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एक मुलाकात ऐसी भी : भाग 3

देखते ही देखते हफ्ता निकल गया. पार्टी का दिन भी आ गया. लौन में ही पार्टी का इंतजाम किया था. पहली बार मिशिका ने पार्टी का जिम्मा अपने सिर पर लिया था. बोली, ‘‘ममा, अभी परीक्षा की कोई टेंशन नहीं है, इस बार मैं देखूंगी सारा इंतजाम.’’

सुन कर पहली बार एहसास हुआ कि बेटी बड़ी हो गई है. पार्थ का खयाल एक बार फिर दिमाग में आ गया. मगर मेरी मजबूरी थी कि मैं चाह कर भी यह रिश्ता नहीं कर सकती थी. मुझे इस समय अपनी भतीजी के गुस्से में कहे शब्द याद आ रहे थे.

घर में मेहमान आने शुरू हो गए थे. मैं ने अपनी सोच को दरकिनार करने की कोशिश की और मेहमानों की आवभगत में लग गई. जज साहब के कुछ करीबी जल्दी ही आ गए थे. अत: वह उन्हें पीने व पिलाने में व्यस्त हो गए. मैं और मिशिका मेहमानों के स्वागत में लगे थे. बेटी पर बारबार नजरें जा कर ठहर जातीं क्योंकि आज वाकई वह बहुत सुंदर लग रही थी. अचानक दिल में खयाल आया कि अगर आज की पार्टी में पार्थ उसे देख ले और पसंद कर ले या उस की मम्मी ही मिशिका को अपने बेटे के लिए मांग लें तो…

अचानक ही वह परिवार आंखों के सामने आ गया. श्रीमती सक्सेना अपने पति व दोनों बेटों के साथ चेहरे पर मुसकान लिए आती दिखाई दीं. समर्थ को तो उस दिन मौल में ही देख लिया था पर पार्थ तो उस से भी चार कदम आगे था. यह लड़का इतना हैंडसम होगा यह तो मैं ने सोचा भी नहीं था. उस पर आईएएस भी. मुझे फिर लगा कि मेरी चाहत मेरी सोच पर हावी हो गई है. फिर से मेरी चाहत जोर पकड़ने लगी कि यह लड़का तो बस, मेरा दामाद हो जाए. तभी नजदीक आ कर दोनों भाइयों ने मेरे और जज साहब के पैर छुए. मन कहीं अंदर तक उन्हें अपना मान गया.

सक्सेना दंपती तो हम बड़ों के ग्रुप में शामिल हो गए और दोनों भाई, मिशिका के फें्रड्स गु्रप में.

पार्टी खूब मजेदार चली. खाना खाने के बाद सभी लोग एकएक कर जाने लगे थे. मगर सक्सेना परिवार अभी जमा हुआ था. मुझे भी उन के जाने की कहां जल्दी थी. मिशिका पार्थ के संग खड़ी कितनी अच्छी लग रही थी. मन में सचमुच ही बहुत मलाल था कि वे कायस्थ हैं.

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अब तक करीब सभी मेहमान जा चुके थे. रात के 11 बज चुके थे. 30 अक्तूबर की रात, शरीर में ठंडीठंडी हवा की सिहरन सी हो उठी थी कि मिसेज सक्सेना ने, ‘‘एक कप कौफी हो जाए फिर हम भी चलेंगे,’’ कह कर अभी थोड़ा और रुकने का संकेत दिया.

‘‘अरे, क्यों नहीं, क्यों नहीं,’’ कहते हुए वेटर को 4 कप कौफी लाने का आर्डर दे दिया.

मिशिका दोनों भाइयों को अभीअभी अंदर ले गई थी. शायद अपना शानदार कमरा दिखा रही हो. लड़कियों को अपना कमरा दिखाने का बहुत क्रेज होता है.

कौफी आ गई थी. हम चारों हंसी मजाक के साथ कौफी का मजा ले रहे थे कि वह हो गया, जो मेरी सोच में तो निरंतर चल रहा था मगर हकीकत में उस का कोई अनुमान नहीं था.

सक्सेना साहब ने विनम्रता से अपने दोनों हाथ जोड़ते हुए कहा, ‘‘अगर आप लोग हमें दे सकें तो अपनी मिशिका को हमारे पार्थ के लिए दे दीजिए.’’ उन के कहने के साथ ही मिसेज सक्सेना ने भी अपने दोनों हाथ जोड़ दिए.

मैं तो स्तब्ध, भौचक्की, किंकर्तव्य- विमूढ़ सी रह गई. जज साहब ने मेरी तरफ देखा. दोचार पल यों ही खामोशी में निकल गए फिर जज साहब ने कहा, ‘‘हमें यह रिश्ता मंजूर है. पार्थ हमें भी बहुत पसंद आया है और फिर आप से अच्छा और कौन मिलेगा हमें.’’

जज साहब की हां सुन कर मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि इस स्थिति में अब मैं क्या करूं? न हां करने की स्थिति में थी और न ही ना करने की. फिर कुछ सोचती सी बोली, ‘‘अरे, मिशिका से भी तो पूछना होगा न…उस की भी राय जानना जरूरी है. आप को तो पता ही है कि आजकल के बच्चे…’’

मुझे लगा कि चलो, इस बहाने कुछ तो वक्त मिलेगा सोचने का. फिर कुछ सोच कर मना कर देंगे. सही बताऊं तो भैयाभाभी, अंतरा किसी का भी सामना करने की मुझ में हिम्मत नहीं थी.

मेरी इस बात को सुन कर मिसेज सक्सेना के साथ जज साहब और सक्सेना साहब दोनों हंस पड़े. इस के पहले कि मैं कुछ कह पाती, मिसेज सक्सेना अपनी हंसी रोकती हुई बोलीं, ‘‘अच्छा, पहले यह तो बताइए, आप तो राजी हैं न…’’

‘‘मैं…मैं तो…हां, और क्या. मुझे तो बहुत खुशी होगी आप से जुड़ कर,’’ मैं इस के अलावा और क्या कह सकती थी. जब जज साहब ने इस की स्वीकृति दे दी. ‘‘मगर मिशिका…’’ मैं ने फिर इस से बचने की कोशिश की.

‘‘अरे, निशिजी, मुझे तो बस, आप की ही इजाजत चाहिए थी. बाकी सब की इजाजत तो पहले से ही है,’’ इस बार सक्सेना साहब ने जिस अंदाज में कहा, मेरा चौंकना लाजिमी था. असमंजस में पड़ी बोली, ‘‘मतलब?’’

‘‘अरे, निशि, तुम्हारी और मिसेज सक्सेना की मुलाकात मौल में इसीलिए तो कराई थी कि आप दोनों में दोस्ती हो जाए, वरना तो मैं भी जा सकता था उस दिन. मैं ने तो कोर्ट में व्यस्त होने का बहाना किया था. हम लोग काफी दिनों से योजना बना रहे थे कि तुम दोनों को कैसे मिलाया जाए. सो इत्तफाक से मिशिका की गेटटूगेदर निकल आई. हालांकि मौल में मिलवाना मुश्किल था, लेकिन बच्चों ने सब मैनेज कर लिया.’’

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जज साहब बोलते जा रहे थे और मैं आंखें फाड़े उन्हें सुने जा रही थी.

‘‘निशि, जब मौल से लौट कर तुम ने पार्थ के बारे में अपनी चाहत बताई तो मुझे लगा कि हमारा तीर निशाने पर लगा है. प्रकट में मैं ने तुम्हारी बात को तूल नहीं दिया था.

‘‘निशि, तुम्हें याद होगा कि 4 साल पहले मैं जब एक सेमिनार में अमेरिका गया था तो वहां उस में सक्सेना साहब भी मिले थे. भारत से जो खास लोग उस सेमिनार में भेजे गए थे, उन को एक ही होटल में ठहराया गया था और सक्सेना साहब का कमरा मेरे बगल में ही था.’’

आखिर क्या हुआ अंतरा और नीशि के बीच ?

एक मुलाकात ऐसी भी : भाग 4

दोस्ती होना तो लाजिमी ही था न. देखो, तुम्हारी और मिसेज सक्सेना की दोस्ती तो चंद घंटों में ही हो गई, जबकि हम तो पूरे 15 दिन साथ रहे थे. इसी दौरान एक बार मेरी तबीयत भी बिगड़ गई थी तो सक्सेना साहब ने ही मुझे संभाला था और वे सारी बातें यहां आने पर मैं ने तुम को बताई थीं.

‘‘हांहां, मुझे सब याद है,’’ मैं कुछ खोईखोई सी बोली.

‘‘उन्हीं दिनों हम दोनों, एकदूसरे के बेहद करीब आ गए थे. दोस्ती के उन्हीं लम्हों में हम ने आपस में एक वचन लिया कि समय आने पर मिशिका और पार्थ की शादी कर देंगे. आज पार्थ आई.ए.एस. हो गया है. मगर दोस्ती में किए गए वादे में कहीं कोई कमी नहीं आई है. सक्सेनाजी के पास तो अब कितने अच्छेअच्छे आफर आ रहे होंगे जबकि यह जानते हैं कि मैं ने तो जिंदगी भर शोहरत और इज्जत के अलावा कुछ नहीं कमाया. मेरे पास अपनी मिशिका को उन्हें सौंपने के अलावा और कुछ देने को नहीं है.’’

सक्सेना साहब ने जज साहब का हाथ अपने हाथों में ले लिया था और भावविह्वल हो कर बोले, ‘‘ऐसीवैसी कोई बात मत कीजिए जज साहब, नहीं तो मैं उठ कर चला जाऊंगा. जिंदगी में सबकुछ मिल जाता है, मगर दोस्ती, अच्छे लोग, अच्छा परिवार बहुत कम लोगों को मिल पाता है और हम लोग उन्हीं में से एक हैं कि हमें आप मिले हैं.’’

‘‘सुन रही हो निशि. तुम जाति- बिरादरी की बातें करती रहती हो, क्या इन से अच्छा तुम्हें मिशिका के लिए कुछ मिल पाएगा. अच्छे लोग, अच्छे रिश्ते, अच्छे परिवार इन सब से बढ़ कर न धर्म है न जाति है और न ही कुछ और. आज मैं ने बिना तुम्हारी इच्छा जाने इस रिश्ते को हां कर दी है क्योंकि मैं जानता हूं कि मैं सही काम कर रहा हूं और अदालत में आएदिन परिवारों के टूटनेबिखरने के मामले मैं ने सुने और निबटाए हैं, उन में रिश्ते टूटने की वजह यह शायद ही हो कि उन की जाति अलग थी या धर्म. मुझे माफ करना निशि, तुम्हारी बेसिरपैर की बातों के लिए मैं इतना अच्छा रिश्ता नहीं ठुकरा सकता. अच्छा लड़का सोच कर ही पार्थ से मिशिका की शादी की बात खुद तुम्हारे दिमाग में आए इस के लिए ही वह मुलाकात करवाई गई और अब यह पार्टी भी रखी गई ताकि इस ड्रामे का सुखद अंत कर दिया जाए.’’

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पत्नी को काफी कुछ कह कर अंत में जज साहब ने उन का हाथ पकड़ कर कहा, ‘‘मेरे खयाल से अब तुम्हें भी समझ जाना चाहिए कि तुम्हारी सोच बहुत संकीर्ण थी. वक्त और जमाने से हट कर थी. तुम्हारे भैया तुम्हारी बात सुन कर अपनी बेटी का जीवन बिगाड़ सकते हैं, पर मैं नहीं.’’

सभी अपनीअपनी बात कह चुके थे. मिशिका और पार्थ भी अपनी स्वीकृति दे चुके थे. अब मेरी बारी थी सो मैं ने भी हाथ जोड़ कर इस रिश्ते को अपनी स्वीकृति दे दी. मिसेज सक्सेना ने उठ कर मुझे गले लगाते हुए कहा, ‘‘बधाई हो निशिजी. सबकुछ कितनी जल्दी हो गया न. अभीअभी तो हम दोस्त बने थे और अभीअभी समधिनें. उन्होंने अपने गले में पहना एक जड़ाऊ हार उतार कर तुरंत मिशिका को पहनाते हुए कहा, ‘‘आज से तुम्हारी एक नहीं, दोदो मांएं हैं.’’

सबकुछ बहुत अच्छा लग रहा था मगर दिल में कहीं एक डर और चिंता थी, जो मुझे खुल कर खुश नहीं होने दे रही थी. क्या करूंगी, कैसे जाऊंगी भैयाभाभी के सामने. यह सोचसोच कर ही मेरी जान सूखी जा रही थी. सभी थक कर सो गए थे, मगर मेरे मन का डर और अपराधभाव मुझे सोने ही नहीं दे रहा था.

अगली सुबह काफी देर से आंखें खुल पाईं. पता नहीं कितने बजे नींद आई थी. घड़ी पर नजर पड़ी तो पूरे 10 बज रहे थे. जज साहब के कोर्ट जाने की बात दिमाग में आते ही मैं तेजी से उठी कि भाभी ने चाय के प्याले के साथ कमरे में प्रवेश किया और हंसती हुई बोलीं, ‘‘क्या निशि, इतनी बड़ी खुशखबरी है और तुम सो रही हो अब तक?’’

जिस बात के लिए मैं अब तक इतनी परेशान थी, वह इतनी आसानी से सुलझ जाएगी, मैं ने सोचा भी न था. मुझे तो अपनी आंखों पर भरोसा ही नहीं हो रहा था.

मुझे हैरान देख भाभी बोलीं, ‘‘सुबहसुबह ही ननदोईजी का फोन आ गया और फोन पर उन्होंने जब रिश्ता तय होने की बात बताई तो हम से रहा नहीं गया और आप की खुशी में खुशी मनाने चले आए. अपने जीजाजी को देखने के लिए अंतरा भी बेचैन हो रही है, शाम को वह भी यहीं आएगी. सक्सेना परिवार को भी बुला लिया है, आज का डिनर मामामामी की तरफ से शहर के सब से अच्छे होटल में…’’ भाभी बोले जा रही थीं.

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मैं हैरत में पड़ी भाभी का चेहरा पढ़ने में लगी थी. मगर वहां स्नेह व प्यार के अलावा और कुछ भी नहीं था. मेरे इतना बड़ा दुख देने के बावजूद भाभी का यह व्यवहार…कुछ समझ में नहीं आया तो मैं भाभी से लिपट कर जोरजोर से रो पड़ी.

‘‘भाभी, मैं इस लायक कहां कि आप मुझे इतना प्यार दें. मैं ने आप लोगों को अपनी गलत सोच की वजह से इतना दुख पहुंचाया, मैं तो आप को अपना मुंह भी दिखाने की हिम्मत नहीं कर पा रही थी. मैं कितनी बुरी हूं भाभी, कितनी बुरी…’’ मेरा रुदन तेज हुआ जा रहा था और भाभी मेरी पीठ सहलाए जा रही थीं.

‘‘मत रो निशि, मत रो. अब वह भी तुम्हारा हम से अगाध प्रेम ही तो था, वरना किसी को क्या पड़ी है, अच्छा हो या बुरा हो. तुम्हें गलत लगा, इसीलिए तुम ने रोका और हमें तुम्हारी बात सही लगी इसीलिए हम ने उसे मान लिया.’’

‘‘तुम्हारी भाभी बिलकुल सही कह रही हैं निशि. जो हो गया उसे भूल जा, और दिल खोल कर आने वाली खुशियों का इंतजार कर.’’ तभी कमरे में जज साहब के संग भैया आतेआते बोले, ‘‘मेरे मन का बोझ इतनी सहजता से उतर जाएगा, सोचा नहीं था,’’ मैं ने कृतज्ञता से जज साहब को देखा जिन्होंने अपनी समझदारी से इतनी बड़ी खुशी मुझे दे दी थी. उन्होंने मेरी आंखें पढ़ लीं और मुसकरा दिए.

‘‘मगर अभी तो अंतरा का दुख है मेरे सामने. वह तो बहुत नाराज है अपनी बूआ से. उसे कैसे वापस पा सकूंगी मैं?’’

‘‘अरे, अपने बच्चे छोटेछोटे हैं. ज्यादा देर तक अपने बड़ों से नाराज नहीं रहते. मैं ने उसे समझाया है निशि, उस के मन में तुम्हारे लिए कोई गुस्सा नहीं है.’’ भैया बोले तो साथसाथ भाभी भी बोल पड़ीं, ‘‘और अभी सुबहसुबह ही तो फूफाजी से उस की ढेरों बातें हुई हैं और फूफाजी ने उस से वादा किया है कि अब चाहे उस की बूआ कुछ भी कहें, वह अपनी अंतरा की शादी उसी के संग कराएंगे जिसे वह पसंद करती है. पहले चर्च में अंतरा की उस ईसाई लड़के से शादी होगी, फिर मिशिका की मंडप के नीचे. बच्चे जितनी जल्दी गुस्सा हो जाते हैं, उतनी ही जल्दी मान भी जाते हैं निशि.’’

भाभी अपनी बात कह चुकीं तो मैं ने खुश हो कर तुरंत कहा, ‘‘और अब सब से पहले तैयार हो कर हम लोग वहां चलेंगे. मुझे भी तो अपने दूसरे दामाद को शाम के डिनर के लिए आमंत्रित करना है. उन से भी तो माफी मांगनी है, इस बुरी बूआ को.’

करें थोड़ी सी देखभाल और पाए ड्राई स्किन के बजाय सौफ्ट, चमकती त्वचा

सर्दियों में ड्राई स्किन को ज्यादा देखभाल की जरूरत होती है. ठंड में ड्राई स्किन रूखी, सूखी और पपड़ी सी दिखने लगती है और जरूरत से ज्यादा देखभाल और अतिरिक्त नमी की जरूरत होती है.. आइए जानते हैं कि कैसे कुछ खानपान और देखभाल के साथ सर्दियों में भी ड्राई स्किन को चमकदार बनाए रख सकते हैं जो चीजें आपको किचन में ही मिल जाएगी और कुछ समय देने भर से आप बेहतर महसूस करेंगी..

1- उचित मात्रा में (8 से दस ग्लास) पानी पीते रहना चाहिए, अगर ज्यादा सर्दी हो तो गुनगुना पानी भी पी सकते हैं. पानी हमारी स्किन को हाइड्रेड रखता है और प्राकृतिक नमी बनी रहती है. आप नहाने के लिए भी हल्के गर्म पानी का ही इस्तेमाल करें ज्यादा गर्म पानी स्किन को नमी को कम करता है. नहाने के तुरंत बाद ही टावेल से पोंछ कर कोई अच्छा मौश्चराइजर या तेल लगा सकती है. नहाने के तुरंत बाद त्वचा नर्म होती है और उस समय लगायी गयी क्रीम बेहतर रिजल्ट देती है.

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2- सर्दियों में खासकर रूखी त्वचा के लिए सही क्रीम या प्राकृतिक तेल का चुनाव भी अहम होता है. अगर तेल लगाना चाहती है तो नारियल या जैतून का तेल अच्छा रहेगा. थोड़ा ज्यादा समय हो तो नहाने से पहले ही तेल से मसाज कर ले और एक घंटे बाद गुनगुने पानी से नहाकर नर्म तौलिये से हल्के हाथो से पोंछ ले.. इससे डेड सेल्स भी निकल जाएंगे और उसके बाद हल्का सा माश्चराइजर लगा ले.. इससे स्किन ज्यादा कोमल और चमकदार रहेगी.

3- साबुन भी कोई क्रीम बेस्ड या माइल्ड ही ले.. चेहरे के लिए शहद युक्त फेसवाश ले.. अगर चेहरा ज्यादा ड्राई नज़र आ रहा है तो थोड़ा शहद अप्लाई करें और 10 – 15 मिनट बाद नौर्मल पानी से धो ले l इसी तरह दूध को भी कौटन बाल से चेहरे पर लगाकर छोड़े और 10 मिनट बाद धो ले.. ये चेहरे को ड्राई होने से रोकेगा l दूध न केवल चेहरे को नम रखता है बल्कि research कहती हैं कि दूध पीने से भी स्किन rebuild होती है.. इसमें मौजूद phospholipids स्किन समस्याओं को कम करते हैं.

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4.  कोई भी अच्छी पेट्रोलियम जैली हमेशा साथ रखे.. जब भी हाथ, चेहरा या होंठ सूखे लगे तो थोड़ी सी लगा ले.. ये नमी को बरकरार रखेगा l दिन में दो बार चेहरे पर क्रीम और एक बार पूरी बॉडी पर तेल या क्रीम जरूर लगाए.. तेल वही चुने जो आपको सूट करता हो और चिपचिपाहट न हो.. रात में सोते वक़्त कुहनियों, होठों, एड़ियों पर अलग से पेट्रोलियम जैली जरूर लगाए..दिन में मोजे पहन कर रखने से भी पैर मुलायम बने रहेंगे l लिपस्टिक लगाने से पहले भी थोड़ी पेट्रोलियम जैली हमेशा लगाए l दिन में चेहरे पर सनस्क्रीन लगाना न भूले और साथ ही रात को सोते वक़्त कोई भी अच्छी नाइट क्रीम या बेबी क्रीम लगा सकती हैं.

15 दिन में एक बार किसी अच्छी क्रीम से चेहरे पर मसाज करना बेहतर होगा या महीने में एक बार पार्लर भी जाकर cleansing करा सकती है और इसका चुनाव अपनी स्किन टाइप देखकर करें..

आप और आपके अभिभावक !

बनारस की दिव्या को मम्मी -पापा का साथ जरूर अच्छा लगता है, लेकिन हर बात पर मम्मी को टोकना उसे पसंद नही है. दिव्या चाहती है कि  उनके मम्मी -पापा उसके ऊपर भरोसा करें , क्योंकि वह दबे सवार में यह स्वीकारती है कि  हां –  मम्मी-पापा उनके मस्ती में ब्रेकर की तरह है. वह यह भी स्वीकार करती है कि कई दफा उसकी लड़ाई अभिभावकों से हो चुकी है. वही दिल्ली के साकेत की आरुणा का मानना है कि माता-पिता  से अच्छा दोस्त कोई नही , लेकिन आरुणा भी यह कहती है कि हां-मुझे हर गलती पर करार डांट पड़ता है, जो कुछ पल के लिए मुझे अपने अभिभावकों के बारे में गलत सोचने को मजबूर कर देता है. मेरठ के अजय चौधरी तो खुल कर कहते हैं, मै उसी क्षेत्र में करियर बनाना पसंद करुंगा जो मुझे पसंद है. अजय बताते है कि  12 वीं के बाद उनके  पिता कि इच्छा इन्हे इंजीनियर बनाने का था लेकिन उनकी रूचि निजी क्षेत्र में काम करने का था , इसलिए उन्होंने अभिभावक के इच्छा के विरोध जाना सही समझा, कुछ समय तक उनके पिता उनसे नाराज रहे फिर स्थिति सामान्य हो गई. आज अजय एक निजी संस्था में काम करते हुए अपने निजी जीवन में काफी खुश है.  इस प्रकार के कई उदाहरण है, बच्चो को दबे स्वर में अभिभावकों के विरोध आवाज बुलंद करने की.

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हां एक बात तो इन उदाहरणों  से साफ होता है कि कहीं ना कहीं अभिभावक भी बच्चों पर आवश्यकता से अधिक दबाव बना देते है . अगर 110 में से 84 फीसदी नवयुवक कुछ करने से पहले माता -पिता का इजाजत लेना उचित समझते हैं. जबकि 16 फीसदी इसका कोई जरुरत नहीं समझते. नवयुवक अपने बातों पर अभिभावकों का मश्वरा लेना उचित समझाते है.  तभी तो 78 फीसदी नवयुवक अभिभावकों के मशवरे पर  अमल करते हैं.  अगर मौज – मस्ती के बीच ब्रेकर की बात होती है तो 18 फीसदी खुल कर इस बात कों स्वीकार करते है कि उनके अभिभावक मौज -मस्ती में ब्रेकर बन जाते हैं.  जबकि 82 फीसदी नवयुवक  इस बात को सिरे से खारीच करते है.  अगर समय रहते  अभिभावक खुल कर सामने नही आये तो मौज -मस्ती के ब्रेकर का 18 फीसदी  ही कल के लिए भयावह बन सकता है. आधुनिक फैशन युग में सिगरेट को एक फैशन मानने वाले 11 फीसदी नायुवक अभिभावकों के सामने भी सिगरेट पिने की बातों सही मानते है.  जबकि 89  फीसदी नवयुवक आज भी अभिभावकों के सामने इस फैशन रूपी  नशा के प्रचलन को कभी ना करने कि बात करते है.  यह एक शुभ संकेत है फिर भी 11 फीसदी का जवाब अभिभाको को सोचने  पर मजबूर कर देने वाला है  कि कल उनके बच्चे इस फैशन के चपेट में ना आ जाये.  72 फीसदी नवयुवक का मानना है कि  उन्हें अपनी  गलती के लिए डांट पड़ती है, जबकि 28  फीसदी नवयुवक ऐसे नकारते है. अभिभावकों के लिए यह जरुरी है कि  वह आपने बच्चो को गलती पर डाटने के बजाये समझाने पर जोर दे. ताकि 72 फीसदी का विरोध में उठाने वाला स्वर काम हो और बच्चे उनके पास और पास आये. इंजीनियरिंग का क्रेज  अभिभावकों के बीच  आज भी बना हुआ है, लेकिन नवयुवक इसे  नकारते है. 64 फीसदी नवयुवक अपने पसंद से करियर चुनना चाहते है. आपसी झड़पों के बारे में 66 फीसदी नवयुवक का मानना है कि उनका अपने घर में झगडा नही होता  है.  जबकि एह तिहाई ( 34 फीसदी ) का मानना है कि उनका झगडा आपने घर में हुआ है . यह विशेष रिपोर्ट अभिभावकों कों बच्चो  से और  नजदीक आने का संदेश देता है , तो नवयुवको के बदलते स्वरूप को बायान करता है.

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 कैसे तैयार किया गया रिपोर्ट  ..

यह विशेष रिपोर्ट मुख्य रूप से बच्चों के बीच पनप रही पश्चिमी सभ्यता कों भापने एवं बच्चों और अभिभावकों के बीच की दूरियों के कारणों को खोज निकलने के लिए तैयार किया गया है. आप और आप के अभिभावक पर विशेष रिपोर्ट तैयार करने के लिए दिल्ली, बिहार और उत्तर प्रदेश के कई जगहों के नवयुवकों से बात किया गया. शुरुआती तौर पर 110 नवयुवकों से बातचीत कर बच्चों और अभिभावकों के बीच आ रही दूरियों के कारणों कों खोजने की कोशिश किया गया. इस बातचीत  में 18 – 25 साल के नवयुवको कों शामिल किया गया. वार्तालाप के दौरान करियर, घरेलू झड़प और अभिभावकों के लिए सम्मान से जुड़े प्रशन पूछे  गए.  सिगरेट के बढ़ते प्रचलन और मौज -मस्ती में अभिभावकों को ब्रेकर बताने वाले प्रश्न भी इसका एक हिस्सा था. कुल सात प्रश्नों कों नवयुवको के अलग -अलग टोली से पूछी गई , ताकि रिपोर्ट के  रुझानो में हकीकत झलके.  कालेज जाने वाले नवयुवक, दुकानों पर बैठ कर गप्पे मरने वाले नवयुवक एवं इजीनियरिंग और मेडिकल जैसे दिग्गज पाठ कर्मो कों पढ़ने वाले नवयुवक इस वार्तालाप  में शामिल हुए. अलग-अलग इलाकों से 110 नवयुवको के जवाबो  कों जानने के बाद रुझान तय किया गया. जिसके आधार पर यह विशेष रिपोर्ट तैयार किया गया .

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क्या कहते हैं नवयुवक — 

प्रवीण – समय के साथ अभिभावकों कों भी बच्चो कों समझाना चाहिए . जरुरी नही हर वक्त अभिभावक ही सही हो . 

रिया  – करियर का चुनाव करते समय अपनी योग्यता कों देखना चाहिए .क्यों कि अपनी रूचि अनुसार काम करने का मज्जा ही कुछ और होता  है . 

आशुतोष   – मम्मी का टोकना थोड़ी देर के लिए बुरा जरुर लगता है ,लेकिन बाद में लगता है कि उन्होंने हमारे भलाई के लिए ही हमें डाट या टोका है . 

 खुशबू   – मम्मी – पापा की कुछ बातें कभी कभी बुरा लग जाता है ,लेकिन सही मायने पर अभिभावक ही हमारे अच्छे मित्र होते है .

पेड़ पर कैसे होती है लाख की अदभूत खेती ?

हम में से बहुत कम ही लोग जानते होंगे कि एक ऐसी भी खेती होती हैं, जो ना समतल जमीन पर ना पर्वतीय सीढ़ीनुमा खेती पर और ना ही पठारी भूमि पर यह खेती होती हैं प्रकृति के सबसे अनोखे पादप पेड़ पर. जी हां वृक्ष पर होती हैं अद्भूत खेती जहां उगता हैं लाख.

भारत के छोटानागपुर का इलाके में लाख की खेती सबसे अधिक होती हैं. इसके अलावा भारत के कई जगंलो में पोषक पेड़ पर इसकी खेती होती है.

 लाख की दो प्रजातियां भारत में सदियों से पाई जाती हैं-

1.कुसुम लाख

2.रंगीन लाख

इन दोनों प्रजातियों में कुसुम लाख को उतम माना जाता हैं.

लाख के कीड़े नरम एवं नये डालियो पर बैठना पसंद करते हैं. करीबन 34 हजार लाख कीट मिल कर एक किलो रंगीन लाख उत्पन्न करते हैं और करीबन 14 हजार 4 सौ लाख कीट मिलकर कुसुम लाख उत्पन्न करते हैं. लेकिन लगभग 40 प्रतिशत लाख के कीडों को उनके शत्रु कीडे खा जाते हैं. जिससे लाख उत्पादन की क्षमता पर प्रभाव पड़ता हैं साथ ही लाख के गुणों पर भी प्रभाव पड़ता हैं. इसलिए लाख के कीडों को उसके शत्रु कीट से बचाने के लिए कारगर कदम उठाया जाता हैं.

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वैज्ञानिक भाषा में इसे लेसिफर लाख  कहा जाता हैं. लाख शब्द की उत्पति प्राचीन भाषा संस्कृत से हुई हैं संस्कृत के लक्ष शब्द से उत्पन्न हुआ हैं लाख. आयुवैदिक ग्रंथो में भी लाख के बारे में जिक्र मिलता हैं. इसके साथ ही हमारे कई धार्मिक ग्रंथो में भी इसकी चर्चा मिलती हैं, जैसे महाभारत में लक्षागृह की बात .

कहा जाता हैं कि इस पूरे संसार में लाख ही प्रकृतिक का एक मात्र राल हैं, बाकि सभी राल कृत्रिम हैं . इस प्रकृतिक राल को प्रकृति का वरदान भी कहा जाता हैं. लाख की खेती और लाख संबधित उद्योगो का अतीत प्रचीन काल से ही काफी स्र्वाणिक रहा, लेकिन आज के समय में इस क्षेत्र में बहुत कम लोगो लगे हैं. फिर भी हमारे देश से हजारो किलो टन लाख का निर्यात अमेरिका इंगलैण्ड रुस अरब देशो के साथ कई यूरोपिय देशो में किया जाता हैं.

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घटते कृषि भूमि एवम् बडते जनसंख्या के लिए रोजगार के घटते अवसरों की कमी को लाख के खेती को बढावा देकर काफी हद तक पूरा किया जा सकता है. इसके लिए सरकार को लाख आधारित छोटे.बडे उद्योगो के लिए विशेष योजना बनाकर उसे बढावा देना होगा और जगंलो के वृक्षो पर इसके खेती को बढावा देना होगा. जिससे भविष्य में हम लाख निर्यात देश में पहले स्थान पर आ सकें.

कड़वे स्वाद वाले करेला में है कई औषधीय गुण

करेले का स्वाद भले ही कड़वा हो, लेकिन सेहत के लिहाज से यह बहुत फायदेमंद होता है. विशेषज्ञों का कहना है कि करेला  कुपोषण और कई बीमारियों से बचाव में बेहद कारगर है. करेले में अन्य सब्जी या फल की तुलना में ज्यादा औषधीय गुण पाये जाते हैं. करेला खुश्क तासीर वाली सब्जी‍ है. यह खाने के बाद आसानी से पच जाता है. करेले में फास्फोरस पाया जाता है जिससे कफ की शिकायत दूर होती है. करेले में प्रोटीन, कैल्शियम, कार्बोहाइड्रेट, फास्फोरस और विटामिन पाया जाता है. आइए हम आपको कड़वे करेले के गुणों के बारे में बताते हैं.

  • कफ की शिकायत होने पर करेले का सेवन करना चाहिए. करेले में फास्फोरस होता है जिसके कारण कफ की शिकायत दूर होती है.
  • करेला हमारी पाचन शक्ति को बढाता है जिसके कारण भूख बढती है. करेले ठंडा होता है, इसलिए यह गर्मी से पैदा हुई बीमारियों के उपचार के‍ लिए फायदेमंद है.
  • दमा होने पर बिना मसाले की छौंकी हुई करेले की सब्जी खाने से फायदा होता है.
  • लकवे के मरीजों के लिए करेला बहुत फायदेमंद होता है. इसलिए लकवे के मरीज को कच्चा करेला खाना चाहिए.
  • उल्टी-दस्त या हैजा होने पर करेले के रस में थोड़ा पानी और काला नमक मिलाकर सेवन करने से तुरंत लाभ मिलता है.

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  • लीवर से संबंधित बीमारियों के लिए तो करेला रामबाण औषधि है. जलोदर रोग होने पर आधा कप पानी में 2 चम्मच करेले का रस मिलाकर ठीक होने तक रोजाना तीन-चार बार सेवन करने से फायदा होता है.
  • पीलिया के मरीजों के लिए करेला बहुत फायदेमंद है. पीलिया के मरीजों को पानी में करेला पीसकर खाना चाहिए.
  • डायबिटीज के लिए करेला रामबाण इलाज है. करेला खाने से शुगर का स्तर नियंत्रित रहता है.
  • करेला खून साफ करता है. करेला खाने से हीमोग्लोबिन बढ़ता है.
  • बवासीर होने पर एक चम्मच करेले के रस में आधा चम्मखच शक्कर मिलाकर एक महीने तक प्रयोग करने से बवासीर की शिकायत समाप्त हो जाती है.

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  • गठिया रोग होने पर या हाथ-पैर में जलन होने पर करेले के रस से मालिश करना चाहिए. इससे गठिया के रोगी को फायदा होगा.
  • दमा होने पर बिना मसाले की करेले की सब्जी खाना चाहिए. इससे दमा रोग में फायदा होगा.
  • उल्टी, दस्त और हैजा होने पर करेले के रस में थोडा पानी और काला नमक डालकर पीने से फायदा होता है.
  • करेले के रस को नींबू के रस के साथ पानी में मिलाकर पीने से वजन कम किया जा सकता है.

सवाधानी बरते  : वैसे तो करेला सेहत की दृष्टि से बेहद लाभकारी है. लेकिन जिन्हें अल्सर की समस्या है उन्हें इससे परहेज करना चाहिए. इसके अधिक सेवन से सीने में जलन जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं.

ब्लैकमेलिंग का साइड इफेक्ट : हैरान कर देगी ये कहानी

‘‘रजनी, क्या बात है आजकल तुम कुछ बदलीबदली सी लग रही हो. पहले की तरह बात भी नहीं करती.

मिलने की बात करो तो बहाने बनाती हो. फोन करो तो ठीक से बात भी नहीं करतीं. कहीं हमारे बीच कोई और तो नहीं आ गया.’’ कमल ने अपनी प्रेमिका रजनी से शिकायती लहजे में कहा तो रजनी ने जवाब दिया, ‘‘नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है, मेरे जीवन में तुम्हारे अलावा कोई और आ भी नहीं सकता.’’

रजनी और कमल लखनऊ जिले के थाना निगोहां क्षेत्र के गांव अहिनवार के रहने वाले थे. दोनों का काफी दिनों से प्रेम संबंध चल रहा था.

‘‘रजनी, फिर भी मुझे लग रहा है कि तुम मुझ से कुछ छिपा रही हो. देखो, तुम्हें किसी से भी डरने की जरूरत नहीं है. कोई बात हो तो मुझे बताओ. हो सकता है, मैं तुम्हारी कोई मदद कर सकूं.’’ कमल ने रजनी को भरोसा देते हुए कहा.

‘‘कमल, मैं ने तुम्हें बताया नहीं, पर एक दिन हम दोनों को हमारे फूफा गंगासागर ने देख लिया था.’’ रजनी ने बताया.

‘‘अच्छा, उन्होंने घर वालों को तो नहीं बताया?’’ कमल ने चिंतित होते हुए कहा.

‘‘अभी तो उन्होंने नहीं बताया, पर बात छिपाने की कीमत मांग रहे हैं.’’ रजनी बोली.

‘‘कितने पैसे चाहिए उन्हें?’’ कमल ने पूछा.

‘‘नहीं, पैसे नहीं बल्कि एक बार मेरे साथ सोना चाहते हैं. वह धमकी दे रहे हैं कि अगर उन की बात नहीं मानी तो वह मेरे घर में पूरी बात बता कर मुझे घर से निकलवा देंगे.’’ रजनी के चेहरे पर चिंता के बादल छाए हुए थे.

‘‘तुम चिंता मत करो, बस एक बार तुम मुझ से मिलवा दो. हम उस की ऐसी हालत कर देंगे कि वह बताने लायक ही नहीं रहेगा. वह तुम्हारा सगा रिश्तेदार है तो यह बात कहते उसे शरम नहीं आई?’’ रजनी को चिंता में देख कमल गुस्से से भर गया.

‘‘अरे नहीं, मारना नहीं है. ऐसा करने पर तो हम ही फंस जाएंगे. जो बात हम छिपाना चाह रहे हैं, वही फैल जाएगी.’’ रजनी ने कमल को समझाते हुए कहा.

‘‘पर जो बात मैं तुम से नहीं कह पाया, वह उस ने तुम से कैसे कह दी. उसे कुछ तो शरम आनी चाहिए थी. आखिर वह तुम्हारे सगे फूफा हैं.’’ कमल ने कहा.

‘‘तुम्हारी बात सही है. मैं उन की बेटी की तरह हूं. वह शादीशुदा और बालबच्चेदार हैं. फिर भी वह मेरी मजबूरी का फायदा उठाना चाहते हैं.’’ रजनी बोली.

‘‘तुम चिंता मत करो, अगर वह फिर कोई बात करे तो बताना. हम उसे ठिकाने लगा देंगे.’’ कमल गुस्से में बोला.  इस के बाद रजनी अपने घर आ गई पर रजनी को इस बात की चिंता होने लगी थी.

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ब्लैकमेलिंग में अवांछित मांग

38 साल के गंगासागर यादव का अपना भरापूरा परिवार था. वह लखनऊ जिले के ही सरोजनीनगर थाने के गांव रहीमाबाद में रहता था. वह ठेकेदारी करता था. रजनी उस की पत्नी रेखा के भाई की बेटी थी.

उस से उम्र में 15 साल छोटी रजनी को एक दिन गंगासागर ने कमल के साथ घूमते देख लिया था. कमल के साथ ही वह मोटरसाइकिल से अपने घर आई थी. यह देख कर गंगासागर को लगा कि अगर रजनी को ब्लैकमेल किया जाए तो वह चुपचाप उस की बात मान लेगी. चूंकि वह खुद ही ऐसी है, इसलिए यह बात किसी से बताएगी भी नहीं. गंगासागर ने जब यह बात रजनी से कही तो वह सन्न रह गई. वह कुछ नहीं बोली.

गंगासागर ने रजनी से एक दिन फिर कहा, ‘‘रजनी, तुम्हें मैं सोचने का मौका दे रहा हूं. अगर तुम ने मेरी बात नहीं मानी तो घर में तुम्हारा भंडाफोड़ कर दूंगा. तुम तो जानती ही हो कि तुम्हारे मांबाप कितने गुस्से वाले हैं. मैं उन से यह बात कहूंगा तो मेरी बात पर उन्हें पक्का यकीन हो जाएगा और बिना कुछ सोचेसमझे ही वे तुम्हें घर से निकाल देंगे.’’

रजनी को धमकी दे कर गंगासागर चला गया. समस्या गंभीर होती जा रही थी. रजनी सोच रही थी कि हो सकता है उस के फूफा के मन से यह भूत उतर गया हो और दोबारा वह उस से यह बात न कहें.

यह सोच कर वह चुप थी, पर गंगासागर यह बात भूला नहीं था. एक दिन रजनी के घर पहुंच गया. अकेला पा कर उस ने रजनी से पूछा, ‘‘रजनी, तुम ने मेरे प्रस्ताव पर क्या विचार किया?’’

‘‘अभी तो कुछ समझ नहीं आ रहा कि क्या करूं. देखिए फूफाजी, आप मुझ से बहुत बड़े हैं. मैं आप के बच्चे की तरह हूं. मुझ पर दया कीजिए.’’ रजनी ने गंगासागर को समझाने की कोशिश की.

‘‘इस में बड़ेछोटे जैसी कोई बात नहीं है. मैं अपनी बात पर अडिग हूं. इतना समझ लो कि मेरी बात नहीं मानी तो भंडाफोड़ दूंगा. इसे कोरी धमकी मत समझना. आखिरी बार समझा रहा हूं.’’ गंगासागर की बात सुन कर रजनी कुछ नहीं बोली. उसे यकीन हो गया था कि वह मानने वाला नहीं है.

रजनी ने यह बात कमल को बताई. कमल ने कहा, ‘‘ठीक है, किसी दिन उसे बुला लो.’’

इस के बाद रजनी और कमल ने एक योजना बना ली कि अगर वह अब भी नहीं माना तो उसे सबक सिखा देंगे. दूसरी ओर गंगासागर पर तो किशोर रजनी से संबंध बनाने का भूत सवार था.

सुबह होते ही उस का फोन आ गया. फूफा का फोन देखते ही रजनी समझ गई कि अब वह मानेगा नहीं. कमल की योजना पर काम करने की सोच कर उस ने फोन रिसीव करते हुए कहा, ‘‘फूफाजी, आप कल रात आइए. आप जैसा कहेंगे, मैं करने को तैयार हूं.’’

रजनी इतनी जल्दी मान जाएगी, गंगासागर को यह उम्मीद नहीं थी. अगले दिन शाम को उस ने रजनी को फोन कर पूछा कि वह कहां मिलेगी. रजनी ने उसे मिलने की जगह बता दी.

अपने आप बुलाई मौत

18 जुलाई, 2018 को रात गंगासागर ने 8 बजे अपनी पत्नी को बताया कि पिपरसंड गांव में दोस्त के घर बर्थडे पार्टी है. अपने साथी ठेकेदार विपिन के साथ वह वहीं जा रहा है.

गंगासागर रात 11 बजे तक भी घर नहीं लौटा तो पत्नी रेखा ने उसे फोन किया. लेकिन उस का फोन बंद था. रेखा ने सोचा कि हो सकता है ज्यादा रात होने की वजह से वह वहीं रुक गए होंगे, सुबह आ जाएंगे.

अगली सुबह किसी ने फोन कर के रेखा को बताया कि गंगासागर का शव हरिहरपुर पटसा गांव के पास फार्महाउस के नजदीक पड़ा है. यह खबर मिलते ही वह मोहल्ले के लोगों के साथ वहां पहुंची तो वहां उस के पति की चाकू से गुदी लाश पड़ी थी. सूचना मिलने पर पुलिस भी वहां पहुंच गई. पुलिस ने जरूरी काररवाई कर के लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी और गंगासागर के पिता श्रीकृष्ण यादव की तहरीर पर अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया.

कुछ देर बाद पुलिस को सूचना मिली कि गंगासागर की लाल रंग की बाइक घटनास्थल से 22 किलोमीटर दूर असोहा थाना क्षेत्र के भावलिया गांव के पास सड़क किनारे एक गड्ढे में पड़ी है. पुलिस ने वह बरामद कर ली.

जिस क्रूरता से गंगासागर की हत्या की गई थी, उसे देखते हुए सीओ (मोहनलाल गंज) बीना सिंह को लगा कि हत्यारे की मृतक से कोई गहरी खुंदक थी, इसीलिए उस ने चाकू से उस का शरीर गोद डाला था ताकि वह जीवित न बच सके.

पुलिस ने मृतक के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवा कर उस का अध्ययन किया. इस के अलावा पुलिस ने उस की सालियों, साले, पत्नी सहित कुछ साथी ठेकेदारों से भी बात की. एसएसआई रामफल मिश्रा ने काल डिटेल्स खंगालनी शुरू की तो उस में कुछ नंबर संदिग्ध लगे.

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लखनऊ के एसएसपी कलानिधि नैथानी ने घटना के खुलासे के लिए एसपी (क्राइम) दिनेश कुमार सिंह के निर्देशन में एक टीम का गठन किया, जिस में थानाप्रभारी अजय कुमार राय के साथ अपराध शाखा के ओमवीर सिंह, सर्विलांस सेल के सुधीर कुमार त्यागी, एसएसआई रामफल मिश्रा, एसआई प्रमोद कुमार, सिपाही सरताज अहमद, वीर सिंह, अभिजीत कुमार, अनिल कुमार, राजीव कुमार, चंद्रपाल सिंह राठौर, विशाल सिंह, सूरज सिंह, राजेश पांडेय, जगसेन सोनकर और महिला सिपाही सुनीता को शामिल किया गया.

काल डिटेल्स से पता चला कि घटना की रात गंगासागर की रजनी, कमल और कमल के दोस्त बबलू से बातचीत हुई थी. पुलिस ने रजनी से पूछताछ शुरू की और उसे बताया, ‘‘हमें सब पता है कि गंगासागर की हत्या किस ने की थी. तुम हमें सिर्फ यह बता दो कि आखिर उस की हत्या करने की वजह क्या थी?’’

रजनी सीधीसादी थी. वह पुलिस की घुड़की में आ गई और उस ने स्वीकार कर लिया कि उस की हत्या उस ने अपने प्रेमी के साथ मिल कर की थी.

उस ने बताया कि उस के फूफा गंगासागर ने उस का जीना दूभर कर दिया था, जिस की वजह से उसे यह कदम उठाना पड़ा. रजनी ने पुलिस को हत्या की पूरी कहानी बता दी.

गंगासागर की ब्लैकमेलिंग से परेशान रजनी ने उसे फार्महाउस के पास मिलने को बुलाया था. वहां कमल और उस का साथी बबलू पहले से मौजूद थे. गंगासागर को लगा कि रजनी उस की बात मान कर समर्पण के लिए तैयार है और वह रात साढ़े 8 बजे फार्महाउस के पीछे पहुंच गया.

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रजनी उस के साथ ही थी. गंगासागर के मन में लड्डू फूट रहे थे. जैसे ही उस ने रजनी से प्यारमोहब्बत भरी बात करनी शुरू की, वहां पहले से मौजूद कमल ने अंधेरे का लाभ उठा कर उस पर लोहे की रौड से हमला बोल दिया. गंगासागर वहीं गिर गया तो चाकू से उस की गरदन पर कई वार किए. जब वह मर गया तो कमल और बबलू ने खून से सने अपने कपड़े, चाकू और रौड वहां से कुछ दूरी पर झाड़ के किनारे जमीन में दबा दिया.

दोनों अपने कपड़े साथ ले कर आए थे. उन्हें पहन कर कमल गंगासागर की बाइक ले कर उन्नाव की ओर भाग गया. बबलू रजनी को अपनी बाइक पर बैठा कर गांव ले आया और उसे उस के घर छोड़ दिया. कमल ने गंगासागर की बाइक भावलिया गांव के पास सड़क किनारे गड्ढे में डाल दी, जिस से लोग गुमराह हो जाएं. पुलिस ने बड़ी तत्परता से केस की छानबीन की और हत्या का 4 दिन में ही खुलासा कर दिया. एसएसपी कलानिधि नैथानी और एसपी (क्राइम) दिनेश कुमार सिंह ने केस का खुलासा करने वाली पुलिस टीम की तारीफ की.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में रजनी परिवर्तित नाम है.

टेस्टी कुलचे बनाने की आसान रेसिपी

कुलचा खाने में खाने काफी स्वादिष्ट लगता है. यह  मैदे और खट्टी दही से तैयार किया जाता है. तो आइए बताते है आपको इसकी रेसिपी.

सामग्री

1/2 टी स्पून चीनी

1/2 टी स्पून नमक

1 टी स्पून तेल

1/2 कप खट्टी दही

ग्रीस बेकिंग ट्रे

2 कप मैदा

1 टी स्पून यीस्ट

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बनाने की वि​धि

आधा कप गर्म पानी में चीनी घोल लें और इस में यीस्ट डालें.

इसे एक जगह पर रख दें ताकि यह फूल जाए.

जब यह फूल जाए तो मैदे में नमक, तेल, दही और यीस्ट मिश्रण डालकर मिला लें और गुनगुने पानी से इसे गूंथ लें और इसे एक जगह पर गीले कपड़े से ढककर रख दें.

जब यह  फूल जाए तो इसमें से थोड़ा आटा लेकर लोई बना लें और इसे आधे घंटे के छोड़ दें.

ओवन को प्रीहीट कर लें और लोई को पतला बेल लें.

कुलचे को बेकिंग ट्रे में लगाएं.

प्रीहीट ओवन में इसे 5 से 7 मिनट के लिए बेक करें, अब आप  कुलचे के सर्व कर सकते हैं.

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शुभारंभ: रानी ने शादी में पहना 18 किलो का लहंगा

कलर्स के शो, ‘शुभारंभ’ में राजा और रानी की शादी हो गई है. इन दिनों शो में राजा-रानी की शादी की रस्मों के बीच राजा-रानी की नज़दीकियां भी बढ़ रही हैं. भले ही इस शादी में अड़चनों की कमी नहीं थी, लेकिन प्यार की भी कमी नही दिखी राजा-रानी के बीच. रानी एक बहुत ही खूबसूरत दुल्हन के रूप में नज़र आयी. आज हम बात करेंगे रानी के शादी के लुक की. शादी में रानी बेहद खूबसूरत घरचोला लहंगे में नज़र आयी, जिसमें रानी का लुक देखने लायक था. आइए आपको बताते हैं रानी के खूबसूरत लहंगे की खास बातें…

जोर्जेट और रेशमी कपड़ों से बना रानी का लहंगा

घरचोला दुल्हनों की एक खास गुजराती पोशाक है, जो उनकी संस्कृति में बहुत महत्व रखती है. गुजराती परिवार से ताल्लुक रखने वाली रानी का लहंगा भी सफेद और हरे रंग से बना था. लहंगा जोर्जेट और रेशमी कपड़ों से बना था, जिस पर हाथ की कढ़ाई की गई थी.

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72 घंटे में हुई लहंगे की कढ़ाई

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रानी के इस खूबसूरत लहंगे को बनने में 3 से 4 दिन का समय लगा. सबसे पहले लहंगे की 72 घंटे में कढ़ाई हुई, जिसके बाद दर्जी को 22 घंटे लहंगे में 48 कली का घेरा डालने में लगा. 16 मीटर लंबे घेरे होने के कारण इस लहंगे का वजन लगभग 18 किलो था, जो पोशाक की भव्यता को दर्शाता है. इस लहंगे को बनाने में 6 कारीगर और एक्सपर्ट लगे थे.

रानी की ज्वैलरी भी थी खूबसूरत 

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खूबसूरत लहंगे के साथ रानी ने हरे रत्नों से बना कुंदन का एक नक्काशीदार सेट पहना था, जो रानी की सुंदरता में चार चाँद लगा रहा था. रानी ने शादी में नेचुरल लुक रखा था, जिसमें वह बेहद प्यारी लग रही थी.

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शुभारंभ की कहानी गुजरात के एक छोटे से शहर, सिद्धपुर की है. अलग-अलग प्रतिभा रखने वाले राजा और रानी की किस्मत ऐसी जुड़ जाती है कि दोनों शादी के बंधन में बंध जाते हैं. अब देखना ये है कि शादी के बाद राजा-रानी की जिंदगी में कौनसा नया मोड़ आता है. जानने के लिए देखते रहिए शुभारंभ, सोमवार से शुक्रवार रात 9 बजे, सिर्फ कलर्स पर.

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