Writer- स्नेहा सिंह

भारत के कुछ शहर दुनिया में प्रदूषण की रैंकिंग में टौप पर हैं. इस समस्या को गंभीरता से विचारने की सख्त जरूरत है, क्योंकि प्रदूषण न सिर्फ स्वास्थ्य संबंधी बीमारियों को जन्म दे रहा है बल्कि याद्दाश्त और प्रजनन शक्ति को भी घटा रहा है.

बहुत कम लोगों को पता है कि उच्च वायु प्रदूषण वाले इलाकों में रहने वाली बुजुर्ग महिलाओं को अल्जाइमर यानी याद्दाश्त कमजोर होने की बीमारी हो सकती है. शोध से पता चला है कि प्रदूषित वायु में सांस लेने से महिलाओं के दिमाग में सिकुड़न होती है, जैसा अकसर अल्जाइमर में होता है. वैज्ञानिकों के अनुसार, कम दिमागी वौल्यूम डिमैंशिया और अल्जाइमर के मुख्य कारकों में से एक है. प्रदूषित वायु दिमागी तंत्र में बदलाव पैदा कर नर्व सैल नैटवर्क को बाधित करती है. इस से अल्जाइमर की बीमारी के लक्षण बढ़ते हैं.

वायु प्रदूषण स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, यह तो हम सभी जानते हैं, पर यह प्रजनन संबंधित समस्याएं भी खड़ी करता है, इस की जानकारी बहुत कम लोगों को है. प्रदूषित हवा में औक्सीजन की मात्रा बहुत कम होती है, जिस से यह शुक्राणुओं और अंडाणुओं को नुकसान पहुंचा सकती है. अगर कोई अधिक समय तक प्रदूषण में रहता है तो शुक्राणुओं और अंडाणुओं की संख्या को तो नहीं, पर उस की गुणवत्ता निश्चित रूप से प्रभावित हो सकती है. खराब हो रही एयर क्वालिटी इंडैक्स (एक्यूआई) धीरेधीरे बहुत ज्यादा गंभीर मामला बनता जा रहा है, जो फेफड़े की प्रणाली, हृदय और आंखों को प्रभावित करने के साथसाथ हार्मोंस में बदलाव भी लाता है.

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