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अपना अपना रास्ता-भाग 4: सुरेंद्र का चेहरा क्यों खिल गया?

 ‘ओफ, इच्छाएं तो देखो, मीठीमीठी मुसकान चाहिए इन्हें. करते हैं क्लर्की और ख्वाब देखते हैं महलों के? हुंह, ऐसी ही पलकपांवड़े बिछाने वाली का शौक था तो ले आए होते कोई देहातिन. मेरी जिंदगी क्यों बरबाद की?’ इंद्रा का तीखा स्वर सुरेंद्र के कानों में लावा सा पिघलाता उतर जाता. अंदर ही अंदर तिलमिला कर वे जबान पर नियंत्रण कर लेते. जितना बोलेंगे, बात बढ़ेगी, अड़ोसीपड़ोसी तमाशा देखेंगे. अभी नईनई शादी हुई है, और अभी से…

चुपचाप कपड़े बदल कर वे बिस्तर पर पड़ जाते. वे सोचते, ‘क्या विवाह का यही अर्थ है? दिनभर के बाद घर आओ तो पत्नी नदारद. फिर ऊपर से जलीकटी सुनो? क्या शिक्षा का यही अर्थ है कि पति को हर क्षण नीचा दिखाया जाए?’ कैसे खिंचेगी जीवन की यह गाड़ी, जहां पगपग पर आलोचना और अपमान की बड़ीबड़ी शिलाएं हैं. कहां तक ठेल सकेंगे अकेले इस गाड़ी को, जहां दूसरा पहिया साथ देने से ही इनकार कर दे? क्या इन कठोर शिलाखंडों से टकरा कर एक दिन सबकुछ अस्तव्यस्त नहीं हो जाएगा?

जीवन को हतोत्साहित करने वाले इन निराशावादी विचारों को धकेलते हुए मन में आशा की किरण भी झिलमिला जाती कि अभी इंद्रा ने जीवन में देखा ही क्या है? सिर्फ मातापिता का स्नेह, बहनभाइयों का प्यारदुलार. गृहस्थी की जिम्मेदारियां बढ़ेंगी तो स्वयं रास्ते पर आ जाएगी. अभी नादान है. 20-22 की भी कोई आयु होती है. लेकिन इंद्रा ने तो जैसे पति की हर झिलमिलाती आशा को पांवों तले रौंद कर चूरचूर कर देने का फैसला कर लिया था. 2-2 वर्षों के अंतराल से विनोद, प्रमोद और अचला आते गए. उन के साथ आई उन की नन्हींनन्हीं समस्याएं, उन के नाजुककोमल बंधन, उन के नन्हेनन्हे सुखदुख. लेकिन इंद्रा को उन के वे भोलेभाले चेहरे, उन की मीठीतुतली वाणी, उन के स्नेहसिक्तकोमल बंधन भी बांध कर न रख सके. नौकरों के सहारे बच्चे छोड़ वह अपने महिला क्लब की गतिविधियों में दिनबदिन उलझती चली गई. वक्तबेवक्त आंधी की तरह घर में आती और तूफान की तरह निकल जाती. हर दिन एक नया आयोजन, जहां पति और बच्चों का कोई अस्तित्व नहीं था. कोई आवश्यकता भी नहीं थी. शायद इंद्रा गृहस्थी के संकुचित दायरे में बंध कर जीने के लिए बनी ही नहीं थी. उस का अपना अस्तित्व था. अपना रास्ता था. जहां मान था, आदर था, यश और प्रशंसा की फूलमालाएं थीं. जहां से उसे वापस लौटा लाने का हर प्रयत्न सुरेंद्र को पहले से और अधिक तोड़ता चला गया था.

जबजब वे उसे गृहस्थी के दायित्वों के प्रति सजग रहने की सलाह देते, वह कु्रद्ध बाघिन सी भन्ना उठती, ‘तुम चाहते क्या हो? क्या मैं दिनभर अनपढ़गंवार औरतों की तरह बच्चों और चूल्हेचौके में सिर खपाया करूं? क्या मांबाप ने मुझे इसलिए कालेज में पढ़ाया था?’

‘नहीं तो क्या इसलिए पढ़ाया था कि अपनी जिम्मेदारियां नौकरों और पड़ोसियों पर छोड़ कर तुम दिनदिनभर सड़कों की धूल फांकती फिरो. जानती हो तुम्हारा यह घूमनाफिरना, यह सोशल लाइफ इन नन्हेनन्हे बच्चों का भविष्य बरबाद कर रहा है, इन्हें असभ्य और लावारिस बना रहा है. अनाथाश्रम में जा कर तुम उन बिन मांबाप के बच्चों को सभ्य और सुशिक्षित बनाने की शिक्षा दिया करती हो, पर यह क्यों नहीं सोचतीं कि तुम्हारी अनुपस्थिति में तुम्हारे इन 3 बच्चों का क्या होगा? ‘जानती हो, इंदु, भूख लगने पर इन्हें क्या मिलता है? नौकरों की झिड़कियां, थप्पड़. बीमारी में तुम्हारे स्नेहभरे संरक्षण की जगह मिलती है उपेक्षा, अवहेलना, तिरस्कार. सच, इंदु, क्या तुम्हें इन अनाथों पर तनिक भी दया नहीं आती?’ किंतु इंद्रा पर सुरेंद्र के इन तमाम उपदेशों का कोई प्रभाव नहीं पड़ता था.

पत्नी से उपेक्षित सुरेंद्र देरदेर तक दफ्तर में बैठे कंप्यूटर में दिमाग खपाया करते. पर वहां का वातावरण भी धीरेधीरे असहनीय होने लगा. आतेजाते फब्तियां कसी जातीं, ‘अरे भई, इस बार तरक्की मिलेगी तो मिस्टर सुरेंद्र को. पत्नी शहर की प्रसिद्ध समाजसेविका, बड़ेबड़े लोगों के साथ उठनाबैठना, अच्छेअच्छे आदमियों का पटरा बैठ जाएगा, देख लेना.’ वे क्रोध से भनभना उठते. दिलदिमाग सब सुन्न हो जाते. किस मुंह से उन के आरोपों का खंडन करते, जबकि वे स्वयं जानते थे कि इंद्रा के चरित्र को ले कर शहरभर में जो चर्चाएं होती थीं वे नितांत कपोलकल्पित नहीं थीं. अकसर आधीआधी रात को, अनजान अपरिचित लोगों की गाडि़यां इंद्रा को छोड़ने आती थीं. एक से एक खूबसूरत और बढि़या साडि़यां उस के शरीर की शोभा बढ़ातीं, जिन्हें वह लोगों के दिए उपहार बताती. क्यों आते थे वे लोग? क्यों देते थे वे सब कीमती उपहार? किस मुंह से लोगों के व्यंग्य और तानों को काटने का साहस करते? इंद्रा को वे समझाने का यत्न करते तो पत्थर की तरह झनझनाता स्वर कानों से टकराता, ‘दुनिया के पास काम ही क्या है सिवा बकने के. लोगों की बकवास से डर कर मैं अपना मानवसेवा का काम नहीं छोड़ सकती.’

‘तुम जिसे मानवसेवा कहती हो, इंद्रा, वह तुम्हारी नाम और प्रशंसा की भूख है. जिन के पास करने को कुछ नहीं होता, उन धनी लोगों के ये चोंचले हैं. हमारीतुम्हारी असली मानवसेवा है अपने विनोद, प्रमोद और अचला को पढ़ालिखा कर कर इंसान बनाना, उन्हें अपने पैरों पर खड़ा करना, उन्हें सभ्य और सुसंस्कृत नागरिक बनाना. पहले इंसान को अपना घर संवारना चाहिए. यह नहीं कि अपने घर में आग लगा कर दूसरों के घरों में प्रकाश फैलाओ.’ ‘उफ, किस कदर संकीर्ण विचार हैं तुम्हारे, अपना घर, अपने बच्चे, अपना यह, अपना वह…तुम्हें तो सोलहवीं सदी में पैदा होना चाहिए था जब औरतों को सात कोठरियों में बंद कर के रखा जाता था. मुझे तो शर्म आती है किसी को यह बताते हुए कि मैं तुम जैसे मेढक की पत्नी हूं.’

कुएं का मेढक, संकीर्ण विचार, मानवसेवा…जैसे वे बहरे होते जा रहे थे. उन की इच्छाएं, आकांक्षाएं, स्वाभिमान सब राख के ढेर में बदलते जा रहे थे. घर, बाहर, दफ्तर कहीं एक पल के लिए चैन नहीं, शांति नहीं. कोई एक प्याला चाय के लिए पूछने वाला नहीं. तनमन से थकेटूटे सुरेंद्र होटलों के चक्कर लगाने लगे. एक प्याला गरम चाय और शांति से बैठ कर दो रोटी खाने की छोटीछोटी अपूर्ण इच्छाओं का दर्द शराब में डूबने लगा. ‘तुम होटल में बैठ कर गंदी शराब मुंह से लगाते हो? शर्म नहीं आती तुम्हें?’

पत्नी का अंगारा सा दहकता चेहरा सुरेंद्र शांतिपूर्वक देखते रहे थे. ‘जब तुम्हें आधीआधी रात तक पराए मर्दों के साथ घूमने में शर्म नहीं आती, तो मुझे ही लालपरी के साथ कुछ क्षण बिताने में क्यों शर्म आए? जिस का घर नहीं, द्वार नहीं, पत्नी नहीं, उस का यह सब से अच्छा साथी है. तुम अपने रास्ते चलो, मैं ने भी अपना रास्ता चुन लिया है. अब कोई किसी की राह का रोड़ा नहीं बनेगा. जब तुम मुझ से बंध कर न रह सकीं तो मैं ही तुम से बंधने को क्यों विवश होऊं?’ उन के चहेरे पर खेलती व्यंग्यात्मक मुसकान इंद्रा को अंदर तक सुलगा गई थी. पांव पटकती हुई वह बाहर निकल गई थी. फिर एक दिन सुना था कि वे अपनी 17 वर्षीय अविवाहित बेटी अचला के होने वाले शिशु का नाना बनने वाले थे. सुन कर तनिक भी आश्चर्य नहीं हुआ था. वे जानते थे इंद्रा ने जिस खुली हवा में बच्चों को छोड़ा था वह एक दिन अवश्य रंग लाएगी. जबजब उन्होंने अचला को विनोद और प्रमोद के आवारा दोस्तों के साथ घूमनेफिरने से टोका था, वह अनसुना कर गई थी.

अगर आपको भी है ज्यादा सोने की आदत तो हो सकती हैं ये 7 बीमारियां

हमारे शरीर के लिए सोना बेहद जरूरी है. सोने से दिमाग ताजा होता है और शरीर की उर्जा रिस्टोर होती है. नींद ना पूरी होने से कई तरह की बीमारियां भी पैदा होती हैं. एक स्वस्थ व्यक्ति को 8 घंटों से ज्यादा नहीं सोना चाहिए. इससे ज्यादा सोने से कई तरह की परेशानियां पैदा होने लगती हैं. इस खबर में हम आपको ज्यादा सोने से होने वाली परेशानियों के बारे में जानकारी देंगे.

1.कब्ज 

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ज्यादा देर तक सोने वालों में कब्ज की परेशानी देखी जाती है. पेट को हेल्दी रखने के लिए जरूरी है कि सही समय पर सही बौडी मुवमेंट होता रहे.

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2.मोटापा

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शरीर के बढ़ते मोटापे का सीधा असर आपके सोने के समय से होता है. जब आप सोते हैं तो आपके शरीर की कैलोरी बर्न नहीं होती. जिससे आपके शरीर का वजन बढ़ता है. कई शोध में ये बात सामने आई है कि ज्यादा सोने से कई तरह की मनोवैज्ञानिक बीमारियों का खतरा बना रहता है.

3.सिरदर्द 

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आम तौर पर ज्यादा सोने वालों में सिरदर्द की शिकायत देखी जाती है. यह मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमीटर में उतार-चढ़ाव के कारण हो सकता है, जिसमें नींद के दौरान सेरोटोनिन बढ़ सकता है, जिससे सिरदर्द हो सकता है.

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4.पीठ में दर्द 

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ज्यादा देर तक सोने से आपकी पीठ में दर्द हो सकता है. ऐसा इस लिए होती है क्योंकि ज्यादा देर तक सोने से शरीर में खून के बहाव पर बुरा असर पड़ता है और आपकी पीठ अकड़ जाती है.

5.डिप्रेशन 

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जानकारों का मानना है कि ज्यादा देर तक सोने से दिमाग में डोपानाइन और सेरोटोनिन का लेवल कम होता है. यही कारण है कि आपका मुड पूरे दिन चिड़चिड़ा सा रहता है.

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6.दिल की बीमारी 655555555558

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ज्यादा सोने वाले लोगों में दिल की बीमारी का खतरा बना रहता है.

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7.कमजोर याद्दाश्त

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ज्यादा देर तक सोना हमारे दिमाग को भी गलत ढंग से प्रभावित करता है. इससे हमारी याद्दाश्त भी कमजोर होती है.

मिर्च के बिना भी बना सकते हैं ये 8 टेस्टी रेसिपीज

हम जब भी नमकीन खाने की बात करते हैं तो हमारे सामने मसालेदार तीखे व्यंजनों की तसवीर आ जाती है. इन मसालों में मिर्च का प्रयोग जरूर किया जाता है. लोगों को भी लगता है कि जब तक नमकीन रैसिपी में मिर्च न डाली जाए, फिर चाहे हरी हो या लालमिर्च, खाने का स्वाद अधूरा ही लगता है. लेकिन कई ऐसी रैसिपीज हैं जिन्हें हम बिना मिर्च का प्रयोग किए बना सकते हैं और वे स्वाद में बेजोड़ भी लगती हैं, साथ ही, हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभकारी भी हैं.

1.साबुदाना खिचड़ी

बिना मिर्च के बन सकने वाली डिश साबुदाना खिचड़ी को मुख्यतया त्योहारों के दौरान बनाया जाता है. लेकिन इस के बेहतरीन स्वाद की वजह से लोग इसे कई दफा दोपहर के भोजन के तौर पर साबुदाना भी बना लेते हैं. बस, ये सही तरीके से भिगोया हुआ हो.

यों तो साबुदाना 2 तरह का मिलता है, बड़ा और छोटा. बड़े साबुदाने की खिचड़ी के लिए साबुदाने को लगभग 8 घंटे तक पानी में भिगो कर रखना होता है. छोटे साबुदाने को 1-2 घंटे भिगो कर रखना ही काफी है. इसे बनाने के लिए आलू, पनीर और मूंगफली के चूरे के साथ बाकी मसालों का प्रयोग किया जाता है.

आलू और पनीर को तेल या घी में भून कर अलग करने के बाद बचे हुए गरम घी में जीरा तड़काने के बाद मूंगफली को भून लें. अब साबुदाना और नमक व अन्य मसाले मिला कर भूनिए. इस में पानी डाल कर धीमी आंच पर कुछ मिनट पकाइए, साबुदाने की बिना मिर्च वाली खिचड़ी तैयार है.

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2.साबुदाने की टिक्की

साबुदाने की टिक्की से बनी चाट आप के मुंह के जायके को बदलने के लिए काफी है. इस के लिए उबले आलू में पहले से भिगोया हुआ साबुदाना डाल कर मिक्स कर के छोटी टिक्की बना लें. गरम तेल की कड़ाही में इन टिक्कियों को सुनहरे होने तक तल लें. फिर टिक्की के ऊपर फेंटी दही डाल कर नमक, भुना जीरा पाउडर और इमली की चटनी डाल कर इस का स्वाद लें.

3.कच्चे केले की टिक्की

इसी तरह आप कच्चे केले की टिक्की भी बना सकते हैं. बस, इस के लिए कच्चे केले को कुकर में पका लें. फिर हलका सा बेसन मिला कर इसे डीपफ्राई कर लें. सुनहरे होने पर कड़ाही से निकाल लें. चाहें तो इसे इसी तरह सौस के साथ खाएं या फिर दही डाल कर चाट के तौर पर खाएं.

4.अंकुरित मूंग की दाल

स्वस्थ रहना और स्वादिष्ठ खाना दोनों एकसाथ मुश्किल जरूर है लेकिन थोड़ी मेहनत के बाद आप स्वादिष्ठ और हैल्दी जायके का लुत्फ उठा सकते हैं. इस के लिए हमें अंकुरित मूंगदाल की जरूरत पड़ती है. यह कैलोरीमुक्त होने के साथ ही फाइबर, विटामिन सी, प्रोटीन और आयरन का बेहतरीन स्रोत होती है. इस से शरीर का मेटाबौलिज्म रेट सुधर जाता है.

एक बरतन में अंकुरित मूंगदाल लें और इस में बारीक कटा प्याज, टमाटर, चाट मसाला, नमक और नीबू का रस मिला लें. हरी धनिया का इस्तेमाल गार्निशिंग के लिए करें, यह स्प्राउट्स चाट काफी स्वादिष्ठ होती है.

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5.सूजी का उपमा

सूजी का उपमा भला किस ने नहीं खाया होगा, इस बार बिना मिर्च के उपमा बना कर देखें. इस के लिए मुट्ठीभर चने की दाल को 2-3 घंटे भिगो लें. इस से उपमा का स्वाद बढ़ता है.

कड़ाही में मूंगफली को पहले भून कर निकाल लें. इस के बाद रिफाइंड तेल में चने की दाल को हलका भूनने के बाद सूजी को भूनें. इसे लगातार चलाते रहना जरूरी है, वरना सूजी जल जाएगी. अंत में नमक और मूंगफली डाल कर मिला लें. जरूरत के अनुसार पानी डालें और चलाते रहें. सूजी का उपमा तैयार है.

6.ओट्स चीला

चीला तो आप ने अब तक बेसन या सूजी का ही खाया होगा, इस बार ओट्स का चीला बनाएं. इस के लिए आप को ओट्स को मिक्सचर में पीसना होगा. इस के बाद एक बरतन में पिसे ओट्स, दही, प्याज, टमाटर और नमक व अन्य मसाले मिला लें. लगभग आधा घंटा ढक कर छोड़ दें.

अब तवे को गरम कर के उस पर हलका तेल या घी लगाएं. फिर जैसे चीला बनाते हैं, उसी तरह से बनाएं. इसे सौस या मनपसंद चटनी के साथ खाया जा सकता है.

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7.चिड़वे का पोहा

चिड़वे का पोहा भले ही महाराष्ट्र, गुजरात और मध्य प्रदेश में ज्यादा खाया जाता हो, लेकिन उत्तर भारतीय भी पोहा के काफी शौकीन हैं. विशुद्ध पोहा खाना हो तो करीपत्ता का इस्तेमाल जरूर करें. गरम तेल में मूंगफली भून कर अलग निकाल लें. अब उसी कड़ाही में ?पहले करीपत्ता डालें और फिर प्याज को भूनें.

दूसरी ओर एक अलग बरतन में चिड़वा लें, इस पर नमक और हलदी छिड़क लें. थोड़ा पानी इस पर छिड़कें. हलके हाथ से मिला लें और 10 मिनट ढक कर रहने दें. भुने प्याज में इस चिड़वे को मिलाएं. इसे धीमी आंच पर पकाएं और ढक दें. बीचबीच में चलाते रहें. जब चिड़वा पक जाए तो इसे उतार लें. चाहें तो हरी धनिया से गार्निश कर लें.

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8.सेवईं पोहा 

गेहूं की सेवइयों का भी आप इसी तरह से पोहा बना सकते हैं. इन दिनों बाजार में तरहतरह की गेहूं की सेवइयां उपलब्ध हैं, इन का पोहा बनाने के लिए बस, सेवइयों को पहले से पानी में उबाल लेना जरूरी है.

इस में मटर, गाजर, आलू जैसी मनपसंद सब्जी भी डाली जा सकती है. हरी सब्जियां डालने से इस का स्वाद तो बढ़ेगा ही, स्वास्थ्य की दृष्टि से भी यह लाभदायक है.

राजस्थान की राजनीति में मोहरा बन रही मायावती

राजनीति में एससीबीसी नेता हमेशा मोहरा बनते रहे है. कभी एससीबीसी नेताओं को ऊंची जातियों के प्रभाव वाले दलों में दिखावे के पद पर बैठा दिया करते थे. जब एससीबीसी नेताओं ने अपनी जातिय राजनीति शुरू कर खुद को मजबूत बनाया तो उन दलों को तोडने का काम किया गया. इन दलों के सांसदो और विधायकों के साथ खरीद फरोख्त का काम किया गया. इन नेताओं को मजबूर करने के लिये सीबीआई और ईडी का डर भी दिखाया गया.

बिहार में लालू प्रसाद यादव को चारा घोटाले में फंसा कर खत्म कर दिया गया. लालू का डर मुलायम और मायावती के उपर भी छाया हुआ है. इस डर की वजह से वह कभी कांग्रेस के पाले में लुढकते है कभी भाजपा के. मायावती के उपर सीबीआई और ईडी का डर बुरी तरह से छाया हुआ है. इसी डर की वजह से जब तक केन्द्र में कांग्रेस की सरकार थी वह कांग्रेस को समर्थन देती रही. जब से केन्द्र में भाजपा की सरकार है मायावती भाजपा के साथ खडी है.

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अब राजस्थान में वह भाजपा की संकटमोचक बनने के प्रयास में है. दलबदल के पूरे इतिहास को देखें तो बसपा सबसे अधिक इससे प्रभावित रही है. 1995 से लेकर 2012 तक 6 बार उत्तर प्रदेश में उसके नेताओं ने दलबदल किया. उत्तर प्रदेश के बाहर मध्य प्रदेश, राजस्थान, पंजाब और बिहार में बसपा नेता दूसरे दलों के पिछलग्गू बने रहे. दलित नेताओं में सबसे अधिक दबाव में आकर समझौते करने की प्रवत्ति देखी गई है. मायावती भी इसका एक छोटा उदाहरण है.

देश के आजाद होने के बाद जब दलितों को बराबरी का अधिकार देने की बात आई तो कॉंग्रेस ने अधिकार देने की जगह पर कुछ दलित नेताओं को आगे कर दिया. दलित चिंतक यह बात मानते है कि देश का संविधान भले ही बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की अगुवाई में बना पर दलितों को आजादी के 73 साल बाद भी अधिकार नहीं मिल सका है. अपने अधिकार के लिये दलित आज भी दूसरी पार्टियों के पीछे खडे होने को मजबूर रहते है. दलित नेता दूसरे दलों के साम, दाम, दंड भेद नीति का शिकार होते रहते है.

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कांग्रेस ने जगजीवन राम और उनकी बेटी मीरा कुमार को लेकर दलितों को अपने दबाव में रखा तो भाजपा ने बंगारू लक्ष्मण को अध्यक्ष बना दिया. रामविलास पासवान, उदित राज, रामदास अठावले और अनुप्रिया पटेल जैसे नेताओं ने जब दलित राजनीति को लेकर लडाई लडी तो भाजपा ने इनको पहले अपने साथ लिया और बाद में इनकी राजनीति को दरकिनार करके हाशिये पर ढकेल दिया.

राजस्थान की रेस

राजस्थान में सत्ता की रेस में कॉंग्रेस से मात खा चुकी भारतीय जनता पार्टी की आस अब मायावती पर टिकी है. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और राज्यपाल कलराज मिश्र के बीच चले कानूनी दांव पेंच में अशोक गहलोत भारी पडे. राज्यपाल को 14 अगस्त को विधानसभा सत्र बुलाने के लिये सहमति देनी पडी है. भाजपा की मदद के लिये अब बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती मैदान में उतर आई हैं. मायावती का इस तरह भाजपा की मदद के लिए उतरना कोई हैरान करने वाली बात नहीं है. मायावती उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में भी भाजपा को मुश्किल दौर से बाहर निकलने का काम कर चुकी है. यहां वह भाजपा सरकार की तारीफ करती रही है. राजस्थान में मायावती पूरी तरह से खुल कर भाजपा का साथ दे रही हैं. इससे यह साफ हो रहा है कि आने वाले दिनों में मायावती और भाजपा के बीच की दूरियां और भी कम होगी.

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मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार का तख्ता पलटने के बाद भाजपा ने राजस्थान की कॉंग्रेस सरकार पर निशाना लगाना शुरू कर दिया था. मध्य प्रदेश के ज्योतिरादित्य सिंधिया की तरह भाजपा ने राजस्थान में कांग्रेस नेता सचिन पायलट पर निशाना लगाया. सचिन पायलट भाजपा की मदद के बाद भी राजस्थान की गहलोत सरकार गिराने में असफल रहे तो भाजपा ने राज्यपाल के बहाने सरकार को मुश्किल हालत में डालने का काम किया. जिससे अशोक गहलोत विधानसभा में अपना बहुमत साबित ना कर सके. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ की तरह किसी भी तरह के दबाव में घुटने नहीं टेके. अशोक गहलोत की मजबूत इच्छा शक्ति को देखने के बाद राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने तीन बार  मुख्यमंत्री को कैबिनेट की सिफारिश टालने के बाद विधानसभा सत्र बुलाने के लिए अनुमति दे दी.

आलोचना में घिरे राज्यपाल:

सदन बुलाने को लेकर जिस तरह से राज्यपाल ने अपनी भूमिका निभाई उसकी पूरे देश आलोचना हों रही है. राज्यपाल के रूप कलराज मिश्र ने अपनी पुरानी पार्टी भाजपा के नेताओं की योजना के अनुसार काम किया. जो संवैधानिक पद पर बैठने वाले को शोभा नहीं देता है. राजस्थान में चुनी हुई सरकार द्वारा विधानसभा सत्र बुलाने की सिफारिशों को जिस तरह से राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ठुकरा रहे थें वो संविधान के विपरीत जा रहा था. जब भाजपा को यह लगा कि उनका यह दांव खाली जा रहा है तो राज्यपाल को अपनी जिद से पीछे हट कर विधानसभा सत्र बुलाने की अनुमति देनी पड़ी. राज्यपाल ने पहली बार ऐसा नहीं किया है. इसके पहले भी उत्तराखंड और महाराष्ट्र सहित कई अन्य प्रदेषों में ऐसे हालात देखने को मिल चुके है.

राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र को इस बात पर ऐतराज था कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजभवन का घेराव और धरना प्रदर्शन क्यो किया ? कलराज मिश्र यह भूल जाते है कि उत्तर प्रदेश में भाजपा नेता होने के नाते वह उत्तर प्रदेश के राज्यपाल रोमेश भंडारी का घेराव कर चुके है. तब भी मामला सरकार को बनाने और गिराने से ही जुडा हुआ था. 1997 में बसपा नेता मायावती के द्वारा भाजपा की कल्याण सरकार से अपना समर्थन वापस लिया था. उस समय के उत्तर प्रदेश के राज्यपाल रोमेश भंडारी ने जगदम्बिका पाल को रातोरात मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी थी. भाजपा ने उत्तर प्रदेश के राज्यपाल से लेकर राष्ट्रपति तक के यहां विधायकों को ले जाकर परेड कराई थी. कलराज मिश्रा ने राजस्थान के राज्यपाल रहते उसी तरह गहलौत सरकार के खिलाफ काम किया जिस तरह उत्तर प्रदेश में नियम के खिलाफ काम हुआ था.

राजस्थान में मायावती का दांव:

सचिन पायलेट और उनके साथी विधायकों की बगावत के बीच 14 अगस्त को अशोक गहलौत विधानसभा में अपना बहुमत ना साबित कर सके. इसके लिये अब भाजपा ने बसपा नेता मायावती के कंधे पर बन्दूक रख कर काम करना शुरू कर दिया है. भगवा रंग में डूब चुकी मायावती अब भाजपा का मोहरा बन रह गई है. 2018 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में  बहुजन समाज पार्टी के 6 विधायक जीत कर आये थे. यह सभी एक साल पहले कांग्रेस में शामिल हो गए थे. तभी से यह सभी विधायक बसपा के बजाए कांग्रेस के विधायकों के रूप में माने जा रहे थे. उस समय बसपा नेता मायावती ने भी किसी भी तरह का कोई एतराज नहीं किया. 2020 में अब मायावती को इस मुददे की याद आई है. अब मायावती ने कहा है कि यह सभी विधायक गैरकानूनी तरह से कांग्रेस में शामिल हुये थे. मायावती ने अपने सभी 6 विधायको को नोटिस जारी करके हिदायत दे दी कि वह विधानसभा में कांग्रेस के खिलाफ वोट दें.

मायावती के फैसले से साफ हो चुका है कि राजस्थान में मायावती भारतीय जनता पार्टी के साथ हो चुकी हैं. यहां भाजपा भी भी खुल कर मायावती के साथ खड़ी दिख रही है. राजस्थान भाजपा विधायक मदन दिलावर ने राजस्थान हाई कोर्ट में बहुजन समाज पार्टी के कांग्रेस में शामिल होने वाले 6 विधायकों को वापस बसपा में लाने के लिए तीन बार पिटीशन दाखिल कर चुके हैं. मदन दिलावर का कहना है कि बसपा के 6 विधायकों को कांग्रेस में शामिल किए जाने के विधानसभा अध्यक्ष के फैसले को रद्द किया जाए. मायावती ने भी अब कहा है कि अशोक गहलौत ने उनके सभी 6 विधायको को कांग्रेस में गैर कानूनी तरीके से शामिल किया था. अब अगर जरूरत पड़ी तो वह सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगी. सवाल उठ रहा है कि जिस मसले पर मायावती पहले  अदालत जा सकती थीं तो क्यो नहीं गई ? अब उनके इस तरह से अदालत जाने के पीछे की वजह क्या हो सकती है ?

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राजस्थान का गणित:

राजस्थान में सचिन पायलेट के साथ 17-18 विधायक ही है. यह किसी भी कीमत पर कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में शामिल होने के लिए तैयार नहीं हैं. सदन में भाजपा के अपने विधायकों की संख्या 72 ही है. 3 निर्दलीय विधायक भाजपा के साथ है. इनको मिलाकर आंकडा 75 विधायकों तक ही पहुंच रहा है. राजस्थान में बहुमत के लिये 101 विधायक होने चाहिये.  75 विधायको से 101 विधायको तक का सफर मुष्किल है. सचिन पायलेट के साथी विधायक 19 माने जा रहे है. अगर इन सभी की सदस्यता रदद कर दी जाती है या यह सभी इस्तीफा देते है तो बहुमत के लिये 90 विधायकोे की जरूरत होगी.  अशोक गहलौत के साथ इस हालत में 92 विधायक है. ऐसे में सत्ता का गणित अशोक गहलौत के साथ दिख रहा है.

भाजपा नेे जिस तरह से उत्तर प्रदेश में मायावती को कुर्सी का लालच देकर उनको समाजवादी पार्टी से अलग करने का किया था उसी तरह से अब वह कांग्रेस के साथ कर रही है. मध्य प्रदेश मे फूट डालो और राज करो का फामूर्ला लगाकर ज्योतिरादित्य को कांग्रेस से बाहर करा कर सत्ता पर कब्जा किया वही चाल राजस्थान में सचिन पायलेट के साथ करके कर रही है. 1993 के विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बसपा साथ चुनाव लडे और सरकार बनाई. भाजपा ने बसपा नेता मायावती को कुर्सी का लालच देकर सरकार गिराने पर मजबूर कर दिया. भाजपा के सहयोग से 1995 में मायावती पहली बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनी. इसके बाद 1997 और 2002 में मायावती भाजपा के साथ मिलकर मुख्यमंत्री बनी. मायावती भले ही बारबार यह कहती रहे कि वह भाजपा के साथ मिली नहीं है पर उनके काम उनको भाजपा के साथ खडा दिखाते है.

करीना कपूर के ट्वीट पर भड़कीं कंगना, नेपोटिज्म पर पूछे कई सवाल

बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत हमेशा अपने बेबाक अंदाज के लिए जानी जाती हैं. कंगना सुशांत के मौत के बाद से लगातार सुर्खियों में बनी हुई हैं. सुशांत को इंसाफ दिलाने को लेकर कंगना हर दिन कोई न कोई नया ट्विट जरूर करती रहती है.

कुछ दिनों पहले कंगना के निशाने पर आलिया भट्ट, करण जौहर, महेश भट्ट और सोनम कपूर थे लेकिन हाल ही में कंगना ने करीना कपूर पर निशाना साधते हुए कहा है कि वह अपने खानदान की वजह से आगे नहीं बढ़ा है तो किसके वजह से आज इस इंडस्ट्री में आगे बढ़ी हैं.

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दरअसल, करीना कपूर ने कुछ दिनों पहले नेपोटिज्म पर लिखते हुए कहा था कि वह बॉलीवुड में लोग खानदान की वजह से ही आगे नहीं बढ़ते, उन्हें अपना नाम बाकी अन्य कलाकारों की तरह मेहनत करके बनाना पड़ता है. मैं कई ऐसे नामो को गिना सकती हूं जो बॉलीवुड परिवार से होने के बावजूद भी आज तक कुछ नहीं कर पाएं है. और बहुत ऐसे भी लोग है जो अपना नाम मेहनत के बल पर बनाएं हैं.

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कंगना और उनकी टीम ने करीना कपूर के ट्विट पर निशाना साधते हुए कहा है कि हां करीना पर कमेंट करते हुए लिखा है कि जी हां करीना जी दर्शकों ने आपको रिच और फेमस बनाया है उन्हें नहीं पता था कि आपको सफलता मिलने के बाद आप बॉलीवुड को बुलीवुड बना देंगी.

आप ये बताइए कि आपके दोस्त ने क्यों कहा था कि कंगना इंडस्ट्री छोड़कर चली जाए. एक और ट्विट में लिखा है कि आखिर क्यों सुशांत के प्रोडक्शन हाउस को बैन किया गया.

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आखिर क्यों कंगना सुशांत को इस इंडस्ट्री में अकेले छोड़ दिया गया. क्यों दोनों को किसी पार्टी में नहीं बुलाया जाता है. कोई उसके फिल्म रिलीज और सफलता पर क्यों नहीं बोलता है. आगे एक ट्विट में कंगना के लोगों ने ट्विट करते हुए लिखा है कि उन्हें आपके नेपोटिज्म किड होने पर कोई दिक्कत नहीं है लेकिन आप इस तरह से मत दिखाओ की आपको आम लोगों की तरह परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

अंकिता लोखंडें ने पोस्ट शेयर कर दिया ये इशारा- ‘मुझे कोई खरीद नहीं सकता’

दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के मौत के बाद से विवाद लगातार बढ़ते ही जा रहा है. कुछ दिनों पहले ही सुशांत सिंह राजपूत के पिता ने सुशांत की कथित गर्लफ्रेंड रिया चक्रवर्ती के खिलाफ केस दर्ज करवाया है. वहीं सुशांत की एक्स गर्लफ्रेंड अंकिता लोखंडें भी अपनी पुरानी बातों को भूलकर सुशांत को इंसाफ दिलाने के लिए आगे आ गई हैं.

सुशांत के बारे में बोलते हुए अंकिता ने कई इंटरव्यू में कहा है कि वह कभी भी आत्महत्या करने  वाला लड़का नहीं था. उसके सपने बहुत थे और वह अपने सपनों के साथ जीना चाहता था. सुशांत के साथ किसी ने साजिश की है तभी उसका यह हाल हुआ है. मैं इस बात को कभी नहीं मानती की सुशांत ने आत्महत्या कि है. सुशांत के घर वाले भी इस बात को मानते हैं.

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#listeningtomyhigherself

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सुशांत के खिलाफ साजिश करने वाले लोगों को पकड़ा जाना चाहिए और उन्हें इंसाफ मिलना चाहिए. सुशांत इतना कमजोर कभी था ही नहीं.

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अंकिता ने रिया के खिलाफ पोस्ट करते हुए लिखा था कि सच जीतता है. अंकिता ने हाल ही में अजीबो गरीब पोस्ट शेयर करते हुए लिखा है कि वह मुझे इस सांसरिक जीवन में एक लाख चीज करवाना चाहते थें, मैंने हर किसी के लिए सिर झुकाया है मैं एक पुजारी के पथ पर चल रही हूं. मैं अपनी दिल की यात्रा पर हूं मैं अपने दिल की सुन रही हूं. मुझे खरीदा नहीं जा सकता है और नहीं बेचा जा सकता है.

 

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Happy birthday meri jaan.. @memaheshshetty ?❤️?

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बता दें सुशांत और अंकिता करीब 7 साल तक एक-दूसरे के साथ रिश्ते में रहे थें. दोनों को टीवी का बेस्ट कपल कहते हैं. हालांकि कुछ समय बाद दोनों के रिश्तें में दरार आ गई थी. अंकिता और सुशांत एक-दूसरे से शादी करने वाले थें.

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अंकिता और सुशांत ने कभी एक दूसरे के बारे में गलत नहीं कहा था वहीं अंकिता ने कभी नहीं सोचा था कि उसके रिश्ते का अंत इस तरह से होगा.

 

बादाम एक फायदे अनेक

बादाम सब से पौष्टिक और पौपुलर नट्स है. बादाम याद्दाश्त तेज करने के साथसाथ शरीर को मजबूत बनाने का काम भी करता है. न्यूट्रीशनिस्ट्स मानते हैं कि बादाम की तुलना में भीगे हुए बादाम का सेवन करना ज्यादा फायदेमंद होता है क्योंकि रातभर भिगोने के बाद इस के छिलके में मौजूद टौक्सिक पदार्थ बाहर निकल जाते हैं और ज्यादातर न्यूट्रिएंट्स हमें मिल जाते हैं. बादाम की तासीर गरम होती है, इसलिए गरमी में बादाम का सीधा सेवन शरीर में गरमी बढ़ा सकता है अर्थात बादाम भिगो कर ही खाएं. हालांकि यह अलगअलग विशेषज्ञों की अलगअलग राय है. इस के अलावा बादाम में कई विटामिंस और मिनरल्स पाए जाते हैं.

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यह विटामिन ई, कैल्शियम, मैग्नीशियम और ओमेगा 3 फैटी एसिड का बेहतरीन स्रोत है. इन सभी पोषक तत्त्वों का पूरा फायदा मिल सके, इस के लिए बादाम को रातभर भिगो कर फिर उस का सेवन अच्छा माना गया है. भीगे बादाम के फायदे द्य दिल को स्वस्थ रखते हैं : भीगे बादाम में मौजूद प्रोटीन, पोटैशियम और मैग्नीशियम दिल को स्वस्थ रखने के लिए बेहद जरूरी होते हैं. इस के अलावा इस में ढेर सारे एंटीऔक्सीडैंट गुण होने की वजह से यह दिल की खतरनाक बीमारियों को भी दूर करता है. द्य पाचन में मदद : बादाम को भिगोने से एंजाइम को रिलीज करने में मदद मिलती है जो हमारे पाचन के लिए लाभदायक हो सकते हैं. बादाम भिगोने से एंजाइम लाइपीन निकलता है जो वसा के पाचन के लिए फायदेमंद होता है. द्य कब्ज दूर करता है :

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भीगे हुए बादाम का सेवन करने से आप को कब्ज की समस्या नहीं होती क्योंकि बादाम में अधिक मात्रा में फाइबर होता है जिस की वजह से आप का पेट अच्छे से साफ होता है. द्य वजन घटाने में : अगर आप मोटापे से परेशान हैं और वजन कम करना चाहते हैं तो अपनी डाइट में भीगे हुए बादाम को शामिल करें. बादाम में मौजूद मोनो अनसैचुरेटेड फैट्स भूख को कंट्रोल करने में मददगार हो सकते हैं. एक अध्ययन के अनुसार, हर रोज एक मुट्ठी बादाम खा कर आप कुछ ही दिनों में कई किलो वजन कम कर सकते हैं. द्य ब्लडप्रैशर नियंत्रित करता है : भीगे हुए बादाम में ज्यादा पोटैशियम और कम मात्रा में सोडियम होने की वजह से यह ब्लडप्रैशर को नियंत्रित करता है. इस में मौजूद मैग्नीशियम की वजह से यह ब्लड के प्रवाह को भी सुचारु रूप से नियंत्रित करता है. द्य कम करता है कोलैस्ट्रौल : बादाम में मौजूद मोनो अनसैचुरेटेड फैटी एसिड और विटामिन ई की वजह से यह शरीर में मौजूद कोलैस्ट्रौल को कम करता है और ब्लड में गुड कोलेस्ट्रौल की मात्रा को बढ़ाता है. द्य इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है: भीगे बादाम में प्रीबायोटिक गुण होता है जो इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में मदद करता है. प्रीबायोटिक गुण होने की वजह से यह आंतों में मौजूद गुड बैक्टीरिया के निर्माण को बढ़ाता है जिस से ऐसी कोई बीमारी नहीं होती जिस का असर आप की आंतों पर पड़े. द्य त्वचा की एजिंग को दूर करता है : स्किन से ?ार्रियों को दूर करने के लिए कोई और चीज इस्तेमाल करने के बजाय आप को भीगे हुए बादाम खाने चाहिए क्योंकि यह एक नैचुरल एंटी एजिंग फूड माना जाता है. सुबहसुबह भीगे हुए बादामों का सेवन करने से चेहरे पर ?ार्रियां नहीं पड़तीं और आप की त्वचा स्वस्थ रहती है. द्य कैंसर से लड़े :

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भीगे हुए बादाम में विटामिन बी17 और फौलिक एसिड होता है जो कैंसर से लड़ने में कारगर साबित हो सकता है. इस के अलावा शरीर में ट्यूमर की वृद्धि रोक सकता है. द्य दांत मजबूत होते है : भीगे बादाम का नियमित रूप से सेवन करने से दांत मजबूत होते हैं क्योंकि बादाम को भिगोने से उस में फास्फोरस का स्तर बढ़ जाता है जिस से दांत और मसूड़ों से जुड़ी बीमारियों में लाभ मिलता है. द्य बालों को पोषण : बालों का ?ाड़ना, डैंड्रफ, सिर की खुजली में बादाम खाने से फायदा मिलता है. बादाम में कई हेयरफ्रैंडली पोषक तत्त्व होते हैं जिन में विटामिन ई, बायोटीन, मैगनीज, कौपर और फैटी एसिड शामिल हैं. ये सारी चीजें बालों को लंबा, घना और हैल्दी रखने में मदद करती हैं. द्य प्रैग्नैंसी के लिए अच्छा होता है : गर्भवती महिलाओं को भीगे बादाम का सेवन जरूर करना चाहिए क्योंकि इस से उन्हें और उन के होने वाले बच्चे को पूरा न्यूट्रीशन मिलता है जिस से दोनों स्वस्थ रहते हैं. द्य दिमाग स्वस्थ रहता है :

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डाक्टरों का यह मानना है कि रोजाना सुबह 4 से 6 बादाम का सेवन करने से आप की मैमोरी तेज होती है और आप का सैंट्रल नर्वस सिस्टम ठीक से काम करता है जिस से दिमाग स्वस्थ रहता है. द्य बादाम खाने का सही तरीका द्य अगर आप बादाम बिना भिगोए हुए और बिना छिले हुए खाएंगे तो खून में पित्त की मात्रा बढ़ जाती है. द्य आप दिनभर में 10 बादाम खा सकते हैं लेकिन खाली पेट बादाम खाने से बचना चाहिए. अगर खाली पेट हैं तो सब्जियों और फल के साथ बादाम खा सकते हैं. द्य बादाम को भिगोने के लिए एक मुट्ठी बादाम को आधा कप पानी में डालें. उन्हें कवर करें और 8 घंटे भीगने दें. उस के बाद उस का छिलका छीलें और एक कंटेनर में स्टोर करें. ये भीगे हुए बादाम लगभग एक हफ्ते तक इस्तेमाल किए जा सकते हैं. द्य बादाम में कई शानदार पोषक गुण होते हैं. इस सुपरफूड को आप रोजाना अपने आहार में शामिल कर सकते हैं.

टिड्डी दलों का  हमला, उपाय और बचाव के तरीके

कोरोना वायरस से फैली महामारी का हमला अभी कम भी नहीं हुआ था कि टिड्डी दल के हमले ने कृषि वैज्ञानिकों समेत किसानों को चिंता में डाल दिया है. राजस्थान से मध्य प्रदेश होते हुए उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके के हमीरपुर और  झांसी में इन के हमले की सूचना मिली है.

टिड्डी दल में करोड़ों की तादाद में तकरीबन 2 से ढाई इंच लंबे कीट होते हैं, जो फसलों को कुछ ही घंटों में चट कर जाते हैं. ये कीट सभी तरह के हरे पत्तों पर हमला करते हैं और किसी इलाके में शाम 6 बजे से रात  8 बजे के आसपास पहुंच कर जमीन पर बैठ जाते हैं, वहीं पर रातभर फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं और फिर सुबह 7 बजे से 8 बजे के आसपास उड़ान भरते हैं.

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कृषि वैज्ञानिकों के सुझाव

* टिड्डी दल केवल रात के समय फसलों पर बैठते हैं. इन पर उसी समय हमला करने की जरूरत होती है.

* टिड्डी दल जिस जगह पहुंचेगा, वहां मादा कीट जमीन पर अंडे छोड़ देती हैं और वे फिर दोबारा लौटते हैं.

* जब तक टिड्डी दल लौटता है, तब तक दूसरे कीट, जो अंडे के रूप में होते हैं, वे बड़े हो चुके होते हैं.

* टिड्डी दल पर निगरानी रखने के लिए किसान शाम को फसलों पर जरूर नजर रखें. अगर उन का प्रकोप हो तो तुरंत अपने कृषि विज्ञान केंद्र या जिला प्रशासन को सूचित करें.

* इन से छुटकारा पाने के लिए रात के समय कीटनाशक का इस्तेमाल किया जाना चाहिए.

* जिस तरफ हवा होती है, ये कीट उसी तरफ उड़ान भर देते हैं. ये कीट एक उड़ान में तकरीबन 100 से 150 किलोमीटर तक का सफर तय कर सकते हैं.

* संयुक्त राष्ट्र संघ के खाद्य और कृषि संगठन के मुताबिक, औसतन एक टिड्डी दल 2,500 लोगों का पेट भरने लायक अनाज चट कर सकता है.

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कीट को ऐसे भगाएं

यह जानना जरूरी है कि अटैक करने वाला टिड्डी दल पीले रंग का होता है.

टिड्डी दल को भगाने के लिए ढोल, नगाड़ों, टिन के डब्बे, पटाखे, थालियां, लाउडस्पीकर से आवाजें करें.

किसान टोलियां बना कर इस समस्या से निबट सकते हैं. फायर ब्रिगेड की भी मदद ले सकते हैं.

टिड्डी दल फसलों समेत दूसरी वनस्पति को खा कर चट कर देता है. इन कीटों को उस क्षेत्र से हटाने या भगाने के लिए ध्वनि विस्तारक यंत्रों का भी इस्तेमाल किया जा सकता है.

किसान ध्वनि विस्तारक यंत्रों से आवाज कर उन को अपने खेत पर बैठने न दें. अपने खेतों में आग जला कर, पटाखे फोड़ कर, थाली बजा कर, ढोलनगाड़े बजा कर आवाज करें, ट्रैक्टर के साइलैंसर को निकाल कर भी तेज आवाज कर सकते हैं.

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इस के अलावा खेतों में कल्टीवेटर या रोटावेटर चला कर टिड्डी और उन के अंडों को नष्ट किया जा सकता है. प्रकाश प्रपंच का भी इस्तेमाल किया जा सकता है.

याद रखें कि यह कीट देखने में बहुत छोटा होता है, पर इन की तादाद इतनी ज्यादा होती है कि ये किसानों की मेहनत को मिनटों में मिट्टी में मिला सकते हैं. समय रहते ही कड़े कदम उठा कर इन से बचाव किया जा सकता है.

जरूरी कीटनाशक दवाएं

  *       क्लोरोपाइरीफास 20 फीसदी ईसी की 1,200 मिलीलिटर

*         क्लोरोपाइरीफास 50 फीसदी ईसी की 1,000 मिलीलिटर

*         डेल्टामेथ्रिन 2.8 फीसदी ईसी की 450 मिलीलिटर

*         डेल्टामेथ्रिन 1.25 फीसदी यूएलवी की 200 मिलीलिटर

*         लैम्ब्डा-साईहेलोथ्रिन 5 फीसदी ईसी 400 मिलीलिटर

        फिप्रोनिल 5 फीसदी एससी की 2,500 मिलीलिटर

*         मैलाथियान 50 फीसदी ईसी की 1,850 मिलीलिटर

        बेंडिओकार्ब 80 फीसदी डब्लूपी की 125 ग्राम

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इन में से किसी एक कीटनाशक को 500 से 600 लिटर पानी में घोल बना कर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें या फिर मैलाथियान 5 फीसदी डीपी की 25 किलोग्राम मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से सुबह के समय बुरकाव करें.

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