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सुशांत सिंह सुसाइड मामले में गलत साबित होने पर कंगना उठाएगी ये बड़ा कदम, पढ़ें खबर

बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिह राजपूत के जाने बाद सिनेमा जगत में लगातार नेपोटिज्म को लेकर सवाल खड़े किए जा रहे हैं. इस लिस्ट में पहला नाम कंगना रनौत का आता है जो सुशांत के मौत के पहले दिन से ही इसे आत्महत्या न बताकर साजिश कह रही हैं.

कंगना अपने कई वीडियोज के जरिए बॉलीवुड में होने वाले भेदभाव की पोल खोल रही हैं. एक वीडियो में तो उन्होंने खुलकर कहा था कि बॉलीवुड का गैंग सुशांत को काम नहीं करने दिया. जिस वजह से सुशांत सिंह राजपूत डिप्रेशन के शिकार हो गए.

सुशांत के मौत को करीब एक महीने से ज्यादा समय हो गया है लेकिन आज भी कंगना अपनी बातों पर अड़ी हुई हैं. कंगना आज भी यहीं कह रही है कि सुशांत मरा नहीं उसे मारा गया है.

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कंगना रनौत ने हाल ही में रिपब्लिक भारत को दिए एक इंटरव्यू में कहा है कि सुशांत सिंह राजपूत के मामले में अगर मैं गलत साबित हुई तो मैं अपना पद्मश्री वापस ले लूंगी.

कंगना ने कहा है कि मैं सुशांत मामले में महाराष्ट्र पुलिस भी सही से करवाई नहीं कर रही है.

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इस इंटरव्यू में कंगना ने बात करते हुए कहा कि मुंबई पुलिस मेरा बयान दर्ज करना चाहती है अगर वह चाहे तो कर ले मुझे कोई दिक्कत नहीं है. मैं इस समय मनाली में हूं आप किसी को भी भेज कर मेरा बयान दर्ज करवा लें.

 

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“We have to stand together, unite, and collectively fight this war against China!” #अब_चीनी_बंद

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अगर मैं बार- बार एक ही बात को कह रही हूं तो इसके पीछे कोई बात जरूर होगा. अगर मैं अपने बयान को सही साबित नहीं कर सकी तो मैं अपना पद्मश्री वापस कर दूंगी.

मुझे ये समझ नहीं आ रहा है कि सुशांत सिंह राजपूत केस में महेश भट्ट , आलिया भट्ट, आदित्या चोपड़ा और करण जौहर से पूछताछ क्यों नहीं हो रहा है.

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अगर पुलिस छानबीन कर रही है तो इन लोगों के बयान भी दर्ज हो जानें चाहिए.

चोरों की महाशर्मनाक करतूत,श्मशान घाट में भी लूट

श्मशान घाट का नाम सुनते ही अच्छेअच्छों की रूह कांपने लगती है. हर कोई वहां जाने से डरता है या कतराता है. वजह चाहे कुछ भी हो, पर आज भी लोग वहां जाने से गुरेज करते हैं. पर चोरों की हिम्मत की दाद देनी होगी कि उन्होंने वहां भी दबिश दे कर बड़े ही सुनियोजित तरीके से चोरी को अंजाम दिया.

जी हां, फरीदाबाद में चोर अब श्मशान घाट को भी अपना टारगेट बना रहे हैं. इतना ही नहीं, आसपास के इलाकों में चोरों के हौसले इतने बुलंद हैं कि चोरी की वारदात कहां कैसे करनी है, पहले से ही पूरा खाका तैयार कर लेते हैं और वारदात को अंजाम देने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं. अब तक तो घर, गोदाम, दुकानों के अलावा झीनाछपटी जैसे छिटपुट मामले ही सामने आते रहे हैं, पर अब चोर अपना निशाना श्मशान घाट को भी बना रहे हैं. वजह, घरों में चोरी करना अब इन चोरों के लिए मुश्किल काम हो गया है क्योंकि जब से लौकडाउन लगा है, तभी से लोग अपने घरों से बाहर निकल नहीं पा रहे हैं और चोर चोरी को अंजाम नहीं दे पा रहे हैं. वहीं चैन स्नैचिंग की घटनाएं भी काफी कम हो गई हैं?

चोर आखिर करें तो क्या करें, यही सोच उन्हें श्मशान घाट की ओर ले गई और हिम्मत रख आखिर चोरी की वारदात को अंजाम दे ही दिया गया.

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यह वारदात फरीदाबाद की डबुआ कालोनी में स्थित श्मशान घाट में 16 जुलाई, 2020 को हुई. रात 2 बजे के आसपास श्मशान घाट में 3 चोरों ने चोरी की वारदात को अंजाम दिया. इन चोरों ने अचानक ही वहां दबिश दी और दानपात्र को तोड़ कर उस में रखी नकदी निकाल ली और साथ ही, वहां  मौजूद अंतिम संस्कार का सामान बेचने वाले व्यक्ति का गल्ला तोड़ कर हजारों की नकदी निकाल कर फरार हो गए.

इतना ही नहीं, जब चोरों की नजर वारदात करते समय सीसीटीवी कैमरे पर गई, तो वहां लगे 2 कैमरे तोड़ दिए. पर उन्हें इतनी समझ नहीं आई कि और भी कैमरे लगे होंगे,अन्यथा उन्हें भी तोड़ देेते. यही चूक उन्हें पुलिस तक ले जाने में अहम भूमिका निभाएगी.

वहीं श्मशान प्रबंध समिति का कहना है कि उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था कि ऐसी जगह पर भी चोर घुस कर चोरी कर सकते हैं वरना एहतियात बरतते.

अनुमान है कि दानपात्र में तकरीबन 15,000 से 20,000 की नकदी थी. वजह, कोरोना के चलते दानपात्र को कुछ दिनों से खोला ही नहीं गया था.

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सीसीटीवी फुटेज में कैद तसवीरों से साफ पता चलता है कि देर रात तकरीबन 2 बजे के आसपास 3 चोर श्मशान घाट में चुपके से दाखिल हुए और दानपात्र को तोड़ते दिखे. इस के बाद उस में रखी नकदी निकालते हुए साफ देखे जा सकते हैं.

चोरी का पता तब चला, जब सुबह पुजारी मंदिर पहुंचा और वहां ताले टूटे देखे. दानपात्र टूटा हुआ था और नकदी गायब थी. साथ ही, पास ही बनी दुकान का गल्ला टूटा हुआ था  और नकदी नदारद थी.

बता दें कि पूरे श्मशान स्थल पर 8 सीसीटीवी कैमरे लगे हुए थे. पर उन में से 2 कैमरे सीसीटीवी फुटेज में चोरों द्वारा तोड़ते दिखे.

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फिलहाल तो पुलिस को सीसीटीवी फुटेज दे दी गई है. वहीं पुलिस भी अपनी तरफ से तफतीश करने के बाद ही कुछ कह पाएगी, पर पुलिस का कहना है कि चोरों को जल्दी ही पकड़ लिया जाएगा.

हुंडई ग्रैंड आई 10 नियोस – इंजन

ऐसे समय में जब सारे सेगमेंट छोटे डिजल इंजनों से दूर जा रहे है, हुंडई ग्रैंड आई 10 नियोस 1.2 लीटर,74-बीएचपी डीजल इंजन का विकल्प प्रदान कर रहा है. आप इसमें 5-स्पीड मैन्युअल ट्रांसमिशन या 5-स्पीड एएमटी के बीच में चुनाव कर सकते है.

इसका इंजन बहुत पावरफुल बनाया गया है. जो कि शांत और शक्तिशाली है. जब आप नियोस को शहर के अंदर चलाते हैं तो इसका ऑटोमेटिक मैन्युअल ट्रांसमिशन आपको ट्रैफिक में होने वाली परेशानियो से बचाता है. इसके पॉवरट्रेन इंजन की वजह से.

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‘खेती को उद्योग का दर्जा मिलना चाहिए’

देश में खेती की जमीन कम होती जा रही है. इस के चलते आने वाले समय में खाद्यान उत्पादन बड़ी समस्या के रूप में सामने खड़ा हो सकता है. कम खेत में ज्यादा उत्पादन के लिए हाइब्रिड बीज और रासायनिक खादों का इस्तेमाल बढ़ रहा है, जो खेती की लागत को महंगा कर रहा है. इस के प्रयोग से सेहत पर भी फर्क पड़ रहा है. हमारे देश में ज्यादातर लघु सीमांत किसान हैं, जिन के पास कम खेत हैं. उन का पूरा परिवार खेती पर ही निर्भर रहता है. ऐसे में ये लोग महंगी लागत वाली खेती नहीं कर पाते हैं. खेती में इन की लागत ज्यादा और मुनाफा कम होता जा रहा है. ऐसे में इस बात की जरूरत है कि खेती को उद्योग का दर्जा दिया जाए, जिस से खेती को भी उद्योगधंधे जैसी सुविधाएं व बैंक से लोन मिल सके. किसानों को अपनी उपज की कीमत तय करने का हक मिलना चाहिए. इस संबंध में एक पहल उत्तर प्रदेश से शुरू हुई है, जहां पर किसानों और कारोबारियों को एक मंच पर लाने के लिए उद्योग किसान व्यापार मंडल का गठन हुआ है. इस संगठन ने महिला किसानों की बड़ी संख्या को देखते हुए महिलासभा का अलग ढांचा तैयार किया है. इस की अध्यक्ष ममता सिंह के साथ बातचीत हुई. पेश हैं उस के खास अंश:

उद्योग किसान व्यापार मंडल के गठन की जरूरत क्यों पड़ी ?

किसान अपने खेत में जिस अनाज का उत्पादन करता है, वही आगे चल कर आढ़तिया बेचता है. वहां से वह फूड प्रोडक्ट्स बनाने वाली फैक्टरी में जाता है. वहां से वह उपभोक्ताओं तक पहुंचता है. ऐसे में किसान, उद्योग और कारोबारी एक चेन की तरह हैं. ये आपस में जुड़े हुए हैं. इस के बाद भी अपनी परेशानियां अलगअलग फोरम से उठाते रहते हैं, जिस से इस पूरी परेशानी को सही तरह से समझा नहीं जाता है. अब हम अपने मंच के जरीए इस कड़ी को एकजुट करेंगे और इन की समस्याओं को एक जगह से ही उठाएंगे, जिस से पूरी समस्या का एक समाधान हो सके.

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इस कड़ी में सब से खराब हालत किसान की क्यों होती जा रही है?

किसान की खराब हालत का सब से बड़ा कारण यह है कि उसे अपनी पैदावार को अपनी तरह से बेचने का हक नहीं है. उसे मंडी और सरकार पर निर्भर रहना पड़ता है. सरकार अपने हिसाब से खेती की पैदावार की कीमत तय करती है, जिस से किसानों को पूरा मुनाफा नहीं मिल पाता. मंडी में किसानों के साथ सही तरह से बरताव नहीं किया जाता. उन्हें अपनी पैदावार को बेचने के लिए सरकारी नौकरों की लालफीताशाही का शिकार होना पड़ता है. हम एकजुट हो कर किसानों की परेशानी को उठाएंगे.

किसानों की समस्या का हल क्या है ?

सब से पहले तो खेती को उद्योग का दर्जा मिले, जिस से किसानों को भी उद्योगों की तरह सुविधाएं मिल सके. इन में बैंक और दूसरी सुविधाएं शामिल हैं. अभी किसानों को बैंक से लोन लेने के लिए परेशान होना पड़ता है. तब लोन मिलना सरल हो जाएगा. किसानों की बेहतरी के लिए सरकार योजनाएं बनाएगी जिस का लाभ सीधे किसानों को मिलेगा. किसान अपनी लागत के हिसाब से अपने उत्पाद की कीमत तय कर सकेंगे.

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सरकार किसानों की परेशानियों को क्यों नहीं महसूस करती है?

सरकार ने योजना बनाने के स्तर पर किसानों के लिए बहुत सारे काम किए हैं. परेशानी की बात बिचौलिए हैं. ये 2 तरह के हैं. एक सरकारी नौकर हैं, जो सरकारी योजनाओं का लाभ किसानों तक नहीं पहुंचने देते. इस से सरकार के पैसा खर्च करने के बाद भी लाभ सही तरह से किसान को नहीं मिल पाता है. दूसरे बिचौलिए हैं, जो किसानों की पैदावार को औनेपौने दामों पर खरीद कर रख लेते हैं, फिर उस को कीमत बढ़ा कर बेचते हैं. ऐसे मुनाफाखोर सरकार की शह पर ही काम करते हैं. किसानों के संगठित होने से ऐसी समस्याओं को दूर करने में मदद मिल सकेगी.

महिला किसानों की क्या हालत है?

जिस तरह से समाज की धुरी होते हुए भी किसान परेशान हैं, उसी तरह से खेती में बहुत सारा काम करने के बाद भी महिलाओं को किसान का दर्जा नहीं हासिल है. इस से किसानों को ले कर चलने वाली योजनाओं का लाभ लेने के लिए महिलाओं को बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता है. कई बार देखा गया कि खेती का काम महिलाएं करती हैं, पर उस से जुडे़ फैसले पुरुष किसान खुद करते हैं. कई बार घर की महिला को बताए बगैर पुरुष किसान खेती की जमीन बेच तक देते हैं.

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खेती की लागत को घटा कर लाभ को कैसे बढ़ाया जा सकेगा?

जैविक खेती इस का बड़ा माध्यम है. किसानों को रासायनिक खादों और बीजों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए. किसानों को नएनए प्रयोग करने चाहिए. सहफसली खेती अच्छा माध्यम है. खेती के साथ बागबानी, पशुपालन, मछलीपालन और मुरगीपालन भी कमाई के बेहतर साधन हो सकते हैं. एक बात और कि किसानों को केवल दूसरे पर निर्भर नहीं रहना चाहिए. उन्हें खुद की जानकारी बढ़ाने का काम करना चाहिए. अच्छी जानकारी से भी तरक्की होती है. किसानों को सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए खुद पहल करनी चाहिए. सरकारी योजनाएं जनता के पैसों से चलती हैं. इन का लाभ किसानें को लेना ही चाहिए.                      ठ्

डायबिटीज : बीमारी एक खतरे अनेक

मधुमेह से ग्रस्त लोगों को मोटापा हो सकता है और कमरदर्द की शिकायत भी. यह कमरदर्द बैठेबैठे कम होता है पर व्यक्ति जैसे ही चलना शुरू करता है वैसे ही कमर में दर्द तेजी से उभरता है और इस की तीव्रता बढ़ती ही चली जाती है जब तक चलने की प्रक्रिया जारी रहती है. अगर चलना अचानक बंद कर दें तो कमरदर्द कम होना शुरू हो जाता है और फिर कुछ देर बाद गायब हो जाता है. इस तरह के कमरदर्द को ज्यादातर लोग लंबर स्पौंडिलोसिस या सियाटिका का दर्द समझ लेते हैं और हड्डी विशेषज्ञ के पास चले जाते हैं. और तब कमर का ऐक्सरे, एमआरआई व खून में कैल्शियम की मात्रा का निर्धारण आदि जांचों का सिलसिला शुरू हो जाता है.

इलाज के नाम पर कैल्शियम की दवाएं, कुछ व्यायाम और सब से ज्यादा तरहतरह की दर्दनिवारक दवाएं थमा दी जाती हैं. फिर भी अपेक्षित लाभ नहीं मिलता. नतीजतन, हर महीने डाक्टर बदल दिए जाते हैं और इस के बावजूद नतीजा कुछ भी नहीं निकलता.

कमरदर्द या कमर का एंजाइना

एक नौर्मल आदमी या महिला में जब कमरदर्द होता है तो उस के ज्यादातर 2 कारण होते हैं. एक, कमर की पुरानी चोट जो अधिकतर जमीन पर गिर जाने से होती है और दूसरा, मोटापा व पैदल न चलने से होता है. जब किसी की दिनचर्या ऐसी होती है जिस में आदमी को ज्यादातर समय बैठना पड़ता है और चलने व व्यायाम का अभाव होता है तो रीढ़ के तंतु व हड्डियों में सख्ती आ जाती है जिस से उन में लचीलेपन का अभाव हो जाता है. ऐसे लोग जब हरकत में आते हैं तो कमरदर्द की शिकायत करते हैं.

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वहीं, जब एक डायबिटीज का मरीज चलने से कमरदर्द व जांघ में दर्द की शिकायत करता है तो उस का कारण रीढ़ की हड्डी में लचीलापन न हो कर कुछ और हो सकता है. मधुमेह के मरीज में कमरदर्द का ज्यादातर कारण कमर व जांघ को शुद्ध रक्त की होने वाली सप्लाई में स्थायी रूप से कमी होना है. अगर डायबिटीज के मरीज को बैठेबैठे ही कमरदर्द होता है तो इस का सीधा मतलब यह होता है कि शुद्ध रक्त की सप्लाई में भारी कमी आ गई है. रक्त की उपलब्धता में कमी होने की वजह से होने वाले दर्द को मैडिकल भाषा में ‘एंजाइना’ कहते हैं. जैसे दिल की दीवारों की शुद्ध रक्त की सप्लाई में कमी होने से ‘छाती के एंजाइना’ की शिकायत हो जाती है, ठीक उसी तरह से कमर की मांसपेशियां व अंगों को शुद्ध रक्त की पर्याप्त उपलब्धता के अभाव में कमर के एंजाइना या ‘वेस्ट एंजाइना’ की शिकायत हो जाती है.

अगर चैस्ट एंजाइना को ले कर लापरवाही की गई तो ‘हार्ट अटैक’ का खतरा बढ़ जाता है, ठीक उसी तरह कमर के एंजाइना को अगर नकारा गया तो पैरों में गैंगरीन होने का खतरा मंडराने लगता है.

कमर का एंजाइना क्यों

दिल से निकल कर खून की एक मोटी नली नीचे पेट की ओर जाती है, वहां वह पेट के अंदर स्थित अंगों जैसे जिगर व आंतों को शुद्ध रक्त सप्लाई करती है. यही नली नीचे कमर के अंदर पहुंच कर

कमर में स्थित अंगों व मांसपेशियों को शुद्ध रक्त प्रदान करती है. उस के बाद वह 2 अलगअलग नलियों में विभक्त हो कर बाईं व दाहिनी जांघ को चली जाती है. वहां और नीचे जा कर दोनों टांगों व पैर को शुद्ध खून की सप्लाई करती है.

डायबिटीज में दरअसल खून की नलियों की दीवारों में निरंतर चरबी व कैल्शियम जमा होता रहता है, और धीरेधीरे चरबी के जमाव के कारण खून की नली संकरी होने लगती है जिस से शुद्ध रक्त की सप्लाई में गिरावट आने लगती है. अगर दिनचर्या में व्यायाम व अनुशासन का अभाव होता है तो मधुमेह के मरीज में शुगर की मात्रा अनियंत्रित हो जाती है.

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परिणामस्वरूप, खून की नली चरबी के तेजी से जमाव के कारण संकरी हो जाती है. डायबिटीज में खून की नली ज्यादातर कमर में संकरी हो जाती है, ठीक उसी जगह पर जहां दिल से आने वाली नली

2 बड़ी शाखाओं में बंट जाती है. जब पेट में स्थित खून की नली में चरबी व कैल्शियम अत्यधिक मात्रा में जमा हो जाता है तो कमर व जांघ को जाने वाले औक्सीजन युक्त शुद्ध रक्त की मात्रा में भारी कमी हो जाती है और मरीज को चलने पर कमरदर्द यानी कमर का एंजाइना शुरू हो जाता है. इस बीमारी को मैडिकल भाषा में ‘लेरिक सिंड्रोम’ कहते हैं.

कमर के एंजाइना को नजरअंदाज करेंगे यानी इलाज नहीं कराएं तो 2 तरह के नुकसान उठाने पड़ सकते हैं. एक तो सैक्स क्षमता में भारी कमी आ सकती है क्योंकि लिंग की शुद्ध रक्त सप्लाई में बाधा पहुंच सकती है, जिस से लिंग में अपेक्षित सख्ती का अभाव हो सकता है और आप संभोग का आनंद उठाने से वंचित रह सकते हैं.

दूसरा बड़ा नुकसान यह होता है कि धीरेधीरे पैरों को जाने वाले शुद्ध खून की मात्रा गिरती चली जाती है और आखिर में पैरों में भयानक दर्द, कालापन व गैंगरीन की शुरुआत हो जाती है. इसलिए ध्यान रहे कि अगर लगातार लापरवाही बरती गई तो कमरदर्द सैक्स व पैर दोनों को चौपट कर देता है.

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दर्दनिवारक दवाओं से बचें

अकसर लोग कमरदर्द में एक के बाद एक डाक्टर बदलते रहते हैं और उसी के साथ दर्दनिवारक दवाओं की ब्रैंड भी बदलते रहते हैं. कुछ लोग डाक्टर के पास जाना तो दूर, स्वयं ही डाक्टर का रोल अदा करने लगते हैं और मैडिकल स्टोर के काउंटर से तरहतरह की दर्दनिवारक दवाएं खरीदते रहते हैं. जरा सा दर्द महसूस हुआ नहीं, तुरंत दर्द की दवा खा ली और यह सिलसिला सालों चलता रहता है. ऐसा करने से 2 तरह की हानि होती है. एक तो कमरदर्द के सही इलाज के अभाव में मरीज पैर खोने के कगार पर पहुंच जाता है और दूसरे, गुरदों को जबरदस्त नुकसान पहुंचने के कारण, गुरदे के पूरी तरह से फेल हो जाने की संभावना बढ़ जाती है.

आप को शायद ज्ञात न होगा कि अस्पताल में गुरदे की डायलिसिस या ट्रांसप्लांट करवाने वाले डायबिटीज के मरीजों में लगभग 65 प्रतिशत ऐसे लोग होते हैं जिन्होंने कमरदर्द या घुटने के दर्द के लिए काफी सालों तक दर्दनिवारक दवा नियमित रूप से सेवन की हुई होती है.

इस तथ्य से आप को समझ में आ गया होगा कि सारी की सारी दर्दनिवारक दवाएं, गुरदे को स्थायी रूप से नुकसान पहुंचाती हैं, विशेषकर मधुमेह के मरीजों में.

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धूम्रपान से बचें मरीज

डायबिटीज का मरीज कमरदर्द से ग्रस्त है और धूम्रपान या तंबाकू का नियमित सेवन कर रहा है तो यकीन मानिए वह देरसवेर अपनी टांगें खो देगा. सिगरेट व तंबाकू के सेवन से डायबिटीज के मरीज में पहले से अपर्याप्त खून की मात्रा और भी कम हो जाती है और पैर जल्दी काले पड़ जाते हैं जिन्हें अंत में काटना पड़ता है.

धूम्रपान व तंबाकू सेवन का दूसरा सब से बड़ा नुकसान यह है कि अगर धमनी बाईपास सर्जरी या एंजियोप्लास्टी स्टेंटिंग द्वारा इलाज होता भी है तो भी धूम्रपान व तंबाकू सेवन की वजह से सारे प्रयास व्यर्थ हो जाएंगे और कृत्रिम बाईपास नली व स्टेंट पूरी तरह से बंद हो जाएंगे. घूमफिर कर आप वहीं पहुंच जाएंगे जहां से शुरू हुए थे.

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इलाज की विधाएं

एंजियोग्राफी के परिणाम के आधार पर कमर के अंदर खून की नली में कितनी और कहां तक रुकावट है, इस का पता लग जाता है. इस जानकारी के बाद ही इलाज की सही दिशा निर्धारित होती है. ज्यादातर मरीजों में धमनी बाईपास नामक औपरेशन की जरूरत पड़ती है. इस के लिए विदेशों से आयातित कृत्रिम खून की नलियों का इस्तेमाल किया जाता है.

कुछ मरीजों में एंजियोप्लास्टी व स्टेंटिंग का इस्तेमाल किया जाता है, पर इस के लिए उपयुक्त मरीजों का सही चुनाव होना बहुत जरूरी है. कौन सा मरीज, किस इलाज के लिए उपयुक्त है, इस का चुनाव वैस्क्युलर सर्जन करते हैं. इलाज की सफलता में मरीज का नित्य टहलना व कुछ आवश्यक व्यायामों का बड़ा अहम रोल होता है.

हुंडई ग्रैंड आई 10 निओस – जानें इंजन की खासियत

हुंडई ग्रैंड आई 10 निओस के कई पार्ट्स और उसके इंटीरियर के बारे में हम जान चुके हैं लेकिन  आज हम इसके इंजन के बारे में जानेंगे जो किसी भी कार का अहम हिस्सा होता है. निओस का इंजन खास तरह से डिजाईन किया गया है.

हुंडई ग्रैंड आई 10 नियोस  में BS6 टर्बो पेट्रोल इंजन है. साथ ही 81 bhp 1.2 पेट्रोल इंजन के अलावा 5 स्पीड मैनुअल ट्रांसमिशन या 5 स्पीड अटोमेटेड स्पीड ट्रांसमिशन उपलब्ध हैं.  अगर आप चाहे तो अपने अपने कार को सीएनजी भी करवा सकते हैं. सीएनजी कीट भी हुंडई देती है. जिससे आप अपने ग्रैंड आई 10 नियोस को अपने तरीके से इस्तेमाल कर सकते हैं.इस सेगमेंट की निओस पहली कार है जिसके इंजन में इतनी सारी खूबियां हैं. आप जैसे चाहे वैसे अपने कार को ड्राइव करें. कार के इंजन को मजबूती से डिजाईन किया गया है जिससे आपको लंबे समय तक कोई दिक्कत नहीं आएगी. हुंडई ग्रैंड आई 10 निओस  #MakesYouFeelAlive

मुंबई छोड़ पहाड़ों में टाइम बिता रही हैं ‘किन्नर बहू’ रुबीना दिलाइक, शूटिंग करने से किया इंकार

कोरोना महामारी की वजह से हर कोई खुद को सेफ रखना चाहता है. ऐसे में टीवी इंटस्ट्री की मशहूर अदाकारा रुबिना दिलाइक भी अपने गांव पर खूब मस्ती कर रही हैं. रुबिना हर रोज का अपडेट अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर करती रहती हैं. जिससे फैंस के लाइक और कमेंट आते रह रहे हैं.

बता दें अदाकारा रुबिना दिलाइक इन दिनों प्राकृति में समय बीता  यानी पहाड़ पर अपने गांव गई हैं . वह आए दिन नए-नए पोस्ट सोशल मीडिया पर शेयर करती रहती हैं. फैंस को रुबिना के तस्वीर का इंतजार रहता है.

दरअसल रुबिना अफने सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए गांव जानें का फैसला लिया है और इसी वजह से उन्होंने शूटिंग करने से मना भी किया है.

रुबिना अपने गांव में ताजे फल और सब्जी खा रही हैं जिसकी तस्वीर वह अपने सोशल मीडिया के जरिए लोगों तक पहुंचा रही हैं.

 

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And the whole village gathered???

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एक तस्वीर में रुबिना अपने गांव में मूली तोड़ती नजर आ रही हैं. रुबिना की यह तस्वीर लोगों को खूब पसंद आ रही हैं. गांव की हरियाली की तारीफ फैंस खूब कर रहे हैं.

 

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#grateful

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कोरोना वायरस के चलते अभी सारे काम बंद पड़े हैं. ऐसे में रुबिना दिलाइक भी मुंबई शहर से दूर अपने फैमली के साथ क्वालिटी टाइम बिता रही हैं. शायद ही ऐसा टाइम किसी के जीवन में बार- बार आता है जब वह अपने काम में व्यस्त रहने के साथ-साथ अपने फैमली को इतना टाइम देता है.

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गांव के एक तस्वीर में रुबिना मिट्टी कते चूल्हे पर खाना बनाती नजर आ रही हैं. जिसे फैंस खूब पसंद कर रहे हैं. यह तस्वीर लोगों के दिल को छू लेने वाली है.

 

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Mountains enchant my soul❤️

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रुबिना दिलाइक गैंव में जाकर अपनी खूबसूरती को औऱ भी ज्यादा निखार रही है. गांव के शुद्ध वातावरण में रहने का मजा ही कुछ और होता है.

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रुबिना दिलाइक सीरियल छोटी बहू से छोटे पर्दे पर सभी के दिल के जगह में बना ली थी. इसके बाद भी वह कई मशहूर सीरियल में नजर आई जहां लोगों ने इन्हें खूब पसंद किया है.

कसौटी जिंदगी 2′: क्या सच में अनुराग को बर्बाद करने के लिए लौटी है प्रेरणा? देखें Promo

लॉकडाउन के बाद सीरियल कसौटी जिंदगी 2 में एक नयामोड़ देखने को मिल रहा. फैंस को कसौटी में कुछ नया देखने का इंतजार लंबे समय से था लेकिन बीच में लॉकडाउन की वजह से शूटिंग रोक दी गई थीं.

दरअसल, प्रेरणा सालों बाद घर कोलकता से वापस लौटी है ताकी वह मिस्टर बजाज के साथ मिलकर अनुराग बासु को बर्बाद कर सके.

मेकर्स ने शो का नया प्रोमो रिलीज कर दिया है. जिसमें प्रेरणा का एक नया अवतार देखने को मिल रहा है. प्रेरणा इस प्रोमो में कसम खाती हुई नजर आ रही है कि भले ही मुझे अनुराग को बर्बाद करने में आंसू गिराने पड़े लेकिन मैं से बर्बाद जरूर करुंगी.

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वहीं अनुराग को इस बात का गम नहीं है कि  मैं बर्बाद हो रहा हूं उसे इस बात की खुशी है कि मुझे बर्बाद करने वाली और कोई नहीं प्रेरणा हैं. प्रेरणा मुझे बर्बाद करेगी इस बात से मुझे तकलीफ नहीं होगा.

इस बात से कमोनिका को बहुत बड़ा झटका लगने वाला है. कमोनिका समझ नहीं पा रही है कि यह सब क्या हो रहा है. सबकुछ उसके दिमाग से बाहर है.

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वहीं अनुराग बासु हर कदम पर प्रेरणा का साथ देते नजर आ रहे हैं. बीते कुछ दिनों से कसौटी जिंदगी की शीटिंग रोक दी गई थी अनुराग बासु का किरदार निभाने वाले पार्थ समाथन को कोरोना पॉजिटीव हो गया था. जिसके बाद पार्थ कुछ दिन तक होम कोरेंटाइन थें.

जहां कसौटी जिंदगी की शूटिंग होती थी वहीं पर नागिन और कुमकुम भाग्य की भी शूटिंग होती थीं. जिस वजह से सबका ध्यान रखते हुए इस शूटिंग को रोक दी गई थी.

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फिलहाल सबकुछ सामान्य है सीरियल्स की शूटिंग भी शुरू हो गई लोग लगातार नए-नए ट्विस्ट का इंतजार कर रहे हैं. करण सिंह ग्रोवर के बाद अब सीरियल में करण पटेल मिस्टर बजाज का रोल अदा कर रहे हैं.

फार्म एन फूड में लेखन के लिए बृहस्पति कुमार पांडेय को मिला कृषि का सबसे बड़ा सम्मान

देश के सब से बड़े प्रकाशन समूह दिल्ली प्रैस की पत्रिका ‘फार्म एन फूड’ में लेखक कृषि पत्रकार बृहस्पति कुमार पांडेय को भारत सरकार के भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली द्वारा द्वारा प्रिंट मीडिया हिंदी की श्रेणी में दिए जाने वाले कृषि अनुसंधान और विकास में उत्‍कृष्‍ट पत्रकारिता के लिए ‘चौधरी चरण सिंह पुरस्‍कार 2019’ से सम्मानित किया गया है. इस की घोषणा कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर व पुरषोत्तम रुपाला और कैलाश चौधरी, कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री द्वारा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के 92वें स्थापना दिवस और पुरस्कार समारोह के मौके पर वीडियो कौंफ्रैंसिंग के जरीए दी गई, जिस के तहत बृहस्पति कुमार पांडेय को एक लाख रुपए की राशि के और एक प्रशस्तिपत्र प्रदान किया गया.

बृहस्पति कुमार पांडेय का चयन ‘फार्म एन फूड’ पत्रिका में लिखे गए उन के लेखों व सफलता की कहानियों के आधार पर प्रदान किया गया. इस पुरस्कार के आवेदन के लिए उन के नाम की संस्तुति दिल्ली प्रैस समूह के संपादक परेश नाथ द्वारा की गई थी.

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भारत सरकार के भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली द्वारा द्वारा प्रिंट मीडिया हिंदी की श्रेणी में दिए जाने वाले कृषि अनुसंधान और विकास में उत्‍कृष्‍ट पत्रकारिता के लिए ‘चौधरी चरण सिंह पुरस्‍कार 2019’ के लिए प्राप्त आवेदन के क्रम में आवेदनों के मूल्यांकन के आधार पर ‘फार्म एन फूड के पत्रकार बृहस्पति कुमार पांडेय को सर्वश्रेष्ठ पाया जिस के आधार पर उन का चयन इस पुरस्कार के लिए किया गया.

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चयन मंडल ने ‘फार्म एन फूड’ के पत्रकार बृहस्पति कुमार पांडेय द्वारा पिछले 3 वर्षों में लिखे गए कृषि संबंधी लेखों से किसानों के जीवन में आ रहे बदलाव, कृषि में तकनीकी ज्ञान की जानकारी व कृषकों द्वारा अपनाए जा रहे उन्नत खेतीकिसानी के लेखों के आधार पर चयन किया. यह पुरस्कार हिंदी प्रिंट माध्यम में भारत के कृषि पत्रपत्रिकाओं से जुड़े किसी एक पत्रकार को दिया जाता है.

कौन है बृहस्पति कुमार पांडेय

बृहस्पति कुमार पांडेय ने साल 2007 में दिल्ली प्रेस की युवाओं के लिए प्रकाशित होने वाली पत्रिका ‘मुक्ता’ से जुड़ कर ‘दिल्ली विश्वविद्यालय युवा प्रतिनिधि’ के रूप में अपने लेखन की शुरुआत की थी. इस के बाद वे नियमित रूप से दिल्ली प्रैस की पत्रिकाओं में अपना लेखन जारी रखे हुए हैं. उन्होंने पिछले 13 वर्षों में दिल्ली प्रैस में ‘फार्म एन फूड, के अलावा ‘सरस सलिल’, ‘सरिता’, ‘मुक्ता’, ‘गृहशोभा’, ‘सत्यकथा’, ‘मनोहर कहानियां’ के लिए सैकड़ों लेख लिखे हैं.

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वे ‘फार्म एन फूड’ में नियमित तौर पर खेतीकिसानी में उन्नत तकनीकी के जरीए अपनी माली हालत में सुधार लाने वाले किसानों तक पहुंच कर उन की सफलता की कहानियों को लोगों के सामने लाते रहे हैं. ‘फार्म एन फूड’ में लिखे उन के इन लेखों को पढ़ कर अन्य किसानों ने भी बताई गई उन्नत तकनीकी को अपना कर अपनी माली हालत सुधारने में सफलता पाई है. इस के अलावा वे नियमित तौर पर खेती, बागबानी, मत्स्य पालन. डेरी, पशुपालन, मुरगीपालन, फूड प्रोसैसिंग सहित खेती से जुड़े तमाम मुद्दों को बेहद ही सरल भाषा में किसानों के लिए लिखने का काम करते रहे हैं.

डॉ संजीव कुमार वर्मा ने कही ये बात-

मेरे प्यारे किसान भाइयों और बहनों, फार्म एन फ़ूड पत्रिका, जो कि प्रतिष्ठित दिल्ली प्रेस समूह की पत्रिका है, के ताजा तरीन अंक को आप सभी तक पहुंचाते हुए मुझे आप सभी को यह भी बताना है कि कल ही इस पत्रिका से जुड़े एक कृषि पत्रकार श्री पांडे जी को आईसीएआर का एक लाख रुपये का प्रतिष्ठित चौधरी चरण सिंह पुरस्कार भी प्राप्त हुआ है. हमें आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि आप इस पत्रिका में मौजूद हमारे संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा लिखे आलेखों के साथ साथ अन्य आलेखों से भी अवश्य लाभान्वित होते होंगे. (प्रधान वैज्ञानिक ( पशु पोषण) भा.कृ. अनु. प. , केंद्रीय गौवंश अनुसंधान संस्थान, मेरठ. उ.प्र.)

बताते चलें कि देश के सब से बड़े प्रकाशन समूह दिल्ली प्रैस ने कृषि पत्रिका ‘फार्म एन फूड’ की शुरुआत साल 2008 में की थी, जिस का उद्देश्य भारतीय किसानों को लेखों के जरीए खेतीकिसानी में बदलाव के अवसर उपलब्ध कराना, उन की माली आमदनी में इजाफा करना व उन्हें कृषि से जुड़े उन्नत ज्ञान की जानकारी देना रहा है. यह पत्रिका अपने उद्देश्यों में पूरी तरह सफल रही है, इसलिए वर्तमान में यह भारतीय किसानों की सब से प्रिय पत्रिका बनी हुई है.

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