देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन की अवधि पूरे देश में 3 मई तक बढ़ा दी है. देश की जनता को उम्मीद थी कि 14 अप्रैल को लॉकडाउन से उन्हें कुछ राहत मिलेगी. जिससे उनके रोज के कामकाज में बढ़ोतरी हो सकेगी पर जनता की उम्मीदों पर पानी फेरते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन की अवधि पूरे देश में 3 मई तक बढ़ा दी. साथ ही साथ यह कहा है कि 20 अप्रैल को एक समीक्षा की जाएगी जिसमें यह देखा जाएगा कि जिन जगहों पर कोरोना वायरस की नई घटनाएं नहीं हुई है  वहां कुछ ढिलाई देते हुए काम करने की छूट दी जा सकेगी.

पहले लॉक डाउन में कामयाब नहीं हुई सरकार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने प्रयासों पर चर्चा करते हुए कहा कि “भारत में आज हम एक लाख से अधिक बेड की व्यवस्था कर चुके हैं. 600 से भी अधिक ऐसे अस्पताल हैं, जो सिर्फ कोविड के इलाज के लिए काम कर रहे हैं.

इन सुविधाओं को और तेजी से बढ़ाया जा रहा है. जनवरी में हमारे पास कोरोना की जांच के लिए सिर्फ एक लैब थी, वहीं अब 220 से अधिक लैब्स में टेस्टिंग का काम हो रहा है.

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सोचने वाली बात यह है कि अगर सरकार के प्रयास सफल रहे होते तो पहले लॉकडाउन के बाद दूसरे लॉकडाउन की जरूरत नही पड़ती. एक के बाद एक लॉकडाउन को घोषणा से जनता के मन मे यह भय बैठ रहा है कि इस तरह एक एक करके कितने लॉकडाउन का मुकाबला करना पड़ सकता है.

देखा जाए तो 2 लॉकडाउन पूरे हो चुके है. पहले दिन का लॉकडाउन 22 मार्च को एक दिन का था जिसको “जनता कर्फ्यू” का नाम दिया गया था. दूसरा लॉकडाउन 21 दिन का लॉकडाउन घोषित किया गया जो 14 अप्रैल को खत्म हो रहा था. 14 अप्रैल को तीसरा लॉकडाउन बढ़ा कर 3 मई तक कर दिया गया है.

तीसरा लॉकडाउन 3 मई को खत्म हो जाएगा इसकी कोई गारंटी सरकार ने नही दी है. ऐसे में साफ है कि सरकार केवल किस्तों किस्तों में लॉकडाउन इस लिए बढा रही है जिससे एक तो वो जनता के सामने कोरोना के खिलाफ कुछ करते हुए दिखे दूसरी बात सरकार समझ चुकी है कि एक ही बार मे जोर का झटका देने की जगह पर बारबार झिटके दिए जाएं और लॉकडाउन को लम्बा खिंचा जा सके.

लॉक डाउन समस्या का हल नहीं

लॉकडाउन से कामकाज बन्द हो रहा है. बेकारी और भुखमरी बढ़ रही है. सरकार के इंतजाम केवल पेपर पर दिख रहे है. समाज सेवी संस्थाये अपने स्तर पर काम कर रही और पुलिस की गाली भी खा रही हैं.

लॉकडाउन करने के लिए भी केंद्र सरकार को रोजीरोजगार क्या ध्यान रख कर फैसला करना चहिए था. सरकारी सेवाएं देश की जनता ले लिए पर्याप्त नहीं है और ना ही देश इतना विकसित की गरीबी और बेकरी से लड़ सकेगा. लॉकडाउन कोरोना से सम्भव हो कि बचा ले पर भूख और बेकारी के बढ़ने से परेशानी बहुत बढ़ जाएगी. सरकार को खेत मे काम करने वाले किसान, फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूर और देश के सबसे बड़े माध्यम वर्ग का ध्यान देना चाहिए.

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