देनी पड़ती है. आरोपियों के मरने से सारी विवेचना और दरकिनार हो जाती है.

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