इन दिनों साइबर ब्लैकमेलिंग का क्राइम तेजी से फैला है. ऐप्स और इंटरनेट पर लोगों को परेशान करना, डरानाधमकाना और ठगी कर लेना दिनप्रतिदिन एक बड़ी समस्या बनती जा रही है. इसी तरह बुल्ली बाई और सुल्ली डील्स मोबाइल ऐप्स के जरिए मुसलिम महिलाओं की औनलाइन नीलामी के मामले ने ऐसा तूल पकड़ा कि…

हरियाणा में भी लौकडाउन लग चुका था. दिल्ली का बौर्डर सील था. आवागमन मुश्किल था. 24 वर्षीया मधुलिका कनाट प्लेस जाना चहती थी.

घर में अकेली पड़ीपड़ी ऊबने लगी थी. सोचने लगी कि क्या करे कि पैसे की आमदनी हो और दिल भी बहलता रहे.

थोड़ी देर बालकनी में चहलकदमी करने के बाद रोहित की याद आई. उस ने उस का फोन मिला दिया, ‘‘हैलो रोहित, कैसे हो? क्या हो रहा है? मेरे लायक कोई काम है तो बताओ न. मैं घर में बोर हो रही हूं.’’

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‘‘तो तुम 2 महीने बाद फोन कर रही हो और ऊपर से एक साथ इतने सवाल दाग दिए,’’ रोहित शिकायती लहजे में बोला.

‘‘हां यार, मेरी गलती है. तभी तो खाली पड़ी सड़ रही हूं.’’ मधुलिका बोली.

‘‘तुम चाहो तो घर बैठे डिजिटल मार्केटिंग का काम कर लो.’’ रोहित बोला.

‘‘कर दूंगी. कोई क्लाइंट मिला है क्या?’’ मधुलिका ने पूछा.

‘‘क्लाइंट तो नहीं मिला है, लेकिन एक कंपनी है, जो सेलिब्रेटीज को ट्रोल करवाने और कमेंट्स लिखवाती है. बोलो तो उस के साथ तुम्हें जोड़ दूं, लेकिन फेक आईडी बनानी होगी.’’ रोहित झिझकते हुए बोला.

‘‘सोच कर बताती हूं. वैसे किस के लिए काम करना होगा?’’ मधुलिका ने जिज्ञासा से पूछा.

‘‘अरे एक सुल्ली डील्स ऐप है. उस पर कुछ महिलाओं की आधा चेहरा बुरके में छिपी तसवीरें होंगी. उन्हें देख कर और पहचान करनी होगी. और फिर कुछ कमेंट लिखना होगा.’’

‘‘बस इतना ही. वह तो मैं कर दूंगी.’’ मधुलिका बोली.

‘‘चलो डन रहा. उस का लिंक भेज दूंगा. डाउनलोड कर लेना.’’

‘‘पैसा मिलेगा ना?’’

‘‘मैं बगैर पैसे के कोई काम करता हूं क्या. तुम्हें तो पता ही है.’’ कहते हुए रोहित हंसने लगा.

इस तरह से मधुलिका ने रोहित के कहे अनुसार काम शुरू कर दिया, लेकिन कुछ दिनों में ही उस ने उस काम से किनारा कर लिया. साथ ही रोहित से शिकायत भी की कि उस ने जो काम बताया है वह उसे न जाने क्यों गलत लग रहा है.

बात आईगई हो गई. रोहित ने काम पसंद नहीं आने पर सौरी बोल लिया.

मधुलिका भी सौफ्टवेयर डेवलपमेंट के कंटेंट का कोई दूसरा काम ढूंढने लगी. दरअसल, उस ने बीटेक किया हुआ था और कुछ महीने से खाली चल रही थी.

कुछ हफ्तों बाद बीते साल का कोरोना का दौर खत्म हो गया. सभी काम पर आनेजाने लगे. मधुलिका को भी गुरुग्राम की एक आईटी कंपनी में जौब मिल गई. नया साल 2022 आ चुका था, साथ ही कोरोना की आहट फिर सुनाई देने लगी थी. रोहित ने मधुलिका को हैप्पी न्यू ईयर का विश मैसेज भेजा.

मधुलिका को उस का मैसेज पढ़ कर अच्छा लगा. लगे हाथों उस ने जवाब में लिख डाला,‘‘कहां छिपे रहे इतने दिन? सुल्ली डील में इतना खो गए कि दोस्त को भी भूल गए. माना की हम फेसबुक फ्रैंड हैं, लेकिन हैं तो फ्रैंड.’’

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मैसेज पढ़ कर रोहित ने तुरंत काल किया, ‘‘मधुलिका पहले तो मैं तुम से लंबे समय तक कोई कांटेक्ट नहीं रख पाने के लिए सौरी बोलता हूं, लेकिन एक बात बताना चाहता हूं.’’

‘‘क्या बात है?’’

‘‘तुम ने न्यूज देखी होगी. 2 डेवलपर को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है? दोनों बुल्ली बाई से जुड़े थे. अरे यार, उत्तराखंड से गिरफ्तार लड़की की अभीअभी नौकरी लगी थी. दूसरा असम से पकड़ा गया है,’’ रोहित बोला.

‘‘बुल्ली बाई? यह क्या बला है?

‘‘बला नहीं, पूरी तरह से बुरी बलाबलाई है. तुम ने अच्छा किया सुल्ली डील्स से पहले ही किनारा कर लिया था. वह तो कुछ दिनों में ही हिंदूमुसलिम के विवाद में फंस गया था. बुल्ली बाई में भी वही सब काली दुनिया थी. किसी का ट्रोल करो, किसी को ट्रेंड करो… किसी का फालोअर बढ़ाओ और फिर उस की बोली लगा कर पैसे कमाने का जरिया बनाओ…’’ रोहित बोलता चला गया.

‘‘तो अब क्या होगा उन बेचारों का? जरूर वे किसी बहकावे में आ गए होंगे. लेकिन अपनी भी तो समझ होनी चाहिए थी,’’ मधुलिका ने कहा.

‘‘तुम सही कहती हो. चलो, जो हुआ सो हुआ, आगे से सतर्क रहना होगा. आईटी कानून सख्त हो चुके हैं. साइबर क्राइम काफी तेजी से फैल रहा है. उन की नजर हम जैसे सौफ्टवेयर डेवलपरों पर टिकी रहती है. किसी न किसी बहाने से डाटा इकट्ठा करवाते हैं और साइबर क्राइम को बढ़ावा देते हैं.’’

बुल्ली बाई विवाद और गिरफ्तारियां

नए साल में पहली जनवरी को मुंबई के कई राजनेता और सोशल मीडिया यूजर्स ने मुंबई पुलिस में शिकायत दर्ज की थी कि बुल्ली बाई ऐप द्वारा उन की निजता पर नजर रखी जा रही है.

शिवसेना की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा था कि सैकड़ों मुसलिम महिलाओं की तसवीरें गिटहब प्लेटफौर्म के जरिए एक ऐप पर अपलोड की गई हैं. चतुर्वेदी ने इस मामले को मुंबई पुलिस के सामने उठाया और उन्होंने इस के दोषियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करने की मांग की.

इस पर मुंबई पुलिस ने बुल्ली बाई मामले में 2 जनवरी, 2022 को मुकदमा दर्ज कर बुल्ली बाई ट्विटर अकाउंट और उसे फालो करने वालों पर नजर रखनी शुरू कर दी थी.

मुंबई पुलिस के कमिश्नर ने पाया कि इस अकाउंट के 5 फालोवर थे, जिन में से एक फालोवर खालसा विचारधारा का लग रहा था. उस के बाद काररवाई शुरू करने में तत्परता दिखाते हुए मुंबई पुलिस के जौइंट सीपी मिलिंद भारांबे ने कुछ और छानबीन की.

इस तरह उन्हें पता चला कि एक खालसा विचारधारा वाला भी इस अकाउंट का फालोवर है. और फिर मुंबई पुलिस विशाल कुमार झा तक पहुंच गई.

जांच करने के सिलसिले में मुंबई पुलिस ने यह भी पाया कि विशाल झा ने खालसा समर्थक की फरजी पहचान का इस्तेमाल किया था, ताकि पुलिस उस तक नहीं पहुंच पाए. उस ने ऐप को खालिस्तानी विचारधारा के समर्थकों द्वारा बनाए गए दिखने की कोशिश की थी.

उस के बाद मुंबई पुलिस ने 3 जनवरी को विशाल कुमार को बेंगलुरु, श्वेता सिंह और मयंक रावल को उत्तराखंड से पहले संदिग्धों के तौर पर गिरफ्तार कर लिया.

इस के लिए अभियुक्तों की पहचान के बाद गिरफ्तारी करने के लिए पुलिस की एक टीम को बेंगलुरु और दूसरी को उत्तराखंड भेजा गया था.

उन की गिरफ्तारी में मुंबई पुलिस के इंसपेक्टर और सबइंसपेक्टर की भूमिका सराहनीय कही जाने लगी, क्योंकि ये गिरफ्तारियां महज 24 घंटे के भीतर ही हो गईं.

गिरफ्तार तीनों युवाओं में से 2 का सीधा संबंध उत्तराखंड से था. इन में एक पौड़ी जिले के कोटद्वार कस्बे के रहने वाले, किंतु फिलहाल जम्मू में तैनात फौज के एक सूबेदार का 21 साल का बेटा मयंक रावत है.

वह दिल्ली यूनिवर्सिटी से कैमिस्ट्री औनर्स कर रहा है, जबकि दूसरा अभियुक्त रुद्रपुर की रहने वाली 18 साल की 12वीं पास श्वेता सिंह इंजीनियरिंग की तैयारी कर रही है.

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पुलिस इन दोनों को बुल्ली बाई ऐप का मास्टरमाइंड बता रही है. इस मामले में मुंबई के अलावा दिल्ली में भी प्राथमिकी दर्ज की गई है. साथ ही केंद्र सरकार से इस ऐप को बनाने वाले के खिलाफ सख्त काररवाई की मांग की गई.

किस की कैसी भूमिका

गिरफ्तार आरोपियों में सब से कम उम्र की श्वेता सिंह है. वह निम्नमध्यवर्गीय परिवार से है. उस की मां का 10 साल पहले निधन हो चुका है, जबकि उस के पिता पिछले साल कोरोना के शिकार हो गए थे. परिवार में उस की एक बड़ी बहन और एक छोटी बहन के अलावा एक छोटा भाई भी है.

उस की गिरफ्तारी से पहले बुल्ली बाई ऐप के मुख्य क्रिएटर को दिल्ली पुलिस, स्पैशल सेल की आईएफएसओ (इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक औप्स) यूनिट ने असम से नीरज विश्नोई को गिरफ्तार कर लिया.

नीरज ही बुल्ली बाई ऐप का मास्टरमाइंड है. उस ने ही गिटहब पर बुल्ली बाई ऐप को बनाया था. इस के बाद इसे प्रमोट करने के लिए ट्विटर पर ‘बुल्ली बाई अंडर स्कोर’ नाम से ट्विटर अकाउंट बनाया. बाद में इसे सोशल मीडिया पर ज्यादा से ज्यादा शेयर कर दिया. पुलिस ने इस की पुष्टि उस से बरामद मोबाइल और लैपटौप से की.

नीरज की गिरफ्तारी दिल्ली और असम पुलिस की मदद से संभव हो पाई. दिल्ली पुलिस इस मामले में कोऔर्डिनेट कर रही है. दिल्ली पुलिस की टीम असम पहुंची और असम पुलिस के साथ मिल कर 12 घंटे के औपरेशन में नीरज को हिरासत में ले लिया गया था.

जोरहाट निवासी नीरज बिश्नोई भोपाल में पढ़ता है. उसे जोरहाट से दिल्ली लाया गया. भोपाल में एक स्थानीय पुलिस के अनुसार नीरज मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के वीआईटी कालेज का स्टूडेंट है. कालेज से 100 किलोमीटर दूर स्थित सिहोर जिले में रहता है. कालेज प्रबंधन के अनुसार कोरोना महामारी के कारण लगे लौकडाउन के चलते वह अब तक औनलाइन कक्षाएं ही लेता रहा है.

मामले की जांच में कई जानकारियां सामने आई हैं. जिस में सभी आरोपियों की भूमिका अलगअलग थी. इन में मयंक अन्य आरोपियों के संपर्क में था और उन्हीं की तरह उस के पास भी कई सोशल मीडिया हैंडल थे.

आरोपी कथित तौर पर अश्लील सामग्री पोस्ट करने के लिए कई ट्विटर अकाउंट संभाल रहे थे. पुलिस का कहना है कि इस नफरती ऐप को चलाने का दिमाग श्वेता सिंह का था. जांच में खुलासा हुआ है कि श्वेता सिंह बुल्ली बाई और 3 अन्य ऐप्स को चला रही थी.

मुसलमान औरतों की नीलामी

सानिया समेत दरजनों मुसलिम औरतों की तसवीरों को उन की सहमति के बगैर इसी साल जनवरी में बुल्ली बाई और जुलाई 2021 में सुल्ली डील्स नाम से बनाए गए मोबाइल ऐप्स इस्तेमाल कर उन की नीलामी की गई थी. इस की व्यापक आलोचना होने के बाद ही कथा लिखे जाने तक 4 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है.

सानिया को इस मामले में काफी पीड़ा झेलनी पड़ी थी. उन्होंने इस बारे में बीबीसी को बताया कि सुल्ली-बुल्ली तो बाद में हुआ. नवंबर 2020 में कुछ ऐसे अकाउंट्स थे, जिस में उन के चेहरे को नंगी तसवीरों पर मौर्फ कर ट्विटर पर डाल दिया गया था.

उन्होंने यह भी बताया कि उन की हमनाम पत्रकार दोस्त की तसवीर के साथ ट्विटर पर डाल कर पूछा गया, ‘अपने हरम के लिए कौन सी सानिया पसंद करोगे?’ इस पोस्ट पर 100 लोगों ने वोट भी दिए थे. फिर वे डायरेक्ट मैसेज पर ग्रुप्स बना कर, उन के साथ यौन संबंध बनाने, गंदी हरकतें करने पर डिसकशन करने लगे थे.

उल्लेखनीय है कि मुंबई में टीवी धारावाहिकों के लिए स्क्रीनप्ले लिखने वाली सानिया ट्विटर पर काफी मुखर रहने वाली लेखिका हैं. वह अपनी हर राय को बेझिझक रखती रही हैं. उन का कहना है वह खास विचारधारा रखने वालों के द्वारा सैक्सुअली हैरेस हुई हैं.

हालांकि उन्होंने यह भी बताया कि कई बार तो वह बेहद गंदी ट्रोलिंग को नजरअंदाज करती रहीं, लेकिन जब इसे ले कर कुछ अकाउंट्स से शिकायत की गई तो अपनी गलती मानने और माफी मांगने के बजाय बदले की भावना से और पीछे पड़ गए.

उन्होंने बताया कि मैं अपनी दोस्त सानिया के साथ मिल कर वैसे अकाउंट्स को रिपोर्ट करते रहे और वे बंद भी होते रहे, लेकिन फिर नए बना लिए जाते थे. यह सिलसिला रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था, तब जा कर मामला मुंबई पुलिस तक गया.

सानिया अपनी एक घटना के बारे में बताती हैं. बात मई 2020 में ईद के मौके की थी. एक यूट्यूब चैनल पर कुछ पाकिस्तानी मुसलिम औरतों की तसवीरें डाल कर उन की नकली नीलामी की गई थी. वे सभी ईद के मौके पर काफी सजीसंवरी हुई थीं. चैनल ने उन के रूपसौंदर्य और ग्लैमर को भुनाने की कोशिश की थी.

यह देख कर सानिया को आशंका हुई थी कि कहीं त्यौहार के लिए तैयार हो कर खींची तसवीरें सोशल मीडिया पर डालने पर मुसलमान औरतों की नीलामी में उन का इस्तेमाल न हो जाए. उस चैनल के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई. वह सस्पेंड हो गया, लेकिन उस के बाद मुसलमान औरतों को निशाना बनाने के लिए एक दूसरी पहल हो गई.

जुलाई, 2020 में सुल्ली डील्स नाम से ऐप बनाया गया और उस पर हुई नकली नीलामी में सानिया और उन की दोस्त सानिया समेत दरजनों मुसलमान औरतों की बोली लगाई गई.

इस बारे में सानिया का कहना है कि मुसलिम औरतें चाहे जिस भी प्रोफेशन में हों, उन्हें इस ऐप में टारगेट बनाया गया है. इन में कई वैसी भी औरतें रही हैं, जिन का सोशल मीडिया से कोई वास्ता नहीं रहा है. वे न तो किसी सामाजिकराजनीतिक मुद्दे पर अपनी राय रखती थीं और न ही किसी को फालो करती थीं.

हैरानी की बात तो यह हुई कि सोशल मीडिया पर ही कई लोगों ने सवाल उठाए कि एक ऐप पर मुसलमान औरतों की झूठी या मनगढ़ंत नीलामी हुई तो इस से क्या फर्क पड़ने वाला है?

जिन की तसवीरें डाली गईं

हालांकि यह अलग बता है कि इस से न तो औरतों की नीलामी हुई और न ही उन को कोई शारीरिक नुकसान पहुंचा, लेकिन मानसिक उत्पीड़न जरूर हुआ. इसी कारण वैसी औरतों ने जब बोलना शुरू किया तब कुछ एफआईआर भी दर्ज हुईं. इस में सानिया की लेखकपत्रकार दोस्त, सानिया के अलावा, कांग्रेस की सोशल मीडिया टीम की संयोजक हसीबा अमीन, पायलट हना मोहसिन खान, कवयित्री नाबिया खान भी दिल्ली में एफआईआर दर्ज करवा चुकी हैं.

‘बुल्ली बाई’ ऐप पर जिन की तसवीरें डाली गईं, उन में प्रसिद्ध अभिनेत्री शबाना आजमी, दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की पत्नी, कई पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता और राजनेता शामिल हैं.

पत्रकार इस्मत आरा उन महिलाओं में से एक हैं जिन की तसवीरें बुल्ली बाई पर पोस्ट की गई हैं. उन्होंने इस के खिलाफ दिल्ली पुलिस साइबर सेल में शिकायत दर्ज कराई है.

इस्मत आरा का कहना है कि इस तरह की घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं, लेकिन उन के खिलाफ कोई ठोस काररवाई नहीं हुई, जिस से ऐसे लोगों का हौसला काफी बढ़ गया. यह मामला पहले भी उजागर हो चुका है. अच्छी बात यह है कि लोगों ने इस की आलोचना की और सब ने बेहद गलत बताया है.

इसे ले कर महिला आयोग तक ने संज्ञान लिया था. संसद में बात उठाई गई थी. गृह मंत्री को खत लिखे गए थे. उस के बावजूद उस केस का कोई निष्कर्ष नहीं दिखा. इस्मत को अब थोड़ी उम्मीद जागी है, क्योंकि 2 जगह मामला दर्ज कराया गया है.

बुल्ली की नीलामी में सानिया जैसी कई औरतें थीं जिन की तसवीरों को सुल्ली ऐप के वक्त भी इस्तेमाल किया गया था. पर कई नाम नए थे और आगे बढ़ कर बोलने को तैयार थे. इन में जानीमानी रेडियो जौकी सायमा, पत्रकार और लेखक राणा अय्यूब, इतिहासकार राणा सफवी और सामाजिक कार्यकर्ता खालिदा परवीन शामिल थीं.

इन में से कई की उम्र 60 पार कर चुकी है पर इन्हें भी इस सैक्सुअल हैरेसमेंट के लिए चिह्नित किया गया. उन औरतों की शिकायत यह भी रही कि उन की आवाज अनसुनी कर दी गई. उन की शिकायत पर महीनों तक पुलिस काररवाई नहीं हुई. यहां तक कि महिला और बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी तक ने इसे गंभीरता से नहीं लिया.

इस बारे में जब महिलाओं ने दिल्ली पुलिस के पीआरओ से बात की और इस मामले में देरी का कारण पूछा, तब उन्हें बताया गया कि इस की वजह ऐप के एक अंतरराष्ट्रीय प्लेटफार्म ‘गिटहब’ पर होस्ट होना है.

ईस्ट दिल्ली के डीसीपी चिनमय बिसवाल का कहना था कि यह अंतरराष्ट्रीय प्लेटफार्म से संबंधित डाटा का तकनीकी मामला है. उस के द्वारा तहकीकात में पूरी तरह कोऔपरेट करने के लिए एसएलएटी नाम की अंतरराष्ट्रीय ट्रीटी के जरिए उन्हें संपर्क करना होता है. उस के बाद ही उन्हें सारा डाटा मिल सकता है.

इसी के साथ उन्होंने आश्वासन भी दिया कि इस की उन्हें अनुमति मिल गई है, और वे आगे की काररवाई कर रहे हैं.

बुल्ली बाई ऐप के जरिए लोगों को बरगलाने और पैसा कमाने के लिए देश भर में एक वैसे संदिग्ध समूह द्वारा विकसित किया गया ऐप था, जिस की पहचान को ले कर पुलिस प्रयास में थी. ऐप को बनाने के पीछे का मकसद भारतीय महिलाओं में ज्यादातर मुसलिमों को नीलामी के लिए रखना और बदले में पैसा कमाना था.

औनलाइन स्कैमर्स सोशल मीडिया अकाउंट से महिलाओं की तसवीरें चुरा कर उन्हें बुल्ली बाई प्लेटफार्म पर लिस्ट कर देते थे. इसे देखते हुए पुलिस और सोशल साइट के जानकारों का कहना है कि महिलाओं को हमेशा अपनी प्रोफाइल लौक कर के रखनी चाहिए या फिर अपनी प्रोफाइल को प्राइवेट बना कर रखें.

सुल्ली डील्स बनाने वाले भी शिकंजे में

मुसलिम महिलाओं के खिलाफ साजिश रचने वाले बीते साल जुलाई में चर्चा में आई ऐप सुल्ली डील्स में भी पहली गिरफ्तारी हुई. इस पर भी करीब 80 मुसलिम महिलाओं की औनलाइन बिक्री का आरोप लग चुका है.

दिल्ली पुलिस ने 10 जनवरी, 2021 को सुल्ली डील्स के मास्टरमाइंड ओंकारेश्वर ठाकुर को इंदौर की न्यूयार्क सिटी टाउनशिप से गिरफ्तार किया. उस पर आरोप है कि वह मुसलिम महिलाओं को ट्रोल करने के लिए बने ट्विटर के ट्रेड ग्रुप का भी सदस्य था. उस में दिल्ली पुलिस ने दावा किया है कि 25 साल के ओंकारेश्वर ठाकुर ने यह बात मान ली है.

दिल्ली में स्पैशल सेल के डीसीपी के.पी.एस. मल्होत्रा का कहना है कि ओंकारेश्वर उसी ट्रेड ग्रुप का सदस्य था, जिस में मुसलिम महिलाओं को ट्रोल करने की साजिश रची जाती थी. उस ग्रुप के जरिए विशेष समुदाय को निशाना बनाया जाता था. इसी के लिए उस ने गिटहब पर कोड विकसित किए थे.

ओंकारेश्वर का यह कुबूलनामा उस पर की गई शुरुआती जांच से मिला है. ठाकुर ने जनवरी, 2020 में ट्विटर हैंडल ञ्चद्दड्डठ्ठद्दद्गह्यष्द्बशठ्ठ का इस्तेमाल कर ट्विटर पर ट्रेड महासभा के नाम से ग्रुप में शामिल हुआ था.

सदस्यों ने मुसलिम महिलाओं को ट्रोल करने की साजिश रची थी. हंगामे के बाद सभी लोगों ने सोशल मीडिया फुटप्रिंट्स को डिलीट कर दिया था.

‘सुल्ली’ महिलाओं के खिलाफ इस्तेमाल किया जाने वाला अपमानजनक शब्द है. यह चर्चा में तब आया था जब देश में कोरोना की दूसरी लहर फैली हुई थी. कई राज्यों में लौकडाउन की स्थिति थी. लोग घरों में दुबके थे और अधिकतर नौकरीपेशा लोग वर्क फ्रौम होम पर थे. उन्हीं दिनों आई कंपनियां सफलता के नया आयाम बना रही थीं.

सौफ्टवेयर डेवलपर नएनए ऐप बना रहे थे, तो उन्हें तेजी से लोकप्रिय बनाने के लिए सोशल साइटों पर धड़ल्ले से ग्रुप भी बनाए जा रहे थे.

उन्हीं दिनों 4 जुलाई, 2021 को ट्विटर पर सुल्ली डील्स के नाम से कई स्क्रीनशौट साझा किए गए थे. इस ऐप में एक टैग लाइन लगी थी, ‘सुल्ली डील औफ द डे’ और इसे मुसलिम महिलाओं की फोटो के साथ शेयर किया जा रहा था.

इस बारे में एक खास बात की चर्चा भी हुई थी कि इसे माइक्रोसौफ्ट द्वारा संचालित गिटहब पर एक अज्ञात समूह द्वारा बनाया गया था. बहुत जल्द ही इसे ले कर विवाद खड़ा हो गया था, क्योंकि इस बारे में यह धारणा बन गई कि ये ‘ट्रैड्स’ मुख्यरूप से दलितों, मुसलिमों, ईसाइयों और सिखों के विचारों के खिलाफ करते हैं, जिस से हिंसा को बढ़ावा मिलने की आशंका बनती है.

कारण था कि इन के बयानों, ट्रोल और ट्रेड द्वारा हत्या, बलात्कार और हर तरह की हिंसा करने की खुलेआम धमकी की बातें झलकती हैं.

ये राजनीतिक दलों की विचारधाराओं पर कड़वी टिप्पणी करते हैं. उन के नेताओं पर कटाक्ष करते हैं. उन पर अपने विचारों को थोपने के लिए मजबूर करते हैं. आलोचना करते समय भाजपा, कांग्रेस समेत लेफ्ट पार्टियों को निशाना बनाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक को नहीं छोड़ते हैं.

गिटहब पर बुल्ली बाई और सुल्ली डील्स

अधिकतर इस्तेमाल किए जाने वाले ऐप गूगल के प्लेस्टोर पर उपलब्ध हैं, लेकिन बुल्ली बाई और सुल्ली डील्स होस्टिंग प्लेटफार्म गिटहब पर बने हैं. इस पर मालिकाना हक अमेरिकी कंपनी माइक्रोसाफ्ट का है, जिसे उस ने 2018 में खरीदा था. यहां ओपन सोर्स कोड का भंडार रहता है. यह फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम की तरह ही एक सोशल मीडिया प्लेटफार्म है.

इस पर बने बुल्ली बाई और सुल्ली डील्स भारत में लोगों के गुस्से के शिकार हो गए हैं. कारण इन पर औरतों को निशाना बनाया गया. यहां तक कि एक खास समुदाय की लड़कियों और महिलाओं की निजी बातें, पहनावे, दिखावे, बेबाक बातें आदि के साथ छेड़छाड़ कर उन की बोली तक लगा दी गई. उन की बोली लगा कर पैसा कमाने का जरिया बना दिया गया.

दरअसल, इन दोनों ऐप्स पर मुसलिम महिलाओं की फोटो डाल कर शेयर किया जाता था और उस पर बोली लगाने के लिए कहा जाता था.

ये देश की उन मुसलिम महिलाओं को टारगेट कर रहे थे, जो सोशल मीडिया पर काफी ऐक्टिव रही हैं. सेलिब्रिटी हैं. अपने निजी संबंधों को ले कर विवाद में रही हैं.

विवाह, तलाक, सामाजिक कुरीतियां, विसंगतियां या फिर यौन संबंधी मुद्दे पर प्रतिक्रियाएं देती रही हैं. या फिर तमाम सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक मुद्दों पर अपनी राय रखती हैं.

गिटहब का इस्तेमाल सौफ्टवेयर डेवलपर्स और कोडिंग करने वाले लोग कर के ऐप्स बनाते हैं. उन के सौफ्टवेयर और कोड्स इसी प्लेटफार्म पर स्टोर और सेव किए जाते हैं.

यहां सोर्स से डेवलपर को कोड का गिट मिलता है, उस के जरिए ऐप अपलोड कर दिया जाता है. उस के बाद इसे सुविधानुसार मैनेज किया जा सकता है. इस के बाद वर्जन कंट्रोल तकनीक के जरिए बाकायदा इसे ट्रैक किया जा सकता है.

गिटहब को टौम प्रसटोन वार्नेर, चेरिस वानस्ट्रेथ, पी.जे. हेयट्ट और स्कौट ने मिल कर साल 2007 में लौंच किया गया. इसे डेवलपर्स की इंडस्ट्री में एक बड़ा मील का पत्थर माना गया था और तब से ले कर तमाम तरह के डेवलपिंग से संबंधित बदलाव किए जाते रहे हैं.

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डिजिटल प्लेटफार्म का इस्तेमाल बढ़ने के साथसाथ इस की मांग भी बढ़ती चली गई. यहां यूजर्स अपने सोर्स प्रोजेक्ट को होस्ट करते हैं. साथ ही इस में दूसरे सौफ्टवेयर के प्रोग्रामर्स को सौफ्टवेयर इंप्रूव करने में मदद मिलती है. इस के बारे में महत्त्वपूर्ण बात यह है कि यहां कोई भी आसानी से फ्री में एकाउंट बना सकता है.

इस के लिए केवल ईमेल आईडी ही चाहिए होती है. यूजर्स जितनी जानकारी

देना चाहे, उसे पब्लिक में दे सकता है. हालांकि उस की प्राइवेसी सेटिंग उस के हाथ में होती है.

उल्लेखनीय है कि ऐप बनाना आसान है, लेकिन इस तरह के ऐप्स पर धार्मिक उन्माद फैलाना, आपराधिक कृत्य करना कानून के दायरे में आता है.

यह आईटी ऐक्ट और क्रिमिनल ला ऐक्ट 2013 के अंतर्गत आता है. इस में दोषी पाए जाने पर 66सी, 66ई, 67, 67ए के अंतर्गत जेल भेजा जा सकता है.

सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव के अनुसार बुल्ली बाई ऐप यूजर को गिटहब द्वारा ब्लौक कर दिया गया है. पुलिस मामले की जांच कर रही है. उन्होंने बताया कि गिटहब की ओर से यूजर को ऐप ब्लौक करने की सूचना दे दी गई है.

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