कोरोना महामारी की वजह से पोल्ट्री उद्योग को भारी नुकसान उठाना पड़ा है, इस नुकसान में वृद्धि सोशल मीडिया की कई मिथक और गलत धारणाओं के फैलने के कारण हुआ है, जिस का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं था. मुरगीपालकों ने इस दौरान ब्रायलर 5 से 10 रुपए किलो और अंडा 1-1.3 रुपए प्रति अंडा बेचा, जबकि 1 किलो ब्रायलर उत्पादन में 72 से 75 रुपए तक लागत आती है और अंडा उत्पादन में 3.25 रुपए की लागत आती है. इस प्रकार पोल्ट्री उद्योग को हुए घाटे ने इस उद्योग को खत्म सा कर दिया है, जिसे हमें फिर से स्थापित करना होगा ताकि उचित कीमत पर मांस व अंडा लोगों को उपलब्ध हो सके.

एक अनुमान के अनुसार इस वर्ष जाड़े में अंडे व ब्रायलर की उपलब्धता कम होने से कीमत दोगुनी होने की संभावना है. इस बुरे दौर में देसी प्रजातियों को कम नुकसान उठाना पड़ा है, क्योंकि ये प्रजातियां धीरेधीरे बढ़ती हैं और कीड़ेमकोड़े, गिरे हुए अनाज, बासी खाना, चारा इत्यादि खा कर अपना पेट भर लेती हैं, जिस से लौकडाउन के दौरान देसी मुरगियां पालने वाले मुरगीपालकों को आर्थिक रूप से अधिक नुकसान नहीं उठाना पड़ा और वह इन्हें अधिक समय तक रख कर अधिक लाभ ले सकते हैं.

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कृषि विज्ञान केंद्र, कटिया द्वारा सीतापुर जिले में देशी मुरगियों की विभिन्न प्रजातियां जिस में कारी देवेंद्रा, कारी निर्भीक, कड़कनाथ, असील, कारी ब्रो धनराजा प्रजातियां उपलब्ध कराईं और बैकयार्ड पोल्ट्री के रूप में प्रदर्शनी में दिया.

हमारे किसान, जिन के पास कड़कनाथ मुरगे लगभग 1.5 से 2 किलो वजन के हैं, वे बिक्री के लिए उपलब्ध हैं, क्योंकि आने वाले समय में देशी मुरगों की कीमत अच्छी मिलेगी, इसलिए आप इन्हें कुछ समय तक उन की देखभाल करें और जो नुकसान हुआ है, उस की जल्दी से जल्दी भरपाई हो जाएगी.

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