आखिरकार वही हुआ जो छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत प्रमोद कुमार जोगी के पुत्र और जनता कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अमित ऐश्वर्या जोगी की चाहत थी. अमित जोगी हर दूसरे दिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल  को चैलेंज करते थे कि मुझे गिरफ्तार किया जाए. मुझे गिरफ्तार किया जाए. अंततः उनकी मंशा 3 सितंबर को भूपेश बघेल ने पूरी कर दी .

छत्तीसगढ़ की राजनीति के जानकार जानते हैं कि मुख्यमंत्री की शपथ के साथ प्रदेश में भाजपा के दिग्गज और पूर्व मुख्यमंत्री डा रमन सिंह भूपेश के कोप के भाजन बने हैं. डौक्टर रमन और उनके खासुलखास दांए बांए सहित पुत्र अभिषेक सिंह, दामाद पुनीत गुप्ता पर अनेक जांच गंभीर प्रकरण कांग्रेस सरकार ने लाद दिए हैं.

इधर अपने घुर विरोधी रहे अजीत जोगी पर भूपेश बघेल की ‘वक्र’ दृष्टि है इसे सभी जानते हैं मगर भूपेश बघेल उतने तल्ख नहीं हुए जितने भाजपा की मंडली पर रहे हैं. संभवत: इसका कारण अजीत जोगी का विशाल कद और पूर्ववर्ती खट्टे -मीठे संबंध रहे हैं. इधर अजीत जोगी ने भी आश्चर्यजनक रूप से कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार पर ‘नम्र’ दृष्टि रखी हुई थी.प्रत्यक्ष प्रमाण संसदीय चुनाव रहा जिसमें अजीत जोगी मैदान में उतरते तो कांग्रेस के एक या फिर दोनों बस्तर और कोरबा प्रत्याशी खेत रह जाते.

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अमित जोगी का चैलेंज, गेम- चेंजलर छत्तीसगढ़ में जनता कांग्रेस की बखत नहीं बन पाने के पश्चात अमित जोगी ने अपने पिताश्री की बनाई राजनीतिक धरोहर जनता कांग्रेस जोगी पार्टी की कमान संभालने के बाद धुआंधार ढंग से भूपेश बघेल पर आक्रमण प्रारंभ कर दिया. छत्तीसगढ़ के कोने कोने में घूम-घूम कर ज्वलंत मुद्दे उठाए और हर दिन हुंकार भरी की भूपेश बघेल दम है तो मुझे गिरफ्तार करो  !

30 अगस्त को थाने पहुंच ज्ञापन सौंपा की भूपेश बघेल अपने राजनीतिक शौचालय की गंदगी फैला रहे हैं, मेरे पिता को जाति मामले पर रंजिश वश फंसाया गया है एफ आई आर दर्ज किया गया है .भूपेश बघेल में दमखम है तो मुझे गिरफ्तार करें. यह एक इंतेहा थी, जिस पर प्रदेश के दूसरे नंबर के बड़े नेता टी. एस. सिंहदेव की प्रतिक्रिया आई-” अमित की इच्छा पूरी होगी प्रशासन अपना काम करेगा.” और सिंहदेव दिल्ली सोनिया गांधी के पास पहुंच गए. इघर भूपेश बघेल के इशारे पर अमित जोगी को गिरफ्त में ले लिया गया. सबसे महत्वपूर्ण यह की जिस तरह श्री कृष्ण ने शिशुपाल को सौ गालियां तक की छूट दे रखी थी और उसके पश्चात सुदर्शन चक्र चलाया था संभवत: यहां भी कुछ ऐसा ही हुआ. जब अमित के चैलेंज की इंतहा हुई तो ‘गिरफ्तारी’ हो गई ।… मगर रूकिए… छत्तीसगढ़ की राजनीति का यह घटनाक्रम एक ‘चैलेंजर गेम’ मे भी बदल सकता है, कैसे … आगे देखते हैं…

भूपेश की घेराबंदी है यह ?

इसमें कोई दो राय नहीं की अजीत जोगी छत्तीसगढ़ के राजनीतिक परिवारों में अपना अहम स्थान रखते हैं. और प्रारंभ से प्रदेश की राजनीति के केंद्र में रहे हैं. यह वह शख्सियत है जो कभी मौन नहीं रहती सदैव संघर्षरत रहती है. ऐसे में महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि अमित जोगी का यह कदम भूपेश बघेल को घेरना है और यह संदेश प्रसारित करना भी कि मुख्यमंत्री बनने के बाद भूपेश बघेल “क्रूरता” के साथ अपने राजनीतिक विरोधियों को निपटा रहे हैं.अब यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा कि सरकार के इस कदम से अमित जोगी और उनकी पार्टी को जनता की कितनी सिम्पैथी मिलती है .मगर एक बड़ा सच यह है कि जिस प्रकरण में अमित जोगी को गिरफ्त में लिया गया है वह चुनाव में उनकी दोहरी नागरिकता को छिपाने का है और 2013 के विधानसभा चुनाव के दरम्यान दी गई शपथ का है. मजे की बात यह की तब अमित जोगी कांग्रेस के उम्मीदवार थे और भाजपा प्रत्याशी समीरा पैकरा ने शिकायत की थी. यही कारण है कि भाजपा के बड़े नेता डा. रमन सिंह, धर्मजीत कौशिक ,प्रदेश अध्यक्ष विक्रम उसेंडी इस मामले पर खामोश है.

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 राजनीति के “केंद्र” में आना चाहते हैं

प्रदेश की राजनीति में अमित ऐश्वर्या जोगी केंद्र में आना और रहना चाहते हैं. इसके लिए हर हथकंडा, राजनीतिक आंदोलन प्रोपेगेंडा होगा. और- राजनीति में सब जायज भी है.इस तरह अमित जोगी अपनी पार्टी को जनता के बीच ले जाकर राजनीतिक परिस्थितियां बदलना चाहते हैं .उन्होंने एक दफे कहा था जगन रेड्डी जब 15 साल संघर्ष कर के मुख्यमंत्री बन सकते हैं तो यह एक उदाहरण है. जगन रेड्डी को एक तरह से अपना आदर्श बना अमित जोगी छत्तीसगढ़ की राजनीति में पेंगे भर रहे हैं.अब यह भविष्य के गर्भ में है कि आने वाले समय में एक और दो नंबर की पार्टियों को नेस्तनाबूद कर क्या अमित जोगी अपना लक्ष्य प्राप्त कर पाएंगे.

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