भारत में जब से कोरोना संकट गहराया है.. अजीब सी स्थिति है.. सोशल डिस्टेंसिंग की बात की जा रही है.. मगर इस डिस्टेंसिंग ने लोगों के दिलों को दूर कर दिया है. सच है कि संक्रमण तेजी से फैलता है और एतिहातन हमें दूरी बनानी चाहिए.. मगर हम दूरी बनाए रखते हुए भी हालचाल पूछ सकते हैं कम से कम.. फोन करके.. उन्हें हिम्मत बंधा सकते हैं, सांत्वना दे सकते हैं. संक्रमण को देखते हुए काफी लोगों को घर या अस्पताल में क्वेरेनटाइन किया जा रहा है. लेकिन क्वेरेनटाइन का मतलब संक्रमित होना नहीं है और अगर संक्रमण होता भी है तब भी हमें रिश्तों को जीवंत रखना है.. फोन से उन्हें सबके साथ होने का एहसास दिलाए रखना है. कोरोना से तो एक बार हम जंग जीत जाएंगे मगर इस बीच इस वायरस के चलते जो दरार पड़ जाएगी उसे भरने में लंबा वक़्त लगेगा.. शायद कोई आपका अपना उपेक्षित होने पर माफ भी न कर पाए.

लोगों के मन में डर इस हद तक आ चुका है कि अगर ये पता चल जाए कि कोई बीमार है तो उससे किनारा करने लगते हैं.. इतना तक नहीं पूछा जा रहा है कि आखिर दिक्कत क्या है?

कोरोना संक्रमण के चलते प्राइवेट क्लिनिक और अस्पताल बंद है.. हमारे यहां पहले से काफी लोग किसी न किसी स्वास्थ्य समस्या से ग्रस्त हैं जैसे दमा, दिल के रोग, डायबिटीज, मानसिक तनाव और परेशानियाँ.. जो समय समय डॉक्टर से मिलकर दवा लेते थे.

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.अचानक से बंद हो जाने के कारण सभी लोग घरों में बंद हो गए हैं.. लेकिन उनकी समस्या तो रहेगी ही.. सम्भवतः समय से दवा न मिलने पर बढ़ भी सकती हैं.. ऐसे में आपसी सहयोग, वार्तालाप, हंसी मजाक इस स्थिति को थोड़ा हल्का कर सकती है.. जरूरी नहीं कि आप सामने बैठ कर बात करें.. दूरी बनाकर बात कर सकते हैं.. जो क्वेरेनटाइन है.. उनकी वीडियो काॅल की जा सकती है..शहरों में ऐसी परेशानियां ज्यादा देखने को मिल रही है कि कोई गलती से भी ये कह दे कि बीमार है तो उनके अपने, दोस्त दूरी बना लेते हैं.इस बीच हमें मानवता, प्रेम और जिम्मेदारी सिखाता एक उदाहरण सामने है..

 

KGMU लखनऊ के एक रेजिमेंट डॉक्टर की ड्यूटी कोरोना पेशेंट के वार्ड में बाकी डॉक्टर के साथ लगती है.. ड्यूटी करते हुए उन्हें अचानक हल्की सर्दी, खांसी के साथ कुछ परेशानी महसूस होती है.. वो अपने सीनियर से कहते हैं.. तुरंत उन्हें क्वेरेनटाइन किया जाता है.. अगले दिन उनकी रिपोर्ट positive आ जाती है.. सभी अवाक रह जाते हैं.. खासकर उनके दोस्त और वो परिवार वाले जो उनके साथ रहते हैं.. उनके संपर्क में आने वाले सभी लोगों की जांच होती है.. जिसमें से उनके परिवार के तीन लोगों की रिपोर्ट positive आ जाती है. सभी चिंतित तो होते हैं मगर हिम्मत नहीं हारते.. उचित सलाह, दवा और खानपान के चलते ये संक्रमित डॉक्टर ठीक हो जाते हैं.. इनका नाम है डॉ तौसीफ.. जो सेवा करते हुए बीमार हुए और बीमारी से जंग जीतकर आज स्वस्थ्य हो गए हैं.उन्होंने ठीक होने के बाद फिर से Corona positive वार्ड में ड्यूटी करने की इच्छा जाहिर की है.

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उन्होंने अपना अनुभव बताते हुए कहा कि आपको डरने और घबराने की जरूरत नहीं है.. कोरोना उपचार के दौरान किसी भी तरह का दर्द नहीं होता है.. बस डॉक्टर की सलाह के अनुसार दवा और ध्यान रखने की जरूरत है.. यहाँ आपका positive होना बहुत जरूरी है और इसके लिए अपनों से संपर्क बनाए रखना.. उन्होने भी उपचार के दौरान अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से संपर्क बनाए रखा जिससे मानसिक रूप से स्वस्थ्य होने में मदद मिली..और अब भी बाकी परिवार वालों के साथ संपर्क में हैं और counselling करते रहते हैं जो उनके चलते positive हुए थे.

 

डॉ तौसीफ की inspirational स्टोरी जानने से हमको यही पता चलता है कि सही treatment के साथ सकारात्मक रहना बहुत जरूरी है और उसके किए परिवार, दोस्त के साथ संपर्क में रहना.. कोई भी आपका अपना जो क्वेरेनटाइन हो या किसी और समस्या से परेशान हैं तो उसे अकेला बिल्कुल न होने दे.. बात करते रहे.. कुछ भी creative करने को कहें जिससे खुशी मिलती हो.. बुक पढ़ना, ऑनलाइन कोई game खेलना, धार्मिक गीत, संगीत सुनना.. जिससे तनाव न हावी होने पाए.. खुश रहें और खुश रखे अपनों को.. शारीरिक दूरी बनाए रखते हुए.. तो कोरोना से जंग जीतना बहुत आसान होगा.

 

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