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19 दिन 19 कहानियां: कुंआरे बदन का दर्द

शबनम अकेले ही एक टेबल पर बैठ कर खाना खा रही थी और जावेद अलग टेबल पर. 5 सालों के बाद उन के चेहरों में कोई खास फर्क नहीं आया था.

शबनम को खातेखाते कुछ याद आया और वह खाना छोड़ कर जावेद के टेबल की तरफ बढ़ी. शायद उसे 5 साल पहले की कोई बात याद आई थी.

‘‘आप ने खाने से पहले इंसुलिन

का इंजैक्शन लिया है कि नहीं?’’ शबनम ने जावेद से पूछा.

‘‘इंजैक्शन लिया है. लेकिन 5 साल तक तलाकशुदा जिंदगी गुजारने के बाद तुम्हें कैसे याद है?’’ जावेद ने पूछा.

‘‘जावेद, मैं एक औरत हूं.’’

‘‘तुम्हारे जाने के बाद, इतना मेरा किसी ने खयाल नहीं रखा,’’ जावेद

ने कहा.

‘‘अगर ऐसी बात थी तो तुम ने मुझे तलाक क्यों दिया?’’

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‘‘वह तो तुम जानती हो…

5 साल साथ रहने के बाद भी तुम मां नहीं बन पाई और बच्चा तो हर किसी को चाहिए.’’

‘‘अगर तुम बच्चा पैदा करने के लायक होते तो क्या मैं नहीं देती?’’ शबनम ने कहा और अपनी टेबल की तरफ बढ़ गई.

जब वे दोनों होटल से बाहर निकले तो फिर मेन गेट पर उन की मुलाकात

हो गई.

‘‘चलो, कुछ दूर साथ चलते हैं,’’ जावेद ने कहा.

‘‘जिंदगीभर साथ चलने का वादा था लेकिन तुम ने ही मुझे तलाक दे कर घर से निकाल दिया,’’ शबनम बोली.

‘‘जो होना था, हो गया. अब यह बताओ कि तुम यहां आई कैसे?’’

‘‘जब तुम ने तलाक दिया तो मैं अपने मांबाप के पास गई. वे इस सदमे को बरदाश्त नहीं कर सके और 6 महीने के अंदर ही दोनों चल बसे. मैं तो उन की कब्र पर भी नहीं जा सकी क्योंकि औरतों का कब्रिस्तान में जाना सख्त मना है.

‘‘उस के बाद मैं भाई के पास रही थी. भाई तो कुछ नहीं बोलता था, लेकिन भाभी के लिए मैं बोझ बन गई थी. वह रातदिन मेरे भाई के पीछे पड़ी रहती और मुझे जलील करते हुए कहती थी कि इस की दूसरी शादी कराओ, नहीं तो किसी के साथ भाग जाएगी.

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‘‘तुम नहीं जानते कि कोई मर्द तलाकशुदा औरत से शादी नहीं करता. सब को कुंआरी लड़की और कुंआरा बदन चाहिए.

‘‘भाई बहुत इधरउधर भागा, पर कहीं कोई मेरा हाथ थामने वाला नहीं मिला. आखिरकार उस ने एक बूढ़े आदमी से मेरी शादी करा दी. वह दिनभर बिस्तर पर पड़ा रहता और मैं उस की एक नर्स हूं. उसे समय से दवा देना, खाना खिलाना या बाथरूम ले जाना, यही मेरी ड्यूटी?थी.

‘‘मुझे यह भी मालूम है कि तुम ने दूसरी शादी कर ली और तुम को दोबारा एक कुंआरी लड़की मिल गई. लेकिन मेरी जिंदगी को तो तुम ने सीधे आग की लपटों में फेंक दिया. और मैं नामुराद दूसरी शादी के बाद भी जल रही हूं.

‘‘तुम ने मुझे तलाक दे दिया और मेरे कुंआरे बदन का सारा रस निचोड़ लिया. एक औरत की जिंदगी क्या होती?है, तुम्हें मालूम नहीं है,’’ शबनम ने अपना दर्द बताया. उस की आंखों में आंसू आ गए. वह रोतेरोते पत्थर की बनी एक कुरसी पर बैठ गई.

जावेद सबकुछ एक बुत की तरह सुनता रहा और फिर अपना वही सवाल दोहराया, ‘‘तुम इस शहर में कैसे आई?’’

‘‘मेरा बूढ़ा पति बहुत बीमार है. मैं ने उसे एक अस्पताल में भरती कराया है.’’

‘‘उस की उम्र क्या है?’’ जावेद

ने पूछा.

‘‘70 साल से भी ऊपर?है,’’ शबनम ने जवाब दिया.

‘‘फिर तो उम्र का बहुत फर्क है,’’ जावेद बोला.

जब शबनम वहां से उठ कर जाने लगी तो जावेद ने आगे बढ़ कर उस का हाथ पकड़ लिया और बोला, ‘‘मुझे माफ कर दो.’’

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‘‘तलाक माफी मांगने से नहीं खत्म होता है. तुम ने मुझे तलाक दे कर जैसे किसी ऊंची पहाड़ी से नीचे धकेल दिया और मैं नरक में चली गई,’’ और फिर शबनम अपना हाथ छुड़ा कर वहां से चली गई.

दूसरे दिन जावेद शाम को उसी होटल के सामने शबनम का इंतजार करता रहा. वह आई और बगैर कुछ बोले ही होटल के अंदर चली गई.

जावेद पीछेपीछे गया और उस के पास बैठ गया. दोनों ने एकदूसरे को

देखा और उन के बीच रस्मी बातचीत शुरू हो गई.

‘‘तुम्हारी मम्मी कैसी हैं?’’ शबनम ने पूछा.

‘‘ठीक हैं. अब वे भी काफी बूढ़ी हो चुकी हैं.’’

‘‘उन को मेरी याद तो नहीं आती होगी. मुझे 5 साल तक बच्चा नहीं हुआ तो उन्होंने मेरा तुम से तलाक करा दिया और तुम्हारी बहन जरीना को 7 साल से बच्चा नहीं हुआ तो कोई बात नहीं, क्योंकि जरीना उन की अपनी बेटी है, बहू नहीं.’’

‘‘चलो जो होना था हो गया. यह हम दोनों का नसीब था,’’ जावेद ने अफसोस जताते हुए कहा.

‘‘नसीब बनाया भी जाता है और बिगाड़ा भी जाता है. अगर औरतों की सोच गलत होती?है तो घर के मर्द एक लोहे की दीवार की तरह खड़े हो जाते हैं. वैसे, औरतें ही औरतों की दुश्मन होती हैं.’’

जावेद के पास इस बात का कोई जवाब नहीं था. वह होटल की छत की तरफ देखने लगा. फिर उस ने बात को बदलते हुए कहा, ‘‘क्या मेरी मम्मी से बात करोगी?’’

‘‘हां, लगाओ फोन. मैं बात कर लेती हूं.’’

जावेद ने अपनी मां को फोन लगा कर कहा, ‘‘मम्मी, शबनम आप से बात करना चाहती है.’’

‘‘तोबातोबा, तुम अपनी तलाकशुदा औरत के साथ हो. यह हमारे मजहब के खिलाफ है. मैं उस से बात नहीं करूंगी,’’ उस की मां की आवाज स्पीकर पर शबनम को भी सुनाई दी.

‘‘जावेद, तुम उन का नंबर दो. मैं अपने मोबाइल फोन से बात करूंगी.’’

जावेद ने शबनम का मोबाइल फोन ले कर खुद ही नंबर लगा दिया. घंटी बजने लगी. उधर से आवाज आई, ‘कौन?’

‘‘मैं आप की बहू शबनम बोल रही हूं. आप ने अपने लड़के से मुझे तलाक दिलवाया, वह एकतरफा तलाक था. मेरे मांबाप को इस का इतना दुख हुआ कि वे मर गए. अब मैं तुम्हारे लड़के जावेद को ऐसा तलाक दूंगी कि वह भी तुम्हारी जिंदगी से चला जाएगा.’’

उधर से टैलीफोन कट गया, लेकिन जावेद के चेहरे पर सन्नाटा छा गया. उस ने कहा, ‘‘तुम मेरी मम्मी से क्या फालतू बात करने लगी थी…’’

शबनम ने जावेद की बात का कोई जवाब नहीं दिया.

अब भी वे दोनों कई दिनों तक रात का खाना खाने उस होटल में आए लेकिन अलगअलग टेबलों पर बैठ कर चले गए, क्योंकि रिश्ता तो टूट ही गया था और अब बातों में कड़वाहट भी आ गई थी.

एक दिन होटल में शबनम जल्दी आई, खाना खा कर बाहर पत्थर की बनी कुरसी पर बैठ गई और जावेद का इंतजार करने लगी. जावेद जब खाना खा कर निकला तो शबनम ने उसे आवाज दी, ‘‘आओ, कहीं दूर तक इन पहाड़ों में घूम कर आते हैं. मेरे बूढ़े पति की अस्पताल से छुट्टी हो गई है. मैं अब चली जाऊंगी. इस के बाद यहां नहीं मिलूंगी.’’

वे दोनों एकदूसरे के साथ गलबहियां करते हुए टाइगर हिल के पास चले आए जहां ऐसी ढलान थी कि अगर किसी का पैर फिसल जाए तो सीधे कई गहरे फुट नीचे नदी में जा गिरे.

शबनम ने साथ चलतेचलते जावेद से कहा, ‘‘मैं तुम्हारा अपने मोबाइल फोन से फोटो लेना चाहती हूं क्योंकि अब हम नहीं मिलेंगे. तुम इस ढलान पर खड़े हो जाओ ताकि पीछे पहाड़ों का सीन फोटो में अच्छा लगे.’’

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जावेद मुसकराया और फोटो खिंचवाने के लिए खड़ा हो गया. शबनम उस के पास आई, मानो वह सैल्फी लेगी. तभी उस ने जावेद को जोर से धक्का दिया और चिल्लाई, ‘‘तलाक… तलाक… तलाक…’’ जावेद ढलान से गिरा, फिर नीचे नदी में न जाने कहां गुम हो गया.

कोविड-19 से खुली पोल: ‘नोबेल’ के हथियाने वाले नहीं हैं नोबल

मेडिकल साइंस के विकास में शेष दुनिया को कमतर आंकने वाले पश्चिमी देश आज उसी शेष दुनिया पर आश्रित सा नजर आ रहे हैं. जबकि, चिकित्सा क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए दिए जाने वाले विश्व के सबसे बड़े वार्षिक पुरस्कार ‘नोबेल’ पर ज्यादातर कब्जा इन्हीं देशों का रहा है.

यहां नोबेल पुरस्कार के लिए उचित कैंडीडेट चुनने की प्रक्रिया और मापदंडों पर सवाल नहीं उठाया जा रहा, हालांकि समय-समय पर विवाद होते रहे हैं, बल्कि इस पुरस्कार पर एक अलग पहलू से नज़र डाली जा रही है जो कोरोनावायरस से उभरी कोविड-19 बीमारी ने गंभीर संकट दुनिया के सामने ला दिया है.

मालूम हो कि विश्वविख्यात वैज्ञानिक, इंजीनियर व आविष्कारक अल्फ्रेड नोबेल ने मरने से पहले अंतिम इच्छा के तहत अपनी धन-संपदा का उपयोग पुरस्कारों की एक श्रृंखला बनाने में करने को कहा था. ये पुरस्कार उन्हें दिए जाएं जो भौतिकी, रसायन, विज्ञान, शांति, शरीर विज्ञान या चिकित्सा और साहित्य के क्षेत्र में मानवजाति को सबसे बड़ा फायदा पहुंचाएं.

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स्वीडन के स्टौकहोम में जन्मे अल्फ्रेड नोबेल की मौत के बाद उनकी वसीयत की गई संपत्ति के प्रबंधन के लिए नोबेल फाउंडेशन का गठन किया गया. नोबेल की वसीयत के तहत, स्वीडन का करोलिंसका इंस्टिट्यूट, जो एक मेडिकल स्कूल एवं रिसर्च सेंटर है, फिजियोलौजी या मेडिसिन यानी शरीर विज्ञान या चिकित्सा में पुरस्कार दिए जाने के लिए जिम्मेदार है. आज इस पुरस्कार को आमतौर पर चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार कहा जाता है.

शुरुआत से अब तक, नोबेल पुरस्कार पर पश्चिम का क़ब्ज़ा रहा है. पांच पश्चिमी देशों ने तो बारबार यह पुरस्कार अपने नाम करके यह संदेश देने की कोशिश की कि उन्होंने मानवता को बहुत बड़ा योगदान दिया है. इनमें सबसे पहला नाम अमेरिका का है. उसके बाद ब्रिटेन, जर्मनी, फ़्रांस और स्वीडन का नाम आता है.

आंकड़ों से पता चला कि अमेरिका को अब तक मेडिकल साइंस में 94, फ़िज़िक्स में 8 और केमिस्ट्री में 69 नोबेल पुरस्कार मिल चुके हैं. ब्रिटेन को मेडिकल साइंस में 29, फ़िज़िक्स में 25, केमिस्ट्री में 29, फ़्रांस को मेडिकल साइंस में 11, फ़िज़िक्स में 13, केमिस्ट्री में 8, जर्मनी को मेडिकल साइंस में 17, फ़िज़िक्स में 24, केमिस्ट्री में 32, स्वीडन को मेडिकल साइंस में 8, फ़िज़िक्स में 4, केमिस्ट्री में 5, रूस को मेडिकल साइंस में 2, फ़िज़िक्स में 11, केमिस्ट्री में 1, जापान को मेडिकल साइंस में 3, फ़िज़िक्स में 1, केमिस्ट्री में 7, स्विटज़रलैंड को मेडिकल साइंस में 7, फ़िज़िक्स में 5, केमिस्ट्री में 6, कैनेडा को मेडिकल साइंस में 4, फ़िज़िक्स में 4, केमिस्ट्री में 5 और इटली को मेडिकल साइंस में 5, फ़िज़िक्स में 5 व केमिस्ट्री में 1 नोबेल पुरस्कार मिल चुके हैं.

ऐसे में यह साफ जाहिर है कि कुछ ख़ास कारणों से एक शताब्दी के दौरान विज्ञान और मेडिकल साइंस के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कारों पर पश्चिम का ही अधिकार रहा है. अगर सही मानों में वे इसके हकदार थे तो फिर उन देशों को मेडिकल साइंस यानी चिकित्सा विज्ञान में बहुत विकसित होना चाहिए, जो आज नहीं दिख रहा.

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वर्तमान में जब नोवल कोरोनावायरस से उभरी कोविड-19 की महामारी पूरी दुनिया में फैली है तो यह सवाल उठ रहा है कि क्या बात है कि उन देशों में भी कोरोना का दंश बहुत ज़्यादा है जिन्हें यह नोबेल पुरस्कार सबसे ज्यादा बार मिले हैं. यही नहीं, मेडिकल साइंस के नोबेल प्राप्त ये देश इस महामारी से निपटने में फिसड्डी भी नजर आ रहे हैं. वे दूसरे देशों से मेडिकल सहायता मांग रहे हैं. ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या कारण है कि  मेडिकल साइंस में सबसे अधिक नोबेल पुरस्कार जीतने वाले देशों में कोरोना का संकट सबसे ज़्यादा गंभीर है और सबसे ज़्यादा मौतें वहां हो रही हैं? दरअसल, अमेरिका, स्पेन, इटली, फ़्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन की कोरोना के सामने बेबसी यह साबित करती है कि पश्चिमी देशों ने विज्ञान के क्षेत्र में विकास की जो कल्पना तैयार कर रखी थी वह धोखे से ज़्यादा कुछ नहीं थी.

Coronavirus से लड़ने के लिए डॉक्टर बना ‘कुमकुम भाग्य’ का ये एक्टर, पहुंचा हॉस्पिटल

कोरोना वायरस से पूरा देश लड़ रहा है. हर कोई इस महामारी से बचने का उपाय कर रहा है. ऐसे में सीरियल कुमकुम भाग्य के एक्टर आशीष गोखले ने बेहद ही सराहनीय कदम उठाया है. जिसकी तारीफ हर कोई कर रहा है. आइए जानते है आशीष के इस नेक काम के बारे में.

दरअसल, उन्होंने एक डॉक्टर की हैसियत से किसी अस्पताल में ज्वाइन किया है जहां पर वह मरीजों का ध्यान रख रहे हैं. आशीष मेडिकल की पढ़ाई कर चुके हैं उनके पास मेडिकल की डिग्री भी है. जिसका उन्हें इस समय फायदा हो रहा है. बखूबी लोगों की सेवा में जुट गए है

 

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वह एक कुशल फीजिशियन है उन्होंने इस बात की जानकारी खुद ही पीटीआई से बातचीत के दौरान दी थी. लॉकडाउन से पहले शूटिंग से समय निकाल कर वह हॉस्पिटल जाया करते थें.

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दिन में शूटिंग होती थी और मैं रात को हॉस्पिटल जाया करता था.  उन्होंने बताय14 मार्च को आखिरी बार शो के सेट पर गया था उसके बाद से लॉकडाउन ही चल रहा है.

आगे उन्होंने कहा घर पर बोर होने से अच्छा मैंने अपने आप को डॉक्टर बनाकर सेवा करना ही बेहतर समझा.मैं लोगों की सेवा जी जान से कर रहा हूं. इसे करके मुझे बेहद खुशी भी हो रही है. मुझे पांच साल की प्रैक्टिस है जिससे मैं लोगों की सेवा अच्छे से कर पा रहा हूं. इस कोरोना वायरस की वजह से हॉस्पिटल ही मेरा घर बन गया है.

आशीष के इस कदम की लोग काफी तारीफ कर रहे हैं. खासकर उनके फैमली वाले इस काम से बहुत ज्यादा गर्व महसूस कर रहे हैं.

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आशीष ने कहा डॉक्टर्स हमारे देश के हीरो है. आज हम जान पर खेलकर सभी की प्राणों की रक्षा कर रहे हैं. इससे पहले जब भी मैं किसी को अपनी डिग्री के बारे में बताता था, लोग काफी हमारी बुराई करते थे.

तलाक के बाद ‘Yeh Rishta’ की ‘गायु’ ने शेयर किया इमोशनल पोस्ट

टीवी स्टार सिमरन खन्ना का उनके पति से तलाक हो गया है. इस खबर के बाद सिमरन के फैंस काफी उदास है.जबकी दोनों ने आपसी सहमति से तलाक लिया है. सिमरन खन्ना का हाल भी कुछ खास नहीं है. पति से अलग होने का दर्द साफ नजर आ रहा है.

सिमरन ने इंस्टाग्रम पर एक स्टोरी शेयर की है जिसमें उन्होंने लिखा है मैंने उससे पूछा एक पल में जान कैसे निकलती है. उसने तुरंत मेरा हाथ छोड़ दिया. भले ही सिमरन इस पोस्ट में किसी के नाम का जिक्र नहीं कि हो लेकिन इस पोस्ट में उनका दुख साफ समझ आ रहा है.

पति से  अलग होकर सिमरन एकदम खुश नहीं है. ऐसा लग रहा है मानो वह हरपल अपने पति को मिस कर रही हैं. ऐसे में फैंस लगातार उन्हें सोशल मीडिया पर खुश और मजबूत रहने की सात्वना दे रहे हैं.

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हालांकि किसी को भी यकिन नहीं हो रहा है कि सिमरन खन्ना का उनके पति से तालाक हो गया है. सिमरन ने लंबे समय तक अपने ब्यॉफ्रेंड भरत दुदानी को डेट करने के बाद शादी करने का फैसला लिया था. लेकिन दोनों का रिश्ता लंबे समय तक टिक नहीं पाया.

सिमरन खन्ना ने सोशल मीडिया पर अपने फैंस के साथ अपने तालाक की वजह भी शेयर की है. एक रिपोर्ट में उन्होंने बताया है कि मेरे पति से तालाक हो गया है लेकिन इसका मुझे उनसे कोई शिकायत नहीं है. मैं जब चाहूं अपने बेटे से मिल सकती हूं.

 

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थोडा सा बादल थोडा सा पानी……..और इक कहानी

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सिमरन फेमस सीरियल ये रिश्ता क्या कहलाता है में गायत्री यानी गायू के किरदार में नजर आ चुकी हैं. लोगों ने इन्हें काफी पसंद किया था. सिमरन फेमस एक्टर चाहत खन्ना की बहन है.

Lockdown 2.0: फैसले में नहीं रखा गया उद्योग धंधे और मजदूरों का ध्यान

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन की अवधि पूरे देश में 3 मई तक बढ़ा दी है. देश की जनता को उम्मीद थी कि 14 अप्रैल को लॉकडाउन से उन्हें कुछ राहत मिलेगी. जिससे उनके रोज के कामकाज में बढ़ोतरी हो सकेगी पर जनता की उम्मीदों पर पानी फेरते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन की अवधि पूरे देश में 3 मई तक बढ़ा दी. साथ ही साथ यह कहा है कि 20 अप्रैल को एक समीक्षा की जाएगी जिसमें यह देखा जाएगा कि जिन जगहों पर कोरोना वायरस की नई घटनाएं नहीं हुई है  वहां कुछ ढिलाई देते हुए काम करने की छूट दी जा सकेगी.

पहले लॉक डाउन में कामयाब नहीं हुई सरकार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने प्रयासों पर चर्चा करते हुए कहा कि “भारत में आज हम एक लाख से अधिक बेड की व्यवस्था कर चुके हैं. 600 से भी अधिक ऐसे अस्पताल हैं, जो सिर्फ कोविड के इलाज के लिए काम कर रहे हैं.

इन सुविधाओं को और तेजी से बढ़ाया जा रहा है. जनवरी में हमारे पास कोरोना की जांच के लिए सिर्फ एक लैब थी, वहीं अब 220 से अधिक लैब्स में टेस्टिंग का काम हो रहा है.

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सोचने वाली बात यह है कि अगर सरकार के प्रयास सफल रहे होते तो पहले लॉकडाउन के बाद दूसरे लॉकडाउन की जरूरत नही पड़ती. एक के बाद एक लॉकडाउन को घोषणा से जनता के मन मे यह भय बैठ रहा है कि इस तरह एक एक करके कितने लॉकडाउन का मुकाबला करना पड़ सकता है.

देखा जाए तो 2 लॉकडाउन पूरे हो चुके है. पहले दिन का लॉकडाउन 22 मार्च को एक दिन का था जिसको “जनता कर्फ्यू” का नाम दिया गया था. दूसरा लॉकडाउन 21 दिन का लॉकडाउन घोषित किया गया जो 14 अप्रैल को खत्म हो रहा था. 14 अप्रैल को तीसरा लॉकडाउन बढ़ा कर 3 मई तक कर दिया गया है.

तीसरा लॉकडाउन 3 मई को खत्म हो जाएगा इसकी कोई गारंटी सरकार ने नही दी है. ऐसे में साफ है कि सरकार केवल किस्तों किस्तों में लॉकडाउन इस लिए बढा रही है जिससे एक तो वो जनता के सामने कोरोना के खिलाफ कुछ करते हुए दिखे दूसरी बात सरकार समझ चुकी है कि एक ही बार मे जोर का झटका देने की जगह पर बारबार झिटके दिए जाएं और लॉकडाउन को लम्बा खिंचा जा सके.

लॉक डाउन समस्या का हल नहीं

लॉकडाउन से कामकाज बन्द हो रहा है. बेकारी और भुखमरी बढ़ रही है. सरकार के इंतजाम केवल पेपर पर दिख रहे है. समाज सेवी संस्थाये अपने स्तर पर काम कर रही और पुलिस की गाली भी खा रही हैं.

लॉकडाउन करने के लिए भी केंद्र सरकार को रोजीरोजगार क्या ध्यान रख कर फैसला करना चहिए था. सरकारी सेवाएं देश की जनता ले लिए पर्याप्त नहीं है और ना ही देश इतना विकसित की गरीबी और बेकरी से लड़ सकेगा. लॉकडाउन कोरोना से सम्भव हो कि बचा ले पर भूख और बेकारी के बढ़ने से परेशानी बहुत बढ़ जाएगी. सरकार को खेत मे काम करने वाले किसान, फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूर और देश के सबसे बड़े माध्यम वर्ग का ध्यान देना चाहिए.

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देवलोक में मुलाकात

दारा सिंह गए राम के पास…फ्रीस्टाइल कुश्ती के विश्व चैंपियन दारा सिंह का निधन हो गया . ऑक्सीजन की कमी के कारण कई दिनों तक मुंबई के हॉस्पिटल में वेंटिलेटर पर रहे अंततः उनका देहावसान हो गया. जैसा कि हमेशा होता है गम के बादल घिर आए, प्रधानमंत्री से लेकर  संपूर्ण बॉलीवुड ने उन्हें स्मरण किया और भावभीनी श्रद्धांजलि दी.

दारासिंह अर्थात सेल्यूलाइट के हनुमान जी ! संपूर्ण संसार में उन्हें बजरंगबली के स्वरूप में जाना जाता है .गो की दारासिंह जब नश्वर शरीर छोड़कर बैंकुंठ धाम को पहुंचे तो उन्हें हनुमान सदृश्य मान हर्षातिरेक छा गया .श्री राम, सीता जी और भैय्या लक्ष्मण के साथ खड़े हैं. दारासिंह जैसे ही विशाल  द्वार के भीतर प्रविष्ट हुए प्रभु, माता को देख प्रसन्नता से विभोर हो उठे.भगवान राम ने आत्मीय भाव से कहा- आओ ! हनुमान! तुम्हारा बैंकुठधाम में स्वागत है. यह तो बताओ, पृथ्वीलोक में सब ठीक तो है न !
दारासिंह ने हनुमान की भांति श्री राम के चरणों में गिरकर- प्रभु… प्रभु!! कह नीर बहाए और इन प्रेमाश्रुओं को देख भगवान राम के हृदय में हनुमान के प्रति प्रेम और भी बढ़ गया.राजीव लोचन श्री राम ने कहा- हनुमान… मेरे भाई ! सब ठीक तो है न ! हनुमान जी बनाम दारासिंह अश्रुपात करते हुए बोले- भगवान ! अनर्थ हो गया.
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श्रीराम- हनुमान… शांत होवो. यह कह  भगवान ने दारासिंह को गले से लगा लिया.
हनुमान- भगवान ! सचमुच अनर्थ हो गया. अब सृष्टि का क्या होगा, क्या होगा भगवान आपके वरदान का ? श्रीराम- क्यों, क्या हो गया ? हनुमान पहेली बुझाने की तुम्हारी आदत नहीं गई है. त्रेता युग में भी जब हमने जन्म लेकर पृथ्वी में लीलाएं की थी तुम ऐसे ही पहेलियां बुझाकर हमें संशय में डाल देते थे. हनुमान ! तुम्हें स्मरण है न !
दारासिंह रूपी हनुमान जी के चेहरे पर स्मित मुस्कुराहट खेलने लगी, हौले से कहा- प्रभु ! सच तो यह है मुझे आपके और माता सीता के चरणों के सिवाय कुछ भी स्मरण नहीं.भक्त वत्सल श्रीराम के मुखमंडल पर मुस्कुराहट खेलने लगी- हनुमान !तुम्हारा स्वभाव तनिक भी नहीं बदला चलो मैं स्मरण कराता हूं .एक दफे तुमने अपने हृदय को फाड़कर दिखलाया था सभी ने देखा, हम सीता जी तुम्हारे हृदय में वास करते हैं .दारा सिंह ने बीच में कहा- प्रभु यह किस्सा तो मुझे भली-भांति स्मरण है, आप तो अभी  भी मेरे रोम रोम में समाए हुए हैं.श्रीराम बोले – हे अंजलि पुत्र ! एक दफे सीता जी की देखा देखी अपने शरीर पर सिंदूर लगा लिया था. याद है न !
हनुमान जी मंद मंद मुस्कुराए- प्रभु यह सारी कथाएं भला मैं भूल सकता हूं ? श्रीराम ने कहा- हे पवन पुत्र! तुम कहना क्या चाहते हो सविस्तार बताओ .हमें संशय में डालकर फिर कौन सी लीला करने जा रहे हो.
दारा सिंह रूपी हनुमान जी ने हाथ जोड़कर कहा – प्रभु ! सब कुछ आपकी कृपा पर निर्भर करता है.मैं तो तुच्छ भक्त मात्र हूं.
श्रीराम जी मुस्कुराए- अच्छा-अच्छा प्रशंसा का वितान मत तानों कहो.दारासिंह- प्रभु ! आप ने वरदान दिया था… आपको स्मरण है ? जब आप ने वरदान दिया था तो ऐसा कैसे हो सकता है ? मैं कैसे निर्वाण को प्राप्त कर सकता हूं .यही अनर्थ हो गया है प्रभु…!! भगवान राम ने कुछ क्षण सोचा फिर कहा – हे मारुति नंदन! तुम ठीक कह रहे हो .हमने तो तुम्हें वरदान दिया था की हनुमान तुम्हें चिरकाल तक पृथ्वी पर ही विचरण कर जगत का कल्याण करना है. हमारे वरदान का क्या हुआ ? तुम यहां कैसे चले आए ? वाकई यह तो अनर्थ हो गया है. अब पृथ्वीवासियों का क्या होगा ? कौन उनकी रक्षा करेगा.
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दारासिंह अर्थात हनुमान जी मुस्कुराए और कहा – प्रभु ! एक बात कहूं .आप मुझे क्षमा तो कर देंगे न ! श्रीराम ने माता सीता की ओर देख कहा- हे बजरंगी ! तुम निर्दोष हो मैं जानता हूं… फिर भी कहो.
 दारासिंह ने अपनी वह भोली मुस्कुराहट बिखेरी जो अक्सर सीरियल रामायण में बांटा करते थे कहा- प्रभु ! मैं तो यहां आ गया, अब मृत्यु लोक में कौन लोगों की समस्याएं सुनेगा कौन कष्टों से मुक्ति दिलाएगा… मुझे इस बात की चिंता है.
भगवान ने कहा- तुम निश्चिंत रहो दारासिंह वहां दूसरे अभिनेता है न ! वे हनुमान की भूमिका करेंगे.
मानो एक धमाका हुआ । प्रभु राम की वाणी सुन दारा सिंह यानी फिल्मी हनुमान के हृदय को बड़ा संतोष मिला. उन्होंने कहा- बस प्रभु बस मैं यही चाहता हूं. आपसे क्या छिपा है.श्रीराम मुस्कुराए -” दारा ! मुझे पहचानो, अरे मैं विश्वजीत हूं.”दारासिंह ने देखा, गौर से देखा -“अरे ! विश्वजीत !” दारा सिंह आत्म विभोर हो गए और एक पुरानी  फिल्म में राम बने विश्वजीत को, गले से लगा लिया.

चेस्ट पेन: पैनिक अटैक, हार्ट अटैक या COVID 19 का अटैक? 

आपके सीने में दर्द और सांस की तकलीफ कई कारणों से हो सकता है – कोरोना वायरस या हार्ट अटैक या सिर्फ पैनिक अटैक यानि अत्यधिक चिंता के चलते चेस्ट पेन  . बहुत बार अधिक गैस होने से या दमा के रोग में भी ऐसा महसूस होता है  .  हर हालत में सिम्पटम्स बहुत कुछ मिलते हैं और अगर यह सिर्फ गैस या पैनिक अटैक है तो घबरा कर तुरंत अस्पताल या डॉक्टर के पास जाने की जरूरत नहीं  . इसका सही विश्लेषण आप ही बेहतर कर सकते हैं  .

दुनिया में कोई भी व्यक्ति चिंतामुक्त नहीं है , थोड़ा या ज्यादा चिंता का सामना कभी न कभी  सभी को करना ही पड़ता है . यह आपके आसपास या आपसे संबंधित गतिविधियों का एक नेचुरल रिएक्शन है    कुछ लोगों को आदतन चिंता होती है ख़ास कर  अपने स्वास्थ्य के बारे में  . आजकल विश्वव्यापी कोरोना वायरस Covid – 19 को ले कर दुनिया के अनेक देशों में करोड़ो लोग बहुत चिंतित हैं  .यह स्वाभाविक भी है इसके चलते करोड़ों लोग लॉक डाउन से परेशान हैं   . लाखों लोगों की जीविका पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है चाहे वे किसी विकसित और धनी देश के ही नागरिक क्यों न हो  .

अमेरिका में एक व्यक्ति जिसे चेस्ट में टाइटनेस , दर्द और सांस लेने में तकलीफ थी रॉस सेंटर के डॉक्टर से मिला. सर्वव्यापी कोरोना के माहौल में उसे संदेह था कि कहीं वह कोरोना वायरस से  पीड़ित तो नहीं है  .जॉर्ज वाशिंगटन यूनिवर्सिटी  के स्कूल ऑफ़ मेडिसिन रॉस सेंटर में मनोचिकित्स्क और क्लिनिकल डायरेक्टर  डॉ हिर्श और मेडिकल डायरेक्टर डॉ साल्सेडो  के अनुसार चेस्ट पेन एक पैनिक अटैक भी हो सकता है  .

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.जैसा कि लोग अब तक जान चुके हैं कि कोरोना के लक्षण में सांस की तकलीफ और सीने में दर्द तो होता है पर साथ में ड्राई कफ और फ्लू के अन्य लक्षण जैसे तेज बुखार  और शरीर में दर्द भी होता है  . हार्ट अटैक्स के चेस्ट पेन के अतिरिक्त भी कुछ सिंप्टम्स होते हैं , जैसे कुछ परिश्रम के चलते सीने में दर्द ,  पसीना आना , बांये हाथ  या

.दोनों हाथों में दर्द , नेक पेन , जॉ पेन आदि पर पैनिक अटैक में चेस्ट पेन  या सांस की तकलीफ कुछ देर तक  ही रहता है या फिर कुछ देर रुक रुक कर दुबारा  हो सकता है एंग्जायटी या चिंता  या नर्वसनेस से पैनिक अटैक होने का कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि इसे कोरोना समझ  घबरा कर अस्पताल या डॉक्टर के पास भागने की जरूरत नहीं है , बल्कि पहले आप खुद विचार करें.

क्या ऐसा पहले भी किसी चिंता के कारण हुआ है – जैसे कोई समाचार खास कर कोरोना के रोग और रोगियों की बढ़ती संख्या के बारे में ,  सुन कर या किसी अन्य निजी कारणों से  .  अगर आप बार बार हेल्थ न्यूज़ के बारे में पढ़ या देख रहे हैं और हेल्थ एंग्जायटी के चलते किसी अन्य विषय पर फोकस नहीं कर पा रहे तो यह गलत है  .

स्वास्थ्य संबंधी जानकारी लेना ठीक है और उसको ले कर रिएक्शन होना भी नेचुरल है पर एक औसतन स्तर से बहुत अधिक होना  ‘  हाइपर विजिलेंस ‘  या ‘ बॉडी स्कैनिंग ‘  कहा जाता है , जो अच्छा नहीं हैपर क्या चिंता से सांस की तकलीफ सम्भव है ? उनका जवाब – हमारा ब्रेन बहुत शक्तिशाली है  . जैसे कोई औरत अपना प्रेग्नेंसी टेस्ट पॉजिटिव देख कर मॉर्निंग सिकनेस महसूस करने लगती है  जबकि कुछ मिनट पहले तक वह नार्मल थी. अक्सर हम दूसरों की कही बात में आ जाते हैं  और जब चिंता होती है तो ऐसी धारणा ( suggestible ) और बढ़ जाती है.

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किसी रोग के बारे में  बार बार जितना पढ़ते हैं  हम खुद को इसका शिकार होने की गलतफहमी कर बैठते हैं.सांस में कमी का चिंता से भी रिश्ता है क्योंकि यह चिंतित व्यक्ति की सांस लेने की निजी आदत पर भी निर्भर करता है   . चिंतित आदमी जल्दी जल्दी और छोटी सांस लेता है और वह ज्यादा कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ता है  . इसके चलते उसे चक्कर आता है और चेस्ट में टाइटनेस महसूस होता है और शोर्टनेस ऑफ़ ब्रेथ भी हो सकती  है.

अगर उसे ठीक से सांस लेना आ जाए , जैसे  कि मन में 4 – 5 सेकंड्स गिनते हुए धीरे धीरे सांस ले और करीब दोगुने समय में धीरे धीरे छोड़े तब उसका CO 2 स्तर नार्मल हो जायेगा और उसके चेस्ट पेन के सिंप्टम्स भी कम हो जायेंगे   . इसके लिए उसे आसपास की किसी चीज पर फोकस करना होगा या फिर 100 से उलटी गिनती 3 डिजिट छोड़ कर  करना चाहिए – यानि 100 , 97 , 94   .   .   . इससे उसका ध्यान गिनती पर फोकस होगा  . या कोई फनी विडिओ या कार्टून देखने से आपका ध्यान चेस्ट पेन से विकेन्द्रित हो जाता है और आप बेहतर महसूस करने लगते हैं   . या फिर किसी नजदीकी हंसमुख दोस्त से फोन कर आपको आराम मिले तो ये सारे पैनिक अटैक के पेन के चलते है .

अस्थमा से भी चेस्ट पेन और सांस की तकलीफ होती है जो दवा लेने पर ठीक हो जाती है. किसी को एंग्जायटी में कोई ख़ास दवा से आराम होता है . अगर चेस्ट पेन का सिंप्टम्स फिर भी कम नहीं होता है तब उसे किसी और रोग की संभावना हो सकती है जिसके लिए डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए  .

पैनिक अटैक से निपटने के लिए शरीर के अंगों को स्ट्रेच और रिलैक्स करते रहना एक अच्छा एक्सरसाइज है . ऐसा सिर्फ एंग्जायटी में ही नहीं वरन सुबह दोपहर और रात नित्य करना बहुत लाभदायक होता हैकभी  चेस्ट पेन  का कारण एंग्जायटी और किसी रोग  का होना दोनों  ही हो सकता है . पर  डॉक्टर आपसे  चिंता की बात सुनकर बाकी कारणों को नज़रअंदाज़ करने की भूल कर सकते हैं. ऐसी स्थिति में आप खुद अपने प्रवक्ता और जज हैं.

आप अपने अनुभव से  निश्चित कर सकते हैं कि भूत में एंग्जायटी में इस तरह का दर्द रहा था या नहीं .

अगर आप महसूस करते हैं कि यह पैनिक अटैक नहीं है या कोरोना के कुछ लक्षण भी साथ में हों तब आप जरूर डॉक्टर के पास जाएँ   .

चेस्ट पेन हार्ट अटैक भी हो सकता है  . यह सब पैनिक अटैक क्या है , समझने के लिए कहा गया है  .

lockdown: सोशल डिस्टेंस में नया प्रयोग, फल-सब्जी मंडी में भी ऑड-ईवन फॉर्मूला

एक ओर कोरोना के चलते पूरे देश में लॉक डाउन है. कुछ संवेदनशील इलाकों में कर्फ्यू जैसे हालात हैं. सभी लोगों को घरों से बाहर न निकलने की हिदायत दी जा रही है यानी घर में ही रहने पर जोर दिया जा रहा है, साफसफाई का ध्यान रखने पर जोर दिया जा रहा था, वहीं थोक और फुटकर सब्जी बेचने वालों पर यह नियम लागू नहीं था, पर अब ऐसा नहीं होगा.

इसी को ध्यान में रखते हुए अब तमाम सब्जी मंडियों में सख्ती बरती जा रही है और सोशल डिस्टेंस के तहत मास्क जैसी जरूरी चीजों को अपनाने के साथ ही सावधानी बरतने पर खासा जोर दिया जा रहा है.

इसी के तहत देश की सब से बड़ी फलसब्जी मंडी आजादपुर, दिल्ली में सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने के लिए कई अहम फैसले लिए गए हैं. यह थोक बाजार तकरीबन 80 एकड़ में फैला हुआ है.

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नए निर्देश के मुताबिक, मंडी में सुबह 6 बजे से 11 बजे तक सब्जियों की बिक्री होगी और दोपहर 2 बजे से शाम 6 बजे तक फलों की. साथ ही, सभी व्यापारी ऑडईवन फॉर्मूले के तहत ही अपना शेड खोल पाएंगे.

आजादपुर कृषि उत्पाद बाजार समिति के अध्यक्ष आदिल अहमद खान ने कहा कि मंडी में 22 बड़े शेड हैं, जिन में सैकड़ों व्यापारी सब्जियां बेचते हैं. यहां रोज बड़ी संख्या में लोग आते हैं. साथ ही, ट्रकों की लंबी लंबी कतारें देखी जा सकती हैं, जिस में फलसब्जी लदी होती है. अब तक एक व्यापारी के लिए 3-4 ट्रक मंडी के अंदर जाते थे, इस से जाम की समस्या होती थी. पर अब ऐसा नहीं हो सकेगा. यानी एक व्यापारी के लिए केवल एक ट्रक ही अंदर जा सकेगा.

साथ ही, व्यापारियों से भी कहा गया है कि आजादपुर मंडी के अंदर प्रति व्यापारी केवल एक ही ट्रक ले जाया जाएगा. ऐसा न करने पर उचित कार्यवाही की जाएगी.

आजादपुर कृषि उत्पाद बाजार समिति के अधिकारियों को यह निर्देश भी मिला है कि मंडी के अंदर सोशल डिस्टेंसिंग और सब मास्क पहने हों, यह सुनिश्चित किया जाए.

यह नया नियम सोमवार से ही लागू हो गया है. ऑडईवन नियमों के तहत सभी 22 शेड अपनी संख्या के अनुसार खुलेंगे.

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उदाहरण के लिए, ईवन तिथि पर सम संख्या वाले शेड खोले जाएंगे, जैसे 0, 2, 4, 6, 8 में कामकाज होगा. ऑडईवन फॉर्मूले से हम सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने में सफल होंगे.

सभी थोक बाजारों के अधिकारियों के साथ हुई बैठक में दिल्ली के विकास मंत्री गोपाल राय ने मंडियों में सोशल डिस्टेंसिंग सुनिश्चित करने के तरीकों पर बातचीत की.

आने वाले दिनों में दिल्ली के दूसरे थोक बाजारों में भी यह नियम लागू किए जा सकते हैं.

सरकार की यह नीति भले ही सोशल डिस्टेंस को ले कर बनाई गई है, पर इस मे वही पिस रहा है, जो फुटकर सब्जी खरीदने वाले हैं. थोक व्यापारी वर्ग भी ऐसे नियमों से अपना कारोबार ठीक तरह से कर पाएंगे, कहना मुश्किल है.

#lockdown: घर में ऐसे कर सकते हैं अपनी परीक्षा की तैयारी

इस वक्त सबसे ज्यादा परेशान हैं वो बच्चें जो घर में हैं और अपनी पढ़ाई कर रहे हैं लेकिन इस कोरोना के कारण लॉकडाउन की वजह से ना तो स्कूल जा पा रहे हैं ना कोचिंग ना कॉलेज तो ऐसे में वो परेशान हैं कि उनकी पढ़ाई का नुकसान हो रहा है औऱ डिप्रेशन में भी जा रहे हैं ,

बनारस के एक आशुतोष पांडेय का भी यही सवाल था कि कैसे करें पढ़ाई महौल नहीं मिल रहा है तो ऐसे बच्चों से ये कहना चाहुंगी की उनको परेशान होने की आवश्यकता बिल्कुल भी नहीं हैं.थोड़ी सी संकट की घड़ी है लेकिन जल्दी ही सबकुछ सामान्य हो जाएगा कि इस वक्त पूरा देश ही रुका हुआ सा है.वो घर पर ही अपनी पढ़ाई को अच्छे से कर सकते हैं.कुछ लोगों के इग्जाम थें जो टल गए हैं तो उन्हें बिल्कुल भी परेशान नहीं होना चाहिए बल्कि उन्हें ये सोचना चाहिए उन्हें अपनी परीक्षा के लिए और तैयारी करने का मौका मिल गया है और उन्हें घर पर ही अपनी प्रिपरेशन करनी चाहिए.

सबसे पहले तो आपके पास नेट उपलब्ध है औऱ आप नेट पर कापी अच्छी तरह अपने पढ़ाई से संबंधित टॉपिक्स का हल ढ़ूढ़ सकते हैं

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अगर आपको कोई परेशानी हो रही है तो आप अपने टीचर को फोन करके फोन पर उस समस्या का हल पूछ सकते हैं और जाहिर है कि कोई भी शिक्षक आपको जानकारी देने से या फोन पर आपकी पढ़ाई से संबंधित समस्याओं का हल बताने से मना नहीं करेगा.

इस वक्त कुछ बच्चे तो स्काईप पर अपने टीचरों से पढ़ाई कर रहे हैं तो आप भी ऐसा बिल्कुल कर सकते हैं क्योंकि यदि आपके पास ये सेवा उपलब्ध है उसका लाभ उठायें.

मानती हूं हर किसी के पास ये उपलब्ध नहीं हो सकता है तो खुद से थोड़ा सा मेहनत करके पढ़ाई करे ताकि उसकी पढ़ाई में कोई कमी ना आए

अगर वो कुछ आगे का नया नहीं सीख पा रहा है तो उन चीजों को ही वापस रिवाइज़ करें जो वो पढ़ चुका है यकीन मानें तैयारी और अच्छी हो जाएगी.इंटरनेट पर भी आपकी हर समस्या का हल मिल जाएगा.

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ज्यादा बोरिंग लगे तो म्यूजिक सुनिए और साथ में थोड़ी-थोड़ी पढ़ाई करिए इससे आपका माइंड भी फ्रेश रहेगा और आपको और पढ़ने का मन करेगा.

एक तरह से आप ये सोचें की हो सकता है आप जो परीक्षा देने वाले थें उसके लिए पूरी तरह से तैयार नहीं रहे होंगे तो अब आपके पास मौका है घर में पढ़िये और अपनी तैयारी को और भी मजबूत बनाइए साथ फैमिली के साथ थोड़ा टाइम स्पेंड करिए मस्ती करिए यकीन मानिए आपको बहुत अच्छा लगेगा.

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