कोरोना के लक्षणों के बारे में अभी तक डॉक्टर और रिसर्चर्स किसी निश्चित नतीजे पर नहीं पहुंच सके हैं. ये कैसे और किस-किस तरीके से फ़ैल रहा है, इसको लेकर भी हर दिन नयी बातें सामने आ रही हैं. हाल ही में हुए ताज़ा सर्वे रिपोर्ट्स बताती हैं कि बहुतेरे लोगों को तो कोरोना हो कर ख़त्म भी हो गया और उनको पता ही नहीं चला. रेंडम कोरोना टेस्ट में मालूम चला कि वे कोरोना से ग्रस्त होकर ठीक भी हो चुके हैं क्योंकि टेस्ट सैंपल की जांच में पता चला कि उनके शरीर में कोरोना वायरस से लड़ने वाले एंटीबॉडीज़ मौजूद हैं. जबकि कोरोना होने का कोई लक्षण उनमें कभी नहीं उभरा.

पहले ये कहा जा रहा था कि कोरोना का मुख्य लक्षण है तेज़ बुखार. इसको जांचने के लिए बहुत बड़ी तादात में ऐसे थर्मामीटर से बाज़ार भर गया जो इंसान के माथे पर दूर से लगाने पर बुखार दर्ज करते हैं. ये थर्मामीटर लाखों की तादात में खरीदे गए. दुनियाभर की कंपनियों, दफ्तरों, मॉल, छोटी-बड़ी दुकानों, मेट्रो, रेलवे और बस स्टेशन, हवाईअड्डों, मेडिकल सेंटरों, अस्पतालों आदि में इन्ही थर्मामीटर से हर आने-जाने वाले व्यक्ति की जांच हो रही थी और अब भी हो रही है कि कहीं उसको कोरोना का लक्षण दिखाने वाला बुखार तो नहीं है.

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मगर हैरत की बात है कि अब पता चला है कि बुखार होना कोरोना का मुख्य लक्षण है ही नहीं. बहुतेरे लोगों को तो कोरोना होने के बावजूद बुखार होता ही नहीं है. भारत में बहुत कम मरीजों में ही बुखार कोरोना वायरस के प्रमुख लक्षणों के रूप में सामने आया है. दिल्ली स्थित एम्स के अध्ययन से यह बात सामने आयी है कि सिर्फ 14 फीसदी मरीजों को ही संक्रमण के दौरान बुखार था. देश में महामारी के शुरूआती दौर में एम्स में भर्ती रहे मरीजों पर यह अध्ययन किया गया, जिसका विवरण इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में प्रकाशित हुआ है. यह संस्थान आईसीएमआर से संबद्ध है.

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