आपके सीने में दर्द और सांस की तकलीफ कई कारणों से हो सकता है – कोरोना वायरस या हार्ट अटैक या सिर्फ पैनिक अटैक यानि अत्यधिक चिंता के चलते चेस्ट पेन . बहुत बार अधिक गैस होने से या दमा के रोग में भी ऐसा महसूस होता है . हर हालत में सिम्पटम्स बहुत कुछ मिलते हैं और अगर यह सिर्फ गैस या पैनिक अटैक है तो घबरा कर तुरंत अस्पताल या डॉक्टर के पास जाने की जरूरत नहीं . इसका सही विश्लेषण आप ही बेहतर कर सकते हैं .
दुनिया में कोई भी व्यक्ति चिंतामुक्त नहीं है , थोड़ा या ज्यादा चिंता का सामना कभी न कभी सभी को करना ही पड़ता है . यह आपके आसपास या आपसे संबंधित गतिविधियों का एक नेचुरल रिएक्शन है कुछ लोगों को आदतन चिंता होती है ख़ास कर अपने स्वास्थ्य के बारे में . आजकल विश्वव्यापी कोरोना वायरस Covid – 19 को ले कर दुनिया के अनेक देशों में करोड़ो लोग बहुत चिंतित हैं .यह स्वाभाविक भी है इसके चलते करोड़ों लोग लॉक डाउन से परेशान हैं . लाखों लोगों की जीविका पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है चाहे वे किसी विकसित और धनी देश के ही नागरिक क्यों न हो .
अमेरिका में एक व्यक्ति जिसे चेस्ट में टाइटनेस , दर्द और सांस लेने में तकलीफ थी रॉस सेंटर के डॉक्टर से मिला. सर्वव्यापी कोरोना के माहौल में उसे संदेह था कि कहीं वह कोरोना वायरस से पीड़ित तो नहीं है .जॉर्ज वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ़ मेडिसिन रॉस सेंटर में मनोचिकित्स्क और क्लिनिकल डायरेक्टर डॉ हिर्श और मेडिकल डायरेक्टर डॉ साल्सेडो के अनुसार चेस्ट पेन एक पैनिक अटैक भी हो सकता है .
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.जैसा कि लोग अब तक जान चुके हैं कि कोरोना के लक्षण में सांस की तकलीफ और सीने में दर्द तो होता है पर साथ में ड्राई कफ और फ्लू के अन्य लक्षण जैसे तेज बुखार और शरीर में दर्द भी होता है . हार्ट अटैक्स के चेस्ट पेन के अतिरिक्त भी कुछ सिंप्टम्स होते हैं , जैसे कुछ परिश्रम के चलते सीने में दर्द , पसीना आना , बांये हाथ या
.दोनों हाथों में दर्द , नेक पेन , जॉ पेन आदि पर पैनिक अटैक में चेस्ट पेन या सांस की तकलीफ कुछ देर तक ही रहता है या फिर कुछ देर रुक रुक कर दुबारा हो सकता है एंग्जायटी या चिंता या नर्वसनेस से पैनिक अटैक होने का कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि इसे कोरोना समझ घबरा कर अस्पताल या डॉक्टर के पास भागने की जरूरत नहीं है , बल्कि पहले आप खुद विचार करें.
क्या ऐसा पहले भी किसी चिंता के कारण हुआ है – जैसे कोई समाचार खास कर कोरोना के रोग और रोगियों की बढ़ती संख्या के बारे में , सुन कर या किसी अन्य निजी कारणों से . अगर आप बार बार हेल्थ न्यूज़ के बारे में पढ़ या देख रहे हैं और हेल्थ एंग्जायटी के चलते किसी अन्य विषय पर फोकस नहीं कर पा रहे तो यह गलत है .
स्वास्थ्य संबंधी जानकारी लेना ठीक है और उसको ले कर रिएक्शन होना भी नेचुरल है पर एक औसतन स्तर से बहुत अधिक होना ‘ हाइपर विजिलेंस ‘ या ‘ बॉडी स्कैनिंग ‘ कहा जाता है , जो अच्छा नहीं हैपर क्या चिंता से सांस की तकलीफ सम्भव है ? उनका जवाब – हमारा ब्रेन बहुत शक्तिशाली है . जैसे कोई औरत अपना प्रेग्नेंसी टेस्ट पॉजिटिव देख कर मॉर्निंग सिकनेस महसूस करने लगती है जबकि कुछ मिनट पहले तक वह नार्मल थी. अक्सर हम दूसरों की कही बात में आ जाते हैं और जब चिंता होती है तो ऐसी धारणा ( suggestible ) और बढ़ जाती है.
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किसी रोग के बारे में बार बार जितना पढ़ते हैं हम खुद को इसका शिकार होने की गलतफहमी कर बैठते हैं.सांस में कमी का चिंता से भी रिश्ता है क्योंकि यह चिंतित व्यक्ति की सांस लेने की निजी आदत पर भी निर्भर करता है . चिंतित आदमी जल्दी जल्दी और छोटी सांस लेता है और वह ज्यादा कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ता है . इसके चलते उसे चक्कर आता है और चेस्ट में टाइटनेस महसूस होता है और शोर्टनेस ऑफ़ ब्रेथ भी हो सकती है.
अगर उसे ठीक से सांस लेना आ जाए , जैसे कि मन में 4 – 5 सेकंड्स गिनते हुए धीरे धीरे सांस ले और करीब दोगुने समय में धीरे धीरे छोड़े तब उसका CO 2 स्तर नार्मल हो जायेगा और उसके चेस्ट पेन के सिंप्टम्स भी कम हो जायेंगे . इसके लिए उसे आसपास की किसी चीज पर फोकस करना होगा या फिर 100 से उलटी गिनती 3 डिजिट छोड़ कर करना चाहिए – यानि 100 , 97 , 94 . . . इससे उसका ध्यान गिनती पर फोकस होगा . या कोई फनी विडिओ या कार्टून देखने से आपका ध्यान चेस्ट पेन से विकेन्द्रित हो जाता है और आप बेहतर महसूस करने लगते हैं . या फिर किसी नजदीकी हंसमुख दोस्त से फोन कर आपको आराम मिले तो ये सारे पैनिक अटैक के पेन के चलते है .
अस्थमा से भी चेस्ट पेन और सांस की तकलीफ होती है जो दवा लेने पर ठीक हो जाती है. किसी को एंग्जायटी में कोई ख़ास दवा से आराम होता है . अगर चेस्ट पेन का सिंप्टम्स फिर भी कम नहीं होता है तब उसे किसी और रोग की संभावना हो सकती है जिसके लिए डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए .
पैनिक अटैक से निपटने के लिए शरीर के अंगों को स्ट्रेच और रिलैक्स करते रहना एक अच्छा एक्सरसाइज है . ऐसा सिर्फ एंग्जायटी में ही नहीं वरन सुबह दोपहर और रात नित्य करना बहुत लाभदायक होता हैकभी चेस्ट पेन का कारण एंग्जायटी और किसी रोग का होना दोनों ही हो सकता है . पर डॉक्टर आपसे चिंता की बात सुनकर बाकी कारणों को नज़रअंदाज़ करने की भूल कर सकते हैं. ऐसी स्थिति में आप खुद अपने प्रवक्ता और जज हैं.
आप अपने अनुभव से निश्चित कर सकते हैं कि भूत में एंग्जायटी में इस तरह का दर्द रहा था या नहीं .
अगर आप महसूस करते हैं कि यह पैनिक अटैक नहीं है या कोरोना के कुछ लक्षण भी साथ में हों तब आप जरूर डॉक्टर के पास जाएँ .
चेस्ट पेन हार्ट अटैक भी हो सकता है . यह सब पैनिक अटैक क्या है , समझने के लिए कहा गया है .