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नया ट्रैफिक कानून: दुनिया का सबसे बड़ा मजाक

केंद्र सरकार द्वारा ट्रैफिक व्यवस्था की दुशचिंता के तहत जुलाई 2019 में नया ट्रैफिक कानून पारित किया  गया है. आजाद भारत का यह ऐसा सबसे बड़ा कानून बन सकता है जिसे आवाम सिरे से मानने से इनकार कर रही है. केंद्र सरकार के द्वारा पास किए गए इस कानून पर जितना व्यंग्य -विनोद, वक्रोक्ति के द्वारा मजाक उड़ाया जा रहा है वह भी अद्भुत है.

सोशल मीडिया में व्यंग्य के साथ जो कुछ लिखा जा रहा है वह इस कानून की सच्चाई व बानगी को उजागर कर रहा है. प्रस्तुत है कुछ मीम्स,कुछ व्यंग्य बाण जो इस कानून की बघ्घिया उड़ा रहे हैं.

पहला: अगर आपकी पुरानी मोटर साइकिल की कीमत 10 हजार से कम रह गई हो तो चालान काटने से बेहतर है बाइक दरोगा जी को सप्रेम भेंट कर दो.

 दूसरा: हमारे यहां नए मोटर व्हीकल एक्ट के तहत बनाए गए चालान को  भरने के लिए आकर्षण दरों पर लोन दिया जाता है.

तीसरा : नौकरी 15 हजार की भी नहीं और चालान 10 हजार का. और ऊपर से जुर्माने तो ऐसे ठोके  हैं जैसे सड़के यूरोप जैसी हो.

चौथा: रेपिस्ट अगर 18 वर्ष से कम का हो तो उसे छोड़ देंगे पर बाइक अट्ठारह से कम का चलाएगा तो बाप को 3 साल की सजा ! नियम बना रहे हो या मनोहर कहानी भाग – 2

पांचवा: पुलिस – साहब इसके पास चालान भरने के पैसे नहीं है इसकी किडनी निकलवा लूं क्या ! ( इस कार्टून में पुलिस वाला एक वाहन चालक को खड़ा कर उसके वाहन की चाबी अपने हाथ में रख अफसरों से आदेश मांग रहा है )

कुल जमा ऐसे कार्टून, मीम्स और चुटकुले आम लोगों के मध्य सोशल मीडिया में तेजी से वायरल हो रहे हैं जो यह बता रहे हैं कि नया मोटर व्हीकल एक्ट कितना असंगत त्रुटिपूर्ण है. और लोगों में उसके प्रति कितना गुस्सा,नाराजगी है. आम आदमी अपना क्रोध ऐसे ही तो निकालता है.

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आप की हस्ती को नंगा कर रहा है !

नये मोटर व्हीकल एक्ट को लेकर जैसी आम आदमी में जो प्रतिक्रिया आई है, वह अभूतपूर्व है . दरअसल, केंद्र सरकार  जल्द से जल्द सारे कानून प्रावधानों को दुरुस्त करना चाहती है । जनसंघ और राष्ट्रीय स्वयं संघ के घुटे हुए पीर वर्षों से सत्ता की बाट जोह रहे थे .70 वर्षों बाद भाजपा के रूप में एक मौका मिला है “वैतरणी” पार करने के लिए…

अब हालत यह है कि देश, जिनके हाथों में है वे सब कुछ अच्छा बुरा जो उनके दिमाग में वर्षों से भरा हुआ है उसे उड़ेल देना चाहते हैं .प्रधानमंत्री से लेकर मंत्रीगण जल्द से जल्द अपना काम पूरा करना चाहते हैं और इस आपाधापी में कुछ अच्छा तो कुछ बुरा ( गलत! ) भी हो रहा है अब आगे भुगतना, तो देश की आम जनता को है. नोटबंदी, जीएसटी,राम मंदिर, कश्मीर सहित अनेक मसले हैं जो वर्तमान नरेंद्र मोदी सरकार के बही खाते में दर्ज है. इन्हीं में एक है यह हमारे आज का विषय – नया मोटर व्हीकल एक्ट. जो व्यंग्य विद्रूप  के माध्यम से जनता के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है और इसी माध्यम से इस कानून की असलियत खुल कर हमारे सामने आ रही हैं.

कभी एक भिश्ती ने  चमड़े का सिक्का” चलाया  था

इतिहास में ऐसे किस्से अमर हो जाते हैं . मुगल सम्राट हुमायूं के शासनकाल में ऐसे ही एक भिश्ती को जब एक दिन का राजा बनाया गया था तो उसने चमड़े का सिक्का चला दिया था.नितिन गडकरी केंद्रीय परिवहन मंत्री है. नि:संदेह उन्होंने विगत 5 वर्षों में देश की सड़कों को बेहतर बनाने का ऐतिहासिक वर्क किया है. मगर इतिहास तो आपके छिद्रो को स्मरण रखता है आपकी अच्छाई, आदर्श, राष्ट्रप्रेम की कसौटी पर ऐसे छिद्र पलीता लगा देंगे.

दरअसल, मोटर व्हीकल एक्ट 2019 घर में बैठकर, मैं कह रहा हूं!की तर्ज पर संसद में पास कर दिया गया.उस पर जो वृहद चर्चा होनी थी राजग की नरेंद्र मोदी सरकार ने नहीं करायी. परिणाम स्वरुप यह कानून एक मजाक बन गया है और यातायात पुलिस की कमाई का जरिया बन जाएगा. यही कारण है की एक चुटकुला सोशल मीडिया पर दौड़ रहा है – आईएएस 10 लाख, डॉक्टर 8 लाख, इंजीनियर 5 लाख, ट्रैफिक दरोगा 20 लाख ।  जी हां यह है आज के दूल्हे की दरें .

गडकरी अच्छा चाहते हैं, हो गया बुरा !

दरअसल नितिन गडकरी देश की ट्रैफिक व्यवस्था के प्रति सकारात्मक सोच रखते हैं यह उनके काम कार्य पद्धति से बारंबार सामने आया है. सड़कों पर लोग मर रहे हैं यह भी सत्य है मगर उसे रोकने जो व्यवस्था उनके दिमाग में उपजी, उसमे चुक हो गई है.यह वही देश है जहां केंद्रीय मंत्री गोपीनाथ मुंडे की सड़क दुर्घटना में मौत हो जाती है ऐसे में कुछ तो कारण है…

अब मंत्री, अफसर, नेता की जेबें  भरी हुई हैं,  वे सोचते हैं आम आदमी भी पैसे वाला है, नहीं है तो डर कर सड़क पर निकलेगा तो सब कुछ ठीक हो जाएगा. हेलमेट, लाइसेंस, सिंगनल उल्लंघन को टारगेट बनाने की जगह अगर गडकरी साहब! चार पहिया वाहनों पर नकेल कसते तो यह हंगामा और अवाम के बीच केंद्र सरकार का पानी नहीं उतरता…..वृहदकाय महंगे वाहन और सड़कों पर कानून नियमों को तोड़ते मालवाहक वाहनों पर आपको नकेल कसनी होगी अन्यथा देश की सड़कों की हालत आप क्या ईश्वर भी नहीं सुधार सकता. यही वृहदकाय वाहन यही ऊंची गाड़ियां  आमतौर पर दुर्घटना कारित करती हैं. सड़कों को बर्बाद करती हैं .इनके पास पैसे भी हैं मगर आप छोटे मोटे ट्रैफिक हवलदार, इस्पेक्टर और अधिकारी की भांति उनके दबाव प्रभाव में है. दो टूक शब्दों में हमारी यही राय है की चार पहिया वाहनों पर लगाम लगाइये, सब ठीक हो जाएगा.

चलते -चलते – आजकल सोशल मीडिया से निकलकर राष्ट्रीय मीडिया पर न्यूज़ चल रहे हैं -” 15 हजार की स्कूटी पर 23 हजार का जुर्माना !” यह एक लाइन नए मोटर व्हीकल एक्ट की धज्जियां उड़ा रही है.

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गर्ल्स हौस्टल: लड़कियों की आजाद दुनिया

गर्ल्स हौस्टल के अंदर लड़कियों की एक अलग ही दुनिया होती है और उन्हें कई तरह के डर भी सताते हैं साथ ही एक छोटे से बंद कमरे में की दुनिया कभी-कभी बहुत ही नीरस सी हो जाती है. वैसे तो बहुत सी लड़कियों का ये ख्वाब होता है कि मैं भी गर्ल्स हौस्टल में रहुंगी और अकेले रह कर परिवार के किसी दबाव और डर के बिना मस्ती से जिऊंगी लेकिन जब वो हौस्टल में आती हैं तब समझ आता है कि परिवार के साथ रहना ही कितना अच्छा होता है क्योंकि जो सुरक्षा जो प्यार आपको अपने परिवार से मिलता है वो किसी से भी नहीं मिलता और ये कहने का तात्पर्य बिल्कुल भी नहीं है कि हर गर्ल्स हौस्टल ऐसे होते है कि आपको सुरक्षा ही न मिलें बहुत से हौस्टल अच्छे भी होते हैं जहां आपको कंपंनी अच्छी मिल जाती है तब आपको हौस्टल में अच्छा लगने लगता है और आप मज़े से रहती हैं.लेकिन फिर भी वहां आपको अपनी सुरक्षा का डर तो लगा ही रहता है.

अगर सिर्फ सुरक्षा की बात करें तो हौस्टल में अगर गार्ड न हो और ढंग की वार्डन न हो तो हौस्टल असुरक्षित ही रहता है साथ ही लड़कियों को अपने सामानों के चोरी होने का एक अलग ही डर होता है क्योंकि रूम पार्टनर पता नहीं कैसी मिले उसका व्यवहार कैसा हो ये नहीं पता होता और हमें उसी के साथ रूम शेयर करके रहना होता है.अक्सर ऐसा होता है कि किसी के कपड़े चोरी हो गए,किसी का पैसा चोरी हो जाता है हौस्टल से. इसलिए हौस्टल में कितनी ही सुरक्षा चाक चौबंद क्यों न हो लेकिन ये कुछ ऐसे डर हैं जो लड़कियों के मन हमेशा बने रहते हैं और कहीं न कहीं ये सही भी है क्योंकि ज्यादातर लड़कियों के साथ ऐसा होता है और हुआ है….मैं एक लेखक होते हुए ये बात आपसे इसलिए कह रहीं हूं क्योंकि मैं खुद भुक्तभोगी हूं इसलिए इतना तो पता है कि हौस्टल की जिंदगी कैसी होती है.

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भले ही इन बातों की चिंता होती हो लेकिन गर्ल्स हौस्टल में लड़कियां मस्ती भी खूब करती हैं और अपनी जिंदगी भी खुलकर मजें में जीती हैं.एक दूसरे की बुराई करना, लड़ना-झगड़ना सब चलता है…. लेकिन मेरी ये सलाह है उन लड़कियों को जो हौस्टल में हैं या जो कभी रहने जाएंगी कि कभी कुछ गलत मत करना जिससे मां-बाप का सिर शर्म से झुके. हमेशा उन्हें गर्व की अनुभूती कराना. और कभी-कभी तो ऐसा भी होता है जब हौस्टल में कुछ लड़कियां खुद को हेड गर्ल समझने लगती हैं तो भाई मेरी सलाह है ऐसे लोगों से दूर ही रहें तो ज्यादा बेहतर होगा. लेकिन इन सबके बावजूद भी कुछ गर्ल्स हौस्टल ऐसे भी हैं जहां लड़कियां एक परिवार की तरह रहती हैं और एक-दूसरे का सर्पोट भी करती हैं. साथ मिलकर पार्टी भी करती हैं और जरूरत पड़ने पर एक-दूसरे की मदद भी करती हैं लेकिन हर हौस्टल ऐसे नहीं होते हैं इसलिए सावधान रहें और अपनी हर बात हर किसी से शेयर भी न करें क्योंकि कौन आपका भला चाहेगा और कौन बुरा ये बात आपको नहीं पता होती.

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खरीफ फसल और खरपतवार को कृषि यंत्रों से ऐसे करें नियंत्रण

खेतीबारी में अब किसानों की मेहनत को कम करने के लिए मशीन बनाने वालों ने ऐसे ऐसे यंत्र बना दिए हैं, जो बड़े काम के साबित हो रहे हैं. खरीफ की फसल में कुछ यंत्र बड़े उपयोगी होते हैं, जो किसानों को खरपतवार हटाने में मददगार बनते हैं. ऐसे ही कुछ कृषि यंत्रों की जानकारी का लाभ उठाइए.

खरीफ के मौसम में मक्का, ज्वार, बाजरा जैसी फसलों को किसान उगाते हैं जो अनाज के अलावा पशुओं के चारे के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. इस के अलावा दलहनी फसलों में अरहर, मूंग, उड़द, ज्वार आदि की भी खेती की जाती है.

इन फसलों से अच्छी उपज लेने के लिए किसान उन्नत किस्म के बीज बोने के साथ समयसमय पर फसल में खादपानी भी देते?रहें. इस के बावजूद भी फसल में कुछ समय बाद अनेक तरह के खरपतवार उग आते हैं जो खेत में बोई गई फसल की बढ़वार में रुकावट पैदा करते हैं.

खरपतवार खासकर बोआई के 15 दिन बाद ही पनपने लगते हैं इसलिए किसानों को चाहिए कि वे इन खरपतवारों की रोकथाम पर खासा ध्यान दें जिस से फसल से बेहतर उपज ले सकें.

खरपतवार रोकने के लिए समयसमय पर निराईगुड़ाई करना बहुत जरूरी है. निराईगुड़ाई के लिए आज देश में अनेक कृषि यंत्र मौजूद हैं जो इस काम को आसान बनाते हैं. हाथ से चलाने वाले यंत्रों के अलावा पावरचालित यंत्र भी हैं. अनेक छोटेबड़े कृषि यंत्र निर्माता इन्हें बना रहे हैं.

निराईगुड़ाई में कृषि यंत्रों का इस्तेमाल :ध्यान रखें कि ये कृषि यंत्र लाइन में बोई गई फसलों के लिए बेहतर नतीजे देते हैं इसलिए फसल की बोआई लाइनों में ही करनी चाहिए, जबकि बिखेर कर बोई गई फसल में ये यंत्र कारगर नहीं हैं और इस तरह से बोई फसल में पैदावार भी कम ही मिलती है.

पावर वीडर यंत्र

यह मध्यम आकार का यंत्र है. पावर वीडर यंत्र ऐसे किसानों के लिए फायदेमंद है जो बड़ी मशीनें नहीं खरीद पाते हैं. छोटे साइज से ले कर बड़े साइज तक में यह यंत्र आता है. अपनी सुविधानुसार इस का इस्तेमाल किया व खरीदा जा सकता?है.

यह यंत्र लाइन में बोई गई सब्जियों, गन्ना, कपास, फूलों की फसल, दलहनी फसलें वगैरह सभी के लिए फायदेमंद है. पहाड़ी इलाकों के लिए भी यह यंत्र सुविधाजनक होता?है क्योंकि ऐसे इलाकों में छोटेछोटे खेत होते?हैं जहां बड़े यंत्रों का पहुंचना कठिन होता है.

पावर वीडर यंत्र को चलाना बहुत ही आसान है. इस में एक इंजन लगा होता है जो यंत्र के हिसाब से कम या?ज्यादा शक्ति का हो सकता?है. ‘फार्म एन फूड’ पत्रिका के पिछले कई अंक में इस प्रकार के अनेक यंत्रों की जानकारी दी गई है.

देश में अनेक प्रगतिशील किसान और कृषि यंत्र निर्माता हैं जो ऐसे यंत्रों को बना रहे हैं जिस से किसान फायदा उठा सकते हैं.

सरकार की तरफ से इन कृषि यंत्रों की खरीद पर सरकारी अनुदान भी दिया जाता है जो राज्य और जाति के अनुसार कम या ज्यादा हो सकती है.

पावर वीडर यंत्र खरीदते समय सरकारी अनुदान का फायदा लेने के लिए जिला कृषि अधिकारी या जिला उद्यान या बागबानी कार्यालय में मिलें. जरूरी कागजात जमा कराने के बाद वरीयता के आधार पर इन यंत्रों पर अनुदान उपलब्ध कराया जाता है.

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ट्रैकऔन कल्टीवेटर

कम वीडर

ट्रैकऔन कंपनी के इस निराईगुड़ाई यंत्र से गन्ना, कपास, मैंथा, फूल, पपीता, केला, सब्जियां व दूसरी लाइनों में बोई गई फसलों की निराईगुड़ाई की जाती है. साथ ही, इस यंत्र से खेत में डाली गई खाद को भी आसानी से मिलाया जा सकता है.

इस यंत्र से निराईगुड़ाई का खर्चा बहुत कम आता है. इस यंत्र को कहीं भी ले जाना आसान है. इस यंत्र को धकेलना

नहीं पड़ता. यह चलाने में बहुत ही आसान है और जरूरत के मुताबिक रोटर की चौड़ाई

12 से 18 इंच व गहराई घटाईबढ़ाई जा सकती है इसलिए इस यंत्र से खेत की जुताई की जा सकती है.

पैट्रोल और डीजल से चलने वाले इस के 2 मौडल बाजार में मुहैया हैं. इन दोनों मौडलों में एयरकूल्ड 4 स्टोक इंजन लगा है. मशीन का कुल वजन तकरीबन 80 किलोग्राम है.

बीसीएस का इटैलियन

पावर वीडर

‘पावर वीडर कई यंत्रों का लीडर’ जी हां, इस यंत्र पर यह बात सटीक बैठती है. पावर वीडर से निराईगुड़ाई के अलावा अनेक काम किए जा सकते हैं. बीसीएस ने पावर वीडर के साथ ऐसे यंत्रों को पेश किया है जिन्हें इस वीडर के साथ जोड़ कर चलाया जाता है:

लौन मूवर : इस यंत्र को पावर वीडर से जोड़ कर लौन, बागबगीचे की घास को आसानी से काटा जाता है.

सीड ड्रिल : इस यंत्र को पावर वीडर से जोड़ कर खेत की बोआई कर सकते हैं.

स्प्रे पंप : पावर वीडर के साथ स्प्रे पंप जोड़ कर आटोमैटिक तरीके से खेत में कृषि रसायनों का छिड़काव या अन्य तरल पदार्थ का भी छिड़काव कर सकते हैं.

ग्रास कटर: यह घास काटने का कृषि यंत्र?है. इसे पावर वीडर के आगे जोड़ कर चलाया जाता?है. यह बड़ी ही सफाई के साथ घास काटता है.

बीसीएस के कृषि यंत्रों के बारे में ज्यादा जानकारी हासिल करने के लिए मोबाइल फोन नंबर 09758577305, 09416668485 पर संपर्क कर सकते हैं.

अशोका पावर वीडर

डीजल व पैट्रोल दोनों से चलने वाले इस यंत्र से कपास, गन्ना, लाइन में बोई गई सब्जियां वगैरह की निराईगुड़ाई की जाती है.

ज्यादा जानकारी के लिए आप कंपनी के फोन नंबर 91-5924-273176 या मोबाइल नंबर 09412636370 पर बात कर सकते हैं.

फाल्कन पावर वीडर

यह कंपनी पावर वीडर के अलावा अनेक प्रकार के बागबानी में काम आने वाले यंत्र बनाती है.

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मजिस्ट्रेटों पर सत्ता का दबाव

कानूनों की आड़ में आम आदमी की स्वतंत्रता छीनने की आदत सरकार में इतनी बुरी तरह फैली हुई है कि अंगरेजों के समय जो कानून नागरिकों के बचाव के लिए बने थे, उन्हें वह तोड़मरोड़ कर जनता के खिलाफ इस्तेमाल कर रही है. अंगरेजों से पहले इस देश में जंगलराज था चाहे वह हिंदू राजाओं का समय रहा हो या मुसलिम राजाओं का. कोतवाल जब चाहे, जिसे चाहे बंदी बना सकता था. राजा जब चाहे जिसे चाहे अंधेरी कोठरी में डाल सकता था.

भारतीय दंड विधि और दंड प्रक्रिया संहिता नागरिकों को हक देने के लिए बने कि अगर पुलिस किसी को किसी भी आरोप में गिरफ्तार करे, तो उसे 24 घंटे में शहर के मजिस्ट्रेट के सामने लाए और तब मजिस्ट्रेट तथ्यों की ऊपरी जांचपड़ताल करने के बाद ही कैद में रखने की इजाजत दे. इस नियम का धीरेधीरे जम कर दुरुपयोग होने लगा. प्रशासन, पोलिटिशियन और पुलिस के दबाव में मजिस्ट्रेट आरोपी को जमानत पर छोड़ते ही नहीं हैं.

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ले कर एक औरत के धरने आदि के बनाए गए एक वीडियो पर मानहानि और आईटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया. प्रशांत कनौजिया नामक पत्रकार को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और मजिस्ट्रेट ने जमानत नहीं दी कि जांच चल रही है. यह कैसी जांच थी कि आरोपी को जेल में रहना पड़े?

मजिस्ट्रेट न संविधान की भावना सुनते हैं न कानून के शब्दों को देखते हैं. लगभग मशीनी तरह से वे पुलिस का साथ दे कर जेल भेजने में जल्दबाजी दिखाते हैं. कई बार तो बंद आरोपी को वकील का इंतजाम करने का समय तक नहीं मिलता.

मजिस्ट्रेटों में न्याय की जगह अन्याय करने की शक्ति कहां से आती है, दरअसल, ऊपर तक की सरकारें इन को शह देती हैं कि नागरिकों को कुचलो, दबाओ, बंद करो, संविधान की हत्या करो. उत्तर प्रदेश के उक्त मामले में प्रशांत का केस जब सीधे सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो बजाय नागरिक के पक्ष में खड़े होने के, नागरिक के संवैधानिक हितों की रक्षा करने के, संवैधानिक हक वाले अतिरिक्त सौलिसिटर जनरल कहते रहे कि मामला तो पहले से मजिस्ट्रेट के पास है, अगर छूट चाहिए तो अपील करने के लिए सैशन कोर्ट जाओ, फिर हाईकोर्ट, फिर डिवीजन बैंच और उस के बाद यहां सुप्रीम कोर्ट. यानी, तब तक जेल में सड़ो.

जब सर्वोच्च न्याय अधिकारी इस तरह की बात करेंगे तो निचले दर्जे के मजिस्ट्रेट डरेंगे ही. वे पुलिस की सुनेंगे, पुलिस के सामने खड़े होने की हिम्मत न रखेंगे, चाहे इस दौरान नागरिक सड़ता रहे और 2-4 साल बाद बेगुनाह ही पाया जाए. यह गनीमत है कि न्यायपालिका ने सरकार से जज नियुक्त करने का हक अब छीन लिया है. हां, पुलिस रिपोर्ट तो वही पुलिस आज भी बनाती है जो किसी को भी पकड़ कर मजिस्ट्रेट या जज के सामने खड़ा करती है.

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सुप्रीम कोर्ट ने उक्त मामले में नागरिक को तुरंत राहत दी, यह संतोष की बात है, पर यदि साथ में निचली अदालत के मजिस्ट्रेट का तबादला भी कर देती, तो शायद ज्यादा अच्छा होता.

सारा अली खान ने शेयर की पुरानी फोटो तो कार्तिक आर्यन ने किया ऐसा कमेंट

बौलीवुड एक्ट्रेस सारा अली खान सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं. इंस्टाग्राम पर उन्होंने अपनी एक पुरानी फोटो शेयर की हैं. ये फोटो कुछ ही समय में सोशल मीडिया पर छा गई. दरअसल सारा ने इंस्टाग्राम एकाउंट से अपनी मां के साथ वाली एक पुरानी तस्वीर शेयर की.

इस तस्वीर में सारा और उनकी मां व एक्ट्रेस अमृता सिंह प्यार भरे पोज में  दोनों साथ नजर आ रही हैं. सारा ने इस फोटो के कैप्शन में लिखा, ”पुरानी तस्वीर, जब मुझे फेंका नहीं जा सकता था.” सारा के इस फोटो को यूजर्स काफी पसंद कर रहे हैं तो कई यूजर्स मजेदार कमेंट भी कर रहे हैं.सारा ने अपनी इस फोटो का खुद मजाक बनाया.

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वैसे तो सारा हमेशा चर्चे में बनी रहती हैं. कभी अपनी आने वाली फिल्मों तो कभी कार्तिक आर्यन से अपनी रिलेशनशिप को  भी लेकर और अब इस फोटो के लेकर सारा काफी चर्चे में हैं. लेकिन सारा के इस तस्वीर पर कार्तिक ने भी प्यारा सा कमेंट किया और उनकी चुटकी ली. सबसे पहला कमेंट कार्तिक आर्यन का ही आया. कार्तिक ने कमेंट में लिखा, ये लड़की ‘सारा अली खान’ जैसी लग रही है.

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हाल ही में बौलीवुड अदाकारा जरीन खान ने सोशल मीडिया पर एक फोटो शेयर की थीं. इस फोटो में उन्होंने व्हाइट कलर का क्रौप टौप और ब्लैक कलर की जींस पहनी थी. वो बहुत खूबसूरत लग रही थी. लेकिन इस फोटो में उनके स्ट्रेच मार्क्स दिख रहे थे. इस वजह से यूजर्स उन्हें काफी ट्रोल करने लगे.

हालांकि कुछ यूजर्स ने उनकी तारीफ भी की पर कुछ यूजर्स ने जरीन के स्ट्रेच मार्क्स को लेकर उनका मजाक बनाया. इसी बीच अनुष्का शर्मा उनके सपोर्ट में आईं और ट्रोल करने वाले यूजर्स को करारा जवाब दिया. अनुष्का ने लिखा- जरीन तुम बहुत खूबसूरत और स्ट्रांग हो. जैसी हो वैसे परफेक्ट हो.

इसके बाद जरीन ने अनुष्का शर्मा का शुक्रिया आदा किया. उन्होंने लिखा इस प्यार और सपोर्ट के लिए शुक्रिया.. मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक अब जरीन खान  ने अनुष्का के  इस सपोर्ट को लेकर कहा है कि  ये उनका अच्छा जेस्चर है. हम दोनों तो दोस्त भी नहीं हैं. बस सोशल गैदरिंग्स में ही मिले हैं.

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जरीन ने  ये भी कहा, कैसे एक मजबूत महिला दूसरों को पहचानती है और कैसे वह एक लंबा सफर तय करती है और फिर भी फोटोशौपिंग की आवश्यकता होती है. लेकिन वो इसे सोशल मीडिया पर रियल रखना पसंद करती है.

जरीन खान ने यूजर्स को मुंहतोड़ जवाब भी दिया, जरीन ने लिखा कि जो लोग ये जानना चाहते हैं कि मेरे पेट को क्या हुआ? मैं उन्हें बता दूं कि ये एक ऐसे इंसान का नेचुरल पेट है जिसने 50 किलो से ज्यादा वजन घटा लिया हो. ये ना तो फोटोशौप किया गया है और ना ही इसकी सर्जरी की गई है.

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कांग्रेस के ‘संकटमोचक’ खुद संकट में फंसे, डीके शिवकुमार ऐसे बने कांग्रेस के चहेते नेता

आपने चर्चित वेब सीरीज सेक्रेड गेम्स तो देखी होगी. सेक्रेड गेम्स के पहले सीजन में गायतोंडे की भूमिका निभा रहे अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दकी सैफ अली खान से कहता है कि सब मरेंगे केवल त्रिवेदी ही बचेगा. बहुत ही चर्चित डौयलाग था. लगता है कांग्रेस के साथ भी कुछ ऐसा ही होने जा रहा है. कांग्रेस के तमाम बड़े नेता जांच एजेंसियों के रडार पर हैं. पहले ईडी और सीबीआई ने पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम को गिरफ्तार किया. पूरे देश ने देखा होगा कि कैसे चिदंबरम को गिरफ्तार किया गया. 24 घंटे के नाटक के बाद सीबीआई के अधिकारी उनके घर की दीवार लांघ कर अंदर दाखिल हुए और फिर चिदंबरम को गिरफ्तार किया गया.

चिदंबरम की पेशी ही चल रही थी कि कांग्रेस का एक और बड़ा नेता जांच एजेंसियों के रडार पर आ गया. इस नेता का नाम है डीके शिवकुमार. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डीके शिवकुमार को मनी लौन्ड्रिंग के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार को गिरफ्तार कर लिया. ईडी ने चार दिन तक उनसे पूछताछ की उसके बाद उनको गिरफ्तार कर लिया. उनकी गिरफ्तारी के बाद कांग्रेस पार्टी में हलचल मच गई. आनन-फानन में कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला का ट्वीट आया. इसके बाद सुरजेवाला की मीडिया पर प्रतिक्रिया भी आई. कांग्रेस कह रही है कि सरकार बदले की भावना से काम कर रही है. राष्ट्रीय मुद्दों से ध्यान भटकाना चाहती है.

अब आपके लिए ये जानना बहुत जरूरी है कि आखिरकार डीके शिवकुमार कौन हैं. क्यों कांग्रेस इनकी गिरफ्तारी से इतनी ज्यादा हमलावर हो गई.

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कौन हैं डीके शिवकुमार

डीके शिवकुमार कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तो है कि इसके अलावा उनको कांग्रेस का संकट मोचक भी कहा जाता है. कर्नाटक में इन्होंने एचडी कुमारस्वामी को फ्लोर टेस्ट पास करवाया था. इसके बाद दोबारा भी काफी प्रयास किए लेकिन सरकार बचाने में सफल नहीं हो पाए. बताया जाता है कि जब भी सरकार पर कोई संकट आता था तो कांग्रेसी नेताओं को इन्ही के आलीशान रिसौर्ट में ठहराया जाता था. खास बात ये है कि रिसौर्ट राजनीति का जनक भी इन्हीं को कहा जाता है. जिसका पालन हल पार्टी कर रही है.

कुछ महीने पहले आपने कर्नाटक का सियासी नाटक बाखूबी देखा होगा. यहां पर बागी विधायकों को मनाने और कांग्रेस-जेडीएस का गठबंधन टूटने से बचाने की जिम्मेदारी भी इन्हीं के कंधों पर सौंपी गई थी. रिसौर्ट राजनीति के जनक इस नेता ने अपने सभी विधायकों को अपने ही रिसौर्ट में ठहरवा दिया. तमाम कोशिशों को ग्रहण लग गया और भाजपा इस खेल में बाजी मार गई और कर्नाटक भाजपा के अध्यक्ष बीएस येदियुरप्पा चौथी बार मुख्यमंत्री बन गए. हालांकि येदियुरप्पा पर भी ग्रहण लगा हुआ है. वो आज तक कभी भी अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए.

ऐसा पहली बार नहीं हो रहा था कि जब डीकेएस का रिसौर्ट कांग्रेस के लिए रक्षा कवच बना है. 2002 में जब महाराष्ट्र में विलासराव देशमुख की सरकार पर खतरा आया तब वहां के विधायकों को कांग्रेस शासित कर्नाटक भेज दिया गया था. ये विधायक कर्नाटक के शहरी विकास मंत्री डीके शिवकुमार के रिसौर्ट में रुके थे और विलासराव देशमुख की सरकार बच गई थी. इस बार फिर से डीकेएस का ईगलटन रिसौर्ट कांग्रेस के लिए लकी साबित हुआ. कांग्रेस के सभी विधायकों को यहीं रखा गया था. जब विधायकों को बस से हैदराबाद ले जाया गया तो उस बस में सबसे आगे डीकेएस खुद बैठे थे.

खास बात तो यह है कि इस नेता के बारे में कहा जाता है कि ये बेहद चतुर और तेज बुद्धि वाला नेता है. डीकेएस के पास करोड़ों की संपत्ति है. 2019 के हलफनामे में डीके शिवकुमार ने अपने पास 70 करोड़ की चल संपत्ति और 548 करोड़ की अचल संपत्ति की जानकारी दी थी. जबकि इसके पहले 2013 में उनके पास 46 करोड़ की चल संपत्ति और 169 करोड़ की अचल संपत्ति थी. 2019 में दी गई जानकारी के मुताबिक डीके शिवकुमार के परिवार के ऊपर 220 करोड़ की देनदारी है. इसमें उनकी बेटी ऐश्वर्या के ऊपर 46 करोड़ की देनदारी है जबकि उनके पास 107 करोड़ की संपत्ति है.

डीकेएस का नाम राजनीतिक गलियारों पर तब जाना जाने लगा जब उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव पर लड़ा और इतिहास भी रचा. वोक्कालिगा समुदाय के मजबूत दावेदार देवेगौड़ा हार गए. फिर दस साल बाद, शिवकुमार ने विधानसभा में देवेगौड़ा के बेटे एचडी कुमारस्वामी को हराया था.

उस समय की सबसे बड़ी राजनीतिक हलचल मचाते हुए उन्होंने 2004 के लोकसभा चुनाव में कनकपुरा लोकसभा सीट से अनुभवहीन तेजस्विनी को खड़ा कराकर देवगौड़ा को मात दी. लेकिन इसके बाद भी जब पार्टी ने जेडीएस और देवगौड़ा परिवार से हाथ मिलाकर कर्नाटक में गठबंधन सरकार बनाने का फैसला किया तो उन्होंने एक अनुशासित कार्यकर्ता की तरह पार्टी के फैसले को स्वीकार कर लिया.

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क्या मंजिल तक पहुंच पाएगी स्वाभिमान से संविधान यात्रा

दलितों के सर एक बड़ा खतरा इन दिनों आरक्षण के छिन जाने का मंडरा रहा है. 3 तलाक और 370 के बाद अब भाजपा सरकार अगला अहम कदम उठाएगी जो उसके हिंदूवादी एजेंडे का हिस्सा होगा इस पर देशी से ज्यादा विदेशी मीडिया की नजरें हैं. कुछ का अंदाजा है कि भाजपा पहले राम मंदिर निर्माण को प्राथमिकता देगी जबकि कुछ को आशंका है कि वह पहले आरक्षण खत्म करेगी और उसके तुरंत बाद राम मंदिर का काम लगाएगी जिससे संभावित दलित विद्रोह और हिंसा का रुख राम की तरफ मोड़ा जाकर उसे ठंडा किया जा सके.

पिछले दिनी आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने फिर आरक्षण को लेकर अपनी मंशा और मंसूबे यह कहते जाहिर कर दिये हैं कि आरक्षण विरोधी और समर्थकों को सौहाद्रपूर्ण माहौल में बैठकर इस मसले पर विमर्श करना चाहिए. विमर्श यानि तर्क कुतर्क और बहस जिसमें स्वभाविक तौर पर हल्ला मचेगा और यही भगवा खेमा चाहता है.

यह विमर्श हालांकि एकतरफा ही सही सोशल मीडिया पर लगातार तूल पकड़ रहा है जिसमें सवर्ण भारी पड़ रहे हैं और इसकी अपनी कई वजहें भी हैं. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में पहली बार दलित बड़े पैमाने पर भाजपा की तरफ झुके थे तो इसकी बड़ी वजह बतौर प्रधानमंत्री पेश किए गए खुद नरेंद्र मोदी का उस तेली साहू जाति का होना था जिसकी गिनती और हैसियत आज भी दलितों सरीखी ही है. प्रसंगवश यहां मध्यप्रदेश के जबलपुर का उल्लेख जरूरी है जहां के साहू मोहल्ले और तेली गली में आज भी लोग सुबह सुबह इस जाति के लोगों का चेहरा देखने से कतराते हैं. शेष देश इस मानसिकता से अछूता नहीं है.

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तब लोगों खासतौर से दलितों को लगा था कि भाजपा केवल सवर्णों की नहीं बल्कि उनकी भी पार्टी है जो उसने एक लगभग दलित चेहरा पेश किया. इसके बाद भी भाजपा ने दलित प्रेम का अपना दिखावा जारी रखा और तरह तरह के ड्रामे किए जिनमे उसके शीर्ष नेताओं का दलितों के घर जाकर उनके साथ खाना खाना और दलित संतों के साथ कुम्भ स्नान प्रमुख थे. इसका फायदा उसे मिला भी और दलित उसे वोट करता रहा. 2019 के चुनाव में आरक्षण मुद्दा बनता लेकिन बालाकोट एयर स्ट्राइक की सुनामी उसे बहा ले गयी और राष्ट्रवाद के नाम पर सभी लोगों ने मोदी को दोबारा चुना.

3 तलाक और 370 की कामयाबी के बाद जैसे ही मोहन भागवत ने आरक्षण पर विमर्श की बात की तो दलित समुदाय बैचेन है क्योंकि अब राजनीति में उसका कोई माई बाप नहीं है और बहिन जी कही जाने बाली बसपा प्रमुख मायावती भाजपा के सुर में सुर मिला रहीं हैं. दूसरे पांच साल में भाजपा तकनीकी तौर पर दलितों को दो फाड़ कर चुकी है और कई नामी दलित नेता उसकी गोद में खेल रहे हैं. और जिन्होंने उसकी असलियत भांपते इस साजिश का हिस्सा बने रहने से इंकार कर दिया उन्हें दूध में पड़ी मक्खी की तरह बाहर निकाल फेकने में भी भाजपा ने देर नहीं की इनमे सावित्री फुले और उदित राज के नाम प्रमुख हैं.

कांग्रेस का दांव

इधर कांग्रेसी खेमे को समझ आ रहा है कि उसकी खिसकती जमीन की बड़ी वजह परंपरागत वोटों का उससे दूर हो जाना है जिनमे मुसलमानों से भी पहले दलितों का नंबर आता है. अब वह भुल सुधारते फिर दलितों को अपने पाले में लाने स्वाभिमान से संविधान नाम की यात्रा निकालने जा रही है. इस बाबत उसका फोकस हाल फिलहाल दिवाली के आसपास प्रस्तावित तीन राज्यों हरियाणा, झारखंड और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव हैं.

कुछ दिन पहले ही कांग्रेस की अन्तरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अनुसूचित जाति प्रकोष्ठ के नेताओं से मुलाक़ात कर इस यात्रा को हरी झंडी दे दी है जिसके तहत फिर से दलितों को कांग्रेस से जोड़ने युद्ध स्तर पर कोशिशें की जाएंगी. कांग्रेस के अनुसूचित जाति विभाग के मुखिया नितिन राऊत की मानें तो स्वाभिमान से संविधान यात्रा के तहत हरेक विधानसभा में एक कोआर्डिनेटर नियुक्त किया जाएगा जो अपनी विधानसभा में इस यात्रा को आयोजित करेगा.

दलितों को लुभाने का यह दांव कितना सफल हो पाएगा यह तो चुनाव के नतीजे ही बताएंगे लेकिन कांग्रेस की एक बड़ी मुश्किल यह है कि उसके पास भी बड़े और जमीनी दलित नेताओं का टोटा है दूसरे वह इस यात्रा में आरक्षण छिन जाने का षड्यंत्र दलितों को नहीं बताएगी बल्कि चलताऊ बातें करेगी .

मोहन भागवत सहित कई वरिष्ठ भाजपाई नेता सीपी ठाकुर और नितिन गडकरी भी जातिगत आरक्षण खत्म करने की मंशा जाहिर कर चुके हैं जिन्हें कांग्रेस चुनावी मुद्दा न बनाने की गलती या चूक करेगी तो तय है यह यात्रा निरर्थक ही साबित होगी क्योंकि भाजपा ने दलितों को धर्म कर्म के नाम पर एक ऐसे चक्रव्यूह में फंसाने में कामयाबी हासिल कर ली है जिसमे वह अभिमन्यु की तरह छटपटा रहे हैं.

इधर सोशल मीडिया पर भगवा खेमा लगातार यह कह रहा है कि छुआछूत और जातिगत भेदभाव सहित दलित प्रताड़ना के मामले अब अपवाद स्वरूप ही होते हैं. फसाद या बैर की असल जड़ तो आरक्षण है जिसके चलते दलित अपनी योग्यता नहीं दिखा पा रहे हैं. सवर्ण तो चाहते हैं कि दलित युवा अपनी काबिलियत के दम पर आगे आकर हिन्दुत्व की मुख्यधारा से जुड़ें, उनका इस मैदान में स्वागत है.

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यह कतई हैरानी की बात नहीं कि मुट्ठी भर दलित युवा इसे एक चुनौती के रूप में ले रहे हैं और ये वे दलित हैं जिन्हे अपने ही समुदाय के लोगों की बदहाली की वास्तविकता और इतिहास सहित भविष्य का भी पता नहीं. ये लोग भरे पेट हैं, शहरी हैं और सम्पन्न होने के चलते यह मान बैठे हैं कि पूरा दलित समुदाय ही उन्हीं की तरह है जिसे आरक्षण की बैशाखी फेंक देना चाहिए. यही दलित युवा भाजपा की ताकत हैं जो आरक्षण खत्म होने पर निर्विकार और तटस्थ रहकर अपने ही समाज की बरबादी में उल्लेखनीय योगदान देंगे क्योंकि सवर्ण उन्हें गले लगाकर बराबरी का दर्जा देता है. उनके लिए यह षड्यंत्रकारी बराबरी ही भगवान का प्रसाद है .

बारीकी से गौर किया जाये तो भाजपा दलितों को बहला फुसला कर आरक्षण छोड़ने राजी करने की भी कोशिश कर रही है और वही धौंस भी दे रही है जो 3 तलाक और 370 के मुद्दों पर मुसलमानों को दी थी कि यह कोई बदला या ज्यादती नहीं बल्कि तुम्हारे भले की ही बात है . अगर सीधे से नहीं मानोगे तो यह काम दूसरे तरीकों से भी किया जा सकता है लेकिन भाईचारा और भलाई इसी में है कि सहमत हो जाओ .

अब ऐसे में अगर कांग्रेस की यात्रा हवाहवाई बातों और सीबीएससी की बढ़ी हुई फीस जैसे कमजोर मुद्दों में सिमटकर रह गई तो लगता नहीं कि वह मंजिल तक पहुंच पाएगी अगर उसे वाकई दलितों के वोट और समर्थन चाहिए तो भाजपा की असल मंशा तो दलितों के कान में पिघले शीशे की तरह डालना ही होगी नहीं तो न उसका भला होगा और न ही दलितों का.

रिटर्न गिफ्ट- भाग 2: अंकिता को बर्थडे पर क्या गिफ्ट मिला

मम्मी के एक सहयोगी के बेटे की बरात में हम शामिल हुए तो पहले मेरी मुलाकात शिखा से हुई थी. मेरी तरह उसे भी नाचने का शौक था. हम दोनों दूल्हे के बाकी रिश्तेदारों को नहीं जानते थे, इसलिए हमारे बीच जल्दी ही अच्छी दोस्ती हो गई थी.

खाना खाते हुए शिखा ने अपने पापा राकेशजी से मेरा परिचय कराया था. उस पहली मुलाकात में ही उन्होंने अपने हंसमुख स्वभाव के कारण मुझे बहुत प्रभावित किया था. जब शिखा और मेरे साथ उन्होंने बढि़या डांस किया तो हमारे बीच उम्र का अंतर और भी कम हो गया, ऐसा मुझे लगा था.

शिखा से मेरी मुलाकात रोज ही होने लगी क्योंकि हमारे घर पासपास थे. अकसर वह मुझे अपने घर बुला लेती. जब तक मेरे लौटने का समय होता तब तक उस के पापा को आफिस से आए घंटा भर हो चुका होता था.

उन के साथ गपशप करने का मुझे इंतजार रहने लगा था. वह मेरा बहुत ध्यान रखते थे. हर बार मेरी मनपसंद खाने की कोई न कोई चीज वह मुझे जरूर खिलाते. उन के साथ हंसतेबोलते घंटे भर का समय निकल जाने का पता ही नहीं लगता था.

फिर उन्होंने मुझे घर तक छोड़ आने की जिम्मेदारी ले ली तो हम आधा घंटा और साथ रहने लगे. इस आधे घंटे के समय में उन्होंने मेरी जिंदगी के बारे में बहुत कुछ जान लिया था.

जब पापा की सड़क दुर्घटना में 6 साल पहले मौत हुई थी तब मैं 14 साल की थी. मम्मी तो बुरी तरह से टूट गई थीं. उन्हें रातदिन रोते देख कर मैं कभीकभी इतनी ज्यादा दुखी और उदास हो जाती कि मन में आत्महत्या करने का विचार पैदा हो जाता. उस वक्त के बाद से मैं ने भगवान को मानना ही छोड़ दिया है.

शिखा से मुझे उन के बारे में काफी जानकारी हासिल हुई : ‘वैसे तो मेरे पापा बहुत खुश रहते हैं पर कभीकभी अकेलापन उन्हें बहुत उदास कर जाता है. मैं उन से अकसर कहती हूं कि अकेलेपन को दूर करने के लिए कोई जीवनसाथी ढूंढ़ लो पर वह हंस कर मेरी बात टाल जाते हैं. मेरी शादी हो जाने के बाद तो पापा बहुत अकेले रह जाएंगे.’

शिखा को अपने पापा के लिए यों परेशान देख कर मुझे काफी हैरानी हुई थी.

‘मुझे तो शादी उसी युवक से करनी है जो मम्मी को अपने साथ रखने को राजी होगा. पापा की जगह मैं सारी जिंदगी उन की देखभाल करूंगी,’ मैं ने अपना फैसला शिखा को बताया तो वह चौंक पड़ी थी.

‘शादीशुदा बेटी का अपने मातापिता को साथ रखना हमारे समाज में संभव नहीं है अंकिता, और न ही मातापिता विवाहित बेटी के घर रहना चाहते हैं,’ शिखा की इस दलील को सुन कर मुझे गुस्सा आ गया था.

‘अगर ऐसा कोई चुनाव करना पड़ा तो मैं शादी करने से इनकार कर दूंगी पर मम्मी को अकेले छोड़ने का सवाल ही नहीं उठता,’ मैं इस विषय पर शिखा से बहस करने को तैयार हो गई थी.

‘अच्छा यह बता कि तुझे अपने पापा की कितनी बातें याद हैं?’

‘वह गे्रट इनसान थे, शिखा. तभी तो हमारी जिंदगी में उन की जगह आज तक कोई दूसरा आदमी नहीं ले पाया है और न ले पाएगा,’ मेरी आंखों में अचानक आंसू छलक आए तो शिखा ने विषय बदल दिया था.

शिखा के पापा के साथ मेरे संबंध इतने करीबी हो गए थे कि उन से रोज मिले या फोन पर लंबी बात किए बिना मुझे चैन नहीं मिलता था.

उन्होंने जब पार्क के सामने कार रोकी तो मैं झटके से पुरानी यादों की दुनिया से निकल आई थी.

‘‘आओ,’’ उन्होंने बड़े अधिकार से मेरा हाथ पकड़ा और पार्क के गेट की तरफ बढ़ चले.

उन के हाथ का स्पर्श मैं बड़ी प्रबलता से महसूस कर रही थी. इस का कारण यह था कि उन को ले कर मेरे मन के भावों में पिछले दिनों बदलाव आया था.

करीब सप्ताह भर पहले मुझे घर छोड़ने के लिए जाते हुए उन्होंने इसी अंदाज में मेरा हाथ पकड़ कर कहा था, ‘‘अंकिता, तुम मुझे हमेशा अपना अच्छा दोस्त और शुभचिंतक मानना. हमारे बीच जो संबंध बना है, मैं उसे और ज्यादा गहराई और मजबूती देना चाहता हूं. क्या तुम मुझे ऐसा करने का मौका दोगी?’’

‘‘हम अच्छे दोस्त तो हैं ही,’’ उन की आंखों में अजीब सी बेचैनी के भाव को पहचान कर मैं ने जमीन की तरफ देखते हुए जवाब दिया था.

‘‘मैं तुम्हें दुनिया भर की खुशियां देना चाहता हूं.’’

‘‘थैंक यू, सर,’’ उस समय के बाद से मैं ने उन के लिए ‘अंकल’ का संबोधन त्याग दिया था.

उस दिन उन्होंने अपनी बात को आगे नहीं बढ़ाया था. रात भर करवटें बदलने के बाद मुझे ऐसा लगा कि हमारा रिश्ता उस क्षेत्र में प्रवेश कर रहा था जिसे समाज गलत मानता है.

कम उम्र की लड़की के बड़ी उम्र के आदमी से प्यार हो जाने के किस्से मैं ने भी सुने थे, पर ऐसा कुछ मेरी जिंदगी में भी घट सकता है, यह मैं ने कभी नहीं सोचा था.

मेरा मन कह रहा था कि आज राकेशजी मुझ से प्रेम करने की बात अपनी जबान पर लाने वाले हैं. मैं उन्हें बहुत पसंद करती थी लेकिन उन के साथ गलत तरह का रिश्ता रखने का सवाल ही पैदा नहीं होता था. मैं अपनी मां और शिखा की नजरों में कैसे गिर सकती थी?

इन्तकाम : भाग 7

धारावाहिक के छठे भाग में आपने पढ़ा कि होटल ताज में मशहूर गायिका निक्की खान के रूप में निकहत को सामने देखकर संजीव की हालत खराब हो गयी. वह प्रोग्राम बीच में छोड़ कर घर भाग आया, लेकिन दूसरे दिन निकहत से मिलने की तमन्ना लेकर वह फिर होटल ताज पहुंच गया, जहां निकहत से मुलाकात के बाद दोनों के बीच पुराना प्यार फिर जी उठा और संजीव निकहत के साथ मुम्बई जाने को तैयार हो गया… अब आगे.

निकहत के साथ मुम्बई चलने का औफर पाकर संजीव बेहद खुश था. नयी निकहत की चमक-दमक और प्रेमाकर्षण ने उसे बुरी जकड़ लिया था. दूसरे दिन मोनिका को बिजनेस सम्बन्धी जरूरी काम बताकर वह नियत समय पर सामान सहित एयरपोर्ट पर मौजूद था. मोनिका को तो वैसे भी पति से ज्यादा फिक्र अपने दोस्तों और पार्टियों की हुआ करती थी, सो उसकी सेहत पर कोई फर्क न पड़ा.

संजीव निकहत के साथ मुम्बई आ गया. निकहत का शानदार बंगला, कीमती फर्नीचर, नये मौडल की कारें, नौकर-चाकर, जेवर-कपड़े, बैंक-बैलेंस देखकर उसे अपनी आंखों पर विश्वास ही नहीं हो रहा था. बड़े-बड़े म्यूजिक डायरेक्टर निकहत के बंगले पर सलाम बजाने आते थे. घण्टों उसके इंतजार में बैठे रहते थे. रुपयों की गड्डियां और चेक उसके सेक्रेटरी को थमा कर जाते थे. इतनी अमीरी और शानो-शौकत की तो संजीव ने कल्पना भी नहीं की थी. वह ज्यादा से ज्यादा समय निकहत के करीब रहने की कोशिश करता. निकहत भी विभिन्न पार्टियों में उसके साथ बेतकल्लुफी से आती-जाती थी. उसकी और संजीव की इसकदर नजदीकियां कुछ लोगों के दिलों में जलन पैदा कर रही थी, तो कुछ अपनी किस्मत को कोस रहे थे. प्रोग्राम-पार्टियों इत्यादि में डांस फ्लोर पर उसका पार्टनर सिर्फ, और सिर्फ संजीव ही हुआ करता. दूसरों के निमन्त्रण को वह शालीनता से ठुकरा देती थी. प्रेसवालों के लिए तो यह बहुत जोरदार खबर थी. उन्हें तो वैसे भी मशहूर लोगों के प्राइवेट मामलों में ज्यादा दिलचस्पी होती है. निकहत और संजीव की नजदीकियों की चटखारेदार खबरों से जहां फिल्मी पत्रिकाओं की बिक्री बढ़ रही थी, वहीं टीवी चैनल वालों की टीआरपी भी. पत्र-पत्रिकाओं में दोनों के रोमांस के चर्चे जोर-शोर से नमक-मिर्च लगकर छपने लगे – ‘मशहूर पौप सिंगर निक्की खान का दिल आया भी, तो शादीशुदा बिजनेसमैन संजीव पर’. बात चारों तरफ फैल चुकी थी.

संजीव को मुम्बई आये काफी वक्त गुजर गया था. वह निकहत से अब जुदा नहीं होना चाहता था, बल्कि जल्द से जल्द उससे शादी कर लेने की फिराक में था. निकहत की खूबसूरती और उसकी दौलत को पा लेने की लालसा मन में लिये वह कई बार उसके सामने शादी का प्रस्ताव रख चुका था, मगर निकहत हर बार हंस कर टाल जाती थी.

आज भी चाय पीते वक्त चल रही बातों का रुख वह इसी ओर मोड़ता हुआ बोला…

‘अब हमें और देर नहीं करनी चाहिए निकहत…’

‘किस मामले में…?’ निकहत ने अनजान बनते हुए पूछा, हालांकि वह उसकी बात अच्छी तरह समझ रही थी.

‘शादी के मामले में…’ वह उसकी आंखों में झांकता हुआ बोला.

‘देखो संजीव…’ दो क्षण की चुप्पी के बाद निकहत बोली, ‘मैं कोई खतरा मोल लेना नहीं चाहती. तुम पहले ही शादीशुदा हो और हिन्दू लौ के अनुसार अपनी पत्नी के रहते तुम दूसरी शादी नहीं कर सकते… फिर मेरा करियर काफी ऊंचाई पर है… दुनिया मुझे जानती है, मुझे चाहती है… मैं किसी कानूनी पचड़े में पड़ कर अपना करियर बर्बाद नहीं करना चाहती…’ उसने साफ शब्दों में दिल की बात कह दी, ‘संजीव, मैं कोई भी गैर-कानूनी काम नहीं करूंगी.’

‘अगर मैं मोनिका से तलाक ले लूं, तब तो तुम राजी हो…?’ संजीव व्यग्रता से बोला.

‘हां, तब कोई अड़चन नहीं है…’ वह खुश हो गयी, ‘मैं खुद तुम्हारे बिना नहीं जी सकती संजीव…’ उसने करीब आकर प्यार से उसके गले में अपनी बाहें डाल दीं, ‘आई लव यू संजीव…’

‘निकहत…’ संजीव ने उसे कस कर बाहों में भर लिया.

‘मैं कल ही वापस जाकर वकील से मिलता हूं, अब ये दूरी और बर्दाश्त नहीं होती है, निकहत…’ वह उसके कानों में फुसफुसाया.

‘ओ…संजीव… तुम कितने अच्छे हो…’ निकहत उससे बुरी तरह लिपट गयी.

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