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बिना तेल के खाने से मोटापा रहेगा दूर और भी हैं फायदे

लेखक-डॉ. बिमल छाजेड़

हार्ट अटैक मुख्य रूप से धमनियों में वसा के जमने के कारण होता है, जो न सिर्फ खून के प्रवाह को रोकता है, बल्कि मांसपेशियों को भी कमजोर कर देता है. कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर दो महत्वपूर्ण कारक हैं, जो धमनियों को ब्लॉक करके खून के प्रवाह में रुकावट का काम करते हैं. इससे हार्ट अटैक की स्थिति बनती है. इन दोनों कारकों को एक प्रकार से माफिया कहा जा सकता है क्योंकि विश्वस्तर पर हर साल हार्ट अटैक से करोड़ों लोगों की मौत हो जाती है. बावजूद इसके, कई हृदय रोग विशेषज्ञ कोलेस्ट्रॉल स्तर 180 एमजी/1 से अधिक और ट्राइग्लिसराइड्स स्तर 160एमजी/डी1 से अधिक की अनुमति देते हैं.

मोटापा और हृदय रोगों में संबंध

सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि मोटापा किस प्रकार हृदय रोगों को बढ़ावा देता है. शरीर कैलोरी की मदद से ऊर्जा उत्पन्न करता है। हम जो कुछ भी खाते हैं वह ग्लूकोस के रूप में मांसपेशियों तक पहुंचता है, जिससे शरीर को जरूरी ऊर्जा मिलती है. शरीर इंसुलिन की मदद से यह सुनिश्चित करता है कि कैलोरी सही मात्रा में इस्तेमाल हो रही है. अतिरिक्त कैलोरी वसा यानी कि फैट के रूप में जमा होता रहता है.ऐसे में ग्लूकोस के स्तर को संतुलित रखने के लिए इंसुलिन ज्यादा मात्रा में बनने लगता है. जमा हुआ अतिरिक्त फैट शरीर की चयापचय (मेटाबोलिज्म) की कार्यप्रणाली को बिगाड़ता है.चूंकि, इस स्थिति में मांसपेशियां ग्लूकेगन को सोखने में असमर्थ हो जाती है, जिससे इंसुलिन और अधिक मात्रा में उत्पन्न होने लगता है.यदि इसके बावजूद प्रक्रिया में कोई सुधार नहीं आता है, तब व्यक्ति डायबिटीज का शिकार हो जाता है. शरीर का ज्यादा वजन न सिर्फ डायबिटीज का कारण बनता है बल्कि मोटापा और उच्च रक्तचाप का कारण भी बनता है.

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हार्ट अटैक की रोकथाम

जब किसी व्यक्ति में ब्लॉकेज का स्तर 50 प्रतिशत से ऊपर चला जाता है तो उस स्थिति में उसे कभी भी दिल का दौरा पड़ सकता है. यदि में ब्रेन कमजोर है तो वह 50-70 प्रतिशत के स्तर पर नष्ट हो जाएगी. ऐसे मरीजों को हार्ट अटैक से पहले नहीं पता चलता है कि उन्हें ब्लॉकेज की समस्या है क्योंकि 70 प्रतिशत से कम ब्लॉकेज में कोई लक्षण नजर नहीं आते हैं. हालांकि, नॉन इनवेसिव टेस्ट यानी कि सीटी कोरोनरी एंजियोग्राफी की मदद से इस ब्लॉकेज का आसानी से पता चल जाता है. यह एक लोकप्रिय टेस्ट है जो भारत में भी उपलब्ध है. लेकिन 70-80 प्रतिशत ब्लॉकेज होने पर एंजिना की समस्या हो सकती है, जिसे

टीएमटी (एक्सरसाइज स्ट्रेस टेस्ट) या सीटी एंजियोग्राफी की मदद से पहचाना जा सकता है। यदि ब्लॉकेज की पहचान हार्ट अटैक से पहले हो जाती है, तो ब्लॉकेज को साफ करके हार्ट अटैक की रोकथाम संभव है.

डाइटिंग और एक्सरसाइज की मदद से वजन कम करके ही हृदय रोगों के जोखिम से बचना संभव है. यहां डाइटिंग का मतलब भूखा रहना नहीं है. सही डाइटिंग वह है जिसमें आप कैलोरी की मात्रा को कम कर देते हैं, जिसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और फैट का संतुलित मात्रा में सेवन करते हैं.इसके साथ हर दिन कम से कम 45 मिनट एक्सरसाइज करना जरूरी होता है, जिसमें वेट लिफ्टिंग को जरूर शामिल करें। शारीरिक गतिविधियां, एक्सरसाइज और एरोबिक्स मांसपेशियों को मजबूत बनाती हैं, जो अतिरिक्त फैट की खफत के लिए बेहद जरूरी है.

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हर महीने 3-4 किलो वजन कम किया जाए, यह जरूरी नहीं है. धीरे-धीरे ही सही लेकिन हर महीने एक किलो वजन कम करना भी पर्याप्त है.

जीरो ऑयल कुकिंग    

ट्राइग्लिसराइड्स एक प्रकार का तेल होता है, जो धमनियों को ब्लॉक करके विभिन्न प्रकार के हृदय रोगों का कारण बनता है. इसका यह अर्थ है कि हम हर रोज चाहे कितना भी कम तेल वाला खाना खाते हों, लॉग रन के हिसाब से हम खुद को एक बड़ी मुश्किल में डाल रहे हैं.हालांकि, अधिकतर लोग खाने का स्वाद बढ़ाने के लिए तेल का उपयोग करते हैं, लेकिन सच यह है कि तेल में कोई स्वाद या फ्लेवर नहीं होता है. यदि इस बात पर यकीन न हो तो आप खुद एक चम्मच तेल को पीकर यह जांच सकते हैं. तेल का उपयोग सिर्फ मसाले और खाने को पकाने के लिए किया जाता है, जिससे खाने का स्वाद बढ़ जाता है. लेकिन क्या किसी को पता है कि बिना तेल के इस्तेमाल के भी खाने का स्वाद बढ़ाया जा सकता है?

हमने 1000 से भी ज्यादा रेसिपी तैयारी की हैं जो न सिर्फ बिना तेल के बनाई जा सकती हैं बल्कि उनमें स्वाद की भी कोई कमी नहीं है. हमारे शरीर को जितनी मात्रा में वसा की जरूरत होती है, वह चावल, सब्जियां, फल, गेंहू और दाल आदि से पूरी हो जाती है.

वहीं बादाम, काजू, अखरोट और पिस्ता आदि जैसे सूखे मेवों में 50 प्रतिशत से भी ज्यादा तेल पाया जाता है. नारियल और मूंगफली में लगभग 40 प्रतिशत तेल पाया जाता है. हालांकि, कुछ हृदय रोग विशेषज्ञ अपने रोगियों को यह कहकर गलत सलाह देते हैं कि उनमें वसा नहीं है. वे मरीजों को यह कहकर सूखे मेवे खाने की अनुमति दे देते हैं कि इनमें ओमेगा-3 ऑयल होता है जो एचडीएल स्तर को बढ़ाते हैं. वे मरीजों को ये कभी नहीं बताते हैं कि इनके सेवन से उनके शरीर में ट्राइग्लिसराइड्स की मात्रा बढ़ती है. इसलिए दिल के मरीजों को हर प्रकार के नट्स से दूर रहना चाहिए. किशमिश, मुनक्का, अंजीर, खजूर और खुबानी में बिल्कुल तेल नहीं होता है, इसलिए यदि दिल के मरीज को शुगर की समस्या नहीं है तो वे इन्हें खा सकते हैं.

19 दिन 19 टिप्स: देर रात खाना खाने से होती हैं ये परेशानियां

शहरी लाइफस्टाइल में तेजी से बदलाव हो रहा है. समय की जरूरत के हिसाब से ये बदलाव सही माना जा सकता है पर हमारी सेहत पर इसका खासा बुरा असर हो रहा है. देर रात सोना, देर से जगना, हमारी सेहत के लिए सही नहीं है. चूंकि देर रात में जागना अब लोगों की जरूरत बन चुकी है, इस दौरान वो कुछ ना कुछ खाते रहते हैं. इसमें स्नैक्स शामिल हैं. देर रात स्नैक्स खाना सेहत के लिए काफी हानिकारक होता है. उससे बहुत सी सेहत संबंधित परेशानियां होती हैं.

इस खबर में हम आपको देर रात स्नैक्स या खाना खाने के नुकसान के बारे में बताएंगे.

तो आइए शुरू करें.

बढ़ता है वजन

देर रात में खाने से शरीर की सरकेडियन क्लौक भी प्रभावित होती है. सरकेडियन क्लौक के नींद में बाधा आती है इसके साथ ही हार्मोंस भी बुरी तरह से प्रभावित होते हैं. इससे लोगों का वजन बढ़ता है. दिन की तुलना में रात में शरीर का मेटाबौलिज्म कमजोर रहता है जिसके कारण रात में अधिक मात्रा में कैलोरी बर्न नहीं हो पाती.

बढ़ता है ब्लड प्रेशर

अनहेल्दी खानपान से लाइफस्टाइल पर बुरा असर होता है. इससे दिल की कई बीमारियों के होने का खतरा अधिक होता है. कई जानकारों की माने तो देर रात खाना खाने से ब्लड प्रेशर के साथ साथ ब्लड शुगर लेवल भी अधिक होता है. लोगों के लिए ये बेहद खतरनाक होता है.

सोने में होती है परेशानी

देर रात में खाने से व्यक्ति की स्लीप साइकल डिस्टर्ब होती है. 2015 में सामने आई एक रिपोर्ट की माने तो देर रात स्नैक्स का सेवन करने से नींद में तो बाधा आती ही है साथ ही गैस्ट्रिक समस्या होने पर सोते समय बुरे सपने भी आते हैं.

खराब होता है डाइजेशन

अगर आपको पेट की समस्याएं है तो आपको अपने खानपान से समय में परिवर्तन करना चाहिए. अगर आप देर रात खाना खाते हैं तो खाने के पाचन में परेशानी हो सकती है. इस कारण लोगों को गैस की परेशानी होती है. यही कारण है कि लोगों को खाने के बाद टहलने की सलाह दी जाती है.

19 दिन 19 कहानियां: शूलों की शैय्या पर लेटा प्यार – भाग 2

पहला भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें- 

सतही तौर पर सब ठीक था, पर अंदर ही अंदर लावा उबल रहा था. राधा को अपना भविष्य अंधकारमय दिखाई दे रहा था. उस के लिए मायके का दरवाजा बंद हो चुका था. ससुराल वालों से भी अपनेपन की कोई उम्मीद नहीं थी. उसे यह अपराधबोध भी परेशान कर रहा था कि उस ने अपनी ही बहन के दांपत्य में सेंध लगा दी है.

परिवार की बड़ी बहू तो तुलसी ही थी. राधा को जबतब तुलसी के ताने भी सहने पड़ते थे. जिंदगी में सुखचैन नहीं था. आगे देखती तो भी अंधेरा ही नजर आता था. एक संजय का प्यार ही था, जिस के सहारे वह सौतन की भूमिका निभा रही थी.

23 मई, 2016 को संजय को उस के किसी दुश्मन ने गोली मार दी. जख्मी हालत में उसे अलीगढ़ मैडिकल ले जाया गया. उस की हालत गंभीर थी. राधा डर गई कि अगर संजय मर गया तो वह कहां जाएगी.

संजय की देखरेख कभी तुलसी करती तो कभी राधा. तभी तुलसी ने राधा से कहा, ‘‘संजय की हालत कुछ ज्यादा ही बिगड़ गई है, तुम जा कर बच्चों को देखो, मैं यहां संभालती हूं.’’

जुलाई महीने में संजय की हालत कुछ सुधरी तो घर वाले उसे कासगंज वाले घर में ले आए. तुलसी अपने पति के साथ थी, जबकि राधा बच्चों के साथ पति से दूर थी.

अस्पताल में संजय ने एक बार राधा से कहा, ‘‘मेरी हालत ठीक नहीं है. अगर तुम किसी और से शादी करना चाहो तो कर लो.’’

सुन कर राधा सन्न रह गई, ‘‘यह क्या कह रहे हो संजय, मैं सिर्फ तुम्हारी हूं. तुम्हारे लिए कितना कुछ सह रही हूं. मेरे जैसी औरत से कौन शादी करेगा और कौन मुझे मानसम्मान देगा.’’

उस दिन के बाद से राधा डिप्रेशन में रहने लगी. पति और बच्चा दोनों ही उस की ख्वाहिश थीं. अगर पूरी नहीं होती तो वह कुछ भी नहीं थी. नितिन और शिवम इस बात से अनभिज्ञ थे कि मौसी क्यों परेशान है और उस की परेशानी कौन सा तूफान लाने वाली थी.

19 अगस्त, 2016 को बच्चे स्कूल से आए तो राधा ने उन्हें खाना दिया. फिर दोनों पढ़ने बैठ गए. राधा ने रात के खाने की तैयारी शुरू कर दी. रात का खाना खा कर सब टीवी देखने बैठ गए. किसी को पता ही नहीं चला कि मौत ने कब दस्तक दे दी थी. कुछ देर बाद  राधा ने कहा, ‘‘तुम लोग सो जाओ,सुबह उठ कर स्कूल भी जाना है.’’

कुछ देर बाद बच्चे सो गए. राधा ने संजय को फोन किया, लेकिन घंटी बजती रही. फोन नहीं उठा. यह सोच कर राधा का गुस्सा बढ़ने लगा कि क्या मैं सिर्फ सौतन के बच्चों की नौकरानी हूं. मेरे बच्चे नहीं होंगे तो क्या मुझे घर की बहू का सम्मान नहीं मिलेगा. संजय ने तो परिवार में सम्मान दिलाने का वादा किया था, पर वह मर गया तो?

ऐसे ही विचार उसे आहत कर रहे थे, गुस्सा दिला रहे थे. उस ने देखा शिवम निश्चिंत हो कर सो रहा था. यंत्रचालित से उस के हाथ शिवम की गरदन तक पहुंच गए और जरा सी देर में 4 वर्ष का के शिवम का सिर एक ओर लुढ़क गया. बच्चे की मौत से राधा घबरा गई.

उस ने सोचा सुबह होते ही शिवम की मौत की खबर नितिन के जरिए सब को मिल जाएगी.

इस के बाद तो पुलिस, थाना, कचहरी और जेल. संजय भी उसे माफ नहीं करेगा, ऐसे में क्या करे? उसे लगा, शिवम के भाई नितिन को भी मार देने में ही भलाई है. उस ने नितिन के गले पर भी दबाव बनाना शुरू कर दिया. नितिन कुछ देर छटपटाया, फिर बेहोश हो गया.

राधा ने जल्दी से एक बैग में कपड़े, कुछ गहने, पैसे और सर्टिफिकेट भरे और कमरे में ताला लगा कर बस अड्डे पहुंच गई, जहां मथुरा वाली बस खड़ी थी. वह बस में बैठ गई. मथुरा पहुंच कर वह स्टेशन पर गई, वहां जो भी ट्रेन खड़ी मिली, वह उसी में सवार हो गई.

इधर सुबह जब नितिन को होश आया तो उस ने खिड़की में से शोर मचाया. जरा सी देर में लोग इकट्ठा हो गए. उन्होंने देखा कमरे के दरवाजे पर ताला लगा हुआ था.

ताला तोड़ कर जब लोग अंदर पहुंचे तो शिवम मरा पड़ा था. नितिन ने बताया, ‘‘इसे राधा मौसी ने मारा है और मुझे भी जान से मारने की कोशिश की, लेकिन मैं बेहोश हो गया था.’’

लोगों ने कोतवाली में फोन किया, कुछ ही देर में थानाप्रभारी सुधीर कुमार पुलिस टीम के साथ वहां आ गए. पुलिस जांच में जुट गई. शिवम को अस्पताल भेजा गया, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया. नितिन ठीक था, उस का मैडिकल परीक्षण नहीं किया गया. बच्चे के पोस्टमार्टम में मौत का कारण दम घुटना बताया गया.

इस मामले की सूचना कासगंज में विजय पाल को दे दी गई थी. विजय पाल ने 28 जुलाई, 2016 को थाना एटा में राधा के खिलाफ भादंवि की धारा 307, 302 के तहत रिपोर्ट दर्ज करा दी.

राधा के इस कृत्य से सभी हैरान थे. राधा कहां गई, किसी को कुछ पता नहीं था. पुलिस ने मुखबिरों का जाल फैला दिया. पुलिस को राधा की लोकेशन मथुरा में मिली थी लेकिन आगे की कोई जानकारी नहीं थी.

23 अगस्त, 2016 को लुधियाना के एक गुरुद्वारे के ग्रंथी ने फोन कर के एटा पुलिस को बताया कि लुधियाना में एक लावारिस महिला मिली है जो खुद को कासगंज की बता रही है.

यह खबर मिलते ही पुलिस राधा की गिरफ्तारी के लिए रवाना हो गई. लुधियाना पहुंच कर एटा पुलिस ने राधा को हिरासत में ले लिया और एटा लौट आई. एटा में उच्चाधिकारियों की मौजूदगी में राधा से पूछताछ की गई.

उस ने बताया कि वह सौतन के तानों से परेशान थी, जिस के चलते उसे अपना भविष्य अंधकारमय दिखाई दे रहा था. अकेले हो जाने के तनाव में उस से यह गलती हो गई. राधा ने यह बात पुलिस के सामने दिए गए बयान में तो कही. लेकिन बाद में अदालत में अपना गुनाह स्वीकार नहीं किया.

केस संख्या 572/2016 के अंतर्गत दायर इस मामले में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रैट द्वारा 5 दिसंबर, 2016 को भादंवि की धारा 307, 302 का चार्ज लगा कर केस सत्र न्यायालय के सुपुर्द कर दिया गया.

घटना का कोई चश्मदीद गवाह नहीं था, राधा ने अपने बचाव में कहा कि उस के खिलाफ रंजिशन मुकदमा चलाया जा रहा है, वह निर्दोष है. उस ने किसी को नहीं मारा. तुलसी ने गवाही में कहा कि उस का राधा के साथ कोई विवाद नहीं है. उसे नहीं मालूम कि शिवम को किस ने मारा.

घटना के गवाह मुकेश ने कहा कि उसे जानकारी नहीं है कि राधा ने किस वजह से शिवम की हत्या कर दी और नितिन को भी मार डालने की कोशिश की. मुकेश विजय पाल का मंझला बेटा था.

संजय ने अपनी गवाही में दूसरी पत्नी राधा को बचाने का भरसक प्रयास करते हुए कहा कि उस ने अपनी पहली पत्नी तुलसी की सहमति से राधा से शादी की थी.

राधा बच्चों से प्यार करती थी. जब दुश्मनी के चलते किसी ने उसे गोली मार दी तो वह अस्पताल में था. तुलसी भी उस के साथ अलीगढ़ के अस्पताल में थी.

घटना वाले दिन राधा घर पर नहीं थी, जिस से सब को लगा कि राधा ही शिवम की हत्या कर के कहीं भाग गई होगी. इसी आधार पर मेरे पिता ने उस के खिलाफ कोतवाली एटा में रिपोर्ट दर्ज कराई थी, पर सच्चाई यह है कि घटना वाले दिन रात में 2 बदमाश घर में घुस आए, जिन्होंने शिवम को मार डाला और नितिन को भी मरा समझ राधा को अपने साथ ले गए. बाद में उन्होंने राधा को कुछ न बताने की धमकी दे कर छोड़ दिया था.

राधा कोतवाली एटा पहुंची और पुलिस  को घटना के बारे में बताना चाहा, लेकिन पुलिस ने उस की बात नहीं सुनी.

राधा के अनुसार बदमाशों से डर कर शिवम रोने लगा और उन्होंने शिवम की हत्या कर दी और जेवर लूट लिए. लेकिन अदालत ने कहा कि राधा ने अदालत को यह बात कभी नहीं बताई.

पुलिस के अनुसार राधा ने कभी भी अपने साथ लूट और बदमाशों द्वारा शिवम की हत्या की कभी कोई रिपोर्ट नहीं लिखाई, न ही अपने 164 के बयानों में इस बात का जिक्र किया.

8 वर्षीय नितिन ने अपनी गवाही में कहा, ‘‘मां ने बताया कि मुझे अपनी गवाही में कहना है कि राधा ने मेरा गला दबाया था. लेकिन उस ने राधा द्वारा शिवम की हत्या किए जाने के बारे में कुछ नहीं बताया, जबकि वह राधा के साथ ही सो रहा था.’’

सत्र न्यायाधीश रेणु अग्रवाल ने 21 जनवरी, 2019 के अपने फैसले में लिखा कि नितिन की हत्या की कोशिश के कोई साक्ष्य नहीं मिले और न ही नितिन का कोई चिकित्सकीय परीक्षण कराया गया. अत: आईपीसी की धारा 307 से उसे बरी किया जाता है. परिस्थितिजन्य साक्ष्य राधा द्वारा शिवम की हत्या करना बताते हैं. अत: अभियुक्ता राधा जो जेल में है, को आईपीसी की धारा 302 का दोषी माना जाता है.

अभियुक्त राधा को भादंवि की धारा 302 के अंतर्गत दोषी पाते हुए आजीवन कारावास और 20 हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया जाता है. अर्थदंड अदा न करने की स्थिति में अभियुक्ता को 2 माह की साधारण कारावास की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी.

अर्थदंड की वसूली होने पर 10 हजार रुपए मृतक शिवम की मां तुलसी देवी को देय होंगे. अभियुक्ता की सजा का वारंट बना कर जिला कारागार एटा में अविलंब भेजा जाए. दोषी को फैसले की प्रति नि:शुल्क दी जाए.

आजीवन कारावास यानी बाकी का जीवन जेल में गुजरेगा, फैसला सुनते ही राधा का चेहरा पीला पड़ गया. संजय की मोहब्बत और उस के साथ जीने, उस के बच्चों की मां बनने की उम्मीद राधा के लिए सिर्फ एक मृगतृष्णा बन गई थी.

जीनेमरने की स्थिति में राधा ने इधरउधर देखा, वहां आसपास कोई नहीं था. संजय उस से कहता था कि वह बेदाग छूट कर बाहर आएगी और वह उसे दुनिया की सारी खुशियां देगा.

बेजान सी राधा ने जेल में अपनी बैरक में पहुंचने के बाद इधरउधर देखा. चलचित्र की तरह सारी घटनाएं उस की आंखों के सामने गुजर गईं. कुछ ही देर में अचानक महिला बैरक में हंगामा मच गया. किसी ने जेलर को बताया कि राधा उल्टियां कर रही है, उस की तबीयत बिगड़ गई है.

जेल के अधिकारी महिला बैरक में पहुंच गए. उन के हाथपैर फूल गए. राधा की हालत बता रही थी कि उस ने जहर खाया है, पर उसे जहर किस ने दिया, कहां से आया, यह बड़ा सवाल था. राधा को तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया, जहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. राधा का मामला काफी संदिग्ध था. उस का विसरा सुरक्षित कर लिया गया और जांच के लिए अनुसंधान शाखा में भेज दिया गया.

राधा के ससुराल और मायके में उस की मौत की खबर दी गई, लेकिन दोनों परिवारों ने शव लेने से इनकार कर दिया. राधा की विषैली आशिकी ने उस के जीवन में ही विष घोल दिया. राधा के शव का सरकारी खर्च पर अंतिम संस्कार कर दिया गया.

मैं 40 वर्षीय युवक हूं, मेरी 30 वर्षीय मुंहबोली भाभी से मेरे संबंध हैं, उनके साथ कई बार सैक्स कर चुका हूं. क्या यह सही है?

सवाल
मैं 40 वर्षीय अविवाहित युवक हूं. काफी समय से 32 वर्ष के एक लड़के के साथ मेरे अनैतिक संबंध हैं. मैं एक गे की तरह उस से सैक्स करवाता हूं और वह भी मुझ से सैक्स करवाता है. इस लेनदेन में बहुत मजा आता है. दूसरी तरफ मेरी एक मुंहबोली भाभी हैं जिन के 3 बच्चे हैं, उन की उम्र 30 साल है. उन से भी मेरे शारीरिक संबंध हैं. जब भी मौका मिलता है उन से भी मैं सैक्स करता हूं, कभी पकड़ा न जाऊं, इसलिए चाहता हूं कि किसी लड़की से विवाह कर लूं पर भाभी कहती हैं कि यदि मैं किसी और से विवाह करूंगा तो वे मर जाएंगी. मैं क्या करूं, उचित सलाह दें?

जवाब
असल में आप बायोसैक्सुअल हैं इसलिए आप को महिलापुरुष दोनों से संबंध रखने की लत लग गई है. हालांकि बायोसैक्सुअल होना बुरी बात नहीं होती लेकिन हमारा सामाजिक ढांचा ऐसा है कि अभी भी पहचान का संकट बड़ा मसला है, इसलिए पहले तय कीजिए कि आप को किस के साथ रहना है. जरूरत पड़े तो मनोचिकित्सक या रिलेशनशिप काउंसलर से मिलें. अपनी भाभी को भी समझाएं कि वे बेवकूफीभरी बातें न करें और अपनी गृहस्थी पर ध्यान दें.

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भौजाई से प्यार, पत्नी सहे वार

19 जनवरी, 2017 को उत्तर प्रदेश के जिला सिद्धार्थनगर के थाना जोगिया उदयपुर के थानाप्रभारी शमशेर बहादुर सिंह औफिस में बैठे मामलों की फाइलें देख रहे थे, तभी उन की नजर करीब 4 महीने पहले सोनिया नाम की एक नवविवाहिता की संदिग्ध परिस्थितियों में ससुराल में हुई मौत की फाइल पर पड़ी. सोनिया की मां निर्मला देवी ने उस के पति अर्जुन और उस की जेठानी कौशल्या के खिलाफ उस की हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराई थी. घटना के बाद से दोनों फरार चल रहे थे. उन की तलाश में पुलिस जगहजगह छापे मार रही थी. लेकिन कहीं से भी उन के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली थी.

आरोपियों की गिरफ्तारी को ले कर एसपी राकेश शंकर का शमशेर बहादुर सिंह पर काफी दबाव था, इसीलिए वह इस केस की फाइल का बारीकी से अध्ययन कर आरोपियों तक पहुंचने की संभावनाएं तलाश रहे थे. संयोग से उसी समय एक मुखबिर ने उन के कक्ष में आ कर कहा, ‘‘सरजी, एक गुड न्यूज है. अभी बताऊं या बाद में?’’

‘‘अभी बताओ न कि क्या गुड न्यूज है,ज्यादा उलझाओ मत. वैसे ही मैं एक केस में उलझा हूं.’’ थानाप्रभारी ने कहा, ‘‘जो भी गुड न्यूज है, जल्दी बताओ.’’

इस के बाद मुखबिर ने थानाप्रभारी के पास जा कर उन के कान में जो न्यूज दी, उसे सुन कर थानाप्रभारी का चेहरा खिल उठा. उन्होंने तुरंत हमराहियों को आवाज देने के साथ जीप चालक को फौरन जीप तैयार करने को कहा. इस के बाद वह खुद भी औफिस से बाहर आ गए. 5 मिनट में ही वह टीम के साथ, जिस में एसआई दिनेश तिवारी, सिपाही जय सिंह चौरसिया, लक्ष्मण यादव और श्वेता शर्मा शामिल थीं, को ले कर कुछ ही देर में मुखबिर द्वारा बताई जगह पर पहुंच गए. वहां उन्हें एक औरत और एक आदमी खड़ा मिला.

पुलिस की गाड़ी देख कर दोनों नजरें चुराने लगे. पुलिस जैसे ही उन के करीब पहुंची, उन के चेहरों पर हवाइयां उड़ने लगीं. शमशेर बहादुर सिंह ने उन से नाम और वहां खड़े होने का कारण पूछा तो वे हकलाते हुए बोले, ‘‘साहब, बस का इंतजार कर रहे थे.’’

‘‘क्यों, अब और कहीं भागने का इरादा है क्या?’’ थानाप्रभारी ने पूछा.

‘‘नहीं साहब, आप क्या कह रहे हैं, हम समझे नहीं, हम क्यों भागेंगे?’’ आदमी ने कहा.

‘‘थाने चलो, वहां हम सब समझा देंगे.’’ कह कर शमशेर बहादुर सिंह दोनों को जीप में बैठा कर थाने लौट आए. थाने में जब दोनों से सख्ती से पूछताछ की गई तो उन्होंने अपने नाम अर्जुन और कौशल्या देवी बताए. उन का आपस में देवरभाभी का रिश्ता था.

अर्जुन अपनी पत्नी सोनिया की हत्या का आरोपी था. उस की हत्या में कौशल्या भी शामिल थी. हत्या के बाद से दोनों फरार चल रहे थे. थानाप्रभारी ने सीओ महिपाल पाठक के सामने दोनों से सोनिया की हत्या के बारे में पूछताछ की तो उन्होंने सारी सच्चाई उगल दी. सोनिया की जितनी शातिराना तरीके से उन्होंने हत्या की थी, वह सारा राज उन्होंने बता दिया. नवविवाहिता सोनिया की हत्या की उन्होंने जो कहानी बताई, वह इस प्रकार थी—

उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले का एक थाना है जोगिया उदयपुर. इसी थाने के अंतर्गत मनोहारी गांव के रहने वाले जगदीश ने अपने छोटे बेटे अर्जुन की शादी 4 जुलाई, 2013 को पड़ोस के गांव मेहदिया के रहने वाले रामकरन की बेटी सोनिया से की थी. शादी के करीब 3 सालों बाद 25 अप्रैल, 2016 को गौने के बाद सोनिया ससुराल आई थी.

पति और ससुराल वालों का प्यार पा कर सोनिया बहुत खुश थी. अपने काम और व्यवहार से सोनिया घर में सभी की चहेती बन गई. सब कुछ ठीकठाक चल रहा था कि अचानक सोनिया ने पति अर्जुन में कुछ बदलाव महसूस किया. उस ने गौर करना शुरू किया तो पता चला कि अर्जुन पहले उसे जितना समय देता था, अब वह उसे उतना समय नहीं देता.

पहले तो उस ने यही सोचा कि परिवार और काम की वजह से वह ऐसा कर रहा होगा. लेकिन उस की यह सोच गलत साबित हुई. उस ने महसूस किया कि अर्जुन अपनी भाभी कौशल्या के आगेपीछे कुछ ज्यादा ही मंडराता रहता है. वह भाभी के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताता है.

जल्दी ही सोनिया को इस की वजह का भी पता चल गया. अर्जुन के अपनी भाभी से अवैध संबंध थे. भाभी से संबंध होने की वजह से वह सोनिया की उपेक्षा कर रहा था. कमाई का ज्यादा हिस्सा भी वह भाभी पर खर्च कर रहा था. यह सब जान कर सोनिया सन्न रह गई.

कोई भी औरत सब कुछ बरदाश्त कर सकती है, लेकिन यह हरगिज नहीं चाहती कि उस का पति किसी दूसरी औरत के बिस्तर का साझीदार बने. भला नवविवाहिता सोनिया ही इस बात को कैसे बरदाश्त करती. उस ने इस बारे में अर्जुन से बात की तो वह बौखला उठा और सोनिया की पिटाई कर दी. उस दिन के बाद दोनों में कलह शुरू हो गई.

सोनिया ने इस बात की जानकारी अपने मायके वालों को फोन कर के दे दी. उस ने मायके वालों से साफसाफ कह दिया था कि अर्जुन का संबंध उस की भाभी से है. शिकायत करने पर वह उसे मारतापीटता है. यही नहीं, उस से दहेज की भी मांग की जाती है. सोनिया की परेशानी जानते हुए भी मायके वाले उसे ही समझाते रहे.

वे हमेशा उस के और अर्जुन के संबंध को सामान्य करने की कोशिश करते रहे, पर अर्जुन ने भाभी से दूरी नहीं बनाई, जिस से सोनिया की उस से कहासुनी होती रही, पत्नी की रोजरोज की किचकिच से अर्जुन परेशान रहने लगा. उसे लगने लगा कि सोनिया उस के रास्ते का रोड़ा बन रही है. लिहाजा उस ने भाभी कौशल्या के साथ मिल कर एक खौफनाक योजना बना डाली.

24-25 सितंबर, 2016 की रात अर्जुन और कौशल्या ने साजिश रच कर सोनिया के खाने में जहरीला पदार्थ मिला दिया. अगले दिन यानी 25 सितंबर की सुबह जब सोनिया की हालत बिगड़ने लगी तो अर्जुन उसे जिला अस्पताल ले गया.

उसी दिन सुबह सोनिया के पिता रामकरन को मनोहारी गांव के किसी आदमी ने बताया कि सोनिया की तबीयत बहुत ज्यादा खराब है, वह जिला अस्पताल में भरती है. यह खबर सुन कर वह घर वालों के साथ सिद्धार्थनगर स्थित जिला अस्पताल पहुंचा. तब तक सोनिया की हालत बहुत ज्यादा खराब हो चुकी थी. डाक्टरों ने उसे कहीं और ले जाने को कह दिया था.

26 सितंबर की सुबह 4 बजे पता चला कि सोनिया की मौत हो चुकी है. बेटी की मौत की खबर मिलते ही रामकरन अपने गांव के कुछ लोगों को साथ ले कर बेटी की ससुराल मनोहारी गांव पहुंचा तो देखा सोनिया के मुंह से झाग निकला था. कान और नाक पर खून के धब्बे थे. हाथ की चूडि़यां भी टूटी हुई थीं. लाश देख कर ही लग रहा था कि उस के साथ मारपीट कर के उसे कोई जहरीला पदार्थ खिलाया गया था.

बेटी की लाश देख कर रामकरन की हालत बिगड़ गई. उन के साथ आए गांव वालों ने पुलिस कंट्रोल रूम को हत्या की सूचना दे दी. सूचना पा कर कुछ ही देर में थाना जोगिया उदयपुर के थानाप्रभारी शमशेर बहादुर सिंह पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंच गए. उन्होंने सोनिया के शव को कब्जे में ले कर पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया.

बेटी की मौत से रामकरन को गहरा सदमा लगा था, जिस से उन की तबीयत खराब हो गई थी. उन्हें आननफानन में इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया. इस के बाद पुलिस ने सोनिया की मां निर्मला की तहरीर पर अर्जुन और उस की भाभी कौशल्या के खिलाफ भादंवि की धारा 498ए, 304बी, 3/4 डीपी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया था.

2 दिनों बाद जब पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई तो पता चला कि सोनिया के साथ मारपीट कर के उसे खाने में जहर दिया गया था. घटना के तुरंत बाद अर्जुन और कौशल्या फरार हो गए थे. लेकिन पुलिस उन के पीछे हाथ धो कर पड़ी थी. उन दोनों की गिरफ्तारी न होने से लोगों में आक्रोश बढ़ रहा था.

आखिर 4 महीने बाद मुखबिर की सूचना पर अर्जुन और कौशल्या गिरफ्तार कर लिए गए थे. पूछताछ के बाद पुलिस ने उन्हें सक्षम न्यायालय में पेश किया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया. कथा लिखे तक दोनों की जमानतें नहीं हो सकी थीं.

पुलिस अधीक्षक राकेश शंकर ने घटना का खुलासा करने वाली पुलिस टीम की हौसलाअफजाई करते हुए 2 हजार रुपए का नकद इनाम दिया है.

भाभी के चक्कर में अर्जुन ने अपना घर तो बरबाद किया ही, भाई का भी घर बरबाद किया. इसी तरह कौशल्या ने देह की आग को शांत करने के लिए देवर के साथ मिल कर एक निर्दोष की जान ले ली.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

नादानियां: भाग 3

यह बात निखिल भी जानता था कि रचना ‘शॉर्ट-टेंपर लड़की है.  उसे जल्दी गुस्सा आ जाता है.  लेकिन उसकी यही आदत शादी के बाद निखिल को बुरी लगने लगी थी.  उनके बीच बातचीत बंद हुए आज चार दिन हो चुके थे.  घर अजीब सा लगने लगा था.  एक तो लॉकडाउन में वैसे ही सब उदास-उदास लग रह था, ऊपर से घर का ऐसा माहौल, मालती को और बिचलित कर रहा था.  वह माहौल को हल्का करने की कोशिश कर रही थी, पर कोई झुकने को तैयार नहीं था.  माँ के समझाने पर, अगर निखिल रचना से बात करने की कोशिश भी करता, तो वह अपना मुंह दूसरी तरफ फेर लेती और कहती कि गलती हो गई उससे निखिल से शादी करने का फैसला लेकर.  और निखिल का गुस्सा फिर बढ़ जाता.  बात सुलझने के बजाय और उलझता जा रहा था.

उस दिन मालती जब रचना के कमरे में चाय-नास्ता लेकर गई, तो देखा रचना बिछावन पर लेटी छटपटा रही है.  पूछने पर बताया कि उसे मासिक धर्म आया है इसलिए पेट में दर्द हो रहा है.  दर्द के मारे रात भर वह सो भी नहीं पाई. रचना को अक्सर ऐसा होता है, इसलिए वह पेट दर्द की दवाई रखती है, पर दवाई खत्म हो गई है और लॉकडाउन में लाए कैसे?  निखिल को जब पता चला कि पेट दर्द के कारण रचना रात भर सो नहीं पायी, तो वह भी छटपटा उठा.  रचना को लेकर उसके मन में जो गुस्सा था, वह पल भर में काफ़ुर हो गया.  तुरंत निखिल दवाई लाने घर से निकल गया. यह भी नहीं सोचा उसने कि पुलिस उसे रोकेगी या डंडे बरसाएगी.  इधर मालती रचना के सिर अपने गोद में लेकर सहलाने लगी ताकि उसे नींद आ जाए.  मालती के प्यार भरे स्पर्श से कुछ ही पलों में रचना की आँखें लग गई.  कुछ घंटे बाद जब उसकी आँखें खुली तो देखा मालती उसके सिहरने बैठी है. और निखिल बाहर से ही ताक-झांक कर रहा है।

“माँ……….आ आप……

“कुछ नहीं बेटा, अब तुम्हारा पेट दर्द कैसा है ? देखो निखिल दवाई भी ले आया जाकर.  लेकिन पहले कुछ खा लो, फिर दवाई खाना” बोलकर मालती एक माँ की तरह ‘कौर कौर’ कर उसे खिलाने लगी.  दवाई लेकर रचना सोने की फिर कोशिश करने लगी, पर नींद नहीं आ रही थी.  उसके आँखों से टप-टप कर आँसू बहे जा रहे थे.  उसे अपनी गलती का एहसास होने लगा था कि अगर वह चाहती तो बात खत्म हो सकती थी, पर वह जान-बूझकर रबर की तरह बात को खींचती चली गई.

माँ समान अपनी सास को भी उसने कितना कुछ सुना दिया.  यहाँ तक की पुलिस में जाने की भी धमकी दे दी.  यह भी नहीं सोचा कि कभी उसने बहू-बेटी में फर्क नहीं किया, फिर भी उन पर पक्षपात का इल्जाम लगा दिया. ‘अरे, वो तो बड़ी हैं, पर मैं छोटी होकर उनके संस्कार पर उंगली उठाकर क्या सही किया ? नहीं मुझे माँ जी से ऐसे बात नहीं करनी चाहिए थी.  कितनी पागल थी मैं जो पुलिस को फोन करने जा रही थी!  अपने घर की इज्जत को चौराहे पर नीलाम करने जा रही थी ? ऐसा कैसे करने जा रही थी मैं ! खुद मेरे ही माँ-पापा मेरी इस गलती के लिए कभी माफ नहीं करते मुझे. और किस पति-पत्नी के बीच झगड़ें नहीं होते ? इसका मतलब यह तो नहीं कि पुलिस को फोन का हिंसा का केस कर दें ?और गलती मेरी भी तो कम नहीं थी . मैंने भी तो निखिल को कितना कुछ सुना दिया और यहाँ तक की……….. यहाँ तक की उसे अपने लंबे नाखून से भी नोच डाला.  कितना खून बहा देखा मैंने, फिर भी मुझे उस पर दया नहीं आई. अगर वह अपना हाथ आगे न करता, तो उसका सिर तो फूट ही गया होता, फिर सी लॉकडाउन में………………. हाय……. क्या हो गया था मुझे ? कौन सा भूत सवार हो गया था मेरे सिर पर ?”अपने गुस्से पर गुस्सा आने लगा था रचना को अब. “और वह जरा सी मेरे पेट दर्द के लिए दवा लाने दौड़ पड़ा, वह भी इस लॉकडाउन में?  ये मेरी नादानियाँ नहीं तो और क्या है.

‘नहीं, मुझे जाकर उनसे अपनी गलती की माफी मंगनी चाहिए’ अपने मन में ही सोच जैसे ही रचना कमरे से बाहर आई,देखा, एक कोने में बैठी मालती सुबक रही थी. वह निखल को कह रही थी कि गलती उसकी ही है उसने ही रचना को गुस्सा दिलाया तभी वह गरम हो गई होगी.  वरना, दिल की बुरी नहीं है वह.  और अगर ऐसे ही करना है, तो वह कहीं चली जाएगी, नहीं रहेगी इस घर में . तभी मालती की नजर रचना पर पड़ी तो हाथ जोड़ कर वह कहने लगी, “बहू, मैं क्षमा चाहती हूँ जो तुम्हें कुछ कह दिया तो” बोलते हुए जब मालती के आँखों से आँसू टपके तो रचना का रहा-सहा गुस्सा भी उन आंसुओं में बह गया.  अपनी सास का हाथ अपने हाथों में लेकर वह खुद भी रोने लगी.  सास बहू दोनों रोने लगी.  मन का मैल धोने के लिए नयन-जल से उपयुक्त और कोई वस्तु नहीं है.

 

निखिल को भीअब अपनी गलती का एहसास होने लगा था. पर उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी रचना के समीप जाने की.  उसे लगा कि उसने जान-बूझकर रचनाके गुस्से को भड़काया है.  क्योंकि वह तो घर के काम निपटाकर पढ़ने बैठी थी.  मगर उसने ही मधु मक्खी के छत्ते में हाथ डाला. तो गुस्सा तो आयेगा ही न.  क्या चाय वह खुद जाकर नहीं बना सकता था? आखिर वह उसकी पत्नी है, कोई नौकरनी तो नहीं, जो हर वक़्त उसकी हुक्म बजाती रहेगी ? इस लॉकडाउन में आम इंसान से लेकर सेलिब्रिटीज तक अपनी पत्नियों की घर के काम में हाथ बटा रहे हैं, तो मैं कौन सा बड़ा लाट साहब हूँ जो कुछ कर नहीं सकता ?’

“हूं…….. सही सोच रहे हो बेटा और सिर्फ लॉकडाउन में ही नहीं, बल्कि हमेशा तुम घर-बाहर के कामों मे अपनी पत्नी की मदद करोगे” बेटे की मन की बात पढ़ते हुए मालती बोली, तो निखिल चौंक पड़ा कि उन्हें कैसे पता चला कि वह यही सब सोच रहा था ? “क्योंकि मैं तुम्हारी माँ हूँ.  बचपन में जब कोई तुम्हारी तोतली भाषा नहीं समझ पाता = था, मैं समझ जाती थी कि तुम क्या कहना चाह रहे हो या तुम्हें क्या चाहिए” मालती की बातों पर जहां निखिल हंस पड़ा वहीं रचना भी खिलखिला कर हंसने लगी.  लेकिन जैसे ही निखिल पर नजर पड़ी, मुंह बिचका दिया और कमरे में चली गई.  कुछ देर बाद वह भी कमरे में गया कि लेकिन अब भी उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी रचना से कुछ कहने की.

देखा तो आसमान में चाँद खूब चमक रहा था.  अपनी रौशनी से वह धरती को चमका रहा था, लेकिन दूर से. निखिल ने एक भरपूर नजर चाँद पर डाला और एक लंबी सांस भरते हुए बोला,‘आज रात चाँद बिल्कुल आप जैसा है………..वही खूबसूरती…….. वही नूर………वही गुरूर और वही आपकी तरह दूर……… बोलकर उसने रचना को कस कर अपनी बाहों पर भर लिया ताकि वह कितना भी कोशिश कर ले, निकल न पाए.  वैसे, निकालना तो वह भी नहीं चाह रही थी, इसलिए अपने पति के आगोश में वह समाती चली गई और फिर पूरे कमरे मे अंधेरा छाह गया.

अपने बेटे बहू के कमरे से हंसने-खिलखिलाने की आवाज सुनकर मालती ने संतुष्टि भरी सांस ली और मन ही मन हँसते हुए बोली. ‘ मेरे नादान बच्चे. नादानियाँ गई नहीं इनकीअभी तक.’

Coronavirus: अब सुमित्रा महाजन ने फैलाया अंधविश्वास

ताई के नाम से मशहूर वरिष्ठ भाजपा नेत्री सुमित्रा महाजन उन सैकड़ों भाजपा नेताओं में से एक हैं जिन्हें बेहतर मालूम है कि भाजपा आज अगर सत्ता में है तो उसकी एक बड़ी वजह लोगों को धर्म के नाम पर बरगलाकर की गई लगातार कोशिशें हैं . सालों साल की अथक मेहनत के बाद भगवा गेंग सवर्ण हिंदुओं को यह समझा पाने में कामयाब हो पाई थी कि इस देश के असल मालिक तो वे हैं लेकिन आपसी फूटम फाट के चलते राज वह कांग्रेस कर रही है जो शुरू से ही मुसलमानो , दलितों , इसाइयों और आदिवासियों की हिमायत करते मलाई इन्हीं तबकों में बांटती रही है .

8-10 करोड़ सवर्ण हिंदुओं को बताया गया कि कांग्रेस और वामपंथी हिन्दू धर्म की मान्यताओं और रीतिरिवाजों का मज़ाक बनाते रहते हैं और सही दिशा और मार्ग निर्देशन के अभाव में हम में से कई जाने अंजाने में उनका साथ देते रहते हैं . वैचारिक , वैज्ञानिक और तकनीकी रूप से हिन्दू धर्म कितना और कैसे समृद्ध है इस झूठ  फरेब से ज्यादा लोगों को यह बताया गया कि कैसे नेहरू कांग्रेस खानदान ने देश और धर्म को बर्बाद किया अब वक्त है कि उस परिवार का राज खतम किया जाये हो आधा मुसलमान और आधा ईसाई है यानि वर्ण संकर है .

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साल 2014 में हिंदुओं ने इस मुहिम पर महज एक बार आजमाने की गरज से मुहर लगा दी लेकिन इसके पहले इतना हो हल्ला मचाया कि बेकबर्ड कहा जाने बाला हिन्दू भी इस मुहिम का हिस्सा बन गया लेकिन जल्द ही इस तबके को समझ भी आ गया कि वह ठगा जा चुका है .

गुजरे कल की इन बातों का कोरोना संकट से गहरा ताल्लुक है क्योंकि धीरे धीरे ही सही यह  साबित तो हो रहा है कि संकट के इस दौर में कोई देवी देवता कुछ नहीं कर पा रहा है .  मंदिरों के कपाट भी कोरोना के डर से बंद हैं तो फिर अब तक जो समझाया और दिखाया जाता रहा था उस चमत्कारी और मायावी धार्मिक मायाजाल के कहीं अते पते नहीं हैं  .

पंडे पुजारी तो हैरान परेशान हैं ही लेकिन किनारे कर दिये गए बूढ़े भाजपा नेता उनसे ज्यादा छटपटा रहे हैं कि अगर हाल ऐसा ही रहा तो पूजा पाठ के धंधे पर स्थाई ग्रहण लग जाएगा जिसकी पुड़िया फाँके बिना भाजपाई सोच पाने में भी खुद को असहाय पाते हैं .

पिलाई घुट्टी –

सांसद , केंद्रीय मन्त्री और लोकसभा अध्यक्ष रहीं सुमित्रा महाजन ने लाक डाउन के दिनों में एक पुराना और घिसा पिटा दांव खेला . उन्होने धर्म गुरुओं की तरह वीडियो के जरिये लोगों को संदेश दिया कि हम लोग आधा घंटे महामृत्युंजय मंत्र का पाठ अपनी रक्षा के लिए करें . जो लोग इस मंत्र का पाठ नहीं कर सकते वे रुद्र का पाठ करें और जो यह भी नहीं कर सकते वे  अहिल्यामाता के साथ अपने इष्ट देवों का जाप करते प्रार्थना करें कि वे हमें कोरोना वायरस के प्रकोप से मुक्ति दिलाएँ .

गौरतलब है कि अहिल्यादेवी कोई पौराणिक देवी नहीं हैं बल्कि होल्कर खनदान की राजकुमारी थीं और मालवा की रानी भी थीं . अब यह तो सुमित्रा महाजन जैसे महान नेता ही बता सकते हैं कि जिस महामारी से निजात दिलाने शंकर जी तक कुछ नहीं कर पा रहे उसमें अहिल्या क्या कर लेंगी उनके पास तो कोई चमत्कारी शक्ति भी नहीं थी .

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इस मेसेज का सार यह है कि हिन्दू मूर्ख हैं और मूर्खों को ही चुनते हैं जो उन्हें यह आभास कराते रहते हैं कि मूर्ख तुम नहीं बल्कि वे लोग हैं जो तुम्हें मूर्ख कहते रहते हैं इसलिए बिना किसी की परवाह किए तुम धार्मिक मूर्खताएं करते जाओ आज नहीं तो कल कल्याण होगा .  फिर गर्व से कहना कि देखी सनातन धर्म के मंत्रों की शक्ति , कोरोना को भी भगा दिया .

जबकि हकीकत सामने है , इंदोर में कोरोना का कहर हर कोई देख रहा है . अब अगर भक्तों ने ताई के संदेश को दिल पर ले लिया तो शहर वीरान हो जाएगा . अगर सुमित्रा महाजन को अपने इष्टों और मंत्रों पर जरा भी भरोसा है तो क्या वे एक बार बिना मास्क लगाए , बिना हाथ धोये कोरोना मरीजों के साथ चंद घटे गुजारने की चुनौती स्वीकार करेंगी जिससे साबित हो कि वाकई धर्म इष्टों और मंत्रों की महिमा अपरंपार है . और अगर वे ऐसा नहीं कर सकतीं तो उन्हें आम लोगों को गुमराह करने के जुर्म के एवज में माफी मांगनी चाहिए .

वक्त की नजाकत और मांग यह है कि लोग एहतियात बरतें .  यह तो उन्हें डेढ़ महीने में समझ आ ही गया है कि कोई भगवान कुछ नहीं कर सकता तो ताई क्यों अंधविश्वास फैला रहीं हैं . भाजपा के भविष्य की चिंता उन्हें सता रही होगी लेकिन इसके लिए आम लोगों के भविष्य और ज़िंदगी से खिलवाड़ करने का हक उन्हें किसने दिया . अब जरूरत तो इस बात की भी महसूस होने लगी है कि जो धर्म के जरिये कोरोना के कहर से मुक्ति की बात करे उसे अपराधी मानते हुये उस पर कानूनी काररवाई की जाये जिससे लोग इलाज और सावधानियों से भटकें नहीं .

Video: कार्तिक आर्यन की बहन ने ऐसे लिया पिटाई का बदला, लगाया जोरदार थप्पड़

बॉलीवुड एक्टर कार्तिक आर्यन लॉकडाउन में अपने फैमली के साथ अच्छा वक्त बीता रहे हैं. इस दौरान कई बार वह अपने घर के काम को करते हुए  तो कभी अपनी बढ़ी हुई दाढ़ी की तस्वीर शेयर करते रहते हैं. हाल ही में कार्तिक ने एक वीडियो पोस्ट किया है जिसमें वह अपनी बहन से थप्पड़ खाते हुए वीडियो सेयर किए हैं.

जी हां सोचने वाली बात नहीं है कार्तिक की बहन ने उन्हें जोरदार थप्पड़ मारा है. इस वीडियो को कार्तिक ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर किया है. दरअसल, कार्तिक की बहन कृतिका नकली स्ट्रिंग से खेल रही हैं. खेल-खेल में कृतिका मौका देखते ही कार्तिक के गाल पर थप्पड़ मार देती हैं.

 

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Subah Utho Nahao Pito So Jao #QuarantineLife #KokiToki

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इस वीडियो को शेयर करते हुए कार्तिक ने लिखा है. सुबह उठो नहाओ पिटाओ और सो जाओ #quarantine life.

इससे पहले कार्तिक ने एक वीडियो शेयर किया था जिसमें वह अपनी बहन का बाल पकड़कर अत्याचार करते नजर आ रहे हैं. इससे पता चलता है कि कार्तिक का पूरा टाइम अपनी बहन के साथ मस्ती करते स्पेंड होता है.

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वर्फ फ्रंट की बात करे तो हाल ही में एक्टर फिल्म लव आज कल में नजर आएं थें. इस फिल्म में कार्तिक के साथ अभिनेत्री सारा अली खान भी नजर आई थीं.

इससे पहले वह अन्नया पांडे के साथ फिल्म पति-पत्नी और वो में नजर आ चुके हैं. लॉकडाउन से पहले कार्तक भूल भूलैया फिल्म की शुटिंग में व्यस्त थें.

बबीता फोगाट के बयान पर ‘दंगल गर्ल’ जायरा वसीम का करारा जवाब

भारत की स्टार पहलवान बबीता फोगाट इन दिनों सुर्खियों में बनी हुई है. हमेशा अपने बेबाक अंदाज के लिए जानी जाती हैं. बबीता ने अपने सोशल मीडिया के जरिए कुछ ऐसा बयान दिया है जो पूरे दुनिया में चर्चा का विषय बन गया है.

बबीता ने हाल ही में तबलीगि जमात के बारे में बयान दिया है. उन्होंने निशाना साधते हुए कई मुस्लिम लोगों पर आरोप भी लगाया है. अपने बयान में उन्होंने कहा है कि ‘मैं जायरा वसीम नहीं हूं जो डर कर बैठ जाऊंगी’. दंगल गर्ल जायरा वसीम पर उन्होंने सीधा वार करते हुए यह बात कही है.

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इस वीडियो पर दंगल गर्ल ने बबीता को करारा जवाब ट्विटर पर दिया है. जिसके बाद लोग लगातार इस पर कमेंट कर रहे हैं. जायरा ने बबीता का नाम न लेते हुए अपने बातों को ट्विटर पर कहा है.

अपने अंहकार से अपने अज्ञान को आगे न आने दें, जब आप सत्य की तलाश करते हैं तो इसे आप विनम्रता के साथ तलाश करें. इससे पहले भी जायरा ने अपने ट्विटर पर लंबा चौड़ा पोस्ट शेयर किया था जिसमें उन्होंने

बता दें आखिरी बार जायरा को आमिर खान की फिल्म में देखा गया था, उसके बाद जायरा ने फिल्म इंडस्ट्री अपना नाता तोड़ लिया. जायरा फिलहाल अपने परिवार वालों के साथ रहती हैं.

ब्रिटेन कोर्ट ने दिया माल्या को झटका

ब्रिटेन में विजय माल्या को करारा झटका लगा है। माल्या के प्रत्यर्पण के खिलाफ याचिका को लंदन हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है. ब्रिटिश हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए माल्या की याचिका खारिज कर दी.जस्टिस स्टीफन इरविन और जस्टिस एलिजाबेथ लिंग की दो सदस्यीय पीठ के इस फैसले से आर्थिक अपराध के मामले में भारत के भगोड़े विजय माल्या के प्रत्यर्पण की कानूनी बाधा दूर हो गई है.

गौरतलब है कि किंगफिशर एयरलाइंस के मुखिया विजय माल्या 9000 करोड़ रुपये के वित्तीय अपराध से जुड़े मामले में भारत में वॉन्टेड हैं. ब्रिटेन में छिपे माल्या को भारत लाने के लिए जांच एजेंसियां लम्बे समय से प्रयास कर रही हैं. पिछले साल 3 फरवरी को ब्रिटेन के गृह सचिव ने विजय माल्या के प्रत्यर्पण का आदेश दिया था, लेकिन माल्या ने अपने प्रत्यर्पण को ब्रिटेन की लंदन रॉयल कोर्ट में चुनौती दे दी थी.माल्या की याचिका पर लंदन की कोर्ट में 11, 12 और 13 फरवरी को सुनवाई हुई थी. अब ब्रिटिश हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है.

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लंदन की कोर्ट ने माल्या को तीन मामलों – भारतीय बैंकों से धोखाधड़ी, अपना देश छोड़कर भागने और किंगफिशर के लाभ के संबंध में गलत जानकारी देने का दोषी करार दिया है. कोर्ट ने कहा कि माल्या 1 सितंबर 2009 से 24 जनवरी 2017 के बीच हुए अपराधों के लिए आरोपी हैं. माल्या ने 7 अक्टूबर 2009 को 1500 मिलियन, 4 नवंबर 2009 को 2000 मिलियन और 27 नवंबर 2009 को 7500 मिलियन भारतीय रुपये का ऋण लिया, जिसे चुकाने की मंशा नहीं दिखाई.ऐसे में कोर्ट माल्या को दोषी मानते हुए उनकी याचिका को ख़ारिज करती है.उम्मीद जगी है कि अब जल्द उसे भारत प्रत्यर्पित किया जा सकता है.

कोर्ट के इस आर्डर के बाद अब माल्या के प्रत्यर्पण की फाइल ब्रिटेन की गृह मंत्री प्रीति पटेल के पास जाएगी. हालांकि, माल्या के पास हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का अधिकार भी है.14 दिन के अंदर हाई कोर्ट के इस फैसले को चुनौती दी जा सकती है. अगर वह इसमें असफल साबित होते हैं तो उन्हें भारत प्रत्यर्पित किए जाने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी.सुप्रीम कोर्ट द्वारा भी याचिका खारिज कर देने के बाद आखिरी फैसला वहां का गृह मंत्रालय लेगा, जिसकी जिम्मेदारी फिलहाल भारतवंशी प्रीति पटेल संभाल रही हैं. गौरतलब है कि शराब कारोबारी विजय माल्या 2016 से ब्रिटेन में है.

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18 अप्रैल 2017 को उसे लंदन में गिरफ्तार किया गया था. तब से ही भारतीय जांच एजेंसियां माल्या के प्रत्यर्पण के लिए लगातार प्रयास कर रही हैं. पिछले दिनों माल्या ने एक ट्वीट कर दावा किया था कि वह बैंकों को उनका कर्ज चुकाने के लिए लगातार प्रस्ताव देता रहा है पर बैंक पैसे लेने को तैयार नहीं हो रहे हैं और ना ही प्रवर्तन निदेशालय उसकी संपत्तियां छोड़ने के लिए तैयार है.काश इस समय वित्त मंत्री (निर्मला सीतारमण) मेरी बात को सुनतीं.

धर्म के अंधे इंसानी जान के दुश्मन

पुरानी हिंदी फिल्मों में जब नायक या नायिका संकट काल से गुज़रते थे तो सीधे मंदिर में भगवान् की मूर्ति के आगे माथा रगड़ते, रोते-कलपते, विलाप करते और रो-रो कर भजनों के माध्यम से भगवान् से अपने ऊपर आये हुए संकट से उबारने की प्रार्थना करते नज़र आते थे. फिल्मों में ऐसे सीन भी होते थे जिसमे एक नमाज़ी आदमी अपने अल्लाह से दुआ मांगता और उसके सारे संकट पलक झपकते ही टल जाते, उसका दुश्मन उसके पैरों में आ गिरता. इस तरह के दृश्यों से महिलायें खूब गहरे जुड़ती थीं और आज भी जुड़ती हैं. इस तरह के धार्मिक और भावुक सीन थिएटर्स में दर्शकों की भीड़ जुटाते और डायरेक्टर, प्रोडूसर्स और एक्टर्स को खूब मालामाल करते थे। ऐसे सीन आज की फिल्मों में भी होते हैं मगर अब इनकी संख्या फिल्मों में कुछ कम हो गई है. परन्तु आजकल टीवी पर ऐसे धार्मिक धारावाहिकों की भरमार  हो गई है.महिलाओं की धार्मिक प्रवृत्ति को इस तरह के दृश्यों से खूब बल मिलता था.धर्मांध पुरुष भी रंगीन परदे पर दिखाए जा रहे तमाम अतार्किक, अनोखी और अजूबी बातों के आगे नतमस्तक रहते हैं.

फिल्मों का मनुष्य के जीवन पर गहरा असर होता है. खासतौर पर कम पढ़े लिखे, धर्मभीरू और विज्ञान की जानकारी ना रखने वाले लोग जो कुछ भी फिल्मों में देखते हैं उस पर आँख मूँद कर भरोसा करते हैं. अगर ये फिल्मे मात्र दिल को बहलाने के लिए और समय बिताने के मकसद से होतीं तो इनसे कोई शिकायत नहीं थी, लेकिन इन फिल्मों का असर इंसान के दिल-दिमाग, रक्त-मज्जा में बहुत गहरे उतर चुका है.इंसान कभी इस असर से निकल पायेगा या नहीं, ये कहना मुश्किल ही है क्योंकि लम्बे समय से ऐसी धार्मिक फ़िल्में, धर्म गुरु, पंडित, मौलवी, पादरी और इनकी तरह धर्म का धंधा चलाने वाले लोग इंसानी दुनिया को एक भ्रमजाल में कस कर जकड़े हुए हैं और राजनीति अपना उल्लू सीधा करने के लिए इन सभी को शह देती है और इस भ्रमजाल को ताने रखना चाहती है। ऐसा सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में होता आया है और होता जा रहा है.

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इंसान पर जब-जब संकट आया है उसको हमेशा विज्ञान ने उस संकट से उबारा है, किसी भगवान्, अल्लाह या गॉड ने नहीं.आप प्रयोग कर लीजिये साधारण सा. आपका बच्चा बुखार से तप रहा है और आप अपने घर के मंदिर में भगवान् के आगे भजन गाइये कि वो आपके बच्चे को अच्छा कर दे, या आप मुस्लिम हैं तो नमाज़ पढ़ कर अल्लाह से दुआ मांगिये कि आपका बच्चा स्वस्थ हो जाए

मगर आप ऐसा हरगिज़ नहीं करेंगे क्योंकि आप जानते हैं कि उससे कुछ नहीं होगा, भगवान् या अल्लाह कुछ नहीं करेगा और आपके बच्चे का बुखार बढ़ता जाएगा, हो सकता है उसकी जान भी चली जाए.आप उस वक़्त मंदिर, मस्जिद, चर्च या गुरुद्वारे नहीं, बल्कि अपने बच्चे को ले कर सीधे अस्पताल भागेंगे, डॉक्टर को दिखाएँगे, दवा दिलाएंगे और उससे आपका बच्चा ठीक होगा.आप इस सच को बहुत अच्छी तरह जानते हैं कि संकट की घड़ी से साइंस ही निपटता है, ईश्वर के आगे सर पटकने से कुछ नहीं होता। या किसी पण्डे-पंडित, मुल्ला-मौलवी या पादरी के बस की बात नहीं है कि वह किसी रोग से इंसान की जान बचा ले. फिर भी डाक्टर चीखते रहे कि कोरोना जैसी महामारी से जान बचानी है तो अपने घर में रहो, मास्क पहनो, सामाजिक दूरी बना लो मगर धर्म के अंधे और इस अंधविश्वास में दुनिया को जकड़ कर रखने वालों ने विज्ञान की चेतावनियों पर लोगों को अमल नहीं करने दिया और कितने ही मासूमों को कोरोना के काल का ग्रास बना दिया.

इंसानी जान के ये दुश्मन कोरोना काल में आत्मघाती धार्मिक उत्सव कराते रहे, जगह-जगह धार्मिक जमावड़े करते रहे और लोगों को एक जगह जमा करके मौत का आह्वाहन करते रहे.

पूरी दुनिया में कोरोना वायरस का संक्रमण काफी तेजी से बढ़ रहा है. इसके पीछे काफी हद तक उन धार्मिक जमावड़ों का हाथ है जो मनाही के बावजूद होते रहे. नियमों-निर्देशों को ताक पर रखकर धार्मिक कार्यक्रमों के आयोजन ने कोरोना को अपने पांव फैलाने के खुले रास्ते दिए.सोशल डिस्टेंसिंग को तार-तार करने की वजह से ही इस जानलेवा वायरस को फैलने में आसानी  हुई.विश्व में जहां कहीं भी धार्मिक समागमों पर रोक लगाने में देरी हुई, वहां कोरोना वायरस तेजी से फैला है.

ईरान में मस्जिद में जमा होकर पढ़ी गई नमाज

ईरान में दो पवित्र स्थल ऐसे हैं, जहां शिया मुसलमान बड़ी श्रद्धा से जाते हैं. पहला है मशहद शहर और दूसरा कुम शहर में फातिमा मसुमेह का तीर्थ-स्थान। परंपरानुसार यहां श्रद्धालु पहले जमीन को चूमते हैं, फिर प्रवेश करते हैं. कोरोना वायरस का संक्रमण फैलते ही इन दोनों शहरों में घुसने पर ईरान सरकार ने 17 मार्च को पाबंदी लगा दी थी मगर ‘अल्लाह कोरोना से बचाएगा’ कहते हुए श्रद्धालु इन दोनों तीर्थ-स्थलों में घुस गए। ईरान की पुलिस ने बल प्रयोग करके उन्हें खदेड़ा.फिर भी नमाज़ी ना माने और खूब बवाल काटा हालांकि वहां के मौलवी ने भी लोगों से मस्जिद में ना घुसने की अपील की थी मगर भीड़ भड़क गई और उसने मौलवी को जान से मारने की धमकी दी. उस मौलवी को पद से हटा दिया गया और नए मौलवी ने आते ही अपनी जहालत का परिचय दिया और लोगों को वहां इकट्ठा होकर नमाज पढ़ने की इजाजत दे दी.1600 लोगों ने मस्जिद में एकत्र होकर नमाज अदा की. इसका असर यह हुआ कि ईरान में कोरोना पीड़ितों की संख्या बढ़ती गई और मिडल ईस्ट के मुल्कों में सबसे ज्यादा मौतें ईरान में ही हुईं. इजरायल में भी कोरोना संक्रमित यहूदियों में 35 प्रतिशत उनका है, जो सिनेगॉग (यहूदियों का पूजा-स्थल) खुद गए या उन लोगों से मिले जो वहां गए थे.देश के दकियानूसी और अंधविश्वासी लोग सरकार के निर्देशों का उल्लंघन कर रहे हैं और लोगों से कह रहे हैं कि अब्राहम उन्हें बचाएगा.

तबलीगी जमात के कार्यक्रम कई देशों में हुए

मलयेशिया में फरवरी में तबलीगी जमात की एक अंतरराष्ट्रीय सभा हुई जिसमें 1600 लोगों ने शिरकत की. इसके बाद कई प्रचारक आसपास के देशों के अलावा भारत और पाकिस्तान आए.यह सभा इस तथ्य के बावजूद आयोजित हुई कि इससे पहले 30 जनवरी को ही विश्व स्वास्थ्य संगठन कोरोना को लेकर हेल्थ इमर्जेंसी घोषित कर चुका था.दिल्ली के निजामुद्दीन में हुई तबलीगी जमात की बैठकों में शामिल हुए लोगों में से अधिकांश कोरोना से संक्रमित निकले.

जमात नेतृत्व की इस गैर-जिम्मेदाराना और आपराधिक हरकत का खामियाजा वे तमाम लोग भुगत रहे हैं जो बैठक के भागीदारों से मिले। साधारण मुसलमान भी जनता के रोष का शिकार हो रहे हैं, जिनका तबलीगी जमात से कोई लेना-देना नहीं है. यह समागम तब हुआ जब दिल्ली में दंगे हो चुके थे और कट्टर हिंदू संगठन मुस्लिम विरोधी प्रचार में जुटे थे. तबलीगी जमात ने इनका काम आसान कर दिया. यह भी समझ से परे है कि 20-21 मार्च को एक और समागम प्रशासन ने कैसे होने दिया, जबकि समागम-स्थल से दस कदम पर पुलिस स्टेशन मौजूद है.

जब पूरी दुनिया कोरोना महामारी से लड़ रही हो तो भारत की राजधानी के बीचोबीच हुआ यह धार्मिक सम्मेलन एक घोर लापरवाही को दिखाता है.इस जमावड़े में देश के अलग अलग हिस्सों से आये जमातियों के अलावा मलेशिया और इंडोनेशिया जैसे देशों से कुल 2000 से अधिक प्रतिनिधि शामिल हुए थे.कई दिनों तक साथ रहने के अलावा इन लोगों ने एक ही डाइनिंग हॉल में खाना खाया और साझा बाथरूम-टॉयलेट इस्तेमाल किये. ज़ाहिर है अब तक इनमें से दर्जनों लोग कोरोना पॉज़िटिव होंगे और दूसरे सैकड़ों लोगों को संक्रमण फैला रहे होंगे.

एक जगह पर इतने लोगों के इकट्ठा हो जाने पर जितने सवाल पुलिस और प्रशासन पर उठते हैं उससे अधिक सवाल आयोजकों पर हैं.यहां पहुंचे लोगों का संपर्क तेलंगाना, यूपी, महाराष्ट्र, असम, झारखंड, कर्नाटक और अंडमान समेत देश के कई हिस्सों तक दिख रहा है. जमात के लोगों के टेस्ट के बाद दिल्ली के संक्रमित लोगों का आंकड़ा उछल कर सौ के पास पहुंच गया था.

इससे पहले देश भर की मस्जिदों में भी बड़ी संख्या में नमाज़ होते रही.जब दिल्ली की जामा मस्जिद में इकट्ठा हुये लोगों से सवाल हुए तो ज़्यादातर का कहना था कि वह पांच वक़्त के नमाज़ी है इसलिये उन्हें कोराना वायरस से डरने की कोई ज़रूरत नहीं है.कुछ ने यह तक कहा कि नमाज़ मस्जिद में ही पढ़ी जा सकती है, घर में नहीं और अल्लाह के होते किसी वायरस या दुश्मन से डरने की ज़रूरत नहीं है.यही हाल देश की दूसरी मस्जिदों में भी दिखा. निरी मूर्खता और कट्टरपन के कारण अब लोगों की जान ख़तरे में पड़ी हुई है. क्या अल्लाह आएगा जान बचाने? ‘अल्लाह हमें मस्जिदें न छोड़ने की सलाह दे रहा है’, ‘हम डॉक्टरों की सलाह नहीं मानेंगे’- इस तरह के ऑडियो क्लिप्स सोशल मीडिया पर भेज भेज कर मानवजाति के हत्यारों ने ना जाने कितने मासूमों को असमय ही मौत की मुँह में धकेल दिया.

तबलीगी जमात का इससे कहीं बड़ा आयोजन मार्च के पहले सप्ताह में लाहौर में होना तय था जिसे पाकिस्तान की सरकार ने रद्द कर दिया. गड़बड़ यह हुई कि जब तक निषेधाज्ञा की घोषित हुई, कई विदेशी तबलीगी  लाहौर पहुंच गए और वहां भी संक्रमण बढ़ गया.

पंजाब ने मनाया  होला मोहल्ला उत्सव 

पंजाब के एक ग्रंथी बलदेव सिंह रागी अपनी कीर्तन मंडली लेकर इटली और जर्मनी गए और वहां से कोरोना लेकर आए. लेकिन यह बात उन्होंने प्रशासन से छुपा ली. आनंदपुर साहिब में होली के दिन एक बड़ा उत्सव ‘होला मोहल्ला’ मनाया जाता है, जिसमें हजारों लोग हिस्सा लेते हैं। बलदेव सिह की मंडली ने इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और श्रद्धालुओं को कोरोना के रूप में प्रसाद बांटा. नतीजा यह कि पंजाब में कोरोना के मामले बढ़ गए.

योगी आदित्यनाथ ने की रामनवमी पर पूजा

लॉकडाउन के बीच रामनवमी के अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अयोध्या पधारे और सोशल डिस्टेंसिंग की परवाह न करते हुए वहां पूजा-अर्चना की वहां उपस्थित अयोध्या मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष आचार्य परमहंस ने कहा कि भगवान राम अपने भक्तों को कोरोना से बचाएंगे.केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे का भी बयान आया कि श्रीराम से लेकर भोलेनाथ तक सभी कोरोना वायरस से रक्षा करेंगे.

16-17 मार्च तक सिद्धि विनायक मंदिर, उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर, शिरडी का साईं मंदिर, तिरुपति का वेंकटेश्वर मंदिर और वैष्णो देवी मंदिर खुले रहे.बनारस का काशी विश्वनाथ मंदिर 20 मार्च तक खुला रहा और भक्त इकट्ठा होते रहे.

चितापुर के धार्मिक उत्सव में उमड़ी भीड़

पूरी दुनिया लॉकडाउन में आ चुकी थी। सड़कें, बाजार, शॉपिंग मॉल, ऑफिस, सब बंद हो चुके थे. लेकिन कर्नाटक के राज्यों में लॉकडाउन के दौरान इतनी सख्‍ती के बावजूद तालाबंदी के बीच 16 अप्रैल 2020 को बड़ी संख्या में लोगों ने कलापुर जिले के चितापुर में एक धार्मिक उत्सव में भाग लिया. पूरे देश में कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन लागू होने के बावजूद कर्नाटक के कलबुर्गी जिले के चितापुर में बड़ी संख्या में लोग इस धार्मिक उत्सव में शामिल हुए। यहां लोगों ने सिद्धलिंगेश्वर मंदिर के पास एकजुट होकर रथ को खींचने वाले जुलूस में भाग लिया और लोगो में कोरोना का प्रसार किया.

 

चर्चों में बड़ी संख्या में जुटे लोग

अमेरिका, ब्रिटेन, इटली, स्पेन, दक्षिण कोरिया और कई अन्य देशों में हर संडे को चर्च में होने वाली मास प्रेयर ने कोरोना फैलाने में अहम भूमिका निभाई। मार्च के आखिरी रविवार को अमेरिकी राज्य लुइसियाना में 1600 लोग चर्च के समागम में शामिल हुए, जहां लोगों का आपस में गले मिलना, हाथ मिलाना और चूमना, सब कुछ देखा जा सकता था। भागीदारों का विश्वास था – गॉड हमें बचाएगा। साउथ कोरिया की राजधानी सियोल में 22 फरवरी को चर्च बंद करने के सरकारी आदेश के विरोध में एक रैली निकाली गई.

आज पूरी दुनिया में धर्म के ठेकेदारों की ताल पर नाच रहा मनुष्य सच को जानते हुए भी सच से आँखें मूंदे क्यों है, यह बाद समझ से परे है.मानवता आज एक ऐसे खतरे का सामना कर रही है जो यह नहीं देखता कि आप आस्तिक हैं या नास्तिक. हम जानते हैं कि हमारे रोग का इलाज डॉक्टर के पास ही है फिर क्यों नहीं धर्म के भोंपुओं की ओर से कान बंद कर हम डॉक्टर्स की चेतावनियों, उनकी राय और परामर्श पर विश्वास करते हैं? क्यों नहीं तार्किक ढंग से सोच पाते हैं? कोरोना ने जिस सच को उधाड़ कर सामने रक्खा है क्या वह सच जनता को अंधविश्वास और अंधश्रद्धा पर विजय प्राप्त करने में मदद करेगा? क्या मानवजाति एक तार्किक समाज की रचना करने में कभी सफल हो पाएगी?

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