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‘ससुराल सिमर का 2’: फिर दिखेगी दीपिका शोएब की जोड़ी , फैंस हुए खुश

दीपिका कक्कड़ और शोएब इब्राहिम की जोड़ी टीवी सीरियल्स से लेकर रियल लाइफ तक चर्चा का विषय बना रहा. सीरियल ‘ससुराल सिमर का ‘से दोनों की जोड़ी खूब मशहूर हुई थी. दोनों को एक साथ देखना सभी को अच्छा लगता था.

इस सीरियल के बंद होने के बाद से दर्शक हमेशा मिस करते थें वहीं शो के निर्माता एक बार फिर इस सीरियल को पसंद करने वाले लोगों के लिए कुछ प्लान करने वाले हैं. खबर आ रही है कि जल्द  ही सीरियल ससुराल सिमर का फिर से शुरू होने वाला है. इस खबर के मिलते ही दर्शक खुशी से झूम उठे हैं.

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मेकर्स इस सीरियल को दोबारा लॉन्च करने के लिए मेकर्स जोर-शोर से तैयारी कर रहे हैं. इस सीरियल के पहले पार्ट में शोएब और दीपिका की जोड़ी दर्शकों का दिल जीत लिया था. तो वहीं अविका गौर और मनीष रायसिंघन की जोड़ी भी दर्शकों को खूब पसंद आ रही थी.

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बता दें कि शोएब और दीपिका की प्रेम कहानी भी इसी सीरियल से शुरू हुई थी. इन दोनों की पहली मुलाकात भी सीरियल के सेट पर हुई थी.

बता दें कि दीपिका कक्कड़ और शोएब अबारहिम इन दिनों घर वालों के साथ समय बीता रहे हैं. आए दिन अपने सोशल मीडिया पर नई-नई पोस्ट शेयर करते रहते हैं. कुछ दिनों पहले शोएब और दीपिका अपनी फैमली के साथ घूमने लोनावाला गए थें. टीवी के इस क्यूट कपल को लोग सोशल मीडिया पर बहुत ज्यादा पसंद करते हैं.

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@shoaib2087 trying his best to get me “jogging” ???? . . . #lazyme ?

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गौरतलब है कि शोएब इब्राहिम और दीपिका कक्कड़ लॉकडाउन के दिनों में भी अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर बहुत ज्यादा एक्टिव रहते थें.

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दोनों की फैमली साथ में बहुत ज्यादा खुश रहती है. दीपिका कक्कड़ अपनी फैमली के साथ आएं दिन कुछ न कुछ नयी शेयर करती रहती हैं. दोनों की नई वीडियो देखने के लिए फैंस भी परेशान रहते हैं.

 

विषबेल-भाग 2 : नंदिनी मौसी और समीर का क्या रिश्ता था?

“माँ के पास”

“कल चली जाना,फ़िलहाल सफ़र की थकान तो उतार लो”

“दो तीन घंटे में आ जाऊँगी समीर,माँ की बहुत याद आ रही है”

उसने बच्चों की तरह मचल कर कहा तो समीर ने टैक्सी बुक कर दी.

दो घंटे की कह कर शर्मिला जब,रात तक वापस नहीं लौटी तो समीर ने फ़ोन घुमा दिया,

“कल शाम माँ और पापा मेरठ जा रहे हैं..उनके जाने से पहले लौटने की कोशिश करना”

“यों अचानक..”

“पापा के बॉस ने फ़ोन किया था इसीलिए अचानक प्रोग्राम बन गया..”

“तो पापा अकेले चले जायँ..”

“काफ़ी दिन हो गए माँ को भी घर छोड़े हुए..जाना ज़रूरी है..पता नहीं वहाँ भी घर किस हाल में होगा”

“कुछ दिन उनके साथ रह लेती तो अच्छा लगता..” उसने अतिरिक्त मीठे स्वर में समीर से कहा तभी ,पीछे से उसकी माँ,और बहनों का स्वर सुनाई दिया,

“इतनी ख़ुशामद करेगी तो सिर पर चढ़ कर बैठ जाएँगे तेरे घर वाले. जाती है तो जाए”.

“ख़ुशामद करूँगी तभी तो समीर पल्लू से बँधा रहेगा”

समीर ने बिना कुछ कहे फ़ोन रख दिया.दो दिन बाद,शर्मिला वापस लौटी तो समीर का मूड उखड़ा हुआ था.शर्मिला ने बेपरवाही सेअपना सामान व्यवस्थित किया,मैले कपड़े बाहर आँगन में नल के पास रखे और रिमोट उठाकर टीवी का स्विच औन करके अपना मनपसंद सीरीयल देखने लगी.बाहर निकली तो पटरे पर धुलने के बाद निचुड़े हुए कपड़े रखे थे.उसने पैर से उन्हें नीचे गिरा दिया,

“ये क्या किया बहू,सुखाने के लिए पटरे पर कपड़े रखे थे”

“मैं सुखाने के लिए ही अपने कपड़े छाँट रही थी”शर्मिला ने ढ़ीठता से कहा और गंदे तरीक़े से ,नंदिनी मौसी की नाराज़गी की प्रतीक्षा करने लगी

“रहने दो बहू मैं तुम दोनों के कपड़े सुखा दूँगी”मौसी ने हंस कर कहा., तो शर्मिला ने शांत सरोवर में पत्थर फेंका,

“आप को कोई भी काम ढंग से करना आता भी है”

“आज तक हमारे परिवार में नंदिनी मौसी से किसी ने इस तरह से बात नहीं की और तुम…?”

“सीधे क्यों नहीं कहते कि मुझे इस नौकरानी की इज़्ज़त करनी होगी?”

“नंदिनी मौसी नौकरानी नहीं,हमारे परिवार की घनिष्ट हैं.उन्होने मुझे और अरविंद को गोद में खिलाया है”लेकिन तब तक शर्मिला थाली खिसका चुकी थी,

“मैंने आज तक अपनी माँ की दो कौड़ी की इज़्ज़त नहीं की,इन की इज़्ज़त क्या ख़ाक करूँगी?शुक़र मनाओ इनके हाथ का बना इतना बेस्वाद खाना खा रही हूँ..एक बार मेरे हाथ का खाना खाकर तो देखना ,उँगलियाँ चाटते रह जाओगे”

“तीस वर्ष से अधिक हो गए रसोई बनाते हुए मगर हर चीज़ पूरी तरह कहाँ सीख पायी हूँ बहू,तुम जैसा कहोगी,वैसा बना दूँगी”नंदिनी मौसी की आँखों में आँसू आ गए

“अरे नहीं मौसी,घर में और भी बहुत काम हैं,शर्मिला को चौका संभालने दीजिए न!”

उसने समीर की तरफ़ ग़ौर से देखा,कहीं कटाक्ष तो नहीं कर रहा,किंतु वो निश्छल था और शर्मिला की हामी की प्रतीक्षा कर रहा था.अब शर्मिला घबरा गई.नंदिनी मौसी जैसी अनुभवी महिला के सामने उसका ज्ञान तो पासंग भर भी नहीं था .असल में शर्मिला तो वाक्प्रहार के लिए हर समय आतुर रहती थी,शांतिपूर्ण वार्ता के लिए उसके पास तर्क ही  कहाँ थे?

अगले दिन से रसोईघर से निकलने के लिए वो,नुक़सान पर नुक़सान करने लगी.कभी काँच का गिलास तोड़ देती,कभी नई प्लेट पटक देती.गैस चूल्हे पर कभी दूध उफन जाता कभी दाल चावल बिखर जाते.मौसी ही समेटतीं और वो बिना पूछे गर्व से सफ़ाई देती,

“मैं उठाऊँगी तो धूल मिट्टी से मेरा रंग मैला हो जाएगा”

कभी सब्ज़ी से भरा बर्तन सावधानी से लुढ़का देती,चूल्हे पर तवा और परात में पलेथन रह जाता.

एक दिन समीर को दफ़्तर के काम से दो दिन के लिए हैदराबाद जाना था.ऊपर लौफ्ट में से बैग निकाल कर उसने सामान सैट किया फिर ,ताला बंद करने के लिए जैसे ही चाभी घुमाई तो बैग का ताला हाथ में आ गया.उसने कलाई में बंधी घड़ी पर नज़र डाली.कुल एक घंटे का समय शेष रह गया था फ़्लाइट  छूटने में.

“सस्ता रोए बार बार महंगा रोए एक बार”शर्मिला ने हंस कर ठिठोली की

“ब्रैंडेड कम्पनी के बैग को तुम सस्ता कह रही हो? ऐसा क्या ले आयी तुम दहेज में?”

शर्मिला ने इसे ज़बरदस्ती का मौक़ा बना लिया और रोने लगी,”तुम मुझे दहेज न लाने का ताना मार रहे हो”

उसका रोना निराधार था किंतु चूज़े को सींक काफ़ी,समीर स्तब्ध रह गया.उसे समझ में नहीं आ रहा था बैग का ताला ठीक करे या पत्नी को संभाले? इधर घड़ी की सुई अपनी रफ़्तार से आगे बढ़ती जा रही थी.उधर एअर लाइनस से फ़ोन पर फ़ोन आ रहे थे.

उसने,उस फ़्लाईट की टिकट कैंसिल की और अगली फ़्लाइट की टिकट बुक कर ली.जाना ज़रूरी था.बोर्ड मीटिंग थी.

नया बैग ख़रीदने के लिए उसने कार की चाभी निकाली ही थी,कि शर्मिला  अचानक,उदारता दिखलाते हुए बोली,

“मार्केट जाने और आने में काफ़ी समय निकल जाएगा,तुम मेरा बैग ले जाओ”

सुझाव अच्छा था,समीर मान गया.जैस ही उसने सामान बैग में रक्ख़ा शर्मिला ने चोट की,

“सम्भाल कर ले जाना,कहीं खोंचा न लगे,पूरे पाँच हज़ार की है”

शर्मिला को पूरा विश्वास था,समीर सामान निकालकर बैग, फ़र्श पर पटक देगा,किंतु वो अपमान का घूँट पीकर भी मुस्कुराता रहा,

“मैंने हमेशा मँहगा सामान ही इस्तेमाल किया है शर्मिला.चिंता मत करो,तुम्हारा बैग सही सलामत ही वापस लाऊँगा”

दो दिन के बाद समीर वापस लौटा तो उपहार स्वरूप,शर्मिला के लिए हैदराबाद के मोतियों का पूरा सैट ले आया.शर्मिला सैट देखकर उछल पड़ी,

“हैदराबाद में रंगीन मोतियों की माला भी मिलती है समीर”उसने दूसरा ड़ब्बा खोलने के लिए हाथ बढ़ाया तो समीर बोला

“ये माँ के लिए है”

उसने जैसे ही ड़ब्बा खोलकर शर्मिला को दिखाया उसका चेहरा मुर्झा गया.सास के लिए मोतियों की माला,उसे बर्दाश्त नहीं हुई.

शाम को समीर ने अपने विवाह के उपलक्ष्य में एक छोटी सी पार्टी का आयोजन किया था.सारा इंतज़ाम होटल में रखा गया.कुछ वरिष्ठ,कुछ कनिष्ठ,कुछ सहकर्ता अफ़सर ,सपत्नीक आमंत्रित थे.सभी आमंत्रित मेहमानों ने शर्मिला के रूप लावण्य और शिक्षा की भूरी भूरी प्रशंसा की .तो समीर ने भी पत्नी के गुणों की प्रशंसा की.साथ ही यह भी कहा,”उच्च शिक्षित होने के बावजूद वो एक अच्छी ग्रहस्थिन भी है.”तो शर्मिला अवाक् रह गई

अंतत:अपशब्दों पर उतर आयी,और समीर पर झूठ बोलने का आरोप लगाया.”झूठा”सम्बोधन से ही समीर अवाक् रह गया.ठंडी साँस लेकर बोला,

“शर्मिला,मुझे आजतक,किसी ने “झूठा”नहीं कहा और तुम्हें ज़रा भी झिझक नहीं हुई.”

“नहीं क्योंकि मैं जानती हूँ तुमने मेरी झूठी प्रशंसा की है”

“लगता है माँ ने इस आँगन में तुलसी के स्थान पर नागफनी रोप ली है.”

“और इस नागफ़नी को तुम्हें पानी भी देना पड़ेगा और पूजा भी करनी पड़ेगी”शर्मिला एकदम निर्लज्ज बनी थी.

उस रात समीर की हलक से एक निवाला नहीं उतरा.सारी रात यही सोचता रहा,”किस मिट्टी की बनी है शर्मिला! न वाणी में मिठास है,न व्यवहार में नम्रता,हर समयघात लगाए बैठी रहती है,कि कैसे किसी का अपमान करे?

एक दिन समीर के सर में तेज़ दर्द था.उसने शर्मिला को पुकारा.दफ़्तर में वो अनुशासन अधिकारी था,उसकी आवाज़ में दम था,अतः उसकी सहज बातचीत में भी शर्मिला को आदेश की गंध आती थी,ऐसे वाक्यांशों को वो अनसुना कर देती थी.उसने सुनकर भी अनसुना कर दिया.समीर का धैर्य टूट गया,

“क्या कम सुनाई पड़ने लगा है?”

पशुओं में घरेलू इलाज की अहमियत

अगर पशु की हालत अचानक खराब हो जाए, तो मामला गंभीर हो जाता?है. ऐसे में अकसर अस्पताल पहुंचने से पहले ही पशु दम तोड़ देता?है. ऐसी हालत से बचने के लिए पशु का प्राथमिक इलाज करना चाहिए. यहां ऐसे ही कुछ घरेलू इलाजों के बारे में बताया जा रहा?है, जिन में इस्तेमाल की जाने वाली हींग, अजवाइन, हलदी, सौंफ, तेल, कालानमक, सादा नमक, खाने वाला सोडा व नौसादर वगैरह चीजें आमतौर पर किसानों के घरों में आसानी से मिल जाती हैं.

* अफारा (गैस बन जाना) : कई बार ज्यादा मात्रा में हरा चारा खाने से पशु का बाईं ओर का पेट फूल जाता?है और पशु को सांस लेने में कठिनाई होती है. इस के इलाज के लिए आधे लीटर अलसी के तेल में 30 मिलीलीटर तारपीन का तेल मिला कर पिलाएं या पानी में 15 ग्राम हींग घोल कर पिलाएं. इस से पशु को काफी आराम मिलता है.

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* खांसी : कभीकभी पशु को ठंड के मौसम में खांसी हो जाती है. इस के इलाज के लिए कपूर की 1 टिकिया को 7 चम्मच शहद और गुड़ के साथ मिला कर दिन में 3-4 बार चटाएं, तो पशु को आराम मिलता है.

* कब्ज : कई बार ज्यादा चारा या जहरीला चारा या खराब अनाज खाने से पशु को कब्ज हो जाता है. ऐसे में पशु को 100 ग्राम सादा नमक, 200 ग्राम भगसल्फ और 30 ग्राम सोंठ (या अदरक) आधे लीटर पानी में घोल कर पिलाएं.

* दस्त: दस्त लगने पर पशु को पहले दिन आधा लीटर अलसी का तेल या आधा कप अरंडी का तेल पिलाएं और दूसरे दिन 8 चम्मच खडि़यापाउडर, 4 चम्मच कत्था, 2 चम्मच सोंठ व गुड़ को पानी में मिला कर पिलाएं. इस से काफी फायदा होगा.

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* निमोनिया : ज्यादातर यह रोग सर्दी के मौसम में होता?है. सर्दी लग जाने से पशु को बुखार हो जाता?है और नाक से पानी बहता?है. इस के इलाज के लिए 100 ग्राम सोंठ, 100 ग्राम अजवाइन, 100 ग्राम चायपत्ती, 100 ग्राम मेथी व 500 ग्राम गुड़ को पीस कर करीब 2 लीटर पानी में घोल कर दिन में 2 बार पशु को पिलाएं.

* मुंह के छाले : खुरपका व मुंहपका रोग में पशुओं के मुंह में छाले पड़ जाते हैं. ये छाले जीभ के सिवा मुंह के अंदर अन्य हिस्सों पर दिखाई देते हैं. छालों की वजह से पशु चारा खाना बंद कर देता है, नतीजतन पशु की सेहत बिगड़ जाती है और दूध का उत्पादन कम हो जाता है. इस के इलाज के लिए 125 ग्राम अमकली और 50 ग्राम पीली कटीली को 2 लीटर पानी में उबालें. जब पानी करीब 1 लीटर रह जाए, तो बीमार पशु को पिलाएं.

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* जूं: जूं छूने भर से एक पशु से दूसरे पशु को लग जाती?है. सर्दी में बड़े पशुओं व उन के बच्चों में जूं होने का ज्यादा खतरा होता?है. जूं से बचाव के लिए 1 भाग तंबाकू और 2 भाग नहाने का साबुन, 40 भाग पानी में डाल कर उबाल लें. ठंडा हो जाने पर इस में 1 भाग मिट्टी मिला कर इस से पशु की मालिश करें.

* किलनी: आमतौर पर थनों, पूंछ, कानों और दूसरे अंगों पर किलनियां चिपट जाने से पशुओं को बेहद तकलीफ होती?है. इस से उन का दूध उत्पादन भी प्रभावित होता?है. किलनियों से बचाव के लिए 1 भाग नील व 2 भाग गंधक को 8 भाग वैसलीन या सरसों के तेल में मिला कर लगाने से किलनियां मर जाती हैं. इस के अलावा 4 भाग नमक व 1 भाग मिट्टी के तेल को 4 भाग सरसों के तेल में मिला कर लगाने से भी किलनियां मर जाती?हैं.

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* जख्म : सब  पहले रुई या साफ कपड़े को टिंचर आयोडीन में भिगो कर जख्म की सफाई करें. इस के बाद हलदी में मक्खन या सरसों का तेल मिला कर जख्मों पर लगाएं. इस से पशु को काफी राहत मिलती?है.

* जहरबाद : पशुओं का पैर पटकना, कांपना, डगमगाते हुए चलना, सांस लेने में कठिनाई होना व बुखार होना वगैरह जहरबाद रोग के खास लक्षण हैं. ऐसी हालत में प्राथमिक इलाज के तौर पर पशु को इमली के पानी में नमक घोल कर पिलाएं या लकड़ी के कोयले के 200 ग्राम पाउडर को 1 लीटर पानी में घोल कर पिलाएं. इस से रोग की तेजी कम होती है.

* जहर खा जाना : कभीकभी पशु चारे के साथ अनजाने में जहरीले कीड़े खा लेते?हैं या कभीकभी किसी व्यक्ति द्वारा आपसी दुश्मनी में पशु को जहर दे दिया जाता है. ऐसी हालत में पशु को डेढ़ किलोग्राम घी में 1 किलोग्राम एप्सम सावट मिला कर पिलाएं या 1 लीटर गरम दूध में 25 ग्राम तारपीन का तेल अच्छी तरह मिला कर पिलाएं और फिर 250 ग्राम केले की जड़ों के रस में 10 ग्राम कपूर मिला कर पिलाएं.

इन इलाजों द्वारा शुरुआती तौर पर पशुओं को काफी आराम मिल जाता है. इस के बाद अस्पताल ले जा कर माहिर डाक्टरों से पशु का बाकायदा इलाज कराना चाहिए ताकि उन की तकलीफ पूरी तरह ठीक हो सके.

डा. प्रमोद मडके, डा. हंसराज सिंह, डा. अनंत कुमार

(कृषि विज्ञान केंद्र, मुरादनगर, गाजियाबाद)

विषबेल-भाग 1 : नंदिनी मौसी और समीर का क्या रिश्ता था?

समीर न जाने कब से आराम कुर्सी पर निश्चेष्ठ सा बैठा हुआ था. कहने को लैप टौप खुला हुआ था,पर शायद एक भी मेल उसने पढ़ी नहीं थी.रविवार के दिन वो अक्सर नंदिनी मौसी से बालकनी में कुर्सी डलवा कर बैठ जाया करता था,पर आज तो सूरज की अंतिम किरण भी अपना आँचल समेट चुकी थी.शीत ऋतु की ठंडी हवाएँ अजीब सी सिहरन उत्पन्न कर रही थीं,पर वो यों ही बैठा रहा.एक बार नंदिनी मौसी फिर चाय के लिए पूछ ग़ई थीं.बड़े ही प्यार से उन्होने समीर के कंधे पर अपना हाथ रक्ख़ा तो उसकी आँखे भीग आयीं थीं.नि:श्वास छोड़ते हुए बस इतना ही मुँह से निकला ,

“नहीं मौसी,आज जी नहीं कर रहा कुछ भी खाने को”

“मैं जानती हूँ क्यों नहीं जी कर रहा है,पर कम से कम अंदर तो चलो.ये ठंडी हवाएँ हड्डियों को छेद देतीं हैं”

कैसे कहें  मौसी से कि जब मन लहुलहान हो गया है तो शरीर की चिंता किसे होगी?नंदिनी मौसी ज़बरन  लैप टौप,मोबाइल,उठाकर चलीं गयीं थीं.तो हारकर उसे भी उठना ही पड़ा.कभी कभी वो ख़ुद से प्रश्न करता,क्या इस घर को कोई घर कह सकता है?

माँ के मुख से उसने हमेशा एक ही बात सुनी थी,”घर बनता है अपंत्व,प्यार,ममता समर्पण और सामंजस्य से.अगर ईंट,सीमेंट,गारे और रेत की दीवारों से घर बनता, तो लोग सराय में न रह लेते,”

पत्नी के रूप में स्वयं उसने ऐसी सहचरी की कामना की थी जो मन,वचन,और कर्म से उसका साथ देती.विवाह तो प्रणयबंधन है,लेकिन शर्मिला व्यवहार,शिष्टाचार,माँ,अपमान से पूर्णतया विमुख थी.यदि दबे स्वर में कभी कोई कुछ कहता भी तो इतना चिल्लाती कि वो स्तब्ध रह जाते. न जाने शर्मिला की अपेक्षाएँ अधिक थीं या ख़ुद उनकी,पर इतना अवश्य था कि घुटने हमेशा उन्होने या उनके परिवार के सदस्यों ने ही टेके थे.

कितने चाव से माँ और बाबूजी ,शर्मिला को अपने घर की बहू बना कर लाई थीं.बड़े भाई की,असामयिक मौत से कराहते घर में एक लंबे समय के बाद ख़ुशियों की कोपलें फूटीं थीं.माँ सबसे कहतीं ,

“शर्मिला हमारे घर की बहू नहीं बेटी है”

लेकिन उसने अगले दिन से ही अपने रंग दिखाने शुरू कर दिए .समीर ने याद किया, मुँहदिखाई की रस्म पर ,ड्रॉइंग रूम में काफ़ी औरते जमाँ थीं.रस्म संपन्न होने के बाद, माँ ने शर्मिला को प्यार से कहा ,

“समीर अपने कमरे में नाश्ता कर रहा है,बहू तू जाकर उस के पास बैठ”

“मैं क्या उसके मुँह में ग्रास दूँगी”ऐसा लगा,जैसे महाभारत प्रारम्भ होने से पहले अर्जुन का सलामी तीर हो.

सुनते ही उपस्थित सभी महिलाओं ने ,एक दूसरे को निहारा फिर माँ को उलाहना दिया,

“ख़ूबसूरती के चक्कर में दहेज छोड़ा और रक़म को भी लात मारी,अब भुगतो  बहू के तेवर”

“नि:संदेह देवयानी,सौंदर्य,शिक्षा,और स्वास्थ्य के चयन के आधार पर तो तुम्हारा चयन श्रेष्ठ है,किंतु तुम्हारी बहू में,भावुकता और सम्वेदनशीलता नाम को भी नहीं है”एक अन्य महिला ने माँ से हमदर्दी दिखायी तो वो सहज भाव से हंस दी थीं.

“अरे देवयानी तो हीरा समझ कर लाई थी .अब बहू काँच का टुकड़ा निकली तो ज़ख़्म भी वो ही बर्दाश्त करेगी”

“तुम लोग बहू का मज़ाक़ तो समझती नहीं हो और बात का बतनगड़ बना रही हो”

चाय नाश्ता मिष्ठान प्रस्तुत कर के,माँ ने तो हंस कर बात का प्रसंग वहीं समाप्त कर दिया था लेकिन समीर का मन बेचैन हो गया था.क्या सोचती होंगी ये महिलाएँ?घर से बाहर निकल कर कितनी बातें बनाएँगी शर्मिला और उसके परिवार के बारे में?

रात ,जब सभी अपने अपने कमरे में सोने के लिए चले गए तो उसने शर्मिला को उसकी ग़ल्ती का अहसास दिलाया,”माँ से बात करने का तुम्हारा तरीक़ा सही नहीं था शर्मिला”

“ऐसा क्या कह दिया मैंने तुम्हारी माँ से?”

“रिश्ते का न सही उम्र का लिहाज़ तो किया होता..”

“देखो समीर ,मेरा तो यही तरीक़ा है बात करने का,चाहे किसी को अच्छा लगे या बुरा”

शर्मिला ने चादर ओढ़ी और मुँह दूसरी ओर फेर कर सो गयी,लेकिन समीर पूरी रात करवट बदलता रहा.सुबह उठा तो आँखें लाल थीं .चेहरा बुझा हुआ .देवयानी जी बेटे का चेहरा देखते ही पहचान गईं ,कि अंदर से कोई बात उसे बुरी तरह कचोट रही है. चाय का कप बनाकर उन्होने जैसे ही समीर के कंधे पर हाथ रखा,उस के मुँह से अनायास ही निकल गया,

“नम्रता,सहिष्णुता और बड़ों का आदर तो मानवीय भावनाएँ हैं न मॉ….इन्हीं से तो सुख का संचार होता है”

“लेकिन स्वभाव संस्कार तो विरासत में मिलते हैं.”जवाब बड़ी बुआ ने दिया था फिर ,देवयानी जी से मुख़ातिब होकर बोलीं,

“मैंने तो भाभी तुम्हें पहले ही सचेत किया था इस घर से रिश्ता मत जोड़ो.शर्मिला की बड़ी बहन,शादी के एक साल के बाद ही तलाक़ लेकर मायके लौट आयी थी”

“लेकिन,दुनियाँ में सारी उँगलियाँ बराबर तो नहीं होतीं जीजी”देवयानी जी ने मुस्कुरा कर जवाब दिया

“तुम्हारी बहू के भी लच्छन सही तो नहीं दिख रहे”

“किसी पौधे को ,अपनी जड़ ज़माने में थोड़ा समय तो लगता है “देवयानी जी ने ननद को चुप रहने का संकेत किया

फिर समीर से बोलीं,”समीर ,जाने की तैयारी शुरू कर दो,कल रात की ट्रेन से तुम दोनों को भी तो मनाली के लिए निकलना है”

धीरे धीरे सभी रिश्तेदार विदा हो गए. समीर का छोटा भाई अरविंद भी दो दिन बाद इंटर्नशिप के लिए लखनऊ विदा हो गया.अब घर में चार प्राणी थे.सास,ससुर,समीर और शर्मिला .तीनों ही हंसमुख और शर्मिला से स्नेह करने वाले.सुधाकर जी,मेरठ में बैंक मैनेजर थे.समीर को भी प्रोजेक्ट मैनेजर होने के नाते अच्छा वेतन मिलता था.खाने पीने,पहनने ओढ़ने का स्तर ज़रूर मध्यमवर्गीय था.लेकिन घर में आधुनिक सुख सुविधाओं के सभी साधन उपलब्ध थे.देवयानी जी पूरी तरह आश्वस्त थीं बहू अपनी ससुराल में रम जाएगी.

लेकिन शर्मिला ने अगले दिन से ही शांत सरोवर में पत्थर फेंकना शुरू कर दिया.दरअसल समीर के ग्रुप लीडर ने उसकी छुट्टी कैंसिल करके उसे तुरंत औफ़िस पहुँचने की ताक़ीद की थी.

“नहीं माँ,मुझे कल से ही औफ़िस ज्वाइन करना होगा.,प्रोजेक्ट की डैडलाइन नज़दीक है,कल रात ही VP का मेल आया था”

टिकट कैंसिल हुईं तो शर्मिला ने तूफ़ान मचा दिया. वो किसी भी क़ीमत पर मनाली जाना चाहती थी.समीर ने आश्वस्त किया,

“प्रोजेक्ट समाप्त हो जाने के बाद हम ज़रूर कहीं घूमने चलेंगे ”

लेकिन शर्मिला ने तो हमीर हठ पकड़ लिया था.एक मत से सबने तय किया,जब तक समीर दफ़्तर के काम में व्यस्त है,शर्मिला कुछ दिन अपने पीहर जाकर घूम आए,मन बहल जाएगा

अगले पंद्रह दिन समीर के व्यस्तता में कटे.देर रात तक वो दफ़्तर में ही बैठा रहता.घर लौटने के बाद भो कॉल पर ही व्यस्त रहता.काम की व्यस्तता के चलते उसे शर्मिला से बात करने का भी समय नहीं मिलता था

प्रोजेक्ट समाप्त होने के बाद समीर ने पुन: मनाली की टिकट बुक करवाने के लिए शर्मिला को फ़ोन किया तो  उसने चिढ़ कर जवाब दिया,

“दो टिकट बुक करना,नीरा भी हमारे साथ चलेगी”

“नी–रा—हनीमून पर ..हमारे साथ..”

“जी हाँ समीर साहब तुम मुझे तब नहीं ले गए थे न,हर्ज़ाना तो भुगतना ही पड़ेगा, ,”फिर थोड़ा विनम्र स्वर में बोली,

“तलाक़ के बाद बेचारी नीरा घर में क़ैद होकर रह गई है ,हमारे साथ चलेगी तो ,उसका दिल बहल जाएगा”

समीर संयत रहा,उस समय उसे कोई जवाब नहीं सूझ रहा था,

“ठीक है “कह कर उसने फ़ोन काट दिया और तीन टिकट बुक करवा लीं।

हँसती,खिलखिलाती दोनों बहने,सर्पिल उपत्यिकाओं पर हचकोले खाती बस यात्रा का भरपूर आनंद लूट रही थीं.पिछली सीट पर बैठा समीर ,कभी सहयात्रियों से बातें करके मन बहलाता,कभी उंघने लगता.शर्मिला ने नीरा को अपनी ज़िद के बारे में बताया तो उसने,शर्मिला की पीठ थपथपा दी.

“वाह तूने तो मैदान मार लिया”

आठ दिन ,मनाली प्रवास के दौरान दोनों,बहनों ने,ट्रैकिंग,ग्लाइडिंग,घुड़सवारी से लेकर हर मँहगे रेस्टोरेंट में जम कर लंच ,डिनर का स्वाद चखा.पेमेंट समीर करता रहा.वापसी में शर्मिला ने पश्मीना शॉल ख़रीदने की फ़रमाइश की तो .समीर ने एक शॉल माँ के लिए भी ख़रीद लिया.इस पर शर्मिला अड़ गई.,

“अपनी माँ के लिए,मुझे भी एक शॉल ख़रीदना है”

समीर अनुमान से ज़्यादा ख़र्चा कर चुका था ,उसका बैंक बेलेंस बुरी तरह बिगड़ चुका था,फिर भी ,शर्मिला की बात का मान रखने के लिए उसने एक शॉल अपनी सास के लिए और एक स्ट्रोल ,उसकी छोटी बहन जया के लिए भी ख़रीद लिया.

वापस लौट कर शर्मिला ने अपनी माँ को फ़ोन मिलाया और,मनाली यात्रा के संस्मरण सुनाने लगी.हैरान परेशान सा समीर ,कभी दौड़भाग में जुटी अपनी माँ को देखता तो कभी,पसीने पसीने हो रही नंदिनी मौसी को.लेकिन पलंग पर आराम फर्माती शर्मिला को किसी से सरोकार नहीं था.

दोपहर के दो बज चुके थे.नंदिनी मौसी चौके में लंच तैयार कर रहीं थीं. शर्मिला ने उठकर खाना खाया फिर,समीर को टैक्सी बुक करने के लिए कहा .

“कहाँ जाना है?”

सुधार गृह की जगह प्रताड़ना गृह बनी जेलें

जरूरत से ज्यादा बो झ और कर्मचारियों की भारी कमी के चलते उत्तर प्रदेश की जेलें रसूख वाले लोगों के लिए आरामगाह जबकि सामाजिक व आर्थिक तौर पर पिछड़े विचाराधीन कैदियों के लिए नरक सी बन गई हैं.

10 अगस्त, 2020 को लखनऊ जिला जेल के सर्कल नंबर 3 और हाता नंबर 11 व 15 के कैदियों को एंटी एलर्जी टेबलेट सिट्रीजन दिए जाने का फैसला लिया गया था. अस्पताल में तैनात फार्मेसिस्ट आशीष वर्मा ने सिट्रीजन टेबलेट की जगह पर मानसिक अस्वस्थता में दी जाने वाली हेलोपैरिडाल दवा कैदियों को दे दी. हेलोपैरिडाल दवा उन मरीजों को दी जाती है जिन को ज्यादा गुस्सा आता है. यह हाईपावर वाली होती है.

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गलत दवा खाने के बाद कैदियों के शरीर में ऐंठन शुरू हो गई. कुछ कैदियों में दर्द इतना बढ गया कि वे दर्द से चीखने लगे. 22 कैदियों को घबराहट और शरीर में कंपकंपी होने लगी. कैदियों को जेल अस्पताल में भरती किया गया. जेल प्रशासन ने 12 घंटे तक इस घटना को दबाने का काम किया. जब 6 कैदियों की हालत बिगड़ने लगी, तब घटना की खबर जेल की चारदीवारी से बाहर आई. जेल के जिम्मेदार लोगों ने चुप्पी तोड़ी तो मामला बाहर आया.

ऐसी घटनाएं किसी भी जेल में कभी भी घट सकती हैं. जेल में जितने कैदी हैं, उस के अनुपात में वहां स्वास्थ्य की देखभाल के लिए डाक्टर और दूसरे कर्मी नहीं हैं. लखनऊ जिला जेल में 3,540 कैदी हैं. इस जेल की क्षमता 3,500 कैदियों की है. इन के इलाज के लिए जेल में 4 डाक्टरों की नियुक्ति का नियम है. यहां पर केवल एक ही डाक्टर नियुक्त है. वही डाक्टर 24 घंटे की डयूटी पर रहता है. जेल नियम कहते हैं कि डाक्टर से 6 घंटे की नियमित और 2 घंटे की औनकौल डयूटी ली जा सकती है.

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ऐसे में यह सम झा जा सकता है कि एक डाक्टर 24 घंटे कैसे अपनी डयूटी दे सकता है. डाक्टर केवल नए कैदियों के स्वास्थ्य परीक्षण का नियमित काम करता है. इस के बाद वह जरूरत पड़ने पर कैदियों को देखने आता है. डाक्टर की अनुपस्थिति में फार्मेसिस्ट ही दवाओं के वितरण का काम करता है. जिस की लापरवाही के कारण ऐसा हादसा हो गया. इस घटना से यह सम झा जा सकता है कि जेलों में कैदियों की हालत कितनी बुरी है.

लखनऊ जिला जेल का दूसरा मामला देखें तो और भी गंभीर हालत का पता चलता है. जिला जेल में अमन उर्फ गोपी को 17 सितंबर, 2018 को लाया गया था. गोपी इस से पहले भी जेल में रह चुका था. उस समय उस पर अपनी पत्नी की हत्या का आरोप लगा था. उस आरोप में वह 10 साल जेल में रह कर जमानत पर छूटा था. 2 साल पहले 2018 में दूसरी हत्या के आरोप में उस को पकड़ कर जेल भेजा गया था. गोपी के परिवार में पिता के अलावा 7 भाई हैं. कभीकभी उस से मिलने परिवार के लोग आते थे. फरवरी माह में एक भाई उस से मिलने जेल आया था. गोपी स्वभाव से गुस्सैल और झगड़ालू था. 21 जुलाई, 2020 को गोपी के खाने की लाइन में लगने को ले कर हुआ विवाद मारपीट तक पहुंच गया. उस ने दूसरे कैदी को थाली से पीटा जिस में खुद भी घायल हो गया था. उसे अस्पताल में भरती किया गया. 24 अगस्त को उसे जेल बैरक में वापस भेज दिया गया था.

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गोपी जेल में खुद को दबंग सम झता था. ऐसे में उस का दूसरे कैदियों व जेल के कर्मचारियों से भी झगड़ा होता रहता था. गोपी नशेबाजी और जुआ खेलने का आदी था. जेल के अंदर भी कैदी यह करते हैं. 26 अगस्त को गोपी का दूसरे कैदियों के साथ झगड़ा हुआ. तब उसे दूसरे कैदियों ने बुरी तरह से पीटा. जिस के बाद जेल प्रशासन ने गोपी को तनहाई बैरक में रखने का फैसला किया. तनहाई बैरक में एक ही कैदी रखा जाता है. तनहाई बैरक में कुख्यात और सिरफिरे बंदियों को रखा जाता है. बैरक में बंदियों की विशेष निगरानी होती है. यहां पर अंगोछा, बैल्ट या शरीर को नुकसान पहुंचाने वाली कोई दूसरी चीज नहीं रखी जाती.

27 अगस्त को 42 साल के गोपी ने तनहाई बैरक में अंगोछा से फंदा बना कर फांसी लगा ली. सवाल उठता है कि तनहाई बैरक में गोपी को अंगोछा कैसे मिल गया? जब तनहाई बैरक की निगरानी होती है तो वहां कैदी के फांसी लगाने की जानकारी किसी को कैसे नहीं हो पाई? असल में जेल में कैदियों की मनमानी चलती है. जेल प्रशासन केवल मामलों को छिपाने और उस पर लीपापोती करने का काम करता है. कैदी आपस में अपनी दबंगई को बनाए रखने के लिए झगड़ा व मारपीट करते हैं. सो, कभीकभी ऐसे हादसे हो जाते हैं.

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प्रताड़नाघर है जेल
जेल में भारी संख्या में विचाराधीन कैदियों के होने से जेलों में कैदियों के साथ दुर्व्यवहार बढ़ता जा रहा है. ऐसे में सुधारगृह की अपेक्षा जेल अब प्रताड़नाघरों में बदल गए हैं. उत्तर प्रदेश में कुल जेलों की संख्या 72 है. इन में 60 हजार 580 कैदियों को रखने की क्षमता है. उत्तर प्रदेश में सजा पाए कैदियों की संख्या 25 हजार 236 है. विचाराधीन कैदियों की संख्या करीब 70 हजार है. यानी, प्रदेश की जेलों में 95 हजार के करीब कैदी बंद हैं.

क्षमता से अधिक कैदी होने के कारण जेल प्रताड़नाघर बन गए हैं. उत्तर प्रदेश उन राज्यों में है जिन का जेल मैन्युअल अभी तक 50 साल पुराना है. जेल में कैदियों की संख्या अधिक होने से वहां पर सही तरह से देखरेख नहीं हो पाती है. इसी कारण से जेलों में अवैध सामान भी आने लगता है. जेलों में रह कर अपराधी मोबाइल से ही अपना काम करने लगते हैं.

जेलों में एक तरफ कैदियों की संख्या अधिक है, दूसरी तरफ जेल कर्मचारियों की बेहद कमी है. सिपाही से ले कर डाक्टर तक की संख्या में भारी कमी है. कैदियों के व्यवहार में सुधार के लिए कोई कार्यक्रम तो होता ही नहीं है, जेल कर्मचारियों के प्रशिक्षण और अनुशासन को भी बनाए नहीं रखा जा रहा है. जेल में सुधार के कार्यक्रम बेहद पुराने हैं. अपराधियों को जेल में इसलिए रखा जाता है जिस से वे अपनी आदतों में सुधार कर सकें. यही कारण है कि जेलों को सुधारगृह भी कहा जाता है.

अब जेल साधारण कैदियों के लिए प्रताड़नागृह और दुर्दांत अपराधियों व नेताओं के लिए आरामगाह बन गए हैं. जेलों में आम और खास का भेदभाव पूरी तरह से देखा जा सकता है. उत्तर प्रदेश की जेलों में जेलर तक की हत्या हो चुकी है. सीएमओ स्तर के अधिकारी ने जेल में चमड़े की अपनी ही बैल्ट से लटक कर जान दे दी थी.

जेलों में भी दबंगई
जमानत पर रिहा हो कर आए दिवाकर दुबे बताते हैं, ‘जेल में किसी अपराधी के सुधरने की गुजाइंश न के बराबर होती है. वहां पर केवल अपराधियों का ही राज चलता है. वे खुद को जेल का सरदार सम झते हैं. जेल प्रशासन ने पुराने कैदियों को तमाम काम सौंप रखे हैं जिस के कारण वे नए कैदियों से मनमानी व उन का शोषण करते हैं. जो कैदी उन की बात मानने से इनकार करता है, पुराने कैदी उस की पिटाई करते हैं. जेल प्रशासन ऐसी हरकतों को नजरअंदाज करता है.

‘पुराने कैदी नए आने वालों से पैसों की वूसली भी करते हैं. जेल में मिलाई के समय नया कैदी अपने घर वालों से पैसे मंगवाता है. जो कैदी पुराने कैदियों की बात नहीं मानते उन को पूरेपूरे दिन वहां के काम पर लगाया जाता है.

‘कैदी नशेबाजी, जुआ खेलने और दूसरे तमाम गंदे शौक भी करते हैं. जो कैदी इस में हिस्सा नहीं लेते उन से जेल के काम लिए जाते हैं. इस में कैदियों के लिए खाना बनाने, बैरक व जेल की साफसफाई करने और कैदियों के कपड़े तक साफ करने पड़ते हैं. गाली, मारपीट यहां सामान्य बातें हैं.

‘ऐसे में कई बार निर्दोष फंसे कैदी मानसिक रूप से परेशान हो जाते हैं. जेल के कर्मचारी पुराने कैदियों का ही साथ देते हैं. जेल की बातें बाहर नहीं आ पातीं और जेल के बारे में बताने वाले को ये लोग मारते हैं. जिस की वजह से नया कैदी मिलाई के समय अपने घर वालों को भी सच नहीं बताता.’

जेल की नियमित रिपोर्टिंग करने वाले अनुराग सिंह कहते हैं, ‘जब से प्रशासनिक अधिकारी, कारोबारी और पैसे वाले लोग व उन के परिवारों के लोग जेल आने लगे हैं, तब से यहां पैसे का चढ़ावा चढ़ाने का रिवाज तेज हो गया है. ये लोग जेल में सुविधाएं हासिल करने के लिए पैसे खर्च करने लगे हैं. तब से कैदियों द्वारा वसूली बढ़ गई है. पैसों का प्रभाव और आवागमन बढ़ने से भ्रष्टाचार भी बढ़ रहा है. भ्रष्टाचार के कारण ही जेलों में अपराध बढ़ने लगे हैं. ऐसे में जेल कर्मचारियों में भी रिश्वतखोरी बढ़ी है.’

जेल से चलता अपराधियों का राजकाज
उत्तर प्रदेश की जेलों में इस तरह के काम नए नहीं हैं. इस घटना से यह बात साफ हो गई कि उत्तर प्रदेश की जेलें भी सुरक्षित नहीं हैं. अपराधी जेल कर्मचारियों से मिल कर वहां भी अपना खेल दिखाते रहते हैं. जेल अधिकारियों पर पद का दुरुपयोग कर अवैध वसूली करने के आरोप लगते रहते हैं. इस के लिए नियमकानून कम जिम्मेदार नहीं हैं. जेल में भ्रष्टाचार चरम पर है. जेल में मुलाकात करने जाना है तो पहले पैसा देना पड़ता है. अगर कोई सामान अंदर कैदी तक पहुंचाना है तो पैसा चलता है. कई बार मोबाइल फोन तक अंदर पहुंच जाते हैं. जेल में सबकुछ मिलता है, उस की कीमत अदा होनी चाहिए. पेशी के दौरान जब किसी कैदी को ले कर सिपाही कचहरी जाते हैं तो वे भी पैसा ले कर सुविधा देते हैं.

बिना सिपाहियों को पैसा दिए कैदी न तो किसी रैस्तरां में खाना खा सकता है और न ही अपने घरवालों से मिल सकता है. हर काम की कीमत वसूलने वाले ये सिपाही पैसे के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं. इसी कारण जेलों में भ्रष्टाचार पनपता रहता है. जेल में आम कैदी से मिलने के लिए भले ही पैसा खर्च करना पड़ता हो लेकिन बाहुबली के साथ मिलने वालों की जांच तक नहीं होती.

आज जिस तरह जेलों से ही अपराधी अपनी हुकूमत चला रहे हैं उस से यह साफ हो गया है कि जेल अपराधगाह बन गए हैं. सवाल उठता है कि जब जेल ही अपराधगाह बन जाएंगे तो अपराधी सबक सीखने कहां जाएंगे? द्य

हमारी बेडि़यां

एक दंपती हमारे काफी अच्छे मित्र थे. उन के यहां विवाह के काफी समय बाद पुत्र का जन्म हुआ. उन्होंने पुत्र के जन्म की खुशी में एक दावत रखी जिस में हम भी आमंत्रित थे. पूरा परिवार काफी खुश था और बच्चे की दादी की तो खुशी देखते ही बन रही थी.

मैं और मेरे पति ने भी बच्चे को आशीर्वाद दिया और दादी से बच्चे का नाम पूछा. उन्होंने खुश हो कर कहा, ‘‘गरीबदास.’’हमें एक पल के लिए लगा कि शायद हम ने गलत सुन लिया है पर कुछ कहना या पूछना उस समय उचित नहीं लगा. बाद में मैं ने अपनी मित्र से बात की पुष्टि करते हुए पूछा कि तुम ने अपने बेटे का गरीबदास नाम रखा है तो उस ने अनमने ढंग से बताते हुए कहा कि यह परिवार का रिवाज है कि यदि घर में बहुत इंतजार और मन्नतों के बाद पुत्र का जन्म होता है तो उस का भिखारीदास, चरणदास, गरीबदास आदि जैसा नाम रखा जाता है ताकि उसे किसी की नजर न लगे.

उस की यह बात सुन कर मैं सोच में पड़ गई कि क्या सच में ऐसा नाम रखने से बच्चे की सुरक्षा होगी? यह सोचने के बजाय कि बच्चा बड़ा होने पर इस नाम के साथ शायद सहज महसूस न करे. आज भी इस तरह की बेडि़यों में बंध कर हम कहीं न कहीं दकियानूसी बातों को बढ़ावा दे रहे हैं.
राखी जैन (सर्वश्रेष्ठ)

मेरे मित्र की पत्नी बहुत ही रूढि़वादी व धार्मिक विचारों वाली है. इसलिए वह अपने घर में हर महीने कोई न कोई धार्मिक आयोजन करवाती रहती है.मेरे मित्र उस की इस आदत से बहुत परेशान हैं. पत्नी के इस रवैए से न केवल उस की आर्थिक दशा बिगड़ी है, अपितु बच्चों की पढ़ाई पर भी बुरा असर पड़ता है.
एक दिन उन के घर में हवन हो रहा था. मेरे मित्र के पिता, जिन्हें खांसी, जुकाम व सिरदर्द था, को भी वहां बिठाया गया था.

हवन के धुएं के कारण उन की हालत बिगड़ गई और उन्हें अस्पताल में दाखिल करवाना पड़ा, जहां उन्हें हफ्ताभर रखना पड़ा. परेशानी हुई और आर्थिक नुकसान उठाया सो अलग.
आज दुनिया कहां से कहां पहुंच गई है जबकि अधिकांश लोग अब भी पुरानी बेडि़यों में जकड़े हुए हैं.

सुशांत डेथ केस: अभी बड़े बड़े नाम आने बाकी हैं 

सौजन्य- मनोहर कहानियां

सुशांत केस में एनसीबी की पूछताछ के दौरान जब रिया चक्रवर्ती ने बौलीवुड की कुछ नामचीन हस्तियों के ड्रग्स में इनवौल्व होने की बात कही थी, तब लगा था वह अपने बचाव में ऐसा कह रही हैं. लेकिन…

टैलेंट मैनेजर जया साहा, उन की असिस्टेंट करिश्मा और इंडस्ट्री की शीर्ष अभिनेत्री दीपिका पादुकोण की ड्रग्स को ले कर सामने आई चैट से बौलीवुड को बहुत बड़ा झटका लगा है. रिया ने एनसीबी अधिकारियों को 25 नाम बताए थे, जिन्हें एनसीबी घेरने की तैयारी कर रही है. दीपिका पादुकोण शायद उन्हीं में से एक है.

इस चैट में दीपिका जया साहा से ‘हैश’ यानी हशीश भेजने की बात कहती हैं. जाहिर है अब दीपिका भी एनसीबी जांच के दायरे में आ गई हैं. कुछ समय पहले उन्होंने भी अपने डिप्रेशन का जिक्र किया था. उस दौर की चर्चा करते हुए दीपिका ने अपने अनुभव सब से शेयर किए थे. हो सकता है यह उसी दौर की चैट हो.
सिर्फ दीपिका ही नहीं, सारा अली खान, श्रद्धा कपूर, सिमोन खंबाटा और रकुलप्रीत सिंह जैसी बड़ी अभिनेत्रियां भी नशीले धुएं की चपेट में घिर गई हैं. एनसीबी ने आधिकारिक तौर पर इस बात की पुष्टि की है कि इन तीनों को पूछताछ के लिए सम्मन भेजे जाएंगे. पता चला है कि फिल्म ‘छिछोरे’ की सक्सेज पर जब सुशांत के फार्महाउस पर पार्टी हुई थी तो उस पार्टी में श्रद्धा भी गई थीं. बकौल रिया, उस पार्टी में ड्रग्स भी थे.

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जब रिया ने अपने बयान में रकुलप्रीत का नाम लिया था, तब उन्होंने दिल्ली हाइकोर्ट में मीडिया ट्रायल पर प्रश्न करते हुए कहा था कि जब रिया ने उन के नाम वाले कथित बयान को वापस ले लिया है, तब भी मीडिया उन का नाम इस मामले से जोड़ रही है. लेकिन अब मीडिया नहीं एनसीबी उन से पूछताछ की तैयारी में है.  टैलेंट मैनेजर जया से काफी लंबी पूछताछ के बाद अधिकारिक रूप से इन अभिनेत्रियों की ड्रग्स में संलिप्तता पाई गई है.  हो सकता है कुछ और चौंकाने वाले बड़े नाम सामने आएं. जब दीपिका पादुकोण का नाम इस नशीली दुनिया का हिस्सा बन सकता है तो अब कुछ भी संभव है.

बौलीवुड वाले ड्रग्स इस्तेमाल ही नहीं कर रहे वरन उस का व्यापार भी कर रहे हैं. जिस का सबूत हाल ही में कर्नाटक की मंगलुरु पुलिस के हाथ लगा. सुपरहिट फिल्म ‘एबीसीडी: एनीबडी कैन डांस’ के एक्टर और ‘डांस इंडिया डांस’ रियलिटी शो के प्रतिभागी रहे किशोर अमन शेट्टी को ड्रग्स लेने और बेचने के लिए कर्नाटक की मंगलुरु पुलिस ने गिरफ्तार किया है.किशोर के साथ ही अकील नौशिल को भी सिंथेटिक ड्रग एमडीएमए या एमटी रखने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. ये दोनों महाराष्ट्र और बेंगलुरु से ड्रग्स मंगवा कर स्टूडेंट्स को बेचते थे.

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सुशांत केस सौल्व करने के दौरान जब एनसीबी का इनवैस्टीगेशन शुरू हुआ तो रिया और जया साहा की चैट से कई ड्रग पेडलर निशाने पर आ गए. मतलब यह कि मुंबई में भारी मात्रा में ड्रग्स की सप्लाई की जाती है. 18 सितंबर को एनसीबी की टीम ने अलगअलग स्थानों पर छापा मार कर 928 ग्राम चरस और कई लाख कैश के साथ 4 लोगों को गिरफ्तार किया. एक दूसरी छापेमारी में 3 लोगों को 500 ग्राम गांजे के साथ पकड़ा गया. सुशांत केस में ड्रग्स की जांच करते हुए एनसीबी ने सब से बड़ी गिरफ्तारी ड्रग सप्लायर राहिल की थी. बौलीवुड में राहिल को सैम अंकल के नाम से जाना जाता है. मीडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार पूछताछ के दौरान राहिल ने कई जानेमाने सिलेब्रिटीज का नाम लिया है.

कुछ ऐसे ही चिरपरिचित नामों का जिक्र रिया भी अपने बयान में कर चुकी थी, जो अब सच बन कर सामने भी आने लगे हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार, बौलीवुड का ही कोई शख्स राहिल का बौस है. इसी बौस के कहने पर राहिल सिलेब्रिटीज को मलाना क्रीम (सुपर क्वालिटी की चरस) सप्लाई करता था.मुंबई अपने फिल्म प्रोडक्शन के लिए जितनी मशहूर है, उतनी ही अपनी जिंदादिल पार्टियों के लिए भी चर्चित है. जहां मौजमस्ती  के साथ बड़ीबड़ी बिजनैस डील भी होती हैं. ग्लैमर इंडस्ट्री के हाईप्रोफाइल स्टार्स और स्ट्रगलर्स भी ऐसी पार्टियों में शिरकत करते हैं. इन पार्टियों में शराब के साथ ड्रग्स भी चलती है.

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कंगना रनौत ने पार्टी कल्चर के बारे में कहा कि एक दौर में वह ‘हाई और माइटी’ क्लब का हिस्सा थीं, जहां हर दूसरी रात पार्टीज में जाना पड़ता था, जिन में बौलीवुड सिलेब्रिटीज ड्रग्स लेते थे. इसी तरह ‘बेइमान लव’ फिल्म के अभिनेता ने इंडस्ट्री में प्रचलित ड्रग्स को ले कर कहा कि ‘वीड’ सिगरेट की  तरह है, कैमरापरसन से ले कर स्पौट बौय तक सामान्य रूप से वीड लेते हैं.बौलीवुड पार्टियों की मुख्य ड्रग कोकीन और एमडीएमए है, जिसे एलएसडी या एसिड भी कहा जाता है. साथ ही पार्टियों में केटामाइन भी इस्तेमाल की जाती है. ये सभी हार्ड ड्रग्स हैं. इन का असर 15 से 20 घंटे तक रहता है. इन हार्ड ड्रग्स का जिक्र रिया की चैट में भी आया था.

अगस्त महीने में मुंबई पुलिस ने एक ड्रग पेडलर को मेफेड्रान नाम की ड्रग के साथ गिरफ्तार किया था. उस के पास से भारी मात्रा में मेफेड्रान बरामद हुई, जिसे एमसीएटी, म्याउ म्याउ और एमडी भी कहते हैं. इसे पार्टियों में खूब पसंद किया जाता है. मुंबई और दिल्ली में ड्रग्स की खपत को देखते हुए कई जगहों से ड्रग सप्लाई की जा रही है. मिजोरम के तस्कर म्यांमार से याबा टैबलेट की तस्करी कर के मिजोरम के रास्ते दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु में सप्लाई देते हैं.

इन शहरों में इस नशीले पदार्थ की काफी डिमांड है. असम राइफल्स ने इसी साल 29 फरवरी को ड्रग की 39 लाख टैबलेट बरामद की थीं, जिन की कीमत करीब 9700 लाख रुपए थी. इस के साथ ही मार्च से अब तक 96 ड्रग पेडलर्स से 3.42 करोड़ रुपए कीमत की 3.6 किलोग्राम हेरोइन और प्रतिबंधित नशे की 6,29,800 टैबलेट बरामद की जा चुकी हैं.

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ये आंकड़े सिर्फ एक जगह के हैं जबकि नशे के सौदागरों की देश के हर प्रांत में भरमार है. इसी से साबित होता है कि नशे की जड़ें कितनी गहरी हैं. महंगा होने की वजह से ड्रग्स का कारोबार मोटा पैसा कमाने का आसान जरिया है, जिस की झलक मुंबई में नजर आ रही है. ?

फेस्टिवल स्पेशल : इस तरह से बनाएं लौकी की सब्जी

लौकी की सब्जी को हर तरह से फायदेमंद  माना जाता है. हालांकि लोग इसे ज्यादातर गर्मियों में खाना पसंद करते हैं. ऐसे में आज हम आपको लौकी की सब्जी की आसान विधि बताने वाले हैं.

सामग्री−

कुकिंग ऑयल या घी

हींग

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जीरा

लौकी

हल्दी पाउडर

लाल मिर्च पाउडर

नमक

धनिया पाउडर

टमाटर

प्याज

अदरक

लहसुन

हरी मिर्च

काजू

तेजपत्ता

दालचीनी स्टिक

हरा धनिया

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विधि-

लौकी की सब्जी बनाने के लिए पहले एक घीया को अच्छी तरह धोकर छील व काट लें. अब एक प्रेशर कुकर लें. इसमें कुकिंग ऑयल डालकर हींग व जीरा डालें. जब जीरा तड़क जाए, तब इसमें हल्दी पाउडर डालें. अब इसमें कटी हुई लौकी डालें. साथ ही इसमें नमक, लाल मिर्च, धनिया पाउडर डालकर अच्छी तरह मिक्स करें. इसके बाद इसमें थोड़ा सा पानी डालें और लिड लगाकर मीडियम फ्लेम पर तीन−चार सीटी लगाएं.

अब एक कड़ाही ले और उसमें प्याज, टमाटर, अदरक, लहसुन, हरी मिर्च, काजू, दालचीनी, तेजपत्ता, नमक व थोड़ा सा पानी डालें. अब इसे ढककर करीबन दस मिनट के लिए पकने दें. अब गैस बंद करें और इसे अच्छी तरह ठंडा होने दें. इसके बाद मिश्रण से दालचीनी और तेजपत्ता बाहर निकालें और इसकी एक प्यूरी बना लें.

अब दोबारा एक कड़ाही लें और इसमें थोड़ा सा ऑयल डालें. इसमें धनिया पाउडर, हल्दी पाउडर, लाल मिर्च पाउडर, डालें. साथ ही प्यूरी भी डालकर अच्छी तरह मिक्स करें और कुछ देर के लिए पकाएं. अब इसमें थोड़ा सा बटर और मलाई मिक्स करें. करीबन दस मिनट के लिए लो फलेम पर पकाएं. अब इस तैयार ग्रेवी में घीया डालें और मिक्स करके करीबन दो मिनट तक लो फ्लेम पर पकाएं. आखिरी में हरा धनिया से इसे गार्निश करें.

आपकी टेस्टी लौकी की सब्जी तैयार है. बस, इसे गरमागरम रोटी या परांठे के साथ सर्व करें.

इस तरह सब्जी बनाने में आपको थोड़ा अधिक समय अवश्य लगेगा. लेकिन जब हमने इसे बनाया था, तब इसका स्वाद बेहद ही लाजवाब था. अगर आप इस तरीके से लौकी की सब्जी बनाएंगे, तो बड़े ही नहीं, बच्चे भी मजे लेकर इसे खाएंगे.

 

विषबेल-भाग 3 : नंदिनी मौसी और समीर का क्या रिश्ता था?

शर्मिला मौन रही

“क्या ऊँचा सुनने लगी हो?”

शर्मिला को अपनी माँ से पता चल चुका था,इस घर में सात पीढ़ियों से किसी औरत पर हाथ नहीं उठाया है,इसलिए उसने शेरनी की तरह व्यवहार किया,

“इतवार को मेरा मूड ख़राब मत करो. मेरे कान बिल्क़ुल ठीक हैं,अगर ग़ुस्सा आ गया तो मिट्टी का तेल डालकर आग लगा लूँगी”

“क्या कहा?”समीर चीख़ कर उछल पड़ा,जैसे सांप ने सामने से फूत्कार मारी हो

“जो तुमने सुना”शर्मिला ने स्वर धीमा नहीं किया

“यही कि अधिक परेशान करोगे तो मैं आत्महत्या कर लूँगी,तुम्हारे साथ दूसरे भी बँधे बँधे फिरोगे,सारी इंजनीरिंग धरी की धरी रह जाएगी”

“कितने घटिया संस्कार हैं तुम्हारे”

“तो छोड़ दो मुझे,तलाक़ दे दो”

समीर बुरी तरह डर गया.डरी तो शर्मिला भी थी मगर नारी हठ,पुरुष के अहम को पराजित करने के लिए मन प्राण से जुटा था. असल में कुतर्कपूर्ण असभ्य संवाद शैली के कारण शर्मिला का प्रायः अनुराग से झगड़ा हो जाता था.घर की बात घर से बाहर न निकले इसलिए समीर हमेशा घुटने टेक देता था.शर्मिला इसे अपनी जीत समझ कर अपनी माँ और बहनों की वाहवाही बटोरती.संक्षेप में उसने नंदन कानन को शमशान भूमि में बदल दिया था.

समस्या ने विकराल रूप तब धारण किया,जब नन्हा गौरव इस परिवार का सदस्य बना.समीर को पूरी उम्मीद थी कि शर्मिला के स्वभाव में अब बदलाव आएगा,अब वो इस परिवार से जुड़ेगी. लेकिन ,जुड़ना तो दूर उसने देवयानी जी और सुधाकर जी को उसे छूने तक नहीं दिया,और जता दिया कि वो अपने बच्चे की देखभाल भली भाँति कर सकती है.बढ़ावा देने के लिए बहनें तो थीं ही अब उसके इस अभियान में माँ भी शामिल हो गयीं.

“मेरा बेटा है,चाहे जिस प्रकार रखूँ,मारूँ या पाल पोस कर बड़ा करूँ”

समीर ने बड़े दुखी स्वर में कहा “इस मासूम ने किसी का क्या बिगाड़ा है शर्मिला?अपने हठ में तुमने,गर्भ के समय भी किसी का कहना नहीं माना,न माँ की सलाह सुनी,न डॉक्टर की हदायतें.न पौष्टिक आहार ही अपनी डायट में शामिल किया,इसीलिए गौरव इतना कमज़ोर है”

“तुम यही कहना चाहते हो न कि,गौरव मेरी लापरवाही के कारण कमज़ोर है?नहीं वो तुम्हारी बेवक़ूफ़ी और ग़ैर ज़िम्मेदाराना हरकतों की वजह से कमज़ोर है.तुम न अच्छे पति बन सके न अच्छे पिता..”

समीर के भीतर की कड़वाहट उसके सामने फूट पड़ना चाहती थी फिर भी वो ख़ुद को बांधे रहा .जानता था कि शर्मिला कभी भी अपनी ग़ल्ती नहीं मानेगी.उसकी माँ ने बचपन से ही अपनी बेटियों को समर्पण का जवाब ठोकर से देना सिखाया है.

अगर समीर उसे गोद में उठाना चाहता तो शर्मिला उसे भी दो कड़वे बोल सुना कर दूर छिटक देती. अगर देवयानी जी और सुधाकर जी उसे खिलाना चाहते तो ,ऐसा कोहराम मचाती की पूरा घर ज्वालामुखी के मुहाने पर जा बैठता.

समीर तर्क देता,”एक व्यक्ति को कई लोग एक साथ प्यार कर सकते हैं ,क्योंकि वो किसी का बेटा,किसी का भाई,किसी का पति और किसी का मित्र होता है. सभी तो उसे चाहेंगे.गौरव पर निश्चय ही सबसे अधिक तुम्हारा अधिकार है,किंतु मेरे परिवार के लोग भी तो उससे स्नेह करते हैं और उसके सच्चे हितैषी हैं”

किंतु शर्मिला ने किसी की न सुनी.और गौरव को लेकर अपने मायके चली आयी ताकि उसकी माँ गौरव का लालन पालन कर सके.बहनो के सामने उसने बढ़चढ़ कर अपनी विजय पताका लहराने के क़िस्से सुनाए तो ,तलाकशुदा बहन नीरा और छोटी बहन शिल्पा ने उसके समर्थन में सिर हिला दिया .

शर्मिला को मायके आए हुए एक महीने से ऊपर हो चुका था.शुरु में माँ ने दुलारा,पुचकारा,सहानुभूति जतलायी,सांत्वना भी प्रगट की,बहनों ने भी उसके साहस की भूरी भूरी प्रशंसा की फिर ,सभी अपनी अपनी राह हो लिए.माँ अपनी सभा सोसायटीयों औरअपनी भजन मंडलियों में व्यस्त हो गईं.बहनों का पूरा दिन,,सैर सपाटे,किटी पार्टियों और शॉपिंग में बीत जाता.उसके बाद जो समय बचता उसके लिए मन बहलाने के लिए,फ़ेस टाइम,और वाट्सप्प जैसी विधाएँ तो थीं ही.

काम करने की आदत शर्मिला को भी नहीं थी,ससुराल में तो नंदिनी मौसी गरम गरम पकाकर थाली हाथ में पकड़ातीं थीं,उस पर भी वो मीनमेख ही निकालती रहती थी,अब मायके में काम करना पड़ा तो पैरों तले से ज़मीन खिसकने लगी नीरा और जया ,खाना होटेल से मंगवाने का मशविरा देतीं.दो चार बार उसने मँगवाया भी,लेकिन बजट बिगड़ने लगी तो हाथ रोकना पड़ा.फिर,,नवजात गौरव के लिए दलिया,और सूप तो बनाना ही पड़ता था.

शर्मिला से जितना बन पड़ता,घर का काम करती,गौरव को भी संभालती.पिता की छोटी सी दुकान थी. मुट्ठी भर कमाए से क्या खाते क्या निचोड़ते?इतना पैसा भी नहीं था कि एक नौकर ही रखा जा सके.अपने रोज़मर्रा के ख़र्चे ,शर्मिला ATM से पैसे निकालकर पूरे कर लेती थी.जो थोड़ी बहुत रक़म बचती,उसे उसकी बहनें उड़ा देतीं.

शर्मिला के न दिल को आराम था न शरीर को आराम.एक बार उसके मन में आया कि वापस लौट जाय अपने घर फिर अहम् आड़े आ गया.ख़ुद घर छोड़ कर आयी थी,बिन बुलाए जाने का मतलब था समीर के तलवे चाटना,और उसे ये बात कतई मंज़ूर नहीं थी.

इधर समीर का भी बुरा हाल था,शर्मिला झगड़ालू थी,किसी की इज़्ज़त नहीं करती थी,कोई बात ही नहीं मानती थी,फिर भी उसके रहने से घर में चहल पहल रहती थी.कोई बोलने वाला तो था.गौरव के आने के बाद तो घर की सूनीदीवारें भी बोलने लगीं थीं.

देवयानी जी रोज़ पूछतीं,”शर्मिला कब आ रही है?”समीर हर संभव नियंत्रण करता,लेकिन ,उसके भीतर का हाहाकार साफ़ दिखाई दे जाता.पिता समझाते,पति पत्नी के बीच अहम का कोई प्रश्न ही नहीं उठता.स्नेहवश झुकना पराजय की स्वीक़्रती नहीं होती,जाकर बहू को ले आ”

शर्मिला ऐसे ही विचारों में खोई थी तभी उसके पिता कन्हैयालाल ने प्रवेश किया,बोले,

“बेटी,समीर आया था तुझे लेने दुकान पर.अरविंद को लखनऊ से आए हुए तीन महीने हो गए हैं,अब उसकी क्लीनिक का उद्द्घाटन होने वाला है.मैं और जया भी चलेंगे”

“जया भी…”

“हाँ सोचता हूँ अरविंद के साथ जया का रिश्ता पक्का कर दूँ.जानापहचाना परिवार है.तू भी वहीं है,तेरे सास ससुर,और समीर सभी सज्जन हैं.जया ख़ुश रहेगी”

“कहाँ है समीर?”

“दुकान पर.तेरी प्रशंसा कर रहा था.उसने तेरी कोई शिकायत नहीं की.मैंने अरविंद के साथ जया के रिश्ते की बात की तो बोला अगर शर्मिला को ये रिश्ता पसंद है तो मैं अरविंद से बात करता हूँ”

शर्मिला ,मन ही मन सोच रही थी,निहायत बदतमीज़,धूर्त और समूचे घर की दुश्मन होने पर भी मेरे ऊपर इतना भरोसा!

“मैं गंगा तर जाऊँगी बेटी”शर्मिला की मॉ ने भी पति का पक्ष लिया तो शर्मिला,सोच में पड़ गई,

“ये रहा निमंत्रण पत्र”कन्हैयालाल ने निमंत्रण पत्र आगे बढ़ाया तो शर्मिला ,निमंत्रण-पत्र पढ़ कर अवाक् रह गई,

“क़्लिनिक़ का उद्द्घाटन मेरे कर-कमलों द्वारा!

सरकारी अस्पताल के सिविल सर्जन और मेडिकल कौलेज के प्रख्यात प्रोफ़ेसरों को छोड़ कर?”

“समीर से कह दीजिए हम पहली ट्रैन से ही चलेंगे”

“लेकिन समीर को भोजन आदि? पहली बार आए हैं.”

“आप कोई चिंता न करें,बस मेरी बात जाकर कह दें,हम रास्ते में ही कहीं कुछ खा लेंगे”और शर्मिला तीव्र गति से तैयारी में जुट गई.

सुहाग शृंगार से सजी पत्नी को देखकर समीर सुखद आश्चर्य में डूब गया,

“शर्मिला?”

शर्मिला,समीर को गौरव थमा कर बोली,”तुमने मुझे माफ़ कर दिया?”

“मैं तुमसे रूठा ही कब था,नाराज़ तो तुम थीं,”

“तभी तुमने अरविन्द के आने की मुझे कोई सूचना नहीं दी?”उसने तनिक रूठ कर उलाहना दिया

“अरविंद तुम्हारा बहुत आदर करता है,वो तुम्हें सरप्राइज़ देना चाहता था,इसीलिए अपने क्लिनिक के रेनोवेशन में लगा हुआ था”

क़्लिनिक़ के उद्घघाटन समारोह के बाद एकांत पाते ही कन्हैयालाल ने शर्मिला को घेरा,

“मैं जया को इसलिए साथ लाया हूँ बेटी,कि बात अभी पक्की हो जाय”

“पिताजी,आपने देखा शहर के प्रतिष्ठित लोगों के बीच अरविंद और उसके नौजवान साथी डोक्टरों ने मेरे पैर छूकर मुझ से आशीर्वाद माँगा.विश्वास कीजिए उन क्षणों में मेरी उम्र बढ़ गयी और मैं समझदार हो गयी .पिताजी ,रूप लावण्य तो ईश्वरीय देन है,असली सुंदरता तो गुणों और संस्कारों से आती है.अफ़सोस है कि माँ और आपने हमें इस अमूल्य धरोहर से वंचित रखा”

शर्मिला ने गम्भीर और प्रकम्पित स्वर में पिता को उलाहना दिया,”पिताजी इस घर के लोग बड़े सरल,सीधे और सच्चे हैं,आज की दुनियादारी और चालाकी से कोसों दूर! मैं इन्हें तिल तिल करके मार रही थी,किंतु अब इन्हें और मरने नहीं दूँगी. मेरा अरविंद तो एकदम भोला है,हमेशा दूसरों पर निर्भर और विश्वास करने वाला.जया तो उसकी ज़िंदगी में ज़हर घोल देगी.मैं उसके लिए ऐसी सुंदर,सुशिक्षित संस्कारी लड़की लाऊँगी,जो अरविंद के जीवन को सुवासित फूलों से भर दे”

“ये क्या कह रही है तू शर्मिला?”

“हाँ पिताजी,मैं आपकी बेटी हूँ,मगर बाद में,पहले मैं इस घर की बहू हूँ और मेरे लिए जो असंदिग्ध आस्था प्रगट की गयी है,उसका निर्वाह मैं करूँगी.जया के लिए ऐसा मूर्ख घर वर मिलने में देर नहीं लगेगी जो कन्या के सौंदर्य और शिक्षा के सामने संस्कारों की तलाश नहीं करता.अरविंद के साथ जया की शादी हरगिज़ नहीं होगी”

और शर्मिला की बड़ी बड़ी आँखों में चट्टान सद्रश्य अडिग संकल्प के साथ पानी तैर आया.कन्हैयालल प्रकाशहीन विद्युत स्तम्भ की भाँति निश्चल खड़े थे.

हुंडई क्रेटा देता है 5 साल तक की वारंटी

न्यू हुंडई क्रेटा के बारे में बात करें तो यह 3 साल की गारंटी के साथ आता है. हुंडई क्रेटा में दिया हुआ किकर यह बताता है कि क्रेटा के माइलेज की कोई वारंटी सीमा नहीं है. आप इसके साथ लंबी यात्रा पर जा सकते हैं बिना किसी परवाह के. कंपनी आपके साथ हमेशा है.

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इसके साथ ही हुंडई आपको 5 साल तक की 1,40,000 किलोमीटर की वारंटी देता है. इसलिए इसे कहा गया है #RehargeWithCreta

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