भारत मे एक तरफ महंगाई और बेरोजगारी बढ़ रही है तो दूसरी तरफ शेयर बाजार में चमक देखी जा रही जिससे साफ लग रहा कि देश मे अमीर और गरीब के बीच की दूरी और बढ़ने जा रही है. ऐसे में कोरोना से बड़ा संकट महंगाई और बेरोजगारी के रूप में सामने आने को तैयार है.
नोटबन्दी और जीएसटी की गलत आर्थिक नीतियों से भारत की जीडीपी पहले से ही लगातार गिरावट की तरफ चल रही थी.कोरोना संकट ने इसको और भी अधिक बढ़ा दिया है.सरकार के लिए जरूरी है कि वह कोरोना संकट से लड़ने के साथ ही साथ देश के आर्थिक विकास को भी ध्यान के रखते हुए काम करे. भारत का एक बहुत बड़ा हिस्सा ऐसे लोगो का जिनको किसी तरह की सरकारी सहायता नहीं मिलती है. यह वर्ग निजी क्षेत्रों में काम करता है.निजी क्षेत्रों में संकट आने से इनमे काम करने वाले लोगो की आजीविका जानें का पूरी तरह से खतरा बढ़ गया है.
ये भी पढ़ें-#lockdown: मंदी में भी चमका शेयर मार्किट
संयुक्त राष्ट्र संघ की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि चालू वितीय वर्ष के दौरान भारत की जीडीपी घट कर 4.8 प्रतिशत रहने की उम्मीद है.कोरोना यानी कोविड 19 के कारण पूरी दुनिया मे आर्थिक संकट आने का बड़ा खतरा दिख रहा है. इसका सबसे बड़ा खतरा पर्यटन, सीमा पार व्यपार और वित्तीय स्थिति पर पड़ेगा.विदेशों में कोविड 19 का आर्थिक प्रभाव भले ही कुछ देर में पड़े पर भारत जैसे देशों में इसका असर 2 सप्ताह में ही देखने को मिलने लगा है.
2 सप्ताह में ही बढ़ गई बेरोजगारी :
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि कोविड 19 के संकट के पहले 2 सप्ताह में ही 5 करोड़ लोगों का बेरोजगार होना चिंताजनक है.सरकार को ऐसे लोगो की पहचान करके इनके लिये कोई एक्शन प्लान तैयार करना चाहिए.
ये भी पढ़ें-#lockdown: देश में कोरोना का कोहराम
अखिलेश यादव ने कहा कि लोक डाउन के दौरान सभी को मेडिकल सुविधा तो दी ही जाए लॉक डाउन के बाद इनको रोजगार दिया जा सके इसके उपाय होना चाहिए.1 से 2 हजार की मदद से किसी की परेशानियों से निजात नही मिलनी चाहिए.
संकट में निजी क्षेत्र
कोरोना संकट का सबसे बड़ा असर निजी क्षेत्र पर पड़ रहा है. देश का 85 प्रतिशत निजी सेक्टर और 93 प्रतिशत असंगठित क्षेत्र प्रभावित हुआ है.भारत मे बेकारी की दर 23 प्रतिशत से अधिक हो गई है.अखिलेश यादव कहते है यह संख्या अभी और बढ़ने वाली है. विभिन्न प्रदेशो में काम करने वॉले श्रमिक और कामगार लाखो की संख्या में शहरों से गांव की तरफ जिस तरह से पलायन करने को मजबूर हुए है उससे परेशानी और बढ़ी है.
बुनकर और इस तरह के काम करने वाले लोगो के सामने सबसे अधिक परेशानी भरा समय आ गया है.अखिलेश यादव कहते है कि उत्तर प्रदेश के वाराणसी और आसपास के क्षेत्रों में 4 लाख 30 हजार बुनकर परिवार रहते है.इन सभी के काम धंधे बन्द हो गए है। मज़दूरो का सबसे बड़ा काम सड़क निर्माण से हो रहा था. सड़क निर्माण बन्द होने से इसमे लगे मजदूर भुखमरी की कगार पर पहुँच गए है. अखिलेश यादव कहते है ऐसे समय मे आर्थिक संकट को दूर करने के लिए आथिर्क पैकेज और बेरोजगारी भत्ता देने की जरूरत है. अमेरिका जैसे देश भी इस काम को कर रहे है.
संयुक्त राष्ट्र संघ की रिपोर्ट भी इस चिंता की तरफ ध्यान दिलाते कहती है कि भारत मे आर्थिक विकास में पहले की तुलना में कमी आई है. आने वाले दिनों में बेरोजगारी और महंगाई बढ़ने से देश मे दिक्कते और बढ़ेगी.