सूर्य प्रताप सिह कोई राजनीतिक शख्सियत नहीं है. वह जनता की परेशनियों को लेकर जब सोशल मीडिया पर अपनी बात लिखते है तो सरकार घबडा जाती है. सूर्य प्रताप सिंह के खिलाफ पुलिस थाने में मुकदमा हो जाता है. बात केवल योगी सरकार तक सीमित नहीं है. अखिलेंश सरकार में भी सरकारी नौकरी करते हुये सूर्य प्रताप सिंह ने जब सरकार की आलोचना शुरू की तो 2 बार मुकदमें हुये. उनके घर पर हमला भी हुआ. चैकाने वाली बात यह है कि उस समय भारतीय जनता पार्टी के बडे नेता सूर्य प्रताप सिंह की मुखर आवाज का समथर्न करते थे. सत्ता बदली प्रदेष में भाजपा की योगी सरकार बनी. सूर्य प्रताप सिंह का व्यवस्था पर चोट करना बंद नहीं हुआ. अब योगी सरकार के कार्यकाल में बिजली के चीनी और कोरोना टेस्ट के मुददे को उठाने के लिये सूर्य प्रताप सिंह पर 2 मुकदमें हो गये.
1982 बैच के आईएएस सूर्य प्रताप सिंह उत्तर प्रदेष के बुलन्दषहर के रहने वाले है. खांटी गंवई माहौल में ही उनकी पढाई लिखाई हुई. सामान्य गांव के लडके ही तरह वह भी साइकिल से पैजामा पहन कर स्कूल कालेज जाते थे. इसका जिक्र वह अपनी बायोग्राफी ‘फटा पैजामा‘ में लिख भी रहे है. बुलन्दषहर, मेरठ और दिल्ली में उनकी पढाई पूरी हुई. दिल्ली में पढाई के दौरान ही उन्होने ‘इंडियन एक्सप्रेस’ में ट्रेनीज के रूप अरूण शौरी के साथ काम करने का मौका मिला. व्यवस्था के खिलाफ आवाज उठाने का दम यही से स्वभाव में आ गया. सूर्य प्रताप सिंह की हिंदी अंग्रेजी और बाकी विषयों पर अच्छी पकड थी. जिससे बैंक में पीओ और आईएफएस के कंपटीशन में अपनी जगह बनाई. सूर्य प्रताप अपने मातापिता और घर परिवार के प्रति बेहद संवेदनशील थे. इस लिये नौकरी करके पहले रोजीरोटी का प्रबंध किया.
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नौकरी में रहते हुये व्यवस्था के खिलाफ बोलने की आदत ने सूर्य प्रताप सिंह को अफसरो की अलग श्रेणी मे लाकर खडा कर दिया था. इसका प्रभाव यह रहा कि 25 साल की नौकरी में 54 बार ट्रांसफर किया गया. जबकि 9 साल वह अमेरिका में एमबीए और वल्र्ड बैंक की फेलोशिप पर पीएचडी करने में समय व्यतीत किया. इस दौरान उनके बच्चे बडी बेटी और छोटा बेटा अमेरिका में ही रहने लगे. सूर्य प्रताप सिंह ने भी यही सोचा कि अब नौकरी से त्यागपत्र देकर अमेरिका में बस जाये. इस बीच सूर्य प्रताप सिंह की मां का भावनात्मक दबाव बना कि वह लखनऊ वापस आ जाये. दूसरी तरफ उस समय के मुख्यमंत्री अखिलेष यादव ने भी उनको उत्तर प्रदेष आने को कहा. दिसम्बर 2014 में सूर्य प्रताप सिंह वापस उत्तर प्रदेष आ गये.
सवाल
अखिलेश सरकार में आपकी वापसी हुई इसके बाद भी आप की सरकार से ठन गई ?
जवाब
मेरी लडाई कभी भी किसी व्यक्ति के खिलाफ नहीं रही. मैं व्यवस्था के खिलाफ ही रहा हॅू. अखिलेष सरकार में मैं उत्तर प्रदेष में वापस आ गया. यहां भी या तो व्यवस्था मुझे नहीं समझ पाई या मैं व्यवस्था को नहीं समझ पाया. 1 साल में मेरा 5 बार ट्रांसफर किया गया. जब तक मैं किसी विभाग को समझता ट्रांसफर हो जाता. मैं जब षिक्षा विभाग में था तो नकल के खिलाफ एक बडा अभियान चलाया. इसी दौरान मेरा इलाहाबाद जाना हुआ. मेरी युवाओं के साथ अच्छी बातचीत होती थी. इलाहाबाद में उत्तर प्रदेष लोकसेवा आयोग को लेकर छात्र धरना प्रदर्षन कर रहे थे. मुझे बुलाया तो मैं चला गया. मामला भ्रष्टाचार के खिलाफ लडाई का था. हमारे सर्विस रूल में भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने की कोई मनाही नहीं है. ऐसे में छात्रों ने जब भ्रष्टाचार के खिलाफ कैंडल मार्च निकाला तो उनके बुलावे पर मैं भी उसमें षामिल हो गया. यह बात अखिलेष सरकार को पंसद नहीं आई. मुझसे पूछा गया. मैने सरकार को जवाब तो दे दिया पर यह सोच लिया कि अब नौकरी करने का कोई मकसद नहीं रह गया. तब मैने वालेटरी रिटायरमेंट के लिये प्रार्थना पत्र दे दिया.
सवाल
आपको कोई बडा पद नहीं मिला इसलिये सरकार का मुखर विरोध करने लगे ?
जवाब
पद, सुविधा और वैभव की चाहत होती तो अमेरिका से वापस ही नहीं आता. मेरी सोच यह थी कि सक्रिय जीवन के 10-12 साल देष और समाज को दे सके. सिस्टम में छटपटा कर रह गये. हम यह जानते है कि आलोचना समाधान नहीं है. पर एक आवाज तो है जो समाधान की तरफ जाने का रास्ता दिखा सकती है. हमारे संपर्क में बडी संख्या में छात्र है. जो अलग अलग षहरो के है. उन सबने वहां पर तमाम वाटसएप ग्रुप बना रखे है. इनमें मेरे विचार और बातें षेयर की जाती है. जो युवाओं के कैरियर निर्माण से जुडी होती है. मैं युवाओं को कहता हॅू कि राजनीति करने से पहले रोजीरोटी का प्रबंध करो. नौकरी से अधिक स्वरोजगार की पहल करो. इसी दौरान मैने व्यवस्था के खिलाफ फेसबुक पेज पर छोटीछोटी स्टोरी लिखनी षुरू की. जिनको मीडिया में जगह मिलने लगी. मैं लिखता तो व्यवस्था के खिलाफ था पर मीडिया उसको कभी अखिलेष के विरोध से कभी योगी के विरोध से जोडने लगी. सच्चाई यह है कि अखिलेष योगी से मेरा कोई विरोध नहीं. व्यवस्था से विरोध है. जो कुर्सी पर होता है उसका नाम जुड जाता है. जो बातें विरोधी दल और मीडिया कहती है उसी को मैं अपने स्तर से सबूत देखकर दोहराता हॅू. मेरे खिलाफ मुकदमा हो जाता है. खबर के सोर्स पर कोई कदम नहीं उठाता.
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सवाल
योगी सरकार के विरोध पर ऐसी प्रतिक्रिया की उम्मीद थी आपको ?
जवाब
जनता को प्रष्न पूछने का अधिकार है. मेरा यह मानना है कि लोकतंत्र को बचाये रखने के लिये प्रष्न करना जरूरी है. कोराना की टेस्टिग और चाइनीज बिजली के मीटर पर मेरे सवाल सरकार को इतने चुभ गये कि मुझ पर मुकदमें हो गया. मेरा कहना था कि वोट के लिये चाइनीज मीटर को बदलने से जनता के पैसे का दुरूपयोग होगा. अब सरकार ने मेरे खिलाफ मुकदमा लिखाते समय कहा कि इस संदेष से विस्फोटक स्थित बन गई इस लिये मुकदमा जरूरी था. मेरा सवाल है कि यह बात तो सोषल मीडिया पर तमाम लोग कहते है. असल में मुझ सत्ता के विरोध की आवाज के रूप में मान लिया गया है. इसलिये मेरी हर पोस्ट पर मुकदमें किये जा सकते है. ‘यूपी में राष्ट्रपति षासन’ वाली टिवीटर पोस्ट को सवा लाख से अधिक लोगो ने ट्रेंड किया जो किसी एक आदमी के लिये सरल नहीं होता है. मेरा मानना है कि आलोचना के खिलाफ एफआईआर षक्ति का दुरूपयोग है.
सवाल
आज की मीडिया को कैसे देख रहे है ?
जवाब
इस बात से इंकार नहीं किया जाता कि आज मीडिया की व्यवसायिक जरूरतें बदल गई है. यही वजह है कि मीडिया की ताकत कमजोर हुई है. हमने मीडिया का वह दौर देखा है जब एकएक रिपोर्ट पर सरकारें हिल जाती थी. इसके अपने तमाम कारण है. मेरा मानना है कि व्यवसाय और समाज की आवाज के बीच तालमेल करते हुये मीडिया को चलना चाहिये. एकतरफा दबाव में आना समाज के लिये घातक है. समझदार लोग आज भी इस दबाव के बाद भी आलोचना भी कर रहे और खुद को बचाये रखने में भी सफल है.
सवाल
सरकार से टकराने के दौरान आपको जेल जाने से डर नहीं लगता ?
जवाब
मै जेल जाने जैसा काम नहीं करता. मेरी आवाज का दबाने के लिये अगर ऐसा किया जाता है तो मुझे कोई डर नहीं. मेरी पत्नी तो मजाक में ही कहती है कि आपका बैगपैक तैयार कर दे.
सवाल
आप अखिलेष और योगी दोनो के खिलाफ मुखर रहे दोनो में कुछ अंतर देखते है ?
जवाब
विरोध करने वालों के खिलाफ दोनो के व्यवहार में बहुत अंतर नहीं दिखता. क्योकि इनमें समर्थक और मषीनरी काम करने लगती है. मुकदमें दोनो ही जगहो पर हुये. कई बार अखिलेष सरकार इस तरह की प्रतिक्रिया नहीं दिखाती थी जैसे आज की सरकार दिखा रही है. अभिव्यक्ति की आजादी की बात करने वाली इस सरकार का रवैया देखकर काफी हैरान हॅू. सरकार की कार्यप्रणाली अंसतोषजनक है. यह लोकतंत्र के लिये बेहद खतरनाक है. ना केवल मेरे मसले में बाकी जहां भी विरोध की आवाज उठती है उसके साथ भी दमनात्मक रवैया होता है.
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सूर्य प्रताप सिंह के योगी सरकार से पंगे:
- सत्ता का बलात्कार करता विधायक सेंगर: उन्नाव के विधायक कुलदीप सेंगर के मामले में सूर्य प्रताप सिंह ने अपने फेसबुक पर इस मसले पर लिखा. इसमें योगी सरकार की आलोचना की.
- काले कपडों में कुंभ स्नान विषेष साधना है क्या?: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केन्द्रीय मंत्री स्मृति इरानी की काले कपडो में कुंभ स्नान की अलग अलग फोटो को एक ही कोलाज में लगा कर सवाल पूछा.
- भाजपा का सुुपर सींएम सुनील बंसल: उत्तर प्रदेष भाजपा संगठन मंत्री सुनील बंसल पर सवाल
- उत्तर प्रदेश के दागी मंत्री दोनो हाथों से लूट ‘अस्थि कलष‘ में वोट यात्रा: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई की अस्थि कलष यात्रा के समय सवाल.
- नो टेस्ट नो करोना: उत्तर प्रदेष सरकार की नौकरषाही पर टिप्पणी. जिसमें अफसर ने डीएम को कहा कि करोना टेस्ट कराकर क्या पदक लेना चाहते हो.
- चाइनीज बिजली मीटर: चीन से तनाव के समय में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर में चाइनीज बिजली के मीटर हटाने का आदेष दिया तो सूर्य प्रताप सिंह ने सवाल किया कि ज बवह मीटर सही से काम कर रहे है तो उनको हटाया क्या जा रहा है ? केवल वोट के लिये जनता के पैसो को बरबाद क्यों किया जा रहा.