मनिपाल के एक इंजीनियङ्क्षरग कालेज में एक स्टूडेंट ने अपनी गर्लफ्रैंड को सूटकेस में बंद कर के चौकीदारों की निगाहों से बचा कर ले जाना चाहे, न, न, यह लाश नहीं थी, यह सिर्फ ङ्क्षजदा गर्लफ्रैंड थी जिसे बौयस होस्टल में ले जाने की कोशिश की जा रही थी. हमारे इंजीनियङ्क्षरग कालेजों की हालत इतनी बुरी है कि एक स्टूडेंट इस छोटी प्रौब्लम को भी हल नहीं कर पाया और पकड़ा गया. लडक़ी भी कालेज की ही है और गल्र्स होस्टल में रह रही है. अब दोनों को होस्टलों से निकाल दिया गया है और शायद शहर में कहीं साथ रहेंगे.

वैसे इंजीनियङ्क्षरग कालेजों के होस्टलों में इस तरह की बंदिशें अब क्या कमी भी बेमानी थी. बच्चों को तो मारपीट कर डिसिप्लीव में रखा जा सकता है पर क्या व्यस्क 18 साल से ज्यादा की आयु के लडक़ेलड़कियों पर बंधन होने चाहिए. इस तरह के बंधन तो कभी नहीं चले. पुराणों में अकुंतला का मामला सामने है जिस से दुष्यंत को प्यार हो गया और कुंती का भी है जिसने सूर्य देवता को बुला कर विवाहपूर्व ही संबंध बनाए और गर्व को पैदा भी किया.

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जब हमारी संस्कृति, जिस की दुहाई प्रधानमंत्री से लेकर मोहल्ले के पंडित तक देते रहते है तो इंजीनियङ्क्षरग कालेज में ऐसे नियम बनाने की जरूरत क्या है जिन्हें तोडऩे के लिए सूटकेसों की जरूरत हो. लडक़ा इस मामले में तो पकड़ा गया पर न जाने कितने सूटकेस अंदर बाहर जा चुके होंगे कि यह तरकीब फिर अपनाई गई. प्रेम संबंधों पर फैसले लेने का हक व्यस्क लडक़ेलड़कियां का अपना होना चाहिए. आज के जमाने में वे जानते हैं कि कैसे प्रोटैक्शन बातें और कैसे कुछ हो जाए तो निपटारा करें.

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