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फर्क: इरा की कामयाबी, सफलता थी या किसी का एहसान

इरा की स्कूल में नियुक्ति इसी शर्त पर हुई थी कि वह बच्चों को नाटक की तैयारी करवाएगी क्योंकि उसे नाटकों में काम करने का अनुभव था. इसीलिए अकसर उसे स्कूल में 2 घंटे रुकना पड़ता था.

इरा के पति पवन को कामकाजी पत्नी चाहिए थी जो उन की जिम्मेदारियां बांट सके. इरा शादी के बाद नौकरी कर अपना हर दायित्व निभाने लगी.

वह स्कूल में हरिशंकर परसाई की एक व्यंग्य रचना ‘मातादीन इंस्पेक्टर चांद पर’ का नाट्य रूपांतर कर बच्चों को उस की रिहर्सल करा रही थी. प्रधानाचार्य ने मुख्य पात्र के लिए 10वीं कक्षा के एक विद्यार्थी मुकुल का नाम सुझाया क्योंकि वह शहर के बड़े उद्योगपति का बेटा था और उस के सहारे पिता को खुश कर स्कूल अनुदान में खासी रकम पा सकता था.

मुकुल में प्रतिभा भी थी. इंस्पेक्टर मातादीन का अभिनय वह कुशलता से करने लगा था. उसी नाटक के पूर्वाभ्यास में इरा को घर जाने में देर हो जाती है. वह घर जाने के लिए स्टाप पर खड़ी थी कि तभी एक कार रुकती है. उस में मुकुल अपने पिता के साथ था. उस के पिता शरदजी को देख इरा चहक उठती है. शरदजी बताते हैं कि जब मुकुल ने नाटक के बारे में बताया तो मैं समझ गया था कि ‘इरा मैम’ तुम ही होंगी.

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इरा उन के साथ गाड़ी में बैठ जाती है. तभी उसे याद आता है कि आज उस के बेटे का जन्मदिन है और उस के लिए तोहफा लेना है. शरदजी को पता चलता है तो वह आलीशान शापिंग कांप्लेक्स की तरफ गाड़ी घुमा देते हैं. वह इरा को कंप्यूटर गेम दिलवाने पर उतारू हो जाते हैं. इरा बेचैन थी क्योंकि पर्स में इतने रुपए नहीं थे. अब आगे…

एक महंगा केक और फूलों का बुके आदि तमाम चीजें शरदजी गाड़ी में रखवाते चले गए. वह अवाक् और मौन रह गई.

शरदजी को घर में भीतर आने को कहना जरूरी लगा. बेटे सहित शरदजी भीतर आए तो अपने घर की हालत देख सहम ही गई इरा. कुर्सियों पर पड़े गंदे,  मुचड़े, पहने हुए वस्त्र हटाते हुए उस ने उन्हें बैठने को कहा तो जैसे वे सब समझ गए हों, ‘‘रहने दो, इरा… फिर किसी दिन आएंगे… जरा अपने बेटे को बुलाइए… उस से हाथ मिला लूं तब चलूं. मुझे देर हो रही है, जरूरी काम से जाना है.’’

इरा ने सुदेश और पति को आवाज दी. वे अपने कमरे में थे. दोनों बाहर निकल आए तो जैसे इरा शरम से गड़ गई हो. घर में एक अजनबी को बच्चे के साथ आया देख पवन भी अचकचा गए और सुदेश भी सहम सा गया पर उपहार में आई ढेरों चीजें देख उस की आंखें चमकने लगीं… स्नेह से शरदजी ने सुदेश के सिर पर हाथ फेरा. उसे आशीर्वाद दिया, उस से हाथ मिला उसे जन्मदिन की बधाई दी और बेटे मुकुल के साथ जाने लगे तो सकुचाई इरा उन्हें चाय तक के लिए रोकने का साहस नहीं बटोर पाई.

पवन से हाथ मिला कर शरदजी जब घर से बेटे मुकुल के साथ बाहर निकले तो उन्हें बाहर तक छोड़ने न केवल इरा ही गई, बल्कि पवन और सुदेश भी गए.

उन्होंने पवन से हाथ मिलाया और गाड़ी में बैठने से पहले अपना कार्ड दे कर बोले, ‘‘इरा, कभी पवनजी को ले कर आओ न हमारे झोंपड़े पर… तुम से बहुत सी बातें करनी हैं. अरसे बाद मिली हो भई, ऐसे थोड़े छोड़ देंगे तुम्हें… और फिर तुम तो मेरे बेटे की कैरियर निर्माता हो… तुम्हें अपना बेटा सौंप कर मैं सचमुच बहुत आश्वस्तहूं.’’

पवन और सुदेश के साथ घर वापस लौटती इरा एकदम चुप और खामोश थी. उस के भीतर एक तीव्र क्रोध दबे हुए ज्वालामुखी की तरह भभक रहा था पर किसी तरह वह अपने गुस्से पर काबू रखे रही. इस वक्त कुछ भी कहने का मतलब था, महाभारत छिड़ जाना. सुदेश के जन्मदिन को वह ठीक से मना लेना चाहती थी.

सुदेश के जन्मदिन का आयोजन देर रात तक चलता रहा था. इतना खुश सुदेश पहले शायद ही कभी हुआ हो. इरा भी उस की खुशी में पूरी तरह डूब कर खुश हो गई.

बिस्तर पर जब वह पवन के साथ आई तो बहुत संतुष्ट थी. पवन भी संतुष्ट थे, ‘‘अरसे बाद अपना सुदेश आज इतना खुश दिखाई दिया.’’

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‘‘पर खानेपीने की चीजें मंगाने में काफी पैसा खर्च हो गया,’’ न चाहते हुए भी कह बैठी इरा.

‘‘घर वालों के ही खानेपीने पर तो खर्च हुआ है. कोई बाहर वालों पर तो हुआ नहीं. पैसा तो फिर कमा लिया जाएगा… खुशियां हमें कबकब मिलती हैं,’’ पवन अभी तक उस आयोजन में डूबे हुए थे.

‘‘सोया जाए… मुझे सुबह फिर जल्दी उठना है. सुदेश का कल अंगरेजी का टेस्ट है और मैं अंगरेजी की टीचर हूं अपने स्कूल में. मेरा बेटा ही इस विषय में पिछड़ जाए, यह मैं कैसे बरदाश्त कर सकती हूं? सुबह जल्दी उठ कर उस का पूरा कोर्स दोहरवाऊंगी…’’

‘‘आजकल की यह पढ़ाई भी हमारे बच्चों की जान लिए ले रही है,’’ पवन के चेहरे पर से प्रसन्नता गायब होने लगी, ‘‘हमारे जमाने में यह जानमारू प्रतियोगिता नहीं थी.’’

‘‘अब तो 90 प्रतिशत अंक, अंक नहीं माने जाते जनाब… मांबाप 99 और 100 प्रतिशत अंकों के लिए बच्चों पर इतना दबाव बनाते हैं कि बच्चों का स्वास्थ्य तक चौपट हुआ जा रहा है. क्यों दबा रहे हैं हम अपने बच्चों को… कभीकभी मैं भी बच्चों को पढ़ाती हुई इन सवालों पर सोचती हूं…’’

‘‘शायद इसलिए कि हम बच्चों के भविष्य को ले कर बेहद डरे हुए हैं, आशंकित हैं कि पता नहीं उन्हें जिंदगी में कुछ मिलेगा या नहीं… कहीं पांव टिकाने को जगह न मिली तो वे इस समाज में सम्मान के साथ जिएंगे कैसे?’’ पवन बोले, ‘‘हमारे जमाने में शायद यह गलाकाट प्रतियोगिता नहीं थी पर आजकल जब नौकरियां मिल नहीं रहीं, निजी कामधंधों में बड़ी पूंजी का खेल रह गया है. मामूली पैसे से अब कोई काम शुरू नहीं किया जा सकता, ऐसे में दो रोटियां कमाना बहुत टेढ़ी खीर हो गया है, तब बच्चों के कैरियर को ले कर सावधान हो जाने को मांबाप विवश हो गए हैं… अच्छे से अच्छा स्कूल, ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं, साधन, अच्छे से अच्छा ट्यूटर, ज्यादा से ज्यादा अंक, ज्यादा से ज्यादा कुशलता और दक्षता… दूसरा कोई बच्चा हमारे बच्चे से आगे न निकल पाए, यह भयानक प्रत्याशा… नतीजा तुम्हारे सामने है जो तुम कह रही हो…’’

‘‘मैं तो समझती थी कि तुम इन सब मसलों पर कुछ न सोचते होंगे, न समझते होंगे… पर आज पता चला कि तुम्हारी भी वही चिंताएं हैं जो मेरी हैं. जान कर सचमुच अच्छा लग रहा है, पवन,’’ कुछ अधिक ही प्यार उमड़ आया इरा के भीतर और उस ने पवन को एक गरमागरम चुंबन दे डाला.

पवन ने भी उसे बांहों में भर, एक बार प्यार से थपथपाया, ‘‘आदमी को तुम इतना मूर्ख क्यों मानती हो? अरे भई, हम भी इसी धरती के प्राणी हैं.’’

‘‘यह नाटक मैं ठीक से करा ले जाऊं और शरदजी को उन के बेटे के माध्यम से प्रसन्न कर पाऊं तो शायद उस एहसान से मुक्त हो सकूं जो उन्होंने मुझ पर किए हैं. जानते हो पवन, शरदजी ने अपने निर्देशन में मुझे 3 नाटकों में नायिका बनाया था. बहुत आलोचना हुई थी उन की पर उन्होंने किसी की परवा नहीं की थी. अगर तब उन्होंने मुझे उतना महत्त्व न दिया होता, मेरी प्रतिभा को न निखारा होता तो शायद मैं नाटकों की इतनी प्रसिद्ध नायिका न बनी होती. न ही यह नौकरी आज मुझे मिलती. यह सब शरदजी की ही कृपा से संभव हुआ.’’

नाटक उम्मीद से कहीं अधिक सफल रहा. मुकुल ने इंस्पेक्टर मातादीन के रूप में वह समां बांधा कि पूरा हाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा. स्कूल प्रबंधक और प्रधानाचार्या अपनेआप को रोक नहीं सके और दोनों उठ कर इरा के पास मंच के पीछे आए, ‘‘इरा, तुम तो कमाल की टीचर हो भई.’’

मुकुल के पिता शरदजी तो अपने बेटे की अभिनय क्षमता और इरा के कुशल निर्देशन से इतने प्रसन्न हुए कि उन्होंने वहीं, मंच पर आ कर स्कूल के लिए एक वातानुकूलित कंप्यूटर कक्ष और 10 कंप्यूटर अत्यंत उच्च श्रेणी के देने की घोषणा कर प्रबंधक और प्रधानाचार्या के मन की मुराद ही पूरी कर दी.

जब वे आयोजन के बाद चायनाश्ते पर अन्य अतिथियों के साथ प्रबंधक के पास बैठे तो न जाने उन के कान में क्या कहते रहे. इरा ने 1-2 बार उन की ओर देखा भी पर वे उन से ही बातें करते रहे. बाद में इरा को धन्यवाद दे वे जातेजाते पवन और सुदेश की तरफ देख हाथ हिला कर बोले, ‘‘इरा…मुझे अभी तक उम्मीद है कि किसी दिन तुम आने के लिए मुझे दफ्तर में फोन करोगी…’’

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‘‘1-2 दिन में ही तकलीफ दूंगी, सर, आप को,’’ इरा उत्साह से बोली थी.

‘‘जो आदमी खुश हो कर लाखों रुपए का दान स्कूल को दे सकता है, उस से हम बहुत लाभ उठा सकते हैं, इरा… और वह आदमी तुम से बहुत खुश और प्रभावित भी है,’’ अपना मंतव्य आखिर पवन ने घर लौटते वक्त रास्ते में प्रकट कर ही दिया.

परंतु इरा चुप रही. कुछ बोली नहीं. किसी तरह पुन: पवन ने ही फिर कहा, ‘‘क्या सोच रही हो? कब चलें हम लोग शरदजी के घर?’’

‘‘पवन, तुम्हारे सोचने और मेरे सोचने के ढंग में बहुत फर्क है,’’ कहते हुए बहुत नरम थी इरा की आवाज.

‘‘सोच के फर्क को गोली मारो, इरा. हमें अपने मतलब पर ध्यान देना चाहिए, अगर हम किसी से अपना कोई मतलब आसानी से निकाल सकते हैं तो इस में हमारे सोच को और हमारी हिचक व संकोच को आड़े नहीं आना चाहिए,’’ पवन की सूई वहीं अटकी हुई थी, ‘‘तुम अपने घरपरिवार की स्थितियों से भली प्रकार परिचित हो, अपने ऊपर कितनी जिम्मेदारियां हैं, यह भी तुम अच्छी तरह जानती हो. इसलिए हमें निसंकोच अपने लिए कुछ हासिल करने का प्रयास करना चाहिए.’’

‘‘मैं तुम्हें और सुदेश को ले कर उन के बंगले पर जरूर जाऊंगी, पर एक शर्त पर… तुम इस तरह की कोई घटिया बात वहां नहीं करोगे. शरदजी के साथ मैं ने नाटकों में काम किया है, मैं उन्हें बहुत अच्छी तरह जानती हूं. वह इस तरह से सोचने वाले व्यक्ति नहीं हैं. बहुत समझदार और संवेदनशील व्यक्ति हैं. उन से पहली बार ही उन के घर जा कर कुछ मांगना मुझे उन की नजरों में बहुत छोटा बना देगा, पवन. मैं ऐसा हरगिज नहीं कर सकती.’’

दूसरे दिन इरा जब स्कूल में पहुंची तो प्रधानाचार्या ने उसे अपने दफ्तर में बुलाया, ‘‘हमारी कमेटी ने तय किया है कि यह पत्र तुम्हें दिया जाए,’’ कह कर एक पत्र इरा की तरफ बढ़ा दिया.

एक सांस में उस पत्र को धड़कते दिल से पढ़ गई इरा. चेहरा लाल हो गया, ‘‘थैंक्स, मेम…’’ अपनी आंतरिक प्रसन्नता को वह मुश्किल से वश में रख पाई. उसे प्रवक्ता का पद दिया गया था और स्कूल की सांस्कृतिक गतिविधियों की स्वतंत्र प्रभारी बनाई गई थी. साथ ही उस के बेटे सुदेश को स्कूल में दाखिला देना स्वीकार किया गया था और उस की इंटर तक फीस नहीं लगेगी, इस का पक्का आश्वासन कमेटी ने दिया था.

शाम को जब घर आ उस ने वह पत्र पवन, ससुरजी व घर के अन्य सदस्यों को पढ़वाया तो जैसे किसी को विश्वास ही न आया हो. एकदम जश्न जैसा माहौल हो गया, सुदेश देर तक समझ नहीं पाया कि सब इतने खुश क्यों हो गए हैं.

इरा ने नजदीकी पब्लिक फोन से शरदजी को दफ्तर में फोन किया, ‘‘आप को हार्दिक धन्यवाद देने आप के बंगले पर आज आना चाहती हूं, सर. अनुमतिहै?’’

सुन कर जोर से हंस पड़े शरदजी, ‘‘नाटक वालों से नाटक करोगी, इरा?’’

‘‘नाटक नहीं, सर. सचमुच मैं बहुत खुश हूं. आप के इस उपकार को कभी नहीं भूलूंगी,’’ वह एक सांस में कह गई, ‘‘कितने बजे तक घर पहुंचेंगे आप?’’

‘‘मेरा ड्राइवर तुम्हें लगभग 9 बजे घर से लिवा लाएगा… और हां, सुदेश व पवनजी भी साथ आएंगे,’’ उन्होंने फोन रख दिया था.

अपनी इरा मैम को अपने घर पर पाकर मुकुल बेहद खुश था. देर तक अपनी चीजें उन्हें दिखाता रहा. अगले नाटकों में भी इरा मैम उसे रखें, इस का वादा कराता रहा.

पूरे समय पवन कसमसाते रहे कि किसी तरह इरा मतलब की बात कहे शरदजी से. शरदजी जैसे बड़े आदमी के लिए यह सब करना मामूली सी बात है, पर इरा थी कि अपने विश्वविद्यालय के उन दिनों के किए नाटकों के बारे में ही उन से हंसहंस कर बातें करती रही.

जब वे लोग वापस चलने को उठे तो शरदजी ने अपने ड्राइवर से कहा, ‘‘साहब लोगों को इन के घर छोड़ कर आओ…’’ फिर बड़े प्रेम से उन्होंने पवन से हाथ मिलाया और उन की जेब में एक पत्र रखते हुए बोले, ‘‘घर जा कर देखना इसे.’’

रास्ते भर पवन का दिल धड़कता रहा, माथे पर पसीना आता रहा. पता नहीं, पत्र में क्या हो. जब घर आ कर पत्र पढ़ा तो अवाक् रह गए पवन… उन की नियुक्ति शरदजी ने अपने दफ्तर में एक अच्छे पद पर की थी.

सीख: जब बहुओं को एक साथ रखने के लिए सास ने निकाली तरकीब

Writer- Avnish Sharma

हमारे घर की खुशियों और सुखशांति पर अचानक ही ग्रहण लग गया. पहले हमेशा चुस्तदुरुस्त रहने वाली मां को दिल का दौरा पड़ा. वे घर की मजबूत रीढ़ थीं. उन का आई.सी.यू. में भरती होना हम सब के पैरों तले से जमीन खिसका गया. वे करीब हफ्ते भर अस्पताल में रहीं. इतने समय में ही बड़ी और छोटी भाभी के बीच तनातनी पैदा हो गई.

छोटी भाभी शिखा की विकास भैया से करीब 7 महीने पहले शादी हुई थी. वे औफिस जाती हैं. मां अस्पताल में भरती हुईं तो उन्होंने छुट्टी ले ली.

मां को 48 घंटे के बाद डाक्टर ने खतरे से बाहर घोषित किया तो शिखा भाभी अगले दिन से औफिस जाने लगीं. औफिस में इन दिनों काम का बहुत जोर होने के कारण उन्हें ऐसा करना पड़ा था.

बड़ी भाभी नीरजा को छोटी भाभी का ऐसा करना कतई नहीं जंचा.

‘‘मैं अकेली घर का काम संभालूं या अस्पताल में मांजी के पास रहूं?’’ अपनी देवरानी शिखा को औफिस जाने को तैयार होते देख वे गुस्से से भर गईं, ‘‘किसी एक इनसान के दफ्तर न पहुंचने से वह बंद नहीं हो जाएगा. इस कठिन समय में शिखा का काम में हाथ न बंटाना ठीक नहीं है.’’

‘‘दीदी, मेरी मजबूरी है. मुझे 8-10 दिन औफिस जाना ही पड़ेगा. फिर मैं छुट्टी ले लूंगी और आप खूब आराम करना,’’ शिखा भाभी की सहजता से कही गई इस बात का नीरजा भाभी खामखां ही बुरा मान गईं.

यह सच है कि नीरजा भाभी मां के साथ बड़ी गहराई से जुड़ी हुई हैं. उन की मां उन्हें बचपन में ही छोड़ कर चल बसी थीं. सासबहू के बीच बड़ा मजबूत रिश्ता था और मां को पड़े दिल के दौरे ने नीरजा भाभी को दुख, तनाव व चिंता से भर दिया था.

शिखा भाभी की बात से बड़ी भाभी अचानक बहुत ज्यादा चिढ़ गई थीं.

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‘‘बनठन कर औफिस में बस मटरगश्ती करने जाती हो तुम…मैं घर न संभालूं तो तुम्हें आटेदाल का भाव मालूम पड़ जाए…’’ ऐसी कड़वी बातें मुंह से निकाल कर बड़ी भाभी ने शिखा को रुला दिया था.

‘‘मुझे नहीं करनी नौकरी…मैं त्यागपत्र दे दूंगी,’’ उन की इस धमकी को सब ने सुना और घर का माहौल और ज्यादा तनावग्रस्त हो गया.

शिखा भाभी की पगार घर की आर्थिक स्थिति को ठीकठाक बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती थी. सब जानते थे कि वे जिद्दी स्वभाव की हैं और जिद पर अड़ कर कहीं सचमुच त्यागपत्र न दे दें, इस डर ने पापा को इस मामले में हस्तक्षेप करने को मजबूर कर दिया.

‘‘बहू, उसे दफ्तर जाने दो. हम सब हैं न यहां का काम संभालने के लिए. तुम अपनी सास के साथ अस्पताल में रहो. अंजलि रसोई संभालेगी,’’ पापा ने नीरजा भाभी को गंभीर लहजे में समझाया और उन की आंखों का इशारा समझ मैं रसोई में घुस गई.

राजीव भैया ने नीरजा भाभी को जोर से डांटा, ‘‘इस परेशानी के समय में तुम क्या काम का रोनाधोना ले कर बैठ गई हो. जरूरी न होता तो शिखा कभी औफिस जाने को तैयार न होती. जाओ, उसे मना कर औफिस भेजो.’’

राजीव भैया के सख्त लहजे ने भाभी की आंखों में आंसू ला दिए. उन्होंने नाराजगी भरी खामोशी अख्तियार कर ली. विशेषकर शिखा भाभी से उन की बोलचाल न के बराबर रह गई थी.

अस्पताल से घर लौटी मां को अपनी दोनों बहुओं के बीच चल रहे मनमुटाव का पता पहले दिन ही चल गया.

उन्होंने दोनों बहुओं को अलगअलग और एकसाथ बिठा कर समझाया, पर स्थिति में खास सुधार नहीं हुआ. दोनों भाभियां आपस में खिंचीखिंची सी रहतीं. उन के ऐसे व्यवहार के चलते घर का माहौल तनावग्रस्त बना रहने लगा.

बड़े भैया से नीरजा भाभी को डांट पड़ती, ‘‘तुम बड़ी हो और इसलिए तुम्हें ज्यादा जिम्मेदारी से काम लेना चाहिए. बच्चों की तरह मुंह फुला कर घूमना तुम्हें शोभा नहीं देता है.’’

छोटे भैया विकास भी शिखा भाभी के साथ सख्ती से पेश आते.

‘‘तुम्हारे गलत व्यवहार के कारण मां को दुख पहुंच रहा है, शिखा. डाक्टरों ने कहा है कि टैंशन उन के लिए घातक साबित हो सकता है. अगर उन्हें दूसरा अटैक पड़ गया तो मैं तुम्हें कभी माफ नहीं करूंगा,’’ ऐसी कठोर बातें कह कर विकास भैया शिखा भाभी को रुला डालते.

पापा का काम सब को समझाना था. कभीकभी वे बेचारे बड़े उदास नजर आते. जीवनसंगिनी की बीमारी व घर में घुस आई अशांति के कारण वे थके व टूटे से दिखने लगे थे.

मां ज्यादातर अपने कमरे में पलंग पर लेटी आराम करती रहतीं. बहुओं के मूड की जानकारी उन तक पहुंचाने की जिम्मेदारी उन्होंने मुझ पर डाली हुई थी. मैं बहुत कुछ बातें उन से छिपा जाती, पर झूठ नहीं बोलती. घर की बिगड़ती जा रही स्थिति को ले कर मां की आंखों में चिंता के भावों को मैं निरंतर बढ़ते देख रही थी.

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फिर एक खुशी का मौका आ गया. मेरे 3 साल के भतीजे मोहित का जन्मदिन रविवार को पड़ा. इस अवसर पर घर के बोझिल माहौल को दूर भगाने का प्रयास हम सभी ने दिल से किया था.

शिखा भाभी मोहित के लिए बैटरी से पटरियों पर चलने वाली ट्रेन लाईं. हम सभी बनसंवर कर तैयार हुए. बहुत करीबी रिश्तेदारों व मित्रों के लिए लजीज खाना हलवाई से तैयार कराया गया.

उस दिन खूब मौजमस्ती रही. केक कटा, जम कर खायापिया गया और कुछ देर डांस भी हुआ. यह देख कर हमारी खुशियां दोगुनी हो गईं कि नीरजा और शिखा भाभी खूब खुल कर आपस में हंसबोल रही थीं.

लेकिन रात को एक और घटना ने घर में तनाव और बढ़ा दिया था.

शिखा भाभी ने रात को अपने पहने हुए जेवर मां की अलमारी में रखे तो पाया कि उन का दूसरा सोने का सेट अपनी जगह से गायब था.

उन्होंने मां को बताया. जल्दी ही सैट के गायब होने की खबर घर भर में फैल गई.

दोनों बहुओं के जेवर मां अपनी अलमारी में रखती थीं. उन्होंने अपनी सारी अलमारी खंगाल मारी, पर सैट नहीं मिला.

‘‘मैं ने चाबी या तो नीरजा को दी थी या शिखा को. इन लोगों की लापरवाही के कारण ही किसी को सैट चुराने का मौका मिल गया. घर में आए मेहमानों में से अब किसे चोर समझें?’’ मां का चेहरा गुस्से से लाल हो रहा था.

मां किसी मेहमान को चोर बता रही थीं और शिखा भाभी ने अपने हावभाव से यह जाहिर किया जैसे चोरी करने का शक उन्हें नीरजा भाभी पर हो.

शिखा भाभी नाराज भी नजर आती थीं और रोंआसी भी. किसी की भी समझ में नहीं आ रहा था कि उन से इस मामले में क्या कहें. सैट अपनेआप तो गायब हो नहीं सकता था. किसी ने तो उसे चुराया था और शक की सूई सब से ज्यादा बड़ी भाभी की तरफ घूम जाती क्योंकि मां ने अलमारी की चाबी उन्हें दिन में कई बार दी थी.

हम सभी ड्राइंगरूम में बैठे थे तभी नीरजा भाभी ने गंभीर लहजे में छोटी भाभी से कहा, ‘‘शिखा, मैं ने तुम्हारे सैट को छुआ भी नहीं है. मेरा विश्वास करो कि मैं चोर नहीं हूं.’’

‘‘मैं आप को चोर नहीं कह रही हूं,’’ शिखा भाभी ने जिस ढंग से यह बात कही उस में गुस्से व बड़ी भाभी को अपमानित करने वाले भाव मौजूद थे.

‘‘तुम मुंह से कुछ न भी कहो, पर मन ही मन तुम मुझे ही चोर समझ रही हो.’’

‘‘मेरा सैट चोरी गया है, इसलिए कोई तो चोर है ही.’’

‘‘नीरजा, तुम अपने बेटे के सिर पर हाथ रख कर कह दो कि तुम चोर नहीं हो,’’ तनावग्रस्त बड़े भैया ने अपनी पत्नी को सलाह दी.

‘‘मुझे बेटे की कसम खाने की जरूरत नहीं है…मैं झूठ नहीं बोल रही हूं…अब मेरे कहे का कोई विश्वास करे या न करे यह उस के ऊपर है,’’ ऐसा कह कर जब बड़ी भाभी अपने कमरे की तरफ जाने को मुड़ीं तब उन की आंखों में आंसू झिलमिला रहे थे.

मोहित के जन्मदिन की खुशियां फिर से तनाव व चिंता में बदल गईं.

छोटी भाभी का मूड आगामी दिनों में उखड़ा ही रहा. इस मामले में बड़ी भाभी कहीं ज्यादा समझदारी दिखा रही थीं. उन्होंने शिखा भाभी के साथ बोलना बंद नहीं किया बल्कि दिन में 1-2 बार जरूर इस बात को दोहरा देतीं कि शिखा उन पर सैट की चोरी का गलत शक कर रही है.

मांने उन दोनों को ही समझाना छोड़ दिया. वे काफी गंभीर रहने लगी थीं. वैसे उन को टैंशन न देने के चक्कर में कोई भी इस विषय को उन के सामने उठाता ही नहीं था.

मोहित के जन्मदिन के करीब 10 दिन बाद मुझे कालेज के एक समारोह में शामिल होना था. उस दिन मैं ने शिखा भाभी का सुंदर नीला सूट पहनने की इजाजत उन से तब ली जब वे बाथरूम में नहा रही थीं.

उन की अलमारी से सूट निकालते हुए मुझे उन का खोया सैट मिल गया. वह तह किए कपड़ों के पीछे छिपा कर रखा गया था.

मैं ने डब्बा जब मां को दिया तब बड़ी भाभी उन के पास बैठी हुई थीं. जब मैं ने सैट मिलने की जगह उन दोनों को बताई तो मां आश्चर्य से और नीरजा भाभी गुस्से से भरती चली गईं.

‘‘मम्मी, आप ने शिखा की चालाकी और मक्कारी देख ली,’’ नीरजा भाभी का चेहरा गुस्से से लाल हो उठा, ‘‘मुझे चोर कहलवा कर सब के सामने अपमानित करवा दिया और डब्बा खुद अपनी अलमारी में छिपा कर रखा था. उसे इस गंदी हरकत की सजा मिलनी ही चाहिए.’’

‘‘तुम अपने गुस्से को काबू में रखो, नीरजा. उसे नहा कर आने दो. फिर मैं उस से पूछताछ करती हूं,’’ मां ने यों कई बार भाभी को समझाया पर वे छोटी भाभी का नाम ले कर लगातार कुछ न कुछ बोलती ही रहीं.

कुछ देर बाद छोटी भाभी सब के सामने पेश हुईं तो मैं ने सैट उन की अलमारी में कपड़ों के पीछे से मिलने की बात दोहरा दी.

सारी बात सुन कर वे जबरदस्त तनाव की शिकार बन गईं. फिर बड़ी भाभी को गुस्से से घूरते हुए उन्होंने मां से कहा, ‘‘मम्मी, चालाक और मक्कार मैं नहीं बल्कि ये हैं. मुझे आप सब की नजरों से गिराने के लिए इन्होंने बड़ी चालाकी से काम लिया है. मेरी अलमारी में सैट मैं ने नहीं बल्कि इन्होंने ही छिपा कर रखा है. ये मुझे इस घर से निकालने पर तुली हुई हैं.’’

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नीरजा भाभी ने शिखा भाभी के इस आरोप का जबरदस्त विरोध किया. दोनों के बीच हमारे रोकतेरोकते भी कई कड़वे, तीखे शब्दों का आदानप्रदान हो ही गया.

‘‘खामोश,’’ अचानक मां ने दोनों को ऊंची आवाज में डपटा, तो दोनों सकपकाई सी चुप हो गईं.

‘‘मैं तुम दोनों से 1-1 सवाल पूछती हूं,’’ मां ने गंभीर लहजे में बोलना आरंभ किया, ‘‘शिखा, तुम्हारा सैट मेरी अलमारी से चोरी हुआ तो तुम ने किस सुबूत के आधार पर नीरजा को चोर माना था?’’

शिखा भाभी ने उत्तेजित लहजे में जवाब दिया, ‘‘मम्मी, आप ने चाबी मुझे या इन्हें ही तो दी थी. अपने सैट के गायब होने का शक इन के अलावा और किस पर जाता?’’

‘‘तुम ने मुझ पर शक क्यों नहीं किया?’’

‘‘आप पर चोरी करने का शक पैदा होने का सवाल ही नहीं उठता, मम्मी. आप आदरणीय हैं. सबकुछ आप का ही तो है…अपनी हिफाजत में रखी चीज कोई भला खुद क्यों चुराएगा?’’ छोटी भाभी मां के सवाल का जवाब देतेदेते जबरदस्त उलझन की शिकार बन गई थीं.

अब मां नीरजा भाभी की तरफ घूमीं और उन से पूछा, ‘‘बड़ी बहू, अंजलि को सैट शिखा की अलमारी में मिला. तुम ने सब से पहले शिखा को ही चालाकी व मक्कारी करने का दोषी किस आधार पर कहा?’’

‘‘मम्मी, मैं जानती हूं कि सैट मैं ने नहीं चुराया था. आप की अलमारी से सैट कोई बाहर वाला चुराता तो वह शिखा की अलमारी से न बरामद होता. सैट को शिखा की अलमारी में उस के सिवा और कौन छिपा कर रखेगा?’’ किसी अच्छे जासूस की तरह नीरजा भाभी ने रहस्य खोलने का प्रयास किया.

‘‘अगर सैट पहले मैं ने ही अपनी अलमारी से गायब किया हो तो क्या उसे शिखा की अलमारी में नहीं रख सकती?’’

‘‘आप ने न चोरी की है, न सैट शिखा की अलमारी में रखा है. आप इसे बचाने के लिए ऐसा कह रही हैं.’’

‘‘बिलकुल यही बात मैं भी कहती हूं,’’ शिखा भाभी ने ऊंची आवाज में कहा, ‘‘मम्मी, आप समझ रही हैं कि सारी चालाकी बड़ी भाभी की है और सिर्फ इन्हें बचाने को…’’

‘‘यू शटअप.’’

दोनों भाभियां एकदूसरे को फाड़ खाने वाले अंदाज में घूर रही थीं. मां उन दोनों को कुछ पलों तक देखती रहीं. फिर उन्होंने एक गहरी सांस इस अंदाज में ली मानो बहुत दुखी हों.

दोनों भाभियां उन की इस हरकत से चौंकीं और गौर से उन का चेहरा ताकने लगीं.

मां ने दुखी लहजे में कहा, ‘‘तुम दोनों मेरी बात ध्यान से सुनो. सचाई यही है कि शिखा का सैट मैं ने ही अपनी अलमारी से पहले गायब किया और फिर अंजलि के हाथों उसे शिखा की अलमारी से बरामद कराया.’’

दोनों भाभियों ने चौंक कर मेरी तरफ देखा. मैं ने हलकी सी मुसकराहट अपने होंठों पर ला कर कहा, ‘‘मां, सच कह रही हैं. मैं सैट चुन्नी में छिपा कर शिखा भाभी के कमरे में ले गई थी और फिर हाथ में पकड़ कर वापस ले आई. ऐसा मैं ने मां के कहने पर किया था.’’

‘‘मम्मी, आप ने यह गोरखधंधा क्यों किया? अपनी दोनों बहुओं के बीच मनमुटाव कराने के पीछे आप का क्या मकसद रहा?’’ नीरजा भाभी ने यह सवाल शिखा भाभी की तरफ से भी पूछा.

मां एकाएक बड़ी गंभीर व भावुक हो कर बोलीं, ‘‘मैं ने जो किया उस की गहराई में एक सीख तुम दोनों के लिए छिपी है. उसे तुम दोनों जिंदगी भर के लिए गांठ बांध लो.

‘‘देखो, मेरी जिंदगी का अब कोई भरोसा नहीं. मेरे बाद तुम दोनों को ही यह घर चलाना है. राजीव और विकास सदा मिल कर एकसाथ रहें, इस के लिए यह जरूरी है कि तुम दोनों के दिलों में एकदूसरे के लिए प्यार व सम्मान हो.

‘‘सैट से जुड़ी समस्या पैदा करने की जिम्मेदार मैं हूं, पर तुम दोनों में से किसी ने मुझ पर शक क्यों नहीं किया?

‘‘इस का जवाब तुम दोनों ने यही दिया कि मैं तुम्हारे लिए आदरणीय हूं…मेरी छवि ऐसी अच्छी है कि मुझे चोर मानने का खयाल तक तुम दोनों के दिलों में नहीं आया.

‘‘तुम दोनों को आजीवन एकदूसरे का साथ निभाना है. अभी तुम दोनों के दिलों में एकदूसरे पर विश्वास करने की नींव कमजोर है तभी बिना सुबूत तुम दोनों ने एकदूसरे को चोर, चालाक व मक्कार मान लिया.

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‘‘आज मैं अपनी दिली इच्छा तुम दोनों को बताती हूं. एकदूसरे पर उतना ही मजबूत विश्वास रखो जितना तुम दोनों मुझ पर रखती हो. कैसी भी परिस्थितियां, घटनाएं या लोगों की बातें कभी इस विश्वास को न डगमगा पाएं ऐसा वचन तुम दोनों से पा कर ही मैं चैन से मर सकूंगी.’’

‘‘मम्मी, ऐसी बात मुंह से मत निकालिए,’’ मां की आंखों से बहते आंसुओं को पोंछने के बाद नीरजा भाभी उन की छाती से लग गईं.

‘‘आप की इस सीख को मैं हमेशा याद रखूंगी…हमें माफ कर दीजिए,’’ शिखा भाभी भी आंसू बहाती मां की बांहों में समा गईं.

‘‘मैं आज बेहद खुश हूं कि मेरी दोनों बहुएं बेहद समझदार हैं,’’ मां का चेहरा खुशी से दमक उठा और मैं भी भावुक हो उन की छाती से लग गई.

ज्यादा देर तक बैठने की आदत से हो सकती हैं आपको ये परेशानियां

कई लोगों को औफिस में काफी देर तक बैठना पड़ता है. काम के दबाव के कारण उन्हें घंटों सीट पर बैठना पड़ता है. ऐसे में उन्हें रीढ़ की हड्डी से जुड़ी कई समस्याएं होने लगती हैं. पर क्या आपको पता है कि आपकी ये आदत आपके लिए कितनी हानिकार है?

हाल ही में हुई एक स्टडी के आधार पर हम आपको बताएंगे कि ज्यादा देर तक बैठे रहने से आपको किस किस तरह की परेशानियां हो सकती हैं.

बढ़ता है वजन

ज्यादा देर तक बैठे रहने से आपका वजन बढ़ता है.

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बढ़ता है डाइबिटीज का खतरा

अगर आपका लाइफस्टाइल बेहद सुस्त है तो आपको डाइबिटीज के होने का खतरा काफी अधिक हो सकता है. जानकारों की माने तो लंबे समय तक बैठे रहने और सुस्त लाइफस्टाइल फौलो करने वालों को डायबिटीज का खतरा अधिक रहता है.

शरीर में दर्द

आपको अगर गर्दन कंधे और कमर में लगातार दर्द रहता है को समझ जाइए की लंबे समय तक बैठने से ये परेशानी हो रही है. आपको सतर्क हो जाना चाहिए.

हो सकती है आपको दिल की बीमारी

लंबे समय तक बैठे रहने से आपको दिल की बीमारी के होने का खतरा अधिक हो सकता है. असल में लगातार बैठे रहने से आपके शरीर का फैट बर्न नहीं हो पाता है, जिस कारण फैटी एसिड आर्टरीज में जमा होने लगते हैं.

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दिमाग पर होता है बुरा असर

लगातार और ज्यादा समय तक बैठे रहने से आपके दिमाग पर काफी बुरा असर होता है. कई शोधों में ये बात सामने आई है कि लें समय तक बैठे रहने से आपके दिमाग की यादाश्त वाले हिस्से पर काफी बुरा असर होता है.

खराब पौश्चर

ज्यादा देर तक बैठे रहने से आपके शरीर पर काफी दबाव होता है. अगर आप लंबे समय तक कंप्यूटर के सामने बैठे रहते हैं तो आप खराब पौश्चर सिंड्रोम के शिकार हो सकते हैं.

Valentine’s Special: लोग क्या कहेंगे

कहते हैं ‘शादी ऐसा लड्डू है जो खाए सो पछताए और जो न खाए वह भी पछताए.’ ‘शादी सात जन्मों का बंधन है’, ‘दो दिलों का एक हो जाना है’ जैसे जुमले सुनाई देते हैं तो वहीं ऐसे लोगों की भी कमी नहीं जो शादी कर के न फंसने और इस लड्डू को न खाने की सलाह देते हैं. समाज में हजारों ऐसे कपल्स हैं जो सामाजिक कार्यक्रमों में चेहरे पर बनावटी मुसकान ओढ़े एकदूसरे के बेहद नजदीक नजर आते हैं, लेकिन असल में प्रेम इन के बीच नहीं होता. ऐसे कपल्स के मन में पनपने वाले असंतोष की इन सभी कैटिगरी में एक बात जो सब से महत्त्वपूर्ण है और सामान्य भी, वह है एलकेके फैक्टर.

एलकेके यानी लोग क्या कहेंगे के डर से ऐेसे कपल्स चारदीवारी के भीतर कभी आपस में झगड़ा कर लेते हैं और कभी मन ही मन कुढ़ लेते हैं, लेकिन घर की चारदीवारी के बाहर वे यह साबित करने की कोशिश करते रहते हैं कि उन की शादीशुदा जिंदगी बेहद कामयाब और सुखद है. पिछले दिनों इतिहासकार और फेमिनिस्ट लेखिका पामेला हाग की शादी जैसे जटिल मुद्दे पर लिखी गई किताब चर्चा में रही.

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मैरिज कौन्फिडैंशियल

‘द पोस्ट रोमांटिक एज औफ वर्कहौर्स वाइव्स, रौयल चिल्ड्रन अंडरसैक्स्ड स्पाउज ऐंड रिबैल कपल्स हू आर रिराइटिंग द रूल्स’ नामक किताब में लेखिका ने शादियों और उन में आने वाली दिक्कतों को मोटेतौर पर 4-5 हिस्सों में बांटा है. उन्होंने यह साबित करने की कोशिश की है कि भले ही आज का आम शहरी शादीशुदा कपल एक छत के नीचे रहता है लेकिन ज्यादातर मामलों में उस के भीतर एक तरह की घुटन है और अगर घुटन नहीं भी है तो कम से कम शादी उस के लिए सात जन्मों का बंधन तो नहीं ही है.

कई पतिपत्नी ऐसे हैं जिन्हें लगता है कि उन्हें अपने मन का पार्टनर नहीं मिला. लेकिन जैसे ही उन के मन में इस रिश्ते से अलग होने का विचार आता है, तुरंत वे खुद से सवाल कर बैठते हैं कि अगर इस रिश्ते से अलग हो गए तो क्या गारंटी है कि दूसरा शख्स अपनी पसंद का मिल ही जाएगा. और कहीं इस से भी बुरा मिल गया तो? बस, ऐसी ही कशमकश के बीच जिंदगी आगे बढ़ती रहती है. ऐसे लोगों की समाज में एक आदर्श कपल की इमेज भी बनी होती है जिसे वे खराब नहीं करना चाहते और उसी इमेज को बनाए रखने की खातिर वे एकदूसरे के साथ मजबूरीवश निभाते चले जाते हैं.

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जिन परिवारों में पतिपत्नी दोनों वर्किंग हैं वहां ऐसी हालत होने की संभावना थोड़ी ज्यादा होती है. मोटेतौर पर यह कोई खतरनाक स्थिति नहीं है लेकिन खुश होने जैसा भी इस में कुछ नहीं है. दोनों पार्टनर्स की कुछ सामाजिक बाध्यताएं हैं. उन्हें पूरा करने के लिए वे साथसाथ रहते हैं लेकिन प्रेम नाम की चीज कहीं मिसिंग है. उन के लिए संतोष की बात यह है कि इस बारे में समाज कुछ नहीं जानता. पतिपत्नी के बीच एक अजीब सी स्थिति तब आती है जब उन के मध्य कोई तीसरा आ चुका होता है. तीसरा यानी उन का बच्चा. ऐसे कपल्स की जिंदगी को नजदीक से देखें तो ज्यादातर मामलों में लगेगा कि वे बच्चे की खातिर जिए जा रहे हैं. दोनों पार्टनर्स का लक्ष्य सिर्फ बच्चे का भविष्य बनाना और उसे सैटल करना भर रह गया है. उन की अपनी इच्छाएं, आपसी प्रेम कहीं काफूर हो जाता है. शादी के कई साल साथ गुजार चुके ऐसे लोग अगर एकदूसरे से अलग होने के बारे में सोचते भी हैं तो बच्चे के भविष्य से जुड़े सवाल उन्हें रोक देते हैं. जाहिर है ऐसे कपल्स की जिंदगी की गाड़ी बच्चे के साथ उन दोनों की बौंडिंग की वजह से ही आगे बढ़ रही है. प्रेम नाम की चीज यहां भी मिसिंग है.

कई मामलों में यह भी देखा गया है कि घर चलाने की जिम्मेदारी पत्नी की है. पति या तो नकारा है या कम कमाता है या फिर किन्हीं और वजहों से कमाना नहीं चाहता. ऐसे भी केस हो सकते हैं जहां पति अपने किसी पुराने शौक को पूरा करने के लिए अपने सपने साकार करने में जुटा है. आर्थिक रूप से पत्नी पर निर्भर ऐसे पति के प्रति पत्नी का गुस्सा और असंतोष पनपना स्वाभाविक है. आपसी प्रेम की गुंजाइश यहां भी नहीं है. लेकिन कई कपल्स ऐसे भी हो सकते हैं जो एकदूसरे को तलाक तो नहीं देते लेकिन यह तय कर लेते हैं कि वे अलगअलग रहेंगे. ऐसे लोग समाज की निगाह में पतिपत्नी का जीवन गुजारते हैं, लेकिन असल जिंदगी में उन के रास्ते अलगअलग होते हैं. एलकेके फैक्टर से अपने को उबार नहीं पाते हैं और एक अनजाने चक्रव्यूह में फंस कर जिंदगी गुजारते हैं.

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स्त्रीपुरुष के बीच अंतर

पतिपत्नी के मनमुटाव की वजहें तमाम हो सकती हैं और हर रिश्ते में अलगअलग हो सकती हैं, लेकिन इस के पीछे एक महत्त्वपूर्ण कारण औरत और आदमी के बीच पाए जाने वाले मूलभूत फर्क हैं जिन के होने की बात साइकोलौजिस्ट के साथसाथ जीव वैज्ञानिकों ने भी मानी है. ‘मैन आर फ्रौम मार्स ऐंड वुमन आर फ्रौम वीनस’ किताब में अमेरिकन रिलेशनशिप काउंसलर जौन ग्रे ने औरत और पुरुष के बीच बेसिक अंतर होने की बात कही है. उन्होंने यह साबित किया है कि चूंकि औरत और मर्द की संरचना ही अलगअलग तरीके से विकसित हुई है, इसलिए किसी एक मुद्दे पर दोनों की सोच और प्रतिक्रिया व्यक्त करने के तरीके में जबरदस्त अंतर होना स्वाभाविक है. दिमागी, भावनात्मक और शारीरिक तौर पर औरत और पुरुष के बीच इतने ज्यादा अंतर होते हैं कि इन अंतरों को लगातार समझने की कोशिश किए बिना आप एक खुशहाल शादीशुदा जिंदगी की कल्पना नहीं कर सकते.

अलग होना मुश्किल

शहरीकरण और एकल परिवारों के चलन से भी समस्या पैदा हुई है. एकल परिवारों में संयुक्त परिवारों के मुकाबले तनाव बढ़ने की ज्यादा आशंका होती है. एकल परिवारों में घर में मिलने वाला अकेलापन आक्रोश के लिए एक उपजाऊ जमीन की तरह काम करता है. पतिपत्नी के आपसी झगड़ों की आग पर पानी डालने वाला कोई नहीं होता. दूसरी तरफ, संयुक्त परिवारों में अगर मियांबीवी के बीच झगड़ा हो भी गया तो घर के दूसरे सदस्यों के साथ बातचीत और वक्त बिता कर उस गुस्से के शांत होने की गुंजाइश होती है. इन सभी समस्याओं से निबटने के लिए एक विचार यह भी दिया जाता है कि जब दोनों पार्टनर्स के मन में एकदूसरे के प्रति असंतोष और आक्रोश है और जिंदगी की गाड़ी अटकअटक कर चल रही है तो भलाई इसी में है कि वे अलग हो जाएं. लेकिन भारतीय परिवेश में ऐसी सलाह व्यावहारिक नहीं लगती, हालांकि बढ़ते तलाक के मामलों से जाहिर है कि इस सलाह पर अमल करने वालों की तादाद तेजी से बढ़ रही है.

चॉकलेट की खातिर जमीन पर बैठीं तेजस्वी, हंसी से बेहाल हुए करण के दोस्त

‘बिग बॉस 15’ (Bigg Boss 15) की विनर तेजस्वी प्रकाश (Tejasswi Prakash) और करण कुंद्रा अपने लवलाइफ को लेकर खूब सुर्खियां बटोर रहे हैं. आए दिन तेजस्वी और करण की फोटोज और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते रहता है. फैंस को भी इस कयूट कपल के पोस्ट का बेसब्री से इंतजार रहता है. अब तेजस्वी का एक प्यारा सा वीडियो सामने आया है, जिसमें तेजस्वी चॉकलेट की खातिर जमीन पर बैठी हैं.

जी हां इस वीडियो में आप देख सकते हैं कि करण कुंद्रा, तेजस्वी और उनके दोस्त नजर आ रहे हैं. तेजस्वी जमीन पर बैठकर चॉकलेट देख रही है, और करण के दोस्त कह रहे हैं, सारे चॉकलेट ले लें.  तेजस्वी कहती है, आई एम क्नफ्यूज्ड… और उनके दोस्त हंसते-हंसते लोट-पोट हो रहे हैं.

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हाल ही में तेजस्वी इंस्टाग्राम पर लाइव आई थीं. ऐसे में उनके फैंस जानने के लिए उत्सुक थे कि करण और तेजस्वी कब शादी कर रहे हैं. इस पर एक्ट्रेस ने जवाब दिया कि करण ने अभी तक उनसे शादी के लिए नहीं पूछा है.

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तेजस्वी ने ये भी बताया कि करण अपने सबसे अच्छे दोस्त उमर रियाज के साथ बिजी हैं और उन्हें यकीन है कि वो इसकी बजाए उनसे शादी करेंगे. उन्होंने कहा, बहुत सारी शादियां हो रही हैं. मैं ये देखकर बहुत हैरान हूं. श्रद्धा आर्या, मौनी रॉय ने शादी कर ली. मैं इन लड़कियों के लिए बहुत खुश हूं और करिश्मा के लिए भी बहुत खुश हूं.

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फैंस ने उनसे ये पूछा कि करण कुंद्रा कहां हैं तो उन्होंने जवाब दिया कि वो उमर रियाज से मिलने गए हैं. उन्होंने शिकायत भी की, कि वो उनका फोन तक नहीं उठा रहे हैं. वो बोलीं, सनी (करण) आज उनके साथ हैं, जिन पर मुझे शक है कि वो मुझसे ज्यादा प्यार करते हैं, जो हैं उमर रियाज.

 

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करण कुंद्रा और उमर रियाज का बॉन्ड बिग बॉस के हाउस में ही बना था. उन्होंने हाल ही में इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर किया, जिसमें वो दोनों BB 15 के एक्स कंटेस्टेंट राजीव अदातिया के साथ मस्ती करते हुए दिखाई दिए.

Anupamaa: अनुज हटाएगा अपना ‘सरनेम’, वनराज मनाएगा अपने जीत का जश्न

टीवी सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupamaa) में लगातार महाट्विस्ट देखने को मिल रहा है.  शो के बिते एपिसोड में दिखाया गया कि अनुज पूरी तरह टूट चुका है. ऐसे में अनुपमा उसका हौसला बढ़ा रही है. वह अनुज का साथ देने का वादा करती है. अब इस शो में बड़ा ट्विस्ट आने वाला है. आइए बताते हैं शो के नए एपिसोड के बारे में.

शो में आप देखेंगे कि अनुज कपाड़िया बेसहारा हो गया है और उसका साथ देने के लिए अनुपमा हर कदम पर खड़ी है. अनुज, अनुपमा का हाथ थामकर ऑफिस से निकल जाएगा. वहीं अनुज को अहसास होगा कि वह कितना अकेला हो गया है. अनुज फूट-फूट कर रोएगा. वह अपने आने वाले कल के बारे में सोचेगा. इतना ही नहीं अनुज अपने नाम से कपाड़िया सरनेम भी हटा देगा.

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अनुपमा अनुज को समझाने की कोशिश करेगी. अनुपमा अनुज को बताएगी कि वो हमेशा उसका साथ देगी. इसी बीच जीके अनुपमा के पास पहुंच जाएंगे. अनुज जीके से कहेगा कि वह मालविका का पूरा ख्याल रखेंगे. अनुज बहुत इमोशनल हो जाएगा. तो वहीं जीके अनुपमा से कहेंगे कि वह अनुज का साथ दें और उसे कभी नहीं छोड़ेगी.

 

अनुपमा अनुज को अपने साथ ले जाएगी. रास्ते में अनुपमा घुटनों के बल बैठकर अनुज को चप्पल पहनाएगी. अनुपमा का प्यार देखकर अनुज हैरान हो जाएगा. अनुपमा अनुज को अपने घर ले जाएगी. अनुज बिना कुछ कहे अनुपमा के घर चला जाएगा.

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तो दूसरी तरफ वनराज अपनी जीत का जश्न मनाएगा. वह बापूजी को बताएगा कि आपकी लाडली एक ही घर में अनुज के साथ रहेगी. वह ये भी कहेगा कि अनुज और अनुपमा लिव इन में रहेंगे.

क्या है फंडामैंटल राइट और प्रैक्टिकल राइट

मनिपाल के एक इंजीनियङ्क्षरग कालेज में एक स्टूडेंट ने अपनी गर्लफ्रैंड को सूटकेस में बंद कर के चौकीदारों की निगाहों से बचा कर ले जाना चाहे, न, न, यह लाश नहीं थी, यह सिर्फ ङ्क्षजदा गर्लफ्रैंड थी जिसे बौयस होस्टल में ले जाने की कोशिश की जा रही थी. हमारे इंजीनियङ्क्षरग कालेजों की हालत इतनी बुरी है कि एक स्टूडेंट इस छोटी प्रौब्लम को भी हल नहीं कर पाया और पकड़ा गया. लडक़ी भी कालेज की ही है और गल्र्स होस्टल में रह रही है. अब दोनों को होस्टलों से निकाल दिया गया है और शायद शहर में कहीं साथ रहेंगे.

वैसे इंजीनियङ्क्षरग कालेजों के होस्टलों में इस तरह की बंदिशें अब क्या कमी भी बेमानी थी. बच्चों को तो मारपीट कर डिसिप्लीव में रखा जा सकता है पर क्या व्यस्क 18 साल से ज्यादा की आयु के लडक़ेलड़कियों पर बंधन होने चाहिए. इस तरह के बंधन तो कभी नहीं चले. पुराणों में अकुंतला का मामला सामने है जिस से दुष्यंत को प्यार हो गया और कुंती का भी है जिसने सूर्य देवता को बुला कर विवाहपूर्व ही संबंध बनाए और गर्व को पैदा भी किया.

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जब हमारी संस्कृति, जिस की दुहाई प्रधानमंत्री से लेकर मोहल्ले के पंडित तक देते रहते है तो इंजीनियङ्क्षरग कालेज में ऐसे नियम बनाने की जरूरत क्या है जिन्हें तोडऩे के लिए सूटकेसों की जरूरत हो. लडक़ा इस मामले में तो पकड़ा गया पर न जाने कितने सूटकेस अंदर बाहर जा चुके होंगे कि यह तरकीब फिर अपनाई गई. प्रेम संबंधों पर फैसले लेने का हक व्यस्क लडक़ेलड़कियां का अपना होना चाहिए. आज के जमाने में वे जानते हैं कि कैसे प्रोटैक्शन बातें और कैसे कुछ हो जाए तो निपटारा करें.

उस तरह के मामले में बस मुसीबत इतनी है कि कुछ गलत हो जाने पर भुगतना केवल लडक़ी को होता है. वह ही गर्भ ठहरने के साइड अटैक् सहती है और दर्द सहती है. लडक़ों को परेशानी होती है पर इतनी नहीं, इस तरह के शादी से पहले संबंध क ो अगर टालना चाहिए तो सिर्फ लडक़ी को वह भी अपनी सेहत और सुरक्षा के लिए. उस में मोरेलटी कहीं नहीं आती. सैक्स संबंध का जीवन भर का साथ देने से कोई मतलब न आज है, न कभी रहा. हमेशा से आदमी विवाह के बाद दूसरी औरतों के पास जाते रहे हैं और फिर भी दूध के धुले जो रहे हैं. आखिरकार इतनी ज्यादा वेश्यावृत्ति का चलन क्योंकि है? क्योंकि लडक़ों और आदमियों को एक से संतुष्टि नहीं होती.

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इस लडक़ी ने जो जोखिम लिया वह बेकार का था. उसे तो धड़ल्ले से घुमना चाहिए था और अगर मैनेजमेंट ने रोकटोक लगा रखी है तो उस को उपोग करना चाहिए. बौयफ्रैंड के साथ रात भर कमरे में रहना फंडामैंटल राइट है या नहीं पर प्रैक्टिकल राइट जरूर है.

महिलाओं की औनलाइन बोली: बुल्ली बाई- सुल्ली डील्स की कली दुनिया

इन दिनों साइबर ब्लैकमेलिंग का क्राइम तेजी से फैला है. ऐप्स और इंटरनेट पर लोगों को परेशान करना, डरानाधमकाना और ठगी कर लेना दिनप्रतिदिन एक बड़ी समस्या बनती जा रही है. इसी तरह बुल्ली बाई और सुल्ली डील्स मोबाइल ऐप्स के जरिए मुसलिम महिलाओं की औनलाइन नीलामी के मामले ने ऐसा तूल पकड़ा कि…

हरियाणा में भी लौकडाउन लग चुका था. दिल्ली का बौर्डर सील था. आवागमन मुश्किल था. 24 वर्षीया मधुलिका कनाट प्लेस जाना चहती थी.

घर में अकेली पड़ीपड़ी ऊबने लगी थी. सोचने लगी कि क्या करे कि पैसे की आमदनी हो और दिल भी बहलता रहे.

थोड़ी देर बालकनी में चहलकदमी करने के बाद रोहित की याद आई. उस ने उस का फोन मिला दिया, ‘‘हैलो रोहित, कैसे हो? क्या हो रहा है? मेरे लायक कोई काम है तो बताओ न. मैं घर में बोर हो रही हूं.’’

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‘‘तो तुम 2 महीने बाद फोन कर रही हो और ऊपर से एक साथ इतने सवाल दाग दिए,’’ रोहित शिकायती लहजे में बोला.

‘‘हां यार, मेरी गलती है. तभी तो खाली पड़ी सड़ रही हूं.’’ मधुलिका बोली.

‘‘तुम चाहो तो घर बैठे डिजिटल मार्केटिंग का काम कर लो.’’ रोहित बोला.

‘‘कर दूंगी. कोई क्लाइंट मिला है क्या?’’ मधुलिका ने पूछा.

‘‘क्लाइंट तो नहीं मिला है, लेकिन एक कंपनी है, जो सेलिब्रेटीज को ट्रोल करवाने और कमेंट्स लिखवाती है. बोलो तो उस के साथ तुम्हें जोड़ दूं, लेकिन फेक आईडी बनानी होगी.’’ रोहित झिझकते हुए बोला.

‘‘सोच कर बताती हूं. वैसे किस के लिए काम करना होगा?’’ मधुलिका ने जिज्ञासा से पूछा.

‘‘अरे एक सुल्ली डील्स ऐप है. उस पर कुछ महिलाओं की आधा चेहरा बुरके में छिपी तसवीरें होंगी. उन्हें देख कर और पहचान करनी होगी. और फिर कुछ कमेंट लिखना होगा.’’

‘‘बस इतना ही. वह तो मैं कर दूंगी.’’ मधुलिका बोली.

‘‘चलो डन रहा. उस का लिंक भेज दूंगा. डाउनलोड कर लेना.’’

‘‘पैसा मिलेगा ना?’’

‘‘मैं बगैर पैसे के कोई काम करता हूं क्या. तुम्हें तो पता ही है.’’ कहते हुए रोहित हंसने लगा.

इस तरह से मधुलिका ने रोहित के कहे अनुसार काम शुरू कर दिया, लेकिन कुछ दिनों में ही उस ने उस काम से किनारा कर लिया. साथ ही रोहित से शिकायत भी की कि उस ने जो काम बताया है वह उसे न जाने क्यों गलत लग रहा है.

बात आईगई हो गई. रोहित ने काम पसंद नहीं आने पर सौरी बोल लिया.

मधुलिका भी सौफ्टवेयर डेवलपमेंट के कंटेंट का कोई दूसरा काम ढूंढने लगी. दरअसल, उस ने बीटेक किया हुआ था और कुछ महीने से खाली चल रही थी.

कुछ हफ्तों बाद बीते साल का कोरोना का दौर खत्म हो गया. सभी काम पर आनेजाने लगे. मधुलिका को भी गुरुग्राम की एक आईटी कंपनी में जौब मिल गई. नया साल 2022 आ चुका था, साथ ही कोरोना की आहट फिर सुनाई देने लगी थी. रोहित ने मधुलिका को हैप्पी न्यू ईयर का विश मैसेज भेजा.

मधुलिका को उस का मैसेज पढ़ कर अच्छा लगा. लगे हाथों उस ने जवाब में लिख डाला,‘‘कहां छिपे रहे इतने दिन? सुल्ली डील में इतना खो गए कि दोस्त को भी भूल गए. माना की हम फेसबुक फ्रैंड हैं, लेकिन हैं तो फ्रैंड.’’

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मैसेज पढ़ कर रोहित ने तुरंत काल किया, ‘‘मधुलिका पहले तो मैं तुम से लंबे समय तक कोई कांटेक्ट नहीं रख पाने के लिए सौरी बोलता हूं, लेकिन एक बात बताना चाहता हूं.’’

‘‘क्या बात है?’’

‘‘तुम ने न्यूज देखी होगी. 2 डेवलपर को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है? दोनों बुल्ली बाई से जुड़े थे. अरे यार, उत्तराखंड से गिरफ्तार लड़की की अभीअभी नौकरी लगी थी. दूसरा असम से पकड़ा गया है,’’ रोहित बोला.

‘‘बुल्ली बाई? यह क्या बला है?

‘‘बला नहीं, पूरी तरह से बुरी बलाबलाई है. तुम ने अच्छा किया सुल्ली डील्स से पहले ही किनारा कर लिया था. वह तो कुछ दिनों में ही हिंदूमुसलिम के विवाद में फंस गया था. बुल्ली बाई में भी वही सब काली दुनिया थी. किसी का ट्रोल करो, किसी को ट्रेंड करो… किसी का फालोअर बढ़ाओ और फिर उस की बोली लगा कर पैसे कमाने का जरिया बनाओ…’’ रोहित बोलता चला गया.

‘‘तो अब क्या होगा उन बेचारों का? जरूर वे किसी बहकावे में आ गए होंगे. लेकिन अपनी भी तो समझ होनी चाहिए थी,’’ मधुलिका ने कहा.

‘‘तुम सही कहती हो. चलो, जो हुआ सो हुआ, आगे से सतर्क रहना होगा. आईटी कानून सख्त हो चुके हैं. साइबर क्राइम काफी तेजी से फैल रहा है. उन की नजर हम जैसे सौफ्टवेयर डेवलपरों पर टिकी रहती है. किसी न किसी बहाने से डाटा इकट्ठा करवाते हैं और साइबर क्राइम को बढ़ावा देते हैं.’’

बुल्ली बाई विवाद और गिरफ्तारियां

नए साल में पहली जनवरी को मुंबई के कई राजनेता और सोशल मीडिया यूजर्स ने मुंबई पुलिस में शिकायत दर्ज की थी कि बुल्ली बाई ऐप द्वारा उन की निजता पर नजर रखी जा रही है.

शिवसेना की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा था कि सैकड़ों मुसलिम महिलाओं की तसवीरें गिटहब प्लेटफौर्म के जरिए एक ऐप पर अपलोड की गई हैं. चतुर्वेदी ने इस मामले को मुंबई पुलिस के सामने उठाया और उन्होंने इस के दोषियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करने की मांग की.

इस पर मुंबई पुलिस ने बुल्ली बाई मामले में 2 जनवरी, 2022 को मुकदमा दर्ज कर बुल्ली बाई ट्विटर अकाउंट और उसे फालो करने वालों पर नजर रखनी शुरू कर दी थी.

मुंबई पुलिस के कमिश्नर ने पाया कि इस अकाउंट के 5 फालोवर थे, जिन में से एक फालोवर खालसा विचारधारा का लग रहा था. उस के बाद काररवाई शुरू करने में तत्परता दिखाते हुए मुंबई पुलिस के जौइंट सीपी मिलिंद भारांबे ने कुछ और छानबीन की.

इस तरह उन्हें पता चला कि एक खालसा विचारधारा वाला भी इस अकाउंट का फालोवर है. और फिर मुंबई पुलिस विशाल कुमार झा तक पहुंच गई.

जांच करने के सिलसिले में मुंबई पुलिस ने यह भी पाया कि विशाल झा ने खालसा समर्थक की फरजी पहचान का इस्तेमाल किया था, ताकि पुलिस उस तक नहीं पहुंच पाए. उस ने ऐप को खालिस्तानी विचारधारा के समर्थकों द्वारा बनाए गए दिखने की कोशिश की थी.

उस के बाद मुंबई पुलिस ने 3 जनवरी को विशाल कुमार को बेंगलुरु, श्वेता सिंह और मयंक रावल को उत्तराखंड से पहले संदिग्धों के तौर पर गिरफ्तार कर लिया.

इस के लिए अभियुक्तों की पहचान के बाद गिरफ्तारी करने के लिए पुलिस की एक टीम को बेंगलुरु और दूसरी को उत्तराखंड भेजा गया था.

उन की गिरफ्तारी में मुंबई पुलिस के इंसपेक्टर और सबइंसपेक्टर की भूमिका सराहनीय कही जाने लगी, क्योंकि ये गिरफ्तारियां महज 24 घंटे के भीतर ही हो गईं.

गिरफ्तार तीनों युवाओं में से 2 का सीधा संबंध उत्तराखंड से था. इन में एक पौड़ी जिले के कोटद्वार कस्बे के रहने वाले, किंतु फिलहाल जम्मू में तैनात फौज के एक सूबेदार का 21 साल का बेटा मयंक रावत है.

वह दिल्ली यूनिवर्सिटी से कैमिस्ट्री औनर्स कर रहा है, जबकि दूसरा अभियुक्त रुद्रपुर की रहने वाली 18 साल की 12वीं पास श्वेता सिंह इंजीनियरिंग की तैयारी कर रही है.

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पुलिस इन दोनों को बुल्ली बाई ऐप का मास्टरमाइंड बता रही है. इस मामले में मुंबई के अलावा दिल्ली में भी प्राथमिकी दर्ज की गई है. साथ ही केंद्र सरकार से इस ऐप को बनाने वाले के खिलाफ सख्त काररवाई की मांग की गई.

किस की कैसी भूमिका

गिरफ्तार आरोपियों में सब से कम उम्र की श्वेता सिंह है. वह निम्नमध्यवर्गीय परिवार से है. उस की मां का 10 साल पहले निधन हो चुका है, जबकि उस के पिता पिछले साल कोरोना के शिकार हो गए थे. परिवार में उस की एक बड़ी बहन और एक छोटी बहन के अलावा एक छोटा भाई भी है.

उस की गिरफ्तारी से पहले बुल्ली बाई ऐप के मुख्य क्रिएटर को दिल्ली पुलिस, स्पैशल सेल की आईएफएसओ (इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक औप्स) यूनिट ने असम से नीरज विश्नोई को गिरफ्तार कर लिया.

नीरज ही बुल्ली बाई ऐप का मास्टरमाइंड है. उस ने ही गिटहब पर बुल्ली बाई ऐप को बनाया था. इस के बाद इसे प्रमोट करने के लिए ट्विटर पर ‘बुल्ली बाई अंडर स्कोर’ नाम से ट्विटर अकाउंट बनाया. बाद में इसे सोशल मीडिया पर ज्यादा से ज्यादा शेयर कर दिया. पुलिस ने इस की पुष्टि उस से बरामद मोबाइल और लैपटौप से की.

नीरज की गिरफ्तारी दिल्ली और असम पुलिस की मदद से संभव हो पाई. दिल्ली पुलिस इस मामले में कोऔर्डिनेट कर रही है. दिल्ली पुलिस की टीम असम पहुंची और असम पुलिस के साथ मिल कर 12 घंटे के औपरेशन में नीरज को हिरासत में ले लिया गया था.

जोरहाट निवासी नीरज बिश्नोई भोपाल में पढ़ता है. उसे जोरहाट से दिल्ली लाया गया. भोपाल में एक स्थानीय पुलिस के अनुसार नीरज मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के वीआईटी कालेज का स्टूडेंट है. कालेज से 100 किलोमीटर दूर स्थित सिहोर जिले में रहता है. कालेज प्रबंधन के अनुसार कोरोना महामारी के कारण लगे लौकडाउन के चलते वह अब तक औनलाइन कक्षाएं ही लेता रहा है.

मामले की जांच में कई जानकारियां सामने आई हैं. जिस में सभी आरोपियों की भूमिका अलगअलग थी. इन में मयंक अन्य आरोपियों के संपर्क में था और उन्हीं की तरह उस के पास भी कई सोशल मीडिया हैंडल थे.

आरोपी कथित तौर पर अश्लील सामग्री पोस्ट करने के लिए कई ट्विटर अकाउंट संभाल रहे थे. पुलिस का कहना है कि इस नफरती ऐप को चलाने का दिमाग श्वेता सिंह का था. जांच में खुलासा हुआ है कि श्वेता सिंह बुल्ली बाई और 3 अन्य ऐप्स को चला रही थी.

मुसलमान औरतों की नीलामी

सानिया समेत दरजनों मुसलिम औरतों की तसवीरों को उन की सहमति के बगैर इसी साल जनवरी में बुल्ली बाई और जुलाई 2021 में सुल्ली डील्स नाम से बनाए गए मोबाइल ऐप्स इस्तेमाल कर उन की नीलामी की गई थी. इस की व्यापक आलोचना होने के बाद ही कथा लिखे जाने तक 4 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है.

सानिया को इस मामले में काफी पीड़ा झेलनी पड़ी थी. उन्होंने इस बारे में बीबीसी को बताया कि सुल्ली-बुल्ली तो बाद में हुआ. नवंबर 2020 में कुछ ऐसे अकाउंट्स थे, जिस में उन के चेहरे को नंगी तसवीरों पर मौर्फ कर ट्विटर पर डाल दिया गया था.

उन्होंने यह भी बताया कि उन की हमनाम पत्रकार दोस्त की तसवीर के साथ ट्विटर पर डाल कर पूछा गया, ‘अपने हरम के लिए कौन सी सानिया पसंद करोगे?’ इस पोस्ट पर 100 लोगों ने वोट भी दिए थे. फिर वे डायरेक्ट मैसेज पर ग्रुप्स बना कर, उन के साथ यौन संबंध बनाने, गंदी हरकतें करने पर डिसकशन करने लगे थे.

उल्लेखनीय है कि मुंबई में टीवी धारावाहिकों के लिए स्क्रीनप्ले लिखने वाली सानिया ट्विटर पर काफी मुखर रहने वाली लेखिका हैं. वह अपनी हर राय को बेझिझक रखती रही हैं. उन का कहना है वह खास विचारधारा रखने वालों के द्वारा सैक्सुअली हैरेस हुई हैं.

हालांकि उन्होंने यह भी बताया कि कई बार तो वह बेहद गंदी ट्रोलिंग को नजरअंदाज करती रहीं, लेकिन जब इसे ले कर कुछ अकाउंट्स से शिकायत की गई तो अपनी गलती मानने और माफी मांगने के बजाय बदले की भावना से और पीछे पड़ गए.

उन्होंने बताया कि मैं अपनी दोस्त सानिया के साथ मिल कर वैसे अकाउंट्स को रिपोर्ट करते रहे और वे बंद भी होते रहे, लेकिन फिर नए बना लिए जाते थे. यह सिलसिला रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था, तब जा कर मामला मुंबई पुलिस तक गया.

सानिया अपनी एक घटना के बारे में बताती हैं. बात मई 2020 में ईद के मौके की थी. एक यूट्यूब चैनल पर कुछ पाकिस्तानी मुसलिम औरतों की तसवीरें डाल कर उन की नकली नीलामी की गई थी. वे सभी ईद के मौके पर काफी सजीसंवरी हुई थीं. चैनल ने उन के रूपसौंदर्य और ग्लैमर को भुनाने की कोशिश की थी.

यह देख कर सानिया को आशंका हुई थी कि कहीं त्यौहार के लिए तैयार हो कर खींची तसवीरें सोशल मीडिया पर डालने पर मुसलमान औरतों की नीलामी में उन का इस्तेमाल न हो जाए. उस चैनल के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई. वह सस्पेंड हो गया, लेकिन उस के बाद मुसलमान औरतों को निशाना बनाने के लिए एक दूसरी पहल हो गई.

जुलाई, 2020 में सुल्ली डील्स नाम से ऐप बनाया गया और उस पर हुई नकली नीलामी में सानिया और उन की दोस्त सानिया समेत दरजनों मुसलमान औरतों की बोली लगाई गई.

इस बारे में सानिया का कहना है कि मुसलिम औरतें चाहे जिस भी प्रोफेशन में हों, उन्हें इस ऐप में टारगेट बनाया गया है. इन में कई वैसी भी औरतें रही हैं, जिन का सोशल मीडिया से कोई वास्ता नहीं रहा है. वे न तो किसी सामाजिकराजनीतिक मुद्दे पर अपनी राय रखती थीं और न ही किसी को फालो करती थीं.

हैरानी की बात तो यह हुई कि सोशल मीडिया पर ही कई लोगों ने सवाल उठाए कि एक ऐप पर मुसलमान औरतों की झूठी या मनगढ़ंत नीलामी हुई तो इस से क्या फर्क पड़ने वाला है?

जिन की तसवीरें डाली गईं

हालांकि यह अलग बता है कि इस से न तो औरतों की नीलामी हुई और न ही उन को कोई शारीरिक नुकसान पहुंचा, लेकिन मानसिक उत्पीड़न जरूर हुआ. इसी कारण वैसी औरतों ने जब बोलना शुरू किया तब कुछ एफआईआर भी दर्ज हुईं. इस में सानिया की लेखकपत्रकार दोस्त, सानिया के अलावा, कांग्रेस की सोशल मीडिया टीम की संयोजक हसीबा अमीन, पायलट हना मोहसिन खान, कवयित्री नाबिया खान भी दिल्ली में एफआईआर दर्ज करवा चुकी हैं.

‘बुल्ली बाई’ ऐप पर जिन की तसवीरें डाली गईं, उन में प्रसिद्ध अभिनेत्री शबाना आजमी, दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की पत्नी, कई पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता और राजनेता शामिल हैं.

पत्रकार इस्मत आरा उन महिलाओं में से एक हैं जिन की तसवीरें बुल्ली बाई पर पोस्ट की गई हैं. उन्होंने इस के खिलाफ दिल्ली पुलिस साइबर सेल में शिकायत दर्ज कराई है.

इस्मत आरा का कहना है कि इस तरह की घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं, लेकिन उन के खिलाफ कोई ठोस काररवाई नहीं हुई, जिस से ऐसे लोगों का हौसला काफी बढ़ गया. यह मामला पहले भी उजागर हो चुका है. अच्छी बात यह है कि लोगों ने इस की आलोचना की और सब ने बेहद गलत बताया है.

इसे ले कर महिला आयोग तक ने संज्ञान लिया था. संसद में बात उठाई गई थी. गृह मंत्री को खत लिखे गए थे. उस के बावजूद उस केस का कोई निष्कर्ष नहीं दिखा. इस्मत को अब थोड़ी उम्मीद जागी है, क्योंकि 2 जगह मामला दर्ज कराया गया है.

बुल्ली की नीलामी में सानिया जैसी कई औरतें थीं जिन की तसवीरों को सुल्ली ऐप के वक्त भी इस्तेमाल किया गया था. पर कई नाम नए थे और आगे बढ़ कर बोलने को तैयार थे. इन में जानीमानी रेडियो जौकी सायमा, पत्रकार और लेखक राणा अय्यूब, इतिहासकार राणा सफवी और सामाजिक कार्यकर्ता खालिदा परवीन शामिल थीं.

इन में से कई की उम्र 60 पार कर चुकी है पर इन्हें भी इस सैक्सुअल हैरेसमेंट के लिए चिह्नित किया गया. उन औरतों की शिकायत यह भी रही कि उन की आवाज अनसुनी कर दी गई. उन की शिकायत पर महीनों तक पुलिस काररवाई नहीं हुई. यहां तक कि महिला और बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी तक ने इसे गंभीरता से नहीं लिया.

इस बारे में जब महिलाओं ने दिल्ली पुलिस के पीआरओ से बात की और इस मामले में देरी का कारण पूछा, तब उन्हें बताया गया कि इस की वजह ऐप के एक अंतरराष्ट्रीय प्लेटफार्म ‘गिटहब’ पर होस्ट होना है.

ईस्ट दिल्ली के डीसीपी चिनमय बिसवाल का कहना था कि यह अंतरराष्ट्रीय प्लेटफार्म से संबंधित डाटा का तकनीकी मामला है. उस के द्वारा तहकीकात में पूरी तरह कोऔपरेट करने के लिए एसएलएटी नाम की अंतरराष्ट्रीय ट्रीटी के जरिए उन्हें संपर्क करना होता है. उस के बाद ही उन्हें सारा डाटा मिल सकता है.

इसी के साथ उन्होंने आश्वासन भी दिया कि इस की उन्हें अनुमति मिल गई है, और वे आगे की काररवाई कर रहे हैं.

बुल्ली बाई ऐप के जरिए लोगों को बरगलाने और पैसा कमाने के लिए देश भर में एक वैसे संदिग्ध समूह द्वारा विकसित किया गया ऐप था, जिस की पहचान को ले कर पुलिस प्रयास में थी. ऐप को बनाने के पीछे का मकसद भारतीय महिलाओं में ज्यादातर मुसलिमों को नीलामी के लिए रखना और बदले में पैसा कमाना था.

औनलाइन स्कैमर्स सोशल मीडिया अकाउंट से महिलाओं की तसवीरें चुरा कर उन्हें बुल्ली बाई प्लेटफार्म पर लिस्ट कर देते थे. इसे देखते हुए पुलिस और सोशल साइट के जानकारों का कहना है कि महिलाओं को हमेशा अपनी प्रोफाइल लौक कर के रखनी चाहिए या फिर अपनी प्रोफाइल को प्राइवेट बना कर रखें.

सुल्ली डील्स बनाने वाले भी शिकंजे में

मुसलिम महिलाओं के खिलाफ साजिश रचने वाले बीते साल जुलाई में चर्चा में आई ऐप सुल्ली डील्स में भी पहली गिरफ्तारी हुई. इस पर भी करीब 80 मुसलिम महिलाओं की औनलाइन बिक्री का आरोप लग चुका है.

दिल्ली पुलिस ने 10 जनवरी, 2021 को सुल्ली डील्स के मास्टरमाइंड ओंकारेश्वर ठाकुर को इंदौर की न्यूयार्क सिटी टाउनशिप से गिरफ्तार किया. उस पर आरोप है कि वह मुसलिम महिलाओं को ट्रोल करने के लिए बने ट्विटर के ट्रेड ग्रुप का भी सदस्य था. उस में दिल्ली पुलिस ने दावा किया है कि 25 साल के ओंकारेश्वर ठाकुर ने यह बात मान ली है.

दिल्ली में स्पैशल सेल के डीसीपी के.पी.एस. मल्होत्रा का कहना है कि ओंकारेश्वर उसी ट्रेड ग्रुप का सदस्य था, जिस में मुसलिम महिलाओं को ट्रोल करने की साजिश रची जाती थी. उस ग्रुप के जरिए विशेष समुदाय को निशाना बनाया जाता था. इसी के लिए उस ने गिटहब पर कोड विकसित किए थे.

ओंकारेश्वर का यह कुबूलनामा उस पर की गई शुरुआती जांच से मिला है. ठाकुर ने जनवरी, 2020 में ट्विटर हैंडल ञ्चद्दड्डठ्ठद्दद्गह्यष्द्बशठ्ठ का इस्तेमाल कर ट्विटर पर ट्रेड महासभा के नाम से ग्रुप में शामिल हुआ था.

सदस्यों ने मुसलिम महिलाओं को ट्रोल करने की साजिश रची थी. हंगामे के बाद सभी लोगों ने सोशल मीडिया फुटप्रिंट्स को डिलीट कर दिया था.

‘सुल्ली’ महिलाओं के खिलाफ इस्तेमाल किया जाने वाला अपमानजनक शब्द है. यह चर्चा में तब आया था जब देश में कोरोना की दूसरी लहर फैली हुई थी. कई राज्यों में लौकडाउन की स्थिति थी. लोग घरों में दुबके थे और अधिकतर नौकरीपेशा लोग वर्क फ्रौम होम पर थे. उन्हीं दिनों आई कंपनियां सफलता के नया आयाम बना रही थीं.

सौफ्टवेयर डेवलपर नएनए ऐप बना रहे थे, तो उन्हें तेजी से लोकप्रिय बनाने के लिए सोशल साइटों पर धड़ल्ले से ग्रुप भी बनाए जा रहे थे.

उन्हीं दिनों 4 जुलाई, 2021 को ट्विटर पर सुल्ली डील्स के नाम से कई स्क्रीनशौट साझा किए गए थे. इस ऐप में एक टैग लाइन लगी थी, ‘सुल्ली डील औफ द डे’ और इसे मुसलिम महिलाओं की फोटो के साथ शेयर किया जा रहा था.

इस बारे में एक खास बात की चर्चा भी हुई थी कि इसे माइक्रोसौफ्ट द्वारा संचालित गिटहब पर एक अज्ञात समूह द्वारा बनाया गया था. बहुत जल्द ही इसे ले कर विवाद खड़ा हो गया था, क्योंकि इस बारे में यह धारणा बन गई कि ये ‘ट्रैड्स’ मुख्यरूप से दलितों, मुसलिमों, ईसाइयों और सिखों के विचारों के खिलाफ करते हैं, जिस से हिंसा को बढ़ावा मिलने की आशंका बनती है.

कारण था कि इन के बयानों, ट्रोल और ट्रेड द्वारा हत्या, बलात्कार और हर तरह की हिंसा करने की खुलेआम धमकी की बातें झलकती हैं.

ये राजनीतिक दलों की विचारधाराओं पर कड़वी टिप्पणी करते हैं. उन के नेताओं पर कटाक्ष करते हैं. उन पर अपने विचारों को थोपने के लिए मजबूर करते हैं. आलोचना करते समय भाजपा, कांग्रेस समेत लेफ्ट पार्टियों को निशाना बनाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक को नहीं छोड़ते हैं.

गिटहब पर बुल्ली बाई और सुल्ली डील्स

अधिकतर इस्तेमाल किए जाने वाले ऐप गूगल के प्लेस्टोर पर उपलब्ध हैं, लेकिन बुल्ली बाई और सुल्ली डील्स होस्टिंग प्लेटफार्म गिटहब पर बने हैं. इस पर मालिकाना हक अमेरिकी कंपनी माइक्रोसाफ्ट का है, जिसे उस ने 2018 में खरीदा था. यहां ओपन सोर्स कोड का भंडार रहता है. यह फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम की तरह ही एक सोशल मीडिया प्लेटफार्म है.

इस पर बने बुल्ली बाई और सुल्ली डील्स भारत में लोगों के गुस्से के शिकार हो गए हैं. कारण इन पर औरतों को निशाना बनाया गया. यहां तक कि एक खास समुदाय की लड़कियों और महिलाओं की निजी बातें, पहनावे, दिखावे, बेबाक बातें आदि के साथ छेड़छाड़ कर उन की बोली तक लगा दी गई. उन की बोली लगा कर पैसा कमाने का जरिया बना दिया गया.

दरअसल, इन दोनों ऐप्स पर मुसलिम महिलाओं की फोटो डाल कर शेयर किया जाता था और उस पर बोली लगाने के लिए कहा जाता था.

ये देश की उन मुसलिम महिलाओं को टारगेट कर रहे थे, जो सोशल मीडिया पर काफी ऐक्टिव रही हैं. सेलिब्रिटी हैं. अपने निजी संबंधों को ले कर विवाद में रही हैं.

विवाह, तलाक, सामाजिक कुरीतियां, विसंगतियां या फिर यौन संबंधी मुद्दे पर प्रतिक्रियाएं देती रही हैं. या फिर तमाम सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक मुद्दों पर अपनी राय रखती हैं.

गिटहब का इस्तेमाल सौफ्टवेयर डेवलपर्स और कोडिंग करने वाले लोग कर के ऐप्स बनाते हैं. उन के सौफ्टवेयर और कोड्स इसी प्लेटफार्म पर स्टोर और सेव किए जाते हैं.

यहां सोर्स से डेवलपर को कोड का गिट मिलता है, उस के जरिए ऐप अपलोड कर दिया जाता है. उस के बाद इसे सुविधानुसार मैनेज किया जा सकता है. इस के बाद वर्जन कंट्रोल तकनीक के जरिए बाकायदा इसे ट्रैक किया जा सकता है.

गिटहब को टौम प्रसटोन वार्नेर, चेरिस वानस्ट्रेथ, पी.जे. हेयट्ट और स्कौट ने मिल कर साल 2007 में लौंच किया गया. इसे डेवलपर्स की इंडस्ट्री में एक बड़ा मील का पत्थर माना गया था और तब से ले कर तमाम तरह के डेवलपिंग से संबंधित बदलाव किए जाते रहे हैं.

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डिजिटल प्लेटफार्म का इस्तेमाल बढ़ने के साथसाथ इस की मांग भी बढ़ती चली गई. यहां यूजर्स अपने सोर्स प्रोजेक्ट को होस्ट करते हैं. साथ ही इस में दूसरे सौफ्टवेयर के प्रोग्रामर्स को सौफ्टवेयर इंप्रूव करने में मदद मिलती है. इस के बारे में महत्त्वपूर्ण बात यह है कि यहां कोई भी आसानी से फ्री में एकाउंट बना सकता है.

इस के लिए केवल ईमेल आईडी ही चाहिए होती है. यूजर्स जितनी जानकारी

देना चाहे, उसे पब्लिक में दे सकता है. हालांकि उस की प्राइवेसी सेटिंग उस के हाथ में होती है.

उल्लेखनीय है कि ऐप बनाना आसान है, लेकिन इस तरह के ऐप्स पर धार्मिक उन्माद फैलाना, आपराधिक कृत्य करना कानून के दायरे में आता है.

यह आईटी ऐक्ट और क्रिमिनल ला ऐक्ट 2013 के अंतर्गत आता है. इस में दोषी पाए जाने पर 66सी, 66ई, 67, 67ए के अंतर्गत जेल भेजा जा सकता है.

सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव के अनुसार बुल्ली बाई ऐप यूजर को गिटहब द्वारा ब्लौक कर दिया गया है. पुलिस मामले की जांच कर रही है. उन्होंने बताया कि गिटहब की ओर से यूजर को ऐप ब्लौक करने की सूचना दे दी गई है.

तुम सावित्री हो: क्या पत्नी को धोखा देकर खुश रह पाया विकास?

 Writer- Dr. Vilas Joshi

अमेरिका के एअरपोर्ट से जब मैं हवाईजहाज में बैठी तो बहुत खुश थी कि जिस मकसद से मैं यहां आई थी उस में सफल रही. जैसे ही हवाईजहाज ने उड़ान भरी और वह हवा से बातें करने लगा वैसे ही मेरे जीवन की कहानी चलचित्र की तरह मेरी आंखों के आगे चलने लगी और मैं उस में पूरी तरह खो गई…

विकास और मैं एक मल्टीनैशनल कंपनी में कार्यरत हैं. वैसे मैं उम्र में विकास से 1 वर्ष बड़ी हूं. वे कंपनी में एम.डी. हैं, जबकि मैं सीनियर मैनेजर. कंपनी में साथसाथ काम करने के दौरान अकसर हमारी मुलाकात होती रहती थी. मेरे मम्मीपापा मेरी शादी के लिए लड़का देख रहे थे, लेकिन कोई अच्छा लड़का नहीं मिल रहा था. आखिर थकहार के मम्मीपापा ने लड़का देखना बंद कर दिया. तब मैं ने भी उन से टैलीफोन पर यही कहा कि वे मेरी शादी की चिंता न करें. जब होनी होगी तब चट मंगनी पट शादी हो जाएगी. दरअसल, विकास का कार्यक्षेत्र मेरे कार्यक्षेत्र से एकदम अलग था. यदाकदा हम मिलते थे तो वह भी कंपनी की लिफ्ट या कैंटीन में. वे कंपनी में मुझ से सीनियर थे, हालांकि मैं पहले एक दूसरी कंपनी में कार्यरत थी. मैं ने उन के 3 वर्ष बाद यह कंपनी जौइन की थी. एक बार कंपनी के एक सेमिनार में मुझे शोधपत्र पढ़ने के लिए चुना गया. उस समय सेमिनार की अध्यक्षता विकास ने की थी. जब मैं ने अपना शोधपत्र पढ़ा तब वे मुझ से इतने इंप्रैस हुए कि अगले ही दिन उन्होंने मुझे अपने कैबिन में चाय के लिए आमंत्रित किया. चाय के दौरान हम ने आपस में बहुत बातें कीं. बातोंबातों में उन्होंने मुझ से मेरे बारे में ंसारी बातें मालूम कर लीं. रही उन के बारे में जानकारी लेने की बात, तो मैं उन के बारे में बहुत कुछ जानती थी और जो नहीं जानती थी वह भी उन से पूछ लिया.

जब मैं उन के कैबिन से उठने लगी, तब उन्होंने कहा, ‘‘अलका, क्या तुम मुझ से शादी करना चाहोगी?’’

‘‘पर सर, मैं उम्र में आप से 1 साल बड़ी हूं.’’

‘‘उम्र हमारे बीच दीवार नहीं बनेगी,’’ वे बोले.

‘‘फिर ठीक है, मैं अपने मम्मीपापा से बात कर के आप को बताती हूं.’’

‘‘वह तो ठीक है, लेकिन मैं इस बारे में तुम्हारी अपनी राय जानना चाहता हूं?’’

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‘‘जो आप की राय है, वही मेरी,’’ मैं ने कुछ शरमाते हुए कहा और कैबिन से बाहर आ गई. ड्यूटी से घर लौटने के बाद मैं ने टैलीफोन पर मम्मीपापाजी से विकास के प्रस्ताव पर सविस्तार बात की तो वे बोले, ‘‘बेटी, यदि तुम्हें यह रिश्ता पसंद है तो हम भी तैयार हैं.’’ फिर क्या था मेरी और विकासजी की चट मंगनी और पट शादी हो गई. यह हमारी शादी के 2 साल बाद की बात है. एक दिन विकास ने मुझे अपने कैबिन में बुलाया और बताया, ‘‘कंपनी मुझे 2 सालों के लिए अमेरिका भेजना चाहती है. अब मेरा वहां जाना तुम्हारे हां कहने पर निर्भर है. तुम हां कहोगी तो ही मैं जाऊंगा वरना बौस से कह दूंगा कि सौरी कुछ परिस्थितियों के चलते मैं अमेरिका जाने के लिए असमर्थ हूं.’’ यह मेरे लिए बड़ी खुशी की बात थी कि कंपनी स्वयं अपने खर्च पर विकास को अमेरिका भेज रही थी. ऐसा चांस बहुत कम मिलता है. अत: मैं ने उन्हें अमेरिका जाने के लिए उसी समय अपनी सहमति दे दी. करीब 1 माह बाद विकास अमेरिका चले गए. वहां जाने के बाद मोबाइल पर हमारी बातें होती रहती थीं, लेकिन समय बीतने के साथसाथ बातें कम होती गईं. जब एक बार मैं ने उन से इस के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा, ‘‘यहां बहुत काम रहता है, फिर यहां नया होने के कारण सब कुछ समझने में मुझे ज्यादा वक्त देना पड़ रहा है.’’ इस प्रकार 8-9 माह बीत गए. एक दिन सुबह 5 बजे हमारी डोरबैल बजी. मैं ने दरवाजा खोला तो मेरे आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा. मेरे सामने विकास खड़े थे. जब वे अंदर आए तब मैं ने पूछा, ‘‘आप ने तो आने के बारे में कुछ बताया ही नहीं?’’

तब वे बोले, ‘‘तुम्हें सरप्राइज देना चाहता था. दरअसल, मैं कंपनी के काम से केवल 1 सप्ताह के लिए यहां आया हूं.’’

‘‘बस 1 सप्ताह?’’ मैं ने पूछा.

‘‘हां, कंपनी ने मेरे इंडिया आने के साथसाथ मेरा रिटर्न टिकट भी करवा दिया है,’’ मुझ से आंखें चुराते हुए उन्होंने जवाब दिया. इस 1 सप्ताह के दौरान हम रोज शाम को कहीं बाहर घूमने चले जाते और फिर रात को किसी होटल में खाना खा कर ही लौटते. दिन बीतने को कितना समय लगता है? देखतेदेखते हफ्ता बीत गया और वे लौट गए. एक दिन जब मैं ड्यूटी से घर लौटी तो दरवाजे के पास एक चिट्ठी पड़ी देखी. चिट्ठी विकास की थी. मैं बैडरूम में आई और अपने कपड़े चेंज कर चिट्ठी पढ़ने लगी. पूरी चिट्ठी पढ़ने पर ऐसा लगा जैसे मेरे पैरों तले की जमीन खिसक गई हो. उन्होंने चिट्ठी में लिखा था:

‘अलका,

तुम्हें सच बता रहा हूं कि मैं कंपनी के किसी काम से इंडिया नहीं आया था. दरअसल, जब हम रोज शाम को घूमने जाते थे तो उस दौरान यह बात तुम्हें बताना चाहता था, लेकिन तब हिम्मत न जुटा पाने के कारण कुछ नहीं बता पाया, इसलिए यहां पहुंचते ही यह चिट्ठी लिख रहा हूं. यहां रहने के दौरान मैं एक लड़की सायना जेली के संपर्क में आया और फिर हम ने शादी कर ली.

तुम्हारा- विकास.’

विकास की चिट्ठी पढ़ने के बाद मन किया आत्महत्या कर लूं, क्योंकि मेरी दुनिया में विकास के अलावा और कोई था ही नहीं. फिर सोचा यदि आत्महत्या कर ली तो मेरे मम्मीपापा मुझे ही दोषी समझेंगे. अत: मैं ने अपना मन मजबूत करना शुरू किया. अब मेरे सामने सवाल यह था कि मैं करूं तो करूं क्या? यदि मैं इस बात को अपने मम्मीपापा को बताती तो उन का दिल बैठ जाता. यदि इस बात को मैं अपनी कंपनी की सहेलियों के साथ शेयर करती तो भी बदनामी हमारी ही होनी थी, क्योंकि कहते हैं न जितने मुंह उतनी बातें. अत: मैं ने धैर्य रखने का निर्णय लिया और रोजाना ड्यूटी जाती तो किसी को इस बात का एहसास नहीं होने देती कि मेरे साथ क्या हुआ है और मैं इस समय किस दौर से गुजर रही हूं. सब के साथ हंसहंस कर बातें करती. यदाकदा कोई विकास के बारे में पूछता तो कह देती कि अमेरिका में आनंद ले रहे हैं. ऐसे ही डेढ़ साल बीत गया. एक दिन मम्मी ने टैलीफोन पर पूछा, ‘‘अलका, तेरे पति के लौटने का समय हो गया है न? कब आ रहे हैं हमारे दामादजी?’’ अब मैं क्या जवाब देती? मम्मी को समझाने भर के लिए कहा, ‘‘मम्मीजी, शायद कंपनी उन के 6 महीने और बढ़ाना चाहती है. अत: वे 6-7 महीने बाद ही आएंगे. दरअसल, वे चाहते हैं कि मैं ही 1-2 महीनों की छुट्टी ले कर अमेरिका चली आऊं.’’

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मैं ने मम्मी से यह कह तो दिया, पर उस पूरी रात सो नहीं पाई. बिस्तर पर पड़ेपड़े मुझे अचानक यह खयाल आया कि हमारी शादी को हुए 2 साल हो गए हैं. इस दौरान मैं मां न बन सकी. विकास चाहते थे कि पहला बच्चा जल्दी हो जाए. घर में बच्चे की किलकारियां सुनने के लिए वे बहुत बेताब थे. तभी मुझे खयाल आया कि कहीं ऐसा तो नहीं कि विकास बच्चा जल्दी चाहते थे, इसीलिए उन्होंने वहां जा कर सायना से शादी कर ली? यह विचार मन में आते ही मैं एकदम बिस्तर से उठ बैठी. इस विचार ने मुझे सारी रात जगाए रखा. एक दिन घर लौट रही थी, तब हमारी कंपनी के उज्ज्वल सर मुझे मिल गए. मैं ने उन का अभिवादन किया. वे देर तक खामोश खड़े रहे. तब मैं ने ही खामोशी को तोड़ते हुए उन से पूछा, ‘‘सर, आप कब अमेरिका से आए?’’

‘‘मैडम, मुझे यहां आए 1 सप्ताह ही हुआ है… सच बताऊं विकास के साथ वहां बहुत बुरा हुआ.’’

मैं उन की बात सुन कर दंग रह गई. और फिर तुरंत पूछा, ‘‘सर, विकास के साथ क्या बुरा हुआ?’’

वे बोले, ‘‘मैडम, विकास ने जिस सायना से शादी की थी, उस ने विकास के बैंक खाते में जमा लाखों डौलर औनलाइन सर्विस के माध्यम से अपने खाते में ट्रांसफर करवा लिए और फिर विकास ने जो गोल्ड खरीद रखा था, उसे भी अपने साथ ले कर फरार हो गई. अभी तक उस का कोई अतापता नहीं है. इतना ही नहीं उस ने विकास के नाम पर कई जगहों से क्रैडिट पर कीमती सामान की खरीदारी भी की. विकास बुरी तरह आर्थिक परेशानी के दौर से गुजर रहा है. इस घटना के बाद विकास ने आत्महत्या करने की भी कोशिश की पर बचा लिया गया. सायना फ्रौड लेडी है और ऐसा औरों के साथ भी कर चुकी है.’’ इस घटना से मैं पुन: सदमे में आ गई. हालांकि एक सचाई यह भी थी कि विकास और मेरे बीच अब कोई संबंध नहीं रह गया था. जब सायना उन की जिंदगी में आई थी तभी से मेरे उन के संबंध खत्म हो गए थे. मैं घर आई तो सोच के समंदर में डूब गई कि अब क्या किया जाए? सोच की हर लहर मेरे मन के किनारे पर आ कर टकरा रही थी.

तभी एक शांत लहर ने मेरे विचारों को दिशा दी कि विकास तुम्हारे साथ प्यार या संबंध निभाने में भले ही असफल रहे हों, लेकिन तुम ने भी तो उन्हें अपनी जिंदगी के लिए चुना था? तो फिर अब तुम चुपचाप कैसे बैठ सकती हो? उन से गलती हुई है इस का अर्थ यह तो नहीं कि उन के और तुम्हारे बीच कभी प्यार के संबंध थे ही नहीं? आज उन के बुरे वक्त में उन का साथ देना तुम्हारा दायित्व है. ऐसे अनगिनत सवाल मेरे मन से आ कर टकराए और तभी मैं ने निश्चय किया कि मैं अपना दायित्व अवश्य निभाऊंगी. फिर क्या था. मैं ने अपनी एक सहेली की मदद से अपने फ्लैट को एक कोऔपरेटिव बैंक के पास गिरवी रख कर क्व25 लाख कर्ज लिया और अमेरिका पहुंच गई. जब मैं ने उन के फ्लैट की डोरबैल बजाई तो उन्होंने ही दरवाजा खोला और फिर मुझे देखते ही आश्चर्यचकित तो हुए ही, साथ ही शर्मिंदा भी. मैं जानती थी कि वे इस घटना के कारण गहरे अवसाद से गुजर रहे हैं, फिर भी मैं ने एक बार तो उन से पूछ ही लिया, ‘‘विकास, सायना से अंतरंग संबंध बनाते समय क्या तुम्हें एक बार भी मेरा खयाल नहीं आया कि मुझ पर क्या गुजरेगी? खैर, मुझ पर क्या गुजर रही है, यह तुम क्योंकर सोचोगे भला?’’ मेरी बात सुन कर विकास एक अपराधी की तरह खामोश रहे. उन का चेहरा गवाही दे रहा था कि उन्हें अपनी गलती पर पछतावा है. उन से कोई जवाब न पा कर मैं सीधे अपने उस मकसद पर आ गई, जिस के लिए मैं अमेरिका आई थी. उन के साथ बैठ कर मैं ने एक लिस्ट तैयार की जिस में सायना ने जहांजहां से इन के क्रैडिट पर कीमती वस्तुएं खरीदी थीं. अगले दिन विकास को अपने साथ ले कर उन की सारी उधारी चुकता कर दी. हम फ्लैट में लौटे तब रात के 10 बज रहे थे. मैं थकीहारी सोफे पर आ कर बैठ गई. तब विकास बोले, ‘‘अलका, सच, तुम सावित्री हो. जिस प्रकार सावित्री सत्यवान को मौत के मुंह से वापस लाई थी, उसी प्रकार तुम भी मुझे मौत के मुंह से वापस लाई हो वरना मैं तो आत्महत्या करने का अपना इरादा फिर से पक्का कर चुका था.’’

विकास की बात सुन कर मैं ने इतना ही कहा, ‘‘विकास, हमारे रिश्ते में सेंध तुम ने ही लगाई है. खैर, अब तुम पूरी तरह मुक्त हो, क्योंकि न तुम ऋणग्रस्त हो और न ही किसी बंधन में गिरफ्त. मैं ने तो यहां आ कर सिर्फ अपना पत्नीधर्म निभाया है, क्योंकि मैं ने अपनी तरफ से यह रिश्ता नहीं तोड़ा है. चूंकि मैं मुंबई से रिटर्न टिकट ले कर यहां आई हूं, इसलिए कल ही मुझे मुंबई लौटना है.’’ तभी एअरहोस्टेज की इस घोषणा से मेरी तंद्रा टूटी कि हवाईजहाज मुंबई एअरपोर्ट पर लैंड करने वाला है. कृपया अपनीअपनी सीटबैल्ट बांध लें. एअरपोर्ट उतर टैक्सी पकड़ अपने फ्लैट पहुंची. अब घर पर अकेली रह कर भी क्या करती, इसलिए अगले ही दिन से ड्यूटी जौइन कर ली. करीब 2 सप्ताह बाद विकास भी अमेरिका से लौट आए. अब हम दोनों रोज साथसाथ कंपनी जाते हैं. और हां, एक गुड न्यूज यह भी है कि मैं शीघ्र ही मां बनने वाली हूं.

Valentine’s Special: तोहफा हो प्यार का, न की उधार का

फरवरी माह आते ही हर युवा प्यार के रंगों में सराबोर नजर आने लगता है. कारण है इस माह में आने वाला त्योहार वैलेंटाइन डे. जो प्यार और प्यार के इजहार का दिन है. अपने जज्बातों को शब्दों में बयां करने के लिए हर युवा दिल को इस दिन का बेसब्री से इंतजार रहता है, और हो भी क्यों न, इस दिन प्रेमी अपने प्यार का इजहार एकदूसरे को तोहफे व फूल दे कर करते हैं. कुछ युवा तो महंगे तोहफे खरीदने के लिए उधारी तक कर लेते हैं.

तोहफे की अहमियत

हर प्रेमी की यह चाहत होती है कि वह अपने वैलेंटाइन डे को यादगार बनाए. ऐसे में इस दिन को यादगार बनाने के लिए तोहफे की अहमियत बढ़ जाती है. अपने वैलेंटाइन को महंगे से महंगा तोहफा देने के लिए प्रेमी अपनी जेब तो हलकी करते ही हैं, साथ ही उधार लेने से भी नहीं कतराते, जबकि प्यार का तोहफा दिल का तोहफा होना चाहिए न कि उधार का.

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प्यार की उधार चढ़ी दुकान

प्यार एक खूबसूरत एहसास है. जब किसी को किसी से प्यार हो जाता है तो वह रिश्ते की शुरुआत में अकसर इतना एक्साइटेड हो जाता है कि अपने प्यार की फीलिंग्स व्यक्त करने और अपनी शान बघारने के चक्कर में महंगा गिफ्ट खरीद कर अपने वैलेंटाइन को देता है, चाहे इस के लिए उसे किसी से उधार लेना पड़े या फिर तोहफे की कीमत किस्तों में अदा करनी पड़े. आखिर मामला प्यार का जो है, पर यह कितना सही है?

जितनी चादर हो उतने पैर पसारें

यह जरूरी नहीं कि अपनी भावनाएं व्यक्त करने के लिए आप जरूरत से ज्यादा महंगा गिफ्ट खरीद कर अपने वैलेंटाइन को देंगे तभी उस से अपने दिल की बात कह पाएंगे. आप अपनी और उस की पसंद के अनुसार ही गिफ्ट देने की सोचें, नहीं तो बाद में समस्या आप को ही होगी और महंगे गिफ्ट की उधारी चुकातेचुकाते आप परेशान हो जाएंगे. इसलिए अपने बजट के अनुसार ही गिफ्ट का चुनाव करें.

आजकल मार्केट में हर रेंज के लव गिफ्ट्स मौजूद हैं. आप अपनी जेब के हिसाब से उन में से कोई भी चुन सकते हैं.

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देखादेखी न करें

प्यार में गिफ्ट देने में कभी भी कंपीटिशन न करें. किसी दूसरे के पार्टनर ने अपने वैलेंटाइन को महंगा गिफ्ट दिया है तो आप को भी महंगा गिफ्ट देना है, यह जरूरी नहीं. अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार ही गिफ्ट का चयन करें. नहीं तो इस से आप को अपनी भावनाओं को व्यक्त करने की कम और गिफ्ट के बारे में चिंता ज्यादा रहेगी. ऐसे में आप के प्यार की शुरुआत ही बेकार होगी और जो प्यारभरी बात आप को अपने वैलेंटाइन से करनी है, वह भी अधूरी रह जाएगी. अत: अपनी जेब और आर्थिक स्थिति को ध्यान में रख कर ही गिफ्ट खरीदें. प्यार भरा गिफ्ट जब आप अपने वैलेंटाइन को देंगे तो बात बन जाएगी.

गिफ्ट हो कुछ इस तरह खास

– अगर आप अपने दिल के जज्बातों को अपने पार्टनर से शेयर करने के लिए कोई ऐसा गिफ्ट देना चाहते हैं जो हमेशा उसे आप की याद दिलाए तो दिल से निकला संदेश दें. इस के लिए आप कुछ ऐसा करें, जिस से आप की जेब भी हलकी न हो और आप अपनी भावनाओं को भी अच्छी तरह से व्यक्त कर सकें.

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– सब से पहले अपने बिजी शैड्यूल में से कुछ समय निकालें, क्योंकि सब से कीमती उपहार है आप का साथ, जो आज के समय में कम ही मिल पाता है.

– अपने हाथों से ग्रीटिंग कार्ड बनाएं व उस पर अपनी भावनाओं को कविता के रूप में लिख कर व्यक्त करें, यह अनमोल उपहार आप के वैलेंटाइन को बहुत पसंद आएगा.

– उस के पंसदीदा फोटोग्राफ्स से भरी एक खूबसूरत स्क्रैप बुक बना कर उसे तोहफे में दें. यह नायाब तोहफा उस के दिल को छू जाएगा.

–  अपने वैलेंटाइन के साथ बिताए पलों की सुनहरी यादों को फिर से दोहराएं, ये पल वाकई उसे रोमांचित कर देंगे.- अगर आप का वैलेंटाइन पढ़ने का शौकीन है तो उसे अच्छी किताब गिफ्ट करें.

– यदि आप के वैलेंटाइन की संगीत में रुचि है या उसे पुरानी फिल्में देखने का शौक है, तो उसे उस के पसंदीदा गानों व मूवी की सीडी गिफ्ट कर सकते हैं.

– जरूरी नहीं कि उस दिन आप अपने वैलेंटाइन को किसी फाइव स्टार होटल में ही पार्टी दें. अगर आप उसे उस की पसंद के अनुसार अपने हाथों से कोई स्पैशल डिश बना कर खिलाएंगी तो उसे खुशी होगी और अपनापन लगेगा. जैस चौकलेट केक, ब्राउनी, कुकीज कप केक आदि.

– युवतियों को फंकी ज्वैलरी बहुत पंसद आती है, ऐसे में यह भी आप के बजट के अनुसार आसानी से मिल जाएगी.

– ज्यादातर युवकों को स्पोर्ट्स पसंद होता है. ऐसे में आप स्पोर्ट्स का कोई आइटम या स्पोर्ट्स क्लब की मैंबरशिप उसे गिफ्ट कर सकती

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