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पति रितेश से अलग हुईं Rakhi Sawant, शेयर किया ये पोस्ट

बिग बॉस (Bigg Boss) फेम राखी सावंत (Rakhi Sawant) अपने शादी को लेकर सुर्खियों में छाई हुई थी. इस सीजन में राखी के पति भी नजर आए थे. शो में दोनों ने फैंस का फुल एंटरटेनमेंट किया था. लेकिन अब खबर आ रही है कि राखी सावंत अपने पति से अलग हो गई हैं. आइए बताते हैं क्या है पूरा मामला.

दरअसल राखी सावंत ने खुद सोशल मीडिया पर जानकारी दी है कि वह रितेश से अलग हो रही हैं. राखी ने सोशल मीडिया पर ऐलान किया कि वो पति रितेश से रिश्ता तोड़ रही हैं. उन्होंने इंस्टाग्राम पर फैंस के साथ एक पोस्ट शेयर किया है.

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राखी सावंत ने पोस्ट में लिखा है कि मेरे सभी फैंस और प्रियजन, हम आप सभी से कहना चाहते हैं कि मैं और रितेश एक दूसरे से अलग हो गए हैं. बिग बॉस  के बाद बहुत कुछ हुआ और कई चीजें ऐसी हुई जो मेरे कंट्रोल से बाहर थी. हम लोगों ने बहुत कोशिश की  लेकिन आखिर में यही फैसला किया हम दोनों अपनी लाइफ अलग-अलग बिताएं.

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राखी सांवत ने आगे लिखा है कि मैं बहुत दुखी हूं कि ये सब वैलेंटाइन डे के ठीक एक दिन पहले हुआ. लेकिन फैसला तो लेना ही था. उम्मीद करती हूं कि रितेश के साथ सब अच्छा हो. मुझे अभी इस वक्त अपने काम पर फोकस करना है और अपने आप को खुश और हेल्दी रखना है. आपसभी का मुझे समझने और सपोर्ट करने के लिए शुक्रिया. राखी सावंत.

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अपनी पीठ ठोंकता, मिस्टर प्रधानमंत्री!

मगर, आज इस रिपोर्ट को पढ़ने के पश्चात आप यकीनन यह बात मानेंगे कि हमारे माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी अक्सर अपनी पीठ थपथपाने में यकीन रखते हैं. अगर इस रिपोर्ट को पढ़ने के पश्चात संपूर्ण व्यक्तित्व पर निगाह डाली जाए तो आप बड़ी आसानी से इसे तल्खी से महसूस कर सकते हैं.  यह एक बहुत बड़ा सच है-देश में कहीं भी कोई चुनाव हो, पास आते आते तो आप अपनी पूरी ताकत लगाने में कोई गुरेज नहीं करते, कहीं पर भी बाज नहीं आते और अगर पीठ थपथपाने का कोई रिकॉर्ड  ना हो तो यह बन सकता है और और अगरचे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में बन गया होगा तो वह मिस्टर प्रधानमंत्री के इस कवायद से टूट भी सकता है.

अरे हो…पेट भरता नहीं!

अमिताभ बच्चन की आठवें दशक में एक पिक्चर आई थी जिसमें एक गीत था-” अरे हो, ऊंची ऊंची बातों से किसी का पेट भरता नहीं…”

हमारे माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी  भाषण भी इतनी ऊंची ऊंची पिलाते हैं कि सुनने में तो अच्छा लगता है मगर जब हम उसके भीतर प्रवेश  करते हैं तो हमें अंधेरा ही अंधेरा दिखाई देता है. सब कुछ समझने के लिए आग्रह है कि नीचे के अंश ध्यान से पढ़ें-

उत्तर प्रदेश के चुनाव को लेकर के मोदी साहब ने जो कहा है उसकी एक राष्ट्रीय अखबार में बानगी कुछ ऐसी है-

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-“उत्तर प्रदेश में पहले चरण के मतदान में भाजपा के प्रति जनता के उत्साह को ‘जबरदस्त’ बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को दावा किया कि इस बार चुनावों में भाजपा की जीत के पुराने रेकार्ड टूट जाएंगे.”

आगे रिपोर्ट में कहा गया है-“

उत्तराखंड में 14 फरवरी को होने वाले मतदान से पहले चुनाव प्रचार के आखिरी चरण में अल्मोड़ा में एक जनसभा को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि जनता कभी अच्छे काम करने वालों, अच्छे इरादों और नेकनीयत वालों का साथ कभी नहीं छोड़ती. प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि विरोधियों ने हमेशा कुमाऊं और गढ़वाल की लड़ाई कराने की कोशिशें की हैं ताकि इन दोनों जगहों के लोगों पर ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति अपना कर दोनों जगहों को ‘लूट’ सके और जबकि केंद्र और उत्तराखंड की भाजपा की डबल इंजन की सरकारों ने और कुमाऊं के विकास के लिए डबल काम किया.”

प्रधानमंत्री पद की गरिमा होती है मगर जिस तरीके से चाहे पश्चिम बंगाल का चुनाव हो या फिर बिहार का अथवा अभी पांच राज्यों में हो रहे चुनाव की परिदृश्य को हम देखें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री पद के साथ जगह-जगह पहुंचकर के चुनाव अभियान की कमान संभाले  हुए हैं. और आप कांग्रेस पर लूट का आरोप लगा रहे हैं वह भी देश की एक राजनीतिक पार्टी पर, प्रधानमंत्री अगर कांग्रेस पर लूट का आरोप लगाते हैं और कभी पलटकर कांग्रेस यह कहें कि आप लूट रहे हो तो फिर क्या होगा?

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दरअसल,इस चुनावी दंगल के मुद्दे पर चुनाव आयोग की भी खूब आलोचना हो रही है मगर वह मौन है. प्रधानमंत्री मोदी यह भूल जाते हैं कि वह प्रधानमंत्री है और प्रधानमंत्री के नाते जब कहीं चुनाव प्रचार में जाते हैं तो पूरी भारत सरकार एक तरह से चुनाव प्रचार में लग जाती है जो कि लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए दुर्भाग्य जनक है. इसे चुनाव आयोग व देश की उच्चतम न्यायालय को संज्ञान लेते हुए रोकना चाहिए.

धन्य है हमारी संवैधानिक संस्थाएं

आज जब देश में आजादी की अमृतवेला का ढोल पीटा जा रहा है और जब हम पांच राज्यों के चुनाव का अवलोकन करते हैं तो स्पष्ट रूप से महसूस किया जा सकता है कि हमारे यहां चुनाव किस तरह प्रभावित किए जा सकते हैं. किसी व्यक्ति संस्था के लिए कही कोई मर्यादा, नियम कानून दिखाई नहीं देता.  अगर कुछ है भी तो उसका पालन करने के लिए कोई सत्ता धारी और पदाधिकारी तैयार नहीं है. नैतिकता को तो मानो चौराहे पर फांसी लगा दी गई है.

यही कारण है कि नरेंद्र दामोदरदास मोदी कहते हैं-

जो दृश्य मैंने देखा है, उससे साफ है कि इस चुनाव को भाजपा से ज्यादा जनता लड़ रही है.  भाजपा को दोबारा जिताने के लिए माताएं, बहनें, नौजवान और किसानों ने कमर कस ली है. उत्तर प्रदेश में बृहस्पतिवार को पहले चरण के मतदान में भाजपा के प्रति वातावरण को ‘जबरदस्त’ बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि कल जो मतदान हुआ है उसमें भाजपा पुराने सारे रेकार्ड तोड़कर जीतने वाली है. अल्मोड़ा में मौजूद लोगों की भीड़ से उत्साहित मोदी ने कहा कि यह दिखाता है कि फिर एक बार भाजपा सरकार बन रही है.

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हे जनता जनार्दन हम तो आपसे आग्रह करते हैं कि पांच राज्यों में चुनाव हो रहे हैं इन चुनावों में भाजपा को जिताने की अपील करना अलग बात है मगर दावे के साथ यह कहना कि भाजपा की सरकार बन रही है इसका सीधा मतलब है कि आपको भगवान ने दिव्य दृष्टि दे दी है या फिर आप अतिशयोक्ति पूर्ण बातें कर रहे हैं. दोनों ही बातें गलत है.

आगे नीर छीर के साथ निर्णय लेना आपका काम है.

Valentine’s Special: बनें स्मार्ट हमसफर

आजकल ज्यादातर कपल्स वर्किंग हैं. ऐसे में भागदौड़ भरी लाइफ में काम व स्ट्रैस की वजह से उन के बीच छोटीछोटी बातों को ले कर अनबन हो ही जाती है. अगर इन विवादों को साथ मिल कर दूर कर लिया जाए तो लाइफ आसान बन सकती है. आप भी छोटीछोटी बातों पर ध्यान दे कर एक स्मार्ट पार्टनर बन सकते हैं और अपने साथी को खुशियों भरा उपहार दे सकते हैं.

पसंदनापसंद का रखें ध्यान

प्यार भरे संबंधों के लिए यह बेहद जरूरी है कि आप अपने साथी की पसंदनापसंद का ध्यान रखें. अगर उसे आप की कोई बात अच्छी नहीं लगती है तो उसे बदलने की कोशिश करें. इसी तरह से इस बात का भी खयाल रखें कि कौनकौन सी बातें हैं जो आप के साथी को अच्छी लगती हैं और जो आप के जीवनसाथी के चेहरे पर मुसकान ला सकती हैं. अगर आप के साथी को आप का फुजूलखर्च करना अच्छा नहीं लगता है, तो कोशिश करें कि  बेवजह की चीजों में पैसे बरबाद न करें. अगर किसी चीज के लिए आप को मना कर दिया है तो उस के लिए जिद न करें, बल्कि यह समझने की कोशिश करें कि आप के साथी ने आप की भलाई के लिए ही मना किया है.

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एकदूसरे को स्पेस दें

शादी से पहले भले ही आप का ऐक्स्ट्रा केयरिंग नेचर आप के पार्टनर को अच्छा लगता हो लेकिन शादी के बाद ऐक्स्ट्रा केयरिंग नेचर आप दोनों के बीच मनमुटाव का कारण भी बन सकता है. इसलिए एकदूसरे को स्पेस दें. हर बात के लिए पूछताछ न करें बल्कि भरोसा करना सीखें. एकदूसरे के निर्णयों का सम्मान करें.

सुझाव दें मगर थोपें नहीं

कई बार ऐसा देखा जाता है कि पति जब भी कोई चीज खरीदने की प्लानिंग करते हैं तो पत्नी उस में अपने सुझाव के बजाय अपना फैसला थोपने लगती है कि नहीं यह गाड़ी नहीं, गाड़ी खरीदेंगे तो बड़ी ही खरीदेंगे. ऐसा न करें. बल्कि आप उस में आर्थिक रूप से मदद करने की कोशिश करें.

टैक्नोफ्रैंडली बनें

आप कामकाजी महिला हों या घरेलू, कोशिश करें कि ज्यादा से ज्यादा टैक्नोलौजी का इस्तेमाल करें, जिस से आप को हर बात के लिए अपने पति पर निर्भर रहने की जरूरत न पड़े. आप को यह बात समझने की जरूरत है कि आप के पति के पास कई काम होते हैं और ऐसे में आप भी उन पर निर्भर रहेंगी तो इस बात से आप दोनों के बीच हलकीफुलकी नोकझोंक हो सकती है. इसलिए घर के छोटेमोटे काम जिन्हें आप टैक्नोलौजी की मदद से कर सकती हैं खुद करें. ऐसा कर के आप न केवल स्मार्ट वूमन बन सकती हैं बल्कि अपना कीमती समय भी बचा सकती हैं.

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फाइनैंशियल प्लानिंग करें

आज फाइनैंशियल प्लानिंग बहुत जरूरी है, जो आप के भविष्य को सुरक्षित और टैंशन फ्री बनाती है. आजकल इस तरह की भी पौलिसी आ रही हैं जो आप दोनों कम्बाइंड ले सकते हैं. आप दोनों को अलगअलग पौलिसियां लेने की जरूरत नहीं है, बल्कि एक ही पौलिसी से आप अपना फ्यूचर सिक्योर कर सकते हैं.

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पार्टनर की राय अवश्य लें

आप घर, कार या इनवैस्टमैंट की प्लानिंग कर रहे हैं तो अपने पार्टनर की राय अवश्य लें. कई पति ऐसा सोचते हैं कि पत्नी से क्या पूछना, उसे इन सब चीजों की कहां जानकारी होती है. ऐसा न करें, बल्कि यह भी हो सकता है कि आप के पार्टनर को इस के बारे में आप से ज्यादा जानकारी हो और वह आप को सही गाइड कर सके.

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सुरक्षा व खुशियों भरा उपहार दें

अकसर पार्टनर एकदूसरे को शादी की सालगिरह या बर्थडे पर कपड़े, फोन या सजनेसंवरने की चीजें ही गिफ्ट करते हैं. आप भी इसी तरह के गिफ्ट्स न दें, बल्कि आप अपने पार्टनर को एक स्मार्ट उपहार यानी इंश्योरैंस पौलिसी का उपहार दें, जो उसे खुशी के साथसाथ सुरक्षा भी दे. जिस तरह से आप अपने पार्टनर का हाथ हमेशा थाम कर रखते हैं उसी तरह से उस का भविष्य भी सुरक्षित बनाएं.

क्या आप डैस्क जौब करते हैं?

आप को डैस्क जौब पसंद हो या नहीं, लेकिन एक जगह बैठ कर काम करना और डैस्क जौब आज हमारे जीवन का एक हिस्सा है. आज काफी संख्या में शहरी कामकाजी लोग अपने दिन का बड़ा हिस्सा कंप्यूटर के सामने मेज पर बैठ कर बिताते हैं. इतना ही नहीं, इस प्रकार की जीवनशैली के चलते शरीर का मूवमैंट कम होता है जिस के कारण मोटापा और दूसरी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. पीठदर्द, गरदनदर्द, फ्रोेजेन शोल्डर और हड्डी से जुड़ी दूसरी बीमारियों के कारण काफी संख्या में पुरुषों और महिलाओं को आर्थौपैडिक विशेषज्ञों के पास जाने के लिए मजबूर होना पड़ता है.

लंबे समय तक एक ही स्थिति में बैठने से शरीर में दर्द और मांसपेशियों व ऊतकों के रिपिटीटिव स्ट्रैस इंजुरीज सहित कई तरह की समस्याएं होने की आशंकाएं हो सकती हैं.

गरदन में जकड़न, कंधे का झुकना, फ्रोजेन शोल्डर्स से ले कर पीठ और कमर में तेज दर्द और उंगली में सुन्नपन जैसी समस्याओं की पूरी सूची है जो डैस्क कार्य करते हुए पैदा होती हैं. हालांकि आप को अपनी डैस्क से हर घंटे उठ कर बाहर जा कर चहलकदमी करना मुश्किल हो सकता है, लेकिन इस प्रकार के दबाव से निबटने व अपने शरीर को सक्षम बनाने के लिए आप कुछ छोटे कदम उठा सकते हैं.

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आप सावधानीपूर्वक छोटे से प्रयास कर भी इस तरह की समस्याओं को काफी हद तक रोक सकते हैं. उदाहरण के तौर पर, हमेशा एलिवेटर के प्रयोग से बचें और सीढि़यों का इस्तेमाल करें.

यहां कुछ आसान व्यायाम बताए जा रहे हैं जो आप के शरीर को लंबे समय तक डैस्क पर काम करने के तनाव से निबटने में मदद कर सकते हैं :

गरदन के व्यायाम

  • अपने दोनों हाथ अपने सिर के पीछे रखें, फिर सिर को पीछे की ओर दबाएं जबकि अपने हाथ से आगे की ओर दबाएं. इस स्थिति में 10 सैकंड तक रहें और 5 से 10 बार दोहराएं.
  • डैस्क पर लंबे समय तक बैठने के बाद, अपने सिर को बायीं, दायीं ऊपर से नीचे की दिशा और फिर दोनों ओर झुकाएं. इस व्यायाम को कई बार दोहराएं.
  • दिनभर का काम खत्म होने के बाद अपनी ठुड्डी को पीछे की ओर खींचें और आगे देखते हुए इस तरह से खिंचाव डालें, मानो आप इसे डबल चिन बनाने की कोशिश कर रहे हों.

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कंधों का व्यायाम

  • अपने कंधों के दोनों हिस्सों को पीठ की तरफ निकट लाने की कोशिश करें.
  • अपने हाथों को ऊपर की तरफ ले जाएं और कुछ सैकंड तक इसी मुद्रा में रहें. धीरे से अपनी बांह को आगे, पीछे और बगल की ओर उठाएं.
  • कंधे को घुमाएं और ऊपरनीचे करें. ऐसा कई बार करें और मांसपेशियों को तनावरहित छोड़ दें.
  • दाहिने हाथ से बायीं कुहनी को पकड़ कर कंधे को धीरेधीरे स्ट्रैच करें. इस के विपरीत क्रम को दोहराएं. कुहनी को अपने सिर के पीछे ले जाएं और कंधे पर स्ट्रैच लाएं. इस स्थिति में 10 सैकंड रहें. इसे 5-6 बार दोहराएं.

पोस्चर एलाइनमैंट

  • अपनी कुरसी को इतनी ऊंचाई पर रखें जहां आप सब से आरामदायक स्थिति में सीधा बैठ सकते हों और कंप्यूटर स्क्रीन को अपनी आंख की सीध में रखें.
  • अपने सिर को सीधा रखें, आगे की ओर न झुकें.
  • कुरसी की गहराई इतनी होनी चाहिए कि उस के ऊपरी हिस्से और आप के घुटने के पीछे के हिस्से के बीच थोड़ी जगह हो, करीब मुट्ठी भर जगह.
  • अगर जरूरत पड़े तो कुरसी के ऊपरी हिस्से पर कोई सपोर्ट रखें ताकि आप को सीधा बैठने में मदद मिल सके.
  • कुहनी कुरसी की हाथ रखने वाली आर्मरेस्ट पर रखें.
  • कीबोर्ड को अपने पास रखने के लिए कीबोर्ड ट्रे का उपयोग करें. कम ऊंचाई वाली कुरसी पर बैठने से बचें.
  • अगर आप की कुरसी बहुत अधिक ऊंची हो तो आप फुटरैस्ट या स्टूल का इस्तेमाल करें. ज्यादातर लोगों के लिए 16 से 21 इंच की ऊंचाई आदर्श मानी जाती है.

पैरहाथ और कलाई के व्यायाम

  • कुरसी पर बैठे रहने के दौरान आगे की ओर झुकें. सिर को नीचे करें और गरदन को रिलैक्स छोड़ दें ताकि आप की पीठ पर स्ट्रैच महसूस हो. इस स्थिति में 10 सैकंड रहें. इसे 5 बार दोहराएं.
  • शरीर के ऊपरी हिस्से को स्ट्रैच करें और हथेलियों की उंगलियों को एकदूसरे में फंसा लें. बांह को ऊपर उठाएं और सिर के ऊपर सीधा करें. छत की ओर उठाने की कोशिश करें. ऐसा 5 से 6 बार करें.
  • बाएं पैर को दाहिने पैर के ऊपर रखें, फिर बाएं कंधे की ओर देखें तथा पीठ और कूल्हे के हिस्से में स्ट्रैच दें.
  • स्थिर बैठें और पैर को ऊपरनीचे घुमाएं.
  • अपनी मुट्ठी को कस कर बांध लें. इस के बाद उंगलियों को बाहर की ओर जितना संभव हो, खोलें. ऐसा लगातार 5 से 6 बार करें.
  • ब्रैक के दौरान जब आप अकेले हों, अपने पैर व हाथ की मांसपेशियों को आजाद करने के लिए हवा में जोरदार घूंसे और किक मारने की कोशिश करें.
  • एक हथेली को दूसरी हथेली से सटाएं और नमस्ते करें. इसे उलटा कर के नमस्ते करें, फिर कुहनी को सीधा रखते हुए हाथ के आगे के हिस्से में स्ट्रैच अनुभव करें. इसे 5 से 6 बार करें.

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पीठदर्द कम करना

  • घूमने वाली कुरसी का इस्तेमाल करें. घूमने की विपरीत दिशा में, एक तरफ से दूसरी तरफ घूम कर अपने पेट के निचले हिस्से में मूवमैंट लाने की कोशिश करें.
  • गरदन पर दबाव कम करने के लिए समयसमय पर ब्रैक लें और औफिस में चहलकदमी करें.

:डा. चित्रा कटारिया, प्रमुख, पुनर्वास सेवाएं, प्राचार्य, आईएसआईसी पुनर्वास विज्ञान संस्थान,  इंडियन स्पाइनल इंजुरीज सैंटर, नई दिल्ली

Anupamaa: बा से बताएगा वनराज, मालविका के लिए क्या फील करता है! काव्या ने लिया ये फैसला

स्टार प्लस का सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupamaa) में दर्शकों को हाई वोल्टेज ड्रामा देखने को मिल रहा है. शो में नया ट्विस्ट एंड टर्न दिखाया जा रहा है. वनराज शाह परिवार को बताता है कि अब अनुज अनुपमा के घर में रहेगा. वह घरवालों से ये भी कहता है कि वो दोनों लिव इन रिलेशनशिप में रहेंगे. इतना ही नहीं, वनराज मालविका और अनुज की लड़ाई का दोष अनुपमा को ही देता है. शो के अपकमिंग एपिसोड में खूब धमाल होने वाला है, आइए बताते हैं शो के आने वाले एपिसोड के बारे में.

शो के अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि अनुपमा अनुज से कहती है यहा हमारा घर है और उसे कोई डर नही है कि समाज उसे क्या कहेगा. वह ये भी कहती है कि समाज उनके लिए मायने नहीं रखता. ये सुनकर अनुज हैरान हो जाता है.

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अनुज, अनुपमा से माफी मांगता है कि उसने उसे अपने फैमिली प्रॉब्लम में घसीट लिया. तो दूसरी तरफ वनराज अपनी मां लीला से पूछता है कि वो क्या वह भी उसे गलत समझती है. इसपर लीला कहती है कि वनराज कुछ गलत नहीं कर रहा.

 

वनराज बा से ये भी बताता है कि वह मालविका के लिए कुछ भी फील नहीं करता. दूसरी तरफ काव्या ये सारी बातें सुन लेती है और मन ही मन काफी खुश होती है. काव्या वनराज का साथ देने का मन बनाती है. वह सोचती है कि वनराज सिर्फ काव्या से प्यार करता है.

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काव्या ये भी सोचती है कि वनराज जल्द ही अमीर होने वाला है इसलिए उसे उसका साथ देना चाहिए. तो वहीं अनुपमा अपना फिर से डांस अकेडमी खोलने का प्लान करती है. इसमें अनुज उसके साथ काम करने के लिए कहता है.

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हप्पू सिंह असल जिंदगी में बने दूसरी बार पापा, सीरियल में हैं 9 बच्चों के पिता

टीवी के मशहूर एक्टर योगेश त्रिपाठी (हप्पू सिंह) के घर किलकारियां गूंज रही है. जी हां, आपके फेवेरेट स्टार दूसरी बार पापा बन गए हैं. उनके घर नन्ही परी का आगमन हुआ है. योगेश की वाइफ सपना त्रिपाठी ने एक बेटी को जन्म दिया है.

बता दें कि सीरियल उल्टन पल्टन में योगेश त्रिपाठी (Yogesh Tripathi) हप्पू सिंह (Happu Singh) के किरदार में घर-घर में मशहूर हैं. बताया जा रहा है कि योगेश त्रिपाठी ने कहा है कि मैं बहुत खुश हूं कि मेरे बेटे को बहन मिल गई. उन्होंने ये भी बताया कि मेरे और मेरी पत्नी से ज्यादा मेरा बेट दक्शेष परिवार बढ़ने से बेहद खुश है.

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रिपोर्ट के मुताबिक योगेश ने कहा कि मेरे बेटे को पार्टनर इन क्राइम मिल गया. वो भाई-बहन को मिस कर रहा था, खासतौर से रक्षाबंधन में. मैं शूट्स में बिजी रहता हूं और मेरी पत्नी घर के कामों में लगी रहती है. वो पूरे दिन टीवी देखते हुए या मोबाइल पर गेम खेलते हुए समय बिताता था. तो इमेजिन कर सकते हैं कि वो अपनी बहन आने के बाद कितना खुश होगा.

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सीरीयल उल्टन-पल्टन में योगेश के 9 बच्चे हैं जबकि असल जिंदगी में उनका एक बेटा था. अब वे दो बच्चों के पिता बन गए हैं. फिलहाल उन्होंने अपनी बेटी का कोई नाम नहीं रखा है.

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योगेश का बड़ा बेटा 9 साल का है. शो में हप्पू सिंह एक पुलिस के किरदार में है जो कि भ्रष्ट है और थोड़ा गंवार भी है. लेकिन इस कैरेक्टर की कॉमेडी काफी दिलचस्प है. हप्पू सिंह के साथ साथ उनकी बीवी, मां और बच्चों का किरदार भी सीरियल में काफी पसंद किया जाता है.

जनता सदियों से पिसती रही है!

केंद्र सरकार के हर साल के बजट पर आम लोगों को न पता होता है न उस से उन्हें कोई फर्क पड़ता है क्योंकि जो चीज मंहगी होनी होती है वह तो होगी ही चाहे बजट की वजह से हो या सालभर में कभी हो. बजट तो सरकारी वायदा होती है जो पढ़ेलिखों को बताने के लिए होता है कि इस साल आम गरीब किसान, मजदूर, बस आपरेटर, मैकेनिक, इलेक्ट्रिशियन, ब्यूटीशियन, नर्सों, बेलदारों से कितना कैसे वसूलता है. अब हाकिम ने जो लेना है तो लेना है, आम आदमी को तो कहा गया है कि उस के दुख तो उस के पिछले जन्मों के पापों के फल है, भोगते रहे.

शुद्ध ब्राहमण परिवार को निर्मला सितारमण वित्त मंत्री और उस के ऊंची जातियों के सलाहकारों ने पूरी तैयारी से गरीबों को लूटने वाला 35 लाख करोड़ रुपए (ये कितने होते है, पता करने की कोशिश भी न करें) का सरकारी हिसाब बना दिया है, भारतीय जनता पार्टी के सांसद हाथ खड़ा कर उसे पास कर देंगे और छुट्टी. पर केबल छिपाने के लिए और पक्के गहरे गड्डे खोदे जाएंगे, आईटी पंडों की भरमार होगी, इस का इंतजाम कर दिया गया है. सरकार ठेकों पर चलेगी जो कम तन्खाह पर लोग रखेंगे और रिश्वत में बाबूओं, अफसरों और भगवा नेताओं की जेबें भरेंगे, यह इंतजाम कर लिया गया है.

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किसान मजदूर का तो नाम भी नहीं लिया है. अमीरों की चौंचनेबाजी के लिए और्गेनिक खेती गंगा के किनारे की बात जरूर की गई है जिस का आम किसान से कोई लेनादेना नहीं है.

और हां, एक नए तरीके की नोटबंदी की शुरूआत भी कर दी गई है. अब तक बैंक अकाउंट में नोट रहते थे, चाहे सिर्फ कागज पर, अब डिजिटल कैंसी रहेगी जिस का मतलब पढ़ेलिखे भी वर्षों बाद समझ सकेंगे इस दौरान इस के सपने दिखा कर सरकारी लूटेरे अरबों रुपए आम आदमी के ले कर चंपत हो जाएंगे जैसे पोटबंदी में बैंक मैनेजरों ने किया था.

सरकार बारबार यह कहना नहीं भूलती कि कांग्रेस सरकार के दौरान क्याक्या हुआ था, 7 साल बाद भी. या वैसा ही है जैसा हर साल रामलीला कर के बता दिया जाता है कि पंडों की सेवा करो, राम की पूजा करो वर्ना रावण आएगा और भीम को ले जाएगा. उस में जोर रावण पर होता है, दशरथ पर नहीं जिस ने राम और सीता को घर छोडऩे को कहा. बारबार कांग्रेस का राज रावण राज कहा जाता है. जब दशरथ राज में तो राम लक्ष्मण सीता तीनों घर से निकले थे. अब तो भाजपा सरकार अपने 7 सालों के काम गिना दे पर किए हो तो गिनाए न.

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बजट को ध्यान से पढ़ें तो यही पता चलता है कि सरकार का कौन सा विभाग किस तरह जनता से वसूले पैसे पर मौज कर रहा है. पर जनता क्या कर सकती है. वह तो सदियों से पिसती रही है. एक तरफ पंडेपुजारी, मौलवी पादरी उसे लूटते है, दूसरी ओर हाकिम के पुलिस, पटवारी, जज, प्रशासक, उस बेचारी को  वोट का हक का मिला है पर उसे जल्लादों में से एक का चुनाव होता, फंदा तो गले मेंं  हर कोई डालेगा.

नेटाफिम: सिंचाई की उन्नत तकनीक

अच्छी उपज लेने के लिए खेत में अच्छे खादबीज के साथसाथ सही समय पर सही सिंचाई का होना भी बहुत जरूरी है. कई फसलों को ज्यादा पानी की दरकार होती है, तो कई फसलें ऐसी हैं, जो कम पानी में भरपूर उपज देती हैं.

आज के समय में पानी व सिंचाई ऐसा विषय है, जिन पर बहुतकुछ सोचा व किया जा रहा है, खासकर खेती की सिंचाई बात करें, तो हमारे देश में अलगअलग जलवायु है. कहीं बेहिसाब पानी है, तो कहीं सूखा पड़ता है, इसलिए हमें पानी को ले कर जल संरक्षण के बारे में सोचना होगा. कम पानी में भी अच्छी खेती की जा सकती है. इस के लिए हमें खेती में सिंचाई के लिए आधुनिक तौरतरीकों को जानना होगा और उन्हें अपनाना होगा.

सिंचाई की आधुनिक तकनीकों में स्पिंकलर विधि (फव्वारा), ड्रिप इरिगेशन (टपक सिंचाई) जैसी तकनीकें हैं, जिन्हें नेटाफिम जैसी कंपनियों ने बढ़ावा दिया है. वे सिंचाई के ऐसे उपकरण बना रही हैं, जो हर छोटेबड़े किसानों की पहुंच में हो सकती हैं. शुरुआत में यह महंगा सौदा जरूर मालूम होता है, लेकिन कुलमिला कर पानी की खपत को ले कर हिसाब लगाया जाए तो यह बेहद फायदेमंद हैं.

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ड्रिप इरिगेशन

(टपक सिंचाई)

नेटाफिम प्रणाली दुनियाभर के देशों में पिछले 4 दशकों से भी अधिक समय से काम कर रही है. साल 1997 से भारतीय किसानों को उच्च प्रति की ड्रिप सिंचाई प्रणाली और विभिन्न सेवाएं प्रदान कर रही है. आज भारत में 8 लाख एकड़ से भी ज्यादा क्षेत्र पर नेटाफिम ड्रिप प्रणाली सफलतापूर्वक काम कर रही है.

ड्रिपलाइन

अत्याधुनिक इजरायली तकनीक से बनी नेटाफिम ड्रिपलाइन का निर्माण भारतीय खेती की जरूरतों को ध्यान में रख कर किया गया है. ड्रिपलाइन के हर ड्रिपर में फिल्टर होता है, जो  ड्रिपर में कचरा जमा नहीं होने देता. जमीन व फसल की जरूरत के मुताबिक ड्रिपर के बीच की दूरी 20, 30, 40, 50, 60, 75 व 90 सैंटीमीटर और ड्रिपर 1.4/2.1/2.9 लिटर प्रति घंटा प्रवाह दर में उपलब्ध है. सभी प्रकार की सब्जियों, गन्ना, कपास, फूलों की खेती व सघन बागबानी के लिए खास उपयोगी है.

ड्रिपनेट पीसी (प्रवाह नियंत्रित ड्रिपलाइन)

अत्याधुनिक इजरायली तकनीक से बनी यह ड्रिपर प्रैशर नियंत्रित करते हुए समान प्रवाह से ऊंचीनीची जमीन पर सिंचाई करती है. सभी प्रकार की सब्जियों, गन्ना, कपास, फूलों की खेती व सघन बागबानी के लिए खास उपयोगी है.

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ड्रिपर के माध्यम से

यह ड्रिपर प्रैशर नियंत्रित करते हुए समान प्रवाह से ऊंचीनीची जमीन पर सिंचाई करती है. यह ड्रिपर 1/2/4/8 व 12 लिटर प्रति घंटा प्रवाह दर में उपलब्ध है.

बटन ड्रिपर्स (औनलाइन)

अत्याधुनिक इजरायली तकनीक से बने ड्रिपर के रास्ते में कचरा ठहरता नहीं और ड्रिपर बंद होने की संभावना बहुत ही कम होती है. यह ड्रिपर 1/2/4/8 लिटर प्रति घंटा प्रवाह दर में उपलब्ध है.

कूलनेट प्रो

यह 80 से 90 माइक्रोन आकार के अत्यंत सूक्ष्म जलबिंदुओं का वातावरण में छिड़काव करता है, जिस से तापमान कम करने व

आर्द्रता बढ़ाने में मदद मिलती है. ग्रीनहाउस, पोल्ट्री और डेरी में तापमान कम करने के लिए भी यह काफी खास है.

माइक्रो स्प्रिंकलर्स

यह 20 से 140 लिटर प्रति घंटा प्रवाह दर से सिंचाई करता है. इस का उपयोग नर्सरी व बागों में किया जा सकता है. अदरक और अन्य सब्जियों के लिए, खासतौर पर तापमान नियंत्रण के लिए स्ट्राबेरी में उपयोगी है.

सुपरनेट ( प्रैशर कंपनसेटेड माइक्रो स्प्रिंकलर्स )

ऊंचीनीची जमीन पर एकसमान प्रवाह से सिंचाई करने के लिए उपयोगी है. यह 20 से 90 लिटर प्रति घंटा की दर से सिंचाई करता है.

नेटाफिम मिडरेंज कंट्रोलर

इस श्रेणी में 2 मौडल एनएमसी 64 और एनएमसी प्रो उपलब्ध हैं. डिजिटल तंत्र ज्ञान पर आधारित ये कंट्रोलर्स एक ही जगह से विभिन्न जगहों पर स्थित वाल्वों को संचालित करते हैं. एनएमसी 64 सिंचन और खाद नियंत्रक है. एनएमसी प्रो भी सिंचन और खाद नियंत्रक है.

डिस्क फिल्टर

उच्च दर्जे की प्लास्टिक से बनने के कारण पानी के दबाव से टूटने और जंग लगने की संभावना नहीं है. एसिड और खाद प्रवाह से फिल्टर पर कोई असर नहीं पड़ता. यह 4,000 से 50,000 लिटर प्रति घंटा प्रवाह क्षमता व 40, 80, 120, 140 और 200 मेश में उपलब्ध है. साथ ही, 0.75, 1, 1.5, 2 और 3 इंच के आकार में उपलब्ध है.

फर्टिलाइजर पंप

पूरी तरह से प्लास्टिक से बनने के कारण इस में जंग नहीं लगता है. इस के इस्तेमाल से आवश्यक खाद एकसमान मात्रा से दिया जाता है. यह पंप ड्रिप सिंचाई प्रणाली में एसिड व क्लोरीन ट्रीटमैंट के लिए बेहद उपयोगी है.

नेटाफिम इंडिया का स्मार्ट सिंचाई के लिए

फ्लेक्सी स्प्रिंकलर किट

ड्रिप सिंचाई किट

भारत के छोटे व मझोले किसानों के लिए स्मार्ट सिंचाई की एक पोर्टेबल ड्रिप सिंचाई किट किफायती दाम पर मौजूद है. पोर्टेबल ड्रिप किट की कीमत 21,000-25,000 रुपए है. किट नेटाफिम के डीलर नैटवर्क के माध्यम से देशभर में उपलब्ध हैं. हलके वजन और पोर्टेबल ड्रिप किट को आसानी से लगाया जा सकता?है.

पोर्टेबल ड्रिप किट सब्जियों, खीरा, केला और पपीता सहित सभी प्रकार की फसल किस्मों के लिए उपयुक्त है.

पानी की खपत होगी कम : किट का प्रमुख पार्ट फ्लेक्सनेट है. यह एक लीक प्रूफ फ्लेक्सिबल मेनलाइन और मैनिफोल्ड पाइपिंग सौल्यूशन है, जो सटीक जल वितरण समाधान प्रदान करता है. इस की वजह से पानी की खपत कम होती है. साथ ही, ड्रिप सिंचाई के माध्यम से फसलों को पूरा पानी मिलता है.

पोर्टेबल ड्रिप किट में फील्ड इंस्टौलेशन और संचालन के लिए सभी आवश्यक पार्ट शामिल हैं, जिस में स्क्रीन फिल्टर, फ्लेक्सनेट पाइप, ड्रिपलाइन और कनैक्टर शामिल हैं.

नेटाफिम इंडिया ने छिड़काव के जरीए फसलों की सिंचाई से जुड़ी जरूरतों को पूरा करने के लिए ‘फ्लेक्सी स्प्रिंकलर किट’ को बाजार में उतारा है. वर्ष 2022 तक इस उपकरण के जरीए 15,000 हेक्टेयर जमीन को सिंचाई के दायरे में शामिल करने का लक्ष्य रखा है.

यह किट सब्जियों और खेतों में उगाई जाने वाली विभिन्न प्रकार की फसलों के लिए उपयुक्त है. इस में मुख्य रूप से गेहूं, बाजरा, ज्वार, सोयाबीन, मूंगफली आदि फसलें हैं.

फ्लेक्सी स्प्रिंकलर किट भारत में इस प्रकार का पहला उपकरण है, जो फसलों की पैदावार को अधिकतम करने के लिए पूरे खेत में पानी के एकसमान वितरण को सुनिश्चित करता है. यह उपकरण यूवी किरणों के साथसाथ हर तरह की जलवायु का सामना करने में सक्षम है. इसी वजह से यह उत्पाद बेहद टिकाऊ है और लंबे समय तक बिना किसी परेशानी के इस का इस्तेमाल किया जा सकता है. कई नलिकाओं वाला यह पोर्टेबल और सुविधाजनक पाइपिंग सिस्टम सिंचाई के लिए बेहद स्मार्ट और टिकाऊ समाधान है.

इस उत्पाद की प्रमुख विशेषताओं में से एक यह है कि काफी हलके और मजबूत होने के कारण किसानों के लिए इसे इंस्टौल करना और इस्तेमाल में लाना बेहद आसान हो जाता है. इसे खेतों में आसानी से बिछाया जा सकता है और उपयोग के बाद एकदम सुरक्षित तरीके से निकाला जा सकता है.

इस के अलावा इस किट को अपने घर सहित किसी भी स्थान पर उपयोग में लाया जा सकता है और इस्तेमाल के बाद इस के सभी कलपुरजों को खोल कर कहीं भी रखा जा सकता?है, क्योंकि इसे रखने के लिए बेहद

कम जगह की जरूरत होती है. इसी वजह से यह किसानों के लिए लंबे समय तक चलने वाला और मेहनत बचाने वाला उत्पाद है.

रणधीर चौहान, मैनेजिंग डायरैक्टर, नेटाफिम इंडिया ने कहा, ‘‘नेटाफिम में हम किसानों को अत्याधुनिक समाधान उपलब्ध कराने की दिशा में लगातार काम करने और पूरी दुनिया में पानी की कमी की समस्या से निबटने के अपने वादे पर कायम हैं. भारतीय किसानों के लिए ‘पोर्टेबल ड्रिप किट’ को सफलतापूर्वक पेश करने के बाद फ्लेक्सी स्प्रिंकलर किट को लौंच करते हुए हमें बेहद खुशी हो रही है. अत्याधुनिक तकनीक वाला यह नया उपकरण उन सभी किसानों के लिए बेहद मददगार है, जो आसान तरीके से खेतों में समान रूप से पानी का वितरण करना चाहते हैं.’’

नेटाफिम के डीलर के माध्यम से यह किट पूरे भारत में उपलब्ध है.

Crime Story: फेसबुक दोस्ती और जेल

वस्तुत: अनजान लोगों से फेसबुक आदि सोशल मीडिया पर दोस्ती का हाथ सोच समझकर बढ़ाना चाहिए. अन्यथा हालात रानी शर्मा (काल्पनिक नाम) जैसा हो सकता है.

भोली भाली मासूम रानी उम्र 23 ने फेसबुक पर दोस्ती की और जब दोस्ती की हद पार हुई तो उसे ऐसी त्रासदी से गुजरना पड़ा जो आपकी आंख खोलने के लिए पर्याप्त है.

दरअसल, एक नाटकीय घटनाक्रम के बाद दोस्ती करके अपने मोबाइल पर एक युवती की अश्लील फोटो कैद करने वाले एक आरोपी को पुलिस ने घर दबोचा है.

जब रानी का विवाह दूसरे लड़के राजेश से तय हुआ तो आरोपी ने उक्त अश्लील फोटो को युवती के पिता के मोबाइल पर भेजकर परिवार को अपमानित किया. रिपोर्ट पर पुलिस ने आरोपी के खिलाफ भादवि की धारा 354 (ग) 509 (ख) एवं 67 कर जांच में लिया था.

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आपको बताते चलें कि

मामला एक युवती का होने से मामले की जांच को गंभीरता से लेते हुए विवेचना की जा रही थी. इसी दौरान आरोपी के पता तलाश हेतु लगाये गये मुखबीर से आरोपी कोमल वैष्णव के ग्राम घोघरा जिला बिलासपुर में देखे जाने की सूचना पुलिस को मिली.

पुलिस ने (ए) आईटीएक्ट का जुर्म दर्ज करके रानी का रिश्ता तय होने पर अश्लील फोटो वायरल करने पर  निरीक्षक कार्तिकेश्वर जांगड़े ने खोज बीन तेज कर दी. और अपराध करके लुका छुपी का खेल करने वाले आरोपी युवक को आखिरकार पुलिस ने खोज ही निकाला.

अश्लील फोटो का भयदोहन

आज आपको एक ऐसी संवेदनशील अपराध कथा से रूबरू कराते हैं जिसे पढ़ समझ कर शायद युवा पीढ़ी को एक सबक मिल जाए. फिर कभी भी ऐसी गलती जिंदगी में ना हो पाए.

युवावस्था में युवक युवती का विपरीत लिंगी आकर्षण स्वाभाविक होता है. मगर हम आपको यह बताते चलें कि इस दुनियावी  सच्चाई के साथ यह सच भी युवाओं को कभी नहीं भूलनी चाहिए कि अपनी मर्यादा बनी रहे जब मर्यादा भंग होती है उसके बाद ही अश्लील हरकत के कारण आगे चलकर जाने कितने युवक युवतियों की जिंदगी बर्बाद हो जाती है.

यह सच्ची कहानी भी इसी सच्चाई से रूबरू कराती है.

यह अपराध कथा है

गौरसिंग पिता जीतलाल निर्मलकर की, जिसने रिपोर्ट दर्ज कराई कि उसकी लड़की (23) चन्द्रपुर महाराष्ट्र काम करने गई थी. उसके मोबाईल नंबर पर आरोपी कोमल प्रसाद पिता अशोक कुमार वैष्णव (25) निवासी भोघरा थाना तखतपुर जिला बिलासपुर ने मोबाइल के माध्यम से फेस बुक के जरिये संपर्क कर दोस्ती की और नजदीकी बनाकर अपने प्रेम जाल में फंसा, मोबाईल फोन के माध्यम से अश्लील फोटो तैयार की, जब लड़की रानी का विवाह दूसरे लड़के से तय हुआ तब रिश्ता तय होने को जानकारी होते ही उसने रिश्ता तोड़ने की नियत से आरोपी ने रानी अश्लील फोटो वायरल कर दिया.

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थाना प्रभारी अं, चौकी द्वारा विशेष टीम गठित कर लोरमी सूचना तस्दीक आरोपी की पतासाजी हेतु भेजा गया. आरोपी कोमल प्रसाद पिता अशोक कुमार वैष्णव (25) निवासी घोपरा थाना तखतपुर जिला बिलासपुर  उज्जैन (मध्यप्रदेश) भागने की फिराक में था, टीम द्वारा तलाश करते हुए सिरगिट्टी थाना क्षेत्र अन्तर्गत ग्राम तिफरा काली मंदिर के पास से अभिरक्षा में लेकर थाना अंबागढ़ चौकी लाया गया पूछताछ करने पर उसके द्वारा अपराध करना स्वीकार करने और घटना में प्रयुक्त मोबाईल मय सिम को जप्त कर आरोपी को विधिवत गिरफ्तार कर ज्युडिशियल रिमांड पर पेश किया गया.

पाखंड: आखिर क्या जान गई थी बहू?

Writer- Shalu Duggal

‘‘दीदीजी, हमारी बात मानो तो आप भी पहाड़ी वाली माता के पास हो आओ. फिर देखना, आप के सिर का दर्द कैसे गायब हो जाता है,’’ झाड़ू लगाती रामकली ने कहा.

कल रात को लाइट न होने के कारण मैं रात भर सो नहीं पाई थी, इसलिए सिर में हलका सा दर्द हो रहा था, पर इसे कैसे समझाऊं कि दर्द होने पर दवा खानी चाहिए न कि किसी माता के पास जाना चाहिए.

‘‘रामकली, पहले मेरे लिए चाय बना लाओ,’’ मैं कुछ देर शांति चाहती थी. यहां आए हमें 3 महीने हो चुके थे. ऐसा नहीं था कि मैं यहां पहली बार आई थी. कभी मेरे ससुरजी इस गांव के सरपंच हुआ करते थे. पर यह बात काफी पुरानी हो चुकी है. अब तो इस गांव ने काफी उन्नति कर ली है.

30 साल पहले मेरी डोली इसी गांव में आई थी, पर जल्द ही मेरे पति की नौकरी शहर में लग गई और धीरेधीरे बच्चों की पढ़ाईलिखाई के कारण यहां आना कम हो गया. मेरे सासससुर की मृत्यु के बाद तो यहां आना एकदम बंद हो गया. अब जब हमारे बच्चे अपनेअपने काम में रम गए और पति रिटायर हो गए, तो फिर से एक बार यहां आनाजाना शुरू हो गया.

‘‘मेमसाहब, चाय,’’ रामकली ने मुझे चाय ला कर दी. अब तक सिरदर्द कुछ कम हो गया था. सोचा, थोड़ी देर आराम कर लूं, पर जैसे ही आंखें बंद कीं, गली में बज रहे ढोल की आवाजें सुनाई देने लगीं.

‘‘दीदीजी, आज पहाड़ी माता की चौकी लगनी है न… उस के लिए ही पूरे गांव में जुलूस निकल रहा है. आप भी चल कर दर्शन कर लो.’’

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‘‘यह पहाड़ी वाली माता कौन है?’’ मैं ने पूछा, पर रामकली मेरी बात को अनसुना कर के जय माता दी कहती हुई चली गई.

थोड़ी देर बाद ढोल का शोर दूर जाता सुनाई दिया. तभी रामकली आ कर बोली, ‘‘लो दीदी, मातारानी का प्रसाद,’’ और फिर अपने काम में लग गई.

कुछ दिनों बाद रामकली ने मुझ से छुट्टी मांगी. मैं ने छुट्टी मांगने का कारण पूछा तो बोली, ‘‘दीदी, माता की चौकी पर जाना है.’’ मैं ने ज्यादा नानुकर किए बिना छुट्टी दे दी.

मेरे पति अपना अधिकतर समय मेरे ससुरजी के खेतों पर ही बिताते. सेवानिवृत्त होने के बाद यही उन का शौक था. मैं घर पर कभी किताबें पढ़ कर तो कभी टीवी देख कर समय बिताती थी. पासपड़ोस में कम ही जाती थी. अगले दिन जब रामकली वापस आई तो बस सारा वक्त माता का ही गुणगान करती रही. शुरूशुरू में मुझे ये बातें बोर करती थीं, पर फिर धीरेधीरे मुझे इन में मजा आने लगा. मैं ने भी इस बार चौकी में जाने का मन बना लिया. सोचा, थोड़ा टाइम पास हो जाएगा.

मैं ने रामकली से कहा तो वह खुशी से झूम उठी और बोली, ‘‘दीदी, यह तो बहुत अच्छा है. आप देखना, आप की हर मुराद वहां पूरी हो जाएगी.’’

कुछ दिनों बाद मैं भी रामकली के साथ मंदिर चली गई. इस मंदिर में मैं पहले भी अपनी सास के साथ कई बार आई थी, पर अब तो यह मंदिर पहचान में नहीं आ रहा था. एक छोटे से कमरे में बना मंदिर विशाल रूप ले चुका था. जहां पहले सिर्फ एक फूल की दुकान होती थी वहीं अब दर्जनों प्रसाद की दुकानें खुल चुकी थीं और इतनी भीड़ कि पूछो मत.

रामकली मुझे सीधा आगे ले गई. मंच पर एक बड़ा सिंहासन लगा हुआ था. रामकली मंच के पास खड़े एक आदमी के पास जा कर कुछ कहने लगी, फिर वह आदमी मेरी ओर देख कर मुसकराते हुए नमस्ते करने लगा. मैं ने भी नमस्ते का जवाब दे दिया.

रामकली फिर मेरे पास आ कर बोली, ‘‘दीदी, वह मेरा पड़ोसी राजेश है. जब से माताजी की सेवा में आया है, इस के वारेन्यारे हो गए हैं. पहले इस की बीवी भी मेरी तरह ही घरों में काम करती थी, पर अब देखो माता की सेवा में आते ही इन के भाग खुल गए. आज इन के पास सब कुछ है.’’

थोड़ी देर बाद वहां एक 30-35 वर्ष की महिला आई, जिस ने गेरुआ वस्त्र पहन रखे थे. माथे पर बड़ा सा तिलक लगा रखा था और गले में रुद्राक्ष की माला पहनी हुई थी.

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उस के मंच पर आते ही सब खड़े हो गए और जोरजोर से माताजी की जय हो, बोलने लगे. सब ने बारीबारी से मंच के पास जा कर उन के पैर छुए. पर मैं मंच के पास नहीं गई, न ही मैं ने उन के पैर छुए. 20-25 मिनट बाद ही माताजी उठ कर वापस अपने पंडाल में चली गईं.

माताजी के जाते ही लाउडस्पीकर पर जोरजोर से आवाजें आने लगीं, ‘‘माताजी का आराम का वक्त हो गया है. भक्तों से प्रार्थना है कि लाइन से आ कर माता के सिंहासन के दर्शन कर के पुण्य कमाएं.’’

अजीब नजारा था. लोग उस खाली सिंहासन के पाए को छू कर ही खुश थे.

‘‘दीदी चलो, राजेश ने माताजी के विशेष दर्शन का प्रबंध किया है,’’ रामकली के कहने पर मैं उस के साथ हो गई.

‘‘आओआओ, अंदर आ जाओ,’’ राजेश हमें कमरे के बाहर ही मिल गया. कमरे के अंदर से अगरबत्ती की खुशबू आ रही थी. हलकी रोशनी में माताजी आंखें बंद कर के बैठी थीं. हम उन के सामने जा कर चुपचाप बैठ गए.

थोड़ी देर बाद माताजी की आंखें खुलीं, ‘‘देवी, आप के माथे की रेखाएं बता रही हैं कि आप के मन में हमें ले कर बहुत सी उलझनें हैं…देवी, मन से सभी शंकाएं निकाल दो. बस, भक्ति की शक्ति पर विश्वास रखो.’’

उन की बातें सुन कर मैं मुसकरा दी.

कुछ देर रुक कर वह फिर बोलीं, ‘‘तुम एक सुखी परिवार से हो…तुम्हारे कर्मों का फल है कि तुम्हारे परिवार में सब कुछ ठीक चल रहा है पर देखो देवी, मैं साफसाफ देख सकती हूं कि तुम्हारे परिवार पर संकट आने वाला है. यह संकट तुम्हारे पति के पिछले जन्म के कर्मों का फल है,’’ और माताजी ने एक नजर मुझ पर डाली.

‘‘संकट…माताजी कैसा संकट?’’ मुझ से पहले ही रामकली बोल पड़ी.

‘‘कोई घोर संकट का साया है…और वह साया तुम्हारे बेटे पर है,’’ फिर एक बार माताजी ने मुझ पर गहरी नजर डाली, ‘‘पर इस संकट का समाधान है.’’

‘‘समाधान…कैसा समाधान?’’ इस बार मैं ने पूछा.

‘‘आप के बेटे की शादी को 3 साल हो गए, पर आप आज तक पोते पोतियों के लिए तरस रही हैं,’’ माताजी के मुंह से ये बातें सुन कर मैं सोच में पड़ गई.

माताजी ने आगे बोलना शुरू किया, ‘‘देवीजी, आप का बेटा किसी दुर्घटना का शिकार होने वाला है, पर आप घबराएं नहीं. हम बस एक पूजा कर के सब संकट टाल देंगे और आप के बेटे को बचा लेंगे…यही नहीं, हमारी पूजा से आप जल्दी दादी भी बन जाएंगी.’’

मेरी समझ काम करना बंद कर चुकी थी. मुझे परेशान देख कर रामकली बोली, ‘‘माताजी, आप जैसा कहेंगी, दीदीजी वैसा ही करेंगी…ठीक कहा न दीदी?’’ रामकली ने मुझ से पूछा पर मैं कुछ न कह पाई. बेटे की दुर्घटना वाली बात ने मुझे अंदर तक हिला दिया.

मेरी चुप्पी को मेरी हां मान कर रामकली ने माताजी से पूजा की विधि पूछी तो माताजी बोलीं, ‘‘पूजा हम कर लेंगे…बाकी बात तुम्हें राजेश समझा देगा…देवी, चिंता मत करना हम हैं न.’’

घर आ कर मैं ने सारी बात अपने पति को बताई. मैं अपने बेटे को ले कर काफी परेशान हो गई थी. मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा था. सारी बातें सुन कर मेरे पति बोले, ‘‘शिखा, तुम पढ़ीलिखी हो कर कैसी बातें करती हो? ये सब इन की चालें होती हैं. भोलीभाली औरतों को कभी पति की तो कभी बेटे की जान का खतरा बता कर और मर्दों को पैसों का लालच दे कर ठगते हैं. तुम बेकार में परेशान हो रही हो.’’

‘‘पर अगर उन की बात में कुछ सचाई हुई तो…देखिए पूजा करवाने में हमारा कुछ नहीं जाएगा और मन का डर भी निकल जाएगा…आप समझ रहे हैं न?’’

‘‘हां, समझ रहा हूं…जब तुम जैसी पढ़ीलिखी औरत इन के झांसे में आ गई तो गांव के अनपढ़ लोगों को यह कैसे पागल बनाते होंगे…देखो शिखा, रामकली जैसे लोग इन माताओं और बाबाओं के लिए एजैंट की तरह काम करते हैं. तुम्हारी समझ में क्यों नहीं आ रहा,’’ मेरे पति गुस्से से बोले, फिर मेरे पास आ कर बोले, ‘‘तुम इस माता को नहीं जानती. कुछ महीने पहले यह अपने पति के साथ इस गांव में आई थी. पति महंत बन गया और यह माता बन गई. मंदिर के आसपास की जमीन पर भी गैरकानूनी कब्जा कर रखा है. हम लोगों को तो इन के खिलाफ कुछ करना चाहिए और हम ही इन के जाल में फंस गए…शिखा, सब भूल जाओ और अपने दिमाग से डर को निकाल दो.’’

पति के सामने तो मैं चुप हो गई पर सारी रात सो नहीं पाई.

अगले दिन रामकली ने आ कर बताया कि पूजा के लिए 5 हजार रुपए लगेंगे. मैं ने पति के डर से उसे कुछ दिन टाल दिया. पर मन अब किसी काम में नहीं लग रहा था. 3 दिन बीत गए. इन तीनों दिनों में मैं कम से कम 7 बार अपने बेटे को फोन कर चुकी थी, पर मेरा डर कम नहीं हो रहा था.

1 हफ्ता बीत चुका था. दिल में आया कि अपने पति से एक बार फिर बात कर के देखती हूं, पर हिम्मत नहीं कर पाई. फिर एक दिन रामकली ने आ कर बताया कि माताजी ने कहा है कि कल पूर्णिमा है. पूजा कल नहीं हुई तो संकट टालना मुश्किल हो जाएगा. मेरे पास कोई जवाब नहीं था.

रामकली के जाने के बाद मन में गलत विचार आने लगे. मैं ने बिना अपने पति को बताए पैसे देने का फैसला कर लिया. मैं ने सोचा कि कल पूजा हो जानी चाहिए. इस के लिए मुझे अभी पैसे रामकली को दे देने चाहिए, यह सोच कर मैं रामकली के घर पहुंच गई. वहां पता चला कि वह मंदिर गई है.

मेरे पति के आने में अभी वक्त था, इसलिए मैं तेजतेज कदमों से मंदिर की ओर चल दी. मंदिर में आज रौनक नहीं थी, इसलिए मैं सीधी माताजी के कमरे की ओर चल दी. माता के कमरे के बाहर मेरे कदम रुक गए. अंदर से रामकली की आवाजें आ रही थीं, ‘‘मैं ने तो बहुत कोशिश की माताजी पर वह शहर की है. इतनी आसानी से नहीं मानेगी.’’

‘‘अरे रामकली, तुम नईनई इस काम में आई हो, जरा सीखो कुछ राजेश से…इस का फंसाया मुरगा बिना कटे यहां से आज तक नहीं गया,’’ यह आवाज माताजी की थी.

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‘‘यकीन मानिए माताजी, मैं ने बहुत कोशिश की पर उस का आदमी नहीं माना. साफ मना कर दिया उसे.’’

अब तक मुझे समझ आ गया था कि यहां मेरे बारे में ही बातें चल रही हैं.

‘‘देख रामकली, तेरा कमीशन तो हम काम पूरा होने पर ही देंगे, तू उस से 5 हजार रुपए ले आ और अपने 500 रुपए ले जा…अगर उस का आदमी नहीं मान रहा तो तू कोई और मुरगा पकड़,’’ राजेश बोला, ‘‘हां, वह दूध वाले की बेटी की शादी नहीं हो रही…अगली चौकी पर उस की घरवाली को ले कर आ…वह जरूर फंस जाएगी.’’

बाहर खडे़खड़े सब सुनने के बाद मुझे खुद पर गुस्सा आ रहा था. मैं वहां से चली आई, पर अंदर ही अंदर मैं खुद को कोस रही थी कि मैं कैसे इन के झांसे में आ गई. मेरी आंखें भर चुकी थीं और खुल भी चुकी थीं कितने सही थे मेरे पति, जो इन लोगों को पहचान गए थे.

शाम को जब मेरे पति घर आए तो मैं ने उन को एक लिफाफा दिया.

‘‘यह क्या है?’’ उन्होंने पूछा.

‘‘आप ने ठीक कहा था इन पाखंडियों के चक्कर में नहीं आना चाहिए. ये जाल बिछा कर इस तरह फंसाते हैं कि शिकार को पता भी नहीं चल पाता और उस की जेब खाली हो जाती है,’’ मैं ने कहा.

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