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अंतिम फैसला- भाग 2 : सुकेश ने रमा को क्या मना किया था?

लेखक- आशीष दलाल

“सुकेश, यह क्या मजाक है. उठो न…” रमा ने कांपते हुए स्वर में एक बार फिर से उसे हिलाया. सुकेश इस बार भी न हिला और न ही अपनी तरफ से कोई प्रतिक्रिया दी. उस के शरीर में कोई हलचल न न पाकर रमा की घबराहट और भी ज्यादा बढ़ गई.

सहसा उस ने अपने कान उस की छाती के पास ले जा कर उस की धड़कन को सुनने का प्रयास किया. उस ने महसूस किया उस की छाती में सांसों के चलने से होने वाली हलचल नदारत थी. उस ने एक बार फिर से सुकेश को पकड़ कर जोर से हिलाया.

सुकेश उतना ही हिला जितनी रमा ने उसे हिलाया. रमा ने घबराते हुए अपनी 2 उंगलियां सुकेश की नाक के पास ले जा कर रख दी. थोड़ी देर पहले अनहोनी को ले कर मन में समाई हुई घबराहट ने अब रुलाई का रूप ले लिया. रमा सुकेश से लिपट कर रोने लगी. काफी देर तक वह घबराहट की वजह से वह कुछ सोच न पाई. तभी कांपते हाथों से उस ने सुकेश का मोबाइल उठाया और काल लौग में से अपने ससुरजी से की गई बात वाले नंबर पर काल कर दी।

“सुकेश बेटा, आज इतने सवेरे कौन सा काम आ गया?”अपनी सास का स्वर सुन कर रमा की रुलाई फूट पड़ी.

“बहू, तू रो रही है? क्या बात हो हुई?” रमा की रुलाई सुन कर उस की सास ने घबराते हुए पूछा.

“मांजी, यह…यह…” रमा के मुंह से शब्द नहीं निकल पा रहे थे.

“क्या हुआ? सुकेश को फोन दो. तुम क्यों रो रही हो?” रमा की सास के स्वर में घबराहट और बढ़ गई.

“यह उठ ही नहीं रहे हैं,” एक ही सांस में बोलते हुए रमा रोने लगी.

“तो रोती क्यों है? उस की तो आदत है परेशान करने की. सुबह उठने के नाम पर मुझे भी बहुत परेशान करता था. एक लोटा पानी डाल दे उस के मुंह पर. गधे की तरह चिल्ला कर खड़ा हो जाएगा,” रमा की बात सुन कर उस की सास की घबराहट दूर हुई.

“नहीं, सच में नहीं उठ रहे हैं,” रमा आगे कुछ न बोल पाई और फोन बिस्तर पर रख कर वह अपना सिर पकड़ कर रोने लगी.

सुकेश के मोबाइल पर कुछ देर तक हैलोहैलो… का स्वर गूंजता रहा और फिर फोन बंद हो गया. तभी रमा के मोबाइल की रिंग बजने लगी. रमा ने अपना हाथ बढ़ा कर मोबाइल अपने हाथ में लिया. आंखों में उभर आए आंसुओं की वजह से उसे मोबाइल स्क्रीन पर झलकता हुआ ‘पापाजी’ नाम धुंधला सा नजर आया.

उस की हिम्मत ही नहीं हुई कि अपने ससुरजी से बात कर सके. थोड़ी देर रिंग बजने के बाद बंद हो गई लेकिन फिर अगले ही क्षण फिर से उस का फोन बजने लगा. इस बार उस के फोन की स्क्रीन पर उस की ननद का नंबर झलक रहा था. रमा ने हिम्मत कर बात शुरू की.

“हैलो…रानू… तेरे भैया…” रमा ने रोते हुए कहा.

“भाभी, क्या हुआ भैया को? मम्मी आप से बात कर बुरी तरह से घबरा गई हैं और भैया का मोबाइल स्विच्ड औफ क्यों आ रहा है? आप भी पापा का फोन नहीं उठा रही हैं? क्या हुआ भाभी?” रानू ने एकसाथ ढेर सारे सवाल कर डाले.

रानू की बात सुन कर रमा ने
सुकेश का मोबाइल हाथ में लिया. उस का मोबाइल सच में स्विच्ड औफ हो चुका था.

“तेरे भैया की सांस नहीं चल रही है रानू … मैं क्या करूं?” रमा ने हिम्मत जुटा कर आगे बात बढ़ाई.

“क्या? आप पागल तो नहीं हो गईं? भैया तो भैया… आप भी उन की संगत में ऐसा बेहूदा मजाक करने लगीं,” रानू अब भी रमा की बात पर विश्वास नहीं कर पा रही थी. वह सुकेश की हर समय मजाक करने की आदत से वाकिफ थी और सुकेश ने कई दफा खुद के मरने का नाटक कर सब को डराया भी था। इसी से रानू रमा द्वारा की गई हकीकत को समझ नहीं पा रही थी.

“नहीं रानू, मैं मजाक नहीं कर रही हूं,” कहते हुए रमा की रुलाई फूट पड़ी. तभी रमा को अपने ससुर का स्वर सुनाई दिया, “बहू, आसपास कोई डाक्टर रहता है?”

“मैं यहां किसी को नहीं जानती पापाजी और इन के मोबाइल की बैटरी भी खत्म हो गई है,” रमा अब तक कुछ हिम्मत जुटा पाई थी.

“आसपड़ोस में किसी को उठा कर बात करो,” उस के ससुर ने हिम्मत रखते हुए रमा को सुझाया.

“जाती हूं पापाजी,” कहते हुए रमा बदवहाश सी बाहर की तरफ दौड़ी. सहसा उसे याद आया कि उस के पड़ोस में रहने वाले अमितजी अपने परिवार को ले कर लौकडाउन की घोषणा होने के 1 दिन पहले ही अपने पैतृक शहर चले गए थे. बाकि के 2 फ्लैट खाली थे.

वह तेज कदमों से सीढ़ियां उतर कर तीसरी मंजिल पर आ गई. उस का यहां किसी से खास परिचय न था. वह सभी को केवल नाम से जानती थी और उन के व्यवहार से अपरिचित थी लेकिन फिर भी उस ने बारीबारी से घबराहट के मारे सभी 4 फ्लैटों की डोरबेल बजा दी. एकएक कर 3 दरवाजे खुले.

रमा बदवहाश सी सब के सामने खड़ी बारीबारी से सब के चेहरों को ताक रही थी. सभी लोग अपनेअपने घरों की दहलीज पर खड़े बाहर आने से कतरा रहे थे.

“क्या हुआ? आप इतनी परेशान सी क्यों है?”

“वो…वो… सुकेश… उठ नहीं रहे हैं… डाक्टर…” रमा समझ नहीं पा रही थी वह कैसे अपनी बात कहे. घबराहट के मारे उस का पूरा बदन कांप रहा था.

“मिसेस सुकेश, आप घबरा क्यों रही हैं? क्या हुआ सुकेशजी को?” तभी 301 में रहने वाले मि. शाह ने रमा से पूछा.

मि. शाह सुकेश को अकसर औफिस जाते हुए लिफ्ट देते थे। इसी से वह उस के बारे में थोड़ाबहुत जानते थे.

“भाई साहब, डाक्टर… डाक्टर… वे उठ नहीं रहे हैं,” कहते हुए रमा की आंखों से आंसू झरने लगे. उस ने अपनी साड़ी के पल्लू से आंसू पोंछने का यत्न किया.

अंतिम फैसला- भाग 1: सुकेश ने रमा को क्या मना किया था?

लेखक- आशीष दलाल

रमा सुबह जल्दी उठ जाया करती थी. गांव में थी तब भी दिन की शुरुआत सुबह 5 बजे से हो जाती थी. गांव में तो करने को ढेरों काम और बहुत सारी बातें थीं लेकिन यहां शहर आ कर तो उस की जिंदगी जैसे 2 कमरों में सिमट कर रह गई थी. गांव में अच्छीखासी खेतीबाड़ी होने के बावजूद सुकेश की जिद के आगे उस की एक न चल पाई और उस के पीछे उसे गांव का भरापूरा परिवार छोड़ कर अकेले शहर आना पड़ा.

सुकेश वैसे तो प्रकृति प्रेमी युवक था और अपने खेतों से बहुत प्यार करता था, लेकिन उस की जिंदगी में कुछ नया करने की महत्त्वाकांक्षा उसे गांव की धूलमिट्टी से सनी गलियों से निकाल कर शहर की चकाचौंध वाली दुनिया में ले आई थी.

एमएससी ऐग्रीकल्चर से करने के बाद शहर की एक नामी ऐग्रीकल्चर कंपनी में उस की नौकरी लगने पर वह अकेले ही शहर आ कर रहने लगा था. रमा से शादी तो उस के बीएससी कर लेने के बाद ही हो गई थी.

रमा सुकेश की तरह बहुत पढ़ीलिखी तो न थी लेकिन गांव के स्कूल से 12वीं तक की पढ़ाई उस ने पूरी की थी. सुकेश महत्त्वाकांक्षी जरूर था लेकिन गांव और अपने परिवार के संस्कार उस की नसनस में बसे हुए थे। इसी से रमा के कम पढ़ेलिखे होने की बात उस के वैवाहिक जीवन में बाधा न बन सकी.

शादी के बाद गांव में सासससुर,  ननद और काका ससुर के संयुक्त परिवार के संग रहते हुए उसे सुकेश से दूर रहते हुए बहुत ज्यादा परेशानी नहीं हुई. वैसे तो सुकेश किसी न किसी बहाने हर महीने गांव आता रहता था लेकिन फिर भी 2 साल तक दोनों पतिपत्नी इसी तरह परदेशी की तरह अपनी गृहस्थी की गाड़ी आगे बढ़ा रहे थे. एमएससी करने के बाद नौकरी मिलते ही सुकेश जिद कर उसे अपने साथ शहर ले आया था.

गांव से यहां आ कर पिछले 1 महीने में वह सुकेश की नौकरी के समय के अनुसार उस की जरूरतों को संभालने की अभ्यस्त हो चुकी थी. सुकेश रोज सुबह 7 बजे टिफिन लेकर नौकरी के लिए निकल पड़ता और शाम को 7 बजे तक ही वापस घर आ पाता.

रमा के लिए घर में सारा दिन करने के लिए कोई खास काम न था. दिनभर टीवी के सामने बैठ कर कभी समाचार तो कभी कोई फिल्म या कोई धारावाहिक देख कर जैसेतैसे वह शहर के इस एकांतवास को भोग रही थी. बहुत मन होता तो कभी अपने मायके और कभी अपनी ससुराल में अपनी हमउम्र ननद से बतिया लेती.

सुकेश ने उसे अपनी गैरहाजरी में घर से बाहर निकलने को मना किया हुआ था और जिस फ्लैट में वे लोग रहते थे उस में अभी गिन कर 5 परिवार ही रहने आए थे. रमा 1 महीने के इस समय में यहां किसी से ज्यादा जानपहचान नहीं कर पाई थी.

किराया सस्ता पड़ने की वजह से शहर की सीमारेखा से कुछ दूरी पर होने के बावजूद भी सुकेश ने नया बना यह फ्लैट 2 महीने पहले ही किराए पर लिया था.

रोज की आदत के मुताबिक आज भी रमा की नींद तो सुबह 5 बजे ही खुल गई थी. उस ने अपनी बगल में सोए हुए सुकेश पर नजर डाली. वह अपनी आदत अनुसार सिर से पैर तक चादर ओढ़ कर चैन से सो रहा था.

पिछले कुछ दिनों शहर में चल रहे लौकडाउन की वजह से जल्दी उठ कर नौकरी जाने की कोई झंझट न थी. रमा ने पिछले 1 महीने के समय में पिछले 2 दिनों से ही सुकेश को चैन की नींद ले कर सोते देखा वरना नौकरी के कामकाज और तनाव से गुजरते हुए वह आधीआधी रात तक जागता हुआ न जाने क्या करता रहता था. रमा कुछ देर यों ही बिस्तर पर करवट ले कर पड़ी रही लेकिन फिर कुछ सोच कर उठ कर कमरे का दरवाजा खोल कर बाहर गैलरी में आकर खड़ी हो गई.

रात को हुई हलकी बारिश की वजह से सुबहसुबह चल रही ठंडी हवा का स्पर्श पा कर वह रोमांचित हो उठी.

उस पर पक्षियों का कलरव उस के मन को बरबस ही गांव की ओर खींच कर ले जाने लगा. वह इस सुंदर क्षणों को सुकेश के साथ महसूस करना चाह रही थी. उस ने खुले हुए दरवाजे से पीछे मुड़ कर देखा, सुकेश अभी भी गहरी नींद में था. एक पल को उस का मन हुआ कि सुकेश को नींद से जगाए और साथसाथ गरमगरम चाय पीते हुए दोनों गैलरी में बैठ कर खूब बातें करे लेकिन दूसरे ही पल उसे गहरी नींद में सोया पा कर उस ने अपने मन को समझा लिया. वह चुपचाप वहां खड़ी आंखें बंद कर गांव की पुरानी यादों को याद करने लगी.

काफी देर तक अपने में खोई वह वहां खड़ी रही. तभी उस के कानों में मोबाइल की रिंग की आवाज सुनाई दी.

सुकेश अपना मोबाइल अपने तकिए के नीचे ही रख कर सोया हुआ था लेकिन काफी देर तक रिंग बजने के बावजूद भी वह फोन नहीं उठा रहा था. रमा को सुकेश के इस आलसीपने पर गुस्सा आया और वह फुरती से अंदर आ गई. सुकेश के तकिए के नीचे से उस का मोबाइल उठाया तो मोबाइल स्क्रीन पर इस वक्त मि. रंजन ऐग्रीफार्मा प्राइवेट लिमिटेड नाम झलकता देख वह चौंक सी गई. सुकेश ने बातोंबातों में उसे बताया था कि मि. रंजन उस के बौस का नाम है. उस ने सुकेश को उठाने के लिए अपना हाथ आगे बढाया लेकिन तब तक रिंग आनी बंद हो गई.

रमा ने मोबाइल बिस्तर पर रखा और बड़े ही प्यार से सुकेश को उठाने के लिए चादर उस के सिर पर से खींची. सुकेश ने रमा की इस हरकत का कोई प्रतिकार नहीं किया तो रमा ने शरारत करते हुए उस के बालों को सहलाया. इस पर भी सुकेश ने अपनी कोई प्रतिक्रिया न दी. रमा ने इस दफा उसे जोर से हिलाया लेकिन सुकेश की तरफ से कोई भी हलचल न पा कर वह घबरा गई.

Crime Story: सच्चाई हार गई

तेजतर्रार पत्रकार शुभममणि त्रिपाठी माफियाओं के कारनामे अखबार में उजागर करते रहते थे. जिस की वजह से वह भूमाफिया दिव्या अवस्थी की आंखों में खटकने लगे. निजात पाने के लिए दिव्या ने  अपने गुर्गों के साथ मिल कर ऐसा कदम उठाया कि…

उन्नाव शहर और कस्बा शुक्लागंज में यह खबर आग की तरह फैली कि सहजनी मोड़ पर चर्चित पत्रकार शुभममणि त्रिपाठी की बदमाशों ने हत्या कर दी है. चूंकि शुभममणि त्रिपाठी कानपुर शहर से प्रकाशित हिंदी दैनिक अखबार ‘कम्पू मेल’ के उन्नाव जिला प्रतिनिधि तथा भाजपा नेता राकेश दीक्षित के दामाद थे.

उन की हत्या से क्षेत्र में सनसनी फैल गई और लोग घटनास्थल की ओर दौड़ पड़े. देखतेदेखते सहजनी मोड़ पर लोगों की भीड़ जुट गई. प्रिंट और इलैक्ट्रौनिक मीडिया के लोग भी वहां आ पहुंचे. यह सनसनी खेज घटना 19 जून, 2020 की थी. चूंकि अपराधियों ने दिनदहाड़े युवा पत्रकार की हत्या कर कानून व्यवस्था को खुली चुनौती दी थी, इसलिए उन्नाव पुलिस में हड़कंप मच गया था. अत: हत्या की खबर पाते ही उन्नाव कोतवाल दिनेश चंद्र मिश्र, गंगाघाट कोतवाल सतीश कुमार गौतम, एसपी रोहन पी. कनय, एएसपी विनोद कुमार पांडेय तथा सीओ यादवेंद्र यादव घटनास्थल पर आ गए थे.

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पुलिस अधिकारियों ने मौके पर फोरैंसिक टीम को भी बुलवा लिया था. हत्या को ले कर जनता में रोष था. इसलिए सुरक्षा के नजरिए से अतिरिक्त फोर्स को भी बुलवा लिया गया था.

पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया. शुभममणि के सीने में 3 गोलियां दागी गई थीं. जिस से उन की मौके पर ही मौत हो गई थी. मृतक की उम्र 25-26 वर्ष के आसपास थी. वह जींस व शर्ट पहने थे. जामा तलाशी में उन के पास से एक पर्स बरामद हुआ जिस में एक प्रैस आईडी कार्ड, आधार कार्ड, कुछ कागजात और कुछ रुपए थे. उन्नाव कोतवाल दिनेश चंद्र मिश्र ने पर्स को सुरक्षित कर लिया. फोरैंसिक टीम ने भी जांच की और मौके से साक्ष्य जुटाए. टीम को मौके से 3 खाली कारतूस मिले.

घटनास्थल पर मृतक का भाई ऋषभमणि त्रिपाठी और अन्य घरवाले भी मौजूद थे, जो फफकफफक कर रो रहे थे. एएसपी विनोद कुमार पांडेय ने उन्हें धैर्य बंधाया तथा घटना के संबंध में पूछताछ की.

ऋषभमणि त्रिपाठी ने बताया कि उन के भाई शुभममणि दोपहर बाद मोटर साइकिल से अपने दोस्त मुख्तार अहमद के साथ एक मुकदमे की पैरवी के लिए उन्नाव कोर्ट गए थे. शाम 4 बजे जब वह उन्नाव से घर वापस लौट रहे थे, तभी सहजनी मोड़ पर बदमाशों ने उन्हें घेर लिया और गोलियों से छलनी कर दिया. मुख्तार को उन्होंने धमका कर भगा दिया. मुख्तार ने ही घटना की जानकारी उसे दी थी. तब वह घटनास्थल पर आया था.

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मौका ए वारदात पर मुख्तार अहमद मौजूद था. वह बेहद डरासहमा था. चूंकि वह घटना का प्रत्यक्षदर्शी गवाह था, इसलिए पुलिस अधिकारियों ने उस से गहन पूछताछ की. मुख्तार ने बताया कि शुभममणि ने उसे दोपहर को फोन किया था और उन्नाव कोर्ट साथ चलने को कहा था. उस के बाद दोनों मोटरसाइकिल से उन्नाव कोर्ट पहुंचे.

शाम 3 बजे मुकदमे की सुनवाई खत्म हुई. तारीख मिलने के बाद हम दोनों मोटरसाइकिल से उन्नाव से शुक्लागंज के लिए रवाना हुए.

जैसे ही हम लोग सहजनी मोड़ पर आए, तभी मोटरसाइकिल पर सवार 3 लोगों ने ओवर टेक कर के शुभम को रोक लिया. वे तीनों मुंह को अंगोछे से ढके थे और शायद उन्नाव से ही पीछा कर रहे थे.

बाइक से उतरते ही उन तीनों ने फायरिंग शुरू कर दी और शुभममणि के सीने को छलनी कर दिया. उन्होंने कुल 6 फायर किए थे. बाद में उन्होंने उसे धमकाया और भाग जाने को कहा. धमकी से मैं डर गया और भाग खड़ा हुआ. भाग कर मैं शुक्लागंज आया और ऋषभ भैया को जानकारी दी. मुंह ढका होने के कारण मैं उन को पहचान नहीं पाया.

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पुलिस अधीक्षक रोहन पी. कनय ने मृतक पत्रकार के भाई ऋषभमणि त्रिपाठी से हत्या के बारे में पूछताछ की तो उस ने बताया कि शुभममणि की हत्या भूमाफिया लेडी डौन दिव्या अवस्थी ने सुपारी दे कर अपने खास व्यक्ति मोनू खान से कराई है. एक साल पहले भी दिव्या अवस्थी ने उस की दुकान पर तोड़फोड़ की थी और जानलेवा हमला किया था. जिस की रिपोर्ट उस ने गंगाघाट थाने में कराई थी.

मेरे भाई शुभममणि दिव्या अवस्थी के काले कारनामों को अखबार के माध्यम से उजागर करते रहते थे.

साथ ही सोशल मीडिया पर पोस्ट डालते थे. इस से दिव्या अवस्थी तिलमिला गई थी. इसी रंजिश और तिलमिलाहट में उस ने सुपारी किलर को सुपारी दिलवा कर भाई को मरवा दिया.

घटनास्थल का निरीक्षण और पूछताछ के बाद पुलिस अधिकारियों ने मृतक शुभममणि त्रिपाठी का शव पोस्टमार्टम के लिए उन्नाव जिला अस्पताल भिजवा दिया.

फिर उन्होंने गंगाघाट थाना प्रभारी सतीश कुमार गौतम को आदेश दिया कि वह थाने में मृतक के घरवालों की तहरीर पर यथाशीघ्र मुकदमा दर्ज कर नामजदों की गिरफ्तारी करें. नामजद व्यक्ति कितना भी पहुंच वाला क्यों न हो उस के खिलाफ कार्रवाई करें.

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आदेश पाते ही थानाप्रभारी सतीश कुमार गौतम ने मृतक के भाई ऋषभमणि त्रिपाठी की तहरीर पर भादंवि की धारा 147/148/149/302/34 के तहत दिव्या अवस्थी, उस के पति कन्हैया अवस्थी, देवर राघवेंद्र अवस्थी, मोनू खान, शहनवाज बिहारी, अफसर अहमद, अब्दुल वारी, कौशल उर्फ अपराधी बाबा, कपिल कटारिया तथा अतुल दुबे के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली. साथ ही अभियुक्तों को पकड़ने के लिए दबिश देनी शुरू कर दी.

इधर पत्रकार शुभममणि हत्याकांड की गूंज लखनऊ तक पहुंच गई.  आईजी (लखनऊ जोन) लक्ष्मी सिंह तथा एडीजी एस.एन. सावंत ने घटनास्थल का निरीक्षण किया तथा मृतक के घरवालों से जानकारी हासिल की. उन्होंने घरवालों को भरोसा दिया कि अभियुक्त जल्द ही पकड़े जाएंगे.

इस के बाद एस.एन. सावंत ने पुलिस लाइन सभागार में मीटिंग की. मीटिंग में जिलाधिकारी रवींद्र कुमार, एसपी रोहन पी. कनय, एएसपी विनोद कुमार पांडेय, सीओ (सिटी) यादवेंद्र यादव तथा उन्नाव कोतवाल दिनेश चंद्र मिश्र ने भाग लिया.

इस मीटिंग में आईजी सावंत ने बिगड़ती कानून व्यवस्था पर चिंता जताई, साथ ही पुलिस कप्तान रोहन पी. कनय को आदेश दिया कि वह पत्रकार हत्याकांड का जल्द से जल्द खुलासा करें ताकि जनता में पुलिस की छवि धूमिल न हो. उन्होंने जिले के पुलिस अधिकारियों से कहा कि वह गस्त बढ़ाएं और अपराधियों की धरपकड़ कर उन के हौसले पस्त करें.

एसपी रोहन पी. कनय ने पत्रकार शुभममणि त्रिपाठी हत्याकांड को चुनौती के रूप में लिया और खुलासे के लिए एएसपी विनोद कुमार पांडेय की निगरानी में पुलिस की 4 टीमें गठित कीं. इन में क्राइम ब्रांच तथा सर्विलांस टीम को भी शामिल किया गया. क्राइम ब्रांच की टीम ने जहां नामजद आरोपियों का रिकौर्ड खंगालना शुरू किया तो वही सर्विलांस टीम ने उन के मोबाइल नंबर सर्विलांस पर लगा दिए.

पुलिस की 2 अन्य टीमों ने भूमाफिया लेडी डौन दिव्या अवस्थी के शुक्लागंज स्थित आवास पर छापा मारा लेकिन वह पति और देवर सहित घर से फरार थी. उस के औफिस पर भी ताला पड़ा था. उस का खास सिपहसलार मोनू खान भी फरार था. अन्य आरोपी भी अपने घरों से फरार मिले.

पत्रकार शुभममणि हत्याकाण्ड ने कानपुर, उन्नाव से ले कर लखनऊ तक भूचाल ला दिया था. कानपुर, उन्नाव के प्रैस क्लबों में एकत्र हो कर पत्रकारों ने कैंडल जला कर मृतक को श्रद्धांजलि अर्पित की साथ ही रोष व्यक्त करते हुए अपराधियों की शीघ्र गिरफ्तारी की मांग की. साथ ही प्रशासन से मृतक के परिवार को आर्थिक मदद देने की मांग की. पत्रकारों ने मृतक के परिवार को सुरक्षा प्रदान करने की भी मांग उठाई.

उधर लखनऊ में भी सरोजनी नगर स्थित प्रैस क्लब में पत्रकारों की एक बड़ी मीटिंग अध्यक्ष राजकुमार सिंह चौहान, उपाध्यक्ष राजन पांडेय तथा संगठन मंत्री गुलाब सिंह राठौर की उपस्थिति में हुई इस में मांग की गई कि मृतक के परिवार को 50 लाख रुपए का मुआवजा दिया जाए साथ ही सरकार से उच्च स्तरीय जांच कराकर दोषी अपराधियों के खिलाफ सख्त काररवाई करने की भी मांग की.

उधर पुलिस की चारों टीमें आरोपियों को पकड़ने के लिए रातदिन एक किए थीं. ताबड़तोड़ छापे मार रही थीं, लेकिन आरोपी पकड़ में नहीं आ रहे थे. पुलिस ने खबरियों को भी फैला रखा था, पर उन्हें भी सफलता नहीं मिल रही थी.

23 जून, 2020 की सुबह 4 बजे सर्विलांस टीम की आंखों में उस समय चमक आ गई, जब एक आरोपी के मोबाइल नंबर की लोकेशन गंगाघाट थाने के अहमद नगर मोहल्ले की मिली. लोकेशन के आधार पर पुलिस की चारों टीमों ने अहमद नगर के एक पुराने मकान को चारों तरफ से घेर लिया. फिर सतर्कता के साथ 3 लोगों को धर दबोचा. पुलिस तीनों को गंगाघाट थाने ले आई.

थाने पर जब उन से नाम पता पूछा गया तो एक ने अपना नाम शहनवाज निवासी अहमद नगर, बताया. दूसरे ने अपना नाम अफसर अहमद तथा तीसरे ने अपना नाम अब्दुल वारी बताया. ये दोनों भी गंगाघाट के रहने वाले थे और सुपारी किलर थे.

इन तीनों से जब पत्रकार शुभममणि त्रिपाठी की हत्या के बारे में पूछा गया तो तीनों साफ मुकर गए. लेकिन जब सख्ती की गई तो तीनों टूट गए और उन्होंने हत्या का जुर्म कबूल कर लिया. यही नहीं उन्होंने हत्या में प्रयुक्त 2 तमंचे भी पुलिस को बरामद करा दिए.

3 हत्यारोपियों के पकड़े जाने की जानकारी अधिकारियों को मिली तो एएसपी विनोद कुमार पांडेय ने पुलिस लाइन स्थित सभागार में प्रैस कौंन्फ्रेंस की और तीनों को मीडिया के सामने पेश कर हत्याकांड का खुलासा किया.

अभियुक्त शहनवाज ने मीडिया के समक्ष खुलासा किया कि दिव्या अवस्थी का कस्बा शुक्लागंज में आवासीय प्लौटिंग का काम है. उस का यह काम मोनू खान देखता है. पत्रकार शुभममणि त्रिपाठी दिव्या अवस्थी के प्लौटों पर हुए अवैध निर्माण की खबरें छापते थे. हाल ही में उन्होंने इसी संबंध में एक बड़ी खबर छापी थी. इस खबर पर राजस्व विभाग ने दिव्या के अवैध निर्माण को गिरवा दिया था और जांच बैठा दी थी.

दिव्या अवस्थी व मोनू खान के खिलाफ शुभम ने सोशल मीडिया पर भी पोस्ट डाली थी, जिस से नाराज हो कर दिव्या अवस्थी ने मोनू खान के साथ मिल कर शुभममणि की हत्या की योजना बनाई.

योजना के तहत मोनू खान ने अपने मित्र अफसर अहमद तथा अब्दुल वारी से संपर्क किया और 4 लाख रुपए में शुभममणि की हत्या का सौदा कर दिया. साथ ही एडवांस के तौर पर उन्हें 20 हजार रुपए दिए और शेष काम होने के बाद देने की बात कही. सुपारी लेने के बाद हम तीनों ने शुभममणि की निगरानी शुरू कर दी और फिर मौका मिलते ही 19 जून की शाम हत्या कर दी.

एएसपी विनोद कुमार पांडेय ने 3 हत्यारोपियों की गिरफ्तारी के बाद शुभममणि त्रिपाठी की हत्या का खुलासा तो कर दिया था, पर इस खुलासे से न तो मृतक का भाई ऋषभमणि खुश था और न ही मीडियाकर्मी. उन्होंने मुख्य आरोपी की गिरफ्तारी न होने की बात कही तो विनोद कुमार पांडेय ने कहा कि उन की गिरफ्तारी के लिए टीमें लगी हुई हैं.

उन्होंने बताया कि दिव्या अवस्थी की गिरफ्तारी पर 10,000 रुपए, राघवेंद्र अवस्थी और मोनू खान पर 5-5 हजार रुपए का ईनाम घोषित कर दिया गया है. अन्य आरोपियों को जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा.

चूंकि हत्यारोपी शहनवाज, अब्दुल वारी तथा अफसर अहमद ने हत्या का जुर्म कबूल लिया था और हत्या में इस्तेमाल तमंचे तथा मोटरसाइकिल भी बरामद करा दी थी. अत: थानाप्रभारी सतीश कुमार गौतम ने उन तीनों को विधि सम्मत बंदी बना लिया, और उन के बयान विस्तार से दर्ज किए.

खूबसूरत और पढ़ी लिखी दिव्या अवस्थी कौन थी. वह आयरन लेडी से भूमाफिया लेडी डौन कैसे बनी? उस ने कब और कैसे चेहरा बदला. फिर समाज को आईना दिखातेदिखाते वह अपराधी कैसे बन गई. यह सब जानने के लिए हमें उस के अतीत की ओर जाना होगा.

उन्नाव जिले का एक बड़ा कस्बा है शुक्लागंज. यह गंगाघाट कोतवाली के तहत आता है. यह कस्बा उन्नाव शहर से 8-10 किलोमीटर दूर है जबकि कानपुर शहर से मात्र एक किलोमीटर दूरी है. केवल गंगापुल ही दोनों के बीच स्थित है. गंगा तट पर बसा यह कस्बा कई मायनों में चर्चित है. एक तो यहां ट्रांसपोर्टरों का दबदबा है. दूसरे यहां का कटरी क्षेत्र कच्ची शराब बनने के लिए बदनाम है.

2 दशक पहले यह कस्बा उजाड़ था, लेकिन समय के साथ इस का विकास होता गया. पहले यहां कटरी की जमीन माटी के मोल बिकती थी, लेकिन अब सोने के भाव बिकने लगी. शुक्लागंज अब गंगाघाट नगर पालिका में तब्दील हो गया है.

इसी शुक्लागंज के पोनी रोड स्थित शक्ति नगर मौहल्ले में नरेंद्र अवस्थी अपने परिवार के साथ रहते थे. उन के परिवार में पत्नी के अलावा 2 बेटे कन्हैया तथा राघवेंद्र थे. नरेंद्र अवस्थी प्रौपर्टी डीलिंग का काम करते थे. क्षेत्र में उन का अच्छा खासा प्रभाव था. प्रौपर्टी डीलिंग के धंधे में उन की अच्छी कमाई थी, जिस से उन की आर्थिक स्थिति मजबूत थी. उन के बेटे भी उन के व्यापार में मदद करते थे.

नरेंद्र अवस्थी ने  अपने बड़े बेटे कन्हैया अवस्थी की शादी दिव्या अवस्थी के साथ की थी. दिव्या पढ़ीलिखी खूबसूरत युवती थी. वह सामान्य परिवार की थी, लेकिन पढ़नेलिखने में तेज थी.

उस ने बीएससी की पढ़ाई एएनडी कालेज से पूरी की थी. कैमिस्ट्री उस का पसंदीदा विषय था. वह आगे भी पढ़ कर प्रोफेसर बनना चाहती थी, पर उसी दरम्यान उस की शादी हो गई.

ससुराल में दिव्या अपने मधुर व्यवहार से पूरे परिवार का दिल जीत लिया. कुछ समय बाद दिव्या अवस्थी ने मातृत्व सुख प्राप्त किया. जिस से घरपरिवार में खुशियां और बढ़ गईं.

दिव्या अवस्थी को पढ़नेपढ़ाने का शौक था. अत: शादी के बाद भी उस का यह शौक कायम रहा. उस ने पति और ससुर की अनुमति से एक शिक्षण संस्थान खोला.

इस संस्थान के माध्यम से वह उन योग्य छात्रों को शिक्षा उपलब्ध कराने लगी जो आर्थिक रूप से कमजोर थे. वह क्षेत्र के विद्यालयों के संपर्क में रहती और गरीब प्रतिभाशाली बच्चों का चयन करती फिर संस्थान में दाखिला करा कर उन का भविष्य संवारती. इस कार्य से उस ने मध्यम व गरीब तबके में अच्छी पैठ बना ली ली थी.

दिव्या अवस्थी को कविता लिखने का भी शौक था. उसे जब भी मंच पर काव्य पाठ का अवसर मिलता वह मंच को जरूर साझा करती. दिव्या अब सामाजिक कार्यों में भी बढ़चढ़ कर हिस्सा लेने लगी थी. रामलीला का मंच हो या फिर भगवती जागरण का, वह इन कार्यक्रमों को संपन्न कराने में आर्थिक मदद भी करती.

वह गंगाघाट पर लगने वाले मेले को संपन्न कराने में भी प्रशासन की मदद करती. परिणाम स्वरूप दिव्या अवस्थी क्षेत्र में शिक्षिका, कवियित्री तथा समाज सेविका के रूप में चर्चित हो गई. लोग उसे बेहद सम्मान देने लगे.

समाज सेवा में तत्पर रहते उस का झुकाव विश्व हिंदू परिषद की ओर हुआ. वह पहले विहिप की सदस्य बनी फिर विहिप के छोटेबड़े कार्यक्रमों में भाग लेने लगी. उस की तत्परता को देखते हुए विहिप ने उसे विहिप मातृशक्ति विभाग की जिला संयोजिका बना दिया.

इस के बाद वह महिला हिंसा के खिलाफ आवाज उठाने लगी. इतना ही नहीं वह महिलाओं को जुल्म के विरूद्ध लड़ने को जागरूक भी करने लगी. अनीति की लड़ाई लड़ने से वह आयरन लेडी कहलाने लगी. उस के जीवन में अकस्मात परिवर्तन तब आया जब वर्ष 2013 के मई माह में उस के ससुर नरेंद्र अवस्थी की हत्या हो गई. हत्या जमीनी विवाद के कारण ही हुई थी.

ससुर की हत्या के बाद उन का प्रौपर्टी डीलिंग का काम दिव्या अवस्थी ने संभाल लिया. वह तेजतर्रार व पढ़ी लिखी थी साथ ही चर्चित भी थी, सो उस का धंधा फलनेफूलने लगा.

अब वह अपनी हनक से सरकारी जमीनों पर भी कब्जा करने लगी. उस ने कटरी की जमीन पर कब्जा कर प्लौटिंग का काम कर दिया. इस तरह वह आयरन लेडी से भूमाफिया लेडी डौन बन गई.

चमक और धमक बढ़ी तो दिव्या अवस्थी को राजनीति सूझने लगी क्योंकि उस का मानना था कि राजनीति में आए बिना क्षेत्र में दबदबा कायम रखना आसान नहीं.

दबदबा बनाए रखने के लिए उस ने साल 2017 में गंगाघाट नगर पालिका, उन्नाव से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चेयरमैन पद के लिए चुनाव लड़ा. चुनाव में उस ने खूब पैसा खर्च किया और जम कर प्रचार भी किया लेकिन वह चुनाव हार गई.

दिव्या अवस्थी के घर से कुछ फासले पर बृहम नगर झंडा चौराहे के पास ही अतींद्रमणि त्रिपाठी का मकान था. उन के 2 बेटे थे ऋषभमणि त्रिपाठी तथा शुभममणि त्रिपाठी. ऋषभमणि त्रिपाठी की मकान के भूतल पर टेलीकाम की दुकान थी. जबकि शुभममणि त्रिपाठी पत्रकार थे. वह कानपुर से प्रकाशित हिंदी दैनिक समाचार पत्र ‘कम्पू मेल’ के उन्नाव जिला प्रतिनिधि थे.

युवा पत्रकार शुभममणि त्रिपाठी निर्भीक व साहसी थे. वह न तो भू माफियाओं से डरते थे और न ही बालू खनन माफियाओं से. अपनी कलम की धार से वह इन माफियाओं के कानून विरोधी कामों की पोल खोलते रहते थे.

कई बार इन माफियाओं ने उन्हें धन का लालच दिया पर उन्हें पीत पत्रकारिता पसंद न थी. पुलिस से भी उन की नहीं पटती थी. क्योंकि वह उन के काले कारनामे भी अखबार के माध्यम से उजागर करते रहते थे. यही वजह थी कि गंगाघाट कोतवाली में उन को प्रवेश नहीं मिलता था.

शुक्लागंज की भूमाफिया लेडी डौन दिव्या अवस्थी भी पत्रकार शुभममणि त्रिपाठी से नाराज रहती थी. रंजिश के चलते उस ने 12 जून 2019 को अपने गुर्गों के माध्यम से शुभम के भाई की दुकान पर तोड़फोड़ तथा मारपीट कराई.

जिस की रिपोर्ट ऋषभमणि त्रिपाठी ने थाना गंगाघाट में दिव्या अवस्थी तथा उस के गुर्गों के खिलाफ दर्ज कराई.

लेकिन पुलिस ने लेडी डौन दिव्या अवस्थी को गिरफ्तार नहीं किया बल्कि चार्जशीट अदालत में पेश कर दी.

शुक्लागंज में दिव्या अवस्थी का आवासीय प्लौटिंग का काम चल रहा था. जिसे उस का खास व्यक्ति मोनू खान देखता था. मोनू खान अपराधी प्रवृत्ति का था. उस के संबंध शार्प सूटरों से भी थे. इधर दिव्या अवस्थी ने कुछ प्लौटों पर कब्जा कर अवैध निर्माण करवा दिया था. यह खबर शुभममणि त्रिपाठी ने 14 जून, 2020 को अपने अखबार में छाप दी. साथ ही सोशल मीडिया पर भी पोस्ट डाल दी. खबर का असर यह हुआ कि राजस्व विभाग ने दिव्या अवस्थी के प्लौटों का अवैध निर्माण गिरा दिया.

इस काररवाई से दिव्या अवस्थी तिलमिला गई. उस ने पति कन्हैया अवस्थी, देवर राघवेंद्र अवस्थी, मोनू खान और अन्य के साथ बैठ कर मंत्रणा की फिर पत्रकार शुभममणि त्रिपाठी को सबक सिखाने की योजना बनाई.

योजना के तहत मोनू खान ने अपने सुपारी किलर दोस्त अफसर अहमद, अब्दुल वारी और शहनवाज से संपर्क साधा और 4 लाख रुपए में शुभममणि की हत्या का सौदा तय कर दिया. 20 हजार रुपए एडवांस भी दे दिए गए.

हत्या की सुपारी लेने के बाद 19 जून, 2020 की शाम 4 बजे अफसर अहमद, अब्दुल वारी तथा शहनवाज ने सहजनी मोड़ पर शुभममणि त्रिपाठी को घेर कर गोलियों से भून डाला और फरार हो गए.

खबर पा कर पुलिस आई और शव को कब्जे में ले कर जांच शुरू की. जांच में भूमाफिया लेडी डौन दिव्या अवस्थी द्वारा सुपारी दे कर हत्या कराए जाने की सनसनीखेज घटना का खुलासा हुआ.

दिनांक 24 जून, 2020 को थाना गंगाघाट पुलिस ने अभियुक्त शहनवाज, अब्दुल वारी तथा अफसर अहमद को उन्नाव कोर्ट में पेश किया जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. कथा संकलन तक उन की जमानत नहीं हुई थी. शेष 7 नामजद अभियुक्तों को पकड़ने के लिए पुलिस प्रयासरत थी

ब्रेकफास्ट में बनाएं दाल कचौड़ी और आलू भाजी

हर रोज एक तरह का नाश्ता बनाते हुए अगर आप थक गए है तो अपने नाश्ते को खास बनाने के लिए बहुत आसान तरीके से घर पर बनाएं ये दाल कचौड़ी .

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सामग्री कचौड़ी की

– 200 ग्राम मैदा

– 2 बड़े चम्मच घी मोयन के लिए

– आटा गूंधने के लिए पर्याप्त कुनकुना पानी

– कचौडि़यां तलने के लिए रिफाइंड औयल

– नमक स्वादानुसार.

सामग्री भरावन की

– 50 ग्राम धुली मूंग दाल

– 2 बड़े चम्मच बेसन

– 1 छोटा चम्मच धनिया पाउडर

– 1/2 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर

– 1 छोटा चम्मच सौंफ पाउडर

– 1 छोटा चम्मच अमचूर पाउडर

– 2 छोटे चम्मच बारीक कटी अदरक व हरीमिर्च

– चुटकीभर हींग पाउडर

– 1/2 छोटा चम्मच जीरा पाउडर

– 2 बड़े चम्मच रिफाइंड औयल

– नमक स्वादानुसार.

सामग्री आलूभाजी की

– 250 ग्राम उबले व हाथ से फोड़े आलू

– चुटकी भर हींग पाउडर

– 1 छोटा चम्मच जीरा

– 1/2 कप फ्रैश टमाटर पिसे हुए

– 1/2 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर

– 1 छोटा चम्मच अदरक व हरीमिर्च पेस्ट

– 1/2 छोटा चम्मच हलदी पाउडर

– 1 बड़ा चम्मच धनियापत्ती कटी

– 1 बड़ा चम्मच रिफाइंड औयल

– नमक स्वादानुसार.

विधि कचौड़ी बनाने की

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मैदे में गरम घी का मोयन व नमक डाल कर गूंध लें. आधा घंटा ढक कर रख दें.

धुली मूंग दाल धो कर 1 कप पानी में 5 मिनट उबालें. दाल गल जानी चाहिए पर फूटनी नहीं चाहिए. पानी निथार लें.

एक नौनस्टिक पैन में तेल गरम कर के हींग पाउडर, अदरक व हरीमिर्च पेस्ट भूनें. फिर बेसन डाल कर 1 मिनट सौते करें. दाल व सभी मसाले डाल कर 3-4 मिनट तक मिक्सचर भून लें. भरावन तैयार है.

मैदे की नीबू के आकार की लोइयां लें. थोड़ा थपथपा कर बड़ा करें. बीच में एक बड़ा चम्मच मिक्सचर भरें और बंद कर के हलका सा बेल दें ताकि कचौड़ी थोड़ी बड़ी हो जाएं.

गरम तेल में धीमी आंच पर कचौड़ी बना लें.

इन्हें 1-2 दिन पहले भी बना कर रखा जा सकता है. ओवन या एअरफ्रायर में गरम कर आलू की भाजी के साथ ब्रेकफास्ट में सर्व करें.

विधि आलू की भाजी की

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एक प्रैशरपैन में तेल गरम कर के हींग व जीरे का तड़का लगाएं फिर टमाटर पेस्ट व अन्य सूखे मसाले डाल कर भूनें.

जब मसाले भुन जाएं तब हाथ से फोड़े आलू डालें, साथ ही तरी के लिए 2 कप कुनकुना पानी भी डालें. 1 सीटी लगाएं या 5 मिनट खुले में पकाएं.

धनिया पत्ती डाल कर सर्व करें.

रजत बारमेचा ने अक्टूबर तक घर छोड़ा

फिल्म “उड़ान” और “शैतान” में अपने कर शोहरत बटोर चुके कलाकार रजत बारमेचा कोरोनावायरस की वजह से पिछले 4 महीने से अपने घर में कैद थे और वक्त की कोई शूटिंग नहीं कर रहे थे. लेकिन अब उन्होंने मैक्स प्लेयर  की वेब सीरीज “हे प्रभू “के दूसरे सीजन के शूटिंग के लिए हामी भरने के साथ ही अपना घर भी छोड़ दिया है. और जब तक वह इसकी शूटिंग पूरी नहीं कर लेते ,तब तक वह अपने घर से बाहर मुंबई में ही जूहू होटल में रहेंगे.
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शूटिंग के लिए घर छोड़ने की बात बताते हुए खुद अभिनेता रजत बारमेचा कहते हैं-“देखिए, मैं मुंबई में अपने पूरे परिवार के साथ रहता हूं. और मेरे परिवार ने 90 वर्ष के मेरे दादाजी भी रहते हैं . कोरोनावायरस एक संक्रमित बीमारी है. मैं नहीं चाहता कि मैं घर से बाहर शूटिंग करके जब वापस अपने घर पहुंचूं, तो मेरी वजह से किसी भी सूरत में मेरे दादाजी को कोरोनावायरस संक्रमण ना होने पाए.
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इसलिए मैंने तय किया कि जब काम करना जरूरी है ,तो खुद को सुरक्षित रखते हुए पूरे परिवार को भी सुरक्षित रखा जाए. इसलिए मैंने तय किया कि जब तक इसकी शूटिंग पूरी नहीं हो जाएगी, तब तक मैं अपने घर नहीं जाऊंगा. और मैंने मुंबई के जुहू होटल में रहना शुरू कर दिया है. इस सीरीज की शूटिंग एक ही शिडयूल में संभव नहीं है, बीच में कुछ ब्रेक भी रहेंगे. तो इसकी पूरी शूटिंग होने में अक्टूबर तक का समय लगेगा .इसलिए मैंने तय कर लिया कि अब मैं अपने घर अक्टूबर माह से पहले नहीं जाऊंगा.”
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रजत बारमेचा पिछले कुछ वर्षों से “गर्ल इन द सिटी”  वेब सीरीज के कई सीजन में अभिनय करने के बाद पिछले वर्ष वेब सीरीज “हे प्रभु” में अभिनय किया था .अब वह इसके  दूसरे सीजन की शूटिंग करने जा रहे हैं.

पैरों से लिखी अपनी सफलता की कहानी

मध्यप्रदेश के रीवा जिले की म‌ऊगंज तहसील में एक छोटा सा गांव है हरज‌ई . इस गांव के एक खपरैल मकान में रामजस केवट का परिवार रहता है. दिहाड़ी पर मजदूरी करने वाले रामजस के परिवार में पत्नी सहित चार लड़के और चार लड़कियां हैं.आठ बच्चों में एक बच्चा यैसा भी है , जिसके दोनों हाथ नहीं है. इस बच्चे को सामान्य ढंग से काम करते देखकर यह महसूस ही नहीं होता कि उसे हाथों की कमी है.इस बच्चे का नाम है कृष्ण कुमार. कृष्ण कुमार अपने पैरों से वह सभी काम कर लेता है, जो अममून हाथों की मदद से संभव हो पाते हैं.पढाई, लिखाई और खाने पीने के अलावा यह लड़का अपने पैरों से सुई में धागा डालकर कपड़े भी सिल लेता है.परिवार को लोग बताते हैं कि वह अपने कामों के साथ घर के कामों में भी हाथ बंटाता है.

कृष्ण कुमार को देखकर किसी शायर की ये पंक्तियां बरवश ही याद आ जाती है-

मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है. पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है.

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लगता है जैसे शायर ने यह शायरी बिना हाथ वाले इसी लड़के को देखकर लिखी  हैं.इस विलक्षण लड़के ने हाल ही मैं 27 जुलाई को घोषित हुए मध्यप्रदेश की हायर सेकंडरी परीक्षा के नतीजों में 82 फीसदी अंक लेकर सबको चौंका दिया है.

उसने साबित कर दिया है कि परीक्षा में पास होने के लिए  मंदिर ,मस्जिद,चर्च में किसी भगवान ,खुदा या मसीहा के आगे नत मस्तक होने की जरूरत नहीं  पड़ती है और न ही पंडे , पुजारियों, मौलवी , पादरियों के सामने गिड़गिड़ाने की. मध्यप्रदेश के रीवा जिले के कृष्ण कुमार केवट ने अपने बुलंद हौसलों और कड़ी मेहनत की बदौलत  सफलता की यैसी कहानी लिख दी है ,जो  हाथ पैरों से भले चंगे लोगों के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं है.  दोनों हाथ न होने के बावजूद भी मऊगंज तहसील के कृष्ण कुमार ने अपने पैरों को ही हाथ  बना लिया. 2020 की बारहवीं की परीक्षा में पैरों से लिखकर 82 प्रतिशत  अंक हासिल कर उन सुबिधा संपन्न लड़को के मां बाप को करारा जबाव दिया है,जो  पैसों की दम पर अपने बच्चों को मंहगे स्कूलों और कोचिंग क्लासों में पढ़ कर उतने अंक हासिल नहीं कर पाते.  कृष्ण कुमार के बुलंद हौंसलों के आगे उसके मजदूर पिता ने भी अपनी गरीबी की परवाह न करके उसका हौसला में कोई कसर बाकी नहीं रखी.

पढ़ाई के लिए हर दिन अपने गांव हरज‌ई मुड़हान से 10 किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल पहुंचने वाले इस होनहार छात्र ने प्रकृति को भी मात देकर उत्कृष्ट विद्यालय मऊगंज के टॉप टेन छात्रों में जगह बनाई है.   कभी कृष्ण कुमार की दिव्यांगता पर आंसू बहाने वाला परिवार अब उसकी इस उपलब्धि पर खुशियां मना रहा है.

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अपने तीन भाई और चार बहनों के बीच कृष्ण कुमार ने चलना सीखा और पढ़ाई में भी मन लगाया. बचपन में ही पैरों से सारे काम करने का हुनर खुद विकसित किया और अब मजबूत इरादे और बुलंद हौसले से वह मुकाम हासिल किया जो हाथ वाले भी नहीं कर पाए. कक्षा एक से बारहवीं तक की परीक्षा पैरों से ही कॉपी लिखकर उत्तीर्ण करने वाले कृष्ण कुमार ने सरकारी
उत्कृष्ट  विद्यालय मऊगंज में कला संकाय में तीसरा स्थान हासिल किया है.उसे 500 में से 414 नंबर मिले हैं, जबकि ओवरआल पोजीशन में वह विद्यालय में दसवें नंबर पर हैं.

इस मेधावी छात्र की उपलब्धि किसी लाइफ टाइम एवार्ड से कम नहीं है. पहाड़ की चोटी के बराबर मंजिल पाने वाले इस होनहार की  ख्वाहिश बहुत छोटी है. छोटे से झोपडी नुमा खपरैल क मकान में रहने वाले कृष्ण कुमार केवट के पिता रामजस केवट मजदूरी करते हैं और उसी से चार भाई , चार बहनों और मां बाप को मिला कर दस  लोगों का परिवार चलता है .वैसे तो कृष्ण कुमार आगे पढऩा  चाहते हैं ,लेकिन परिवार की गरीबी दूर करने जल्द ही क्लर्क जैसे कोई छोटी सी नौकरी करने की इच्छा रखते हैं. वह कहता है कि परिवार ने मेरे लिए सब कुछ किया है,अब मैं भी परिवार का सहारा बनना चाहता हूं. बताते हैं . कृष्ण कुमार स्कूल से पैदल लौटते समय ही रास्ते में पेड़ की छांव में बैठकर अपना होमवर्क कर लेते था. उसकी पढ़ाई की लगन देखकर गांव के स्टेशनरी व बुक की दुकान चलाने वाले अशोक गुप्ता और मनीष श्रीवास्तव पढ़ाई की हर चीज उन्हें बिना पैसे के देकर मदद कर देते थे.रिजल्ट आते ही जब कृष्ण कुमार की इस उपलब्धि की चर्चा सोशल मीडिया पर हुई तो रीवा जिले के अनेक लोगों ने उसकी आगे की पढ़ाई के लिए सहयोग का भरोसा दिलाया है.

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कृष्ण कुमार केवट की यह सफलता की कहानी गरीब, मजदूर परिवारों के लड़के लड़कियों के लिए  प्रेरणा देने के लिए एक मिसाल बन कर उभरी है ,जो अभावों में भी अपने लिए अवसर तलाश लेते हैं.

हुंडई ग्रैंड i10 Nios आखिर क्यों है बेस्ट कार

 

कस्टमर्स के बीच i10 Nios पॉपुलर होती जा रही है, क्यूंकि इसका लुक काफी अट्रैक्टिव है. वहीं स्टाइलिश डिजाइन के साथ ही यह अंदर से भी काफी आरामदायक है. यानी इस कार में वो सभी सुविधाएं मौजूद हैं जिसकी आपको ज़रूरत है.
तो जब Hyundai Grand i10 Nios आपको MakesYouFeelAlive का एहसास करवाती है तो अब इंतजार किस बात का है

सुशांत सुसाइड केस की जांच करने पहुंचे SP को मुंबई मे किया गया जबरन क्वारंटाइन तो कंगना ने सुनाई खरीखोटी

दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के मौत को कुछ वक्त बीत गया है. न्याय अभी तक नहीं मिला है. इस बात पर सुशांत का पूरा परिवार मुंबई पुलिस और बीएमसी से नाराज है. दरअसल, विनय तिवारी जो पटना के एसपी है उन्हें मुंबई में जबरन क्वारंटाइन कर दिया गया है.

वहीं बिहार के डीजीपी ने साझा किया है कि उन्हें रविवार रात को छोड़कर गेस्ट हाउस में रहने कि इजाजत दी गई है. आईपीएस अधिकारी विनय तिवारी ऑफिशियल ड्यूटी  पर पटना से मुंबई पहुंचे थे. वहीं उनके साथ ऐसा वर्ताव किया  गया.  बहुत रिक्वेस्ट के बावजूद भी उन्हें हाउस उपलब्ध नहीं कराया गया. जिस वहज से सभी लोग बहुत नाराज नजर आएं.

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इस घटना के बाद मुंबई पुलिस पर सुशांत कि बहन ने नाराजगी जताई है वहीं इसी बीच कंगना रनौत ने भी ट्विट कर अपनी बात रखी है. कंगना ने अपने ट्विट पर मुंबई पुलिस को पर नाराजगी जताते हुए गुंडा राज लिखा है और बताया है कि प्रधानमंत्री जी ऐसा ही हाल रहा तो मुंबई में बाहरी लोग सुरक्षित नहीं हैं. कृप्या इसे देखें और इस मामले पर शक्त करवाई करें.

पिछले महीने सुशांत सिंह राजपूत के पिता ने सुशांत कि कथित गर्लफ्रेंड रिया चक्रवर्ती के साथ-साथ और 6 लोगों पर एफआईआर दर्ज करवाई है. जिस पर पटना पुलिस लगातार जांच कर रही है. हालांकि अभी तक कोई न्यान नहीं मिला है.

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सुशांत के पिता के साथ-साथ सुशांत के फैंस भी इस केस पर सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं. हालांकि मुंबई पुलिस की तरफ से इस पर की कारवाई नहीं हुई हैं.

सुशांत के पिता ने मुंबई पुलिस के बारे में किया चौंकाने वाला खुलासा, दिशा सालियान की मौत से जुड़ा है तार

सुशांत सिंह राजपूत ने 14 जून 2020 को अपने आवास पर फांसी लगाकर आत्महत्या कि थी. इस खबर से पूरा देश सदमे में आ गया था लेकिन सुशांत के मौत के बाद से लगातार फैंस और उनके घरवाले सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं. इस पर सुशांत के पिता ने खुलकर अपनी बात रखी है.

सुशांत के पिता ने पटना पुलिस स्टेशन में जाकर रिया चक्रवर्ती के खिलाफ एफआईआर दर्ज तकरवाई है. जिसेक बाद से पुलिस लगातार इस केस पर छआनबीन कर रही है लेकिन खबर यह भी आ रही है कि सुशांत केस को मुंबई पुलिस जल्द ही बंद करना चाहती है.

वहीं सुशांत के पिता ने एक वीडियो शेयर कर मुंबई पुलिस पर निशाना साधते हुए कहा है कि मैं 25 फरवरी को ही बांद्रा पुलिस को बताया था कि उसकी जान खतरे में है. मैंने एफआईआर भी दर्ज करवाई थी लेकिन उन्होंने मेरी सुनी नहीं. आखिरकर मेरे बेटे की मौत 14 जून को हो ही गई.

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आगे उन्होंने कहा कि आज मेरे बेटे के निधन को 40 दिन से भी ज्यादा हो गया है लेकिन पुलिस इस पर एक्शन अभी तक नहीं ले पाई है.

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इस वजह से परेशान होकर मैंने पटना में केस दर्ज करवाई है. हालांकि अभी तक यहां भी कोई सुनवाई नहीं हुई हो रही है जिससे मुझे तसल्ली मिले कि मेरे बेटे को न्याय मिल रहा है.

 

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Happy birthday meri jaan.. @memaheshshetty ?❤️?

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जब बिहार पुलिस ने मुंबई पुलिस से सुशांत कि एक्स मैनेजर की फाइल मांगी तो उन्होंने देने से मना करते हुए कहा कि वह फाइल डिलीट हो गई है. इससे मालूम होता है कि वह इस केस को बंद करना चाहते हैं.

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Still struggling to face my emotions.. an irreparable numbness in my heart . You are the one who made me believe in love, the power of it . You taught me how a simple mathematical equation can decipher the meaning of life and I promise you that I learnt from you every day. I will never come to terms with you not being here anymore. I know you’re in a much more peaceful place now. The moon, the stars, the galaxies would’ve welcomed “the greatest physicist “with open arms . Full of empathy and joy, you could lighten up a shooting star – now, you are one . I will wait for you my shooting star and make a wish to bring you back to me. You were everything a beautiful person could be, the greatest wonder that the world has seen . My words are incapable of expressing the love we have and I guess you truly meant it when you said it is beyond both of us. You loved everything with an open heart, and now you’ve shown me that our love is indeed exponential. Be in peace Sushi. 30 days of losing you but a lifetime of loving you…. Eternally connected To infinity and beyond

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पुलिस के मुताबिक सुशांत और दिशा सालियान के मौत के ताड़ एक दूसरे से जुड़े हुए हैं.

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