Download App

कारवां – भाग 4 : सौंदर्या को भाई बहन से किस बात के ताने मिलते थें?

‘‘गुरुजी की बात सुन कर मैं बैठ गई.

‘‘गुरुजी बोले, ‘साध्वीजी, आश्रम में दुखियारी स्त्रियों के लिए जो भवन बनने वाला था, उस के बारे में तो आप को बताया था.’

‘‘‘देखो, आप के कदम हमारे आश्रम के लिए कितने लाभकारी हैं. ये

2 परोपकारी मनुष्य सहयोग करने को तैयार हैं.’

‘‘‘अरे वाह, गुरुदेव,’ मैं ने खुशी जाहिर की.

‘‘‘अब, आप लोग आपस में बात कर लो. क्योंकि इस प्रोजैक्ट की पूरी जिम्मेदारी मैं आप को देना चाहता हूं, साध्वीजी,’ गुरुजी ने गेंद मेरे पाले में डाल दी.

‘‘‘क्या बात कह रहे हैं आप गुरुजी? मुझ में कहां इतनी काबिलीयत है?’ मैं ने दिल की सचाई को बयान कर दिया.

‘‘‘आप तो कमाल की हैं. हम से पूछिए अपनी काबिलीयत दूसरा आदमी बोला.’

‘‘‘आप चुप रहें, लालजी, हम बात कर रहे हैं न,’ गुरुजी ने उसे चुप कराया.

‘‘‘साध्वी सौंदर्या, यह तो एक शुरुआत है. बहुत जल्द पूरे आश्रम की जिम्मेदारी मैं आप को देना चाहता हूं.’

‘‘मैं तो भावविभोर हो गई, ‘गुरुजी, शब्द नहीं हैं मेरे पास आप का आभार व्यक्त करने के लिए, मेरे जीवन को एक दिशा देने के लिए.’

‘‘‘परंतु उस के लिए आप को…’ उन दो में से एक व्यक्ति बोला तो गुरुजी ने ‘चुप रह रामदास’ कह कर उसे चुप करा दिया, फिर मेरी तरफ मुखातिब हुए, ‘साध्वीजी को पता है सामाजिक उत्थान के लिए यदि थोड़ा व्यक्तिगत नुकसान भी उठाना पड़े तो उस में कोई बुराई नहीं है.’

‘‘‘जी, मैं मेहनत करने से कभी पीछे नहीं हटती.’ मैं उत्साहित हो गई थी.

‘‘‘अरेअरे, आप को मेहनत कौन करने देगा? मेहनत तो हम कर लेंगे. आप तो बस…’ एक व्यक्ति बोला तो गुरुजी ने कहा, ‘चुप रह भगत, मैं बात कर रहा हूं न.’

‘‘मेरे अंदर संशय का नाग फन उठा चुका था, परंतु मेरी अंधश्रद्घा ने उसे कुचल दिया.

‘‘‘आप को कुछ नहीं करना, साध्वीजी. बस, जगत कल्याण का कार्य करना है,’ गुरुजी के शब्द थे.

‘‘‘जी,’ मैं ने धीरे से कहा, तो फिर उन्होंने इशारा किया, ‘आप को तो पता ही है, पुराने समय में देवदासी होती थीं. वे होती तो भगवान की ब्याहता थीं, परंतु जगतकल्याण के लिए ईश्वर के सभी भक्तों को सुख प्रदान करती थीं.’

‘‘‘जी, क्या?’ मैं कांप गई थी.

‘‘‘जी, बस, वही सुख आप को मुझे तथा परमपिता के भक्तों को प्रदान करना है.’

‘‘‘आप पागल हो गए हो क्या?’ क्रोधित हो कर मैं बोली.

‘‘गुरुजी थोड़ा नाराजगी के साथ बोले, ‘आप शब्दों का चुनाव सोचसमझ कर करें तो सही रहेगा. और वैसे भी, दुखीजनों के कल्याण से पुण्य ही मिलेगा. और आप की भी दबी हुई कामनाओं को…आखिर उम्र ही क्या है आप की?’

‘‘‘केवल 38 साल’ एक भक्त बोला.

‘‘‘गुरुजी, नहीं…नहीं,’ मैं सिसकते हुए बोली.

‘‘भक्त जब अपने भगवान का घिनौना रूप देख ले तो उस के जीने की रहीसही इच्छा भी दम तोड़ देती है. कई बार छली गई थी मैं, परंतु आज मैं टूट गई थी. मेरे आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे. रोती हुई मैं आगे बोली, ‘मैं तो आप की पूजा करती थी, गुरुजी.’

‘‘‘मेरा प्रेम तो आप के साथ रहेगा ही, उस प्रेम को भी तो पूर्णरूप देना अभी बाकी है.’

‘‘आप जाइए, सोच लीजिए. आप के पास 2 दिनों का समय है,’ गुरुजी के शब्द थे.

‘‘मुझे कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था. भाग कर जाती भी तो कहां, कोई दरवाजा मेरे लिए नहीं खुला था. किसी को मेरा इंतजार नहीं था. उस समय ही मैं ने आत्महत्या के विकल्प के बारे में सोचा. जहर खरीदने के लिए पैसे नहीं थे. नस काटने के लिए चाकू लाना होगा. साड़ी से फंदा लगा कर मरना ही मुझे सही लग रहा था. साड़ी तो मैं ने पहनी हुई थी, बस, उस का फंदा लगाना था. चादर का भी इस्तेमाल कर सकती थी. फंदा लगाने के लिए मैं ऊपर कील ढूंढ़ने लगी थी. परंतु तभी एक आवाज ने मेरे विचारों की शृंखला को तोड़ दिया.

‘‘‘कोई कील नहीं है इस कमरे में, पंखा भी नहीं है.’

‘‘मेरे सामने एक 15-16 साल की सुंदर लड़की थी. ऐसा लगा जैसे रजनी खड़ी हो. मां का दिल ऐसा ही होता है, चाह कर भी अपनी संतान से नफरत नहीं कर पाती. मैं ने उस से पूछा, ‘तुम, तुम्हें कैसे पता…?’

‘‘‘शुरुआत में सभी ऐसा करने की सोचते हैं. देखती नहीं, कमरे में एसी लगा हुआ है, पंखा नहीं है. बहुत जल्द कैमरा भी लग जाएगा. वैसे, कैमरा नहीं है तो क्या? नम्रता मैडम की आंखें उस से कम हैं क्या?’ वह लड़की बोली तो मैं ने कहा, ‘बेटा, तुम यहां कब…’ मेरा वाक्य खत्म होने से पहले वह बोल पड़ी,‘चुप कर, खबरदार, जो मुझे बेटा कहा. इस शब्द से छली गई हूं मैं. तू राधा मैडम बोलेगी मुझे, समझी.’

‘‘‘क्या?’ मैं हैरान रह गई.

‘‘मुझे डांटती हुई सी वह आगे बोली, ‘सीनियर की रिस्पैक्ट करना नहीं सीखा क्या? उम्र में भले ही तू मुझ से बड़ी होगी, पर इस लाइन में मैं तेरी सीनियर हूं. पढ़ीलिखी नहीं है क्या तू? सीनियर का मतलब तो पता होगा?’

‘‘ऐसे समय में भी अपनी हंसी नहीं रोक पाई थी मैं. ‘आप काफी पढ़ीलिखी लगती हैं, राधा मैडम?’ अपनी हंसी दबाते हुए मैं ने उस से पूछा था.

‘‘‘किताब नहीं मैडम, मैं ने जिंदगी पढ़ी है. तुम्हें भी तैयार कर दूंगी,’ वह बोली.

‘‘‘यहां, यह सब. मेरा मतलब है…’ मेरी बात पूरी होने से पहले ही वह बोली, ‘यहां जितनी साध्वियां दिख रहीं, वे सब…’ उस ने अपनी बात जारी रखी, ‘तेरे साथ एक नई लड़की भी आई है. नम्रता दीदी उसे ले कर आती होंगी. देखा तो है उसे तूने. क्या नाम है उस का? हां, गुडि़या, यही है उस का नाम.’

‘‘‘पर वह तो बहुत छोटी है,’ मैं ने चिंता प्रकट की.

‘‘‘छोटी, इस काम में क्या छोटी, क्या बड़ी? अब खुद को ही देख लें,’  राधा बोली थी.

‘‘‘सिर्फ 7 साल की है वह,’ मैं ने कहा था.

‘‘‘मैं 10 साल की थी जब इस लाइन में आई थी,’ राधा के शब्द थे.

‘‘सचमुच, उम्र में बड़ी होते हुए भी मैं उस के सामने कितनी छोटी थी, मैं सोच रही थी.

‘‘‘देख, तेरा नाम क्या है?’ राधा ने पूछा तो मैं ने कहा, सौंदर्या.

‘‘‘अरे वाह, मांबाप ने नाम बड़ा चुन कर रखा,’ राधा ने अपनी सोच प्रकट की.

‘‘मैं कुछ न बोली.’’

‘‘‘देखो, ऐसा है, कुछ लोगों को तेरी जैसी अनुभवी औरतें पसंद आती हैं तो कुछ को हमारे जैसी. वहीं, कुछ लोगों को गुडि़या की उम्र की लड़कियां चाहिए होती हैं. डिमांड और सप्लाई का खेल है.’ उस ने बताया.

‘‘‘ढोंगी हैं ये सारे?’ मैं ने घृणा भरे लहजे में कहा.

‘‘‘सही कहा. चल सो जा, वरना नम्रता दीदी आ जाएंगी,’ राधा बोली थी.

‘‘‘वे कौन हैं?’ मैं ने जानना चाहा.

‘‘‘इन सब से भी बढ़ कर,’ राधा ने कह कर ठहाका लगाया.’

‘‘राधा चली गई थी. वह मेरी बगल में सो रही थी. पता नहीं, कब मेरे आंसू बहने लगे. क्या हुआ मौसी? कहीं चोट लगी है? दर्द हो रहा है?’

‘‘अब क्या बताऊं उस मासूम को? कैसे दिखाऊं उसे अपनी चोट? खुद ही रिश्ता जोड़ लिया था उस ने. मौसी, …मां सी… मेरा अपना बचपन कौंध गया था मेरे सामने. ‘नहीं, गुडि़या को मैं एक और सौंदर्या या राधा नहीं बनने दूंगी.’ मेरे लक्ष्यविहीन जीवन को एक लक्ष्य मिल गया था.

‘‘अपने अंदर आए इस बदलाव से मैं खुद ही आश्चर्यचकित थी. अगले दिन मैं खुद उस पाखंडी के पास गई थी.

‘‘‘जयजय गुरुजी.’

‘‘‘साध्वी सौंदर्या, आइए,आइए. जयजय.’

‘तो क्या सोचा आप ने?’

‘‘‘कुछ सोचने लायक कहां छोड़ा आप ने?’

‘‘जी?’

‘‘‘गुरुजी, आज तक मैं अपने सौंदर्य को अपना शत्रु मानती थी. परंतु आप की कृपा से मैं यह जान पाई हूं कि इस का इस्तेमाल कर के मैं कितना कुछ प्राप्त कर सकती हूं. इसी की माया है कि आप जैसा पुरुष भी मेरा दास बनने को तैयार है. कहिए गुरुजी, कुछ गलत कहा मैं ने.’

‘‘‘बिलकुल भी नहीं.’

‘‘‘मैं इस कार्य के लिए सहमत हूं, परंतु आप से एक विनती है?’

‘‘‘तुम तो हुक्म करो.’

‘‘‘मुझे आप अभी अपनी सेवा में ही रहने दें.’

‘‘‘देखो, वैसे तो भगत तुम्हें बहुत पसंद करता है परंतु…अच्छा, परसों समागम का आयोजन किया गया है. उस के बाद बात करते हैं.’

‘‘‘ठीक है.’

‘‘उस ढोंगी से अनुमति मिल चुकी थी. अब मुझे सिर्फ एक काम करना था, वह भी उस के चाटुकारों की फौज से छिप कर. इस काम में मेरी मदद की सुषमा ने. सुषमा एक इलैक्ट्रौनिक इंजीनियर थी. अंधविश्वास और अंधश्रद्घा एक मनुष्य का कितना पतन कर सकती है, इस का वह जीताजागता उदाहरण थी. एक बड़ी कंपनी में काम करने वाली सुषमा आज इस कामी के पिंजरे में बंद थी.

‘‘समागम का जम कर प्रचार हुआ था. वैसे भी इस देश में धर्र्म के नाम पर तो पैसे लुटाने के लिए लोग तत्पर रहते ही हैं. परंतु एक गरीब को उस के हक का पैसा भी देने में लोग सौ तरह के बहाने करते हैं. पंक्तियों के हिसाब से बैठने का रेट निर्धारित था. प्रथम पंक्ति वीआईपी लोगों की थी. जिस देश में भगवान के दर्शन में भी मुद्रा की माया चलती है, उस देश में भगवान के इन तथाकथित मैनेजरों के दर्शन आप मुफ्त में कैसे पा सकते हैं. ईश्वर से संवाद तो आखिर यही बेचारे करते हैं.

‘‘प्रथम पंक्ति में कुछ खास लोगों तथा पत्रकारों को मुफ्त पास दिए गए थे. बाकी जो लोग उस पंक्ति में बैठना चाहते थे उन्हें 15 हजार रुपए देने पड़े थे. इसी प्रकार हर पंक्ति का अपना रेट फिक्स था. जो बेचारे मूल्य चुका नहीं सकते थे, परंतु गुरुजी को सुनने का लोभ संवरण नहीं कर पा रहे थे, वे आसपास के पेड़ों पर टंगे हुए थे.

‘‘नियत समय पर लोगों का आना शुरू हो गया. सुधाकर और नम्रता उन लोगों को समझा रहे थे जिन्हें गुरुजी भीड़ में से बीचबीच में उठाने वाले थे. उन्हें बस यही कहना था कि गुरुजी के उन के जीवन में आने से उन की जिंदगी में कितना सुधार हुआ है. किसी को नौकरी मिल गई थी, किसी के बच्चे की बीमारी ठीक हो गई थी. आखिर प्रोडक्ट का प्रचार भी तो करना होता है.

‘‘गुरुजी का समागम में आने का समय 12 बजे का था, उस के पहले उन्होंने राधा को बुलाया था. वह ढोंगी एक टोटके को मानता था. उस का मानना था कि समागम  के पहले अगर वह किसी लड़की के साथ संबंध बनाएगा तो उस का वह आयोजन काफी सफल होगा.

‘‘‘गुरुजी’ राधा पहुंच गई थी.

‘‘‘आ गई. चल, कपड़े उतार और लेट जा. क्या हुआ, खड़ी क्यों है,’ गुरुजी बोले.

‘‘‘गुरुजी वह…मेरी तबीयत ठीक नहीं है. मेरा महीना…’ राधा बनावटीपन में कह रही थी.

‘‘‘क्या आज पहली बार कर रहा हूं, चल.’’

‘‘दर्द हो…’’

‘‘नाटक कर रही है. उतार साड़ी…’

‘‘‘नहीं उतारूंगी,’ राधा अब दहाड़ी थी.’

‘‘‘तेरी इतनी हिम्मत, भूल गई, पहली बार तेरा क्या हाल किया था. 10 दिनों तक उठ नहीं पाई थी.’

‘‘‘याद है भेडि़ए, सब याद है. पर अब तेरा खेल खत्म. अब किसी और लड़की को तू छू भी नहीं पाएगा?’

‘‘राधा ने यह कहा तो गुरुजी के भेष में वह घिनौना अपराधी जवाब में बोला, ‘‘‘अच्छा, कैसे भला, कौन बचाएगा उन्हें?’

‘‘‘मैं, दरवाजे पर मुझे देख कर वह ढोंगी चौंक गया.’

‘‘‘तू, वह मक्कारी का ठहाका लगा रहा था.’’

‘‘‘हां, मैं और ये सब लोग…’

‘‘उस कमीने और चाटुकारों की उस की फौज को पता ही नहीं चला था. एक रात पहले सुषमा ने समागम के लिए आए कैमरों में से 2 कैमरे गुरुजी के कमरे में लगा दिए थे. और अंदर का सारा नाटक, बाहर बैठे उस के भक्तगण देख चुके थे. और फिर उस भीड़ ने वही किया जिस की उम्मीद थी.

‘‘गुरुजी के प्राणपखेरु भीड़ की पिटाई से उड़ गए थे. सभी चाटुकारों तथा गुरुजी के सभी ग्राहकों के खिलाफ आश्रम की हर स्त्री ने गवाही दी थी.

‘‘जिंदगी ने मुझे सिखा दिया है, मेरी सुंदरता कभी भी मेरी दुश्मन नहीं थी. अगर कोई मुझे गलत नजर से देखता था, तो दोष उस की नजर का था. खुद से प्रेम करना हम सभी सीख गए हैं.

‘‘अब हम से कोई भी साध्वी नहीं है. सब अपनी इच्छानुसार चुने हुए क्षेत्रों में कार्यरत हैं. हमारा कोई आश्रम नहीं है. एक कारवां है हम सब पथिकों का जो एक ही राह के राही हैं. मेरी इस पुस्तक में इन सभी पथिकों के संघर्ष की कहानियां हैं.

‘‘मेरा और मेरी सखियों का सफर अभी समाप्त नहीं हुआ है, न कभी होगा. कई नए साथी आएंगे, कई पुराने हंसते हुए हम से विदा हो जाएंगे परंतु यह कारवां बढ़ता ही जाएगा, चलता ही जाएगा.

‘‘अपनी और अपने कारवां की सखियों की सभी कहानियों का निचोड़ इन पंक्तियों द्वारा व्यक्त कर रही हूं-

‘‘चले थे इस पथ पर खुशियों को खोजते

मगर इस तलाश में खुद को ही खो दिया

स्वयं को खो कर, ढूंढ़ना था मुश्किल

चल पड़े हैं यारो, शायद रस्ते में मिल जाएं.’?’

 

 

कारवां – भाग 3 : सौंदर्या को भाई बहन से किस बात के ताने मिलते थें?

‘‘‘चलचल, बाकी बात कल कर लेंगे. पत्नी है न, तो पत्नी का फर्ज पूरा कर.’

‘‘मेरे सारे स्वप्न सुहाग सेज पर जल कर राख हो गए. मेरा कहीं भी अकेले आनाजाना बंद था, फोन उठाना भी मना था. औफिस की पार्टियों में भी वे अकेले ही जाते. मेरा मेकअप करना भी अजय को पसंद नहीं था. कपड़े भी मुझे उन से पूछ कर पहनने पड़ते थे. एक बार दुकान में उन के एक सहकर्मी मिल गए थे.

‘‘‘अरे अजय, क्या हाल हैं, अच्छा, भाभीजी भी साथ हैं, नमस्ते, भाभीजी.’

‘‘‘जी नमस्ते,’ मैं ने नमस्ते का जवाब दिया.

‘‘‘आज पता चला, भाभीजी, अजय आप को छिपा कर क्यों रखता है. कई बार कहा मिलाओ भाभी से. पर यह तो…’

‘‘‘अच्छा भाई रमेश, कल औफिस में मिलते हैं, आज थोड़ा जल्दी है,’ कहते हुए पति ने अपने साथी से पीछा छुड़ाया.

‘‘फिर घर आ कर अजय ने मुझ पर पहली बार हाथ उठाया था. परंतु वह आखिरी बार नहीं था. उस के बाद तो यह उन की आदत में शुमार हो गया. अब सोचती हूं तो लगता है कि मुझे मार कर, मेरे चेहरे पर निशान बना कर अजय अपने अहं को संतुष्ट करते थे. अजय का साधारण नैननक्श का होना मेरे लिए कोई बड़ी बात नहीं थी. परंतु उन्हें कौन समझाता?

‘‘जब मेरे दोनों बच्चों नमन और रजनी का जन्म हुआ, मेरी जिंदगी बदल सी गई. मुझे लगा ये दोनों मेरा दर्द समझेंगे. परंतु जैसेजैसे बच्चे बड़े होते गए, उन का व्यवहार मेरे प्रति बदलता चला गया. उन्होंने अपने पिता का रूपरंग ही नहीं उन की सोच तथा उन का व्यवहार भी ले लिया था. दोनों की जिंदगी में दखल सिर्फ उन के पिता का था. रजनी और नमन के 15वें जन्मदिन पर तो कुछ ऐसा हुआ जिस ने मुझे मानसिक रूप से तोड़ दिया.

‘‘नमन तो अपना जन्मदिन किसी होटल में मनाने चला गया था परंतु रजनी का प्लान कुछ और था. उस दिन रजनी की कुछ सहेलियां घर आई थीं. उन सब को मेरा बनाया खाना बड़ा पसंद आया था. एक सहेली बोल पड़ी,‘रजनी, आंटी तो ग्रेट हैं. जितनी सुंदर हैं, खाना तो उस से भी स्वादिष्ठ बनाती हैं. लगता ही नहीं, इन के इतने बड़े बच्चे होंगे और तू तो आंटी की बेटी लगती ही नहीं.’

‘‘‘ऐसा नहीं है बेटा, सुमन,’ मैं ने कहा था.

‘‘‘मम्मी, आप अंदर जाइए,’ रजनी ने मुझे निर्देश दिया.

‘‘बाद में  क्या होने वाला था, उस का कुछकुछ एहसास मुझे हो गया था. अपने पापा और भाई के आने पर रजनी ने कुहराम मचा दिया था.

‘‘‘पापा, इन से कह दीजिए, अपनी सुंदरता की नुमाइश करने के लिए कोई और जगह ढूंढ़ लें. हमेशा मुझे नीचा दिखाने के तरीके ढूंढ़ती रहती हैं.’

‘‘‘रजनी, मां हूं मैं तुम्हारी,’ मैं बोली थी.

‘‘‘तो मां बन कर रहो, अक्ल तो ढेले बराबर कि नहीं है. मेरे बच्चों की जिंदगी से दूर रहो समझी या दूसरी तरह समझाऊं?’ इतना कह कर पति अजय बेटी रजनी को ले कर उस के कमरे में चले गए.

‘‘बेटा नमन जो अब तक चुपचाप सब तमाशा देख रहा था, मेरे पास आया और बोला, ‘चुपचाप रह नहीं सकतीं, पिटने की आदत हो गई है क्या?’

‘‘अजय के रोजरोज के अपमान ने मेरे बच्चों को भी मुझे अपमानित करने का हक दे दिया था. हर पल मैं यही सोचती कि काश, ऐसा हो कि मेरी सुंदरता नष्ट हो जाए. मैं ने अपनेआप को अपने अंदर ही कैद कर लिया था. मानसिक व्यथा को दूर करने के लिए मैं ने अपनेआप को दूसरे कामों में लगा लिया. इसी दौरान मेरी मुलाकात स्वामीजी से हुई.

‘‘जीवन में पहली बार मैं ने इतनी बात किसी से की थी. हमेशा श्रोता रही थी मैं. अपनी पड़ोसिन गीता के घर में उन से पहली बार मेरी मुलाकात हुई थी. उस के बाद तो मैं गुरुजी की परमभक्त हो गई. दर्द से भरे हुए मेरे हृदयरूपी रेगिस्तान

में गुरुजी ठंडी फुहार के रूप में बरसने लगे थे. लगातार उन के आश्रम में मेरा आनाजाना होने लगा. धीरेधीरे मुझे यकीन होने लगा था कि मेरा जन्म ही गुरुजी की सेवा के लिए हुआ है.

‘‘मैं ने संन्यास लेने का निर्णय ले लिया. अजय गुस्से से पागल हो गए थे. बच्चे मजाक बना रहे थे. अपनेअपने तरीके से सब ने समझाने की कोशिश की, परंतु मैं रुकती भी तो किस के लिए, अजय और बच्चों के जीवन में तो मेरा अस्तित्व घर में रखे हुए फर्नीचर से ज्यादा कभी रहा नहीं था. गुरुजी में ही मुझे अपना वर्तमान तथा भविष्य दोनों नजर आ रहे थे.

‘‘आरंभ में सबकुछ अच्छा लग रहा था. लगभग एक महीने के बाद एक रात गुरुजी ने कुछ व्यक्तिगत मसलों पर चर्चा करने के लिए मुझे बुलाया था.

उस रात का मेरे इस जीवन पर सब से ज्यादा प्रभाव पड़ा था, सबकुछ बदल

गया था.

‘‘वहां जब मैं पहुंची, 2 सज्जन पहले से मौजूद थे. शायद गुरुजी के भक्त होंगे, सोच कर मैं अंदर आ गई थी. परंतु उन की नजरों में छिपी हुई भावना को मैं चाह कर भी नजरअंदाज नहीं कर पाई. इस नजर से मेरा सामना कई बार मेरे जीवन में हुआ था.

‘‘‘जैसा कि आप ने कहा था गुरुदेव, साध्वीजी तो उस से भी ज्यादा…’ उन में से एक बोला.

‘‘‘साध्वी सौंदर्या, क्या हुआ? डरें नहीं, अपने ही लोग हैं,’ गुरुजी ने प्यार से कहा.

‘‘जहां सब से ज्यादा विश्वास होता है, विश्वासघात भी वहीं होता है. विश्वास करना सही है, परंतु अंधविश्वास पतन की ओर ले जाता है.

कारवां – भाग 2 : सौंदर्या को भाई बहन से किस बात के ताने मिलते थें?

‘‘‘अच्छा, तभी इस का रूप और निखर आया है’ मौसी ने अपनी सोच जाहिर की थी.

‘‘‘उसी का तो रोना है. बड़ी की दिखाई में बंद कर के रखा था इसे,’ मां बोली थीं.

‘‘‘जीजी, शादी के दिन क्या करोगी? मर्द जात है, शादी के दिन मना कर दिया तो क्या करोगी? मेरी बात मानो, शादी तक इसे कहीं भेज दो,’ मौसी ने कहा तो मैं बोल पड़ी थी, ‘मैं कहीं नहीं जाऊंगी. मैं सुंदर हूं इस में मेरा क्या गलती है?’

‘‘‘नहीं, हमारी है? चुप कर. बात तो सही है. मेरा बस चले तो इस का चेहरा गरम राख से जला दूं,’ मां ने कहा तो मैं बोली, ‘तो जला क्यों नहीं देतीं. मैं भी हमेशा की…’

‘‘फिर मां ने मेरा मुंह हमेशा की तरह थप्पड़ से बंद कर दिया. निरपराध रोतीबिलखती मुझे नानी के घर भेज दिया गया. विवाह में बनने वाले पकवान, नए कपड़ों का लोभ मैं विस्मरण नहीं कर पा रही थी. परंतु वहां मेरी कौन सुनने वाला था?

‘‘जब मैं दीदी की शादी के बाद घर आई, सारे मेहमान जा चुके थे. दीदी अपने पगफेरों के लिए घर आई हुई थीं. मैं ने पहली बार उस आदमी को देखा जिस से छिपाने के लिए मुझे सजा दी गई थी. मेरे जीजाजी की नजर जब एक बार मुझ पर पड़ी, फिर वह हटी ही नहीं. आंखों ही आंखों में वे मुझे जैसे उलाहना दे रहे थे कि कहां थी अब तक…

‘‘‘कौन है यह, आभा?’ वह पूछ तो दीदी से रहे थे परंतु उन की नजर मुझ पर ही थी.

‘‘‘मैं, आप की इकलौती साली, जीजाजी,’ मैं ने कहा तो वे बोले ‘कहां थी अब तक?’

‘‘‘आप से बचाने के लिए मुझे यहां से दूर भेजा गया था. आप क्या इतने बुरे हो? लगते तो नहीं हो,’ मैं ने कह दिया.

‘‘‘कुछ अज्ञानता और कुछ नाराजगी में मैं और न जाने क्याक्या बोल जाती, अगर दीदी मुझे वहां से खींच कर मां के पास न ले जातीं.’

‘‘‘मां, इस छोटी को संभाल लो वरना अपनी बड़ी बहन की सौतन बनने में देर न लगाएगी,’ दीदी ने शंका जाहिर की.

‘‘‘यह सौतन क्या होता है?’ मैं ने जिज्ञासावश कहा था.

‘‘‘क्या हो गया?’ मां बोली थीं.

‘‘‘कुछ कांड कर देगी तब समझोगी क्या?’ दीदी ने कहा.

‘‘‘अब मैं ने क्या किया? अपने दूल्हे को देखो. कैसे घूर रहा था मुझे. मां, वह अच्छा आदमी नहीं है,’ मैं ने स्पष्ट कह दिया.

‘‘चटाक… मां के थप्पड़ ने बता दिया कि गलती मेरी ही थी. फिर जब तक दीदी व जीजाजी चले नहीं गए, मुझे कमरे में नजरबंद कर दिया गया.

‘‘स्कूल तथा कालेज के रास्ते में भी मैं ने इन नारीलोलुप नजरों का सामना कई बार किया था. कुछ नजरों में हवस होती थी, कुछ में जलन तथा कुछ में कामना. इस पुरुषदंभी समाज का सामना कई लड़कियों ने किया था. शिक्षा पाने की यह कीमत मान ली हो जैसे उन्होंने. उस रास्ते से जाने वाली किसी नारी ने कभी भी मुड़ कर उन पुरुषों का प्रतिवाद नहीं किया था. परंतु यह गलती एक दिन मुझ से हो गई थी.

‘‘मेरे कालेज का पहला दिन था. रोज की तरह मैं पैदल ही घर आ रही थी. उस दिन वह रास्ता खाली था. मैं खुश थी, तभी पीछे से मोटरसाइकिल की आवाज सुनाई दी. मैं तो किनारे पर चल रही थी, इसलिए मैं ने ध्यान नहीं दिया. वह मोटरसाइकिल

मेरे पास आ कर थोड़ी धीमी हो गई. एक हाथ आगे बढ़ कर मेरे वक्षों को इतनी जोर से खींचा कि मैं गिर पड़ी. दर्द और शर्मिंदगी के ज्वार ने मुझे घेर लिया. अपने सीने पर हाथ रख कर मैं कई घंटे बैठी रही थी.

‘‘जब मैं घर पहुंची, दीदी भी आई हुई थीं. मुझे रोता देख कर दीदी व मां दोनों मेरे पास चली आईं. मां को मुझे गले लगाना चाहिए था, परंतु… ‘अरी, रो क्यों रही है? कुछ करवा कर आ रही है क्या?’ कह कर मुझ पर आरोप लगाने की कोशिश की.

‘‘मैं ने रोतेरोते मां को सब बताया, ‘मां, मैं ने मोटरसाइकिल का नंबर देखा था, चलो पुलिस के पास. मैं उसे नहीं छोड़ूंगी.’

‘‘‘लो, अब यही दिन रह गए थे. सुन, तूने ही कुछ किया होगा,’ मां ने मेरे स्पष्टीकरण को नजरअंदाज किया तो दीदी भी मुझे ही दोषी ठहराने लगीं.

‘‘‘और नहीं तो क्या मां, हमारे साथ तो ऐसा कभी न हुआ. पहले मर्दों को ऐसे कपड़े पहन कर भड़काओ, फिर वे कुछ कर दें तो उन का क्या दोष?’

‘‘‘दीदी, सूट ही तो पहना है,’  मैं ने साफ कहा तो उन्होंने कहा, ‘सीना नहीं ढका होगा.’

‘‘‘चुप करो तुम दोनों. और सुन छोटी, यह बात यहीं भूल जा. तेरे भाई को पता चला तो तुझे काट कर रख देगा. तुझे ही ध्यान रखना चाहिए था,’ मां बोलीं.

‘‘‘और पढ़ाओ इसे, मां. अभी तो शुरुआत है,’ दीदी ने ताना सा मारा.

‘‘औरत की इज्जत औरत के पास ही सब से कम है. वह नहीं जानती कि इसी वजह से घरघर में उस की उपेक्षा होती है. दीदी और मां भी इस के इतर नहीं थीं. इस घटना का नतीजा यह हुआ कि मेरी पढ़ाई छुड़ा दी गई और मेरे लिए लड़का ढूंढ़ा जाने लगा, जैसे कि विवाह हर समस्या का समाधान हो. वैसे भी, बोझ जितना जल्दी उतर जाए उतना अच्छा, यह समाज का नियम है. और इस नियम को बनाने वाले भी पुरुष ही होंगे. जब तक हम किसी क्रांति को पैदा करने में असमर्थ हैं, तब तक समाज के विधान को सिर झुका कर स्वीकार करना ही होगा. यही मैं ने भी किया.

‘‘अजय एक सरकारी बैंक में कार्यरत थे, शादी कर के मैं भोपाल आ गई. गहन अंधकार में ही प्रकाश की किरणें घुली रहती हैं, यह सोच कर मैं ने अपने नवजीवन में प्रवेश किया. परंतु शादी की पहली रात मैं अजय के व्यवहार से दुखी हो गई.

‘‘‘सुनो, अपनी सुंदरता का घमंड मुझे मत दिखाना. मेरी पत्नी हो, अपनी औकात कभी मत भूलना. और हां, ज्यादा ताकझांक करने की जरूरत नहीं है. मेरी नजर रहेगी तुम पर. समझ गईं,’ पति महोदय ऐसा बोले तो मैं बोली, ‘यह क्या कह रहे हैं आप? मैं आप की पत्नी हूं.’

मानसून स्पेशल: हेल्थ भी टेस्ट भी: फलों से बनाए ये चटपटी डिश

फल हमारी सेहत के लिए कितने फायदेमंद होते हैं, यह तो हम सभी जानते हैं. अब तो मैडिकल साइंस ने भी स्वास्थ्य के नजरिए से फलों के महत्त्व को साबित कर दिया है, क्योंकि फलों में मौजूद पोषक तत्त्व न केवल तमाम बीमारियों से बचाते हैं बल्कि हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाते हैं. फलों के इन्हीं फायदों को देखते हुए इस बार पेश हैं फलों के चटपटे पकवान जो न केवल स्वाद से भरपूर हैं बल्कि सेहतमंद भी हैं.

  1. मैंगो सैंडविच

सामग्री :

2 आम के टुकड़े, 500 ग्राम दूध, शक्कर स्वादानुसार, 10 पीस ब्रैड स्लाइस, 1 छोटा चम्मच इलायची पाउडर, 1/2 छोटा चम्मच केसर दूध में भीगा हुआ, 100 ग्राम घी.

विधि :

दूध गरम कर उस के 3/4 होने तक पका कर रबड़ी बना लें. ब्रैड स्लाइस को कटोरी से गोलगोल काट कर सुखा लें. कड़ाही में घी गरम कर ब्रैड को सुनहरी होने तक तल लें. आम के टुकड़ों को मिक्सी में चला लें. कांच के प्याले में रबड़ी, आम, शक्कर, इलायची पाउडर, केसर डाल अच्छी तरह मिला लें. ब्रैड के ऊपर तैयार कर दूसरी ब्रैड मिश्रण लगी पहली ब्रैड के ऊपर लगाएं. ब्रैड के ऊपर वाले हिस्से पर भी तैयार मिश्रण अच्छी तरह लगा लें. मैंगो सैंडविच पर केसर, इलायची डाल कर सर्व करें.

ये भी पढ़ें-स्वाद और सेहत के लिए बनाए फल और मेवे से बनीं ये 5 चटनियां

*

2. फ्रूट्स मन्चूरियन

सामग्री :

एक केला, 1/2 सेब, 1 चीकू, 2 आलू उबले हुए, 50 ग्राम पपीता, 1 बड़ा चम्मच अनार दाने, 30 ग्राम अंगूर, नमक, शक्कर, लालमिर्च पाउडर स्वादानुसार, 1 छोटा चम्मच चाटमसाला, 1 छोटा चम्मच जीरा, 1 बड़ा चम्मच पत्तागोभी उबली हुई, 1 बड़ा चम्मच नीबू का रस, हरा धनिया, हरीमिर्च, 2 बड़े चम्मच अदरक का पेस्ट, 5 बड़े चम्मच टमाटर सौस, 100 ग्राम तेल, 3 बड़े चम्मच कौर्नफ्लोर, 2 बड़े चम्मच सोया सौस, 2 बड़े चम्मच बेसन, 1 छोटा चम्मच सिरका, 20 ग्राम पनीर, 2 बड़े चम्मच मक्खन, थोड़ा कटा हरा धनिया, 6 जामुन.

विधि :

सभी फू्रट्स के टुकड़े कर लें. कड़ाही में तेल गरम कर जीरे का तड़का दें. हरा धनिया, मिर्च, अदरक की पेस्ट, पत्तागोभी, आलू एवं बेसन डाल कर पका लें. चौथाई फू्रट्स के टुकड़े, बाकी सारी सामग्री एवं मसाले डाल अच्छी तरह पका लें. तैयार मिश्रण ठंडा कर उस की बराबर आकार की बौल्स बना लें. पानी में कौर्नफ्लोर घोल लें. मन्चूरियन बौल्स घोल में डाल कर घोल उन पर अच्छी तरह लपेट कर कुछ समय रख कर सुखा लें. कड़ाही में तेल गरम कर मन्चूरियन बौल्स सुनहरी होने तक तल लें.

ये भी पढ़ें-मानसून स्पेशल: सेहत के लिए फायदेमंद है चटनी, ट्राय करें ये 7 रेसिपी

*

सौस हेतु : फू्रट्स के टुकड़े मिक्सी में पीस कर उन की प्यूरी बना लें. कड़ाही में मक्खन गरम कर जीरा को तड़का दें. हरा धनिया, मिर्च एवं अदरक की पेस्ट, टमाटर सौस, फू्रट्स की प्यूरी, सोया सौस, बाकी सारे मसाले डाल कर पका लें. 2 बड़े चम्मच कौर्नफ्लोर पानी में घोल कर उसे सौस में मिला सौस अच्छी तरह पका लें. प्याले में फू्रट्स मन्चूरियन बौल्स रख कर ऊपर से गरमागरम सौस डाल कर फू्रट्स मन्चूरियन पनीर व हरे धनिये से सजा कर सर्व करें.

*

3. फ्रूट मेवा मक्खन

सामग्री :

एक सेब, 1 केला, 2 बड़े चम्मच अनार के दाने, 100 ग्राम अंगूर, 100 ग्राम पपीता, 1 चीकू, 1 नारंगी, 20-20 दाने काजू, बादाम एवं पिस्ते घी में तले हुए, 1 बड़ा चम्मच मुनक्का, स्वादानुसार शक्कर, एक छोटा चम्मच इलायची पाउडर, 1/4 चम्मच केसर दूध में भीगा हुआ, 1/2 छोटा चम्मच कालीमिर्च पाउडर, 100 ग्राम सफेद मक्खन, 50 ग्राम पनीर.

विधि :

सेब, केला, पपीता, चीकू, पनीर के मनचाहे आकार के टुकड़े कर लें. 3 बड़े चम्मच मिक्स फू्रट ले कर उन्हें मिक्सी में पीस लें. कड़ाही में मक्खन गरम कर पिसे हुए फ्रूट्स डाल कुछ समय पका लें. एक कांच के प्याले में पिसे हुए फू्रट्स, सफेद मक्खन, फू्रट्स के टुकड़े एवं बाकी सारी सामग्री डाल अच्छी तरह मिला लें. फ्रिज में फू्रट मेवा मक्खन ठंडा कर केसर, इलायची पाउडर से सजा कर खिलाएं.

ये भी पढ़ें-मानसून स्पेशल: छोड़े बोरिंग सब्जी, अरबी से बनाएं ये 5 डिफरेंट डिश

*

4. फ्रूट्स श्रीखंड

सामग्री :

1/4 केला, 1/4 सेब, 1/4 चीकू, 100 ग्राम आम का गूदा, 2 बड़े चम्मच पपीता के टुकड़े, स्वादानुसार शक्कर, 1/4 छोटा चम्मच सफेद कालीमिर्च पाउडर, इच्छानुसार केसर दूध में भीगा हुआ, 1/2 छोटा चम्मच इलायची पाउडर, 1 बड़ा चम्मच पनीर कद्दूकस किया हुआ, 200 ग्राम पानी निकला दही, इच्छानुसार काजू, बादाम, पिस्ते के टुकड़े, एक छोटा चम्मच क्रीम.

ये भी पढ़ें-मानसून स्पेशल: बच्चों को बेहद पसंद आएगी बेसन से बनीं ये 3 डिश, आज ही

विधि :

सारे फलों के टुकड़े कर लें. मिक्सी में आम का गूदा, दही, क्रीम, फलों के टुकड़े, केसर, इलायची पाउडर, पानी एवं बाकी सारी सामग्री डाल कर चला लें. फ्रिज में ठंडा कर फूट्स श्रीखंड पर केसर, इलायची पाउडर सजा कर ठंडाठंडा सर्व करें.

कारवां – भाग 1: सौंदर्या को भाई बहन से किस बात के ताने मिलते थें?

कौन से भगवान को पूजें, सोचते हैं हम

मंदिर में बैठा या दरगाह में सोया है

शायद बिजी है वो, तभी उसे पता न चला

कि तू रोया है, बहुत रोया है.

‘‘मौसीमौसी गाड़ी आ गई.’’ गुडि़या की आवाज ने मेरी कलम की रफ्तार को रोक दिया था.

‘‘थोड़ी देर से चले जाएंगे तो…’’

‘‘राधा… उन का फोन आया तो.’’

राधा ने इस आयोजन के लिए बहुत मेहनत की थी. इन 10 सालों में कितनी बदल गई थी राधा.

‘‘मौसी, फिर खो गईं आप, माना कि आप लेखकों को कल्पनालोक की यात्रा कुछ ज्यादा ही पसंद है किंतु यथार्थ में रहना उतना भी बुरा नहीं है, क्यों?’’

‘‘चलो.’’ कलम नीचे रख कर सौंदर्या चल पड़ी. आज उस की पुस्तक ‘कारवां’ के लिए उसे सम्मानित किया जाना था.

पूरा हौल खचाखच भरा था. कार्यक्रम संचालक तथा बाकी साथी लेखक उस की किताब व उस के बारे में मधुर बातें बोल रहे थे. जब सौंदर्या से दो शब्द बोलने को कहा गया तो वह बहुत पीछे चली गई थी, अपनी स्मृतियों के साथ. उस ने बोलना शुरू किया-

‘‘मध्य प्रदेश का एक छोटा सा शहर ‘सागर’, जहां मेरा बचपन बीता था. सागर का वास्तविक नाम सौगोर हुआ करता था. ‘सौ’ यानी एक सौ, ‘गोर’ यानी किला, असंख्य किलों का शहर सागर. परंतु कालांतर में लोगों ने सौगोर का सागर कर दिया.

‘‘मेरे पिता एक सरकारी स्कूल में शिक्षक थे और माता एक गृहिणी. 3 भाईबहनों की सूची में, मैं आखिरी नंबर में आती थी. भैया व दीदी दोनों की लाड़ली हुआ करती थी मैं. परंतु धीरेधीरे यह प्यार ईर्ष्या में बदलने लगा. इस का प्रमुख कारण था मेरा सुंदर होना. साधारण रूपरंग वाले परिवार में मैं न जाने कहां से आ गई थी.

‘‘दीदी को मेरी सुंदरता से ईर्ष्या थी, तो भैया को मेरी बुद्घि से. जहां भैया इंटरमीडिएट से ज्यादा नहीं पढ़ पाए वहीं मैं हर साल अपनी कक्षा में प्रथम आती थी.

‘‘‘यह लड़की तो डायन लगती है मुझे, सारे मंतर जानती है. इसी ने कुछ कर के मेरे बेटे से विद्या चुराई होगी. वरना औरत जात में इतनी बुद्घि कहां होती है,’ मां कहा करती थीं.

‘‘एक दिन स्कूल से लौटने पर पता चला, दीदी को लड़के वाले देखने आ रहे हैं. पड़ोस की रमा काकी रिश्ता लाई थीं. दीदी 18 वर्ष की होने वाली थीं, मां को उन की शादी की जल्दी थी.

‘‘‘सोनू की मां, इस राजकुमारी को छिपा कर रखना. पता चला कि देखने बड़ी को आए हैं और पसंद छोटी को कर लिया. बाद में न कहना कि रमा ने बताया नहीं.’

‘‘‘क्या काकी, मैं क्यों छिपूं,’ मैं ने कहा था.

‘‘‘चुप कर छोटी, अंदर जा.’ मां ने मुझे डांट कर अंदर भेज दिया था. ‘अरे बहन, यही तो रोना है. इतना रूप ले कर मुझ गरीब के घर में आ गई है. इस खुले खजाने को देख कर लूटने वाले भी तो पीछे आते हैं.’

‘‘फिर उस रात मां, पापाजी तथा भैया में मंत्रणा हुई और उस की परिणति मेरी कैद से हुई. अगला पूरा दिन मैं कमरे में बंद रही. कहीं अपनी बालसुलभ जिज्ञासा के वशीभूत हो कर मैं बाहर न निकल जाऊं, इस के लिए कमरे के बाहर ताला लगा दिया गया था. दीदी की शादी तय हो गई थी.

‘‘शादी से 3-4 दिनों पहले से ही रिश्तेदारों का आना शुरू हो गया था. एक दिन जब मैं दीदी की साड़ी में गोटे लगाने का काम कर रही थी तो मौसी को कहते सुना, ‘जीजी, छोटी भी तो 13 वर्ष की हो गई होगी?’

‘‘‘हां, और क्या, 14 वर्ष की हो जाएगी इस साल तो. पिछले महीने तो महीना भी शुरू हो गया इस का,’ मां ने कहा था.

‘‘मुझे बड़ी शर्म आ रही थी मां के इस तरह से यह बात कहने पर. ऐसा लग रहा था जैसे मैं ने कोई गलती कर दी हो.

बरसीम सर्दियों का हरा चारा और चारा कटाई मशीन

रबी के मौसम में बरसीम हरे चारे की खास फसल है, जो पशुओं के लिए बहुत ही पौष्टिक और स्वादिष्ठ है. बरसीम की चारा फसल दिसंबर महीने से मई महीने तक उगाई जा सकती?है. बरसीम उगाने के लिए दोमट मिट्टी अच्छी होती?है. इस में पानी निकलने का इंतजाम सही होना चाहिए. इस की बीजाई अक्तूबर महीने तक कर देनी चाहिए. देरी से बोआई करने पर चारे की फसल की कटाई कम ले पाते?हैं. बरसीम बोने के लिए 1 एकड़ में 8 से 10 किलोग्राम बीज की जरूरत होती है. बीज भरोसे की जगह से ही खरीदना चाहिए. शुरुआत में अच्छी पैदावार लेने के लिए बरसीम में बहुत कम मात्रा में सरसों व जई के बीज भी मिला सकते?हैं. बरसीम की बोआई पानी से भरे खेत में बीजों को छिड़क कर ही की जाती है. बोआई करते समय ध्यान रहे कि तेज हवा न चल रही हो, नहीं तो बीज जहांतहां इकट्ठा हो जाएंगे. बीजों को बोने से पहले जैव उर्वरक से उपचारित कर लें. जैव उर्वरक से उपचारित करने से बरसीम की बढ़वार अच्छी होती है. बरसीम के विकास के लिए एक विशेष प्रकार के जीवाणु की जरूरत होती है, जो खेतों में नहीं पाया जाता. इन जीवाणुओं का टीका नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र से लिया जा सकता है, जिस के 1 पैकेट की कीमत 10 से 15 रुपए के आसपास होती?है. 1 पैकेट 10 किलोग्राम बीज उपचार के लिए काफी है.

बीज उपचार का तरीका

100 ग्राम गुड़ लें और उसे आधा लीटर पानी में घोल लें. इस में बरसीम के टीके का 1 पैकेट मिला दें. अब इस घोल में 8 से 10 किलोग्राम बरसीम के बीज अच्छी तरह से मिला दें, ताकि यह सभी बीजों पर लग जाए. आखिर में बीजों को छाया में फैला कर सुखा लें. उस के बाद बोआई करें.

ये भी पढ़ें-बकरीपालन को कैसे दें प्रोफेशनल रंग

समय से करें सिंचाई

बरसीम की फसल में सिंचाई का खास महत्त्व है. बरसीम बोने के 4-6 दिनों बाद देख लें और जरूरत के मुताबिक सिंचाई करें. उस के बाद तकरीबन हर 15 दिनों बाद बरसीम की फसल में सिंचाई करते रहें. बरसीम का बीज बनाने के लिए : आखिरी कटाई मार्च के आखिर में करें. बीज की फसल लेने के लिए खेत में कासनी और दूसरे प्रकार के खरपतवार हों तो उन्हें निकाल दें. आखिरी कटाई के बाद सिंचाई जरूर करें. उस के बाद 2 सिंचाई 15-15 दिनों के अंतर पर करें. मईजून तक बीज की फसल तैयार हो जाती?है.

खास सावधानी

ये भी पढ़ें-जमीन को दुरुस्त बनाते जुताई यंत्र

* बोआई से पहले रोगमुक्त खेत का चुनाव करें. * फसल चक्र अपनाएं.

* रोगरोधी किस्म उगाएं. * मैस्कावी फसल उगाई जा सकती है. यह जल्दी बढ़ने वाली फसल है. जो पौष्टिक और स्वादिष्ठ होती  है. इस की अच्छी पैदावार होती है. इस से 6 क्विंटल प्रति एकड़ बीज लिया जा सकहाथ से चारा काटने वाली मशीन से अकसर दुर्घटना हो जात है. कई बार हाथ तक कट जाता है. इस बात को ध्यान में रखते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा नई दिल्ली के अभियांत्रिकी विभाग ने अपनी चारा कटाई मशीन में सुधार किए हैं, जो दुर्घटना रहित हैं. इन में लगे चारा काटने वाले ब्लेडों से दुर्घटना को रोकने के लिए ब्लेड गार्ड लगाए गए हैं. इन गार्डों को ब्लेडों के आगे बोल्टों के जरीए जोड़ा गया?है. जो सुरक्षा की नजरिए से बेहतरीन है.

ये भी पढ़ें-लौकी की खेती बीजों की जानकारी व कीटरोगों से बचाव

मशीन से जब काम नहीं लेना हो तो उसे बोल्टों के जरीए ताला लगा कर बंद किया जा सकता है.

चारा लगाने वाली जगह पर भी एक खास रोलर लगाया गया है, जिस से चारा लगाते समय हाथ असुरक्षित जगह पर न जाने पाए, इस का पता पहले ही लग जाता है.

Crime Story -फेसबुकिया प्यार

सौजन्य-मनोहर कहानियां

ज्यादातर पुरुष और महिलाएं सोशल साइट फेसबुक का इस्तेमाल दोस्त बनाने और फालोअर्स बढ़ाने के लिए करते हैं. नैना भी यही करती थी. इसी के चलते उस की दोस्ती अयाज अंसारी से हुई, जो शादी पर जा कर खत्म हुई. नैना का नाम बदल कर भले ही रेशमा अंसारी हो गया लेकिन उस ने…

19जनवरी, 2020 की सुबह लगभग 10 बजे की बात है. जयपुर के तालुका जयसिंह पुरा की रहने

वाली 22 वर्षीय नैना उर्फ रेशमा मंगलानी अपनी स्कूटी ले कर पति के साथ घर से बाहर निकली तो वह वापस घर नहीं लौटी.

घरवालों ने उस का फोन नंबर मिलाया तो फोन बंद आ रहा था. काफी रात बीत जाने के बाद भी जब वह नहीं आई तो उस के मातापिता और परिवार वालों को चिंता होने लगी. घर वालों की समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर वह अपने 2 महीने के दुधमुंहे बच्चे को छोड़ कर कहां चली गई.

ये भी पढ़ें-Crime Story: आवाज से ठगी

घरवालों ने रेशमा मंगलानी के पति अयाज अंसारी से बात की तो उस ने अनभिज्ञता जाहिर करते हुए कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दिया. बेटी के इस तरह गायब होने से मांबाप का तो दिल बैठने लगा. वे अपने स्तर पर उस की तलाश में जुट गए. उन्होंने बेटी के दोस्तों और सहेलियों से उस के बारे में पूछताछ की.

फोन कर के सगेसंबंधियों से भी पूछताछ करते रहे. लेकिन कहीं से भी राहत देने वाली कोई जानकारी नहीं मिली. 20 घंटे गुजर जाने के बाद भी जब नैना उर्फ रेशमा मंगलानी की कोई खबर नहीं मिली तो किसी अज्ञात अनहोनी को ले कर परिवार वालों का मन अशांत हो गया.

सगेसंबंधियों और पड़ोसियों की सलाह पर रेशमा के पिता थाना आमेर पहुंचे और थानाप्रभारी को सारी बातें बता कर बेटी की गुमशुदगी दर्ज करवा दी. थानाप्रभारी ने जब उन से किसी पर शक होने के बारे में पूछा तो उन्होंने रेशमा के पति अयाज अंसारी पर संदेह जाहिर किया. क्योंकि वह उस के साथ ही निकली थी.

मामला पौश कालोनी के एक प्रतिष्ठित परिवार से जुड़ा हुआ था. इसलिए थानाप्रभारी ने इसे गंभीरता से लेते हुए यह जानकारी उच्च अधिकारियों के साथसाथ पुलिस कंट्रौल रूम को भी दे दी.

ये भी पढ़ें-Crime Story: इश्क का एक रंग यह भी

चूंकि नैना के पिता और परिवार वालों ने उस के पति अयाज अंसारी पर अपना संदेह जाहिर किया था. इसलिए पुलिस ने अयाज अंसारी को थाने बुला कर पूछताछ की. अयाज अंसारी ने बताया कि रेशमा सुबह 11 बजे से ले कर रात 9 बजे तक उस के साथ उस के घर पर रही. इस के बाद वह चली गई थी. वह कहां गई इस बात को ले कर वह खुद परेशान है और उसे खोज रहा है.

अयाज से पूछताछ के बाद पुलिस ने उसे घर भेज दिया और पुलिस अपने स्तर से रेशमा की खोज करने लगी. पुलिस के सामने यह बात आई कि नैना उर्फ रेशमा बहुत खूबसूरत थी. वह सोशल मीडिया पर बहुत सक्रिय रहती थी. यूट्यूब, फेसबुक और वाट्सएप पर वह अपने दोस्तों और सहेलियों के साथ चैटिंग में व्यस्त रहती थी. फेसबुक और वाट्सऐप पर वह नएनए पोज में अपने फोटो खींच कर शेयर करती, जिन्हें काफी लोग पसंद भी करते थे.

थोड़े ही दिनों में नैना उर्फ रेशमा मंगलानी फेसबुक और यूट्यूब पर फेमस हो गई. फेसबुक पर उस के 2 हजार, 300 से अधिक फ्रेंड और 6 हजार, 400 से ज्यादा फोलोअर्स हो गए थे. वह अकसर फोन पर बिजी रहती थी. नैना के पास घूमने के लिए एक स्कूटी थी. जिसे ले कर वह अकसर अपने दोस्तों और सहेलियों से मिलने के लिए आतीजाती थी.

ये भी पढ़ें-Crime Story: लौकडाउन में लुट गया बैंक

यह जानकारी मिलने के बाद पुलिस को संदेह हुआ कि नैना उर्फ रेशमा मंगलानी की गुमशुदगी के पीछे कोई गहरा रहस्य है. आगे की जांच के लिए पुलिस ने रेशमा के फोन की काल डिटेल्स निकलवाई. इस से पहले कि पुलिस उस की काल डिटेल्स का अध्ययन करती, पुलिस को एक सनसनीखेज सूचना मिली.

रेशमा की मिली लाश

21 जनवरी, 2020 की सुबह के समय किसी राहगीर ने थाना आमेर में फोन कर के सूचना दी कि जयपुरदिल्ली राजमार्ग स्थित नए माता मंदिर के सामने झाडि़यों में किसी युवती का शव पड़ा है. सूचना मिलते ही पुलिस टीम मौके पर पहुंच गई. मृतका का चेहरा इतना विकृत था कि उस की शिनाख्त करना मुश्किल था. हत्यारे ने लाश की पहचान मिटाने की पूरी कोशिश की थी.

लाश से कुछ दूर एक स्कूटी खड़ी थी. एक दिन पहले ही नैना के पिता ने थाने में उस की गुमशुदगी दर्ज कराई थी. रेशमा भी स्कूटी ले कर घर से निकली थी. इसलिए थानाप्रभारी ने रेशमा के घरवालों को फोन कर के मौके पर बुलवा लिया. घरवालों ने लाश की शिनाख्त नैना उर्फ रेशमा के रूप में कर दी. इस के बाद पुलिस ने जरूरी काररवाई कर के लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी.

नैना मंगलानी की हत्या की खबर पाते ही उस के घर में मातम छा गया. परिवार के लोग रोतेपीटते थाने पहुंचे. उन्होंने पुलिस को बताया कि नैना की हत्या किसी और ने नहीं बल्कि उस के पति अयाज अंसारी ने ही की है. उस के खिलाफ सख्त काररवाई की जानी चाहिए. उन्होंने अयाज के खिलाफ नामजद रिपोर्ट लिखा दी. जब यह खबर मीडिया द्वारा लोगों को पता चली तो जयपुर और आसपास के शहरों में रहने वाले नैना (रेशमा) के फालोअर्स भी सकते में आ गए.

ये भी पढ़ें-Crime Story : शहजादी का गुलाम

उन्होंने सोशल मीडिया में अपनी प्रतिक्रियाएं देनी शुरू कर दीं. मामला तूल पकड़ने लगा तो डीसीपी (क्राइम) अशोक कुमार गुप्ता ने इस केस को अपने हाथों में ले कर जांच के लिए पुलिस टीम बना दी.

चूंकि नैना के घर वालों ने नामजद रिपोर्ट लिखाई थी इसलिए पुलिस ने अयाज अंसारी को पूछताछ के लिए थाने बुलाया. थाने आ कर उस ने वही राग अलापना शुरू किया जो पहले अलापा था. लेकिन इस बार उस का कोई पैंतरा नहीं चला. क्योंकि पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज और काल डिटेल्स से उस के खिलाफ सारे सबूत इकट्ठे कर लिए थे. अयाज अंसारी से विस्तार से पूछताछ के लिए पुलिस ने उसे 2 दिन के रिमांड पर लिया.

रिमांड के दौरान वह पुलिस के सवालों के चक्रव्यूह में ऐसा फंसा कि उस के सामने अपना गुनाह स्वीकार करने के अलावा और कोई चारा नहीं बचा.

उस ने अपनी पत्नी नैना उर्फ रेशमा मंगलानी की बिंदास जिंदगी और बेरहम हत्या की जो कहानी बताई उस की पृष्ठभूमि कुछ इस तरह थी.

26 वर्षीय अयाज अंसारी एक महत्त्वाकांक्षी युवक था. वह अपने परिवार के साथ जयपुर के धारगेट सराय मोहल्ला में रहता था. उस के पिता का नाम रियाज मोहम्मद अंसारी था. छोटा सा कारोबार था. ग्रैजुएशन करने के बाद वह अजमेर स्थित एक फाइनैंस कंपनी में सर्विस करने लगा.

मनमौजी और रंगीन स्वभाव का होने के नाते नैना मंगलानी की तरह वह भी सोशल मीडिया पर सक्रिय था. उस ने भी यूट्यूब और फेसबुक पर अपना अकाउंट खोल रखा था. काम से समय मिलने पर वह अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर चैटिंग में व्यस्त हो जाता था.

एक दिन जब फेसबुक पर उस ने नैना नाम की लड़की का फोटो देखा तो वह उस की तरफ आकर्षित हो गया. उस ने नैना के फोटो को लाइक किया और नैना को फ्रैंड रिक्वेस्ट भेज दी. नैना ने भी अयाज अंसारी की दोस्ती स्वीकार कर ली. नैना के सैकड़ों दोस्तों के साथ एक नाम और जुड़ गया. इस के बाद दोनों के बीच चैटिंग शुरू हो गई थी. करीब 4 महीने तक चली चैटिंग के बाद जब दोनों एकदूसरे के आमनेसामने आए तो उन के बीच गहरी दोस्ती हो गई.

अयाज से हुई दोस्ती

जुलाई, 2017 तक सब कुछ ठीकठाक था. नैना मंगलानी और अयाज अंसारी की बातचीत सिर्फ सोशल मीडिया तक ही सीमित थी, लेकिन इस के बाद सब कुछ बदल गया था. जुलाई के ही महीने में एक दिन नैना मंगलानी अपना क्रेडिट कार्ड बनवाने के लिए एक कंपनी में गई. अयाज उसी कंपनी में सर्विस करता था. फेसबुक फ्रेंड होने के नाते दोनों एकदूसरे को तुरंत पहचान गए और बातचीत का सिलसिला शुरू हो गया.

 

अपने बिंदास और मौडर्न स्वभाव की वजह से नैना मंगलानी को अयाज अंसारी से घुलनेमिलने में समय नहीं लगा. इस एक मुलाकात से नैना मंगलानी की जिंदगी के मायने ही बदल गए. नैना मंगलानी अयाज अंसारी के स्वभाव और बातचीत से काफी प्रभावित थी. इतना ही नहीं वह उसे अपना दिल दे बैठी थी. अयाज अंसारी तो पहले से नैना मंगलानी का दीवाना था. उस के दिल में भी नैना के लिए एक खास जगह बन गई थी.

जिस दिन से दोनों की मुलाकात और जानपहचान हुई थी. उस दिन से दोनों की आंखों की नींद उड़ गई थी. उन की सुबह की चैटिंग गुड मौर्निंग से शुरू होती थी और पूरे दिन चलती थी.

दोस्ती प्यार में बदल गई थी, चैटिंग के बाद दोनों की मुलाकातें भी होने लगीं. दोनों साथसाथ सैरसपाटा करते. फिर एक दिन ऐसा भी आया कि उन्होंने अपनी सीमाएं भी तोड़ डालीं.

एक बार जब मर्यादा की दीवार टूटी तो फिर टूटती ही चली गई. अब वह जब तक एकदूसरे को मिल या देख नहीं लेते थे, मन बेचैन रहता था. अपनी इस बेचैनी को खत्म करने के लिए दोनों ने साथसाथ रहने का मन बनाया. उन्होंने शादीनिकाह करने का फैसला कर लिया था.

वैसे तो दोनों के परिवार वाले खुले और आजाद विचारों के थे. लेकिन मजहब अलगअलग होने के कारण मन में थोड़ा डर भी था, कि उन के रास्ते में कोई समस्या न खड़ी हो जाए. यह सोच कर वह अक्तूबर, 2017 में अपना घर छोड़ कर जयपुर से भाग कर गाजियाबाद आ गए.

गाजियाबाद में दोनों ने पहले एक मंदिर में जा कर हिंदू रीतिरिवाज से शादी की. उस के बाद उन्होंने एक मसजिद में निकाह कर लिया. निकाह के बाद वह नैना से रेशमा अंसारी बन गई.

नैना मंगलानी और अयाज अंसारी के परिवारों में थोड़ी सी नाराजगी जरूर हुई थी. लेकिन बेटी और बेटे की खुशी के लिए दोनों परिवारों ने समझौता कर लिया था. शादी और निकाह के बाद इन लोगों ने जयपुर के कालवाड़ रोड स्थित एक हाउसिंग कालोनी में एक फ्लैट फाइनेंस करा लिया और उसी में रहने लगे. शादी के कुछ दिनों बाद रेशमा गर्भवती हो गई.

एक कहावत है कि दूर के ढोल सुहावने लगते हैं. लेकिन जैसेजैसे उन के नजदीक पहुंचते हैं तो उन की आवाज शोर लगने लगती है. यही हाल नैना और अयाज अंसारी के बीच हुआ. 2 सालों तक चली दोनों की लव स्टोरी में धीरेधीरे दरार आने लगी. जिस मीडिया ने उन्हें मिलाया था वही मीडिया अब उन के विवाद का कारण बन गया.

अपनी प्रशंसा की भूखी नैना का सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने का भूत उतरा नहीं था. वह शादी के बाद भी लगातार एक्टिव रहती थी. उस ने फेसबुक पर अपनी आईडी बना रखी थी. एक नैना के नाम से तो दूसरी रेशमा के नाम से. उस का हेडफोन हमेशा उस के कानों में लगा रहता था, जिस पर वह अकसर बातें किया करती, वह पति अयाज अंसारी की उपेक्षा करने लगी थी, जो उसे पसंद नहीं थी.

इस से अयाज अंसारी के दिल में कहीं न कहीं संदेह पैदा हो रहा था. उसे ऐसा लग रहा था कि जिस तरह से वह सोशल मीडिया के जरिए उस की जिंदगी में आई, उसी प्रकार कहीं वह किसी और की जिंदगी में तो नहीं दाखिल हो रही है. इस संदेह को ले कर पहले तो अयाज अंसारी ने उसे समझाया और सोशल मीडिया से बैकआउट करने का भी दबाव बनाया. लेकिन नैना को उस का यह दबाव पसंद नहीं आया, उस का कहना था कि वह आजाद और आधुनिक विचारों वाली है. उसे किसी तरह के बंधन में बंधना स्वीकार नहीं है.

शादी हो गई पर आदत नहीं बदली नैना की

नैना की इस बात से अयाज अंसारी सहमत नहीं था. नतीजा यह हुआ कि दोनों की तकरार बढ़ गई. इस बीच अयाज ने गुस्से में कई बार उस का फोन छीन कर तोड़ डाला था, लेकिन नैना हर बार नया फोन खरीद लेती थी, फिर रेशमा की डिलीवरी के बाद माहौल ऐसा बना कि वह अपने एक माह के बच्चे को ले कर अपने मायके आ गई और उसे तलाक का नोटिस दे दिया.

नोटिस पा कर अयाज अंसारी बौखला गया. इस के बाद विश्वास हो गया कि उस की पत्नी का किसी न किसी फ्रेंड से चक्कर चल रहा है. कहा जाता है कि संदेह और ईर्ष्या में इंसान खुद ही खोखला हो जाता है. यही हाल अयाज का भी था.

अयाज ने पहले तो पत्नी से कहा कि वह मायके से लौट आए लेकिन जब वह आने के लिए तैयार नहीं हुई तो उस ने एक खतरनाक फैसला कर लिया.

योजना के अनुसार वह पत्नी को मनाने के लिए उस के मायके पहुंच गया और उस ने अपने व्यवहार के लिए क्षमा मांगते हुए उस के सामने सुलह का प्रस्ताव रखा. जिसे रेशमा ने स्वीकार कर लिया. यही समझौता रेशमा को महंगा पड़ा.

19 जनवरी, 2020 की सुबह जब नैना अपने बच्चे को मां के पास छोड़ स्कूटी से अयाज अंसारी के साथ घर से बाहर निकली तो वापस घर नहीं आई. अयाज अंसारी पहले नैना पत्नी को अपने घर कालवाड़ ले कर गया. वहां दोनों ने जम कर बीयर पी और मौजमस्ती कर रात 9 बजे के करीब दिल्लीजयपुर राजमार्ग पर स्थित आमेर आ गए. वहां दोनों ने चाय की दुकान पर जा का चाय पी. थोड़ी देर बाद अयाज अंसारी उसे माता मंदिर के पास ले कर गया.

पहले तो नैना उस सुनसान जगह तक जाने के लिए तैयार नहीं थी. लेकिन अयाज अंसारी ने रिक्वेस्ट की तो उस पर विश्वास कर के वह उस के साथ चली गई. उस समय भी नैना के कान से हेडफोन लगा था. वह किसी फ्रेंड से चैटिंग कर रही थी. जिसे सुनसुन कर अयाज गुस्से में जलभुन रहा था. तभी अयाज ने उस का फोन छीन कर माता मंदिर के पीछे फेंक दिया.

उस समय मंदिर के पास अंधेरा था और जगह सुनसान थी. मोबाइल को ले कर रेशमा पति से उलझ गई तो अयाज ने अपने दोनों हाथों से उस का गला पकड़ कर घोट दिया. कुछ ही देर में नैना की मृत्यु हो गई और वह जमीन पर गिर गई. इस के बाद अयाज घबरा गया.

लाश पहचानी न जा सके, इस के लिए अयाज पास ही पड़ा एक बड़ा सा पत्थर उठा लाया, जिस से उस ने नैना का सिर कुचल दिया. उस की स्कूटी ले जा कर उस ने मंदिर के पीछे की घनी झाडि़यों में छिपा दी. फिर कैब पकड़ कर घर आ गया.

पुलिस टीम ने 12 घंटे के अंदर केस का परदाफाश कर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया. उस से विस्तार से पूछताछ करने के बाद उसे जयपुर की सेंट्रल जेल भेज दिया था.

हुंडई ग्रैंड आई 10 निओस – इंटीरियर

हुंडई ग्रैंड आई 10 निओस के अभी बहुत सारे पार्टस के बारे में जान चुके हैं. आज हम बात करेंगे. नियोस के कुछ स्पेशल फीचर के बारे में आइए जानते है इसकी क्वालिटी.

नियोस की स्टेरिंग चमड़े की कवर से लिपटी हुई है. इससे इसकी खूबसूरती तो बढ़ती ही हैं साथ में इसकी मजबूती भी बनी रहती है.

साथ ही इसमें चार्जिंग के लिए बहुत अच्छा स्पेस दिया गया है. इस सेगमेंट कि पहली कार है जिसमें  टचस्क्रीन फीचर दिया गया है. जिसमें आप आसानी से अपना मोबाईल और कैमरा को कनेक्ट कर सकते हैं.

इसे पीछे सीट पर बैठे यात्री भी आसानी से देख सकते हैं. आप इस कार में बैठकर लंबी यात्रा पर जा सकते हैं जिससे आपको किसी प्रकार की दिक्कत महसूस नहीं होगी.

 

इसमें मौजूद सारी सुविधओं के चलते हुंडई ग्रैंड आई 10 निओस  #makeyoufeelalive

सुशांत की मौत के बाद रिया चक्रवर्ती को मिली रेप और मर्डर की धमकी, साइबर सेल से मांगी मदद

अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के निधन को एक महीने से ज्यादा हो चुका है. हाल ही में सुशांत की कथित गर्लफ्रेंड रिया चक्रवर्ती ने सुशांत सिंह राजपूत की फोटो साझा की थी. उन्होंने सुशांत की तस्वीर शेयर करते हुए इमोशनल पोस्ट शेयर किया था.

हालांकि रिया का इमेज बाहरी लोगों के बीच बिल्कुल अलग है. लोग रिया को सुशांत के मौत के जिम्मेदार मानते हैं. यहीं नहीं सुशांत मरने से पहले भी रिया को आखिरी कॉल किए थें.

रिया ने एक रिपोर्ट में बताया है कि सुशांत के फैंस उन्हें धमकी दे रहे हैं. लगातार उन्हें रेप और मर्डर की खबर आ रही है. इससे रिया ने साइबर क्राइम सेल से मदद मांगी है.

ये भी पढ़ें-सेलिना जेटली की कमबैक फिल्म ‘‘इफ्सा टोरंटो अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह’’ के

रिया चक्रवर्ती ने यूजर द्वारा भेजे गए धमकी को अपने इंस्टाग्राम पर शेयर किया है. जिसमें यूजर उन्हें धमकी दे रहा है. इस बात से रिया के परिवार वाले भी हैरान परेशान हैं.

रिया ने फोटो शेयर करते हुए लिखा है कि ‘मुझे कातिल कहा गया, मैं शर्म से चुप रही, मुझे औऱ भी कई इल्जाम लगाएं गए मैं चुप रही लेकिन अगर मैं आत्महत्या नहीं करुंगी तो आप मेरा रेप करोगे और मेरा मर्डर करोगे. ये अपराध है मैं दोबारा कहती हूं कि ये गलत है.’

ये भी पढ़ें-‘कसौटी जिंदगी 2’ के पार्थ समाथन को हुआ कोरोना, तो बिपासा बसु ने कही ये

रिया चक्रवर्ती और सुशांत सिंह राजपूत लंबे समय से रिलेशनशिप में थे हालांकि कि खबर है कि सुशांत के मौत से कुछ दिन पहले दोनों के बीच अनबन होने लगी थी.

जिसके बाद रिया सुशांत से दूर रहने चली गई थी. सुसांत और रिया दोनों एक-दूसरे के साथ न्यूयार्क भी घूमने गए थें.

इनके फैंस को दोनों के शादी का इंतजार था. हमेशा दोनों सेथ में स्पोर्ट किए जाते थें. हालांकि रिया से पहले सुशांत अंकिता लोखड़े के साथ 6 साल तक रिलेशनशिप में रह चुके थें.

ये भी पढ़ें-नवाजुद्दीन सिद्दीकी की पत्नी ने लगाएं ये आरोप, भेजा तलाक का नोटिस

सुशांत के जाने का सदमा अंकिता लेखड़े बर्दाश्त नहीं कर पाई थी. फैंस को एक समय सुशांत और अंकिता को साथ देखने की चाहती थी.

सेलिना जेटली की कमबैक फिल्म ‘‘इफ्सा टोरंटो अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह’’ के लिए चुनी गई

अमरीका के अति प्रतिष्ठित लघु फिल्म समारोह में ‘‘सर्वश्रेष्ठ लघु फिल्म’’का पुरस्कार जीतने के बाद अब लेखक व फिल्म निर्माता राम कमल मुखर्जी की फिल्म ‘‘सीजंस ग्रीटिंग्स‘’को मशहूर फिल्मकार रितुपर्णो घोष को आधिकारिक श्रद्धांजली के तौर पर ‘‘आई एफ एफ एस ए टोरंटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल 2020’’के लिए चुना गया है.इस फिल्म समारोह को जिसे प्रियंका चोपड़ा इसे  ‘‘उत्तरी अमेरिका में सबसे बड़ा दक्षिण एशियाई फिल्म महोत्सव की संज्ञा देती हैं.‘कोविड 19’के चलते प्रतिनिधियों व ज्यूरी मेंबर की सुरक्षा के मद्दे नजर इस साल यह फिल्म समारोह वच्र्युअल होगा. इस फिल्म समारोह में विभिन्न सोलह भाषाओं की लगभग 250 फिल्में दिखाई जाएंगी. इस फिल्मोत्सव के सलाहकार बोर्ड में भारत से अभिनेता मनोज वाजपेयी,अफगानिस्तान से शराबनू सादात,स्विट्जरलैंड के जाने माने फिल्म निर्माता अनूप सिंह और बांग्लादेश के मोस्टोफा सरवर फारूकी भी शामिल हैं.

शादी व मां बनने के आठ साल बाद अभिनय में वापसी करने वाली अभिनेत्री सेलिना जेटली की 47 मिनट की हिंदी फीचर फिल्म ‘‘सीजंस ग्रीटिंग्स’’को अब तक दो दर्जन से अधिक अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में पुरस्कृत हो चुकी है. जी हां फिल्म ‘‘सीजंस ग्रीटिंग्स’’ का पिछले वर्ष प्रतिष्ठित ‘‘कार्डिफ इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल’’में मीडिया और जूरी सदस्यों द्वारा खड़े होकर तालियां बजाकर प्रशसंका किया गया था.यह फिल्म पूरे विश्व की यात्रा कर चुकी है. ऑस्ट्रिया से एक विशेष बयान में फिल्म की नायिका सेलिना जेटली हाग कहती हैं,‘‘मैं ‘इफ्सा टोरंटो’में ‘सीजन्स ग्रीटिंग्स’ के चुने जाने की खबर से उत्साहित हूं. मुझे इस फिल्म में रोमिता का किरदार निभाने का अवसर देने के लिए मैं निर्देशक राम कमल मुखर्जी की बहुत आभारी हूं. इसमें लिंग, जाति, धर्म और रंग के सभी विभाजनों की  प्रतिध्वनि है. मैं फिल्म समारोह के निदेशक सनी गिल और सभी प्रख्यात जूरी सदस्यों का धन्यवाद अदा करती हूं.

ये भी पढ़ें-‘कसौटी जिंदगी 2’ के पार्थ समाथन को हुआ कोरोना, तो बिपासा बसु ने कही ये

 

View this post on Instagram

 

“Yeh Gurudutt Wala Pyaar hai … Sex & the City Waaley Nahi Samajhengey !! “ IS NOW OFFICIAL SELECTION: “INTERNATIONAL FILM FESTIVAL OF SOUTH ASIA” TORONTO @iffsatoronto Thank you @ramkamalmukherjee for making SEASONS GREETINGS- A TRIBUTE TO RITUPORNO GHOSH. …. breaking barriers, norms and stereotypes across the globe ! Starring : #lillettedubey @celinajaitlyofficial @shreeghatak @khanazharofficial Producer : @imaritrads @mukherjeesarbani @singer.kshailendra Streaming Now on: @zee5premium @zee5 @zee5mena @zee5africa @zee5cac @zee5apac @zee5_europe #seasonsgreetings #celinajaitly #celinajaitley #film #bollywood #lgbtfilm #officialselection #iffsa #filmfestival #indiancinema #indianfilm #kolkata #ilovefilm #sexandthecity #gurudutt

A post shared by Celina Jaitly (@celinajaitlyofficial) on

ये भी पढ़ें-नवाजुद्दीन सिद्दीकी की पत्नी ने लगाएं ये आरोप, भेजा तलाक का नोटिस

फिल्म‘‘सीजंस ग्रीटिंग्स’’के चयन पर ‘‘आई एफ एफ एस ए टोरंटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल 2020’’ के निदेषक सनी गिल कहते हैं-‘‘फिल्म निर्माता राम कमल मुखर्जी की ‘सीजंस ग्रीटिंग्स’में रितुपर्णो घोष को श्रद्धांजलि देने के साथ प्रेम और स्वीकृति की एक काव्यात्मक प्रस्तुति है.इसमें गे संबंधो को भी बड़ी संजीदगी से चित्रित किया गया है.इस फिल्म में लिलेट दुबे और सेलिना जेटली हाग का अभिनय कमाल का है.यह फिल्म समाज के कई प्रासंगिक मुद्दों पर बात करती है.राम कमल मुखर्जी ने दिवंगत फिल्म निर्माता रितुपर्णो घोष की संवेदनशीलता को उनकी श्रद्धांजलि में दर्शाते हैं.इसी वजह से यह फिल्म इस साल हमारे फिल्मोत्सव का महत्वपूर्ण हिस्सा है.’’

ये भी पढ़ें-सुशांत के निधन के 1 महीने बाद गर्लफ्रेंड रिया ने शेयर की ये फोटो, लिखा

अरित्र दास और शैालेन्द्र कुमार निर्मित फिल्म ‘‘सीजंस ग्रीटिंग्स’’ 13 अगस्त को ‘इफ्सा टोरंटो’में प्रदर्शित होगी.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें