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#WhyWeLoveTheVenue: मार्केट में वेन्यू की बढ़ती डिमांड

हुंडई वेन्यू लोगों के बीच काफी पौपुलर हो रही है, क्योंकि इसमें कई सेगमेंट और फीचर्स दिए गए हैं. कार की हैंडलिंग और बॉडी कंट्रोल इसकी सबसे बड़ी खासियत है, जिसे सभी लोग काफी पसंद करते हैं.
इस सेगमेंट में वेन्यू के अलावा कोई ऐसी दूसरी SUV नहीं है जो इतनी अच्छी तरह से डायरेक्शन चेंज को हैंडल करती है. वेन्यू का डिजाइन काफी शार्प और आकर्षक है. वहीं इस कार में ब्रैंड न्यू टर्बोचार्ज्ड इंजन के साथ 6 स्पीड मैनुअल और 7 स्पीड ट्विन क्लच ऑटोमेटिक गियरबॉक्स दिए गए हैं.
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अगर आप यह सोच रहे हैं कि, वेन्यू में राइड क्वालिटी के साथ समझौता किया गया है तो आप गलत है, क्योंकि यह कार खराब सड़कों पर भी अच्छी स्पीड पर दौड़ती है.
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भले ही आप कार तेज चलाएं या धीरे आपको झटके महससू नहीं होंगे. तो अब तो आप समझ ही गए होंगे कि हम वेन्यू को इतना पसंद क्यों करते हैं.

KBC 12: फिर शुरू होगा ‘कौन बनेगा करोड़पति’, जानें कब होगा नए सीजन का ऐलान

इस Lockdown के बीच जो बड़ा होने जा रहा है वह टीवी जगत के सबसे चर्चित शो कौन बनेगा करोड़पति के 12वें  सीजन  के रजिस्ट्रेशन का आगाज. इसकी जानकारी इस शो को होस्ट करने वाले अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan)  का एक वीडियो जारी कर सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन द्वारा दी गई है. अपनें 12वें सीजन में कौन बनेगा करोड़पति (KBC) अपने 20वें वर्ष में प्रवेश कर चुका चुका है. इस सीजन के रजिस्ट्रेशन की जो तिथि घोषित की गई है वह है 9 मई की रात 9 बजे से. यह रजिस्ट्रेशन स्मार्टफोन के जरिये सोनीलिव एप को डाउनलोड कर किया जा सकेगा.

अमिताभ बच्चन नें कविता के जरिये निराले अंदाज में दी जानकारी

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अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan)  नें KBC-12 के रजिस्ट्रेशन को लेकर एक वीडियो शूट किया गया है. जिसे उन्होंने अपने घर में रहते हुए ही शूट कराया है. इस वीडियो को सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन नें अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर शेयर कर जानकारी दी है की KBC के रजिस्ट्रेशन शुरू होने जा रहें हैं. वीडियों में अमिताभ बच्चन नें KBC के रजिस्ट्रेशन शुरू किये जाने की जानकारी एक कविता के जरिये बड़े ही निराले अंदाज में दी है.

 

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उन्होंने वीडियो में कहा है “हर चीज पर ब्रेक लग सकता है. नुक्कड़ की चाय को, चाय पर होने वाली हैलो-हाय को, सड़कों के साथ यारी को, ट्रिपल सीट सवारी को, हर चीज को ब्रेक लग सकता है. ऑफिस वाली चाकरी को, आधी रात वाली तफरी को. शॉपिंग मॉल वाले प्यार को, चौराहे के यार को हर चीज को ब्रेक लग सकता है सुबह के स्कूल को रास्ते की धूल को जीवन के रेस को कान्फ्रेस रूम के मेस को घड़ी की टिक टिक को शांता बाई के चिक चिक को ट्रेन के हाहाकार को धड़कन की रफ़्तार को हर चीज को ब्रेक लग सकता है लेकिन एक चीज है जिसे ब्रेक नहीं लग सकता है सपनों को सपनों को उड़ान देनें फिर आ रहें हैं मेरे सवाल ? और आप के KBC रजिस्ट्रेशन रजिस्ट्रेशन शुरू हो रहें हैं 9 मई रात 9 बजे सिर्फ सोनी पर”.

इन चरणों से गुजरेगी चयन प्रक्रिया

Lockdown के बीच शुरू हो रहे KBC रजिस्ट्रेशन को सिर्फ अभी रजिस्ट्रेशन से ही शुरू किया जा रहा है. जब की हालात सुधरनें पर इसे शुरू किये जाने की प्रक्रिया की जाएगी वैसे भी इस चर्चित शो को शुरू किये जाने के लिए 3 महीनें का समय लिया जाता है. यह माना जा रहा है तब तक चीजें नार्मल हो जाएंगी. KBC को पूरी तरह से शुरू किये जाने से पूर्व प्रतिभागियों के चयन के लिए होने वाले ऑडिशन को चार चरणों में बांटा जाता है. जिसमें प्रतिभागी को रजिस्ट्रेशन, स्क्रीनिंग, ऑनलाइन ऑडीशन और पर्सनल इंटरव्यू की प्रक्रिया से गुजरना होता है.

लॉकडाउन में फिर मदद को आगे आए सलमान, 45 वर्टिकली चैलेंज्ड एक्टर्स की मदद की

मुम्बई, लॉक डाउन के दौरान बॉलीवुड सितारों ने डेली वेज के मजदूरों की मदद के लिए अपने सारे दरवाजे खोल दिए, लेकिन एक वर्टिकली चैलेंज्ड कलाकार प्रवीण राणा ने स्वीकार किया कि उन्हें इस सहायता की उम्मीद नहीं थी. अभिनेता सलमान खान  वर्टिकली चैलेंज्ड कलाकारों की मदद के लिए सामने आए हैं.

प्रवीण राणा कहते हैं बहुत लंबे समय तक, उनके समुदाय को उद्योग के दायरे में वापस लिया गया है.हालांकि, वह आश्चर्यचकित था – इस सप्ताह की शुरुआत में, सलमान खान ने आल इंडिया एसोसिएशन ऑफ़ स्पेशल आर्टिस्ट (AISAA) के सदस्यों को वित्तीय सहायता प्रदान की, जो कि फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्प्लाइज (एफडब्ल्यूआईसीई) के एक एफिलिएटेड एसोसिएशन है.

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राणा कहते हैं, ” हमारे समुदाय के लिए जल्दी कोई सोचता नहीं, लेकिन सलमान भाई ऐसे मुश्किल घडी के दौरान हमारे साथ खड़े रहे. हमें आश्चर्य हुआ जब हमें पता चला कि मंगलवार को हमारे खातों में 3,000 रुपये जमा किए गए थे.कोई अन्य अभिनेता हमारी मदद के लिए आगे नहीं आया है,” राणा ने कहा जिसने भारत (2019) में सुपरस्टार के साथ काम किया. उन्होंने कहा, “शूटिंग के दौरान भी उन्होंने जरूरत पड़ने पर हमसे संपर्क करने के लिए कहा”

AISAA के सदस्य शमीम अहमद, जिन्होंने भारत फिल्म में सर्कस कलाकारों में से एक के रूप में काम किया, कहते हैं कि सलमान खान ने आने वाले महीनों में मदद का वादा किया है. “हमें दैनिक आधार पर काम नहीं मिलता है.हम लॉकडाउन के बीच राशन और वित्तीय मदद के लिए FWICE और सलमान खान के आभारी हैं. हमें बताया गया है कि हमें अगले महीने भी मदद की जाएगी.”

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FWICE के प्रेसिडेेंट बी एन तिवारी  और जनरल सेक्रेटरी   अशोक दुबे, ट्रेजरार गशवर लाल श्रीवास्तव ने

बताया कि “लगभग 90 वर्टिकली चैलेंज्ड अभिनेता युनियन के दायरे में आते हैं.उनमें से लगभग 45 को सलमान खान का फण्ड मिला है, बाकी को कुछ दिनों में मिल जाएगा.es

 

ICU से ऋषि कपूर का VIDEO लीक करने पर अस्पताल को मिला नोटिस

आईसीयू से ऋषि कपूर के वीडियो लीक करने के मामले में मुंबई के सर एचएनरिलायंस फाउंडेशन हॉस्पिटल को नोटिस जारी किया है. यह नोटिस फिल्म बॉडीफेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्प्लॉइज (एफडब्ल्यूआईसीई) ने भेजा है. फेडरेशन के प्रेसिडेंट बी.एन.तिवारी, जनरल सेक्रेटरी अशोक दुबे और ट्रेजरार गंगेश्वर लाल श्रीवास्तव तथा एडवाइजर अशोक पंडित ने इसकी जानकारी दी है.

एफडब्ल्यूआईसीई ने एचएन हॉस्पिटल के आईसीयू से वायरल हुए ऋषि कपूरजी के वीडियो पर विरोध दर्ज कराया है. वीडियो अनैतिक है, इसे बिना इजाजत के बनाया गया है. इससे एक महान और सम्मानजनक जीवन जीने वाले दिग्गज के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होता है.”

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अस्पताल प्रशासन ने भी दी सफाई
अस्पताल प्रशासन ने इस मामले में सफाई दी गई है. उनकी ओर से जारी एक नोटिस में लिखा गया है, “हमें पता चला है कि हमारे एक मरीज का वीडियो डिजिटल प्लेटफॉर्म पर वायरल हो रहा है. सर एचएच. रिलायंस फाउंडेशन हॉस्पिटल के लिए मरीज की गोपनीयता और निजता सर्वोपरि है और हम इस कृत्य की निंदा करते हैं. अस्पताल प्रबंधन मामले की जांच कर रहा है.दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी”

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30 अप्रैल को ही वायरल हुआ था वीडियो
30 अप्रैल को कैंसर से जूझ रहे 67 वर्षीय ऋषि कपूर ने एचएच. हॉस्पिटल के आईसीयू में अंतिम सांस ली. उसी दिन सोशल मीडिया पर उनका एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें दिखाया गया था कि कैसे आखिरी वक्त में अभिनेता की सांसें टूट रही थीं.कुछ अन्य वीडियो भी सोशल मीडिया पर आए, जिनमें से एक में ऋषि के बेटे रणबीर अस्पताल के बेड पर ही उनकी अंतिम क्रियाएं करते नजर आ रहे थे.

भाजपा विधायक ने कम्युनिटी किचन में थूका

गुजरात में एक विधायक है अरविन्द रैयाणी. यह राजकोट ईस्ट से भाजपा विधायक है. इन्होने एक वीडियो में काफी सुर्खियाँ बटोर ली है. हांलाकि वीडियो 2 दिन पुराना बताया जा रहा है. मामला कुछ यूं है कि इन का एक वीडियो सोशल मीडिया में काफी वायरल हो रहा है जिस में विधायक जी थूकते नजर आ रहे हैं. अब थूकना कोई बड़ा क्राइम तो नहीं है, लेकिन जिस जगह यह थूक रहे हैं वह सरकार द्वारा चलाए जाने वाला कम्युनिटी किचन है जहां जरुरतमंदो के लिए खाना बनाया जा रहा है. वीडियो में दिख रहा है कि उन के आसपास लोग खड़े हैं और ठीक पीछे ही खाद्य सामग्रियों के बोरे रखे हुए है, और वहीँ खाना बनाने वाले बर्तन हैं. विधायक जी अपने मुह से मास्क हटाते हैं और थूक देते हैं.

मामला सोशल मीडिया में परवान चढ़ता देख उन्होंने अपनी गलती स्वीकार कर ली है, और 500 रूपए जुर्माना भरकर, पर्ची के साथ एक फोटो साझा कर दिया. न्यूज एजेंसी एएनआई से उन्होंने अपने बचाव में कहा कि “मैं अपनी जमीन पर खड़ा था, यह कोई सरकारी जगह या सड़क नहीं थी.”

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किन्तु मामला सिर्फ सरकारी जगह या जमीन का नहीं है मामला है उन के पद का. उन्हें लोगों ने चुन कर विधायक बनाया है. उन्हें लोगों के लिए आदर्श बनना चाहिए. वह खुद पब्लिक फिगर है, जिस जगह वह थूक रहे थे वह खुद जरुरतमंदो यानि पब्लिक के लिए खाना बनाने की जगह है. तो उन का यह कहना अपनी गलती पर पर्दा डालने जैंसा है.

आईसीएमआर ने थूकने को ले कर कहा है कि यह कोरोना महामारी के फैलने के कारणों में से एक है. खुद प्रधानमंत्री मोदीजी ने 26 अप्रैल को अपने मन की बात में सार्वजनिक जगहों पर न थूकने को लेकर अपील की. उन्होंने कहा की देश के लोगों के लिए सार्वजनिक स्थानों में थूकने की आदत को ख़त्म करने का यही सही समय है.

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गृह मंत्रालय ने कोरोना महामारी को देखते हुए सार्वजनिक जगहों में थूकने पर रोक लगाईं है, जिसे तोड़ने पर 500 रूपए का जुर्माना देना होगा. मुंबई में तो एक व्यक्ति को सार्वजनिक मामले में थूकने पर गिरफ्तार भी कर दिया था.

बातचीत: भाजपा सरकार ने मजदूरों से किया वर्गभेद-अजय कुमार लल्लू

कोरोना संकट से निपटने के लिए केंद्र सरकार को जो काम लॉक डाउन करने से पहले करना चाहिए था वो काम करने की याद उसे 40 दिन बाद आई.कोटा से छात्रों को लाने के लिए बस का प्रयोग किया गया. दिल्ली से मजदूरों को प्रदेश वापसी के लिए आधी अधूरी सुविधा दी गई। मजदूर पैदल, साइकिल से आये..सरकारी बसों में उनसे किराया लिया गया. विपक्ष के दबाव में सरकार ने जो काम पहले करना उसे करने में देरी की. मजदूरों को ट्रेन से घरो तक पहुचाने का जो काम 40 दिन बाद शुरू किया गया यह पहले किया गया होता तो मजदूरों को इस तरह की विपत्तियों का सामना नहीं करना पड़ता. इस संबंध में उत्तर प्रदेश कोंग्रेस के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू से खास बातचीत हुई. पेश है उसके प्रमुख अंश :-

क्या सरकार ने प्रवासी मजदूरों घर लाने में भेदभाव किया ?

केंद्र सरकार ने लॉकडाउन बढ़ाते समय इस बात का भरोसा दिया था की मजदूरों को  सोशल डिस्टेंसिंग के साथ निशुल्क घर वापस पहुचायेगी. दिल्ली से उत्तर प्रदेश लाने की आधी अधूरी व्यवस्था की. सरकार ने कहा था कि टिकट का पैसा राज्य  सरकार अदा करेंगी. लेकिन सरकार ने मजदूरों को छला.मजदूरों से पूरा पैसा वसूला गया.यही नहीं टिकट से भी ज्यादा दाम वसूले गए. मजदूर अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं. जिसके पास दो वक्त की रोटी नही, उन्हें लूट रही है मोदी सरकार.

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प्रदेश सरकार ने कुछ अधिकारियों को जिम्मेदारी दी है. उनके नम्बर भी जनता में जारी किए हैं. जो प्रवासी मजदूरों की वापसी में मदद करेंगे ?

लॉकडाउन में उत्तर प्रदेश के करीब 10 लाख लोग दूसरे राज्यों में फंसे हुए हैं. वर्तमान योगी सरकार ने मजदूरों की मदद के लिए कई नोडल अधिकारियों की नंबर जारी किये  है जिससे मजदूर उन नंबरों पर कॉल कर सके और सहायता प्राप्त करे.लेकिन फोन करने पर  पता चलता है  ये नंबर अस्तित्व में ही नहीं है.नोडल अधिकारियों के एक भी नंबर पर कॉल नहीं लगा. या तो कॉल फॉरवर्ड हो रहे हैं यह नंबर व्यस्त बताया जा रहा है.

 

मजदूरों से भेदभाव का आरोप क्यों ?

सरकार कोटा में फंसे छात्रों को सुरक्षित ले आयी है, विपक्षी नेता के रूप में जिसका हमने स्वागत भी किया। उनके लिए बसे लगवाई लेकिन जब मजदूरों की बात आई तो उनके साथ बुरा बर्ताव किया गया .उन्हें सरकार के द्वारा ना तो सहायता मिली है और ना ही उनका दर्द बांटा जा गया है.सरकार ने मजदूरों का दर्द समझने में देर लगाई और पूरी सुविधा नहीं दी. जिससे साफ है कि मजदूरों के साथ वर्ग-भेद किया गया.

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कोरोना के समाधान के लिए खास ‘टीम -11’ बनाई है। इसका क्या प्रभाव दिख रहा है?

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और पूरा प्रशासनिक अमला दिन रात मीडिया में दिखावा  करता  है कि बहुत मेहनत कर रहे हैं जबकि सच्चाई इसके उलट है. खुद मुख्यमंत्री मीडिया में अपील करते है कि मजदूर पैदल ना चले, लेकिन हकीकत भयानक है.प्रदेश के प्रवासी मजदूरों पर बड़ा संकट आया है.लॉकडाउन के चलते उन्हें ना तो कहीं रोजगार मिल रहा है जो पैसे थे वह भी खत्म हो गया दाने-दाने को मोहताज है सरकार की तरफ से जो मजदूरों को लाने की व्यवस्था की गयी वह भी सुचारू ढंग से नहीं चल पा रही हैं .मजदूर पैदल ही अपने घर की तरफ चल रहे है.किसी भी सड़क पर इसको देखा जा सकता है.भूख प्यास और थकान के चलते तमाम मजदूरों की सड़कों पर मौत तक हो गई. हम मुख्यमंत्री कहते है कि मजदूरों को निशुल्क घर पहुचाने और नोडल अधिकारियों को सक्रिय होने को कहा जाय जिससे मजदूर  ससम्मान और सुरक्षित अपने वतन पहुँच सके.

नहीं थम रहा दलितों पर शोषण  उत्पीड़न और रेप के मामले

इस कोरोना महामारी और लॉक डाउन के दौरान भी दलितों को चैन नहीं है. एक तरफ खाने के लिए लाले पड़े हुवे हैं. दूसरी तरफ सामंतों द्वारा बलात्कार की घटनाओं का अंजाम दिया जा रहा है.

बिहार राज्य के भोजपुर जिला अंतर्गत चरपोखरी थाना के कथराई गाँव में दलित नाबालिग छात्रा के साथ दबंग स्वर्ण जाति के चार लोगों ने सामूहिक बलात्कार किया.दबंगों के डर से पीड़िता के परिवार वालों ने तत्काल मुकदमा दर्ज नहीं किया.जब भाकपा माले के लोगों ने हस्तक्षेप किया और इस सम्बंध में एस पी से बात किया तो मेडिकल जाँच और स्पीडी ट्रायल कर दोषियों पर कार्यवाई करने का आश्वासन मिला.

इस बर्बर घटना के खिलाफ भाकपा माले,ऐपवा, आइसा, इनॉस इंसाफ मंच ने प्रतिवाद दिवस मनाया.और इन संगठनों के समर्थकों ने लॉक डाउन का पालन करते हुवे अपने अपने घरों से विरोध किया.

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इसी तरह उत्तरप्रदेश में बाल्मीकि समाज के नवम वर्ग की छात्रा के साथ दुष्कर्म किया गया और धमकी दी गयी.इस घटना से आहत होकर  छात्रा ने आत्महत्या कर ली.

इसी तरह मार्च महीने में ही मुजफ्फरनगर जिले में 17 वर्षीय एक दलित किशोरी से पाँच युवकों ने सामूहिक बलात्कार किया.किशोरी पशुओं के लिए चारा लेने खेत में गयी थी जहाँ आरोपियों ने उसे पकड़ लिया और उसके साथ सामूहिक बलात्कार कर उसका वीडियो भी बनाया कि अगर किसी को बताएगी तो वीडियो वायरल कर देंगे.

इसी जिले में 8 मार्च को एक पन्द्रह वर्षीय लड़की के साथ बन्दूक दिखाकर चार लोगों ने रेप किया.

13 मार्च को बुलन्दशहर में भी सामूहिक बलात्कार का मामला प्रकाश में आया.आरोपियों ने लड़की को उस समय पकड़ लिया जब वह अपने भाई के साथ एक शादी समारोह से लौट रही थी.

इसी तरह भोपाल में कार सवार दो युवकों ने सड़क पर जा रही 17 वर्षीय लड़की को उठा लिया और करीब आठ किलोमीटर दूर सुनसान जगह पर उसके साथ बलात्कार किया.आरोपी धमकी देते हुवे उसे वहीं छोड़कर भाग गए कि अगर किसी को बताई तो इसका परिणाम बहुत बुरा होगा.

उत्तर प्रदेश के रामपुर में एक सफाई कर्मी के साथ पाँच लोगों ने मारपीट कर उसके मुंह में सेनिटाइजर का रासायनिक घोल डाल दिया जिससे वह बेहोश हो गया .उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया जहाँ उसने दम तोड़ दिया.

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राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड्स ब्यूरो के मुताबिक हर दिन दो दलितों की हत्या और हर दिन औसतन छह दलित महिलायें बलात्कार की शिकार होती हैं.

एस सी एस टी एक्ट के तहत आई पी सी के मुताबिक कड़ी सजाओं का प्रावधान है. फिर भी दलित उत्पीड़न घटने के बजाय बढ़ता ही जा रहा है.

जाति गत भेदभाव पढ़े लिखे लिखे शहरी और अंग्रेजी बोलने वाले लोगों में भी है . बड़े संस्थानों और कॉलेजों में भी है.जब प्राइमरी स्कूल का बच्चा मिड डे मील में खाना बनाने वाली से स्वर्ण जाति का लड़का खाना लेने से इंकार कर देता है तो आपवसमझ सकते हैं कि इस जाति ब्यवस्था का पैठ कहाँ तक है. अंतर इतना ही है कि गाँवो में इसका प्रत्यक्ष और क्रूर रूप दिखता है. इस तरह मन को बेचैन करने वाली घटनाएँ घटती है कि जहाँ आय दिन मानवता शर्मशार होती है. चुनाव जीतने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि जाति और धर्म के सारे बन्धन टूट गए.जाति और पहचान अलग अलग ढंग से रूप बदलते रहती है. उसकी जड़ें हमारे समाज में बहुत गहरी है. कितने पढ़े लिखे यहाँ तक कि डॉक्टर इंजीनियर आई ए एस,आई पी एस अपने धर्म और जाति से बाहर शादी करते हैं. इसी से पता चल जाएगा कि हमारे समाज मे जाति और धर्म कितना महत्वपूर्ण है. यह सही लग रहा है कि जाति अलग अलग जातियों और धर्मों के लोगों ने भाजपा को वोट दिया.लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वे अपने जातिगत पहचान से ऊपर उठ गए.बलात्कार वो अपराध है  जो इसका इस्तेमाल

अक्सर बदला लेने के लिए भी किया जाता है.इतिहास के हर हिस्से ,हर दौर में यह हुआ है कि पुरुषों ने दूसरे पुरुष से बदला लेने के लिए उनके समुदाय या परिवार वालों के साथ रेप किया.इसका भुक्तभोगी सभी धर्म और जाति की औरतें आय दिन होतीं हैं. कानून या समाज भी न्याय दिलाने में सत्ता के सर्वोच्च शिखर पर बैठे अपने धर्म और जाति वाले लोगों का पक्ष लेते हैं. अधिकांशतः दलित लड़कियों के साथ दबंगों द्वारा किये गए रेप का मामला प्रकाश में ही नहीं आता.इसलिए कि ये कमजोर तबके के लोग डर से मुकदमा ही दर्ज नहीं करते.ये जानते हैं कि उनलोगों से हमलोग जीत नहीं पायेंगे.

दलित और ओ बी सी के पढ़े लिखे और नए धनवान हुवे लोग भी जाति ब्यवस्था को तोड़ने और एक सभ्य समाज बनाने के लिए कोई कारगर पहल नहीं किया.जिनकी आर्थिक स्थिति अच्छी हुवी वे भी उन्हीं लोगों के हाँ में हाँ मिलाने लगे और उन्हें भी लगने लगा कि हम उनके वर्ग में मिल गए हैं. लेकिन वैसे लोग भी भेदभाव के शिकार होते हैं. बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री जीतन राम माँझी को मंदिर में प्रवेश करने पर मंदिर को धोया गया.काशी वाराणशी में जगजीवन राम के द्वारा विश्वनाथ मंदिर में किये गए मूर्ति के अनावरण के पश्चात गंगा जल से धोया गया.समय पड़ने पर बड़े राजनीतिक शख्शियत भी उपेक्षित होते रहे हैं.

कोरोना के कहर के दौरान कुछ लोग यह भी सवाल उठाने लगे हैं कि छुआछूत जायज है. इसलिए कि दूरी अपनाकर हम इस रोग से बच सकते हैं. लोगों को मौका मिलते ही किसी न किसी रूप में लोग उसकी तारीफदारी करने लगते हैं.

बच्चों के कोर्स में आपस में प्रेम करने,छुआछूत ,जात पात और धर्म से ऊपर उठकर मानवता का पाठ पढ़ाने की योजना धराशायी हो गयी है.

आज तो धर्म के नाम पर दलित और ओ बी सी के लोगों को बरगलाकर उनसे ही लाभ उठा कर उन्हीं का शोषण किया जा रहा है.

आज जरूरत है. अगर कहीं भी दलितों ओ बी सी के साथ शोषण और रेप की घटनाएँ घटती है तो साथ मिलकर उसका हर कदम पर साथ देने का और मदद करने का.सवर्णो की संख्या कम होते हुवे भी दलित और ओ बी सी के लोग उसका पिछलगु बने हुवे हैं. हम अपने लोगों को साथ नहीं देकर .उन्हीं लोगों की तारीफ़दारी करते हैं. आज जरूरत है. हर मोर्चे पर विरोध करने का.

आज जरूरत है.धार्मिक कर्मकांडों तीर्थ स्थानों मंदिर मस्जिद में ब्यर्थ पैसा बर्बाद नहीं करके बच्चों को वैज्ञानिक तालीम देने की.तभी आगे आने वाली पीढ़ी सभ्य समाज का सपना देख सकता है.

सदियों से यह समुदाय दबंग जाति के लोगों का अत्याचार और जुल्म सहते आया है. यह समाज आज भी अभावों में जिंदगी को खेप रहा है. इस महामारी के दौरान भी दलितों के साथ शोषण ,उत्पीड़न और अपमान की घटनाएँ जारी है. भाजपा सरकार दलितों पर हो रहे अत्याचार पर पूरी तरह से मौन है.दलितों के कई नेता भी भाजपा के ही शुर में शुर मिला रहे हैं. अपनी कुर्सी के चक्कर में वे भी मौन रहने में ही अपना लाभ देखते हैं. जब चुनाव का समय आता है तो उन्हें अपनी जाति के नाम पर जातवाले और बाकी पार्टी और हवा के नाम पर वोट मिल जाता है और सत्ता का मलाई चाभते रहते हैं.

 

कैंसर मरीजों को डॉक्टरों की सलाह

कैंसर पेशेंट्स को कोरोना से बचाव के लिए सजग करते हुए ‘फोर्टिस हॉस्पिटल’ दिल्ली की डॉक्टर नीना बहल कहती हैं, ‘इन दिनों में कैंसर सहित अन्य रोगों जैसे हार्ट डिसीज़, शुगर, किडनी के रोगी भी कोशिश करें कि ज़्यादा से ज़्यादा तरल पदार्थों जैसे जूस, सूप, पानी को ग्रहण करें ताकि बॉडी डीहाईड्रेट ना हो. इसके साथ ही मल्टीविटामिन सुप्प्लिमेंट्स लें। इस वक़्त सबसे ज़्यादा ज़रूरी है विटामिन-डी सुप्प्लिमेंट, जो रोग से लड़ने के लिए उचित शक्ति शरीर को प्रदान करता है. इन दिनों में नीबू, चुकंदर, संतरा, सेब, मौसमी का खूब सेवन करें.

Dr. Neena Behl (FORTIS HOSPITAL)

दिल्ली ‘माइंड क्लिनिक’ की ओनर डॉक्टर सुगंधा गुप्ता भी इन दिनों में कैंसर मरीज़ों को ज़्यादा से ज़्यादा सावधानी बरतने की सलाह देती हैं.वो लोग जो कैंसर से जंग जीत चुके हैं और नार्मल ज़िन्दगी गुज़ार रहे हैं उनको भी कोरोना के संक्रमण का ख़तरा अन्य लोगों के मुकाबले अधिक है, इसलिए डॉक्टर सुगंधा कुछ टिप्स देती हैं. वो कहती हैं – कैंसर के मरीज़ो की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) काफी कमजोर होती है. इस कारण से इन मरीज़ो को कोरोना से बचाव के लिए थोड़ा अधिक ध्यान रखना होगा. कुछ चीज़ो पर ध्यान देना आवश्यक है –

Dr. Sugandha Gupta (Mind Clinic)
Dr. Sugandha Gupta (Mind Clinic)

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1) अपनी नियमित चलने वाली दवाओं के सेवन में बिल्कुल भूल चूक ना करें.

2) अपने पास कम से कम 2 महीने की दवा एक साथ ले कर रखें.

3) शारीरिक दूरी यानी सोशल डिस्टेंसिंग के नियमो का पूर्णतह पालन करें.

4) कैंसर पेशेंट्स घर के अन्दर भी मास्क लगा कर रखें.

5) अच्छी खुराक लें और नियमित समय पर आहार लें.

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6) कोरोना और लॉक डाउन के कारण जहां बाई आदि काम पर नही आ पा रही है, ऐसे मे खुद घर का काम करते वक़्त भी अपने आराम पर पूरा ध्यान दें और घर के कामों मे खुद को अत्याधिक ना थकाएं.

7) अक्सर ऐसा देखा गया है कि कैंसर के मरीज़ो में समय के साथ मनोबल भी कम हो जाता है. इसलिये ये बहुत ज़रूरी है कि खुद को नकारात्मक सोच से दूर रखें. परिवारजनो के साथ वार्तालाप करें, अकेले ना रहें, समाचार आदि दिन में केवल आधा घन्टा ही देखें और दूर दराज के रिश्तेदारों से भी फ़ोन और इंटरनेट के माध्यम से जुड़े रहें.

8) याद रखें कि आप एक योद्धा हैं और जीवन की इस जंग मे भी आप अवश्य ही विजयी होंगे.

19 दिन 19 कहानियां: समुद्र से सागर

3 दिनों से बंद फ्लैट की साफसफाई और हर चीज व्यवस्थित कर के साक्षी लैपटौप और मोबाइल फोन ले कर बैठी तो फोन में बिना देखे तमाम मैसेज पड़े थे. लैपटौप में भी तमाम मेल थे. पिछले 3 दिनों में लैपटौप की कौन कहे, मोबाइल तक देखने को नहीं मिला था. मां को फोन भी वह तब करती थी, जब बिस्तर पर सोने के लिए लेटती थी. मां से बातें करतेकरते वह सो जाती तो मां को ही फोन बंद करना पड़ता.

पहले उस ने लैपटौप पर मेल पढ़ने शुरू किए. वह एकएक मैसेज पढ़ने लगी. ‘‘हाय, क्या कर रही हो? आज आप औनलाइन होने में देर क्यों कर रही हैं?’’

‘‘अरे कहां है आप? कल भी पूरा दिन इंतजार करता रहा, पर आप का कोई जवाब ही नहीं आया?’’

‘‘अब चिंता हो रही है. सब ठीकठाक तो है न?’’

‘‘मानता हूं काम में बिजी हो, पर एक मैसेज तो कर ही सकती हो.’’ सारे मैसेज एक ही व्यक्ति के थे.

मैसेज पढ़ कर हलकी सी मुसकान आ गई सरिता के चेहरे पर. उसे यह जान कर अच्छा लगा कि कोई तो है जो उस की राह देखता है, उस की चिंता करता है. उस ने मैसेज टाइप करना शुरू किया.

‘‘मैं अपने इस संबंध को नाम देना चाहती हूं. आखिर हम कब तक बिना नाम के संबंध में बंधे रहेंगे. आप का तो पता नहीं, पर मैं तो अब संबंध की डोर में बंध गई हूं. यही सवाल मैं ने आप से पहले भी किया था? पर न जाने क्यों आप इस सवाल का जवाब टालते रहे. जवाब देने की कौन कहे, आप बात ही करना बंद कर देते हो. आखिर क्यों.?

‘‘एक बात आप अच्छी तरह जान लीजिए. बिना किसी नाम का दिशाहीन संबंध मुझे पसंद नहीं है. हमेशा दुविधा में रहना अच्छा नहीं लगता. पिछले 3 दिनों से आप के संदेश की राह देख रही हूं. गुस्सा तो बहुत आता है पर आप पर गुस्सा करने का हक है भी या नहीं, यह मुझे पता नहीं. आखिर मैं आप के किसी काम की या आप मेरे किस काम के..?

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‘‘आप के साथ भी मुझे मर्यादा तय करनी है. है कोई मर्यादा? आप को पता होना चाहिए, अब मैं दुविधा में नहीं रहना चाहती. मैं आप को किसी संबंध में बांधने के लिए जबरदस्ती मजबूर नहीं कर रही हूं. पर अगर संबंध जैसा कुछ है तो उसे एक नाम तो देना ही पड़ेगा. खूब सोचविचार कर बताइएगा.

‘‘मेरे लिए आप का जवाब महत्त्वपूर्ण है. मैं आप की कौन हूं? इतनी निकटता के बाद भी यह पूछना पड़ रहा है, जो मुझे बहुत खटक रहा है. —आप के जवाब के इंतजार में सरिता.’’

सरिता काफी देर तक लैपटौप पर नजरें गड़ाए रही. उन के बीच पहली बार ऐसा नहीं हो रहा था. इस के पहले भी सरिता ने कुछ इसी तरह की या इस से कुछ अलग तरह की बात कही थी. पर हर बार किसी न किसी बहाने बात टल जाती थी. देखा जाए तो दोनों के बीच कोई खास संबंध नहीं था. दोनों कभी मिले भी नहीं थे. एकदूसरे से न कोई वादा किया थे, न कोई वचन दिया था.

बस, उन के बीच बातों का ही व्यवहार था. कभी खत्म न हो. ऐसी बातें. उस की बातें सरिता को बहुत अच्छी लगती थीं. दोनों दिनभर एकदूसरे को मेल या चैटिंग करते रहते. बीचबीच में अपना काम कर के फिर चैटिंग पर लग जाते. समयसमय पर मेल भी करते.

दोनों की जानपहचान अनायास ही हुई थी. मेल आईडी टाइप करने में हुई एक अक्षर की अदलाबदली की तरह से. ध्यान नहीं दिया और मेल सैंड हो गया. उस के रिप्लाय में आया. सौरी, सामने से फिर जवाब, करतेकरते दोनों को एकदूसरे का जवाब देने की आदत सी पड़ गई.

जल्दी ही उन की बातें एकदूसरे की जरूरत बन गईं. दोनों का परिचय हुए 3 महीने हो चुके थे, पर ऐसा लगता था, जैसे वे न जाने कब से परिचित हैं, दोनों में गहरा लगाव हो गया था, उन का स्वभाव भी अलग था और व्यवसाय भी, फिर भी दोनों नजदीक आ गए थे.

वह दिल्ली यूनिवर्सिटी के एक कालेज में हिंदी का प्रोफेसर था. साहित्य का भंडार था उस के पास. कभी वह खुद की लिखी कोई गजल या शायरी सुनाता तो कभी अपनी यूनिवर्सिटी की मजाकिया बातें कह कर हंसाता. सरिता उस की छोटी से छोटी बात ध्यान से सुनती और पढ़ती. उस के साथ के क्षणों में, उस की बातों में आसपास का सब बिसार कर खो सी जाती.

कभीकभी सरिता का भी मन दिल की बात कहने को होता. पर पता नहीं किस डर की वजह से वह कुछ कह नहीं पाती थी. कभी वह कुछ पूछता भी तो वह हंस कर उड़ा देती या फिरबात का रुख ही बदल देती.

पर जब वह 3 दिनों के लिए कंपनी टूर पर मुंबई गई तो मन जैसे अपनी बात कहने को विकल हो उठा. आज दिल की बात कह ही देनी है, यह निश्चय कर के वह दाहिने कान के पीछे निकल आई लट को अंगुलियों में ले कर डेस्क पर रखे लैपटौप की स्क्रीन में खो गई. जैसे वह सामने बैठा है और वह उस की आंखों में आंखें डाल कर अपनी बात कह रही है. वह मैसेज टाइप करने लगी.

‘‘हाय 3 दिनों के लिए कंपनी टूर पर मुंबई गई थी. जाने का प्लान अचानक बना, इसलिए तुम्हें बता नहीं सकी, बहुत परेशान किया न तुम्हें? पर सच कहूं, 3 दिनों तक तुम से दूर रह कर मेरे मन में हिम्मत आई कि मैं अपने मन की बात तुम से खुल कर कह सकूं. क्या करूं, थोड़ी डरपोक हूं न? आज तुम्हें मैं अपने एक दूसरे मित्र से मिलवाती हूं. अभी नईनई मित्रता हुई है जानते हो किस से? जी हां, दरिया से… हां, दरिया, समुद्र, सागर…

‘‘नजर में न भरा जा सके, इतना विशाल, चाहे जितना देखो, कभी मन न भरे. इतना आकर्षक कि मन करता है हमेशा देखते रहो. मेरे लिए यह सागर हमेशा एक रहस्य ही रहा है. कहीं कलकल बहता है तो कहीं एकदम शांत तो कहीं एकदम तूफानी.

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‘‘समुद्र मुझे बहुत प्यारा लगता है. घंटों उस के सान्निध्य में बैठी रहती हूं, फिर भी थकान नहीं लगती. पर मेरा यह प्यार दूरदूर से है. दूर से ही बैठ कर उस की लहरों को उछलते देखना, उस की आवाज को मन में भर लेना. इस तरह देखा जाए तो यह सागर मेरा ‘लौंग डिसटेंस फ्रेंड’ कहा जा सकता है, एकदम तुम्हारी ही तरह. हम मन भर कर बात करते हैं, कभीकभी एकदूसरे से गुस्सा भी होते हैं, पर जब नजदीकी की बात आती है तो मैं डर जाती हूं. दूर से ही नमस्कार करने लगती हूं.

‘‘पर इस सब को कहीं एक किनारे रख दो. मैं भले ही सागर के करीब न जाऊं, दूर से ही उसे देखती रहूं, पर वह किसी न किसी युक्ति से मुझे हैरान करने आ ही जाता है. दूर रहते हुए भी उस की हलकी सी हवा का झोंका मेरे शरीर में समा जाता है. मजाल है कि मैं उस के स्पर्श से खुद को बचा पाऊं. एकदम तुम्हारी ही तरह वह भी जिद्दी है.

उस की इस शरारत से कल मेरे मन में एक नटखट विचार आया. मन में आया कि क्यों न हिम्मत कर के एक कदम उस की ओर बढ़ाऊं. चप्पल उतार कर उस की ओर बढ़ी. एकदम किनारे रह कर पैर पानी में छू जाए इतना ही बढ़ी थी. वह पहले से भी ज्यादा पागल बन कर मेरी ओर बढ़ा और मुझे पूरी तरह भिगो दिया. जैसे कह रहा हो, बस मैं तुम्हारी पहल की ही राह देख रहा था, बाकी मैं तो तुम्हें कब से भिगोने को तैयार था.

‘‘मैं उस के इस अथाह प्रेम में डूबी वहीं की वहीं खड़ी रह गई. मैं ने तो केवल पैर धोने के लिए पानी मांगा था, उस ने मुझे पूरी की पूरी अपने में समा लिया था. कहीं सागर तुम्हारा रूप ले कर तो नहीं आया था? शायद नाम की वजह से दोनों का स्वभाव भी एक जैसा हो. वह समुद्र और तुम सागर. दोनों का स्थान मेरे मन में एक ही है. सच कहूं, अगर मैं एक कदम आगे बढ़ाऊं तो क्या तुम मुझे खुद में समा लोगे? —तुम्हारी बनने को आतुर सरिता’’

क्या जवाब आता है, यह जानने के लिए सरिता का दिल जोजोर से धड़कने लगा था. दिल में जो आया, वह कह दिया. अब क्या होगा, यह देखने के लिए वह एकटक स्क्रीन को ताकती रही.

सागर में उछाल मार रहे समुद्र की एक फोटो भेजी. मतलब सरिता की पहल को उस ने स्वीकार कर लिया था. प्रकृति के नियम के अनुसार फिर एक सरिता बहती हुई अपने सागर मे मिलने का अनोखा मिलन रचने जा रही थी.

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