सरकार का वाॢषक बजट आमतौर पर जनता के लिए नहीं सरकार के लिए होता है जिस में सरकार  तय करती है कि और उसे कितना कहां खर्च करना है और उस खर्च के लिए जनता का गला कहांकहां दबाना है. 5 राज्यों के चुनाव नजदीक हैं तो भी मोदी सरकार ने फरवरी के बजट में ऐसे कुछ नहीं किया कि लगे कि सरकार देश और देश की आम जनता के लिए चल रही है. यह साफ रहा है कि सरकार शासकों की शासकों के लिए है और लाभ मिलेगा तो शासकों के चाटुकारों को.

39.45 लाख करोड़ रुपए का बजट वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने पेश किया तो यह सिर्फ सरकार आम जनता पर किस तरह भारी बोझ बनी कैसे है, दर्शाता है. इन 39.45 लाख करोड़ रुपए से जनता के केवल .... संपनी लोगों को लाभ मिलेगा जो सरकार की चाटुकारिता और बढ़ाएंगे और सरकार ने छिपे उद्देश्य मंदिरों, मठों को और ज्यादा चढ़ावा चढ़ाएंगे.

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निर्मला सीतारमन एन पंडितों की तरह अब अमृत काल की बात करनी शुरू कर दी है और सुख और अच्छे दिन अब अमृत काल के बाद आएंगे जो 2047 में समाप्त होगा जब तक न वह रहेंगी न आज का व्यस्क देश का बोझ हो रहा वोटर. पंडित लोग भी इसी तरह का पंचांग सा लेकर भक्तों को मरमाते हैं कि 5-20, 15-20 साल बाद उन्हें सुख ही सुख मिलेगा. भारतीय जनता पार्टी अपनी ही धाॢमक शिक्षा में इस कदर डूबी है कि बजट  तक उस के शब्द पसरे पड़े हैं. देश में 80-85' लोग न ब्राह्मïणों के पास फटक सकते हैं न उन से जिरह कर सकते हैं, बस अपने जन्म के पापों का फलों की कहानियां सुन कर खुद को ही दोषी मान सकते है, न भगवान को, न देवीदेवता को, न राजा को. मोदी का दोष नहीं, भाजपा का देश नहीं वे पिछड़ी या दलित जाति में पैदा हुए तो बजट हो या पुलिस का डंडा, मार उन्होंने ही खानी है. निर्मला सीतारमन ने डंडों का पूरा इंतजाम किया और पुलिस सेवाओं का बजट बढ़ा दिया. पिछड़े और दलित अब नए पंडों, आईटी संरक्षकों को भरपूर पैसा देने के लिए हर विभाग का डिजिटलकरण का बजट बढ़ा दिया.

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