कबड्डी का खेल बड़ा दिलचस्प होता है. इसमें कौन किसकी टांग लाइन तक खींच रहा है, इसका सटीक अंदाजा तो कई बार तो रेफरी भी लगाने में गच्चा खा जाता है तो मैदान से दूर खड़े दर्शकों की विसात क्या जो धूल फांकते किसी के आउट होने या पकडे जाने पर तालियां पीटते रहते हैं. आधी दौड़ और आधी कुश्ती के मिश्रण वाले इस देहाती खेल को मध्यप्रदेश के कांग्रेसी इन दिनों पूरे दिलोदिमाग से खेल रहे हैं और जनता आखे मिचचिचाते फैसले का इंतजार कर रही है कि कोई फैसला हो तो घर को जाएं.

वैसे नियमों और कायदे कानूनों के हिसाब तो कबड्डी में दो ही टीमें होनी चाहिए लेकिन मध्यप्रदेश कांग्रेस का हाल जरा जुदा है, जहां कांग्रेस की तीन टीमें एक दूसरे से भिड़ रहीं हैं और उससे से भी ज्यादा दिलचस्प बात ये है कि कौन सा खिलाड़ी किस टीम से खेल रहा है इसका अता पता भी किसी को नहीं. फिर यह तय कर पाना तो और भी मुश्किल काम है कि दरअसल में कौन किसकी टांग खींच रहा है. लेकिन इन तमाम गफलतों के बाद भी खेल जारी है और राह चलते लोग तमाशा देखते ताजे ताजे निर्मित गड्डों में गिर रहे हैं. मनोरंजन का कोई दूसरा साधन उनके पास है भी नहीं क्योंकि अघोषित बिजली कटौती के चलते घरों में टीवी बंद पड़े हैं और बीबी अंबानी के जियो की कृपा से मायके वालो और सहेलियों से चैटिंग में व्यस्त है .

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इन तीनों टीमों में से पहली टीम के कैप्टन घोषित मुख्यमंत्री और विधायक दल द्वारा विधि विधि विधान से चुने गए कमलनाथ हैं. दूसरी टीम की कैप्टनशिप पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के पास है, जो घोषित तौर पर कांग्रेस विधायक दल द्वारा न चुने गए मुख्यमंत्री हैं और तीसरी टीम के उस्ताद चिकने चुपड़े चेहरे वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया हैं. जो घोषित टीम के कैप्टन बनते बनते रह गए थे, लेकिन क्यों में अभी भी लगे हैं पर दिक्कत यह है कि न कोई छींक रहा और न कोई सींका टूट रहा .

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